ईमान
मुनाफ़े का झोला उठाए बिकते हैं इंसान सभी !
ईमान से जो ना बिक पाए ऐसा कोई इंसान नही !
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Imaan
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इंतज़ार ज़िंदा रखा हैं
धैर्य को तन पर सदा से अटका रखा हैं !
पथराई सी मुस्कान लिए तुम्हारा इंतज़ार ज़िंदा रखा हैं !
उम्मीदों को मन पर सदा से लिपटा रखा हैं !
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Intezar Zinda Rakha Hain
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बेचैनी
रात के छोर पर पाँव सुजाती लौटी हैं बेचैनी,
मुझ संग पीठ लगा कर गुफ़्तगू करने को !
तन्हाई के छोर पर हाँफती लौटी हैं बेचैनी,
मुझ संग बिन इजाज़त लिए उलझने को…!!!
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Bechaini
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अफवाह
सारा शहर अफ़वाहों से आज़ाद होने लगा हैं !
क्यूँ ना गलियारों में ऐसी अफ़वाह फैला दी जाए !
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Afwah
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तरक्की
अब ईमान से उठ कर चापलूसी कर रहे हैं लोग !
आजकल धीरे धीरे तरक़्क़ी कर रहे है लोग !
अब हालातों से उठ कर गम्भीर बन रहे हैं लोग !
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Tarakki
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पछतावा
काश फ़ैसलों के पन्नों को जला ही दिया होता,
तो आज पछतावे में दर्ज मेरा नाम ना हुआ होता !
काश चुप्पी को ज़ुबान पर चढ़ा ही दिया होता,
तो आज पछतावे में दर्ज मेरा नाम ना हुआ होता !
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Pachtawa
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बारिकियाँ
रग रग को आहिस्ता आहिस्ता पढ़ती हैं, बारिकियाँ चुपके से !
ज़हन को आहिस्ता आहिस्ता झांकती हैं, बारिकियाँ चुपके से !
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Barikiya
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योग्यता
थोड़ी बंदिशें भी कुछ योग्यताओं का गला घोंटती हैं !
तो किसी मंच पर भी योग्यताएँ दम तोड़ती हैं !
थोड़ी क्षमताएँ भी कुछ योग्यताओं से रूठ जाती हैं !
तो किसी दृष्टिकोण पर भी योग्यताएँ पीछे छूट जाती हैं…!!!
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Yogyata
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कर्म
बुझे कर्म जब कपट समेटे, तब भाग्य बैठा निर्भय से सोए !
बुझे कर्म जब दरिद्रता लपेटें, तब भाग्य बैठा निर्भय से रोए !
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Karm
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सत्य
मिथ्या के ज़ायक़े चखते रहे, अब सत्य ज़ुबान पर चढ़ता ही नही !
मिथ्या से मिलाप करते रहे, अब सत्य चौखट पर मिलता ही नही !
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Satya
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मन का शोर
अनुभवों में पीड़ा को गढ़ रहा, कैसा हैं ये मन का शोर !
दुःख से ह्रदय को कचोट रही, कैसी हैं ये मन की डोर !
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Man Ka Shor
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शिकायतें
दौलतें रईस बना गयी शिकायतों की जमाख़ोरी करते करते,
मुझे ख़ामोशी के धंधे में घाटे की आस हैं !
ज़िंदगी संजीदा बन गयी शिकायतों के पुर्ज़े संवारते संवारते,
मुझे खामोशी के बाज़ारों में लुटने की आस हैं…!!!
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Shikayate
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जूझते रिश्ते
डूबते रिश्तों में अहमियत का बिखर जाना, आधा टुकड़ा हैं लाज़मी का !
मौज़ों के बुलबुलों का सतह पर टूट जाना, आधा टुकड़ा हैं हक़ीक़त का !
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Jujhate Rishtey
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Hindi Quotes Of The Day
बोझ भी अब बेझिझक खरी खोटी सुनाने लगे हैं,
सारे मोहल्ले में मुझे बेवजह बदनाम करने लगे है !
बोझ भी अब मुझको बोझ समझने लगे हैं,
अपनी बिरादरी से मुझे बेदख़ल करने लगे हैं…!!!
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Aadate
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आईना
फ़ुरसत से जब चेहरा आईने पर टांग दिया,
ज़ुल्फ़ें आईने के समक्ष अटखेलियाँ कर गयी !
बुझे लबों से जब आईने को पुकार दिया,
मुस्कुराहट आईने के समक्ष बदमाशियाँ कर गयी !
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Aaina
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प्रतिशोध
जो कभी क्रोध में डूबे मूर्खता साथ लेते गए,
जो कभी प्रतिशोध में डूबे अयोग्यता साथ लेते गए !
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Pratishodh
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आशायें
आशाओं के मोह से लिपटने को जी चाहता हैं
अब किसी की परिभाषा बनने को जी चाहता हैं !
आशाओं की शरारतों से बिगड़ने को जी चाहता हैं
अब किसी की परिभाषा बनने को जी चाहता है !
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Aashaye
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