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#एक तो महामारी से संक्रमित होने का डर
rajkaranparjapati · 4 months
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ramkaranjangra · 5 months
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#मानसिक_शांति_नहींतो_कुछनहीं
वर्तमान में लोगों को परेशान करने वाली 3 बजह हैं एक तो महामारी से संक्रमित होने का डर दूसरा नौकरी और कारोबार को लेकर अनिश्चित और तीसरा अकेलापन हम इन सभी समस्याओं से निजात पा सकते हैं!
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rajendersahab8 · 1 year
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#GodMorningMonday
एक तो महामारी से संक्रमित होने का डर, दूसरा नौकरी और कारोबार को लेकर अनिश्चितता और तीसरा अकेलापन।
हम इन सभी समस्याओं से निजात पा सकते है क्योंकि हमा���ा वास्तविक मित्र पूर्ण परमात्मा है जो हमारी सारी बाधाओं को दूर करके हमें वास्तविक सुख प्रदान करता है।
अवश्य पढ़े पवित्र पुस्तक "ज्ञान गंगा"।
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coralsoulrebel · 1 year
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#GodMorningMonday
एक तो महामारी से संक्रमित होने का डर, दूसरा नौकरी और कारोबार को लेकर अनिश्चितता और तीसरा अकेलापन।
हम इन सभी समस्याओं से निजात पा सकते है क्योंकि हमारा वास्तविक मित्र पूर्ण परमात्मा है जो हमारी सारी बाधाओं को दूर करके हमें वास्तविक सुख प्रदान करता है।
अवश्य पढ़े पवित्र पुस्तक "ज्ञान गंगा"।
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savita1966 · 1 year
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#GodMorningSaturday
एक तो महामारी से संक्रमित होने का डर, दूसरा नौकरी और कारोबार को लेकर अनिश्चितता और तीसरा अकेलापन।
हम इन सभी समस्याओं से निजात पा सकते है क्योंकि हमारा वास्तविक मित्र पूर्ण परमात्मा है जो हमारी सारी बाधाओं को दूर करके हमें वास्तविक सुख प्रदान करता है।
जानने के लिए अवश्य पढ़ें पुस्तक जीने की राह📕
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lalitasahu · 1 year
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#GodMorningMonday
एक तो महामारी से संक्रमित होने का डर, दूसरा नौकरी और कारोबार को लेकर अनिश्चितता और तीसरा अकेलापन।
हम इन सभी समस्याओं से निजात पा सकते है क्योंकि हमारा वास्तविक मित्र पूर्ण परमात्मा है जो हमारी सारी बाधाओं को दूर करके हमें वास्तविक सुख प्रदान करता है।
अवश्य पढ़े
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parbhjotsingh09 · 1 year
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#GodMorningMonday
एक तो महामारी से संक्रमित होने का डर, दूसरा नौकरी और कारोबार को लेकर अनिश्चितता और तीसरा अकेलापन।
हम इन सभी समस्याओं से निजात पा सकते है
पूर्ण सतगुरु से नाम उपदेश लेकर सत भक्ति करने से हमारी सभी समस्याएं दूर हो सकते हैं
अवश्य पढ़े पवित्र पुस्तक "ज्ञान गंगा"।
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abhay121996-blog · 3 years
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इस हॉस्पिटल में मरीजों को खुद अपने हाथों से खाना खिलाती हैं नर्सें, बढ़ाती रहती हैं हौसला Divya Sandesh
#Divyasandesh
इस हॉस्पिटल में मरीजों को खुद अपने हाथों से खाना खिलाती हैं नर्सें, बढ़ाती रहती हैं हौसला
चाहे शाहीन हों, शबनम या कोई और, सब के सब फ्लोरेंस नाइटेंगल का रूप नजर आती हैं। मरीज को अपने हाथ से खाना खिलाती हैं। अस्पताल सच में बेमिसाल है…। आरएसएस के एक पदाधिकारी जब लखनऊ के एरा अस्पताल से ठीक होकर गए तो उन्होंने ये बातें लोगों को बताई। ट्विटर पर भी इसका खूब जिक्र हो रहा है। बाकी अस्पतालों से इतर एरा मेडिकल कॉलेज ने कोरोना मैनेजमेंट का अपना अलग ही निजाम बनाया है। पर्सनल केयर से लेकर डाइट मैनेजमेंट तक पर खूब रिसर्च कर प्रोटोकॉल तैयार किए गए हैं। हर मरीज की कैमरे से निगरानी हो रही है। एरा के इसी कोविड मैनेजमेंट पर एक रिपोर्ट :पॉजिटिव सोच के सहारे कोई भी जंग जीतना मुश्किल नहीं है। एनबीटी ने लोगों के कोरोना से जुड़ी कहानियों और इससे लड़ने का तरीका शेयर करने के लिए कहा था। यहां लोगों ने खुलकर बताया कि कैसे उन्होंने डबल मास्क लगाकर, दूरी बनाकर, लगातार काम कर इस अनदेखे दुश्मन से जंग जीती। देखें ऐसी ही हौसले वालीं कुछ कहानियां।चाहे शाहीन हों, शबनम या कोई और, सब के सब फ्लोरेंस नाइटेंगल का रूप नजर आती हैं। मरीज को अपने हाथ से खाना खिलाती हैं। अस्पताल सच में बेमिसाल है…। आरएसएस के एक पदाधिकारी जब लखनऊ के एरा अस्पताल से ठीक होकर गए तो उन्होंने ये बातें लोगों को बताई। ट्विटर पर भी इसका खूब जिक्र हो रहा है। बाकी अस्पतालों से इतर एरा मेडिकल कॉलेज ने कोरोना मैनेजमेंट का अपना अलग ही निजाम बनाया है। पर्सनल केयर से लेकर डाइट मैनेजमेंट तक पर खूब रिसर्च कर प्रोटोकॉल तैयार किए गए हैं। हर मरीज की कैमरे से निगरानी हो रही है। एरा के इसी कोविड मैनेजमेंट पर एक रिपोर्ट :नर्सों को दी गई खास ट्रेनिंगएरा में पर्सनल केयर को खास तरजीह दी गई है। इसी के चलते नर्सों के लिए विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम तैयार किया गया है। इसके तहत क्रिटिकल मरीज जो ढंग से खाना-पीना नहीं करते या निराशा के कारण खाना छोड़ देते हैं, उन्हें ये नर्स खुद खाना खिलाती हैं। साथ ही, उनका मनोबल बढ़ाने के लिए उनकी काउंसलिंग भी की जाती है। उन्हें बताया जाता है कि खाना पेट भरने के लिए नहीं दिया जाता, बल्कि आपकी दवा का एक हिस्सा है। इस पर्सनल केयर को पुख्ता करने के लिए हर वॉर्ड में एचडी कैमरे भी लगाए गए हैं। इससे मरीज अगर सो भी रहा है तो भी कंट्रोल रूम में टीम निगरानी करती है। अगर सोते हुए किसी मरीज का ऑक्सिजन मास्क हट जाता है तो तुरंत कैमरे में देखकर उस वॉर्ड की टीम को इसकी जानकारी दी जाती है और मरीज तक पर पहुंचकर मास्क ठीक किया जाता है। इससे काफी हद तक लापरवाही से होने वाली मौतों को बचा लिया जा रहा है।​150 तरह की डाइट की गई तैयारयहां के अडिशनल डायरेक्टर जॉ अली खान ने बताया कि हमारी एक रिसर्च टीम है जो हर दिन कोविड से जुड़े दुनियाभर के शोध पत्रों को पढ़ती है। उसके आधार पर हम डाइट और मेडिसिन में बदलाव करते हैं। शोध के आधार पर हमने 150 तरह की डाइट तैयार की है। यानी कोविड के साथ बीपी है तो उसकी अलग डाइट होगी, अगर शुगर है तो अलग, किडनी की दिक्कत है तो अलग डाइट दी जाएगी। इसी तरह एक सप्लिमेंट चार्ट भी तैयार किया गया है। ये सप्लिमेंट वह है जो आयुर्वेद और अन्य शोधों के माध्यम से पुष्ट किए जा चुके हैं। जैसे हल्दी में करक्यूमिन, ग्रीन टी में ईजीसीजी, अदरक में जिंजरॉल और कलौंजी में थाईमोक्विनोन होता है। ये सभी आईएलसिक्स कंपाउंड को नियंत्रित करते हैं। इससे इम्यून सिस्टम बेहतर होता है। ऐसे ही कंपाउंड का हमने पूरा सप्लिमेंट चार्ट कोविड मरीजों के लिए बनाया है कि कब कितना और क्या लेना है। अस्पताल के लिंक https://erauniversity.in/covid19 पर जाकर इसे सामान्य लोग भी अपना सकते हैं।डैशबोर्ड पर दिखती है मरीजों की हालतजॉ अली खान ने बताया कि कोविड मैनेजमेंट के लिए हमने अस्पताल में हमने एक डैशबोर्ड तैयार किया है। इस डैशबोर्ड पर सारे मरीजों की लिस्ट है, रंगों के माध्यम से इस पर हम दर्शाते हैं कि किसे क्या बीमारी है, और उसका डायग्नोसिस भी इसी डैशबोर्ड पर रहता है। इसे सभी डॉक्टर देखते हैं। डायटीशियन इसी को देखकर उस मरीज का डाइट प्लान तैयार करता है। उसके बाद एक पूरा मैकेनिज्म है जिससे मरीज तक सारी दवाएं और प्रस्तावित डाइट उस तक पहुंचती हैं, जिसकी मॉनिटरिंग के लिए अलग-अलग लोग तैनात किए गए हैं। (रिपोर्टः जीशान रायिनी)ड्यूटी के दौरान पॉजिटिव हुए पति, पत्नी ने रोजा रखते हुए की सेवाड्यूटी के दौरान पति कोरोना पॉजिटिव हो गए, तो वह पत्नी सेवा में लग गईं जो खुद रमजान के पवित्र महीने में रोजा रखती थीं। उनपर अहम जिम्मेदारियां भी थीं, क्योंकि खुद को भी सुरक्षित रखना था और जॉइंट फैमिली के बाकी मेंबर्स को भी। हालांकि उन्होंने यह भूमिका बखूबी निभाई और तब तक पति की सेवा की जब तब वह ठीक नहीं हो गए। हम बात कर रहे हैं ईस्ट दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में रहने वाले मोहम्मद अकरम की, जो ईस्ट दिल्ली डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ऑफिस की डिजास्टर मैनेजमेंट टीम का हिस्सा हैं। वह कहते हैं कि ड्यूटी के दौरान ही उन्हें कोरोना पॉजिटिव होने की बात पता चली, मगर अधिकारियों की सलाह और सहकर्मियों से मिली मदद ने उन्हें कमजोर नहीं पड़ने दिया। डॉक्टरों की सलाह लेकर घर पर ही इलाज किया और अब ठीक होकर फिर से ��्यूटी पर तैनात होने के तैयार हैं। वह कहते हैं कि एक बार उन्हें जरूर डर लगा कि घर में बुजुर्ग माता-पिता हैं और भाई के छोटे-छोटे बच्चे भी। मगर उन्होंने खुद को आइसोलेट कर लिया।34 वर्षीय अकरम बताते हैं कि वह डिजास्टर मैनेजमेंट की क्विक रिस्पॉन्स टीम का हिस्सा हैं। 18 अप्रैल को जिस दिन उन्हें कोरोना के सिमटम फील हुए, तब भी वह ड्यूटी पर थे। दो इमरजेंसी कॉल अटेंड करने के बाद मौके पर टीम के साथ पहुंचे थे। इसमें एक कोंडली नहर में किसी के डूबने की कॉल थी और दूसरी खिचड़ीपुर गांव में आगजनी की घटना। उन्हें पता नहीं चला कि कब किसके संपर्क में आए मगर बुखार, शरीर में जकड़न और चक्कर आने जैसे सिमटम थे, तो जांच कराई और रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। मगर वह कहते हैं कि ऑफिस से पूरा सपोर्ट मिला, जिसके बाद वह छुट्टी लेकर घर गए और आइसोलेट हो गए। पत्नी साबरा ने उनकी पूरी केयर की जिम्मेदारी संभाल ली। वह कहते हैं कि रमजान का महीना था, तो इसे ऊपरवाले की कृपा ही मानेंगे कि वह पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। उन्होंने फेसबुक पर भी पोस्ट शेयर करते हुए साथियों से अपने लिए दुआ करने की अपील की। जिस तरह से लोगों का सपोर्ट मिला, उन्हें बहुत हिम्मत मिली। डिस्पेंसरी से दवाएं और सलाह ली। साथी विनोद कुमार, जो पहले पॉजिटिव रह चुके थे, उन्होंने डॉक्टर से दवाएं लिखाकर ट्रीटमेंट दिलाया। एक फोन कॉल पर सहकर्मी सैनिटाइजर, दवाएं और फल आदि पहुंचा रहे थे। कभी उन्होंने नेगेटिव बात नहीं की, हमेशा मनोबल बढ़ाया। उनकी सीनियर डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट ऑफिसर अंजलि दिवाकर और प्रोजेक्ट ऑफिसर श्रीवृद्धि शर्मा ने पूरा सपोर्ट किया। (रिपोर्टः सचिन त्रिवेदी)खुद हुए संक्रमित, पर युवाओं की टीम ने नहीं खींचे मदद के हाथआउटर दिल्ली के घोघा गांव के रहने वाले युवाओं की एक टोली पिछले कई दिनों से जरूरतमंद लोगों तक मदद पहुंचाने में दिन-रात जुटी है। होम आइसोलेशन के मरीजों के लिए ऑक्सिजन की सप्लाई हो या फिर दवाइयां और खाने की व्यवस्था। ये लोग फौरन उन तक पहुंचकर मदद मुहैया कराते हैं। घोघा गांव के रवीश भारद्वाज अपने भाई लोकेश भारद्वाज और दोस्त रवि स्वामी, नवीन भारद्वाज के साथ आउटर दिल्ली के जिन गांवों से मदद की कॉल आती है, फौरन उन तक पहुंच जाते हैं। चाहे किसी को ऑक्सिजन सिलिंडर की जरूरत हो या अस्पताल में एडमिट कराने की। रवीश बताते हैं कि उन्होंने इसकी शुरुआत अपने आसपास के एक-दो गांव के लिए की थी, क्योंकि अस्पतालों की भारी कमी है। वायरस की चपेट में आए ज्यादातर लोग होम आइसोलेट ही हैं। उन्हें ऑक्सिजन मुहैया नहीं हो पाता। रवीश ने अपने करीब 50 दोस्तों का एक वॉट्सऐप ग्रुप तैयार किया हुआ है, जिसका नाम उन्होंने ‘रैपिड एक्शन भाईचारा’ रखा है। इसमें 20 सदस्य हमेशा एक्टिव रहते हैं। कुछ लोग सरकारी नौकरियों में हैं, ऐसे में वे खुलकर तो लोगों की मदद नहीं करते, लेकिन वे हमें ऑक्सिजन मुहैया करवाने से लेकर अस्पतालों में एडमिट करवाने तक में मदद करते हैं। उनकी मदद से हम क्रिटिकल मरीजों को फौरन अस्पताल में एडमिट करवाते हैं।उन्होंने बताया कि वह संत गंगाराम कॉन्वेंट नाम से एक स्कूल चलाते हैं। नरेला के सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल में उन्हें एंबुलेंस की कमी महसूस हुई, लोग एंबुलेंस के लिए इधर-उधर भटकते थे। इसे देखते हुए उन्होंने अपने स्कूल वैन को ही एंबुलेंस में कन्वर्ट करके हॉस्पिटल प्रशासन को दान कर दिया है। रवीश पिछले साल भी जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए आगे बढ़कर आए थे। इस दौरान वह और उनके बड़े भाई लोकेश कोरोना संक्रमित हो गए थे। लेकिन उन्होंने लोगों की मदद नहीं छोड़ी। प्रतिदिन उनकी टीम आउटर दिल्ली के इलाकों में रहने वाले मरीजों के लिए 50 से अधिक ऑक्सिजन सिलिंडर व जरूरतमं�� मरीजों को प्लाज्मा मुहैया कराते हैं। वे कहते हैं कि अगर अस्पतालों में एंबुलेंस की कमी है तो मैं स्कूल चला रहे लोगों से अपील करता हूं कि वे अपनी स्कूल वैन को एंबुलेंस में कन्वर्ट कर दें तो दिल्ली के अस्पतालों से एंबुलेंस की किल्लत भी खत्म हो जाएगी। हम सबको इस महामारी में साथ मिलकर लड़ाई लड़नी होगी। (रिपोर्टः राजेश पोद्दार)’ऐसा लगता है कोरोना मरीज को मेरी मां ने ऑक्सिजन देकर जिंदगी दी है’ऐसे लगता है, जैसे यह ऑक्सिजन सिलिंडर नहीं बल्कि ‘मेरी मां है’। मेरी मां ही उखड़ती सांसों को ऑक्सिजन दे रही हैं। यह शब्द हैं जयवीर कसाना के। मूलरूप से गाजियाबाद के सकलपुरा के रहने वाले जयवीर दिल्ली के संगम विहार में पिछले 15 साल से परिवार के साथ रह रहे हैं। उनका बिल्डिंग मटीरियल का कारोबार है। गांव में तीन भाई रहते हैं। खेती बाड़ी संभालते हैं। जयवीर के मुताबिक, मेरी मां रोशनी देवी को अस्थमा की बीमारी थी। काफी समय इधर उधर इलाज कराया। चूंकि मौसम जब भी खराब होता तो मां को ऑक्सिनज की जरूरत पड़ती थी। मां उन दिनों गांव में ही रहती थीं। तबीयत खराब होने पर आसपास के अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता था। उस दिक्कत की वजह से जयवीर ने 2012 में सबसे बड़ा ऑक्सिजन सिलिंडर खरीद लिया। उस सिलिंडर को तुगलकाबाद एक्सटेंशन से भरवा लिया करते थे। इस ऑक्सिजन सिलिंडर के दम पर मां 2014 तक सांस लेती रहीं। उसी साल उनका निधन हो गया। मां के जाने के बाद सिलिंडर घर के एक कोने में कई साल तक रखा रहा। कमरे में रखा सिलिंडर अक्सर मां के होने का अहसास कराता था।जयवीर के मुताबिक, कभी सोचा ही नहीं था कि यह जो सिलिंडर रखा है, आने वाले वक्त में न जाने कितनों की उखड़ती सांसों को ऑक्सिजन देगा। इसके बाद वह ऑक्सिजन चाचा के काम आया। उन्हें कैंसर की बीमारी थी। अब आकर कोरोना महामारी ने जैसे हर तरफ हाहाकार मचाया। ऑक्सिजन के लिए लोगों को तड़पते देखा। जयवीर ने सोशल मीडिया और जानकारों को बताया कि अगर किसी को अर्जेंट जरूरत है तो फुल साइज का सबसे बड़ा सिलेंडर उनके पास उपलब्ध है। इसके बाद कई लोगों ने उनसे संपर्क किया। इधर एक पेशेंट का ऑक्सिजन लेवल 65 पर चला गया। जयवीर को पता चला। वह तुरंत अपनी कार से गांव गए और जगह जगह चेकिंग के बावजूद उस सिलिंडर को दिल्ली लाकर भरवाया फिर पेशेंट को दिया। एक बार में भरा हुआ सिलेंडर तीन चार दिन तक पेशेंट को राहत देता है। अनजान फरिश्ता बनकर जयवीर उसी सिलिंडर को जरूरतमंदों तक पहुंचाने लगे। जयवीर कहते हैं, दिल को सुकून है। यह ऑक्सिजन सिलिंडर से आज भी अपनी मां के होने का अहसास बना रहता है। ऐसा लगता है कि उस पेशेंट को मेरी मां ने ऑक्सिजन देकर जिंदगी दी है। अभी तक हमने अनजान लोगों को ही मदद की है। अब भी जारी है। (रिपोर्टः विशाल शर्मा)कोविड टेस्ट में मददगार बनी वकीलों की संस्था, फ्री में कर रहे सेवाकोविड-19 की टेस्ट रिपोर्ट के लिए इन दिनों लंबी वेटिंग है। लोगों को 10-12 दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है। इस दिक्कत को वकीलों की एक कानूनी संस्था ‘न्याय शासनम’ ने आसान बनाने की कोशिश की है। यह संस्था रैपिड एंटीजन रिपोर्ट महज 60 मिनट में उपलब्ध करा रही है, जबकि आरटीपीसीआर रिपोर्ट 48-72 घंटे के भीतर उपलब्ध करा रही है। यह सुविधा बिल्कुल फ्री है। जांच रिपोर्ट का पूरा खर्च संस्था उठा रही है। दर्जनों लोग इसका लाभ उठा चुके हैं। न्याय शासनम की टीम के ईशा जैन, शैंकी जैन, अजय गौड़, विकास गोयल, मनीष जैन और विकास वर्मा सहित अन्य सदस्य संकट की इस स्थिति में लोगों को जितनी जल्दी हो सके, जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने में जुटे हुए हैं। इसके लिए संस्था ने लोनी रोड एमआईजी फ्लैट नंबर बी-753 को कोविड टेस्ट और सैंपल कलेक्शन सेंटर के रूप में तब्दील कर दिया है। अभी तक इस ऑफिस में लोगों को कानूनी सलाह देने का काम किया जा रहा था।संस्था के सदस्य एडवोकेट शैंकी जैन ने बताया कि हर दिन वे देख रहे थे कि लोगों को जांच रिपोर्ट के लिए कितना लंबा इतजार करना पड़ रहा है। इसलिए उन्होंने लोगों को जल्द से जल्द टेस्ट रिपोर्ट उपलब्ध कराने की दिशा में काम करना शुरू किया। इस काम में उन्हें टीम के बाकी साथियों की भी भरपूर मदद मिल रही है। इसके लिए ऑफिस को ही कोरोना सैंपल और टेस्ट रिपोर्ट सेंटर में तब्दील किया गया। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति हमारी सेवाएं ले सकता है। एंटीजन रिपोर्ट एक घंटे में और आरटीपीसीआर रिपोर्ट 48-72 घंटे में बिल्कुल फ्री उपलब्ध कराई जा रही है। आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति के पास अगर उनके ऑफिस आने का किराया नहीं है तो उनकी संस्था ऐसे जरूरतमंद लोगों को आने-जाने का किराया भी देती है। साथ ही, जिन लोगों के पास ऑक्सिजन सिलिंडर रखा हुआ है, उनसे भी सहयोग लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति उन्हें 9312869696 पर कॉल भी कर सकता है। (रिपोर्टः राजेश सरोहा)
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rajendersahab8 · 1 year
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#GodMorningMonday
एक तो महामारी से संक्रमित होने का डर, दूसरा नौकरी और कारोबार को लेकर अनिश्चितता और तीसरा अकेलापन।
हम इन सभी समस्याओं से निजात पा सकते है क्योंकि हमारा वास्तविक मित्र पूर्ण परमात्मा है जो हमारी सारी बाधाओं को दूर करके हमें वास्तविक सुख प्रदान करता है।
अवश्य पढ़े पवित्र पुस्तक "ज्ञान गंगा"।
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poojakus · 3 years
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#HowToFindMentalPeace
वर्तमान में लोगों को परेशान करने वाली 3 बजे हैं
एक तो महामारी से संक्रमित होने का डर दूसरा नौकरी और कारोबार को लेकर अनिश्चितता और तीसरा अकेलापन हम इन सभी समस्याओं से निजात पा सकते हैं क्योंकि हमारा वास्तविक मित्र पूर्ण परमात्मा है जो हमारी सारी बाधाओं को दूर करके हमें वास्तविक सुख प्रदान करता है
अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
@SaintRampalJiM
🎀Must Watch Sadhna TV🖥️ at 7:30 Pm.
Sant Rampal Ji Maharaj
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vinay-baranda · 3 years
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Watch "Sant Rampal Ji's 2011 Satsangs | 15 to 17 April 2011 HD | Episode - 07 | SATLOK ASHRAM" on YouTube
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#SaintRampalJiQuotes
एक तो महामारी से संक्रमित होने का डर, दूसरा नौकरी और कारोबार को लेकर अनिश्चितता और तीसरा अकेलापन । हम इन सभी समस्याओं से निजात पा सकते हैं क्योंकि हमारा वास्तविक मित्र पूर्ण परमात्मा है,
अवश्य पढ़ें ‘‘ज्ञान गंगा”।
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sunil-kashyap · 3 years
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वर्तमान में लोगों को परेशान करने वाली तीन वज हैं । एक तो महामारी से संक्रमित होने का डर , दूसरा नौकरी और कारोबार को लेकर अनिश्चितता और तीसरा अकेलापन । हम इन सभी समस्याओं से निजात पा सकते हैं क्योंकि हमारा वास्तविक मित्र पूर्ण परमात्मा है #anxiety #emotion #anger #stress #feelings #healing #depression #depressionhelp #coping #trauma #mentalhealthtips #mentalhealth #mentalhealthawareness #heartbroken #relationshipquotes #lonely #hurt #breakthestigma #dark #sad #suicide #soulhealing #naturalhealing #healthylife  #love #life #SaintRampalJi #KabirIsGod #SantRampalJiMaharaj (at यार त आपनी जिंदगी नुए मोज म काटेगा) https://www.instagram.com/p/CO-arIhliXa/?igshid=q0ao85pqylm1
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therakshpati · 3 years
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कोरोना से लड़ाई भारतीय नेताओं को नॉर्वे से सीखना चाहिए !
हमारे देश को हम सदा से विश्व गुरु कहते आए हैं।  हम वो प्राचीन सभ्यता हैं जिन्होंने दुनिया को बहुत कुछ दिया और कई चीज़ों में शिक्षित भी किया।  भारत आज भी उसी तरह के गुरु व् पंडित उत्पन्न कर रहा है और आज भी भारत के "वसुधैव कुटुम्बकम्" के उद्घोष को कोई भी प्रश्न नहीं कर सकता।
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कोरोना महामारी के बीच न केवल भारतीयों को वैक्सीन दी जा रही है अपितु विश्व के कोने कोने में इसे पहुंचाया गया। पर क्या हम सभी उतने शिक्षित व् सभ्य हैं की हमारे देश को विश्व गुरु का तमका दिया जा सके या यह सम्मान केवल उन महान लोगों के कारण पुरे देश को मिला है जिन्होंने स्वयं को पीछे छोड़ कर पुरे देश, पुरे विश्व को अपना परिवार मानते हुए उनके उत्थान और उन्नति के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया? पर क्या आम भारतीय उतना समर्पित या समझदार है?
यह प्रश्न इस समय इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्यूंकि कोरोना जैसी महामारी से लड़ते हुए हमें करीब एक साल से ऊपर का समय हो गया लेकिन आज भी इस समस्या की जड़ वहीँ है जहाँ शुरुआत में थी।
आम हो या खास , हिंदुस्तानी, अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति का हवाला देता हुआ न मास्क पहनता है, न सामाजिक दुरी का पालन करता है। कुछ तो इस महामारी के होने से भी इंकार कर देते हैं की है ही नहीं यह सब। परन्तु जिस के कारण पूरी दुनिया में करोड़ो संक्रमित हो गए और लाखों मर गए उसे केवल एक भ्रान्ति समझना एक भूल होगी। टाइम्स ऑफ़ इंडिया के सर्वे के अनुसार किसी 64 प्रतिशत लोग मास्क तो पहनते हैं लेकिन अपना नाक नहीं ढकते, करीब 20 प्रतिशत तो मुँह भी न ढक कर अपनी थोडी में उसे लगाए रखते हैं, केवल 14  प्रतिशत ही ऐसे ही जो इसे पूरी सही तरह से लगाते हैं।
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लेकिन यह तो केवल ���ंकड़े हैं और वो भी जनता के , जनता , जिसके समय समय पर चालान काटे जाते हैं , और कई बार डंडा परेड भी हो जाती है।  लेकिन देश अपने नेताओं की वजह से जाना जाता है, नेता ही वो लोग हैं जो विश्व भर में  हमारा प्रतिनिधित्व करते हैं। हमारे भारत में सरकार और प्रशासन अपनी और से सभी तरह की औपचारिक सलाहें तो देते हैं कोरोना से बचने के लिए लेकिन जब प्रजातंत्र से चुने हुए प्रतिनिधि यह सलाह , यह नियम तोड़ते हैं तो प्रशासन कुछ नहीं कहता। अमूमन देखने में आया है की केवल स्कूलों में कोरोना फैलने का डर है लेकिन जब हम चुनावी रैलियों की बात करें तो हज़ारों की भीड़ में मजाल किसी को कोरोना हो और मज़ाल कोई मास्क न पहने और उसका चालान हो जाये।  बड़ा सवाल उन राजनेताओं पर आता है जो किसी भी पार्टी लाइन से परे हैं , दल कोई भी हो लेकिन यह अवश्य है की कोरोना की दिशानिर्देश न नेता मानते हैं न उनके समर्थक।
ऐसे में भारत क्या सीखा रहा है दुनिया को? शायद हमें अपने से बहुत छोटे देश से यहाँ सीखने की आवश्यकता है।  नॉर्वे की प्रधानमंत्री ने एक पार्टी दी , वहां 10  लोगों से ज़्यादा पर पाबन्दी है लेकिन उनकी पार्टी में 13 लोग पहुँच गए। शायद विश्वास करना मुश्किल हो लेकिन उनका चालान काटा गया, वहां की मुद्रा में 20000 का यानि भारतीय मुद्रा में एक लाख 78  हज़ार से ज़्यादा। भारत में ऐसा किया गया होता तो शायद नेता तबादला कर देते या फिर सीधा निलंबन कर देते अधिकारी का परन्तु वहां के प्रधानमंत्री ने न केवल चालान भुक्ता बल्कि फेसबुक पर एक माफ़ी भी लिखी।  
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इस सन्दर्भ में जहाँ भारत की बात की जाए तो केंद्र हो या राज्य सरकार , जहाँ चुनाव हैं वहां शायद कोरोना नहीं है और जहाँ चुनाव नहीं हैं वहां पर पाबंदियां।  इन्ही दोहरे मापदंडों ने हमें अभी तक इस बीमारी पर पकड़ नहीं पाने दी और यदि यही सब रहा तो शायद कभी पा भी नहीं पाएंगे।  अंत में केवल इतना लिखना चाहूंगा की हमारे नेताओं को भी आदर्श बन कर अपने दिए गए निर्देशों का सख्ती से पालन करना पड़ेगा तभी शायद एक सही और ताकतवर सन्देश जाएगा हमारी जनता को।  और तब शायद हम लोग , आर्थिकी को भी ठीक रख कर अपने आप को इस महामारी में सुरक्षित रख पाएंगे। जय हिन्द
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its-axplore · 4 years
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बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 25 सितंबर काे चुनाव आचार संहिता लग था। करीब 47 दिन तक यानी 10 नवंबर तक चुनाव आचार संहिता लागू रहा। साेशल डिस्टेंसिंग कम हुआ। चुनाव प्रचार करने वाले नेता व वाेटराें ने मास्क पहनने काे तरजीह नहीं दी। इसका नतीजा यह हुआ कि इन 47 दिनाें में पटना में 11678 काेराेना मरीज मिले, यानी औसतन 249 मरीज।
इसे देखते हुए दीपावली और छठ में भारी भीड़ काे देखकर जाे डर सता रहा था, उससे कुछ राहत मिली। 12 नवंबर काे धनतेरस था, 14 काे दीपावाली और 20-21 नवंबर काे लाेकास्था का महापर्व छठ। दीपावाली व छठ में राजधानी में भीड़ काे देखते हुए यह आशंका थी कि पटना में काेराेना के आंकड़ाें का विस्फाेट हाेगा, पर आंकड़े इस ओर इशारे नहीं करते हैं। पटना में 12 से 21 नवंबर के बीच 1649 मरीज मिले, यानी औसतन करीब 165 मरीज।
इस तरह पूरी चुनावी प्रक्रिया के दाैरान दीपावली व छठ के मुकाबले पटना में 50 फीसदी काराेना मरीज अधिक मिले। चुनाव के दाैरान जहां राेजाना 251 मरीज ठीक हुए, वहीं दीपावली और छठ के दाैरान राेजाना 163 मरीज रिकवर हुए। 27 नवंबर से 3 दिसंबर के बीच शादी के मौसम के बावजूद पटना में 864 मरीज मिले, यानी औसतन राेजाना 123 मरीज ही मिले।
हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा कोरोना को लेकर हो रही कार्रवाई का ब्योरा
पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कोरोना को नियंत्रित करने के लिए की जा रही कार्रवाई का अद्यतन ब्योरा फिर से पेश करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस संजय करोल तथा जस्टिस एस. कुमार की खंडपीठ ने दिनेश कुमार सिंह तथा अन्य की ओर से दायर पीआईएल पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।
��ंगलवार को हुई सुनवाई में राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि सूबे के सभी जिलों में कोरोना महामारी को नियंत्रित करने के लिए लगातार टेस्ट और अन्य कार्रवाई की जा रही है। कोर्ट ने कहा कि यह सब कितना पर्याप्त है, यह तो तभी पता चलेगा जब इसका विस्तृत ब्योरा प्राप्त होगा। इस मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी। उस दिन सरकार को विस्तृत ब्योरा पेश करना होगा।
263 नए मरीज मिले, छह संक्रमितों की हुई मौत, पीएमसीएच में दो डॉक्टर समेत 17 पॉजिटिव
पटना के विभिन्न इलाकों में मंगलवार को कोरोना के 263 नए मरीज मिले हैं। कोरोना के अभी 1975 एक्टिव केस हैं। पीएमसीएच में 1272 सैंपल की जांच हुई। इसमें 28 सैंपल की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। जिसमें पीएमसीएच के दो डॉक्टर समेत 17 मरीज संक्रमित हुए हैं।
पीएमसीएच के कोविड अस्पताल में 23 मरीज भर्ती हैं। एक अगमकुआं की रहने वाली 20 साल की युवती श्वेता सिन्हा की मौत हुई है। पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. विमल कारक की रिपोर्ट मंगलवार को निगेटिव आई है। घर में ही इनका इलाज चल रहा था। एम्स में 1642 सैंपल की जांच हुई।
इसमें 310 सैंपल ड्राइ निकल गया। इसलिए 1332 सैंपल की जांच हुई। इसमें 22 सैंपल की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। एम्स में नौ नए मरीज भर्ती हुए हैं। इसमें छह मरीज पटना के हैं। ठीक होने पर एम्स की सीनियर फैकल्टी डॉ.पूनम वर्मा समेत 13 मरीजों को छुट्टी मिली है।
शहर और सटे इलाकाें में सबसे ज्यादा बढ़ा काेराेना का संक्रमण
पटना के शहरी और उससे सटे इलाकों में सबसे ज्यादा कोरोना का संक्रमण बढ़ा है। अभी छह ब्लाॅक में कोरोना अपनी बढ़त बनाए हुए है। सबसे अधिक कोरोना का संक्रमण पटना सदर में है। इसके बाद दूसरे नंबर पर दानापुर और तीसरे पर फुलवारीशरीफ है।
दानापुर और बिहटा में 10 दिन में कोरोना संक्रमितों की संख्या दोगुनी हो गई है। हालांकि, इससे पहले पटना सदर के बाद बाढ़ दूसरे नंबर था, पर वह तीसरे नंबर पर आ गया है। वहीं दानापुर दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। 10 दिन पहले बाढ़ में संक्रमितों की संख्या 68 थी, जो अब 23 पर पहुंच गई है।
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Corona patients increased more than festivals in Patna, more than one and a half times more infected
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