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#नींद की कमी
mwsnewshindi · 2 years
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क्या आपका गद्दा तनाव और चिंता को ट्रिगर कर सकता है?
क्या आपका गद्दा तनाव और चिंता को ट्रिगर कर सकता है?
छवि स्रोत: फ्रीपिक तनावग्रस्त महिला की प्रतिनिधि छवि नींद को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कारक हमारा बिस्तर है। सोने के लिए हम जिस गद्दे का इस्तेमाल करते हैं, उससे हमारा स्लीप साइकल बन या टूट सकता है। दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद, पर्याप्त नींद न ले पाने के कारण व्यक्ति अगले दिन चिड़चिड़ा और थका हुआ महसूस कर सकता है। लोगों में तनाव और चिंता का सबसे महत्वपूर्ण योगदान नींद की कमी है। यह अंततः…
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infoscope · 2 years
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नींद की कमी न केवल शरीर के लिए हानिकारक है, बल्कि इससे दृष्टि हानि भी हो सकती है। ऐसे।
नींद की कमी न केवल शरीर के लिए हानिकारक है, बल्कि इससे दृष्टि हानि भी हो सकती है। ऐसे।
अनियमित सोने का तरीका एक नए अध्ययन में पाया गया कि यह न केवल शरीर के लिए हानिकारक था क्योंकि यह ग्लूकोमा के विकास और प्रगति से जुड़ा था, बल्कि एक अध्ययन में प्रकाशित हुआ था। बीजे ओपन जर्नल ने नींद के व्यवहार और ग्लूकोमा के बीच संबंध का विश्लेषण किया। 2006 और 2010 के बीच 40 से 69 वर्ष की आयु के 4,000 से अधिक लोगों के यूके बायोबैंक डेटा के आधार पर एक कोहोर्ट अध्ययन में निम्नलिखित निदानों का अध्ययन…
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helputrust · 3 months
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लखनऊ, 15.06.2024 | "विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस 2024" के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा सेक्टर 25, इंदिरा नगर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में परिचर्चा "Prioritize Dignity, Safety and Wellbeing Of Elders" का आयोजन स्वर्ण जयंती स्मृति विहार पार्क, इंदिरा नगर, लखनऊ में किया गया | परिचर्चा के अंतर्गत डॉ सत्या सिंह, पूर्व पुलिस अधिकारी एवं सदस्य, आंतरिक सलाहक���र समिति, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने वर्तमान परिवेश में बुजुर्गों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार एवं उसके समाधान के बारे में बताया तथा बुजुर्गों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने हेतु जागरूक किया |
परिचर्चा का शुभारंभ डॉ सत्या सिंह, पूर्व पुलिस अधिकारी एवं सदस्य, आंतरिक सलाहकार समिति, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, डॉ रूपल अग्रवाल, न्यासी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, श्रीमती सुनीता जिंदल, उपाध्यक्ष, सेक्टर 25, इंदिरा नगर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, श्रीमती सरिता शर्मा, उपाध्यक्ष, सेक्टर 25, इंदिरा नगर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने दीप प्रज्वलन कर किया |
डॉ सत्या सिंह ने वर्तमान समाज में बुजुर्गों की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, "दुनिया में खुश रहना ही सबसे बड़ी विरासत है | अगर हमारे होठों पर हंसी है और दिल में सुकून है तो फिर हमें दुनिया में किसी चीज की कमी नहीं है | जैसा कि कहा गया है "गो-धन, गज-धन, वाजि-धन और रतन-धन खान ।
जब आवत संतोष-धन, सब धन धूरि समान |"
क्योंकि हमारी सबसे बड़ी लड़ाई अपने आप से होती है और अगर हम उसमें जीत गए तो हमें कोई नहीं हरा सकता | उम्र तो केवल गिनती होती है लेकिन अगर हम हर हाल में खुश रहे तो हम ताउम्र जवान रह सकते हैं | अगर हम आजकल के समाज और परिवेश के बारे में बात करें तो यह जरूरी नहीं है कि हर चीज हमारे हिसाब से हो, हर इंसान हमारे तरीके से चले लेकिन अगर हम बातचीत करें तो हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है | जहां तक बुजुर्गों को उनके अधिकार के बारे में जागरूक करने का प्रश्न है तो उस विषय में मैं यह कहना चाहूंगी कि हर बुजुर्ग व्यक्ति को हर जगह अपना अधिकार छीनना पड़ता है | अगर हम सीनियर सिटीजन है और किसी लाइन में खड़े हैं तो हमें वहां पर बताना पड़ेगा कि हम 60+ है तभी हमें हमारे अधिकार मिलेंगे | हर बुजुर्ग को यह अधिकार है कि अगर उनके बच्चे उनके साथ कुछ गलत कर रहे हैं, उन्हें सहारा नहीं दे रहे तो वे अपने हक और जीविका के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं | हमें हर हाल में खुश रहना चाहिए क्योंकि महाकवि पद्म भूषण डॉक्टर श्री गोपाल दास नीरज कहा करते थे कि जिंदगी और मौत में सिर्फ इतना सा फर्क है :
"न जन्म कुछ, न मृत्यु कुछ, बस इतनी सिर्फ बात है |
किसी की आँख खुल गयी, किसी को नींद आ गई |"
मेरा ऐसा मानना है कि आप अपने बच्चों को जैसे संस्कार देंगे वह समाज में वैसा ही व्यवहार करेगा | इसलिए हमेशा खुश रहें और दूसरों को खुश रखने की कोशिश करें |
मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट को बहुत बधाई देती हूं ट्रस्ट समाज के हर क्षेत्र में बहुत अच्छा कार्य कर रहा है और मैं हर कदम पर ट्रस्ट के साथ हूं |"
परिचर्चा के अंत में डॉ रूपल अग्रवाल ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि "हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट हमेशा आपके साथ है | अगर आपको भविष्य में किसी भी मदद की जरूरत हो तो हम हर तरह से आपकी मदद करेंगे | यदि आप समाज के किसी भी क्षेत्र में जन सेवा करना चाहते हो तो आप हमसे जुड़ सकते हैं और समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में अपना योगदान दे सकते हैं |"
परिचर्चा में डॉ सत्या सिंह, डॉ रूपल अग्रवाल, श्रीमती सुनीता जिंदल, श्रीमती सरिता शर्मा, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों सहित 50 गणमान्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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*Dr. Smita Goel Homeopathy Clinic*
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एसिडिटी या अम्लता एक चिकित्सा स्थिति है जो एसिड के अतिरिक्त उत्पादन के कारण होती है। यह एसिड पेट की ग्रंथियों द्वारा उत्पादित होता है। अम्लता पेट, गैस्ट्रिक सूजन, दिल की धड़कन और डिस्प्सीसिया में अल्सर जैसे लक्षण पैदा करती है। यह आमतौर पर अनियमित खाने के पैटर्न, शारीरिक खेल या गतिविधियों की कमी, शराब की खपत, धूम्रपान, तनाव, फड आहार और खराब खाने की आदतों जैसे कई कारकों के कारण होता है। लोग उन जगहों पर अम्लता विकसित करने में अधिक प्रवण होते हैं। जहां लोग अधिक शाकाहारी, मसालेदार और तेल के भोजन का उपभोग करते हैं। एनएसएआईडी (गैर स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स) जैसी कई दवाएं गैस्ट्रिक अम्लता विकसित करने में एक व्यक्ति को अधिक संवेदनशील बना सकती हैं। एक भारी भोजन लेने के बाद अम्लता को गहरी जलती हुई सनसनी की विशेषता है। अम्लता वाले लोगों में अपचन और कब्ज भी आम है। यह घरेलू उपचार या एंटासिड का उपभोग करके और स्वस्थ कार्यान्वयन से ठीक हो सकता है। एंडोस्टिज्म के रूप में जाना जाने वाला एक तकनीक एसिड भाटा से भी बहुत राहत प्रदान करता है। अम्लता के सामान्य लक्षणों में पेट और गले में मुंह, कब्ज, बेचैनी और जलने की उत्तेजना में अपचन, मतली, खट्टा स्वाद शामिल है।
# अम्लता का कारण क्या होता है?
हमारा पेट आमतौर पर गैस्ट्रिक एसिड पैदा करता है जो पाचन में मदद करता है। इन एसिड के संक्षारक प्रभाव प्रोस्टाग्लैंडिन और प्राकृतिक बाइकार्बोनेट के उत्पादन से संतुलित होते हैं जो श्लेष्म अस्तर में गुप्त होते हैं। यह पेट की अस्तर को नुकसान पहुंचाता है और अम्लता का कारण बनता है। अन्य कारक जो अम्लता का कारण बनते हैं उनमें शामिल हैं:
मांसाहारी और मसालेदार खाद्य पदार्थों का उपभोग करना।
अत्यधिक तनाव
बहुत अधिक शराब का उपभोग।
अक्सर धूम्रपान
पेट के ट्यूमर, गैस्ट्रोसोफेजियल रीफ्लक्स रोग और पेप्टिक अल्सर जैसे पेट विकार।
एनएसएआईडीएस (गैर स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग���स) जैसी दवाएं।
√ अम्लता के लिए उपचार:
एल्यूमीनियम, कैल्शियम या मैग्नीशियम युक्त एंटीसिड का उपभोग करके अम्लता ठीक हो सकती है। कई बार, एच 2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स (हिस्टामाइन अवरुद्ध एजेंट) जैसे निजाटिडाइन, फ़ोटोटिडाइन, रैनिटिडाइन और सिमेटिडाइन का उपयोग किया जाता है। यदि आपके पास गंभीर अम्लता है तो प्रोटॉन पंप इनहिबिटर डॉक्टर द्वारा भी निर्धारित किए जाते हैं। अम्लता का इलाज घरेलू उपचारों जैसे कि केले, ठंडे दूध, एनीज, जीरा, कार्डोमन, लौंग, टकसाल के पत्तों और अदरक का उपभोग भी किया जा सकता है। आप भोजन के दौरान मसालेदार भोजन या अचार से बचने, अधिक सब्जियों और फलों को खाने, गैर शाकाहारी भोजन का उपभोग न करने, एनएसएड्स (गैर स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स) और स्टेरॉयड जैसी दवाओं से बचने और तनाव को कम करने से अम्लता को रोक सकते हैं।
कभी-कभी नींद से पहले भोजन लेने से अम्लता भी हो सकती है। यह पेट के एंजाइमों को आपके एसोफैगस पर वापस जाने और एसिड भाटा का कारण बनने के लिए उत्तेजित करता है। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है।
√ लक्षण:
पेट में जलन जलन
गले में जलन जलन।
डकार।
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जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द से बचने के 10 घरेलू उपाय
September 24, 2024Share
बार बार बदलते मौसम में कई लोग जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द महसूस करते हैं। जैसे बरसात के मौसम हवा में नमी और भारीपन के कारण शरीर को आराम और गतिशीलता में कठिनाई हो सकती है। इस मौसम में हवा के दबाव और नमी में बदलाव से जोड़ों में असहजता और दर्द होता है। वहीँ गर्म और चिपचिपे दिनों में पर्याप्त पानी न पीने से यह दर्द और बढ़ सकता है। सर्दियों में अक्सर शरीर में अकड़न बढ़ जाती है और जोड़ो का दर्द बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। बुज़ुर्गों और गठिया ( Arthritis) के मरीज़ों के लिए यह समस्या विशेष रूप से गंभीर हो सकती है। इसीलिए हर मौसम में लगातार अपने जोड़ों और मांसपेशियों की देखभाल के लिए ज़रूरी उपचार करना और दर्द को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है। 
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इस लेख में हम घर पर ही जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द से बचने के 10 आसान उपायों पर चर्चा करेंगे। साथ ही बाजार में जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द से निजात दिलाने वाले सप्लीमेंट मौजूद हैं, जिन्हे आप स्वास्थ्य परामर्शदाता की सलाह से प्रयोग कर सकते हैं। 
तेल मालिश करें
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दर्द वाले जोड़ों पर धीरे से तेल मालिश करने से रक्त प्रवाह में वृद्धि होती है, जिससे जोड़ो का दर्द कम होता है और बेहतर महसूस करने में मदद मिल सकती है। यह एक पुराना और प्रभावी घरेलू उपाय है जो आपको राहत प्रदान करता है।
रेगुलर एक्सरसाइज करें
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एक्सरसाइज जोड़ों के दर्द को कम करने और मांसपेशियों की अकड़न को दूर करने में मदद करता है। सुबह टहलना, स्ट्रेच करना, योग करना या साइकिल चलाना आपकी हड्डियों और मांसपेशियों को स्वस्थ रखरखने में मदद करता है।
विटामिन ई का सेवन करें
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विटामिन ई जोड़ों के दर्द में मदद कर सकता है क्योंकि यह आपके शरीर में मौजूद हानिकारक तत्वों से लड़ता है। नट्स, सब्ज़ियाँ, बीज और मछली विटामिन ई के अच्छे स्रोत हैं। साबुत अनाज, नट्स और फल जैसे सेहतमंद खाद्य पदार्थ खाना याद रखें।
जंक फ़ूड और कोला-सोडा से बचें
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अचार, मिठाई, केक और कृत्रिम मिठास जैसे अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ खाने से बचने की कोशिश करें। ये आपके दर्द को और भी बदतर बना सकते हैं। कोला, सोडा और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ आपके दर्द को बढ़ा सकते हैं। इसके बजाय, गर्म सूप खाने की कोशिश करें जिससे आपके शरीर की सूजन कम हो सके।
हाइड्रेटेड रहें
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पानी पीने से आपका शरीर हाइड्रेटेड रहता है, जिससे जोड़ों की गतिशीलता में सुधार होता है। कम नमकीन खाद्य पदार्थ खाने से शरीर में अतिरिक्त पानी का संचित होना कम होता है, जिससे सूजन और दर्द में कमी आती है।
कैल्शियम और प्रोटीन का सेवन करें
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कैल्शियम और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ खाने से आप स्वस्थ और मज़बूत बने रहते हैं। विटामिन डी और बी12 की कमी से आपके हाथ और पैर में झुनझुनी या दर्द हो सकता है। दूध, दही, नट्स, अंडा, कैल्शियम के अच्छे स्रोत होते हैं। विटामिन डी धूप, फोर्टिफाइड फूड्स और मल्टीविटामिन या विटामिन डी से युक्त सप्लीमेंट्स से प्राप्त की जा सकता है।
सही जूते पहनें
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सही जूते पहनना सुनिश्चित करें। आरामदायक और सहारा देने वाले जूते पहनें जो आपके आर्च को सपोर्ट करें और स्थिरता प्रदान करें। फ्लैट या बहुत ऊँची एड़ी के जूते न पहनें क्योंकि वे आपके जोड़ों को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
गर्म या ठंडे पैक से सिकाई करें
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अगर आपके जोड़ में दर्द है, तो गर्म या ठंडे पैक का उपयोग करें। ठंडा पैक सूजन को कम करने में मदद करता है, जबकि गर्म पैक मांसपेशियों को आराम देने और दर्द को कम करने में मदद करता है।
बीच बीच में आराम लें
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अपने जोड़ों को आराम देना महत्वपूर्ण है ताकि वे ठीक हो सकें। ब्रेक लेना और पर्याप्त नींद लेना सुनिश्चित करें। इससे आपके जोड़ों और मांसपेशियों को ठीक होने में मदद मिलती है।
सही मुद्रा अपनाएं
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सीधे बैठना और लंबा खड़ा होना याद रखें। सही मुद्रा अपनाने से आपकी हड्डियों और मांसपेशियों को चोट नहीं पहुंचेगी और दर्द कम होगा।
इन सुझावों का पालन करके, आप जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द को नियंत्रित कर सकते हैं और बेहतर महसूस कर सकते हैं। अपने जोड़ों की देखभाल करना महत्वपूर्ण है ताकि आप स्वस्थ और सक्रिय रह सकें।
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gitaacharaninhindi · 4 days
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56. आध्यात्मिकता में कारण और प्रभाव
श्रीकृष्ण कहते हैं कि, ‘‘मन प्रसन्न होने पर व्यक्ति के सम्पूर्ण दु:ख नष्ट हो जाते हैं और उस प्रसन्नचित्त कर्मयोगी की बुद्धि शीघ्र ही सब ओर से हटकर परमात्मा में ही भलीभांति स्थिर हो जाती है’’ (2.65)। हमारी धारणा यह है कि, एक बार जब हमारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं तो हम संतुष्ट हो जाते हैं और सुख को प्राप्त करते हैं। लेकिन श्रीकृष्ण हमें पहले संतुष्ट होने के लिए कहते हैं और बाकी अपने आप हो जाता है।
उदाहरण के लिए, हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि बुखार, दर्द आदि जैसे लक्षण होने पर हम स्वस्थ नहीं हैं। इन लक्षणों का दमन हमें तब तक स्वस्थ नहीं करेगा जब तक इन लक्षणों के जड़ का इलाज नहीं किया जाता है। वहीं दूसरी ओर पौष्टिक आहार, अच्छी नींद, फिटनेस व्यवस्था आदि हमें अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करते हैं।
इसी तरह, भय, क्रोध और द्वेष, जो दु:ख का हिस्सा हैं, संतोष की कमी के संकेत हैं और उनका दमन हमें अपने आप संतुष्ट नहीं करेगा।
इन संकेतों को दबाकर स्वीकार्य व्यवहार करने के लिए कई त्वरित सुधारों का अभ्यास किया जाता है। लेकिन यह दमन बाद में और अधिक जोश के साथ इन चीजों को वापस लाता है। उदाहरण के लिए, दफ्तर में अधिकारी के खिलाफ दबा हुआ गुस्सा अक्सर अपने साथियों या परिवार के सदस्यों पर निकल जाता है।
आनंद के मार्ग में शामिल हैं, दुनिया की ध्रुवीय प्रकृति के बारे में जागरूक होना; कर्मफल की अपेक्षा किए बिना कर्म करना; सजग रहना कि हमारे कार्यों, विचारों और भावनाओं के लिए हम कर्ता नहीं बल्कि साक्षी हैं।
देही/आत्मा जो हमारा अव्यक्त भाग है हमेशा संतुष्ट रहता है। रस्सी-सांप सादृश्य में भ्रमपूर्ण सांप की तरह हम प्रकट के साथ पहचान करते हैं, जो दु:ख का कारण बन जाता है।
श्रीकृष्ण कहीं और बताते हैं कि आत्मा के साथ तादात्म्य होने से दु:ख दूर हो जाता है और इस अवस्था को वे आत्मरमन या आत्मवान होना कहते हैं (2.45)। यह न तो दु:ख का दमन है और न ही अभिव्यक्ति है बल्कि उन्हें देखने और पार करने में सक्षम होने के बारे है।
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drnishupandey2 · 6 days
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माँ बनने की राह अब और भी आसान
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परिचय
माँ बनना हर महिला के जीवन का सबसे सुंदर और अनमोल अनुभव होता है। लेकिन यह यात्रा सभी के लिए समान रूप से आसान नहीं होती। गर्भधारण में समस्याएँ, शारीरिक और मानसिक चुनौतियाँ इस यात्रा को और कठिन बना देती हैं। हालाँकि, आधुनिक विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में हुई प्रगति ने इस राह को और भी सरल बना दिया है। अब माँ बनने की इच्छा रखने वाली महिलाएँ उन्नत चिकित्सा, प्राकृतिक उपायों, और तकनीकी साधनों की मदद से अपने सपनों को साकार कर सकती हैं।
माँ बनने की प्रक्रिया को समझना
प्राकृतिक गर्भधारण की प्रक्रिया
प्राकृतिक गर्भधारण वह प्रक्रिया है जिसमें एक महिला के अंडाणु का पुरुष के शुक्राणु से मिलन होता है। यह प्रक्रिया सामान्यतः मासिक धर्म चक्र के दौरान होती है जब महिला का अंडाशय अंडाणु को जारी करता है। लेकिन हर महिला के लिए यह प्रक्रिया समान नहीं होती।
गर्भधारण में चुनौतियाँ: महिलाओं के सामने आने वाली सामान्य समस्याएँ
कई महिलाएँ गर्भधारण में कठिनाइयों का सामना करती हैं। इसकी कई वजहें हो सकती हैं, जैसे हार्मोनल असंतुलन, उम्र बढ़ने के कारण उर्वरता में कमी, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS), या अन्य शारीरिक समस्याएँ। यह समस्याएँ महिलाओं के लिए भावनात्मक और शारीरिक रूप से बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं।
प्रजनन चिकित्सा में प्रगति
उर्वरता उपचार में नए बदलाव
आज की चिकित्सा उर्वरता उपचार के क्षेत्र में कई नए बदलाव लेकर आई है। जिन महिलाओं को प्राकृतिक रूप से गर्भधारण में कठिनाई होती है, उनके लिए उर्वरता उपचार एक वरदान साबित हो रहा है।
इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF): एक नई उम्मीद
IVF एक ऐसा तरीका है जिसमें महिला के अंडाणु को शरीर से बाहर निकाल कर उसे पुरुष के शुक्राणु से लैब में निषेचित किया जाता है, और फिर उसे महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। IVF ने उन महिलाओं के लिए माँ बनने का रास्ता खोला है, जो प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण नहीं कर पा रही थीं।
हार्मोनल थेरेपी की भूमिका
हार्मोनल थेरेपी गर्भधारण की प्रक्रिया को सुधारने में अहम भूमिका निभाती है। यह थेरेपी महिलाओं के अंडाशय को अंडाणु उत्पन्न करने में मदद करती है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
प्राकृतिक उपाय और जीवनशैली में बदलाव
गर्भधारण के लिए आहार और पोषण का महत्व
उर्वरता बढ़ाने में उचित आहार का बहुत महत्व है। विटामिन्स, खनिज, और एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर भोजन महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियाँ, साबुत अनाज, और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर भोजन गर्भधारण की संभावना को बढ़ाते हैं।
व्यायाम और तनाव प्रबंधन
नियमित व्यायाम और योग जैसी गतिविधियाँ शरीर में हार्मोनों को संतुलित करने और उर्वरता को बढ़ाने में मदद करती हैं। इसके अलावा, तनाव को कम करने के लिए ध्यान, ध्यानमग्नता और गहरी साँस लेने के अभ्यास गर्भधारण को बढ़ावा दे सकते हैं।
उर्वरता बढ़ाने के लिए हर्बल और वैकल्पिक उपचार
कई महिलाएँ हर्बल उपाय और वैकल्पिक चिकित्सा का सहारा लेती हैं। ये प्राकृतिक उपाय हार्मोनों को संतुलित करने और गर्भधारण की संभावना बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। हालाँकि, किसी भी वैकल्पिक उपचार को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
माँ बनने में तकनीक की भूमिका
उर्वरता ऐप्स और ट्रैकर्स
आज के डिजिटल युग में उर्वरता ट्रैक करने के लिए ऐप्स का उप��ोग करना बहुत आसान हो गया है। ये ऐप्स महिलाओं के मासिक धर्म चक्र, ओव्यूलेशन, और अन्य स्वास्थ्य मापदंडों को ट्रैक करने में मदद करते हैं।
प्रजनन सलाह के लिए टेलीमेडिसिन
टेलीमेडिसिन ने महिलाओं को उर्वरता सलाह और उपचार तक पहुँच को सरल बना दिया है, विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए जो दूरदराज के इलाकों में रहती हैं। अब विशेषज्ञों से वीडियो कॉल के माध्यम से सलाह ली जा सकती है।
गर्भावस्था मॉनिटरिंग के लिए वियरेबल टेक्नोलॉजी
वियरेबल हेल्थ डिवाइसेज जैसे स्मार्टवॉच गर्भावस्था की देखभाल को और भी सरल बना रही हैं। ये डिवाइस हृदय गति, नींद के पैटर्न, और तनाव के स्तर को ट्रैक करते हैं, जिससे गर्भवती महिलाएँ अपने स्वास्थ्य पर नजर रख सकती हैं।
मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक भलाई
गर्भधारण से संबंधित चिंता और तनाव का सामना करना
माँ बनने की यात्रा भावनात्मक रूप से बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकती है, विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए जो गर्भधारण में कठिनाई का सामना कर रही हैं।
समर्थन नेटवर्क का महत्व
इस यात्रा में मानसिक और भावनात्मक समर्थन की बहुत आवश्यकता होती है। परिवार, मित्र, और ऑनलाइन समर्थन समूह महिलाओं के लिए इस यात्रा को आसान बना सकते हैं।
उर्वरता यात्रा के दौरान थेरेपी और काउंसलिंग
थेरेपी और काउंसलिंग बांझपन की भावनात्मक चुनौतियों से निपटने में बहुत सहायक होते हैं। विशेषज्ञ काउंसलिंग के माध्यम से महिलाओं को मानसिक रूप से मजबूत और तैयार होने में मदद करते हैं।
निष्कर्ष
माँ बनने की यात्रा आज पहले से कहीं अधिक सरल और सुलभ हो गई है। आधुनिक चिकित्सा, तकनीक, और मानसिक समर्थन की मदद से महिलाएँ अपने मातृत्व के सपने को साकार कर सकती हैं। इस यात्रा को समर्थन, देखभाल, और उचित चिकित्सा की मदद से अपनाना बहुत ही महत्वपूर्ण है।
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drsunildubeyclinic · 6 days
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Best Ayurvedic Sexologist in Patna, Bihar for entire Sexual Treatment | Dr. Sunil Dubey
क्या आप यौन क्रिया में कमजोरी महसूस करते है या इससे पीड़ित हैं? दरअसल, आपकी यौन क्रिया में कमजोरी आपके क्षमता और सहनशक्ति की कमी को दर्शाता है, इसीलिए; आपको यौन जीवन में कठिनाइयाँ हो रही हैं। आप अपने यौन क्रिया में लंबे समय तक टिके रहना चाहते हैं और अपने पार्टनर को ज्यादा से ज्यादा संतुष्ट करना चाहते हैं लेकिन आपके निम्न स्तर के परफॉर्मेंस के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है।
क्या आप जानते हैं कम यौन सहनशक्ति और प्रदर्शन में कमी का सही कारण क्या है?
विश्व-प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे जो कि पटना के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट है, कहते हैं कि आम तौर पर मुख्य रूप से चार ऐसे कारण होते हैं जो पुरुषों के प्रदर्शन व क्षमता को प्रभावित करते हैं। ये चार कारण हैं:
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1. स्खलन का समय मायने रखता है।
2. शारीरिक थकान भी एक मुद्दा है।
3. मनोवैज्ञानिक मुद्दे मुख्य कारक है।
4. स्तंभन दोष (नपुंसकता ) बहुत हद तक।
ऊपर बताए गए चार कारण हमेशा पुरुषों की यौन क्षमता व उसके प्रर्दशन को प्रभावित करते हैं।
भारत के इस गोल्ड मेडलिस्ट सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर का कहना है कि अगर जिस व्यक्ति की सेक्सुअल लाइफ में परफॉर्मेंस का स्तर निम्न है। उसे हमेशा अपने शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक और लाइफस्टाइल मुद्दों को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। शारीरिक और मानसिक शक्ति को बढ़ाने के लिए व्यायाम, मेडिटेशन, व योग ऊर्जावर्धक क्रिया है, इसीलिए; उसे प्रतिदिन व्यायाम व शारीरिक श्रम अवश्य करना चाहिए। उसे अपने जीवन से अस्वास्थ्यकर आदतों को बाहर निकालना चाहिए जैसे कि  धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन, निष्क्रिय जीवन, और नींद की दवाईयों का सेवन।
उन्होंने यह भी कहा कि दोनों पार्टनर्स (पति-पत्नी) को बिना किसी आरोप-प्रत्यारोप के अपने रिश्ते को सशक्त बनाने की कोशिश करनी चाहिए। यदि गुप्त व यौन रोगी को मधुमेह, हृदय संबंधी समस्याएं या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हैं; तो उसे समय-समय पर अपना फिजिकल टेस्ट करवाते रहने की आवश्यकता है।
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प्राकृतिक और आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार:
प्रकृति का यह शाश्वत सत्य बात है कि आदत किसी भी व्यक्ति का दूसरा स्वभाव होता है। हम जैसा करते है, सोचते हैं वही हमारी मानसिकता और शारीरिक व्यक्तित्व पर दिखता है। यदि हम प्राकृतिक या आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार का उपयोग करें तो हमारे शरीर में प्राकृतिक रूप से सुधार करता है।
आयुर्वेद चिकित्सा-उपचार हमारे यौन स्वास्थ्य को प्राकृतिक तरीके से बेहतर बनाने के लिए सबसे अच्छे और सुरक्षित विकल्पों में से एक है। प्राकृतिक व आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार का शरीर पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होता और कोई भी रोगी अपने यौन स्वास्थ्य का लंबे समय तक समाधान प्राप्त कर सकता है। गुप्त व यौन रोगी को इस प्राकृतिक औषधि को अपनाना व समस्याओं का जड़ से समाधान पाना प्रकृति का एक रूप होता है।
पटना में सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक व सेक्सोलॉजी क्लीनिक के बारे में:
यदि आप पटना या बिहार में कही भी रह रहे हैं, तो दुबे क्लिनिक आपके यौन स्वास्थ्य क�� लिए सबसे विश्वसनीय और अत्यधिक भरोसेमंद आयुर्वेदिक व सेक्सोलोजी चिकित्सा क्लिनिक है। यह आईएसओ प्रमाणित और चिकित्सकीय रूप से पंजीकृत क्लिनिक है जो अपनी आयुर्वेदिक चिकित्सा-उपचार में हमेशा गुणवत्ता और शुद्धता बनाए रखता है। स्थानीय मरीज़ क्लिनिक के समयानुसार इस क्लिनिक से संपर्क करते हैं और इस क्लिनिक में आने के लिए अपनी नियुक्ति लेते हैं। बिहार से बाहर के गुप्त व यौन रोगी क्लिनिक में आने के लिए फ़ोन पर ही अपने अपॉइंटमेंट लेते है।
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डॉ. सुनील दुबे जो कि विगत तीन दशकों से बिहार के सर्वश्रेठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर रहे है, हर तरह के गुप्त व यौन मरीज का अपने आयुर्वेद के व्यापक पद्धति द्वारा इलाज करते हैं। वह मरीजों के समस्या का सही कारण का पता लगाते है और उनके गुप्त व यौन समस्याओं के लिए सटीक चिकित्सा-उपचार प्रदान करते है। वह भारत के सबसे सफल आयुर्वेद चिकित्सा शोधकर्ता भी हैं और उन्होंने पुरुष व महिला गुप्त व यौन रोगियों के लिए बहुत सारी आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार की खोज की है। आज के समय में अधिकतर गुप्त व यौन रोगी उनके आयुर्वेदिक औषधियों को अपनाते हैं और अपने यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं। विवाहित और अविवाहित दोनों यौन रोगी अपना अपॉइंटमेंट लेकर दुबे क्लिनिक में इलाज करवाने के लिए आते है।
यदि आप भारत में कही भी रह रहे हैं, तो दुबे क्लिनिक ऑन-कॉल के माध्यम से जुड़कर अपने गुप्त व यौन समस्याओं का निदान पा सकते है। डॉ. सुनील दुबे प्रत्येक बाहरी मरीज़ों के लिए प्रतिदिन दोपहर 16:00-18:00 बजे तक फ़ोन पर उपलब्ध रहते हैं। वास्तविक जरूरतमंद गुप्त व यौन रोगी फोन पर अपना अपॉइंटमेंट लेकर उनसे ऑन-कॉल परामर्श ले सकते हैं। परामर्श के बाद, गुप्त व यौन रोगियों को यह आयुर्वेदिक क्लिनिक अपनी दवा कूरियर के माध्यम से उपलब्ध भी करवाती है। दुबे क्लिनिक भारत और विदेश में सभी गुप्त व यौन रोगियों को दवा वितरण विशेषाधिकार प्रदान करता है।
अपने गुप्त व यौन समस्या को कभी न छुपाएं क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य और भविष्य के लिए अच्छा नहीं है। बस सबसे अनुभवी सेक्सोलॉजिस्ट और प्रतिष्ठित दुबे क्लिनिक से संपर्क करें। यह 100% गारंटी है कि इस क्लिनिक के चिकित्सा-उपचार के बाद आपको अपने समस्या का स्थायी समाधान मिल जाएगा।
हार्दिक सम्मान के साथ:
दुबे क्लिनिक
भारत का प्रमाणित आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी क्लिनिक
हेल्पलाइन नंबर: +91 98350-92586
स्थल: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना-04
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naturopathy76 · 9 days
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आंखों में सूखापन और जलन को दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय
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आंखें हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो हमें दुनिया को देखने और समझने में मदद करती हैं। आज के समय में, जब हम डिजिटल उपकरणों का अत्यधिक उपयोग कर रहे हैं और हमारे जीवन में तनाव और अनियमित जीवनशैली बढ़ रही है, आंखों से जुड़ी समस्याएं भी बढ़ती जा रही हैं। आंखों में सूखापन और जलन एक आम समस्या बनती जा रही है, जिससे बहुत लोग परेशान हैं। हालांकि यह समस्या आम हो सकती है, लेकिन इसे अनदेखा करना हमारे आंखों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इस लेख में हम आंखों में सूखापन और जलन को दूर करने के कुछ आयुर्वेदिक उपायों के बारे में जानेंगे।
आंखों में सूखापन और जलन के कारण
आंखों में सूखापन और जलन कई कारणों से हो सकते हैं, जैसे:
अत्यधिक स्क्रीन टाइम: कंप्यूटर, मोबाइल या टैबलेट का लंबे समय तक उपयोग करने से आंखों में तनाव बढ़ता है, जिससे सूखापन और जलन हो सकती है।
प्रदूषण: धूल, धुआं और प्रदूषित वातावरण आंखों में जलन और सूखापन पैदा कर सकते हैं।
नींद की कमी: पर्याप्त नींद न लेने से आंखों में थकान, जलन और सूखापन हो सकता है।
अनियमित खान-पान: विटामिन A, ओमेगा-3 फैटी एसिड और अन्य पोषक तत्वों की कमी भी आंखों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकती है।
तनाव और चिंता: मानसिक तनाव आंखों में जलन और सूखापन की समस्या को बढ़ा सकता है।
आयुर्वेद में आंखों का महत्व
आयुर्वेद में आंखों को शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक माना गया है। इसे 'नेत्र' कहा जाता है और इसे स्वस्थ बनाए रखने के लिए आयुर्वेद में कई विधियों का वर्णन किया गया है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से, आंखों की समस्याओं का समाधान केवल लक्षणों को ठीक करने तक सीमित नहीं होता, बल्कि शरीर के संतुलन को बहाल करने और प्राकृतिक उपचार के माध्यम से दीर्घकालिक लाभ प्राप्त करने पर ध्यान दिया जाता है।
आंखों में सूखापन और जलन के लिए आयुर्वेदिक उपाय
1. त्रिफला चूर्ण का उपयोग
त्रिफला आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधि मानी जाती है, जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। त्रिफला चूर्ण को रात में पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इस पानी से आंखों को धोने से आंखों की जलन और सूखापन कम होता है। त्रिफला चूर्ण का सेवन भी आंखों की रोशनी बढ़ाने और उन्हें स्वस्थ रखने में मदद करता है।
2. घी से आंखों की मालिश
आंखों में सूखापन और जलन को दूर करने के लिए घी का उपयोग अत्यंत प्रभावी होता है। शुद्ध देसी गाय के घी से आंखों के आस-पास हल्की मालिश करने से आंखों की नमी बनी रहती है और जलन से राहत मिलती है। यह आंखों की थकान को दूर करता है और आंखों को ठंडक प्रदान करता है।
3. नेत्र तर्पण (घृत धारा)
आयुर्वेद में नेत्र तर्पण एक विशेष उपचार है, जिसमें आंखों के चारों ओर आटे की एक रिंग बनाकर उसमें शुद्ध घी डाला जाता है। इस विधि से आंखों में नमी बनी रहती है और सूखापन व जलन से राहत मिलती है। यह आंखों के समग्र स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है और दृष्टि को तेज करता है।
4. गुलाब जल का प्रयोग
गुलाब जल आंखों को ठंडक पहुंचाने और जलन को कम करने के लिए एक प्राकृतिक उपाय है। आंखों में 2-3 बूंद गुलाब जल डालने से आंखों की सूजन, लालिमा और जलन से राहत मिलती है। यह आंखों की नमी को बरकरार रखता है और उन्हें ताजगी प्रदान करता है।
5. बादाम और सौंफ का मिश्रण
बादाम और सौंफ दोनों ही आंखों के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं। 5-6 बादाम और 1 चम्मच सौंफ को रात में पानी में भिगोकर रख दें। सुबह इसे पीसकर इसमें शहद मिलाएं और सेवन करें। यह मिश्रण आंखों की रोशनी बढ़ाने के साथ-साथ सूखापन और जलन को भी कम करता है।
6. अच्छी नींद और आराम
नींद की कमी आंखों में जलन और सूखापन का एक प्रमुख कारण हो सकता है। प्रतिदिन 7-8 घंटे की पर्याप्त नींद लेना आंखों की सेहत के लिए आवश्यक है। इसके साथ ही, आंखों को समय-समय पर आराम देना भी आवश्यक है, खासकर उन लोगों के लिए जो कंप्यूटर या मोबाइल पर अधिक समय बिताते हैं।
कुछ अन्य सावधानियां और सुझाव
आंखों को बार-बार न मलें: जब भी आंखों में जलन हो, तो उन्हें बार-बार मसलने से बचें। इससे समस्या बढ़ सकती है।
हाइड्रेशन: अपने शरीर को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से आंखों की नमी बनी रहती है।
स्वस्थ आहार: अपने आहार में हरी सब्जियां, गाजर, पपीता, और अन्य विटामिन A से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें। यह आंखों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं।
धूप का चश्मा पहनें: जब भी आप बाहर निकलें, तो अपनी आंखों को सूरज की हानिकारक किरणों और धूल से बचाने के लिए धूप का चश्मा पहनें।
निष्कर्ष
आंखों का स्वास्थ्य हमारे जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आंखों में सूखापन और जलन की समस्या आम हो सकती है, लेकिन इसे नजरअंदाज करना सही नहीं है। आयुर्वेद में बताए गए सरल और प्रभावी उपायों का पालन करके आप अपनी आंखों को स्वस्थ रख सकते हैं। यदि समस्या बनी रहती है, तो किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें। प्राकृतिक तरीकों से आंखों की देखभाल करना न केवल सुरक्षित है, बल्कि लंबे समय तक इसके सकारात्मक परिणाम भी मिलते हैं। Visit Us:https://prakritivedawellness.com/customised-healing-centre-in-prayagraj/
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sivasutras · 10 days
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शिव सूत्र - भाग 1 - संभवोपाय - 10वां सूत्र: अविवेको माया सुषुप्तम - माया गहरी नींद है, जो अज्ञान की अवस्था होती है। (Siva Sutras - Part 1 - Sambhavopaya - 10th Sutra : Aviveko Maya Susuptam - Deep Sleep is Maya, The State of Ignorance.)
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🌹 शिव सूत्र - भाग 1 - संभवोपाय - 10वां सूत्र: अविवेको माया सुषुप्तम - माया गहरी नींद है, जो अज्ञान की अवस्था होती है। 🌹 प्रसाद भारद्वाज https://youtu.be/y6QTQmn-r0g
शिव सूत्रों के 10वें सूत्र—अविवेको माया सुषुप्तम्—में बताया गया है कि अज्ञान या विवेक की कमी (अविवेक) गहरी नींद (सुषुप्ति) के समान होती है, जो माया के भ्रम के अधीन होती है। जिस प्रकार गहरी नींद जागरूकता को ढक देती है, उसी प्रकार अज्ञान हमारी वास्तविक प्रकृति, जो शिव है, को छिपा देता है और हमें भ्रम में फंसा रखता है। लेकिन आत्म-साक्षात्कार और आध्यात्मिक साधना के माध्यम से, व्यक्ति इन अवस्थाओं को पार कर सकता है, सामान्य चेतना से परे जाकर उच्च वास्तविकताओं का अनुभव कर सकता है और अंततः शिव की अनंत चेतना में विलीन हो सकता है। यह सूत्र हर व्यक्ति के भीतर मौजूद आध्यात्मिक क्षमता की एक गहरी याद दिलाता है, जो हमें भौतिक संसार के भ्रमों से ऊपर उठकर मुक्ति प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
🌹🌹🌹🌹🌹
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chaitanyavijnanam · 10 days
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शिव सूत्र - भाग 1 - संभवोपाय - 10वां सूत्र: अविवेको माया सुषुप्तम - माया गहरी नींद है, जो अज्ञान की अवस्था होती है। (Siva Sutras - Part 1 - Sambhavopaya - 10th Sutra : Aviveko Maya Susuptam - Deep Sleep is Maya, The State of Ignorance.)
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🌹 शिव सूत्र - भाग 1 - संभवोपाय - 10वां सूत्र: अविवेको माया सुषुप्तम - माया गहरी नींद है, जो अज्ञान की अवस्था होती है। 🌹 प्रसाद भारद्वाज https://youtu.be/y6QTQmn-r0g
शिव सूत्रों के 10वें सूत्र—अविवेको माया सुषुप्तम्—में बताया गया है कि अज्ञान या विवेक की कमी (अविवेक) गहरी नींद (सुषुप्ति) के समान होती है, जो माया के भ्रम के अधीन होती है। जिस प्रकार गहरी नींद जागरूकता को ढक देती है, उसी प्रकार अज्ञान हमारी वास्तविक प्रकृति, जो शिव है, को छिपा देता है और हमें भ्रम में फंसा रखता है। लेकिन आत्म-साक्षात्कार और आध्यात्मिक साधना के माध्यम से, व्यक्ति इन अवस्थाओं को पार कर सकता है, सामान्य चेतना से परे जाकर उच्च वास्तविकताओं का अनुभव कर सकता है और अंततः शिव की अनंत चेतना में विलीन हो सकता है। यह सूत्र हर व्यक्ति के भीतर मौजूद आध्यात्मिक क्षमता की एक गहरी याद दिलाता है, जो हमें भौतिक संसार के भ्रमों से ऊपर उठकर मुक्ति प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
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mwsnewshindi · 2 years
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क्या आपके गद्दे से तनाव और चिंता प्रेरित हो सकती है? एक अच्छे सोने के गद्दे का महत्व
क्या आपके गद्दे से तनाव और चिंता प्रेरित हो सकती है? एक अच्छे सोने के गद्दे का महत्व
अच्छी नींद का महत्व: नींद का समर्थन करने में हमारा बिस्तर एक महत्वपूर्ण तत्व है। हम जिस गद्दे पर सोते हैं, वह हमारे सोने के चक्र को बना भी सकता है और बिगाड़ भी सकता है। कार्यालय में लंबे दिन के बाद नींद की कमी एक चिड़चिड़ा और अगले दिन थका हुआ छोड़ सकती है। नींद की कमी लोगों में चिंता और तनाव के सबसे बड़े कारणों में से एक है। एक खराब गद्दा आपको एक आरामदायक नींद चक्र स्थापित करने से रोक सकता है…
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drmadhurendupandey · 18 days
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पुरुषों के स्वास्थ्य समस्याओं का संपूर्ण समाधान
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पुरुषों के स्वास्थ्य का महत्व
पुरुषों का स्वास्थ्य एक व्यापक विषय है जो शारीरिक, मानसिक, और यौन स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। पुरुषों के जीवन में स्वास्थ्य समस्याएँ आम हो सकती हैं, लेकिन इन्हें सही समय पर पहचानकर और उचित इलाज से निपटना आवश्यक है।
स्वस्थ शरीर और मन की आवश्यकता
स्वस्थ शरीर और मन, जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का संतुलन बनाए रखना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि दोनों का आपस में गहरा संबंध है।
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के बीच संबंध
मानसिक तनाव, चिंता, और डिप्रेशन जैसी समस्याएँ शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं, जैसे उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारियाँ, और सेक्स से जुड़ी समस्याएँ।
पुरुषों में आम स्वास्थ्य समस्याएँ
पुरुषों में कई स्वास्थ्य समस्याएँ देखी जाती हैं, जिनमें हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, और मोटापा प्रमुख हैं।
हृदय रोग और उच्च रक्तचाप
हृदय रोग और उच्च रक्तचाप पुरुषों में एक आम समस्या बन चुकी है। यह समस्याएँ अक्सर अस्वस्थ जीवनशैली, उच्च वसा वाला आहार, और शारीरिक गतिविधियों की कमी से उत्पन्न होती हैं।
मधुमेह और इसके प्रभाव
मधुमेह भी एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है, जो न केवल शरीर में शर्करा के स्तर को प्रभावित करता है, बल्कि अन्य अंगों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
मोटापा और इसके कारण
मोटापा न केवल शरीर को भारी बनाता है, बल्कि यह हृदय, लीवर, और अन्य अंगों पर भी असर डालता है। इससे पुरुषों में यौन समस्याएँ भी उत्पन्न हो सकती हैं।
सेक्स से जुड़ी समस्याएँ और समाधान
पुरुषों में सेक्स से जुड़ी समस्याएँ जैसे सेक्स कमजोरी, यौन इच्छाशक्ति में कमी, और इरेक्टाइल डिसफंक्शन आम होती हैं। ये समस्याएँ शारीरिक और मानसिक कारणों से उत्पन्न हो सकती हैं।
सेक्स कमजोरी के कारण और उपचार
सेक्स कमजोरी के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शारीरिक थकान, मानसिक तनाव, और कुछ रोग शामिल हैं। इसका इलाज शारीरिक व्यायाम, आहार सुधार, और मानसिक संतुलन बनाए रखने से किया जा सकता है।
यौन इच्छाशक्ति में कमी
यौन इच्छाशक्ति में कमी अक्सर मानसिक तनाव और हार्मोनल असंतुलन के कारण होती है। योग, ध्यान, और कुछ विशेष आहार इस समस्या में मददगार साबित हो सकते हैं।
इरेक्टाइल डिसफ���क्शन का इलाज
इरेक्टाइल डिसफंक्शन का इलाज दवाओं, काउंसलिंग, और जीवनशैली में सुधार से किया जा सकता है।
आहार और जीवनशैली में परिवर्तन
आहार और जीवनशैली में सुधार, जैसे फल, सब्जियों, और प्रोटीन युक्त आहार का सेवन और नियमित व्यायाम, इरेक्टाइल डिसफंक्शन को कम कर सकता है।
चिकित्सा और दवाइयाँ
चिकित्सकीय सहायता और दवाइयाँ, जैसे PDE5 inhibitors, भी इरेक्टाइल डिसफंक्शन के इलाज में प्रभावी हो सकते हैं।
स्वप्नदोष: कारण, प्रभाव और समाधान
स्वप्नदोष एक सामान्य समस्या है जो अक्सर किशोर और युवाओं में देखी जाती है, लेकिन यह वयस्कों में भी हो सकती है।
स्वप्नदोष क्या है?
स्वप्नदोष, जिसे नाइटफॉल भी कहा जाता है, तब होता है जब पुरुष नींद में स्वप्न के दौरान वीर्यपात करते हैं। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन जब यह बार-बार हो, तो इसे समस्याग्रस्त माना जा सकता है।
स्वप्नदोष के मुख्य कारण
स्वप्नदोष के कई कारण हो सकते हैं, जैसे अश्लील सामग्री देखना, अत्यधिक मानसिक उत्तेजना, या किसी चिंता या तनाव का होना।
स्वप्नदोष का प्रभाव
स्वप्नदोष का प्रभाव मानसिक और शारीरिक हो सकता है। अत्यधिक स्वप्नदोष से शारीरिक कमजोरी और मानसिक तनाव हो सकता है।
स्वप्नदोष से बचाव के उपाय
स्वप्नदोष से बचने के लिए स्वस्थ जीवनशैली, योग और ध्यान, और उत्तेजक सामग्री से दूर रहना फायदेमंद हो सकता है।
गुप्तरोग: पुरुषों के लिए प्रमुख चिंताएँ
गुप्तरोग, पुरुषों के लिए गंभीर चिंताओं में से एक है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
गुप्तरोग की पहचान और लक्षण
गुप्तरोग, यौन संक्रमित बीमारियाँ होती हैं, जो आमतौर पर असुरक्षित यौन संबंधों से फैलती हैं। इनके लक्षणों में जननांगों में जलन, घाव, और सूजन शामिल हो सकते हैं।
गुप्तरोग के प्रकार और उनके उपचार
गुप्तरोग कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे सिफलिस, गोनोरिया, और एचआईवी। प्रत्येक का उपचार अलग-अलग होता है, और इसके लिए चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक होता है।
चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता
गुप्तरोग के इलाज के लिए डॉक्टर की सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है। उचित समय पर इलाज न कराने से यह रोग बढ़ सकता है और गंभीर हो सकता है।
पुरुषों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के उपाय
स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर पुरुष अपने स्वास्थ्य को बनाए रख सकते हैं।
नियमित व्यायाम का महत्व
नियमित व्यायाम न केवल शरीर को फिट रखता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधारता है। यह हृदय रोग और मोटापे जैसी समस्याओं से बचाव करता है।
संतुलित आहार और पोषण
संतुलित आहार जिसमें फल, सब्जियाँ, और प्रोटीन शामिल हों, शरीर को आवश्यक पोषण प्रदान करता है और विभिन्न बीमारियों से बचाता है।
तनाव प्रबंधन और योग
योग और ध्यान, मानसिक तनाव को कम करने और यौन स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करते हैं। यह मानसिक शांति और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है।
निष्कर्ष
पुरुषों के स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान एकीकृत दृष्टिकोण से संभव है, जिसमें शारीरिक, मानसिक, और यौन स्वास्थ्य को समान महत्व दिया जाना चाहिए। उचित समय पर चिकित्सा
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helputrust · 6 months
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सभी स्कूलों और कॉलेजों में बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए-श्री नीरज सिंह
आपातकाल की स्थिति में बेसिक लाइफ सपोर्ट दूसरों की जान बचाने में मददगार है-डॉ. पियाली भट्टाचार्य
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट स्वस्थ लोग, स्वस्थ समाज पर काम कर रहा है-हर्ष वर्धन अग्रवाल
हम अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं-डॉ रूपल अग्रवाल
लखनऊ, 07.04.2024 | विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा रामायण पार्क, सेक्टर -25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "बेसिक लाइफ सपोर्ट" कार्यशाला का आयोजन किया गया । कार्यशाला में डॉ. पियाली भट्टाचार्य, सलाहकार, Lucknow Academy of Pediatrics एवं बाल रोग विशेषज्ञ, एस.जी.पी.जी.आई, Lucknow Academy of Pediatrics से  डॉ निर्मला जोशी, अध्यक्ष, डॉ अमित कुमार रस्तोगी, उपाध्यक्ष तथा डॉ उत्कर्ष बंसल, सचिव ने सेक्टर 25 के निवासियों को हार्ट अटैक आने पर मरीज को दिये जाने वाले प्रारंभिक उपचार का प्रशिक्षण दिया । कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ समाजसेवी, श्री नीरज सिंह की गरिमामयी उपस्थिति रही l कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान तथा दीप प्रज्वलन से हुआ |
कार्यशाला में सभी का स्वागत करते हुए हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने कहा कि “आप सभी को विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | विश्व स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्थापना के दिन मनाया जाता है | इस दिन लोगों को सेहत से जुड़ी समस्याओं एवं अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है | इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम है "मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार (My Health, My Right)” जिसके तहत आज हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा बेसिक लाइफ सपोर्ट कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट लोगों को नई चिकित्सा तकनीकों के बारे में जागरूक करने और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में काम कर रहा है । ट्रस्ट द्वारा जनहित में निरंतर नि:शुल्क होम्योपैथी परामर्श, निदान एवं दवा वितरण शिविर, रक्तदान शिविर, मुफ्त स्वास्थ्य जांच शिविर, कैंसर और स्वाइन फ्लू के लिए जागरूकता शिविर और मुफ्त नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसमें समाज के निर्धन, गरीब और असहाय लोगों की निरंतर मदद की जा रही है |”
कार्यशाला के मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह, वरिष्ठ समाजसेवी ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किए जा रहे जनहित के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि, "आप सभी को विश्व स्वास्थ्य दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट निरंतर ही जन सेवा के कार्यों में लगा हुआ है | मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल की प्रशंसा करता हूं जो सरकार द्वारा दिए गए अधिकारों का सदुपयोग करते हुए निरंतर जनहित में कार्य कर रहे हैं | बेसिक लाइफ सपोर्ट एक ऐसी ट्रेनिंग है जो हार्ट अटैक की स्थिति में अस्पताल पहुंचने तक किसी की भी जान बचा सकती है | मेरा मानना है कि बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण को हर किसी को सीखना चाहिए और हर स्कूल और कॉलेज में ऐसी कार्यशालाएं आयोजित की जानी चाहिए, खासकर युवाओं को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए | इस अवसर पर श्री नीरज सिंह ने स्वयं भी प्रशिक्षण प्राप्त किया |”
डॉ पियाली भट्टाचार्य, डॉ अमित कुमार रस्तोगी एवं डॉ उत्कर्ष बंसल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों को बेसिक लाइफ सपोर्ट के बारे में बताते हुए कहा कि "बेसिक लाइफ सपोर्ट (बी.एल.एस.) चिकित्सकीय देखभाल की ट्रेनिंग है जिसका उपयोग जीवन-घातक बीमारियों जैसे हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक या चोटों के पीड़ितों के लिए तब तक किया जाता है जब तक कि वह अस्पताल में संपूर्ण चिकित्सकीय देखभाल के लिए ना पहुंच जाये । बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण का उद्देश्य आम लोगों को दिल का दौरा पड़ने या दम घुटने जैसी आपात स्थिति में प्राथमिक उपचार देने की सही तकनीक के बारे में जागरूक करना है । यह जीवन बचाने और हृदय, गुर्दे और मस्तिष्क जैसे महत्वपूर्ण अंगों को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। हार्ट अटैक के कारण मृत्यु दर दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है | इस आधुनिक दुनिया में लोग अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करने के कारण चिंता, अवसाद, नींद की कमी, अस्वास्थ्यकर भोजन के कारण मोटापे से पीड़ित हो गए हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ने के मामले बढ़ रहे हैं | ऐसी स्थिति में बेसिक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग होना अत्यंत आवश्यक है जिससे हम किसी को जरूरत पड़ने पर मदद कर सकें |” प्रशिक्षकों द्वारा नवजात शिशु से लेकर बड़े बच्चों की सांस की नली में कुछ फस जाने, उनके गले में कुछ अटक जाने की स्थिति में कैसे उनकी जान बचाई जा सकती है, यह भी प्रशिक्षण के माध्यम से बताया |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद देते हुए कहा कि, “हम मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह का अत्यधिक आभार प्रकट करते है कि वह अपने व्यस्त कार्यक्रम में से जनहित के लिए समय निकालकर यहां आए तथा हम सबका मार्गदर्शन किया, साथ ही  इस कार्यशाला के कुशल प्रशिक्षकों एवं प्रतिष्ठित चिकित्सकों का भी धन्यवाद है जिनके सहयोग से यह कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न हो सकी | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का आदर्श वाक्य है स्वस्थ लोग, स्वस्थ समाज एवं ट्रस्ट निरंतर इसी दिशा में कार्य कर रहा है |”
कार्यशाला में मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह, प्रशिक्षकों डॉ निर्मला जोशी, डॉ पियाली भट्टाचार्य, डॉ अमित कुमार रस्तोगी एवं डॉ उत्कर्ष बंसल को हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव द्वारा प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया गया | कार्यशाला की समाप्ति पर सभी प्रतिभागियों को प्रतिभागिता प्रमाण पत्र प्रदान किया गया | कार्यशाला में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉक्टर संतोष कुमार श्रीवास्तव, क्षेत्रीय पार्षद श्री भृगुनाथ शुक्ला, सेक्टर 25 के निवासियों तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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*Dr. Smita Goel Homeopathy Clinic*
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एसिडिटी या अम्लता एक चिकित्सा स्थिति है जो एसिड के अतिरिक्त उत्पादन के कारण होती है। यह एसिड पेट की ग्रंथियों द्वारा उत्पादित होता है। अम्लता पेट, गैस्ट्रिक सूजन, दिल की धड़कन और डिस्प्सीसिया में अल्सर जैसे लक्षण पैदा करती है। यह आमतौर पर अनियमित खाने के पैटर्न, शारीरिक खेल या गतिविधियों की कमी, शराब की खपत, धूम्रपान, तनाव, फड आहार और खराब खाने की आदतों जैसे कई कारकों के कारण होता है। लोग उन जगहों पर अम्लता विकसित करने में अधिक प्रवण होते हैं। जहां लोग अधिक शाकाहारी, मसालेदार और तेल के भोजन का उपभोग करते हैं। एनएसएआईडी (गैर स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स) जैसी कई दवाएं गैस्ट्रिक अम्लता विकसित करने में एक व्यक्ति को अधिक संवेदनशील बना सकती हैं। एक भारी भोजन लेने के बाद अम्लता को गहरी जलती हुई सनसनी की विशेषता है। अम्लता वाले लोगों में अपचन और कब्ज भी आम है। यह घरेलू उपचार या एंटासिड का उपभोग करके और स्वस्थ कार्यान्वयन से ठीक हो सकता है। एंडोस्टिज्म के रूप में जाना जाने वाला एक तकनीक एसिड भाटा से भी बहुत राहत प्रदान करता है। अम्लता के सामान्य लक्षणों में पेट और गले में मुंह, कब्ज, बेचैनी और जलने की उत्तेजना में अपचन, मतली, खट्टा स्वाद शामिल है।
# अम्लता का कारण क्या होता है?
हमारा पेट आमतौर पर गैस्ट्रिक एसिड पैदा करता है जो पाचन में मदद करता है। इन एसिड के संक्षारक प्रभाव प्रोस्टाग्लैंडिन और प्राकृतिक बाइकार्बोनेट के उत्पादन से संतुलित होते हैं जो श्लेष्म अस्तर में गुप्त होते हैं। यह पेट की अस्तर को नुकसान पहुंचाता है और अम्लता का कारण बनता है। अन्य कारक जो अम्लता का कारण बनते हैं उनमें शामिल हैं:
मांसाहारी और मसालेदार खाद्य पदार्थों का उपभोग करना।
अत्यधिक तनाव
बहुत अधिक शराब का उपभोग।
अक्सर धूम्रपान
पेट के ट्यूमर, गैस्ट्रोसोफेजियल रीफ्लक्स रोग और पेप्टिक अल्सर जैसे पेट विकार।
एनएसएआईडीएस (गैर स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स) जैसी दवाएं।
√ अम्लता के लिए उपचार:
एल्यूमीनियम, कैल्शियम या मैग्नीशियम युक्त एंटीसिड का उपभोग करके अम्लता ठीक हो सकती है। कई बार, एच 2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स (हिस्टामाइन अवरुद्ध एजेंट) जैसे निजाटिडाइन, फ़ोटोटिडाइन, रैनिटिडाइन और सिमेटिडाइन का उपयोग किया जाता है। यदि आपके पास गंभीर अम्लता है तो प्रोटॉन पंप इनहिबिटर डॉक्टर द्वारा भी निर्धारित किए जाते हैं। अम्लता का इलाज घरेलू उपचारों जैसे कि केले, ठंडे दूध, एनीज, जीरा, कार्डोमन, लौंग, टकसाल के पत्तों और अदरक का उपभोग भी किया जा सकता है। आप भोजन के दौरान मसालेदार भोजन या अचार से बचने, अधिक सब्जियों और फलों को खाने, गैर शाकाहारी भोजन का उपभोग न करने, एनएसएड्स (गैर स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स) और स्टेरॉयड जैसी दवाओं से बचने और तनाव को कम करने से अम्लता को रोक सकते हैं।
कभी-कभी नींद से पहले भोजन लेने से अम्लता भी हो सकती है। यह पेट के एंजाइमों को आपके एसोफैगस पर वापस जाने और एसिड भाटा का कारण बनने के लिए उत्तेजित करता है। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है।
√ लक्षण:
पेट में जलन जलन
गले में जलन जलन।
डकार।
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अब सुबह की थकान और आलस से छुटकारा पाएं, जानिए इस पक्के इलाज से कैसे!
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नींद आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। दिनभर के काम से आपका तन और मन दोनों थके हुए हैं और इस थकान के बाद, आपके शरीर को आराम की जरूरत होती है ताकि वह अगले दिन के लिए तैयार हो सके। इसलिए जब आप आराम करने और सोने की कोशिश करते हैं, तो आपका दिमाग फिर से काम करना शुरू कर देता है और आपको सोने से रोकता है।
आपके दिमाग में तरह-तरह के विचार आने लगते हैं और आप करवटें बदलते रहते हैं । कई बार आप विचारों को थामने के लिए टीवी, मोबाइल या टैब पर अपने पसंदीदा प्रोग्राम देखने लगते हैं। हालांकि कई बार रात में 7-8 घंटे सोने के बाद भी आपको थकान महसूस हो सकती है। यह सामान्य है, लेकिन अगर ऐसा हर दिन होता है, तो आपको अपना अतिरिक्त ध्यान रखने की जरूरत है। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप जल्द ही बीमार पड़ सकते हैं। यहां हम आपको कुछ आसान उपाय बताएँगे, जो आपको सुबह की थकान और आलस से मुक्ति दिलाने में मदद कर सकते हैं।
समय पर सोने और उठने का महत्व
एक अनुसंधान के अनुसार, समय पर सोने और उठने से सेहत को बेहतरीन लाभ मिलते हैं। आपको समय पर सोना चाहिए और एक नियमित रूटीन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। नियमित नींद लेने से आपके शरीर में एक संतुलित व्यवस्था होती है और आपको अधिक ऊर्जा का भंडार मिलता है। इससे आपके मन में शांति मिलती है और आप अधिक फोकस रख पाते हैं। इसलिए, समय पर सोने और उठने से आपकी सेहत बेहतर होती है।
​नियमित योग और प्राणायाम है जरूरी
एक अच्छा व्यायाम रूटीन आपकी सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। योग और प्राणायाम आपके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। योग और प्राणायाम करने से आपके शरीर के मुख्य अंगों तक सही मात्रा में रक्त पहुंचाने में मदद मिलती है, जिससे आपके शरीर को बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिलती है।
खूब सारा पानी पिंए
हाइड्रेटेड रहने और पर्याप्त ऊर्जा पाने के लिए खूब पानी पिएं। यदि आप पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते हैं, तो आप थकान महसूस करेंगे और ऊर्जा की कमी महसूस करेंगे। इसलिए पानी खूब पिए ।
हर दिन करें मालिश
यदि आप रात को अच्छी तरह सोने के बाद सुबह उठकर थकान महसूस करते हैं, तो आप हर दिन तेल से मालिश करके अपने शरीर को बेहतर आराम देने में मदद कर सकते हैं। ऐसा करने से आपके पूरे तंत्रिका तंत्र को बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिलेगी और आप पूरे दिन अधिक सक्रिय महसूस करेंगे।
ध्यान करने से बनी रहेगी ताजगी
ध्यान आपके विचारों को शांत करने और पूरे दिन सतर्क और केंद्रित रहने का एक तरीका है। यह एक बेस्ट प्रेक्टिस है जो आपके नर्वस सिस्टम और दिमाग को पूरे दिन के लिए तैयार करने का काम करता है। कुछ लोगों का मानना ​​है कि ध्यान करने से आपका दिमाग मजबूत और उम्र से अप्रभावित रहेगा।
एक अच्छा नियंत्रित आहार
आपको अपनी डाइट में पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करने की जरूरत होती है, जैसे कि फल, सब्जियां, अनाज, दूध आदि। सही मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, फैट्स, विटामिन्स और मिनरल्स का सेवन करना आपके शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। स्वस्थ आहार के लिए, आप खाने की विभिन्न पदार्थों का संतुलित समूह बनाने का प्रयास कर सकते हैं और अधिक तरल पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।
जब हमारा शरीर पूर्ण रुप से पोषण तत्वों को प्राप्त नही कर पाता है, तो हम कमजोर और सुस्त महसूस करते है। कई बार हमारे शरीर को पर्याप्त विटामिन नहीं मिलते इस वजह से भी शरीर हल्के काम में भी अधिक उर्जा को खर्च करने लगता है जिसकी वजह से थकान व अन्य स्वस्थ समस्याएँ होने लगती है । दिनचर्या में उपरोक्त दिए गए आसान उपायों को अपनी जीवनशैली में सम्मिलित करने के साथ ही Fytika Vita 365 टेबलेट को लेने से आप आप अधिक ऊर्जावान और फिट रह सकते हैं। | यह सप्लीमेंट हमारे शरीर के लिए वो पोषक तत्व है जो हमारे शरीर को स्वस्थ और सही से काम करने में मदद करते है ।हमारे शरीर में त्वचा के बनने और ठीक होने, हड्डियों के बनने और ठीक होने, कोशिकाओं के बनने और ठीक होने में मदद करते है। साथ ही ये हमारे इम्यून सिस्टम को भी बेहतर बनाते है जिससे हमारा शरीर बीमारियों से लड़ पाता है।
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