#ऋषभदेव
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karam-123-ku · 4 months ago
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sushiladasi01 · 4 months ago
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manmohan888-blog · 4 months ago
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भारत की प्राचीन सभ्यता और तीर्थंकर ऋषभदेव क्या है सम्बन्ध?
ऋग्वेद में ऋषभदेव: एक रोचक कथा प्राचीन काल की बात है, हिमालय की गोद में एक शांत और सुरम्य आश्रम स्थित था। यहाँ विभिन्न प्रकार के ऋषि-मुनि और तपस्वी ज्ञान की खोज में लीन रहते थे। एक दिन, आश्रम के सबसे वृद्ध और ज्ञानी ऋषि, जिनका नाम सोमदत्त था, अपने शिष्यों को वेदों के गूढ़ रहस्यों के बारे में बता रहे थे। अचानक, एक युवा शिष्य, जिसका नाम अर्जुन था, ने जिज्ञासावश पूछा, “गुरुदेव, हमने अनेक देवताओं और…
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pujajadhav55 · 7 months ago
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sanjaydass9 · 8 months ago
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subhashdagar123 · 9 months ago
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brikdas · 10 months ago
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pawan-shekhawat · 1 year ago
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karam-123-ku · 4 months ago
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mohabbat7748 · 1 year ago
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#FactsAndBeliefsOfJainism
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ऋषभदेव (आदिनाथ) को जैन धर्म का संस्थापक माना जाता है, जोकि साधना काल में एक वर्ष तक निराहार रहे और एक हजार वर्ष तक तपस्या की उसके बाद उनका मोक्ष हुआ या नहीं?
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महावीर जैन जी जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर माने गए हैं। जैन धर्म में उनका विशेष स्थान है और आज भी जैन धर्म को मानने वाले लोग उनकी शिक्षाओं पर चलते हैं। परमात्मा को पाने की चाह में उन्होंने तीस वर्ष की आयु में राजमोह त्याग दिया और संन्यास ग्रहण कर लिया। आइए जानते हैं इस तरह से भक्ति करने से महावीर जैन जी की किस तरह की गति को प्राप्त हुए: bit.ly/MahavirJayanti…
#MahavirJayanti #MahavirJayanti2024
#FactsAndBeliefsOfJainism
क्या आप जानते हैं महावीर जैन जी की साधना शास्त्र विरुद्ध थी। भगवत गीता में लिखा है कि जो शास्त्रविधि को त्यागकर मनमाना आचरण करते हैं उनकी न कोई गति होती,न मोक्ष।
शास्त्र विरुद्ध साधना
जैन धर्म में "णोंकार अर्थात ॐ (ओंकार) मंत्र का जाप किया जाता है। आखिर यह मंत्र किस देव का है, क्या इसके जाप से मोक्ष (निर्वाण) प्राप्त हो सकता है?
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manmohan888-blog · 4 months ago
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भारतीय प्राचीन सभ्यता और जैन धर्म: एक गहन अध्ययन
भारतीय प्राचीन सभ्यता और जैन धर्म: एक गहन अध्ययन भारतीय प्राचीन सभ्यता, जो अपनी विशालता, गहराई और ज्ञान की समृद्ध परंपरा के लिए विश्वभर में जानी जाती है, एक ऐसी उर्वर भूमि है जहाँ विभिन्न दार्शनिक और आध्यात्मिक धाराओं का उद्भव और विकास हुआ। इन धाराओं में जैन धर्म एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जिसका न केवल एक लंबा और गौरवशाली इतिहास है, बल्कि जिसने भारतीय संस्कृति, दर्शन, कला और साहित्य को…
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gurvinderdass · 1 year ago
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जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव (आदिनाथ) को भक्ति की प्रेरणा करने वाले ऋषि कौन थे?
जानने के लिए पढ़िये 'हिन्दू साहेबान नहीं समझे गीता वेद पुराण'
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minashrama165 · 2 years ago
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brijpal · 1 year ago
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#FactsAndBeliefsOfJainism
श्री ऋषभदेव जी जैन धर्म के प्रवर्तक थे व नेक आत्मा थे। उनको पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब आकर मिले थे।
परमेश्वर ने उनको ज्ञान दिया कि आपकी साधना मोक्षदायक नहीं है।
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subhashdagar123 · 1 year ago
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sushmasatsahibsworld · 10 months ago
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जैन धर्म की स्थापना किसने की?
जैन धर्म के संस्थापक और प्रथम तीर्थंकर ऋषभ देव जी को माना जाता है। जिनके विषय में पवित्र कबीर सागर के 31वें अध्याय "जैन धर्म बोध” के पृष्ठ नं. 45 (1389) पर प्रमाण है कि सर्वशक्तिमान कविर्देव ने ऋषभ देव जी से मुलाकात की और आत्म कल्याण का रास्ता बताया लेकिन उसे स्वीकार न कर ऋषभ देव ने धार्मिक गुरुओं से ईश्वर प्राप्ति का मार्ग समझने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने ऋषभदेव को "ॐ" नाम का जाप और हठ योग करने को कहा। उसके बाद उन्होंने भगवान को प्राप्त करने तथा जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाने के लिए तपस्या का फैसला किया।
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