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#दिवाली पूजा शुभ मुहूर्त
astrovastukosh · 10 months
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Dev Diwali - Kartik Purnima 2023: देव दिवाली पर शिव योग का होगा निर्माण इसका शिव से है गहरा संबंध होगा हर समस्या का समाधान
Dev Deepawali 2023: कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली मनाई जाती है. ये दिवाली देवताओं को समर्पित है, इसका शिव जी से गहरा संबंध है. इस दिन धरती पर आते हैं देवतागण कार्तिक पूर्णिमा का दिन कार्तिक माह का आखिरी दिन होता है. इसी दिन देशभर में देव देवाली भी मनाई जाती है लेकिन इस बार पंचांग के भेद के कारण देव दिवाली 26 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी और कार्तिक पूर्णिमा का व्रत, स्नान 27 नवंबर 2023 को है. देव दिवाली यानी देवता की दीपावली. इस दिन सुबह गंगा स्नान और शाम को घाट पर दीपदान किया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा पर 'शिव' योग का हो रहा है निर्माण, हर समस्या का होगा समाधान |
देव दिवाली तिथि और समय
पूर्णिमा तिथि आरंभ - 26 नवंबर 2023 - 03:53
पूर्णिमा तिथि समापन - 27 नवंबर, 2023 - 02:45
देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05:08 बजे से शाम 07:47 बजे तक
पूजन अवधि - 02 घण्टे 39 मिनट्स
शिव मंत्र
ॐ नमः शिवाय
ॐ शंकराय नमः
ॐ महादेवाय नमः
ॐ महेश्वराय नमः
ॐ श्री रुद्राय नमः
ॐ नील कंठाय नमः
देव दिवाली का महत्व
देव दिवाली का सनातन धर्म में बेहद महत्व है। इस पर्व को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप मनाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने इस दिन राक्षस त्रिपुरासुर को हराया था। शिव जी की जीत का जश्न मनाने के लिए सभी देवी-देवता तीर्थ स्थल वाराणसी पहुंचे थे, जहां उन्होंने लाखों मिट्टी के दीपक जलाएं, इसलिए इस त्योहार को रोशनी के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है।
इस शुभ दिन पर, गंगा घाटों पर उत्सव मनाया जाता है और बड़ी संख्या में तीर्थयात्री देव दिवाली मनाने के लिए इस स्थान पर आते हैं और एक दीया जलाकर गंगा नदी में छोड़ देते हैं। इस दिन प्रदोष काल में देव दीपावली मनाई जाती है. इस दिन वाराणसी में गंगा नदी के घाट और मंदिर दीयों की रोशनी से जगमग होते हैं. काशी में देव दिवाली की रौनक खास होती है.
Dev diwali Katha : देव दिवाली की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव बड़े पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया था. पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए तारकासुर के तीनों बेटे तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने प्रण लिया. इन तीनों को त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाता था. तीनों ने कठोर तप कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और उनसे अमरत्व का वरदान मांगा लेकिन ब्रह्म देव ने उन्हें यह वरदान देने से इनकार कर दिया.
ब्रह्मा जी ने त्रिपुरासुर को वरदान दिया कि जब निर्मित तीन पुरियां जब अभिजित नक्षत्र में एक पंक्ति में में होगी और असंभव रथ पर सवार असंभव बाण से मारना चाहे, तब ही उनकी मृत्यु होगी. इसके बाद त्रिपुरासुर का आतंक बढ़ गया. इसके बाद स्वंय शंभू ने त्रिपुरासुर का संहार करने का संकल्प लिया.
काशी से देव दिवाली का संबंध एवं त्रिपुरासुर का वध:
शास्त्रों के अनुसार, एक त्रिपुरासुर नाम के राक्षस ने आतंक मचा रखा था, जिससे ऋषि-मुनियों के साथ देवता भी काफी परेशान हो गए थे। ऐसे में सभी देवतागण भगवान शिव की शरण में पहुंचे और उनसे इस समस्या का हल निकालने के लिए कहा। पृथ्वी को ही भगवान ने रथ बनाया, सूर्य-चंद्रमा पहिए बन गए, सृष्टा सारथी बने, भगवान विष्णु बाण, वासुकी धनुष की डोर और मेरूपर्वत धनुष बने. फिर भगवान शिव उस असंभव रथ पर सवार होकर असंभव धनुष पर बाण चढ़ा लिया त्रिपुरासुर पर आक्रमण कर दिया. इसके बाद भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर का वध कर दिया था और फिर सभी देवी-देवता खुशी होकर काशी पहुंचे थे। तभी से शिव को त्रिपुरारी भी कहा जाता है. जहां जाकर उन्होंने दीप प्रज्वलित करके खुशी मनाई थी। इसकी प्रसन्नता में सभी देवता भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचे. फिर गंगा स्नान के बाद दीप ��ान कर खुशियां मनाई. इसी दिन से पृथ्वी पर देव दिवाली मनाई जाती है.
पूजन विधि
देव दीपावली की शाम को प्रदोष काल में 5, 11, 21, 51 या फिर 108 दीपकों में घी या फिर सरसों के भर दें। इसके बाद नदी के घाट में जाकर देवी-देवताओं का स्मरण करें। फिर दीपक में सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, हल्दी, फूल, मिठाई आदि चढ़ाने के बाद दीपक जला दें। इसके बाद आप चाहे, तो नदी में भी प्रवाहित कर सकते हैं।
देव दीपावली के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें। हो सके,तो गंगा स्नान करें। अगर आप गंगा स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं, तो स्नान के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें। ऐसा करने से गंगा स्नान करने के बराबर फलों की प्राप्ति होगी। इसके बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे में जल, सिंदूर, अक्षत, लाल फूल डालकर अर्घ्य दें। फिर भगवान शिव के साथ अन्य देवी देवता पूजा करें। भगवान शिव को फूल, माला, सफेद चंदन, धतूरा, आक का फूल, बेलपत्र चढ़ाने के साथ भोग लाएं। अंत में घी का दीपक और धूर जलाकर चालीसा, स्तुत, मंत्र का पाठ करके विधिवत आरती कर लें।
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sampannamayapvt · 2 years
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गोवर्धन पूजा हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। लोग इसे #अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं ।
यह #दिवाली के दूसरे दिन ही मनाया जाता है । #गोवर्धनपूजा को पूरे भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है । इस पर्व पर भगवान श्री #कृष्ण के गोवर्धन स्वरुप की पूजा की जाती है और उन्हें छप्पन भोग और अन्नकूट का प्रसाद चढ़ाया जाता है ।
कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी दिवाली के दूसरे दिन को "परीवा" कहा जाता है और इसी दिन गोवर्धन पूजा की जाती है ।
इस पर्व पर लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाते हैं और उसकी पूजा करते हैं । कहते हैं कि सही मुहूर्त पर गोवर्धन की पूजा की जाए तो बहुत ही शुभ फल प्राप्त होते हैं।
कहते हैं द्वापर युग में भगवान नारायण ने पृथ्वी पर धर्म स्थापना हेतु श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिया था। ब्रजभूमि में जन्मे श्री कृष्ण एक ग्वाले थे और उन्हें प्रकृति से विशेष लगाव था। उस युग में ब्रजभूमि के लोग भगवान इंद्र को अपना अस्तित्व मानते थे । मगर श्रीकृष्ण का मानना था कि जो पर्वत ब्रिज वासियों को फल - फूल और अन्य सुविधाएं देता है उसे छोड़कर देवराज इंद्र की पूजा क्यों की जाती है? जब देवराज इंद्र की पूजा करने के स्थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा ब्रिज वासियों ने की तो देवराज इंद्र ने लगातार बारिश कर पूरी ब्रजभूमि को पानी मय कर दिया था । तब भगवान श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र को अहंकार का नाश करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपने हाथों की सबसे छोटी उंगली पर उठा लिया था और ब्रज वासियों की रक्षा की थी ।
तब से गोवर्धन पूजा हर साल धूमधाम से हर घर में की जाती है ।
पूजा सामग्री के लिए #संपन्नमाया अगरबत्ती के द्वारा बताई हुए समस्त सामग्रियाँ आसानी से हर जगह उपलब्ध हैं | www.sampannamaya.com पर अवश्य जाकर देखें | यह अत्यंत शुद्ध है और आपके जीवन को सुगंध-मय बना देता हैl
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gururksharma · 2 years
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धनतेरस 2022 सही ति​थि
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 दिवाली से दो दिन पहले आता है धनतेरस | असल मैं इस दिन देवाताओं के वैद्य धन्वंतरी की जयंती मनाई जाती है |इस दिन और लोग शुभ मुहूर्त में सोना, चांदी, बर्तन और प्रॉपर्टी ख़रीदती हैं| यह महूर्त बहुत शुभ होता है आप जो भी खरीदते हैं उसमे बढ़ोतरी होती है|  धनतेरस का त्योहार हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी​ तिथि को मनाते हैं.लेकिन  इस बार महूरत की वजह से लोग नहीं जानती के धनतेरस कब है |  काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि इस साल धनतेरस 22 अक्टूबर को है या फिर 23 अक्टूबर को. धनतेरस पर पूजा का मुहूर्त क्या है और धन त्रयोदशी पर कौन सा योग बन रहा है?
धनतेरस 2022 सही  ति​थि
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस साल कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी ति​थि की शुरूआत 22 अक्टूबर दिन शनिवार को शाम 06:02 बजे से होगा और यह तिथि अगले दिन 23 अक्टूबर की शाम 06:03 बजे तक है|
धनतेरस की तिथि का प्रारंभ 22 अक्टूबर को हो रहा है और समापन 23 अक्टूबर को हो रहा है, इसलिए लोगों में तारीख को लेकर भ्रमित है कि धनतेरस किस दिन मनाया जाए 22 अक्टूबर को या 23 अक्टूबर को.
ऐसे में इस बात का ध्यान रखना पड़ेगा कि त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल में माता लक्ष्मी की पूजा का मुहूर्त कब है| इस साल  लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 22 अक्टूबर को प्राप्त हो रहा है और 23 अक्टूबर को प्रदोष काल के प्रारंभ होते ही त्रयोदशी ति​थि खत्म हो जा रही है. इस वजह से इस साल  धनतेरस 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन ही धन्वंतरी जयंती भी होगी|
इस साल धनतेरस पूजा का मुहूर्त
22 अक्टूबर को धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 07 बजकर 01 मिनट से रात 08 बजकर 17 मिनट तक है. इस दिन धनतेरस पूजा के लिए आपको करीब सवा घंटे का शुभ समय प्राप्त होगा. इस दिन शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है और परिवार की उन्नति होती है.
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त तथा धनतेरस पूजा का मुहूर्त :  22 अक्टूबर शाम 5 बजकर 44 मिनट से रात 8 बजकर 16 मिनट तक|
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vinayras-blog · 11 months
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घर-घर पधारेंगी मां लक्ष्मी, जान लें लक्ष्मी पूजा की सही विधि
Lakshmi Puja Vidhi: 12 नवंबर के दिन घर घर में लक्ष्मी जी पधारने वाली हैं। सभी पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ माता लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए तैयार हैं। दिवाली के दिन इस बार पांच राजयोग मिलकर अद्भुत संयोग बना रहे हैं। इसलिए इस बार की दिवाली बेहद ही खास और लाभदायक मानी जा रही है। इसलिए इस बार दीपावली पर शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी का पूजन करना अति फलदायक साबित होगा इसलिए आगे पढ़ें दीपावली के दिन…
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ainews18 · 11 months
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idolkart · 11 months
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दिवाली 2023 - तिथि, शुभ मुहूर्त, लक्ष्मी पूजा मुहूर्त, लक्ष्मी-गणेश पूजन विधि , पांच दिन का दीपोत्सव
दिवाली 2023: जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, लक्ष्मी पूजा का विधान, और पांच दिन के दीपोत्सव के अद्वितीय समर्पण। अपने घर को आनंद से भरने के लिए सबकुछ जानें।
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weddingkalakar · 11 months
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Diwali 2023 Date: दिवाली कब ? जानें डेट, पूजा मुहूर्त, दीपावली फेस्टिवल का 5 दिन का कैलेंडर
दिवाली 2023 Date: कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाने वाली दीपावली के दिन मां लक्ष्मी का विशेष पूजन किया जाता है. जानते हैं दिवाली 2023 डेट, शुभ मुहूर्त, कैलेंडर, पूजा विधि. दिवाली 2023 डेट, शुभ मुहूर्त, कैलेंडर, पूजा विधि. Diwali 2023 Kab Hai: हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार दिवाली इस साल 12 नवंबर 2023 को है. कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाने वाली दीपावली के दिन मां लक्ष्मी का विशेष पूजन किया…
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mwsnewshindi · 2 years
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छठ पूजा 2022 तिथियां: अर्घ्य समय, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, दिनवार कार्यक्रम, महत्व
छठ पूजा 2022 तिथियां: अर्घ्य समय, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, दिनवार कार्यक्रम, महत्व
छवि स्रोत: फ्रीपिक छठ पूजा 2022 तिथियां छठ पूजा 2022: छठ पूजा का शुभ त्योहार हर साल दिवाली समारोह के तुरंत बाद पूरे देश में मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान सूर्य और देवी छठी को समर्पित है और कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के छठे दिन मनाया जाता है। यह चार दिनों तक चलता है और हर दिन का अपना इतिहास और महत्व होता है। इस साल छठ पूजा उत्सव 28 अक्टूबर 2022 से शुरू होकर 31 अक्टूबर 2022 तक चलेगा। छठ पूजा के…
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best24news · 2 years
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Diwali 2022 Laxmi Pujan: दीपावली पूजन आज, जानिए लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त,आरती और मंत्र
Diwali 2022 Laxmi Pujan: दीपावली पूजन आज, जानिए लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त,आरती और मंत्र
Diwali 2022 Laxmi Pujan : दिवाली हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है.    दीपावली पर्व  आज हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। वर्ष की सभी अमावस्याओं में कार्तिक अमावस्या श्रेष्ठतम मानी गई है क्योंकि इस दिन महालक्ष्मी की पूजा-आराधना करके अपने इष्ट कार्य को तो सिद्ध किया ही जा सकता है, शक्ति आराधना के लिए भी यह अमावस्या सर्वोपरि मानी गई है। Haryana News: किसानों की बल्ले-बल्ले: इस बार धान के रेट मे आया भारी…
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365store · 2 years
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दैव के मामले में आज भी एक मिनट की मुहूर्त ट्रेडिंग! निवेशक
दैव के मामले में आज भी एक मिनट की मुहूर्त ट्रेडिंग! निवेशक
दिवाली मुहूर्त ट्रेडिंग 2022: आज का दिन चल ��हा है दीपावली (दिवाली 2022) इस विशेष व्यक्ति में माता लक्ष्मी की पूजा होती है और संपूर्ण जीवन पर धन और समृद्धि होती है. बाज़ार का त्योहार बाज़ार (Share Market) के लिए भी दिवाली शुभ शुभ हो। इस दिन चलने वाले बाजार में बाजार सक्रिय है, लेकिन लक्ष्मीपूजन के एक घंटे के लिए दिवाली मुहूर्त ट्रेडिंग (दिवाली मुहूर्त ट्रेडिंग)। एक मिनट में बाजार में बाजार में…
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जानें दिवाली कब है और क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त
दीपों का पर्व दीपावली इस साल 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। ये हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध त्यौहार है। ये पर्व बेहद ही जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। 
दिवाली 2022 लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त 
अमावस्या तिथि प्रारम्भ 24 अक्टूबर को 05:27 PM बजे
अमावस्या तिथि समाप्त 25 अक्टूबर को 04:18 PM बजे
दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त 06:44 PM से 08:05 PM
Astrologer Gopal Shastri Ji
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astrovastukosh · 10 months
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Labh Panchami: लाभ पंचमी दीपावली के बाद लाभ पंचमी का विशेष महत्व
दीपावली के बाद लाभ पंचमी का विशेष महत्व है। इस दिन शिव परिवार, मां लक्ष्मी की पूजा के साथ नए व्यापार की शुरुआत करना शुभ माना जाता है।
दीपावली के त्योहार की शुरुआत धनतेरस से होती है और रोशनी के इस त्योहार का अंतिम दिन लाभ पंचमी के रूप में मनाया जाता है। लाभ पंचमी को सौभाग्य पंचमी, ज्ञान पंचमी और लाभ पंचम के नाम से भी जाना जाता है।
मान्यता है इस दिन शिव परिवार और माता लक्ष्मी की पूजा करने से समस्त विघ्नों का नाश होता है और अपने नाम स्वरूप ये तिथि लाभ प्रदान करती है।
लाभ पंचमी की तिथि
इस साल लाभ पंचमी 18 नवंबर 2023 शनिवार को है। गुजरात में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। बिजनेस करने वाले लोग इस दिन भी शुभ मुहूर्त में अपना प्रतिष्ठान खोलना पसंद करते है। ये तिथि सुख और समृद्धि बढ़ाती है। प्रगति होती है।
लाभ पंचमी महत्व
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार इस दिन कोई भी नया बिजनेस शुरू किया जा सकता है। दिवाली के बाद व्यापारी वर्ग इस दिन अपने दुकान और प्रतिष्ठान पुनः शुरू करते हैं। लाभ पंचमी पर अबूझ मुहूर्त रहता है। ऐसा माना जाता है कि लाभ पंचमी के दिन की गई पूजा से लोगों के जीवन, व्यवसाय और परिवार में लाभ, सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन व्यवसायी नए खाता बही का उद्घाटन करते हैं और मां लक्ष्मी से व्यापार में वृद्धि के लिए कामना करते हैं।
पूजा विधि
लाभ पंचमी पर सुबह जल्दी नहाने के बाद से सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। इसके बाद शुभ मुहूर्त में भगवान शिव हनुमान जी और गणेश की मूर्तियों की पूजा करें। सुपारी पर मौली लपेटकर चावल के अष्टदल पर श्री गणेश जी के रूप में विराजित करना चाहिए। चंदन, सिंदूर, अक्षत, फूल, दूर्वा से भगवान गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद भगवान शिव को भस्म, बिल्व पत्र, धतूरा, सफेद वस्त्र अर्पित कर पूजन करना चाहिए। भोग चढ़ाएं और फिर नए बही खाता पर शुभ-लाभ लिखकर व्यापार की शुरुआत करें। कैसे करें पूजन-
1.लाभ पंचमी के दिन अलसुबह जल्दी उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर नए वस्त्र या साफ-स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण करें।
घर या दुकान, व्यवसायिक प्रति‍ष्ठान के मंदिर की साफ-सफाई करके मां सरस्वती, भगवान श्री गणेश तथा धन की देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें।
जो लोग दिवाली पर मां सरस्वती, श्री गणेश और देवी लक्ष्मी का पूजन नहीं कर सके उनके लिए यह दिन बहुत लाभदायी होता हैं, क्योंकि लाभ पंचमी के दिन पूजन से व्यापार में नित नई ऊंचाइयां हासिल की जा सकती है।
इस दिन बुद्धि और ज्ञान को बढ़ाने के लिए किताबों का पूजन किया जाता हैं।
इस दिन से नए बहीखाते लिखना प्रारंभ करने से कारोबार में सफलता मिलती हैं। अत: नए बहीखाते अवश्य लिखें।
बही खाते में लिखते समय दाईं तरफ लाभ और बाईं तरफ शुभ लिखने से जीवन में शुभता का संचार होता है।
इस दिन नए खाता बही खोलकर उसमें बाईं ओर शुभ और दाईं ओर लाभ बनाने तथा पहले पृष्ठ के केंद्र में शुभ प्रतीक बनाकर व्यापार की शुरुआत करें।
साथ ही लाभ पंचमी के दिन नए बही खाते लिखने की शुरुआत करते समय भगवान श्री गणेश का स्मरण करें ताकि आपका आने वाला जीवन सुख-समृद्धि से भरा रहें।
इस दिन श्री गणेश, माता लक्ष्मी और देवी सरस्वती की आरती करें।
देवी-देवताओं को मिठाई का भोग चढ़ाकर देवी लक्ष्मी से अपने लिए दिव्य आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें।
इस दिन अधिक से अधिक लक्ष्मी जी, सरस्वती तथा श्री गणेश एवं शिव जी के मंत्रों का जाप करें।
इस दिन गरीबों तथा असहाय लोगों को भोजन, वस्त्र, रुपए-पैसे तथा अन्य जरूरी सामग्री का दान अवश्‍य दें।
यह शुभ तिथि विशेष रूप से दीप पर्व का हिस्सा माना जाता है। अत: इस दिन यानी दिवाली के बाद आने वाले लाभ पंचम के दिन दुकान मालिक या व्यापारी अपनी व्यावसायिक गतिविधियों की शुरुआत करें तो निश्चित ही लाभ होगा।
यह दिन सभी तरह की सांसारिक कामनाओं की पूर्ति करने वाला माना जाता है, अत: पूरे मन से शिव जी का पूजन करें तथा परिवार में सुख-शांति और कष्‍टों से मुक्ति का वरदान भोलेनाथ से प्राप्त करें।
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दिवाली पर इस बार लक्ष्मी पूजा का क्या रहेगा शुभ मुहूर्त, जानें यहां
दीपों का पर्व दीपावली इस साल 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। ये हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध त्यौहार है। ये पर्व बेहद ही जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारम्भ 24 अक्टूबर को 05:27 PM बजे
अमावस्या तिथि समाप्त 25 अक्टूबर को 04:18 PM बजे
दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त 06:44 PM से 08:05 PM
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vinayras-blog · 11 months
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सालों बाद दिवाली पर 5 राजयोग का अद्भुत संयोग, अभी से नोट कर लें पूजा मुहूर्त और सामग्री लिस्ट
Diwali 2023: इस साल रविवार के दिन 12 नवंबर को दिवाली का पावन त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। सभी लोग कल मां लक्ष्मी का पूरे धूमधाम के साथ स्वागत करेंगे। वहीं, कई सालों के बाद इस बार दिवाली पर पांच राजयोग बनने जा रहे हैं, जिस वजह से इस बार की दिवाली बेहद ही खास मानी जा रही है। हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि के दिन ही दिवाली मनाई जाती है। इस बार शुभ योग में दिवाली पड़ने वाली है।…
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jyotishgher · 2 years
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दिवाली पूजा विधि - Diwali Puja in Hindi with ENglish
दिवाली पूजा विधि - Diwali Puja in Hindi
दीवाली के दिन की विशेषता लक्ष्मी जी के पूजन से संबन्धित है. इस दिन हर घर, परिवार, कार्यालय में लक्ष्मी जी के पूजन के रुप में उनका स्वागत किया जाता है. दीवाली के दिन जहां गृहस्थ और वाणिज्य वर्ग के लोग धन की देवी लक्ष्मी से समृद्धि और वित्तकोष की कामना करते हैं, वहीं साधु-संत और तांत्रिक कुछ ��िशेष सिद्धियां अर्जित करने के लिए रात्रिकाल में अपने तांत्रिक कर्म करते हैं.दिवाली पर लक्ष्मी पूजा सहित विघ्नहर्ता श्रीगणेश एवं माता सरस्वती की पूजा करने का विधान है। पुराणों के अनुसार कार्तिक अमावस्या की रात में महालक्ष्मी स्वयं धरती पर आती हैं और हर घर में विचरण करती हैं। ऐसे में महालक्ष्मी की पूजा विधि-विधान से करने पर देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
प्रदोष काल मुहूर्त
श्री गणेश, श्री महालक्ष्मी पूजन, कुबेर पूजन, व्यापारिक खातों का पूजन, दीपदान, अपने सेवकों को वस्तुएं दान करने के लिये शुभ रहेगा. प्रदोष काल मंदिर मे दीप दान, रंगोली और पूजा की पूर्ण तयारी कर लेनी चाहिए. इसी समय मे मिठाई वितरण कार्य भी संपन्न कर लेना चाहिए. द्वार प़र स्वस्तिक और शुभ लाभ का सिन्दूर से निर्माण भी इसी समय करना चाहिए.
पूजा की सामग्री
लक्ष्मी व श्री गणेश की मूर्तियां (बैठी हुई मुद्रा में)
केशर, रोली, चावल, पान, सुपारी, फल, फूल, दूध, खील, बताशे, सिंदूर, शहद, सिक्के, लौंग.
सूखे, मेवे, मिठाई, दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती, 11 दीपक
रूई तथा कलावा नारियल और तांबे का कलश चाहिए.
पूजा की तैयारी
चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियाँ इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहें. लक्ष्मीजी,गणेशजी की दाहिनी ओर रहें. पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठे. कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें. नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें. यह कलश वरुण का प्रतीक है.
लक्ष्मीजी की ओर श्री का चिह्न बनाएँ. गणेशजी की ओर त्रिशूल, चावल का ढेर लगाएँ. सबसे नीचे चावल की नौ ढेरियाँ बनाएँ. छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें. तीन थालियों में निम्न सामान रखें.
ग्यारह दीपक(पहली थाली में)
खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप  सिन्दूर कुंकुम, सुपारी, पान (दूसरी थाली में)
फूल, दुर्वा चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक. (तीसरी थाली में)
इन थालियों के सामने पूजा करने वाला स्व्यं बैठे. परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें. शेष सभी परिवार के सदस्यों के पीछे बैठे.
लक्ष्मी पूजन विधि
आप हाथ में अक्षत, पुष्प और जल ले लीजिए. कुछ द्रव्य भी ले लीजिए. द्रव्य का अर्थ है कुछ धन. यह सब हाथ में लेकर संकसंकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो. सबसे पहले गणेश जी व गौरी का पूजन कीजिए.
हाथ में थोड़ा-सा जल ले लीजिए और आह्वाहन व पूजन मंत्र बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए. हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए. अंत में महालक्ष्मी जी की आरती के साथ पूजा का समापन  कीजिये.
Diwali Puja Mantra Shloka Hindi Sanskrit
एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर माता महालक्ष्‍मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें। चौकी के ऊपर पानी छिड़कते हुए इस मंत्र का उच्‍चारण करें –
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्‍थां गतोपि वा । य: स्‍मरेत् पुण्‍डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि: ।।
अपने ऊपर और अपने पूजा के आसन पर जल छिड़कते हुए यह मंत्र बोलें –
पृथ्विति मंत्रस्‍य मेरुपृष्‍ठ: ग ऋषि: सुतलं छन्‍द: कूर्मोदेवता आसने विनियोग: ।।
ॐ पृथ्‍वी त्‍वया धृता लोका देवि त्‍वं विष्‍णुना धृता । त्‍वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम् नम: ।।
पृथ्वियै नम: आधारशक्‍तये नम: ।।
यह मंत्र बोलते हुए आचमन करें –
ॐ केशवाय नम:, ॐ नारायणाय नम: ॐ माधवाय नम:।
मां लक्ष्मी का ध्यान करते हुए यह मंत्र पढ़ें –
या सा पद्मासनस्था विपुल-कटि-तटी पद्म-पत्रायताक्षी,गम्भीरार्तव-नाभि: स्तन-भर-नमिता शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया ।या लक्ष्मीर्दिव्य-रूपैर्मणि-गण-खचितैः स्‍वापिता हेम-कुम्भैः,सा नित्यं पद्म-हस्ता मम वसतु गृहे सर्व-मांगल्य-युक्ता।।
मां लक्ष्मी का आह्वान करने के लिए यह मंत्र पढ़ें –
आगच्‍छ देव-देवेशि! तेजोमय‍ि महा-लक्ष्‍मी। क्रियमाणां मया पूजां, गृहाण सुर-वन्दिते।। श्रीलक्ष्‍मी देवीं आवाह्यामि।।
फूल चढ़ाएं –
नाना रत्‍न समायुक्‍तं, कार्त स्‍वर विभूषितम्।
आसनं देव-देवेश ! प्रीत्‍यर्थं प्रति-गह्यताम्।।
श्रीलक्ष्‍मी-देव्‍यै आसनार्थे पंच-पुष्‍पाणि समर्पयामि।।
पाद्यं गृहाण देवेशि, सर्व-क्षेम-समर्थे, भो: !भक्तया समर्पितं देवि, महालक्ष्‍मी ! नमोsस्‍तुते।।
श्रीलक्ष्‍मी-देव्‍यै पाद्यं नम:नमस्‍ते देव-देवेशि ! नमस्‍ते कमल-धारिणि!
नमस्‍ते श्री महालक्ष्‍मी, धनदा देवी ! अर्घ्‍यं गृहाण।
गंध-पुष्‍पाक्षतैर्युक्‍तं, फल-द्रव्‍य-समन्वितम्।
गृहाण तोयमर्घ्‍यर्थं, परमेश्‍वरि वत्‍सले।।
श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै अर्घ्‍यं स्‍वाहा।।
माता महालक्ष्मी को दूध, दही, घी, शहद और चीनी के मिश्रण से स्नान करवाते हुए पढ़ें –
गंगासरस्‍वतीरेवापयोष्‍णीनर्मदाजलै:। स्‍नापितासी मय देवी तथा शांतिं कुरुष्‍व मे।। आदित्‍यवर्णे तपसोsधिजातो वनस्‍पतिस्‍तव वृक्षोsथ बिल्‍व:। तस्‍य फलानि तपसा नुदन्‍तु मायान्‍तरायश्र्च ब्रह्मा अलक्ष्‍मी:।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै जलस्‍नानं समर्पयामि।।
वस्त्र के रूप में कलावा चढ़ाते हुए पढ़ें –
दिव्‍याम्‍बरं नूतनं हि क्षौमं त्‍वतिमनोहरम्। दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके।।
उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्च मणिना सह। प्रादुर्भूतो सुराष्‍ट्रेsस्मिन् कीर्तिमृद्धि ददातु मे।।
।।श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै वस्‍त्रं समर्पयामि।।
इस मंत्र को पढ़ते हुए माता को गहने अर्पित करें –
रत्‍नकंकड़ वैदूर्यमुक्‍ताहारयुतानि च।
सुप्रसन्‍नेन मनसा दत्तानि स्‍वीकुरुष्‍व मे।।
क्षुप्तिपपासामालां ज्‍येष्‍ठामलक्ष्‍मीं नाशयाम्‍यहम्।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वात्रिर्णद मे ग्रहात्।।
।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै आभूषणानि समर्पयामि ।।
सिंदूर –
ॐ सिन्‍दुरम् रक्‍तवर्णश्च सिन्‍दूरतिलकाप्रिये । भक्‍त्या दत्तं मया देवि सिन्‍दुरम् प्रतिगृह्यताम् ।।।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै सिन्‍दूरम् समर्पयामि।।
कुमकुम –
ॐ कुमकुम कामदं दिव्‍यं कुमकुम कामरूपिणम् । अखंडकामसौभाग्‍यं कुमकुम प्रतिगृह्यताम् ।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै कुमकुम समर्पयामि।।
चावल –
अक्षताश्च सुरश्रेष्‍ठं कुंकमाक्‍ता: सुशोभिता: । मया निवेदिता भक्‍तया पूजार्थं प्रतिगृह्यताम् ।।।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै अक्षता��् समर्पयामि।।
गंध –
श्री खंड चंदन दिव्‍यं, गंधाढ्यं सुमनोहरम् ।विलेपनं महालक्ष्‍मी चंदनं प्रति गृह्यताम् ।।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै चंदनं समर्पयामि।।
फूल –
यथाप्राप्‍तऋतुपुष्‍पै:, विल्‍वतुलसीदलैश्च ।पूजयामि महालक्ष्‍मी प्रसीद मे सुरेश्वरि ।।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै पुष्‍पं समर्पयामि।।
क्षमा-प्रार्थना करें
पूजा पूर्ण होने के बाद मां से जाने-अनजाने हुए सभी भूलों के लिए क्षमा-प्रार्थना करें। उन्हें कहें-
मां न मैं आह्वान करना जानता हूँ, न विसर्जन करना। पूजा-कर्म भी मैं नहीं जानता। हे परमेश्वरि! मुझे क्षमा करो। मन्त्र, क्रिया और भक्ति से रहित जो कुछ पूजा मैंने की है, हे देवि! वह मेरी पूजा सम्पूर्ण हो। यथा-सम्भव प्राप्त उपचार-वस्तुओं से मैंने जो यह पूजन किया है, उससे आप भगवती श्रीलक्ष्मी प्रसन्न हों।
दिवाली की पूजा विधि (Diwali 2022–2023–2024–2025 Puja Vidhi) | Tips
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा से पहले घर की साफ-सफाई करके पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
घर के प्रवेश द्वार को रंगोली और दीयों से सजाएं।
पूजास्थल पर एक चौकी स्थापित करे व उस पर लाल कपड़ा बिछाएं।
चौकी पर माँ लक्ष्मी व श्रीगणेश की मूर्ति की स्थापना करे।
अब जल से भरा एक कलश चौकी के पास रखें।
देवी लक्ष्मी एवं श्रीगणेश की मूर्ति पर तिलक लगाकर दीपक प्रज्जवलित करे।
इसके बाद जल, मौली, चावल, फल, गुड़, हल्दी, अबीर-गुलाल आदि अर्पित करें।
अब हाथ जोड़कर देवी लक्ष्मी की स्तुति करें।
माँ लक्ष्मी सहित माँ सरस्वती, मां काली, श्रीहरि विष्णु व कुबेर देव की पूजा भी विधि विधान से करें।
पूरे परिवार को एकत्रित होकर महालक्ष्मी का पूजन करना चाहिए।
देवी लक्ष्मी की पूजा के बाद तिजोरी, बहीखाते एवं व्यापारिक उपकरण की पूजा करें।
पूजा के बाद श्रद्धाभाव से ज़रुरतमंद लोगों को मिठाई और दक्षिणा देनी चाहिए।
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एक दंत दयावंत चार भुजाधारी।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुवन का भोग लगे, संत करे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़ियन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।
सुर श्याम शरण आये सफल कीजे सेवा।। जय गणेश देवा
जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
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लक्ष्मीजी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम जग की माता
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
दुर्गारूप निरंजन, सुख संपत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
शुभ गुण मंदिर, सुंदर क्षीरनिधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आंनद समाता, पाप उतर जाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
स्थिर चर जगत बचावै, कर्म प्रेर ल्याता
तेरा भगत मैया जी की शुभ दृष्टि पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता,
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
IN ENGLISH LET ME WRITE FOR YOU:Why we do Ganesh-Laxmi Puja on Diwali:
Diwali is not just a festival but also considered as a beginning of a new phase in our lives. It is believed that Maa Laxmi visits every house in Diwali carrying a pot full of wealth, good luck and prosperity. We worship Lord Ganesha with Laxmi ma because Ganesh ji is the God of wisdom and he is known to remove all the obstacles in one’s life while Laxmi Ma is Goddess of wealth. We worship them together on Diwali so that we get wisdom along with wealth and all our life obstacles are removes. And obviously, without wisdom, wealth cannot stay longer with you.
This is the reason why we worship Laxmi-Ganesh on Diwali, in order to invite wealth, prosperity, abundance, good luck and wisdom.
How to do Diwali Puja at Home?
Every Diwali the Muhurat (favourable time) for Diwali puja is different. This year in 2022, Diwali is on 24 October and the Puja Muhurat starts at 6:54 pm to 8:18 pm.
In my family, we begin with taking bath and wearing new clothes before the puja. The puja-ghar or altar is cleaned and decorated on Dhanteras (2 days before) it self. So, we set up the puja things in the room to prepare for puja. After this, we do the following steps:
Spread a new red cloth
Sprinkle some rice on it and touch it to seek blessings
Place a kalash in the middle of it, fill it with ganga jal and some rice.
Cover it with mango leaves
Put a tilak on it
Now on one aasan, place the Ganesh-Laxmi idols
Start the puja by sprinkling ganga jal, making them wear new clothes and garlands, putting tilak and offering them flowers sweets, dry-fruits and fruits.
Then light 9 earthen diyas for 9 planets (this is done to balance and calm all the 9 planets and seek blessings)
This ritual to worship the God and Godness and the kalash is done by everyone in the house
The Diwali puja is also to be done in your office and seek blessings of the almighty. So, because 90% of our work is done by phones and laptops, we also worship it. We put the work-related gadgets in front of the God and Goddess and worship it by making a swastik on it, sprinkling rice and flowers on it. We then keep it for some time in the puja ghar only.
Some people also put their cash chest, cash box, locker keys and account books too. After from this, it is also a good ritual to take a bowl and ask every earning member of the family to put some money into the money bowl which resembles inviting prosperity and wealth to our home.
An aarti is performed and prasaad is distributed to conclude the Diwali puja ritual. We then light the diyas and candles and celebrate it further by burning crackers, eating sweets and meeting and greeting the loved ones.
This is how I do Diwali puja at home. Hope this helped you! Don’t forget to share!
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astrologyindia · 2 years
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दिवाली पर करें मां लक्ष्मी का पूजन, जानिए शुभ मुहूर्त,आरती और मंत्र
जब भी हम दिवाली या दीपावली की बात करते हैं तो हमारे मन में सबसे पहले रोशनी, दीपक, लाइट और मिष्ठान आते हैं। हिंदू धर्म में दिवाली को सबसे बड़ा और विशेष पर्व माना गया है और हर व्यक्ति इस विशेष पर्व को अपने परिवार के साथ मनाने की चाह रखता है। इस पर्व पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की विशेष पूजा का प्रावधान है और मान्यता है कि उनकी पूजा विधिवत करने से व्यक्ति के जीवन में धन और धान्य की कभी कमी नहीं आती। आपको दिवाली पूजन की पूर्ण विधि डॉ विनय बजरंगी की वेबसाइट से मिल जाएगी, जिसके जरिए आप मां लक्ष्मी की विशेष कृपा पा सकते हैं।
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