#IGNOU SOLVED ASSIGNMENTS
Explore tagged Tumblr posts
Text
INDRA GANDHI NATIONAL OPEN UNIVERSITY (IGNOU) 2024 : The People’s University
The Indira Gandhi National Open University (IGNOU), established in 1985, stands as a beacon of inclusive education, dedicated to expanding the horizons of higher learning. Known widely as the “People’s University,”
#IGNOU Examination Schedule#IGNOU Handwritten#IGNOU Handwritten Assignments#IGNOU Schedule#IGNOU Solved Assignments#IGNOU Solved Assignments 2023-24#IGNOU Solved assignments 2024#INDRA GANDHI NATIONAL OPEN UNIVERSITY#INDRA GANDHI NATIONAL OPEN UNIVERSITY (IGNOU)
0 notes
Text
0 notes
Text
Neeraj publication: Buy M.E.S(M.A Education) and IgnouBooks, IGNOU GUIDES,Online In India
Buy M.E.S(M.A Education) and Ignou books, Ignou guides ,Ignou help books, Ignou reference books ,Ignou assignments, Ignou solved assignments, Solved ignou assignments, Ignou assignment solutions, Ignou sample papers, Ignou question papers, Ignou previous year papers, Ignou study material, Ignou mba, Ignou ba, Ignou ba hons, Ignou M.Com, Nios guides, Nios books, Nios help books, Ignou courses, Ignou ma, Ignou b.Com, Nios, Open school, Ignou Online In India.
#IGNOU BOOKS#IGNOU GUIDES#IGNOU HELP BOOKS#IGNOU REFERENCE BOOKS.#IGNOU BA HONS#IGNOU SOLVED ASSIGNMENTS#SOLVED IGNOU ASSIGNMENTS#IGNOU ASSIGNMENT SOLUTIONS#IGNOU QUESTION PAPERS#IGNOU PREVIOUS YEAR PAPERS#IGNOU STUDY MATERIAL#IGNOU MBA#IGNOU BA#IGNOU M.COM#NIOS GUIDES#NIOS BOOKS#NIOS HELP BOOKS#IGNOU COURSES#IGNOU MA#IGNOU B.COM#NIOS#OPEN SCHOOL#IGNOU#IGNOU ASSIGNMENTS#IGNOU SAMPLE PAPERS
0 notes
Text
Education for All IGNOU Students: Unlock Your Potential at Every Stage of Life
At Excelsius Publisher, we are committed to providing education to all persons irrespective of your background or situation in life. Our courses are designed to suit the diverse needs of learners today. If you are a working professional looking for career growth, a stay-at-home parent balancing family and personal development, or a self-development enthusiast looking for lifelong learning, we have the right resources for you. Join us at Excelsius Publisher and unleash the transformative power of education, and be empowered to reach your greatest potential and build lasting influence in your career and life. Education for everyone, at every phase of life.
#Buy IGNOU Assignment#IGNOU Assignment#IGNOU Assignment Download#IGNOU Assignment Solution#IGNOU Latest assignments#IGNOU online assignment#IGNOU solved assignment#ignou assignment 2025
1 note
·
View note
Text
0 notes
Text
Top Benefits of Using IGNOU Assignment Solved Question Papers for Exam Preparation
Preparing for checks may be daunting for college kids, particularly those enrolled in distance training applications like the Indira Gandhi National Open University (IGNOU). With a numerous curriculum and the need for willpower, many students frequently search for robust strategies to beautify their overall performance. One such method is the usage of IGNOU venture-solved query papers. This article will explore the benefits of using these solved papers to improve exam performance.
1. Comprehensive Understanding of the Syllabus
One of the first benefits of using ignou assignment solved question paper is their comprehensive perception of the syllabus. These papers are designed according to the prescribed curriculum, helping college students recognise the key topics and concepts they should know. Students can perceive crucial regions by reviewing these solved papers, ensuring they allocate their look at time correctly.
Read More: https://medium.com/@excelsius.publisher/top-benefits-of-using-ignou-assignment-solved-question-papers-for-exam-preparation-c8407d58fb41
0 notes
Text
BHIC 133 Solved Assignment In Hindi Free 2024-2025

निम्नलिखित वर्णनात्मक श्रेणी प्रश्नों के उत्तर लगभग 500 शब्दों (प्रत्येक ) में दीजिए । प्रत्येक प्रश्न 20 अंकों का है।
Q 1. मध्यकाल के ऐतिहासिक स्रोत के रूप में राजनीतिक वृत्तांत के महत्व पर चर्चा
मध्यकालीन भारत का इतिहास समझने के लिए राजनीतिक वृत्तांत एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में माने जाते हैं। इन वृत्तांतों में राजा-महाराजाओं, सेनाओं, युद्धों, संधियों, और प्रशासनिक गतिविधियों का वर्णन मिलता है। ये राजनीतिक वृत्तांत न केवल ऐतिहासिक घटनाओं का विवरण प्रदान करते हैं, बल्कि उस समय की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थितियों का भी एक झलक देते हैं।
1. ऐतिहासिक घटनाओं का सटीक विवरण
मध्यकालीन भारत के राजनीतिक वृत्तांतों में विभिन्न राजवंशों के उदय और पतन, युद्ध और विजय, और राजनीतिक घटनाओं का वर्णन मिलता है। उदाहरण के लिए, तारीख-ए-फिरोजशाही, तारीख-ए-यामिनी, और तारीख-ए-फरिश्ता जैसे ग्रंथ उस समय की प्रमुख घटनाओं का सजीव वर्णन करते हैं। इन वृत्तांतों से हमें तत्कालीन राजाओं और उनके शासनकाल के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है।
2. प्रशासनिक व्यवस्था का विवरण
राजनीतिक वृत्तांतों में प्रशासनिक व्यवस्था, कर-व्यवस्था, और न्यायिक प्रणाली का भी वर्णन मिलता है। इल्तुतमिश, अलाउद्दीन खिलजी और अकबर के शासनकाल के राजनीतिक वृत्तांतों में उनके द्वारा किए गए प्रशासनिक सुधारों और नई नीतियों का विस्तृत विवरण मिलता है। इससे हमें यह समझने में मदद मिलती है कि किस प्रकार से उस समय के शासक अपने राज्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए नीतियाँ बनाते थे।
3. सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ
राजनीतिक वृत्तांतों में उस समय के समाज और संस्कृति का भी परोक्ष रूप से वर्णन मिलता है। शासकों द्वारा अपनाई गई नीतियाँ और उनके द्वारा लागू किए गए कानून, उस समय के समाज की संरचना और संस्कृति पर गहरा प्रभाव डालते थे। उदाहरण के लिए, अकबर के धार्मिक सहिष्णुता के सिद्धांत और दीन-ए-इलाही की स्थापना से उस समय की धार्मिक और सांस्कृतिक स्थिति का पता चलता है।
4. विदेशी यात्रियों और उनके वृत्तांतों का योगदान
मध्यकालीन भारत के इतिहास को समझने के लिए विदेशी यात्रियों के वृत्तांत भी महत्वपूर्ण हैं। इब्न बतूता, अल-बिरूनी, और मार्को पोलो जैसे विदेशी यात्रियों के वृत्तांतों में भारत की राजनीतिक स्थिति का वर्णन मिलता है। ये वृत्तांत न केवल राजनीतिक घटनाओं का विवरण देते हैं, बल्कि भारत के समाज, धर्म और आर्थिक स्थिति का भी विस्तृत विवरण प्रदान करते हैं।
5. आलोचनात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता
हालांकि राजनीतिक वृत्तांत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इन्हें आलोचनात्मक दृष्टिकोण से देखना भी जरूरी है। इनमें अक्सर शासकों की उपलब्धियों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है और उनकी विफलताओं को छुपाया जाता है। इसलिए, इन वृत्तांतों का उपयोग करते समय हमें विभिन्न स्रोतों की तुलना करनी चाहिए और उनकी विश्वसनीयता का मूल्यांकन करना चाहिए।
निष्कर्ष
मध्यकालीन भारत के राजनीतिक वृत्तांत इतिहास के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। ये हमें उस समय की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्थिति का गहरा ज्ञान प्रदान करते हैं। हालांकि, इनका उपयोग करते समय सावधानी और आलोचनात्मक दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है ताकि इतिहास को सही परिप्रेक्ष्य में समझा जा सके।
Q 2. अकबर के समय में मुगल-राजपूत संबंधों का परीक्षण
अकबर के शासनकाल (1556-1605) में मुगल-राजपूत संबंधों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। अकबर ने मुगल साम्राज्य को स्थिर और मजबूत बनाने के लिए राजपूतों के साथ न केवल मित्रवत संबंध स्थापित किए, बल्कि उन्हें अपनी सत्ता में शामिल करके साम्राज्य की सीमाओं को भी विस्तारित किया। यह कदम न केवल अकबर की राजनीतिक कुशलता को दर्शाता है, बल्कि उसकी धार्मिक सहिष्णुता और प्रशासनिक दूरदर्शिता को भी उजागर करता है।
1. विवाह संबंधों के माध्यम से गठबंधन
अकबर ने राजपूतों के साथ वैवाहिक संबंधों के माध्यम से मित्रता स्थापित की। उसने 1562 में आमेर के राजा भारमल की बेटी जोधाबाई (मरियम-उज़-ज़मानी) से विवाह किया। यह विवाह अकबर और राजपूतों के बीच संबंधों की शुरुआत थी, जिसने आने वाले समय में मजबूत राजनीतिक गठबंधनों का मार्ग प्रशस्त किया। इसके बाद, कई अन्य राजपूत शासकों ने भी अपनी बेटियों का विवाह मुगल शहजादों से किया, जिससे उनके संबंध और भी गहरे हो गए।
2. राजनीतिक और सैन्य सहयोग
अकबर ने राजपूत शासकों को अपने साम्राज्य का अभिन्न हिस्सा बनाया। उन्होंने राजपूतों को मुगल दरबार में उच्च पदों पर नियुक्त किया और उन्हें मुगल प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ सौंपी। राजा मान सिंह, जो अकबर के सबसे विश्वासपात्र सेनापतियों ��ें से एक थे, इसका एक प्रमुख उदाहरण हैं। उन्होंने कई महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों में मुगलों का नेतृत्व किया और अपनी वीरता के लिए जाने गए।
अकबर ने राजपूतों के सैन्य कौशल का भी पूरा लाभ उठाया। राजपूत सेनाओं को मुगल सेना में शामिल करके उन्होंने अपने सैन्य बल को मजबूत किया। इस सहयोग ने न केवल मुगल साम्राज्य को विस्तार करने में मदद की, बल्कि अकबर को विद्रोहियों और बाहरी आक्रमणकारियों के खिलाफ भी सुरक्षा प्रदान की।
3. धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक समन्वय
अकबर की धार्मिक सहिष्णुता ने भी मुगल-राजपूत संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसने राजपूतों की धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान किया और उनके धार्मिक स्थलों को संरक्षण प्रदान किया। अकबर ने "दीन-ए-इलाही" नामक एक नए धर्म की स्थापना की, जो विभिन्न धर्मों के तत्वों का समन्वय था। हालाँकि इस धर्म को व्यापक समर्थन नहीं मिला, लेकिन यह अकबर की धार्मिक सहिष्णुता और विभिन्न धर्मों के प्रति उसके सम्मान को दर्शाता है।
4. राजपूतों की स्वतंत्रता और सम्मान का संरक्षण
अकबर ने राजपूतों की स्वतंत्रता और उनके सम्मान का भी विशेष ध्यान रखा। उसने राजपूतों को उनके राज्य की स्वतंत्रता बरकरार रखने की अनुमति दी और उनके साथ समान व्यवहार किया। राजपूत शासकों को अपने-अपने क्षेत्रों में स्वतंत्र रूप से शासन करने की छूट थी, बशर्ते वे मुगल सम्राट के प्रति निष्ठावान रहें। यह कदम राजपूतों के लिए आकर्षक था, क्योंकि इससे उन्हें मुगल साम्राज्य की सुरक्षा प्राप्त होती थी, जबकि उनकी स्वायत्तता भी बनी रहती थी।
5. विद्रोह और तनावपूर्ण संबंध
हालाँकि अधिकांश राजपूत शासकों ने अकबर के साथ सहयोग किया, लेकिन कुछ ने उसका विरोध भी किया। मेवाड़ के राणा प्रताप ने अकबर की अ��ीनता स्वीकार करने से इनकार कर दिया और मुगलों के खिलाफ संघर्ष जारी रखा। हल्दीघाटी का युद्ध (1576) इस संघर्ष का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। हालांकि राणा प्रताप को इस युद्ध में हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी भी अकबर के समक्ष आत्मसमर्पण नहीं किया। यह संघर्ष यह दर्शाता है कि अकबर और राजपूतों के बीच संबंध हमेशा सौहार्दपूर्ण नहीं थे, और कुछ राजपूत शासकों ने अपनी ���्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए संघर्ष किया।
निष्कर्ष
अकबर के शासनकाल में मुगल-राजपूत संबंधों ने भारतीय इतिहास में एक नया मोड़ दिया। इन संबंधों ने न केवल मुगल साम्राज्य को स्थिरता और विस्तार प्रदान किया, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को भी समृद्ध किया। अकबर की राजनीतिक कुशलता और धार्मिक सहिष्णुता ने राजपूतों के साथ उसके संबंधों को मजबूती प्रदान की, जिससे दोनों पक्षों को लाभ हुआ। हालाँकि कुछ राजपूत शासकों ने मुगलों का विरोध किया, लेकिन अधिकांश ने अकबर की सत्ता को स्वीकार कर लिया और उसके साथ सहयोग किया, जिससे मुगल साम्राज्य भारतीय उपमहाद्वीप में एक शक्तिशाली साम्राज्य बन सका।
निम्नलिखित मध्यम श्रेणी प्रश्नों के उत्तर लगभग 250 शब्दों (प्रत्येक ) में दीजिए । प्रत्येक प्रश्न 10 अंकों का है ।
Q 3. अकबर के अधीन भूमि राजस्व प्रणाली का मूल्यांकन
अकबर के शासनकाल में भूमि राजस्व प्रणाली का एक महत्वपूर्ण सुधार किया गया, जिसे "जमीनदारी" या "टोडरमल बंदोबस्त" के नाम से जाना जाता है। यह प्रणाली अकबर के वित्त मंत्री राजा टोडरमल द्वारा विकसित की गई थी और इसे भारत में कृषि अर्थव्यवस्था को स्थिर और संगठित करने के उद्देश्य से लागू किया गया था।
1. माप और वर्गीकरण
इस प्रणाली के तहत, सबसे पहले भूमि का सर्वेक्षण और मापन किया गया। भूमि को उपज के आधार पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया: अच्छी, मध्यम, और खराब भूमि। इस वर्गीकरण के आधार पर ही किसानों से राजस्व की दर तय की गई। भूमि की उपज और संभावित उत्पादन के अनुसार राजस्व निर्धारित किया जाता था, जिसे "खरज" कहा जाता था।
2. बंधाई और फसल मूल्यांकन
अकबर की राजस्व प्रणाली में फसलों के आधार पर भी राजस्व तय किया जाता था। तीन साल की औसत उपज के आधार पर राजस्व दरें तय की जाती थीं। किसानों को राजस्व नकद या फसल के रूप में भुगतान करना पड़ता था। यह प्रणाली किसानों के लिए अधिक पारदर्शी और स्थिर थी, जिससे उन्हें राहत मिली।
3. प्रशासनिक संरचना
राजस्व संग्रह की प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए एक संगठित प्रशासनिक ढांचे का निर्माण किया गया था। परगना और सरदार स्तर पर अधिकारी नियुक्त किए गए थे, जो किसानों से राजस्व संग्रह करते थे और इसे राज्य के खजाने में जमा करते थे।
4. किसानों की स्थिति
इस प्रणाली का एक बड़ा लाभ यह था कि किसानों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर राजस्व निर्धारित किया गया। इससे किसानों को भारी करों के बोझ से राहत मिली और उनकी उत्पादकता बढ़ी। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में अधिकारियों द्वारा दुरुपयोग की शिकायतें भी आईं, लेकिन कुल मिलाकर इस प्रणाली ने मुगल साम्राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया।
निष्कर्ष
अकबर की भूमि राजस्व प्रणाली ने भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण सुधार किया। यह प्रणाली न केवल राजस्व संग्रह को सुव्यवस्थित और न्यायसंगत बनाने में सफल रही, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति को भी बेहतर बनाने में सहायक सिद्ध हुई। हालांकि, इसे पूरी तरह से दोषरहित नहीं कहा जा सकता, लेकिन इसकी कुशलता और समावेशी दृष्टिकोण के कारण इसे अकबर के शासनकाल की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जाता है।
Q 4. असम में अहोम राज्य के उदय पर टिप्पणी
असम में अहोम राज्य का उदय 13वीं शताब्दी में हुआ, जब अहोम लोगों का एक समूह दक्षिण-पूर्व एशिया के म्यांमार (तत्कालीन बर्मा) क्षेत्र से असम की घाटी में प्रवास किया। 1228 ईस्वी में, उनके नेता सुकफा ने ब्रह्मपुत्र घाटी में अहोम साम्राज्य की स्थापना की, जो लगभग 600 वर्षों तक असम का प्रमुख राज्य बना रहा।
1. प्रारंभिक स्थापना और विस्तार
��ुकफा ने स्थानीय जनजातियों, विशेषकर बोडो और अन्य तिब्बती-बर्मन जनजातियों के साथ संधियाँ करके और सैन्य शक्ति का प्रयोग करके अपने राज्य की नींव रखी। उन्होंने अपनी शक्ति को बढ़ाने के लिए स्थानीय समुदायों के साथ गठबंधन किया और उन्हें अहोम समाज में एकीकृत किया। इस प्रक्रिया में, उन्होंने एक संगठित राज्य की स्थापना की, जिसमें एक मजबूत प्रशासनिक ढांचा विकसित किया गया।
2. प्रशासनिक संरचना
अहोम राज्य की प्रशासनिक संरचना काफी विकसित थी। राजा के नेतृत्व में, राज्य का प्रशासन "पटिक" और "डोलोई" जैसे अधिकारियों द्वारा चलाया जाता था। राज्य को विभिन्न प्रशासनिक इकाइयों में विभाजित किया गया, और कर-संग्रह, सैन्य संगठन, और न्यायपालिका के लिए एक सुसंगठित प्रणाली विकसित की गई।
3. सांस्कृतिक और धार्मिक योगदान
अहोम शासकों ने असम की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को समृद्ध किया। उन्होंने वैष्णव धर्म को बढ़ावा दिया और असमिया भाषा और साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अहोम शासन के दौरान असमिया संस्कृति का विकास और संरक्षण हुआ, जिसने असम की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत किया।
4. मुगलों के साथ संघर्ष
अहोम राज्य को कई बार मुगल आक्रमणों का सामना करना पड़ा, लेकिन अपनी रणनीतिक कुशलता और सैन्य शक्ति के बल पर अहोम शासकों ने मुगलों को कई मौकों पर पराजित किया। सराईघाट का युद्ध (1671) इसका प्रमुख उदाहरण है, जिसमें अहोम सेनापति लचित बोरफुकन ने मुगल सेना को हराया था।
निष्कर्ष
अहोम राज्य का उदय असम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसने लगभग 600 वर्षों तक असम की राजनीति, संस्कृति, और समाज पर गहरा प्रभाव डाला। यह राज्य अपनी सैन्य शक्ति, कुशल प्रशासन और सांस्कृतिक योगदान के लिए जाना जाता है। अहोम शासकों ने असम की एकता और पहचान को मजबूत किया, जो आज भी असम की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है।
Q 5. हुंडी क्या है? मुगल काल में यह मौद्रिक लेन-देन का एक महत्वपूर्ण माध्यम कैसे बना?
हुंडी एक प्राचीन वित्तीय साधन है जो व्यापार और मौद्रिक लेन-देन में इस्तेमाल होता है। यह मूलतः एक प्रकार का बैंकर या चालान होता है, जिसमें लेन-देन की जानकारी और भुगतान की जिम्मेदारी को अन्य व्यक्ति या संस्थान द्वारा सुनिश्चित किया जाता है। यह एक लिखित आदेश होता है जिसमें एक व्यक्ति (धारक) किसी अन्य व्यक्ति या संस्थान को धन प्राप्त करने का अधिकार देता है।
1. हुंडी की परिभाषा और प्रकार
हुंडी एक प्रकार का वित्तीय दस्तावेज होता है, जिसका प्रयोग व्यापारिक लेन-देन और ऋण प्रदान करने में किया जाता है। इसके प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:
मुस्लिम हुंडी (मुसलमानों के लिए): यह हुंडी एक सामान्य व्यापारिक लेन-देन के लिए होती है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे को धन का भुगतान करने का आदेश देता है।
दार (दस्तावेज): इसमें कोई व्यक्ति धन का भुगतान करके लेन-देन को पूरा करता है।
मद्रास: इस��ें व्यापारियों के बीच की गई लेन-देन की पुष्टि ��ोती है।
2. मुगल काल में हुंडी का महत्व
मुगल काल (1526-1857) में हुंडी ने मौद्रिक लेन-देन का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनकर उभरा। इसके महत्व के कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
व्यापारिक लेन-देन में सुविधा: मुगल काल में व्यापारिक गतिविधियाँ बहुत व्यापक थीं, और व्यापारियों को विभिन्न क्षेत्रों में लेन-देन की आवश्यकता होती थी। हुंडी ने इस प्रक्रिया को सरल और सुरक्षित बना दिया। व्यापारियों ने अपनी लेन-देन को दस्तावेज के रूप में दर्ज किया, जिससे उन्हें भुगतान प्राप्त करने में आसानी होती थी।
सुरक्षा और विश्वसनीयता: हुंडी ने लेन-देन को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने में मदद की। यह दस्तावेज लेन-देन की पुष्टि करता था और भुगतान की जिम्मेदारी को सुनिश्चित करता था। इससे व्यापारियों को धोखाधड़ी और आर्थिक जोखिमों से बचाव मिला।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में योगदान: मुगल काल में भारत ने विश्व व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हुंडी ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सरल बनाया क्योंकि यह विभिन्न व्यापारिक मानकों और नियमों के अनुसार लेन-देन को मान्यता देता था।
प्रशासनिक समर्थन: मुगलों ने हुंडी को मान्यता दी और इसे कानूनी दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया। इससे व्यापारिक लेन-देन की प्रक्रिया को मान्यता मिली और व्यापारियों को सरकारी समर्थन प्राप्त हुआ।
3. औद्योगिक और आर्थिक प्रभाव
हुंडी ने मुगलों के आर्थिक और औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। व्यापारिक लेन-देन की सरलता और सुरक्षा ने भारत की अर्थव्यवस्था को स्थिरता और वृद्धि प्रदान की। इसने व्यापारियों को नए व्यापारिक अवसरों की खोज में मदद की और भारत को वैश्विक व्यापार नेटवर्क में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।
निष्कर्ष
हुंडी ने मुगल काल में मौद्रिक लेन-देन के लिए एक प्रभावी और विश्वसनीय साधन के रूप में कार्य किया। इसकी सहायता से व्यापारिक लेन-देन को सरल, सुरक्षित, और व्यावसायिक दृष्टिकोण से कुशल बनाया गया। यह एक ऐसा वित्तीय उपकरण था जिसने मुगलों के आर्थिक और व्यापारिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया और भारतीय व्यापार को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाई।
निम्नलिखित लघु श्रेणी प्रश्नों के उत्तर लगभग 100 शब्दों (प्रत्येक ) में दीजिए । प्रत्येक प्रश्न 6 अंकों का है।
Q 6. विजय नगर साम्राज्य में मंदिरों की आर्थिक भूमिका
विजय नगर साम्राज्य (1336-1646) के दौरान मंदिरों ने न केवल धार्मिक बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मंदिरों के पास विशाल जमींदारी, भेंट और दान की संपत्तियाँ थीं, जो उन्हें एक प्रमुख आर्थिक शक्ति बनाती थीं। ये मंदिर कृषि भूमि, व्यापारिक संपत्तियाँ, और अन्य संसाधनों के स्वामी थे, जिससे उन्हें स्थिर आय प्राप्त होती थी। मंदिरों का आर्थिक प्रभाव स्थानीय समाज के विकास में सहायक था, जैसे कि कृषि प्रोत्साहन और स्थानीय व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देना। मंदिरों की समृद्धि ने साम्राज्य के आर्थिक और सामाजिक ढांचे को मजबूत किया।
Q 7. सल्तनत में ग्रामीण मध्यस्थ वर्ग
सल्तनत काल (1206-1526) में ग्रामीण मध्यस्थ वर्ग का महत्वपूर्ण स्थान था। यह वर्ग गाँवों में प्रशासनिक, आर्थिक, और सामाजिक भूमिका निभाता था। इसमें मुख्य रूप से गाँव के मुखिया, पटवारी, और अन्य प्रशासनिक अधिकारी शा��िल थे। इन मध्यस्थों का कार्य भूमि रिकॉर्ड बनाए रखना, कर वसूलना, और स्थानीय विवादों का समाधान करना था।
इन अधिकारियों को साम्राज्य के विभिन्न नीतियों और आदेशों को ग्रामीण क्षेत्रों में लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती थी। उनके माध्यम से सल्तनत ने अपनी सत्ता और नीतियों को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचाया। इस वर्ग की भूमिका ग्रामीण प्रशासन की स्थिरता और साम्राज्य की सुसंगतता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण थी।
Q 8. मध्यकालीन भारत में प्रिंटिंग प्रेस
मध्यकालीन भारत (1206-1526) के दौरान प्रिंटिंग प्रेस का उपयोग नहीं था, क्योंकि इसका आविष्कार 15वीं शताब्दी में यूरोप में हुआ था। प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत जर्मनी में जोहान्स गुटेनबर्ग द्वारा की गई थी। भारत में प्रिंटिंग प्रेस का आगमन 16वीं शताब्दी के अंत और 17वीं शताब्दी की शुरुआत में हुआ, जब यूरोपीय मिशनरियों और व्यापारियों के माध्यम से इसकी शुरुआत हुई।
प्रारंभ में, प्रिंटिंग प्रेस का उपयोग मुख्यतः धार्मिक और शैक्षिक सामग्री के प्रकाशन के लिए किया गया। यह माध्यम भारतीय समाज में पुस्तकों की उपलब्धता और ज्ञान के प्रसार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण साबित हुआ।
Q 9. रुद्रमा देवी
रुद्रमा देवी (1262-1289) दक्षिण भारत के काकतिया वंश की एक प्रमुख शासक थीं। वह काकतिया राजा प्रभाकरण के बाद शासन करने वाली पहली महिला शासक थीं और अपने पिता की मृत्यु के बाद सिंहासन पर बैठीं। रुद्रमा देवी ने अपने शासनकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य किए और काकतिया साम्राज्य को स्थिर और समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1. प्रशासनिक और सैन्य सुधार
रुद्रमा देवी ने प्रशासनिक और सैन्य सुधारों को लागू किया। उन्होंने साम्राज्य की सीमाओं की रक्षा के लिए मजबूत सैन्य बल का निर्माण किया और विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी शासन व्यवस्था स्थापित की। उनकी सैन्य कुशलता और नेतृत्व ने काकतिया साम्राज्य को बाहरी आक्रमणों से सुरक्षित रखा।
2. सांस्कृतिक और धार्मिक योगदान
उनके शासनकाल में कला, संस्कृति और धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला। रुद्रमा देवी ने मंदिरों और धार्मिक संस्थानों को संरक्षण और समर्थन प्रदान किया। उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक निर्माण कार्यों को संपन्न किया, जो आज भी काकतिया कला और वास्तुकला के प्रमुख उदाहरण हैं।
3. महिला शासक के रूप में योगदान
रुद्रमा देवी एक प्रभावशाली महिला शासक के रूप में उभरीं, जिन्होंने पुरुष-प्रधान समाज में अपने नेतृत्व और प्रशासनिक कौशल के लिए सराहना प्राप्त की। उनकी शासकीय नीतियों और नेतृत्व ने साबित किया कि महिलाएं भी सत्ता और शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
निष्कर्ष
रुद्रमा देवी ने काकतिया साम्राज्य को एक मजबूत और स्थिर शासन प्रदान किया। उनके प्रशासनिक और सैन्य सुधार, सांस्कृतिक योगदान, और महिला नेतृत्व ने उन्हें भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। उनकी विरासत आज भी काकतिया वंश की ऐतिहासिक महत्ता का प्रमाण है।
Q 10 खिलाफत और दिल्ली सल्तनत
खिलाफत और दिल्ली सल्तनत का संबंध भारतीय उपमहाद्वीप के मध्यकालीन इतिहास में महत्वपूर्ण रहा है। दोनों संस्थाएँ अल��-अलग राजनीतिक और धार्मिक दृष्टिकोणों से जुड़ी थीं, लेकिन उनके बीच का संपर्क और प्रभाव एक जटिल और दिलचस्प परिदृश्य प्रस्तुत करता है।
1. दिल्ली सल्तनत
दिल्ली सल्तनत (1206-1526) एक महत्वपूर्ण मुस्लिम साम्राज्य था, जिसने भारतीय उपमहाद्वीप में शक्ति स्थापित की। इसका प्रारंभ कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा किया गया था और इसके बाद कई शासकों ने शासन किया, जैसे इल्तुतमिश, अलाउद्दीन खिलजी, और तुगलक वंश के शासक। दिल्ली सल्तनत ने भारतीय राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव डाला, और इसके शासकों ने विभिन्न प्रकार की प्रशासनिक, आर्थिक, और सैन्य नीतियों को लागू किया।
2. खिलाफत
खिलाफत (Caliphate) इस्लामिक राज्य का धार्मिक और राजनीतिक नेतृत्व था। यह इस्लामी साम्राज्य के सबसे प्रमुख धार्मिक नेताओं का समूह था, जो मोहम्मद के पश्चात इस्लामिक समुदाय की राजनीतिक और धार्मिक दिशा का मार्गदर्शन करता था। खिलाफत की प्रमुख सीट मदीना और बाद में बगदाद में रही।
3. दिल्ली सल्तनत और खिलाफत का संबंध
धार्मिक और राजनीतिक संपर्क: दिल्ली सल्तनत और खिलाफत के बीच एक धार्मिक और राजनीतिक संबंध था, जिसमें दिल्ली के शासक खिलाफत के प्रति निष्ठा और समर्थन का दावा करते थे। सल्तनत के शासकों ने खिलाफत के धार्मिक अधिकार को मान्यता दी और मुस्लिम साम्राज्य की एकता और शक्ति को बनाए रखने की कोशिश की।
खिलाफत आंदोलन: 20वीं सदी की शुरुआत में, खिलाफत आंदोलन ने भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। यह आंदोलन तुर्की के खिलाफत की रक्षा और प्रथम विश्व युद्ध के बाद तुर्की में उत्पन्न संकट के खिलाफ था। महात्मा गांधी और अन्य भारतीय नेताओं ने इस आंदोलन का समर्थन किया, जो दिल्ली सल्तनत की सत्ता के समय का संबंध नहीं था, लेकिन भारतीय और इस्लामी राजनीति के बीच संबंधों को दर्शाता है।
4. प्रभाव और योगदान
दिल्ली सल्तनत और खिलाफत दोनों ने भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास पर गहरा प्रभाव डाला। दिल्ली सल्तनत ने भारतीय राजनीति और समाज में मुस्लिम संस्कृति और प्रशासनिक ढांचे को स्थापित किया। खिलाफत ने इस्लामी धर्म और राजनीति की दिशा को निर्धारित किया और साम्राज्य के धार्मिक नेतृत्व को बनाए रखा।
निष्कर्ष
खिलाफत और दिल्ली सल्तनत के बीच का संबंध भारतीय और इस्लामी राजनीति के जटिल नेटवर्क को दर्शाता है। दिल्ली सल्तनत ने भारत में मुस्लिम शक्ति की स्थापना की और खिलाफत ने इस्लामी धर्म और राजनीति की दिशा को निर्धारित किया। दोनों संस्थाओं का संबंध धार्मिक निष्ठा, राजनीतिक समर्थन, और सांस्कृतिक प्रभाव के माध्यम से गहराई से जुड़ा हुआ था।
#bhic133#solved#assignment help#pradumn kumar#solved assignment#free#hindipdf#content writing#ignou#bag#ignou student#ignou student support
0 notes
Text
https://ignouassignments.in/solved-assignments/
0 notes
Text
Buy IGNOU Solved Assignments Online
Buy IGNOU Solved Assignments Online: Your Ultimate Guide
In the age of online education and distant learning, the search for convenience and quality in your educational journey is more crucial than ever. If you're an IGNOU student, you probably understand the significance of solved assignments in your academic success. In this comprehensive guide, we will delve into the ins and outs of buying IGNOU solved assignments online, ensuring that you're well-equipped to make the best choices on your academic path.
What Are IGNOU Solved Assignments?
To kick things off, let's clarify what IGNOU solved assignments are. These assignments are essentially pre-solved academic tasks provided to students by reliable sources. They cover a wide range of subjects and courses offered by Indira Gandhi National Open University (IGNOU). The purpose of these solved assignments is to assist students in completing their coursework effectively and efficiently. Think of them as valuable guides that lead you to the right answers, helping you understand your subjects better.
The Importance of Solved Assignments
Solved assignments serve as a crucial component of your academic journey at IGNOU. They not only boost your understanding of the subjects but also contribute significantly to your overall grades. By following the provided solutions, you learn how to structure your answers, adhere to IGNOU's formatting guidelines, and, most importantly, grasp the concepts clearly. This makes IGNOU solved assignments a cornerstone of your academic success.
Benefits of Buying Solved Assignments Online
Now, let's explore why you should consider buying IGNOU solved assignments online. The advantages are manifold:
Time-Saving: Online solutions save you the effort of scouring through various resources to find accurate answers.
Quality Assurance: Reputable online sellers ensure that the assignments are well-researched and error-free.
Reliability: You can trust experienced providers to deliver on time and as promised.
Diverse Subjects: Online platforms offer assignments for a wide array of courses.
Cost-Effective: Compared to other options, online assignments are often more affordable.
Where to Find Reliable Online Sellers
When looking for IGNOU solved assignments online, it's crucial to identify trustworthy sources. You can find these sellers through a simple online search, but always consider the following factors:
Reputation: Look for reviews and testimonials to gauge the seller's reliability.
Originality: Ensure that the assignments are plagiarism-free.
Support: Reliable sellers offer responsive customer support.
Variety: Choose a provider with a vast selection of subjects.
How to Choose the Right Assignments
The quality of solved assignments can vary, so it's essential to make informed choices. When browsing through online options, consider the following criteria:
Correctness: Ensure that the answers are accurate and adhere to IGNOU guidelines.
Clarity: Choose assignments that are easy to understand, aiding your learning process.
Relevance: Pick assignments that align with your specific course requirements.
Language: Opt for assignments in a language you are comfortable with.
Pricing and Quality Considerations
0 notes
Text
IGNOU Study Material & Help Books For All Courses
Latest edition IGNOU Help Books, guide book with solved previous year question papers and exam oriented notes, for IGNOU Bachlor Degree Programmes, Master Degree Programmes, Diploma Courses, PG Diploma Courses, Certificate programmes, Awareness Programmes.
Are you feeling the pressure of upcoming IGNOU Exams? Pass IGNOU exams in just one week.
Gullybaba IGNOU Books cover the entire IGNOU Syllabus, Providing detailed explanations and easy to understand content for all subjects.
Buy IGNOU Books now and get Upto 50% Discounts.
#books#education#college life#ignou#ignoustudymaterials#ignoubook#gullybababooks#distanceeducation#ignouexam#ignouassignment#ignouuniversity#ignouhelp#ignoustudent#ignouupdates#ignouexams#ignouindia#ignoustudents#ignoubooks#ignousolvedassignment#ignouadmission#gullybaba#gullybabaforignou#viral#trending#postoftheday#viralpost
2 notes
·
View notes
Text
Boost Your IGNOU Exam Preparation with MSc CFT 1ST YR MCFT-006 IGNOU Solved Paper
Pursuing a Master’s in Counselling and Family Therapy (MSc CFT) from IGNOU is both enriching and demanding. One of the most important steps to succeed in this academic journey is effective exam preparation, especially in your first year. Among the various study aids available, using a reliable <a href="https://www.ldbooks.in/msc-cft-ignou-solved-paper">MSc CFT 1ST YR MCFT-006 IGNOU Solved Paper</a> can be a game-changer.
Many students often struggle to understand the structure of IGNOU's question papers and the expectations in answers. This is where solved papers become invaluable. The MSc CFT 1ST YR MCFT-006 IGNOU Solved Paper provides a blueprint of how to tackle questions effectively, what topics to focus on, and how to organize your answers for maximum marks.
Why Solved Papers Matter
IGNOU exams are unique in their pattern and depth. Solved papers not only give you a feel of the actual examination but also guide you in terms of time management, question interpretation, and topic prioritization. With the <a href="https://www.ldbooks.in/msc-cft-ignou-solved-paper">MSc CFT 1ST YR MCFT-006 IGNOU Solved Paper</a>, students can go beyond just memorizing content. They can learn the art of crafting meaningful, examiner-friendly answers that meet the university's academic standards.
Benefits of Using MCFT-006 Solved Papers
Accurate Understanding of Exam Format: The solved papers replicate real exam conditions and help in understanding how questions are structured.
Model Answers for Reference: These papers provide sample answers written in accordance with IGNOU’s marking scheme.
Time-Saving Preparation: With focused material, you can revise efficiently and skip the unnecessary.
Confidence Booster: Knowing what to expect reduces exam anxiety and builds confidence.
When you use the MSc CFT 1ST YR MCFT-006 IGNOU Solved Paper, you're not just preparing harder—you're preparing smarter.
Where to Find Quality Solved Papers?
While there are many resources online, authenticity and quality can be an issue. We recommend using this trusted source: <a href="https://www.ldbooks.in/msc-cft-ignou-solved-paper">MSc CFT 1ST YR MCFT-006 IGNOU Solved Paper</a> available at LD Books. This platform offers updated and accurate solved papers that align with the most recent IGNOU guidelines.
Whether you’re revising last-minute or planning a full preparation strategy, these solved papers are your shortcut to better performance.
Final Thoughts
Studying for your MSc CFT exams doesn’t have to be stressful. With the help of a good <a href="https://www.ldbooks.in/msc-cft-ignou-solved-paper">MSc CFT 1ST YR MCFT-006 IGNOU Solved Paper</a>, you can streamline your learning, enhance your understanding, and walk into the exam hall well-prepared and confident.
Start your preparation the smart way today. Download your copy now and give your academic performance the edge it deserves.
0 notes
Text
INDRA GANDHI NATIONAL OPEN UNIVERSITY ( IGNOU ) 2024 : The People's University
Discover how IGNOU works and explore the wide array of courses and programs offered by India's top open university. Flexible learning modes, support services, and affordable education options available on sarvgyan360.
#Premium IGNOU Solved Assignments At just ₹ 30 Only#IGNOU Handwritten Assignments#IGNOU Examination Schedule TEE 2024 OUT: Check June Exam Dates Here
0 notes
Text
1 note
·
View note
Text
NEERAJ PUBLICATION | IGNOU MA
IGNOU reference books by Neeraj Publication cover the BA syllabus of IGNOU in a comprehensive manner so that when a student gives the exam there isn’t anything that they don’t know. From core subjects to elective courses, these IGNOU BA Books provide a well-structured and detailed understanding of each topic. It ensures that students have all the resources that are needed to ace their exams perfectly.
0 notes
Text
#ignou assignment 2025#ignou assignment download#ignou latest assignments#ignou online assignment#ignou solved assignment#practical assignment
0 notes
Text
MRD-201 IGNOU Assignment Help & Solved Paper 2025 – Quick & Reliable Support
Struggling with your IGNOU MRD-201 assignment for 2025? Get expert help with accurate, well-structured solved papers that follow IGNOU guidelines. This resource is perfect for MARD students who want to save time and score better marks. Whether you’re stuck on a question or need complete solutions, this site has you covered. Easy to download, student-friendly, and updated for the latest session, it’s your one-stop solution for MRD-201 assignment help. Check it out here: https://www.ldbooks.in/mard-ignou-assignment-help-solved-paper. Boost your academic performance today!
0 notes