भरदुतिया
दिल्ली/27.10.2022
~ई खच्चर , चुप रहला सs हेतौ ! हम तोहर
दिआद रहितीयउ तs एखन तक ख़ूने-खुनामे
क' देने रहितिये ।
- रे खचराहा , तू दिआद नै छें त' की भs गेलै , दोस त छें ।
एकोटा दिआद पढ़ल लिखल नै अछि तs ओकरा सँ कोन
सरोकार । रे जमीन ने हड़पत , किताब कॉपी थोड़े ने हड़पि
सकैत अछि ।
~त' की तू नै लड़बेहें ! ओहिना दs देबिहिं !
-दामे कतेक छै जे लड़ब !
-बेस , तखन रुस्सी जकाँ सबटा सोनित पिबह दहि ।
~तै सँ की हेतै ?
-हेतै की ? बस उजरि जेमें !
-आ तोहर दलान , से की ?
~टपमें त' टाँग तोड़ि देबौ ।
-एहने दोस रे ।
~बाज एकबेर फेरसँ तs एखने चित-पट देखा दैत छियौ !
~चल नहाय लेल , बर बोमिआइत छें ।
~रे सुगराहा , सरकारी नौकरी करै छें आ एकटा कल नै गड़ायल भेलौ ।
~तोहर दलान पर जे छै ओ ककर छियेक रौ !
~तू नै सुधर्में कहियौ ।
~रे चिंता किअएक करैत छेन्ह । एकदिन तs सुधरिअक' जाय पड़तै ने ।
~फेर सँ फिलोसॉफी । बन्द कर , नै तs गरदनि मोकि देबौ ।
~तs चल फेर नहाय लेल ।
~नै तोरा बोहिन नै हमरा बोहिन तखन फेर किये एना अगुताय छें ।
~भरदुतिया छिअई , नै जानि केमहर सँ कियौ दिआद आबि क'
कहि दिये नोत लेल तखन की करब । भोज बेर में कुम्हर रोपब ।
~कियौ नै एतौ नोत लेबह लेल । अनेर मोन के हदरबैत छें ।
~आ जकर भाय नै छै ओकरा ?
~ ओकरो जीवन हमरे तोरे सन ।
~संबंध के कोनो द्वार नै रहलै । नै यार ।
~तू बुड़बक छें । बेकार एतेक सोचैत छें । चल चल धोबियामोइन में
नहायब ।
~कदीमा फूल के तरुआ नै भेटतै की ?
~ अगिला जनम में भेटतौ । एहि जन्म में अपने सँ तरि'क खो ।
~समय बदलि गेलै दोस । ककरो हमहुँ भाय रहिये मुदा आब दिआद भ गेलियई ।
~इमोशनल नै कर नै तs चट्टी उठाक' मारबौ । हम तोहर दिआदो नै
छियौ ।
~एकटा मूर्खो बहिन रहिते यार ।
~नै छौ तैं फुरराय छौ , रहितौ तs घुरिओ नै तकतिहिंन ।
~केहेन जुग आबि गैले सच में ।
~केहेन ?
-कान तs सोन नै , सोन तs कान नै ।
~एकटा काज करमें ?
~बाज ने ।
~कोहा कोही , पिरहि सबटा ओरिआन क' हम तोहर नोत आ तूँ हमर
नोत लs ले ।
~आ कदीमा फूल के तरुआ ?
~ओ तs अपने आँगन में तरा जेतैक ।
~बेस , तs चल ।
~चल ।
~रुक रुक , कियौ आबि रहल छौ ।
~के ?
~बोहिन ।
~मानेकी माथ पर ठोप लगतै ।
~ लगतै , लगतै ।
~कदीमा फूल के तरुआ ।
~भेटतै भेटतै ।
~भरदुतिया मनि गेलै !
~ठीके में । भरदुतिया मनि गेलै ।
~मोईन नै आब । कल पर ।
~हा हा हा हा । एखने नहा क एलियौ । तू पिरहि लगा ।
~हं हं लगा , येह चोट्टे पहुँचलियौ ।
~दिशव
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दिवाली 2022 दिनांक कैलेंडर: कब है धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज
दिवाली 2022 दिनांक कैलेंडर: कब है धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज
छवि स्रोत: फ्रीपिक दिवाली 2022 दिनांक कैल��ंडर
दिवाली सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है। दीपावली वीकेंड नजदीक आने के साथ ही बाजार, घरों और गलियों में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है। रंग-बिरंगी रोशनी से कई घरों को सजाया जा चुका है और हिंदू भक्त इस शुभ अवसर पर देवी लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी कर रहे हैं। दिवाली हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को आती है और राजा रावण को हराकर…
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Bhai Dooj 2022 Gifts: भाई दूज पर बहनों को राशि के अनुसार दें गिफ्ट्स
Bhai Dooj 2022 Gifts: भाई दूज पर बहनों को राशि के अनुसार दें गिफ्ट्स
भाई दूज पर बहनों को राशि के अनुसार दें गिफ्ट्स Bhai Dooj 2022 Gifts
Bhai Dooj 2022 Gifts: हिंदू धर्म में दिवाली का त्योहार 5 दिन तक मनाया जाता है. जिसकी शुरुआत धनतेरस से हो जाती है और भाई दूज पर इसका समापन होता है. भाई दूज पर भाई अपनी विवाहित बहनों के घर टीका करवाने जाते हैं. इस दौरान बहन भाई को टीका लगाकर नारियल का गोला देती है और उसके बाद भोजन करवाती है.
इस पर्व पर भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन…
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हरिगीतिका छंद "भैया दूज"
तिथि दूज शुक्ला मास कार्तिक, मग्न बहनें चाव से।
भाई बहन का पर्व प्यारा, वे मनायें भाव से।
फूली समातीं नहिँ बहन सब, पाँव भू पर नहिँ पड़ें।
लटकन लगायें घर सजायें, द्वार पर तोरण जड़ें।।
कर याद वीरा को बहन सब, नाच गायें झूम के।
स्वादिष्ट भोजन फिर पका के, बाट जोहें घूम के।
करतीं तिलक लेतीं बलैयाँ, अंक में भर लें कभी।
बहनें खिलातीं भ्रात खाते, भेंट फिर देते सभी।।
हरिगीतिका छंद विधान -
हरिगीतिका छंद चार पदों का एक सम-पद मात्रिक छंद है। प्रति पद 28 मात्राएँ होती हैं तथा यति 16 और 12 मात्राओं पर होती है। यति 14 और 14 मात्रा पर भी रखी जा सकती है।
इसकी भी लय गीतिका छंद वाली ही है तथा गीतिका छंद के प्राम्भ में गुरु वर्ण बढ़ा देने से हरिगीतिका छंद हो जाती है। गीतिका छंद के प्रारंभ में एक गुरु बढ़ा देने से इसका वर्ण विन्यास निम्न प्रकार से तय होता है।
2212 2212 2212 221S
चूँकि हरिगीतिका छंद एक मात्रिक छंद है अतः गुरु को आवश्यकतानुसार 2 लघु किया जा सकता है परंतु 5 वीं, 12 वीं, 19 वीं, 26 वीं मात्रा सदैव लघु होगी। अंत सदैव गुरु वर्ण से होता है। इसे 2 लघु नहीं किया जा सकता। चारों पद समतुकांत या 2-2 पद समतुकांत होते हैं।
इस छंद की धुन "श्री रामचन्द्र कृपालु भज मन" वाली है।
एक उदाहरण:-
मधुमास सावन की छटा का, आज भू पर जोर है।
मनमोद हरियाली धरा पर, छा गयी चहुँ ओर है।
जब से लगा सावन सुहाना, प्राणियों में चाव है।
चातक पपीहा मोर सब में, हर्ष का ही भाव है।।
(स्वरचित)
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भाई-बहन के बीच प्रेम, स्नेह एवं विश्वास का प्रतीक महापर्व भाई दूज की समस्त देश एवं प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
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भाई-बहन के बीच प्रेम, स्नेह एवं विश्वास का प्रतीक महापर्व भाई दूज की समस्त देश एवं प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
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भाई दूज का पर्व भाई के जीवन की सलामती के लिए मनाया जाता है. ये दिन भाई और बहन के बीच संबन्ध को और मजबूत बनाता है. इस दिन बहनें अपने भाई के जीवन को संकटों से बचाने के लिए व्रत रखकर गणपति और नारायण की पूजा करती हैं और उनसे भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं. इसके बाद भाई का तिलक करने के बाद वो व्रत खोलती हैं. तिलक के बदले भाई भी अपनी बहन को शगुन के तौर पर कोई उपहार देता है. साथ ही बहन का हर परिस्थिति में साथ निभाने और उसकी रक्षा करने का वचन देता है.
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भाई दूज 2022: शुभकामनाएं, उद्धरण, संदेश, एचडी इमेज, फेसबुक और व्हाट्सएप स्टेटस
भाई दूज 2022: शुभकामनाएं, उद्धरण, संदेश, एचडी इमेज, फेसबुक और व्हाट्सएप स्टेटस
छवि स्रो��: फ्रीपिक भाई दूज 2022
भाई दूज 2022: भाई दूज भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। इस दिन सभी बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और खुशियों की कामना करती हैं। चूंकि सूर्य ग्रहण के कारण 25 अक्टूबर को कोई शुभ कार्यक्रम नहीं हो सकता है, भाई दूज 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, भाई दूज हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन मनाया जाता है। हमारा देश है डिजिटल हो रहा है और…
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भ्रातृ द्वितीया (भाई दूज) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। यह दीपावली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं।
#कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्व काल में #यमुना ने यमराज को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था। उस दिन नारकी जीवों को यातना से छुटकारा मिला और उन्हें तृप्त किया गया। वे पाप-मुक्त होकर सब बंधनों से छुटकारा पा गये और सब के सब यहां अपनी इच्छा के अनुसार सन्तोषपूर्वक रहे। उन सब ने मिलकर एक महान् उत्सव मनाया जो यमलोक के राज्य को सुख पहुँचाने वाला था। इसीलिए यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से विख्यात हुई।
जिस तिथि को यमुना ने यम को अपने घर भोजन कराया था, उस तिथि के दिन जो भाई अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन करता है उसे उत्तम भोजन समेत धन की प्राप्ति भी होती हैं।
भाई दूज की हार्दिक शुभकामनायें।
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Bhai Dooj 2024
Bhai Dooj 2024: हिंदू कैलेंडर के दूसरे शुक्ल पक्ष के दिन भाई दूज मनाया जाता है। यह यमद्वितीया, भाऊ बीज, भाई टीका और भाई फोंटा भी कहलाता है।
दिवाली देश भर में बहुत उत्साह से मनाया जाता है। 2024 में यह त्योहार 3 नवंबर, रविवार ��ो मनाया जाएगा।
रक्षाबंधन की तरह भाई फोंटा भी मनाया जाता है। बहनों ने सुंदर भोजन के लिए भाइयों को बुलाया है। बहन इस उत्सव में अपने भाई के कल्याण की प्रार्थना करती है और भाई अपनी बहन को हर हानि से बचाने का वादा करता है।
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