Tumgik
#अधिक खतरा
helputrust · 5 months
Text
youtube
Role of Lung Health : Understanding, Preventing & Managing Respiratory Diseases | Dr Rajendra Prasad
Role of Lung Health : Understanding, Preventing & Managing Respiratory Diseases | Dr Rajendra Prasad | In Conversation with Vandana Tribhuwan Singh
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे शरीर में मौजूद हर अंग बेहद जरूरी होता है । सभी का अपना अलग कार्य होता है, जो हमें स्वस्थ बनाने में मदद करते हैं । फेफड़े इन्हीं में से एक है, जो हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम का सबसे अहम हिस्सा है । यह हमें सांस लेने में काफी मदद करता है । हालांकि, कई वजहों से हमारे फेफड़े (Lungs) विभिन्न समस्याओं का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि फेफड़े में होने वाली इन बीमारियों के बारे में भी आप सतर्क रहें । फेफड़ों के स्वास्थ्य के महत्व और फेफड़ों की बीमारियों को रोकने के लिए जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 25 सितंबर को वर्ल्ड लंग्स डे मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य आम लोगों के बीच में फेफड़ों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना है | हमारे देश भारत में Covid-19 के बाद फेफड़े संबंधित बीमारियों का खतरा अधिक बढ़ता जा रहा है और फेफड़ों के कैंसर सीओपीडी टीवी अस्थमा एवं एलर्जिक राइनाइटिस के मरीज निरंतर बढ़ते जा रहे हैं |
आखिर, भारत में फेफड़े संबंधी बीमारियों के बढ़ते मामलों की क्या है वजह और इससे बचने के क्या हैं उपाय? हमारे ऐसे ही प्रश्नों का उत्तर देने के लिए हमारे साथ आज मौजूद है डॉ राजेंद्र प्रसाद जी जो आज की परिचर्चा के विषय The Vital Role of Lung Health : Understanding, Preventing & Managing Respiratory Diseases " पर प्रकाश डालेंगे |
#worldlungday #lungs #asthma #health #breathe #lunghealth #lungcancer #lungcancerawareness #lungcancerawarenessmonth #lungcancersucks #lungcancersurvivor #beatlungcancer #worldlungcancerday #fightlungcancer #lungcancerfighter #lungcanceralliance #lungcancerwalk #curelungcancer #nonsmallcelllungcancer
#NarendraModi #PMOIndia
#YogiAdityanath #ChiefMinisterUttarPradesh
#DrRajendraPrasad #VandanaTribhuvanSingh
#HelpUTrust #HelpUEducationalandCharitableTrust
#KiranAgarwal #DrRupalAgarwal #HarshVardhanAgarwal
www.helputrust.org
@narendramodi @pmoindia
@MYogiAdityanath @cmouttarpradesh
@HelpUEducationalAndCharitableTrust @HelpU.Trust
@KIRANHELPU
@HarshVardhanAgarwal.HVA @HVA.CLRS @HarshVardhanAgarwal.HelpUTrust
@HelpUTrustDrRupalAgarwal @RupalAgarwal.HELPU @drrupalagarwal
@HelpUTrustDrRupal
2 notes · View notes
vikaskumarsworld · 1 year
Text
🧭संत रामपाल जी महाराज द्वारा किए जा रहे समाज कल्याण के कार्य🧭
संत रामपाल जी महाराज ने धर्मग्रंथों के यथार्थ ज्ञान के आधार पर प्रमाण देकर नकली गुरुओं की पोल खोलकर पाखंड पर चोट की। व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को सार्वजनिक कर उसे समूल उखाड़ फेकने का कठिन कार्य प्रारंभ किया। नशावृत्ति, दहेज जैसी कई सामाजिक कुरीतियों को बंद कराने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए। रक्तदान, अन्नदान परमार्थ करने के लिए प्रेरित किया।
जाति, धर्म, लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव का केवल सन्त रामपाल जी ही सफल रूप से उन्मूलन कर सके हैं।
संत रामपाल जी महाराज कहते हैं कि -
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, धर्म नही कोई न्यारा।।
प्राकृतिक आपदा के कारण मुसीबत में फंसे लोगों को संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों द्वारा खाद्य व अन्य राहत सामग्री पहुंचाने का कार्य बड़ी तत्परता से किया जाता हैं। जुलाई 2023 में हरियाणा के 12 जिले बाढ़ की चपेट में आ गए। लोगों को खाने-पीने की समस्या उत्पन्न हो गई और जलभराव के कारण बीमारियों का भी खतरा इन इलाकों में मंडराने लगा। ऐसी विषम परिस्थिति में बाढ़ पीड़ितों तक खाद्य व अन्य राहत सामग्री पहुंचाने के लिए संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी अपनी जान को जोखिम में डालकर अलग-अलग जिलों, ब्लॉक आदि में यह मानवीय सेवा करते नजर आए।
संत रामपाल जी महाराज भारत व विश्व के सबसे बड़े समाज सुधारक है जिन्होंने देश को दहेज, भ्रूण हत्या, जातिवाद, रिश्वतखोरी आदि समस्याओं से निजात दिलाई है।
#समाज_सुधारक_संत_रामपालजी
#SantRampalJi_AvataranDiwas
#SantRampalJiMaharaj
अधिक जानकारी के लिए "Sant Rampal Ji Maharaj" App Play Store से डाउनलोड करें और "Sant Rampal Ji Maharaj" YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें।
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
⬇️⬇️
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
Tumblr media Tumblr media
3 notes · View notes
Text
बहुत देर तक बैठे रहने से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है
Tumblr media
लंबे समय तक बैठे रहने से आपके हृदय स्वास्थ्य पर कई तरह से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यहाँ बताया गया है कि कैसे:
कम कैलोरी बर्न: लंबे समय तक बैठे रहने से कैलोरी बर्न होने की संख्या कम हो जाती है, जिससे वजन बढ़ सकता है और मोटापा हो सकता है - दोनों ही हृदय रोग के जोखिम कारक हैं।
कम रक्त प्रवाह: जब आप बहुत देर तक बैठते हैं, तो रक्त संचार धीमा हो जाता है, जिससे आपके पैरों में रक्त जमा हो जाता है। यह थक्कों के विकास में योगदान दे सकता है और हृदय संबंधी जटिलताओं के जोखिम को बढ़ा सकता है।
इंसुलिन प्रतिरोध: लंबे समय तक निष्क्रिय रहने से आपका शरीर इंसुलिन के प्रति कम प्रतिक्रियाशील हो सकता है, जिससे रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। समय के साथ, यह मधुमेह का कारण बन सकता है, जो हृदय रोग का एक और जोखिम कारक है।
बढ़ा हुआ रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल: बहुत देर तक बैठे रहने से रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है, जो आपके हृदय पर दबाव डालता है, जिससे हृदय रोग का जोखिम बढ़ जाता है।
खड़े होने, चलने या स्ट्रेच करने के लिए नियमित रूप से ब्रेक लेने से इन प्रभावों का मुकाबला करने में मदद मिल सकती है। स्वस्थ हृदय के लिए सक्रिय रहना आवश्यक है।
हृदय स्वास्थ्य बनाए रखने के बारे में अधिक मार्गदर्शन के लिए, आप सुकून हार्ट केयर, सैनिक मार्केट, मेन रोड, रांची, झारखंड: 834001 में Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology) से परामर्श कर सकते हैं। अपॉइंटमेंट के लिए, 6200784486 पर कॉल करें या drfarhancardiologist.com पर जाएँ।
0 notes
tufcontmt · 4 days
Text
Why TufconXT HCR 600 is the Cost-Effective Choice Compare to Other TMT Bars
Tumblr media
क्या आप जानते हैं कि TUFCON XT भारत में एकमात्र कंपनी है जो 600 HCR की TMT Rebars बनाती है? ये TMT Rebars बेहद मजबूत और टिकाऊ होते हैं, जो किसी भी निर्माण कार्यों के लिए PERFECT माने जाते हैं। TUFCON XT के TMT Rebars उच्च गुणवत्ता वाले स्टील से बनाए जाते हैं और एक विशेष प्रक्रिया (Tempcore Technology) का उपयोग होता है, जिससे TUFCON TMT बेहद मजबूत और लचीला हो जाता है।
ये Rebars कठिन परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम हैं और आपके निर्माण परियोजनाओं के लिए एक विश्वसनीय विकल्प हैं। यदि आप अपने निर्माण प्रोजेक्ट के लिए सबसे मजबूत और टिकाऊ TMT Bar ढूंढ रहे हैं, तो TUFCON XT 600 TMT Rebars आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। ये Rebars भारत में बनने वाले सबसे मजबूत और सबसे टिकाऊ TMT Bars में से एक हैं।
Tufcon XT 600HCR TMT Rebars
असाधारण ताकत: ये बार सामान्य TMT Bars की तुलना में बहुत अधिक मजबूत होते हैं, जिसका मतलब है कि ये भारी वजन को सहन कर सकते हैं और इमारत को अधिक मजबूती देते हैं।
जंग प्रतिरोध: Tufcon TMT Bars में उच्च जंग प्रतिरोध होता है, जिसका मतलब है कि ये लंबे समय तक टिकते हैं और जंग लगने का खतरा भी कम होता है।
लचीलेपन: Tufcon TMT Bars बहुत लचीले होते हैं, जिसका मतलब है कि वे भूकंप या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के दौरान झटकों को सहन कर सकते हैं।
दीर्घायु: इन बारों की लंबी उम्र होती है, जिसका मतलब है कि आपको भविष्य में मरम्मत पर कम खर्च करना होगा।
लागत प्रभावी: Tufcon TMT Bars न केवल मजबूत और टिकाऊ होते हैं, बल्कि वे लागत प्रभावी भी होते हैं।
Tufcon XT 600HCR TMT Rebar की तुलना साधारण TMT Bar Se
Tufcon XT 600HCR TMT Rebar की तुलना साधारण TMT Bar से करें तो, जैसा कि आप जानते हैं, मजबूती वाले निर्माण में अनुभवी इंजीनियरों का मानना है कि बेहतर मजबूती वाले निर्माण में दो छड़ों के बीच की दूरी 4 इंच होनी चाहिए। अब अगर हम 10 फुट बाय 10 फुट का एक निर्माण करते हैं, तो हमें दोनों साइड से 31 पीस छड़ यानी कुल 62 छड़ लगेंगे। यदि हम वही निर्माण साधारण छड़ से करते हैं, तो यहां भी हम 62 छड़ ही लगाएंगे।
दोनों निर्माण के पूरे हो जाने पर कुछ दिनों बाद टेस्टिंग के लिए दोनों पर 5 टन वज़न वाले हाथी को चढ़ाते हैं। तब देखा जाता है कि साधारण छड़ से बनी छत में दरारें आ गईं, जबकि Tufcon XT 600HCR से बनी छत में कोई दरार नहीं आई। इससे यह साबित होता है कि किसी भी सामान्य और बहुमंजिला बिल्डिंग के निर्माण में Tufcon XT के TMT Rebars पूरी तरह सक्षम हैं।
अब दूसरे प्लान के अनुसार साधारण छड़ वाली छत के बीच का गैप 3 इंच कर देते हैं, तो इसमें दोनों साइड से 38 छड़ यानी कुल 76 छड़ का उपयोग करते हैं। अब निर्माण के पूरे हो जाने पर कुछ दिनों बाद जब फिर से वही हाथी दोनों छतों पर खड़ा किया जाता है, तो दोनों निर्माण में कोई परिवर्तन नहीं दिखता है। लेकिन साधारण छड़ के लिए यह परिणाम 20% ज्यादा छड़ का उपयोग करने से हासिल होता है।
इससे साबित होता है कि Tufcon XT 600HCR के छड़ साधारण छड़ की तुलना में 20% कम सामग्री का उपयोग करके समान मजबूती प्रदान करते हैं। मतलब, Tufcon XT 600HCR के छड़ का उपयोग करके हम साधारण छड़ की तुलना में 20% सामग्री, 20% समय और 20% मजदूरी का खर्च बचा सकते हैं।
Tufcon XT 600HCR TMT Rebar के फायदे:
मजबूत संरचना: Tufcon TMT Rebars आपकी इमारत को अधिक मजबूत बनाते हैं, जिससे यह भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से अधिक सुरक्षित हो जाती है।
कम रखरखाव: इन Rebars की लंबी उम्र होती है, जिसका मतलब है कि आपको भविष्य में मरम्मत पर कम खर्च करना होगा।
लागत बचत: ये Rebars आपको लंबे समय तक पैसे बचाने में मदद कर सकते हैं।
Conclusion
यदि आप अपने निर्माण या प्रोजेक्ट के लिए सबसे अच्छे TMT बार ढूंढ रहे हैं, तो Tufcon XT 600HCR TMT Rebar एक बेहतरीन विकल्प है। ये बार मजबूत और टिकाऊ होते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप Tufcon की वेबसाइट पर जाएं।
अगर आपके मन में कोई और सवाल हो, तो पूछने में संकोच न करें।
0 notes
sunil23-chand · 10 days
Text
Tumblr media
#GodMoringTuesday
बकरीद जैसी तमाम कुप्रथाओ को माध्यम बनाकर निर्दोष जीवों की हत्या की जाती है इन निर्दोष जीवों की हत्या में होने वाला पाप मानवता के लिए खतरा बन जाएगा ।
जीव हत्या महापाप है ।
अधिक जानकारी के लिए आज ही मांगे निशुल्क पुस्तक "मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कुरानसी
#noidagbnup16
0 notes
healthremedeistips · 14 days
Text
Tumblr media
मौसम में बदलाव मतलब कई बिमारियों का आना ,जो कभी भी किसी को भी चपेट में ले सकती है। मौसम का बदलाव विशेष रूप से मानसून की वापसी या सर्दी से गर्मी का संक्रमण ,वायरल बुखार का न्यौता देता है जब एक संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है ,तो वायरस वाली बूंदों के साथ हवा में फैल जाता है और यह एक मीटर तक फैल सकता है। और इन बूंदों को सांस लेने वाले लोगों को पास में ही संक्रमित कर सकता है। वायरस दूषित हाथों से भी फैल सकता है। 
क्या आप जानते हैं मौसमी बुखार क्यों होता है ? बदलते मौसम के साथ बीमारियों और संक्रमण का बढ़ना कोई बड़ी बात नहीं है। खासकर मानसून के समय देश भर में मौसमी फ्लू के मामले लगातार बढ़ने शुरू हो जाते हैं और वायरल फीवर के मरीजों की संख्या काफी बढ़ जाती है। मानसून के समय में जगह -जगह पानी जमने से बैक्टीरिया और वायरस पनपने लगते हैं और वायर�� या बैक्टीरियल इंफेक्शन क��� खतरा बढ़ जाता है। 
इन्फ्लुएंजा को मौसमी बुखार के रूप में भी जाना जाता है।  इन्फ्लुएंजा को मौसमी बुखार के रूप में भी जाना जाता है। यह इस मौसम में लगभग हर साल प्रकट हो जाता है। इन्फ्लुएंजा श्वसन प्रणाली का एक संचारी विषाणुजनित रोग है। इससे संक्रमित व्यक्ति जब बात करते ,खांसते या छींकते हैं तो यह विषाणु संक्रमित व्यक्ति की सांस से फैलता है। इस समय इस विषाणु का प्रकोप कुछ अधिक देखा जा रहा है। आमतौर पर इस बुखार का मौसम अप्रैल से सितंबर तक रहता है। और इसका प्रभाव गंभीरता और अवधि में भिन्न होता है। इसे भी पढ़े :
0 notes
Text
किन चीजों को खाली पेट खाएं और किसे नहीं? जानें सही सलाह ताकि आपकी आंतें रहें स्वस्थ!
Tumblr media
भोजन हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, लेकिन यह भी जरूरी होता है कि हम क्या और कब खा रहे हैं। खाने का समय और खाद्य पदार्थ दोनों ही हमारे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। सुबह के भोजन में ऑरेंज जूस और ब्रेड जैसी चीजें बहुत आम होती हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि खाली पेट ऑरेंज जूस पीने से शरीर में शुगर का स्तर बढ़ जाता है और अधिक मात्रा में शुगर लेने से मधुमेह जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
इसके अलावा ब्रेड जैसी चीजें शरीर के लिए उपयोगी नहीं होती हैं क्योंकि इनमें काफी मात्रा में मैदा होता है जो शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। इससे शरीर में आयरन की कमी हो सकती है और अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। लेकिन यदि आप खट्टे फल जैसे आम, अंगूर, संतरा आदि खा लेते हैं, तो उनमें मौजूद एसिड से हार्टबर्न की समस्या हो सकती है।
खाली पेट कुछ खाने से हमारे शरीर को बहुत फायदे होते हैं। लेकिन कुछ ऐसी चीजें भी होती हैं, जिन्हें खाली पेट नहीं खाना चाहिए। इस ब्लॉग में हम आपको कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताएंगे जो आप खाली पेट खा सकते हैं और जो नहीं खा सकते हैं।
खाली पेट इन चीजों के सेवन से बचें
अगर आप सुबह बीमार होने से बचना चाहते हैं तो कोशिश करें कि मसालेदार नाश्ता न करें। इससे पेट में एसिड और अपच जैसी समस्याओं से बचने में मदद मिलेगी। कच्ची सब्जियों में फाइबर अधिक होता है, जिसे खाली पेट खाने से अपच हो सकता है, लेकिन सुबह के समय सेवन करने पर गैस और पेट में दर्द होने की भी संभावना होती है।
खाली पेट खट्टे फल खाने से एसिड का उत्पादन बढ़ सकता है जो पाचन क्रिया को प्रभावित कर सकता है। इसलिए सुबह-सुबह खट्टे और रेशे वाले फल खाने से बचना चाहिए।
best immune booster supplements
खाली पेट कॉफी पीने से एसिडिटी हो सकती है. खाली पेट इसके सेवन से पाचन तंत्र में हाइड्रोक्लोरिक एसिड का स्राव उत्तेजित हो जाता है, जो कुछ लोगों में पेट की समस्या का कारण बनता है ।
खाली पेट ठंडी ड्रिंक्स नहीं पीनी चाहिए और फ्रिज का पानी भी नहीं पिया जाना चाहिए। ऐसा करने से पाचन तंत्र प्रभावित हो सकता है।
खाली पेट अल्कोहल का सेवन खतरनाक हो सकता है। यह आपके शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और आपके रक्त व लिवर पर बुरा असर पड़ता है। खाली पेट दही नहीं खाना चाहिए क्योंकि दही में लैक्टिक एसिड होता है जो पेट की अम्लता को बढ़ा सकता है और खाली पेट दूध के उत्पादों में लैक्टिक एसिड होता है जो पेट के अच्छे बैक्टीरिया को मार सकते हैं। 
खाली पेट किन चीजों का सेवन फायदेमंद
अगर आपको सुबह खाली पेट एक गिलास सादा पानी पीने की आदत है तो यह शरीर को डिटॉक्सीफाई करने में काफी मदद करता है। यह वजन घटाने में भी मददगार है।
खाली पेट पानी में भीगे हुए बादाम का सेवन करने से आपके शरीर को भरपूर पोषण मिलता है, जिससे आपको पूरे दिन के लिए एनर्जी मिलती है। नट्स दिन की शुरुआत करने का एक अच्छा तरीका है क्योंकि ये पाचन में सुधार करने और पेट के पीएच स्तर को सामान्य रखने में मदद करते हैं।
खाली पेट शहद खाने से शरीर को ताकत मिलती है और इससे पाचन तंत्र मजबूत होता है। इसके अलावा, शहद एंटीऑक्सीडेंट्स का भी एक बहुत अच्छा स्रोत होता है। खाली पेट नारियल पानी पीने से शरीर की ऊर्जा बढ़ती है और नारियल पानी में विटामिन सी, पोटैशियम, मैग्नीशियम, और कैल्शियम जैसे विभिन्न पोषक तत्व होते हैं, जो आपके शरीर को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
दलिया एक पौष्टिक नाश्ता है जो आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है औरआपकी आंतों को स्वस्थ रखता है। सुबह खाली पेट इसे खाने से आपका पेट देर तक भरा रहेगा।
पपीता प्राकृतिक फाइबर और विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है, इसे नाश्ते में शामिल करना आसान है और यह बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी मदद करता है, जिससे हृदय रोगों से बचाव होता है। तरबूज खाली पेट खाने से शरीर को हाइड्रेशन की डोज मिलती है। इसके अलावा यह शुगर क्रेविंग से बचाता है और कैलोरी में कम होता है। तरबूज इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर होता है जो ह्रदय और आंखों के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है।
इसलिए, सुबह के समय आप सेहतमंद और हेल्दी रहने के लिए खाली पेट में सब्जी, दलिया, ओटमील, पोहा, अंडे आदि खा सकते हैं। ये आपको ऊर्जा प्रदान करते हैं और पेट को भी सही तरीके से साफ रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा, तरबूज, पपीता जैसे फल भी सुबह के समय खाने के लिए अच्छे होते हैं। इनमें फाइबर का अच्छा स्रोत होता है जो पेट से संबंधित समस्याओं से बचाता है।
(Disclaimer: This article has been written by - Dt. Alka Kothari)
0 notes
oraal01 · 17 days
Text
मुंह की दुर्गंध भगाने के 8 तरीके और कैंसर की जानकारी
मुंह की दुर्गंध (Bad Breath) एक आम समस्या है जो हमारे आत्मविश्वास को प्रभावित कर सकती है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे खराब दांत, मसूड़े की समस्याएं, या पेट से संबंधित समस्याएं। इसी प्रकार, मुंह का कैंसर (Oral Cancer) भी एक गंभीर समस्या है, जो तेजी से फैल सकता है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे, मुंह की दुर्गंध भगाने के 8 प्रभावी तरीके और मुंह का कैंसर कितने दिनों में फैलता है।
मुंह की दुर्गंध भगाने के 8 प्रभावी तरीके
दांतों की नियमित सफाई: हर दिन दो बार ब्रश करें और फ्लॉस का उपयोग करें। यह आपके मुंह से बैक्टीरिया और खाद्य कणों को हटाने में मदद करेगा, जो दुर्गंध का मुख्य कारण होते हैं।
जीभ की सफाई करें: जीभ पर बैक्टीरिया जमा हो सकते हैं, जो दुर्गंध पैदा कर सकते हैं। जीभ की सफाई के लिए टंग स्क्रैपर का उपयोग करें।
माउथवॉश का उपयोग करें: माउथवॉश का उपयोग करने से आपके मुंह की दुर्गंध को कम किया जा सकता है। एंटीबैक्टीरियल माउथवॉश का चयन करें जो बैक्टीरिया को नष्ट करने में मदद करे।
पानी अधिक पिएं: मुंह में सूखापन भी दुर्गंध का कारण बन सकता है। अधिक पानी पिएं ताकि सलाइवा का उत्पादन सही रहे और मुंह में बैक्टीरिया न पनपें।
धूम्रपान और तंबाकू का सेवन छोड़ें: धूम्रपान और तंबाकू का सेवन मुंह की दुर्गंध को बढ़ा सकता है। इसे छोड़ना आपकी सेहत के लिए भी अच्छा है।
संतुलित आहार लें: फल और सब्जियां खाएं। यह आपके मुंह को साफ रखने में मदद करते हैं और दुर्गंध को कम करते हैं।
दूध उत्पादों का सेवन कम करें: दूध उत्पादों का सेवन मुंह में दुर्गंध पैदा कर सकता है, इसलिए इनका सेवन संतुलित मात्रा में करें।
नियमित रूप से डेंटिस्ट से जांच कराएं: दांतों की नियमित जांच से किसी भी प्रकार की समस्या का पता चल सकता है, जिससे आप मुंह की दुर्गंध से बच सकते हैं।
मुंह का कैंसर कितने दिनों में फैलता है?
मुंह का कैंसर एक गंभीर स्थिति है जो तेजी से फैल सकती है। हालांकि, इसके फैलने की गति व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति, कैंसर के प्रकार, और इसका कितनी जल्दी निदान हुआ है, इस पर निर्भर करती है। आमतौर पर, शुरुआती चरणों में यदि इसका पता चल जाए और समय पर उपचार शुरू हो जाए, तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन यदि इसे अनदेखा किया जाए, तो यह महीनों के भीतर गंभीर रूप से फैल सकता है और जीवन के लिए खतरा बन सकता है।
मुंह का कैंसर पहले तो जीभ, होंठ, मसूड़े और गले में फैलता है। इसके बाद यह तेजी से शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है। इसीलिए, इसके शुरुआती लक्षणों को पहचानना और तुरंत चिकित्सा सहायता लेना महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
मुंह की दुर्गंध को दूर करने के लिए कुछ आसान उपाय हैं जो आप अपनी दिनचर्या में अपना सकते हैं। वहीं, मुंह के कैंसर की स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी है। सही जानकारी और समय पर उपचार से आप इन समस्याओं से बच सकते हैं और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
0 notes
astrovastukosh · 23 days
Text
Tumblr media
*🌞~ आज दिनांक - 4 सितम्बर 2024 का वैदिक, सटीक गणना के साथ हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 4 सितम्बर 2024*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - प्रतिपदा प्रातः 09:46 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*⛅नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी प्रातः 06:14 सितम्बर 5 तक तत्पश्चात हस्त*
*⛅योग - साध्य रात्रि 08:03 तक तत्पश्चात शुभ*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:38 से दोपहर 02:12 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:26*
*⛅सूर्यास्त - 06:52*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से प्रातः 05:37 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:16 सितम्बर 05 से रात्रि 01:01 सितम्बर 05 तक*
*⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹भोजन हेतु कैसे पात्रों का उपयोग हो ?🔹*
*🔸 भोजन बनाने व खाने हेतु एल्यूमीनियम और प्लास्टिक के बर्तनों के प्रयोग से भोजन में हानिकारक रासायनिक पदार्थ मिश्रित हो जाते हैं । एल्यूमीनियम के बर्तनों में पकाया गया विटामिन्सयुक्त पौष्टिक खाद्य पदार्थ भी अपने गुण खो बैठता है । विशेषज्ञों का मानना है कि एल्यूमीनियम की विषाक्तता के कारण आँतों में जलन होने लगती है तथा आँतों का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है । एल्यूमीनियम के बर्तनों में भोजन बनाना हानिकारक है ।*
*🔸 अतः भोजन बनाने व जाने हेतु उपरोक्त बर्तनों की अपेक्षा देशी मिट्टी (चीनी मिट्टी आदि नहीं), काँच, स्टील या कलई किये हुए पीतल के बर्तनों का प्रयोग हितकारी है ।*
*🔸 केला, पलाश अथवा बड़ के पत्ते रूचि उत्पन्न करने वाले तथा विषदोष नाशक और जठराग्निवर्धक होते हैं अतः भोजन करने के लिए इनकी पत्तलों का उपयोग भी हितावह है ।*
*🔸 खाद्य पदार्थों को फ्रिज अथवा कोल्ड स्टोरेज में रखने से उनका प्राकृतिक स्वरूप बदल जाता है और पौष्टिक तत्त्वों में कमी आ जाती है ।*
*🔸 भोजन में संयम व सावधानी रखने से तथा उपरोक्त नियमों का पालन करने से हम अपने शरीर को स्वस्थ एवं निरोगी रख सकते हैं तथा मन की प्रसन्नता पा सकते हैं ।*
*🔹दुकान में उन्नति🔹*
*🔹सुबह दुकान खोलने पर थोड़ी कपूर जला कर आरती कर लें और जहाँ दुकान के मालिक बैठते हों वहां, जिधर से ग्राहक आते हों उधर भी आरती कर लें । इससे दुकान में उन्नति होगी ।*
*🔸पढने में रूचि न हो या सफलता न मिलती हो तो...*
*🔸जिन बच्चों का पढाई की और रुझान नहीं होता अथवा कम होता है या काफी परिश्रम करके भी जिन्हें अध्ययन में पर्याप्त सफलता नहीं मिलती उनके लिए लाभदायी प्रयोग :*
*🔸१ ग्राम कपूर और मौलसिरी का एक बीज पीसकर देशी गाय के २०० ग्राम घी में मिला दें । नित्य किसी भी समय ५ से १० मिनट तक संबंधित बच्चे के शयनकक्ष में इस मिश्रण से दीपक जलायें । अथवा उसके तकिये में मौलसिरी के ३ बीज रख दें ।*
*🔹सुख – शांति व धनवृद्धि हेतु🔹*
*🔸सफेद पलाश के एक या अधिक पुष्पों को किसी शुभ महूर्त में लाकर तिजोरी में सुरुक्षित रखने से उस घ में सुख-शांति रहती है, धन-आगमन में बहुत वृद्धि होती है ।*
*
0 notes
rightnewshindi · 1 month
Text
Monkeypox Cases; भारत में दो साल पहले मंकीपॉक्स के मिले थे 20 केस, जानें कितनों की हुई थी मौत
Monkeypox Cases: WHO ने MPOX Virus यानी मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है. इसका मतलह है की इस वायरस से दुनियाभर में खतरा हो सकता है. फिलहला अफ्रीका में मंकीपॉक्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. 30 हजार से अधिक केस आ चुके हैं और 500 से ज्यादा मरीजों की मौत हो गई है. दक्षिण अफ्रीका के अलावा अन्य कुछ देशोंं में भी मामले रिपोर्ट किए गए हैं. दो साल में ऐसा दूसरी बार है जब विश्व स्वास्थ्य…
0 notes
kangenwatersafe · 1 month
Text
कांगेन जल क्या है? इसके गुण और लाभ क्या हैं?
क्षारीय पानी के चलन के बाद, सुरक्षित पेयजल का आनंद लेने के नवीनतम और सबसे महंगे तरीके के रूप में कांगेन वॉटर की लोकप्रियता पिछले कुछ समय से तेजी से बढ़ रही है।
आपने कांगेन वॉटर (Kangen Water) का नाम भी सुना होगा। यह पानी को लाभकारी बनाने की एक यांत्रिक तकनीक है। कांगेन वॉटर एक विदेशी तकनीक है लेकिन इसका इस्तेमाल भारत में भी कई लोग कर रहे हैं।
इस तकनीक का इस्तेमाल सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि कई देशों में किया जा रहा है। बराक ओबामा, डोनाल्ड ट्रम्प और बिल गेट्स जैसे लोग भी कांगेन पानी का उपयोग कर रहे हैं। अगर भारतीय सेलिब्रिटीज की बात करें तो ऋतिक रोशन, रजनीकांत, शिल्पा सेट्टी, शाहरुख खान एकता कपूर आदि भी कांगेन वॉटर का इस्तेमाल करते हैं।
आज हम विस्तार से जानेंगे कि कांगेन वॉटर क्या है और इसके क्या फायदे हैं।
कांगेन जल क्या है? (Kangen Water क्या है हिंदी में) kangen water benefits in hindi
कांगेन पानी (Kangen Water) वास्तव में क्षारीय आयनाइज़र और जल निस्पंदन मशीनों द्वारा उत्पादित क्षारीय पानी है। यह जापानी तकनीक है. कांगेन वॉटर मशीनें जापान की एनाजिक कंपनी द्वारा बनाई जाती हैं।
कांगेन एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ है "मूल स्वरूप में लौटना"। जापान में शरीर की मूल और क्षारीय स्थिति को बहाल करने के लिए कांगेन पानी का उपयोग 40 वर्षों से अधिक समय से किया जा रहा है।
कांगेन वॉटर मशीन साधारण नल के पानी को स्वस्थ और ताज़ा स्वाद वाले क्षारीय पेयजल में बदल सकती है। कांगेन पानी नल और शुद्ध पानी से बेहतर है।
कांगेन वॉटर मशीन पांच अलग-अलग पीएच रेंज (बहुत अम्लीय से बहुत क्षारीय तक) में पानी को फ़िल्टर करती है। इन विभिन्न पीएच रेंज वाले पानी का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है - पीने के लिए, सफाई के लिए, खाना पकाने के लिए, सौंदर्य देखभाल के लिए।
कांगेन वॉटर मशीन बनाने वाली कंपनी एनाजिक का दावा है कि बोतलबंद पानी, नल का पानी और यहां तक कि रिवर्स ऑस्मोसिस पानी अत्यधिक दूषित है और स्वास्थ्य के लिए खतरा है।
अपने निर्धारित पीएच स्तर का पानी पीना मनुष्य की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि हमारे शरीर में 70 प्रतिशत से अधिक पानी होता है।
कांगेन पानी के फायदे (Benefits of Kangen Water in Hindi)
कांगेन वॉटर मशीन से प्राप्त पानी में प्रचुर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट, क्षारीय और सूक्ष्म क्लस्टर गुण होते हैं जो मानव शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।
कांगेन जल के गुण
1. हाइड्रोजन से भरपूर
हाइड्रोजन युक्त पानी में आणविक हाइड्रोजन की उच्च सांद्रता होती है। आणविक हाइड्रोजन एक कुशल एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है जो कोशिका झिल्ली में तेजी से फैलता है और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है।
इस मशी��� की प्रक्रिया से आपका साधारण पानी हाइड्रोजन युक्त कांगेन पानी बन जाता है।
2. ऑक्सीकरण
ऑक्सीकरण शरीर में मुक्त कण उत्पन्न कर सकता है जबकि एंटी-ऑक्सीडेंट इन प्रतिक्रियाओं को खत्म करते हैं। ऑक्सीडेंट की अत्यधिक मात्रा और अपर्याप्त एंटीऑक्सीडेंट शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव का कारण बनते हैं। ऑक्सीडेटिव तनाव और उससे संबंधित क्षति से निपटने के लिए, हमारे दैनिक आहार में किसी भी स्रोत से एंटीऑक्सिडेंट की निरंतर आपूर्ति होनी चाहिए।
3. क्षारीय
अधिकांश चीज़ों की तरह, मानव स्वास्थ्य भी संतुलन से शुरू होता है। हमारे शरीर को 7.365 का पीएच संतुलन बनाए रखना चाहिए, जो थोड़ा क्षारीय है। पीएच स्केल का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि कोई पदार्थ अम्लीय है या क्षारीय। इस पैमाने पर, 7.0 तटस्थ है, 7 से ऊपर की कोई भी चीज़ अम्लीय मानी जाती है जबकि 7 से नीचे की कोई भी चीज़ क्षारीय होती है।
4. ओआरपी
हाइड्रोजन युक्त पानी की विशेषता नकारात्मक ओआरपी है। उच्च ओआरपी मान इंगित करता है कि किसी पदार्थ में उच्च ऑक्सीकरण क्षमता है।
सामान्यतया, उच्च ओआरपी मानव शरीर के बाहर (स्वच्छता और स्वच्छता) के लिए बेहतर है।
कम ओआरपी मान (नकारात्मक) इंगित करता है कि किसी पदार्थ में उच्च एंटीऑक्सीडेंट क्षमता है और इसे मानव उपभोग (पीने) के लिए अच्छा माना जाता है।
सामान्य भोजन और जूस में -100 ओआरपी होता है जबकि कांगेन पानी में -400 ओआरपी होता है।
कांगेन पानी के फायदे
शरीर में एसिडिटी के स्तर को नियंत्रित करता है और पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
यह शरीर में कैंसर, कोलेस्ट्रॉल आदि गंभीर बीमारियों की संभावना को बहुत कम कर देता है।
शरीर में तेजी से नये ऊतकों का निर्माण करता है यानी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है। जिससे व्यक्ति बूढ़ा होने के बाद भी जवान दिखता है।
शुद्ध पानी के विपरीत, कांगेन पानी कई खनिजों को नष्ट नहीं करता है।
कांगेन पानी पूरी तरह से साफ, ताज़ा और स्वाद में बढ़िया है।
कांगेन पानी का स्वाद इतना अच्छा होता है कि यह जूस और भोजन का स्वाद बढ़ा देता है।
वजन घटाने और वजन बनाए रखने के लिए भी कांगेन पानी को महत्व दिया गया है।
चूँकि इसमें क्षारीय, एंटीऑक्सीडेंट और सूक्ष्म समूह होते हैं, इसलिए यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाता है।
यह इंसान के चेहरे और बालों की सुंदरता को बढ़ाता है।
क्षारीय पानी में मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे विभिन्न खनिज होते हैं।
 यह मानव हड्डियों को मजबूत बनाता है और हड्डियों के नुकसान को कम करता है।
मेटाबोलिज्म में सुधार करता है.
कांगेन जल शोधक मशीन
जैसा कि हमने आपको बताया कि इस तकनीक का आविष्क���र जापान में हुआ था और दुनिया में एनाजिक जापान की एकमात्र कंपनी है जो ��स मशीन का उत्पादन कर रही है। कंपनी इस मशीन को विदेशों में भी बेच रही है।
कांगेन पानी का उपयोग कई देशों में किया जा रहा है और वे जापान से ही मशीनें खरीद रहे हैं। ये मशीनें भारत में भी उपलब्ध हैं। बाजार में कांगेन वॉटर मशीनों के विभिन्न प्रकार उपलब्ध हैं। इसके अलग-अलग वेरिएंट की कीमत 1.5 लाख रुपये से लेकर 4 लाख रुपये तक है।
मशीन 5 साल की वारंटी के साथ आती है लेकिन देखा जाए तो यह 15 से 20 साल तक आसानी से चल सकती है। पानी को फिल्टर करने की क्षमता अलग-अलग वेरिएंट के हिसाब से अलग-अलग होती है। इसका लो वेरिएंट एक मिनट में 3 लीटर पानी फिल्टर कर सकता है, जबकि इसका हाई वेरिएंट एक मिनट में 6 लीटर तक पानी फिल्टर कर सकता है।
 कांगेन मशीन को लगवाने या पानी इसके पानी के बारे में पूरी जानकारी आप मुझ से प्राप्त करें। kangen मशीन के बारे में अधिक जानने के लिए या डेमो बुक करने के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं। संपर्क नंबर :- 8059297084 विनोद ग्राम - खरकरी (हिसार)
0 notes
अपने हृदय प्रणाली की देखभाल कैसे करें
Tumblr media
लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए अपने दिल की देखभाल करना ज़रूरी है। अपने हृदय प्रणाली को दुरुस्त रखने के लिए आप कुछ ज़रूरी कदम उठा सकते हैं:
दिल को स्वस्थ रखने वाला आहार लें: अपने खाने में भरपूर मात्रा में फल, सब्ज़ियाँ, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट शामिल करें। ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे मछली और अलसी, दिल को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
नियमित रूप से व्यायाम करें: हर हफ़्ते कम से कम 150 मिनट मध्यम एरोबिक गतिविधि या 75 मिनट जोरदार गतिविधि करने का लक्ष्य रखें। नियमित व्यायाम दिल को मज़बूत बनाता है और रक्त संचार को बेहतर बनाता है।
स्वस्थ वज़न बनाए रखें: स्वस्थ वज़न बनाए रखने से दिल की बीमारी का जोखिम कम होता है। अपने बीएमआई और कमर की परिधि पर नज़र रखें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आप स्वस्थ सीमा में हैं।
धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुँचाता है और दिल की बीमारी का जोखिम बढ़ाता है। अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो धूम्रपान छोड़ने से आपके दिल की सेहत में काफ़ी सुधार हो सकता है।
शराब का सेवन सीमित करें: हालांकि मध्यम मात्रा में शराब का सेवन दिल के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन अत्यधिक शराब पीने से उच्च रक्तचाप और अन्य हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। अनुशंसित सीमाओं का पालन करें।
तनाव को नियंत्रित करें: पुराना तनाव हृदय रोग में योगदान दे सकता है। तनाव के स्तर को नियंत्रित करने में मदद के लिए गहरी साँस लेना, ध्यान या योग जैसी विश्राम तकनीकों का अभ्यास करें।
नियमित जाँच करवाएँ: नियमित स्वास्थ्य जाँच से संभावित हृदय संबंधी समस्याओं का जल्द पता लगाने में मदद मिलती है। अपने कोलेस्ट्रॉल, रक्तचाप और समग्र हृदय स्वास्थ्य की नियमित रूप से निगरानी करना महत्वपूर्ण है।
स्वस्थ हृदय को बनाए रखने के बारे में अधिक मार्गदर्शन के लिए, Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology) से सुकून हार्ट केयर, सैनिक मार्केट, मेन रोड, रांची, झारखंड: 834001 पर परामर्श लें। आप उनके क्लिनिक पर 6200784486 पर पहुँच सकते हैं या अधिक जानकारी के लिए drfarhancardiologist.com पर जा सकते हैं।
0 notes
नीम: लाख दुखों की एक दवा
Tumblr media
नीम, जिसे हम सभी ने अपने घरों में देखा है, एक ऐसा पेड़ है जो अपनी अद्भुत औषधीय गुणों के लिए मशहूर है। इसे भारतीय परंपरा में एक वरदान माना जाता है, और यह सदियों से हमारे जीवन का हिस्सा रहा है। आज हम बात करेंगे कि कैसे नीम लाखों बीमारियों के इलाज में सहायक हो सकता है।
नीम का परिचय
नीम एक सदाबहार पेड़ है जो मुख्य रूप से भारत और दक्षिण एशिया में पाया जाता है। इसके पत्ते, बीज, फल, और यहां तक कि छाल भी औषधीय गुणों से भरे हुए होते हैं। नीम को संस्कृत में "अर्जुन" और "अश्वत्थ" जैसे नामों से भी जाना जाता है। इसकी विशेषता यह है कि यह पेड़ 500 से अधिक बीमारियों के इलाज में मददगार है, इसलिए इसे 'लाख दुखों की एक दवा' कहा जाता है।  पुराने समय में, नीम का उपयोग विभिन्न प्रकार के त्वचा रोग, जुखाम, बुखार, और पाचन संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता था। इसके साथ ही, नीम का उपयोग प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में भी होता है, जिससे खेती में कीड़ों से बचाव किया जा सकता है। नीम के औषधीय गुण
नीमत्वचा की समस्याओं में लाभकारी: नीम का उपयोग त्वचा की समस्याओं के लिए किया जाता है। इसके पत्तों का पेस्ट बनाकर उसे चेहरे पर लगाने से पिंपल्स, एक्ने, और अन्य त्वचा संबंधित समस्याओं में राहत मिलती है। नीम का तेल भी त्वचा की बीमारियों जैसे एक्जिमा और सोरायसिस में फायदेमंद है।
मुँह और दांतों की देखभाल: नीम की दातून का इस्तेमाल हमारे पूर्वज सदियों से करते आ रहे हैं। यह दांतों की सड़न, मसूड़ों की सूजन, और अन्य मौखिक समस्याओं में मदद करता है। नीम के एंटी-बैक्टीरियल गुण मुँह की दुर्गंध को भी दूर करते हैं।
मधुमेह में सहायक: नीम की पत्तियों का सेवन रक्त में शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में सहायक है। मधुमेह के मरीज इसके पत्तियों का रस नियमित रूप से पी सकते हैं, जिससे उनका शुगर लेवल कंट्रोल में रह सकता है।
बालों की देखभाल: नीम का तेल बालों के लिए एक प्राकृतिक कंडीशनर का काम करता है। यह डैंड्रफ और बालों के झड़ने की समस्या को दूर करता है। इसके अलावा, नीम के पत्तों का पेस्ट बालों में लगाने से बाल मजबूत और चमकदार बनते हैं।
इम्यून सिस्टम को मजबूत करना: नीम के सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। यह शरीर को विभिन्न संक्रमणों से बचाने में मदद करता है। नीम के कड़वे स्वाद के बावजूद, यह हमारे शरीर के लिए एक टॉनिक की तरह काम करता है।
मलेरिया और डेंगू से बचाव: नीम के पत्तों और छाल का इस्तेमाल मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों से बचाव में किया जाता है। इसके पत्तों का रस पीने से मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
पाचन तंत्र को दुरुस्त रखना: नीम का सेवन पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में मदद करता है। यह अपच, गैस, और एसिडिटी जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है। इसके अलावा, नीम का उपयोग पेट के कीड़ों को मारने में भी किया जाता है।
नीम का उपयोग कैसे करें?
नीम की पत्तियों का रस:
नीम की ताजे पत्तियों का रस निकालकर हर रोज सुबह खाली पेट पीने से शरीर को कई बीमारियों से बचाया जा सकता है। हालांकि, इसका स्वाद कड़वा होता है, लेकिन इसके फायदे अमूल्य हैं।
नीम का तेल:
नीम का तेल त्वचा और बालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसे बालों में लगाने से डैंड्रफ से छुटकारा मिलता है और बाल मजबूत होते हैं। त्वचा पर लगाने से खुजली और फंगल इन्फेक्शन से बचाव होता है।
नीम का पेस्ट:
नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर उसे चेहरे पर लगाने से त्वचा की चमक बढ़ती है और पिंपल्स जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
नीम की दातून:
नीम की दातून का इस्तेमाल दांतों और मसूड़ों को मजबूत करने में किया जा सकता है। इससे मुँह की दुर्गंध भी दूर होती है।
नीम का पेस्ट:
नीम की सूखी पत्तियों से बनी चाय पीने से शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन होता है और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। यह मधुमेह के मरीजों के लिए भी फायदेमंद होती है।
नीम का पाउडर:
नीम के सूखे पत्तों का पाउडर त्वचा और बालों के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसे फेस पैक या हेयर मास्क के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। नीम का पाउडर खाने में भी उपयोग किया जा सकता है, जिससे शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और रक्त शुद्ध होता है।
नीम का ध्यान रखने योग्य बातें
नीम के कई फायदे हैं, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन भी हानिकारक हो सकता है। नीम का अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट दर्द, उल्टी, और कमजोरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, इसका सेवन हमेशा डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह पर ही करें।
निष्कर्ष
नीम एक ऐसा पेड़ है जो अपने गुणों से हमें स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह प्रकृति का एक उपहार है, जिसे सही तरीके से उपयोग करने पर हम कई बीमारियों से दूर रह सकते हैं। नीम के कड़वे स्वाद के बावजूद, इसके फायदे मीठे हैं, और इसे अपने जीवन में शामिल करके हम स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकते हैं।
याद रखें, नीम का सही मात्रा में और सही तरीके से उपयोग करना जरूरी है। इसका नियमित सेवन हमें बीमारियों से बचाने के साथ-साथ हमारे इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है। तो आज से ही नीम को अपने दैनिक जीवन में शामिल करें और इसके अनगिनत फायदों का आनंद लें।Visit Us: https://prakritivedawellness.com/pain-management-treatment-centre-in-prayagraj/
0 notes
studybydm · 2 months
Text
0 notes
dainiksamachar · 2 months
Text
14 साल की बच्ची ने स्कूल मैगजीन में पहले ही कर दी थी वायनाड ट्रैजडी की भविष्यवाणी!
तिरुवनंतपुरम : केरल के वायनाड जिले में मंगलवार सुबह तबाही आई। भूस्खलन में अब तक 177 लोगों की मौत हुई है और 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं। अब भी मलबे में लोगों की तलाश जारी है। मृतकों में 25 बच्चे और 70 महिलाएं शामिल हैं। इस तबाही ने हर किसी को हिलाकर रख दिया। इसी बीच केरल की एक 14 साल की बच्ची का कहानी चर्चा में है। लाया एएस नाम की इस बच्ची ने स्कूल मैगजीन के लिए एक कहानी लिखी थी। यह कहानी मैगजीन की डिजिटल अंक में प्रकाशित हुई। अगले ही दिन कहानी सच साबित हो गई। वायनाड में भूस्खलन के कारण वेल्लारमाला सरकारी स्कूल बह गया और कई लोगों की जान चली गई। इस स्कूल की ही मैगजीन की यह कहानी थी, जो अब लोगों के बीच चर्चित है। डिजिटल संस्करण में आई कहानी स्कूल की डिजिटल पत्रिका के लिए लाया एएस की लिखी गई कहानी सोमवार सुबह अपलोड की गई। इस कहानी की डिजिटल संस्करण में आने के 24 घंटे बाद ही प्रलय आई। इस कहानी की शीर्षक है 'अग्रहतिंते दुरानुभवम' (इच्छा की त्रासदी)। इसमें लाया ने दो लड़कियों- आलमक्रूथा और अनास्वरा की कहानी लिखी है। कहानी की पात्र दोनों बच्चियों एक बोलने वाली चिड़िया अलर्ट करती है। कहानी में क्या बोलने वाली चिड़िया दोनों बच्चियों की कहती है कि वे अपने गांव से भाग जाएं क्योंकि एक बड़ा खतरा आ रहा है। यह खतरा था भूस्खलन का। यह काल्पनिक चेतावनी एक दुखद वास्तविकता बन गई। आपदा में खुद बची लाया लाया के पिता लेनिन ने भी आपदा में ही अपनी जान गंवा दी। उन्होंने अपने परिवा की जान बचाने की कोशिश की, सफल हुए लेकिन खुद न बच सके। उनकी बेटी लाया भी आपदा में जिंदा बचने वालों में से एक है। लाया कक्षा 8 का छात्रा है। वेल्लारम कल्लुकल नामक पत्रिका हाल ही में जारी की गई थी और इसमें छात्रों की लिखी गई 16 रचनाएं शामिल हैं। http://dlvr.it/TBNXKp
0 notes
jbmittal · 2 months
Text
Tumblr media
बकरीद जैसी तमाम कुप्रथाएं जिनको माध्यम बनाकर निर्दोष जीवों की हत्या होती है, उनको तुरंत बंद करना चाहिए।
अन्यथा निर्दोष जीवों की हत्या से होने वाला पाप मानवता के लिए खतरा बन जायेगा।
अधिक जानकारी (मालूमात) के लिए पढ़ें पाक किताब "मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कुरआन"..
0 notes