कहते हैं कि, परमात्मा ही "अनहोनी को होनी और होनी को अनहोनी" कर सकता है।
ऐसे ही अनेकों अनहोनी कबीर परमेश्वर ने की थी आज से लगभग 600 वर्ष पहले। मुसलमान शेखतकी पीर की कब्र में दफ़न मरी हुई लड़की को हजारों लोगों के सामने जीवित किया था।
संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान से प्रभावित होकर लोग नशा चोरी रिश्वतखोरी तथा अनेकों सामाजिक बुराइयों का त्याग कर रहे हैं,जिससे एक सभ्य समाज का निर्माण हो रहा है।
शेखतकी पीर ने कबीर साहेब को नीचा दिखाने के लिए 3 दिन के भंडारे की कबीर साहेब के नाम से सभी आश्रमों में झूठी चिठ्ठी डलवाई थी कि कबीर जी 3 दिन का भंडारा करेंगे सभी आना भोजन के बाद एक मोहर, एक दोहर भी देंगे। कबीर साहेब ने 3 दिन का मोहन भंडारा भी करा दिया था।
एक बार सिकंदर लोधी ने कबीर साहेब को हाथी से कुचलवाने की सजा दी। कबीर परमात्मा जी के हाथ पाँव बांध कर उन्हें एक मदोन्मत खूनी हाथी के आगे डाल दिया गया। कबीर परमेश्वर ने हाथी को शेर का रूप दिखा दिया उसके बाद हाथी वहां रुका नहीं