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गोवर्धन पूजा 2022: इस अवसर के लिए शुभकामनाएं, उद्धरण, संदेश, एचडी चित्र, फेसबुक और व्हाट्सएप स्थिति
गोवर्धन पूजा 2022: इस अवसर के लिए शुभकामनाएं, उद्धरण, संदेश, एचडी चित्र, फेसबुक और व्हाट्सएप स्थिति
भारत में 26 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा मनाई जा रही है
गोवर्धन पूजा 2022: भगवान कृष्ण की पूजा के लिए समर्पित शुभ अवसर गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को मनाई जाएगी। सूर्य ग्रहण के कारण बुधवार को उत्सव होगा और भाई दूज भी उसी दिन पड़ेगा। हिंदू शास्त्रों के अनुसार और भागवत पुराण में वर्णित, गोवर्धन पूजा को मुख्य रूप से भगवान कृष्ण के साथ पहचाना जाता है। उन्होंने इंद्र के प्रचंड क्रोध से शरण लेने वालों की रक्षा…
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पश्चिम बंगाल में भारी बारिश की संभावना, क्योंकि चक्रवात 'सीतांग' का खतरा बड़े भीगने वाले उत्सवों के लिए है
पश्चिम बंगाल में भारी बारिश की संभावना, क्योंकि चक्रवात ‘सीतांग’ का खतरा बड़े भीगने वाले उत्सवों के लिए है
द्वारा पीटीआई
कोलकाता: पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्रों में 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से भारी बारिश और हवा के झोंके आने की संभावना है क्योंकि रविवार शाम तक बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक गहरा दबाव एक संभावित चक्रवात में बदल जाता है, जिससे राज्य के बड़े हिस्से में काली पूजा और दिवाली उत्सव प्रभावित होते हैं। .
आईएमडी ने कहा कि मौसम प्रणाली, जो रविवार की सुबह सागर द्वीप से 700 किमी दक्षिण में स्थित है…
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YouTube : https://youtu.be/tsE8xZKqExs?si=PlhyleM2vgX17QJU
लखनऊ, 12.11.2023 दीपावली के शुभ अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एण्ड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के इन्दिरा नगर स्थित कार्यालय में "लक्ष्मी गणेश पूजा" का आयोजन किया गया । पूजा के क्रम में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और स्वयंसेवकों ने लक्ष्मी गणेश जी की विधिवत पूजा की, प्रसाद वितरित किया तथा देश की समृद्धि और खुशहाली के लिए लक्ष्मी गणेश जी से प्रार्थना की। पंडित दिग्विजय नाथ तिवारी ने पूरे विधि-विधान से पूजा करायी और सभी को आशीर्वाद दिया |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी देशवासियों को दीपावली के शुभ अवसर की बधाई दी व कहा कि "दीपावली खुशियों एवं रोशनी का प्रतीक है | आज के ही दिन मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम जी लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या वापस आए थे, इसी खुशी में अयोध्या वासियों ने घी के दीए जलाए थे | हमारे माननीय यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी एवं मुख्यमंत्री माननीय श्री योगी आदित्यनाथ जी ने रामराज्य की आधारशिला को मजबूत किया है और उनके नेतृत्व में अयोध्या में प्रतिवर्ष मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम जी के आगमन दिवस को अत्यंत हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है जिसमे श्रीराम की पावन जन्मस्थली पर भव्य एवं दिव्य दीपोत्सव का आयोजन, प्रभु श्रीराम, माता सीता जी एवं श्री लक्ष्मण जी के स्वरूपों का पूजन, आरती एवं प्रतीकात्मक राज्याभिषेक, श्री अयोध्या धाम में सरयू जी की आरती अलौकिक है | यह हम भारतवासियों के लिए अत्यंत गर्व की बात है कि जल्द ही अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण संपूर्ण हो जाएगा और हम सभी उस ऐतिहासिक पल के साक्षी होंगे | माननीय यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की परिकल्पना को साकार किया है | श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने समस्त देश एवं प्रदेशवासियों को आस्था, उल्लास एवं प्रकाश के महापर्व दीपावली की पुनः हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ दी तथा दीपावली के पावन पर्व पर मां लक्ष्मी जी और श्री गणेश जी से प्रार्थना कर सभी के जीवन में सुख, समृद्धि व शांति की कामना की ।
|| जय श्री राम ||
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इस दिवाली पर अवश्य जानिए आदि सनातन धर्म की पूजा व साधना की विधि क्या है ?
जानने के लिए हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण पुस्तक को Sant Rampal Ji Maharaj
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दिवाली पर जानिए सर्व सृष्टि की रचना करने वाला आदिपुरुष (आदिराम) कौन है जो वेदों अनुसार पूजा के योग्य है?
जानने के लिए हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण पुस्तक को Sant Rampal Ji Maharaj App से डाउनलोड करके पढ़ें।
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#KabirisGod दिवाली पर जानिए सर्व सृष्टि की रचना करने वाला आदिपुरुष (आदिराम) कौन है जो वेदों अनुसार पूजा के योग्य है?
जानने के लिए हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण पुस्तक को Sant Rampal Ji Maharaj App से डाउनलोड करके पढ़ें।
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दिवाली 2022 दिनांक कैलेंडर: कब है धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज
दिवाली 2022 दिनांक कैलेंडर: कब है धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज
छवि स्रोत: फ्रीपिक दिवाली 2022 दिनांक कैलेंडर
दिवाली सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है। दीपावली वीकेंड नजदीक आने के साथ ही बाजार, घरों और गलियों में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है। रंग-बिरंगी रोशनी से कई घरों को सजाया जा चुका है और हिंदू भक्त इस शुभ अवसर पर देवी लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी कर रहे हैं। दिवाली हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को आती है और राजा रावण को हराकर…
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Dev Diwali - Kartik Purnima 2023: देव दिवाली पर शिव योग का होगा निर्माण इसका शिव से है गहरा संबंध होगा हर समस्या का समाधान
Dev Deepawali 2023: कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली मनाई जाती है. ये दिवाली देवताओं को समर्पित है, इसका शिव जी से गहरा संबंध है. इस दिन धरती पर आते हैं देवतागण कार्तिक पूर्णिमा का दिन कार्तिक माह का आखिरी दिन होता है. इसी दिन देशभर में देव देवाली भी मनाई जाती है लेकिन इस बार पंचांग के भेद के कारण देव दिवाली 26 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी और कार्तिक पूर्णिमा का व्रत, स्नान 27 नवंबर 2023 को है. देव दिवाली यानी देवता की दीपावली. इस दिन सुबह गंगा स्नान और शाम को घाट पर दीपदान किया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा पर 'शिव' योग का हो रहा है निर्माण, हर समस्या का होगा समाधान |
देव दिवाली तिथि और समय
पूर्णिमा तिथि आरंभ - 26 नवंबर 2023 - 03:53
पूर्णिमा तिथि समापन - 27 नवंबर, 2023 - 02:45
देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05:08 बजे से शाम 07:47 बजे तक
पूजन अवधि - 02 घण्टे 39 मिनट्स
शिव मंत्र
ॐ नमः शिवाय
ॐ शंकराय नमः
ॐ महादेवाय नमः
ॐ महेश्वराय नमः
ॐ श्री रुद्राय नमः
ॐ नील कंठाय नमः
देव दिवाली का महत्व
देव दिवाली का सनातन धर्म में बेहद महत्व है। इस पर्व को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप मनाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने इस दिन राक्षस त्रिपुरासुर को हराया था। शिव जी की जीत का जश्न मनाने के लिए सभी देवी-देवता तीर्थ स्थल वाराणसी पहुंचे थे, जहां उन्होंने लाखों मिट्टी के दीपक जलाएं, इसलिए इस त्योहार को रोशनी के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है।
इस शुभ दिन पर, गंगा घाटों पर उत्सव मनाया जाता है और बड़ी संख्या में तीर्थयात्री देव दिवाली मनाने के लिए इस स्थान पर आते हैं और एक दीया जलाकर गंगा नदी में छोड़ देते हैं। इस दिन प्रदोष काल में देव दीपावली मनाई जाती है. इस दिन वाराणसी में गंगा नदी के घाट और मंदिर दीयों की रोशनी से जगमग होते हैं. काशी में देव दिवाली की रौनक खास होती है.
Dev diwali Katha : देव दिवाली की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव बड़े पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया था. पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए तारकासुर के तीनों बेटे तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने प्रण लिया. इन तीनों को त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाता था. तीनों ने कठोर तप कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और उनसे अमरत्व का वरदान मांगा लेकिन ब्रह्म देव ने उन्हें यह वरदान देने से इनकार कर दिया.
ब्रह्मा जी ने त्रिपुरासुर को वरदान दिया कि जब निर्मित तीन पुरियां जब अभिजित नक्षत्र में एक पंक्ति में में होगी और असंभव रथ पर सवार असंभव बाण से मारना चाहे, तब ही उनकी मृत्यु होगी. इसके बाद त्रिपुरासुर का आतंक बढ़ गया. इसके बाद स्वंय शंभू ने त्रिपुरासुर का संहार करने का संकल्प लिया.
काशी से देव दिवाली का संबंध एवं त्रिपुरासुर का वध:
शास्त्रों के अनुसार, एक त्रिपुरासुर नाम के राक्षस ने आतंक मचा रखा था, जिससे ऋषि-मुनियों के साथ देवता भी काफी परेशान हो गए थे। ऐसे में सभी देवतागण भगवान शिव की शरण में पहुंचे और उनसे इस समस्या का हल निकालने के लिए कहा। पृथ्वी को ही भगवान ने रथ बनाया, सूर्य-चंद्रमा पहिए बन गए, सृष्टा सारथी बने, भगवान विष्णु बाण, वासुकी धनुष की डोर और मेरूपर्वत धनुष बने. फिर भगवान शिव उस असंभव रथ पर सवार होकर असंभव धनुष पर बाण चढ़ा लिया त्रिपुरासुर पर आक्रमण कर दिया. इसके बाद भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर का वध कर दिया था और फिर सभी देवी-देवता खुशी होकर काशी पहुंचे थे। तभी से शिव को त्रिपुरारी भी कहा जाता है. जहां जाकर उन्होंने दीप प्रज्वलित करके खुशी मनाई थी। इसकी प्रसन्नता में सभी देवता भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचे. फिर गंगा स्नान के बाद दीप दान कर खुशियां मनाई. इसी दिन से पृथ्वी पर देव दिवाली मनाई जाती है.
पूजन विधि
देव दीपावली की शाम को प्रदोष काल में 5, 11, 21, 51 या फिर 108 दीपकों में घी या फिर सरसों के भर दें। इसके बाद नदी के घाट में जाकर देवी-देवताओं का स्मरण करें। फिर दीपक में सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, हल्दी, फूल, मिठाई आदि चढ़ाने के बाद दीपक जला दें। इसके बाद आप चाहे, तो नदी में भी प्रवाहित कर सकते हैं।
देव दीपावली के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें। हो सके,तो गंगा स्नान करें। अगर आप गंगा स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं, तो स्नान के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें। ऐसा करने से गंगा स्नान करने के बराबर फलों की प्राप्ति होगी। इसके बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे में जल, सिंदूर, अक्षत, लाल फूल डालकर अर्घ्य दें। फिर भगवान शिव के साथ अन्य देवी देवता पूजा करें। भगवान शिव को फूल, माला, सफेद चंदन, धतूरा, आक का फूल, बेलपत्र चढ़ाने के साथ भोग लाएं। अंत में घी का दीपक और धूर जलाकर चालीसा, स्तुत, मंत्र का पाठ करके विधिवत आरती कर लें।
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🪔 लाभ पंचमी - Labh Panchami
❀ गुजरात राज्य में लाभ पंचमी को दिवाली उत्सव का समापन माना जाता है।
❀ लाभ पंचमी के दिन पूजा करने से व्यवसाय और परिवार में लाभ, भाग्य तथा उन्नति मिलती है।
❀ लाभ पंचमी गुजरात न्यू ईयर का पहला कामकाजी दिन होता है।
❀ गुजरात में अधिकतर व्यवसायी दिवाली मनाकर लाभ पंचमी को वापस अपने काम को प्रारंभ करते हैं।
लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः
येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः ॥
हिन्दी भावार्थ: जिनके हृदयमें श्याम रंगके पद्म स्वरूपी जनार्दनका वास है, उन्हें सदैव यश (लाभ) मिलता है, उनकी सदैव जय होती है, उनकी पराजय कैसे संभव है!
📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/labh-panchami
✨ कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 21 👇
📲 https://www.bhaktibharat.com/katha/kartik-mas-mahatmya-katha-adhyaya-21
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इस दिवाली पर अवश्य जानिये ब्रह्मा जी की पूजा जगत में क्यों नहीं होती है? जानने के लिए हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण पुस्तक को Sant Rampal Ji Maharaj App से डाउनलोड करके पढ़ें
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दिवाली पर जानिए सर्व सृष्टि की रचना करने वाला आदिपुरुष (आदिराम) कौन है जो वेदों अनुसार पूजा के योग्य है?
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#kabirisgod
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दिवाली पर अवश्य जानिये ब्रह्मा जी की पूजा जगत में क्यों नहीं होती है? जानने के लिए हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण पुस्तक को Sant Rampal Ji Maharaj App से डाउनलोड करके पढ़ें
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