💥 करवा चौथ - 01 नवम्बर 2023💥
🌹 कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है । करवा चौथ के दिन सुहागिन महिला पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं । अपने व्रत को चन्द्रमा के दर्शन और उनको अर्घ्य अर्पण करने के बाद ही तोड़ती हैं ।
💥संकष्ट चतुर्थी - 01 नवम्बर 2023💥
🌞क्या है संकष्ट चतुर्थी ?🌞
👉संकष्ट चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी । संकष्ट संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’।
👉इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है । पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है । इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं । संकष्ट चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है ।
💥पुण्यदायी तिथियाँ व योग💥
👉 ५ नवम्बर : रविपुष्यामृत योग (सूर्योदय से सुबह १०-२९ तक)
👉 ९ नवम्बर : रमा एकादशी (इसका व्रत चिंतामणि तथा कामधेनु के समान सब मनोरथों को पूर्ण करनेवाला है ।), ब्रह्मलीन मातुश्री श्री माँ महँगीबाजी का महानिर्वाण दिवस
👉 १० नवम्बर : धनतेरस, भगवान धन्वंतरिजी जयंती
👉 ११ नवम्बर : नरक चतुर्दशी (रात्रि में मंत्रजप से मंत्रसिद्धि)
👉 १२ नवम्बर : नरक चतुर्दशी (तैलाभ्यंग स्नान), दीपावली (दीपावली की रात्रि में किया गया जप- तप, ध्यान-भजन अनंत गुना फल देता है।)
👉 १३ नवम्बर : सोमवती अमावस्या (सूर्योदय से दोपहर २-५६ तक) (इस दिन तुलसी की १०८ परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है।)
👉 १४ नवम्बर : नूतन वर्षारम्भ (गुज.), कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा (पूरा दिन शुभ मुहूर्त)
👉 १५ नवम्बर : भाईदूज
👉 १७ नवम्बर : विष्णुपदी संक्रांति (पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर १२-२४ तक) (इसमें किये गये ध्यान, जप व पुण्यकर्म का फल लाख गुना होता है । - पद्म पुराण)
👉 १९ नवम्बर : रविवारी सप्तमी (सुबह ७-२३ से २० नवम्बर प्रातः ५-२१ तक)
👉 २० नवम्बर : गोपाष्टमी
👉 २१ नवम्बर : ब्रह्मलीन भगवत्पाद श्री लीलाशाहजी महाराज का महानिर्वाण दिवस, अक्षय-आँवला नवमी
👉 २३ नवम्बर : देवउठी-प्रबोधिनी एकादशी (इस दिन जप, होम, दान - सब पुण्यकर्मों का फल अक्षय होता है, गुरु-पूजन से भगवान प्रसन्न होते हैं व भगवान विष्णु की कपूर से आरती करने पर अकाल मृत्यु नहीं होती ।), भीष्मपंचक व्रत प्रारम्भ, चतुर्मास समाप्त ।
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Diwali : जाने कब है धनतेरस, दिवाली, गोबर्धन पूजा व भाईदूज शुभ मुहूर्त के बारे में
Diwali : जाने कब है धनतेरस, दिवाली, गोबर्धन पूजा व भाईदूज शुभ मुहूर्त के बारे में
Diwali: हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व है। इस माह में कई बड़े त्यौहार आते हैं। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी के दिन धनतेरस (Dhanteras 2021) का त्यौहार मनाते है। धनतेरस के साथ दीपावली के त्योहार शुरू हो जाता है। धनतेरस के बाद नरक चतुर्थी, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज का त्यौहार पड़ता है। भाईदूज का त्योहार आखिरी तरह होता है। इसी के साथ 5 दिन की…
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आज है भाई दूज, जानिए क्या है इसका महत्व, पौराणिक मान्यता और शुभ मुहूर्त
चैतन्य भारत न्यूज
भाई-बहनों का खास त्योहार भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस बार भाई दूज का त्योहार 16 नवंबर को है। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर भाई की खुशहाली की कामना करती हैं। कहा जाता है कि भाईदूज के दिन भाई और बहन दोनों को मिलकर सुबह के समय यम, चित्रगुप्त, यम के दूतों की पूजा करनी चाहिए। आइए जानते हैं भाई दूज का महत्व और शुभ मुहूर्त।
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भाई दूज का महत्व
दिवाली के दो दिन बाद आने वाला ये एक ऐसा उत्सव है जो भाई बहन के अगाध प्रेम और स्नेह को दिखाता है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा को लेकर भी भाई दूज की एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि नरकासुर को मारने के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने पहुंचे थे, तब उनकी बहन ने उनका फूलों और आरती से स्वागत किया था और उनके माथे पर टीका किया था। जिसके बाद से इस त्योहार को मनाया जाने लगा। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।
भाई दूज तिलक शुभ मुहूर्त
भाईदूज का पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। भाई दूज का टीका शुभ मुहूर्त दिन 12:56 से 03:06 तक है।
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भाईदूज कब है? जानिए तिलक का शुभ मुहूर्त
भाईदूज 2020: हिंदू धर्म में ही भाईदूज का त्योहार भी विशेष महत्व होता है। भाईदूज का पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाईदूज का त्योहार दीपावली के दो दिन बाद आता है। भाईदूज के दिन बहनें भाइयों का तिलक करके लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती हैं।
भाईदूज पर तिलक का शुभ मुहूर्त-
भाई दूज तिलक समय- 01:10 बजे से 03:18 बजे तक।
अवधि- 2 घंटा 8 मिनट।
द्वितीया तिथि प्रारंभ-16 नवंबर 2020 को सुबह 07:06 बजे से।
द्वितीया तिथि समाप्त- 17 नवंबर 2020 को सुबह 03:56 बजे तक।
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दिल्ली /5 दिनों का दीपोत्सव पर्व 12 से 16 नवंबर तक, धनतेरस आज -दिल्ली तैयार पांच दिनों का दीपोत्सव पर्व आज (12 नवंबर) से शुरू हो रहा है। पंचांग भेद के कारण इस बार धनतेरस को लेकर असमंजस बना हुआ है। कुछ लोग 12 तो कुछ 13 नवंबर को ये पर्व मनाएंगे। वाराणसी, तिरुपति और उज्जैन के ज्योतिषियों के मुताबिक, इस बार त्रयोदशी तिथि 12 नवंबर की शाम से शुरू होगी, जो 13 नवंबर को दोपहर करीब 3 बजे तक रहेगी।इस कारण 12 नवंबर को प्रदोष काल में त्रयोदशी तिथि होने से इसी दिन शाम को भगवान धन्वंतरि की पूजा और यम दीपक लगाकर धनतेरस पर्व मनाना चाहिए। जो त्रयोदशी तिथि में खरीदारी करना चाहते हैं, वो 13 नवंबर को कर सकते हैं।इस तरह धनतेरस की खरीदारी 2 दिन की जा सकेगी। इसके बाद 13 को चतुर्दशी तिथि शुरू होगी और 14 को दोपहर में करीब 1.25 तक रहेगी। फिर अमावस्या शुरू हो जाएगी इसलिए 14 को रूप चतुर्दशी और दीपावली पर्व दोनों मनाए जाएंगे। 15 को गोवर्धन पूजा और 16 को भाईदूज का पर्व होगा।धनतेरस अबूझ मुहूर्त वाला विशेष दिन...विद्वानों के मुताबिक, धनतेरस पर शाम के समय लक्ष्मी और कुबेर की पूजा व यम दीपदान के साथ ही खरीदी के लिए भी श्रेष्ठ समय रहेगा। धनतेरस पर खरीदारी की परंपरा होने से पूरे दिन खरीदी की जा सकती है।परिवार में समृद्धि को अक्षत रखने की कामना से ही इस दिन चांदी के सिक्के, गणेश व लक्ष्मी प्रतिमाओं की खरीदारी करना शुभ होता है। साथ ही सोने-चांदी की चीजें खरीदने की भी परंपरा है। इसके अलावा पीतल, कांसे, स्टील व तांबे के बर्तन भी खरीदने की प्रथा है।धन्वंतरि भी इसी दिन अवतरित हुए थे, इसी कारण भी इस दिन को धनतेरस कहा गया है। समुद्र मंथन में भगवान धन्वंतरि कलश में अमृत लेकर निकले थे, इसलिए इस दिन धातु के बर्तन खरीदते हैं। अनुज मिश्रा की रिपोर्ट.
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Holi Bhai Dooj 2020: रंगोत्सव के दूसरे दिन मनाया जाता है यह पर्व, जानें शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म से जुड़े कैलेंडर और पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। वहीं रंगोत्सव के दूसरे दिन भाईदोज (भाईदूज) का त्यौहार मनाया जाता है। भाईदोज के साथ ही इस दिन चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है, जो इस बार 11 मार्च 2020 दिन बुधवार को पड़ रही है, इस भाईदोज पर बहनें अपने भाई की कुशलता एवं लंबी आयु की कामना के लिए उनका पूजन करती हैं।
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भाई दूज
दिवाली के से दो दिन बाद यानी आज भाई दूज का त्योहार है। आज के दिन बहनें भाई की लम्बी आयु के लिये प्रार्थना करती हैं।
शुभ मुहूर्त.
भाईदूज की शुभकामनाएं
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श्रीराम ज्योतिष सदन
पंडित आशु बहुगुणा
इस बार गुरू पुष्य योग धनतेरस से पहले गुरु पुष्य नक्षत्र बहुत ही खास है। क्योंकि इस दिन अहोई अष्टमी माता की पूजा है। खासियत ये कि इस बार गुरु पुष्य नक्षत्र में तीन महा संयोग बनने जा रहा है। जब अमृत योग, सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग एक साथ होंगे। जो बहुत ही फलदायी है।
पांच दिवसीय दिवाली महोत्सव के पहले 28 अक्टूबर को गुरु पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है। पंडित आशु बहुगुणा बताते हैं। जिस प्रकार तीन महा योग का संयोग बन रहा है ऐसा कभी-कभार ही होता है। ऐसे शुभ मुहूर्त का खरीदारी के लिए जितना लोगों को इंतजार रहता है, उतना ही कारोबार जगत को भी रहता है।
सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त गुरु पुष्य नक्षत्र, क्योंकि गुरुवार महालक्ष्मी का दिन।
पंडित आशु बहुगुणा की मानें तो लोग दिवाली के एक सप्ताह पहले से मुहुर्त गणना जानने के लिए बहत उत्सुक रहते हैं। धनतेरस के शुभ अवसर पर खरीदारी का जितना महत्व होता है, उससे कहीं अधिक इस बार गुरु पुष्य नक्षत्र पर विशेष संयोग बनना बहुत ही फलदायी है। यह घड़ी 28 अक्टूबर। कालाष्टमी तिथि। दिन गुरुवार, जो बना रहा है। गुरु पुष्य नक्षत्र। इस शुभ मुहूर्त में रहेगा अमृत का योग, सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग का संयोग।
हर सेक्टर के लिए फलदायी
ज्योतिषी पंडित आशु बहुगुणा के अनुसार इस तरह के शुभ मुहूर्त हर सेक्टर के लिए विशेष फलदायी होगा। खासकर नया वाहन, मकान, जमीन जैसी प्रॉपर्टी, आभूषण खरीदना हो या अन्य कोई वस्तु खरीदना बहुत ही शुभ माना गया है। तीन महायोग के साथ्ज्ञ ही जात कर्मा, श्रीमंत संस्कार, अन्नप्राशन, बोला रोहन, नवीन व्यवसाय प्रारंभ, खाता बही, क्रय-विक्रय, शल्यक्रिया आदि के लिए अच्छा माना गया है। अर्थात अष्टमी तिथि वैसे भी बहुत ही कल्याणकारी है।और पक्ष कारी मानी जाती है। गुरु पुष्य नक्षत्र सुबह 9.40 बजे से प्रारंभ होकर दूसरे दिन शुक्रवार को 11.37 तक रहेगा। इस दिन चंद्रमा अपनी खुद की राशि में विराजमान रहता है।
त्रिपुष्कर योग मनेगी धनतेरस
साल में एक बार महालक्ष्मी के आगमन और पूजन का यह ऐसा समय होता है। जो कि अर्थशास्त्र, अर्थ नीति में गतिशीलता का प्रवाह होता है। धनतेरस पर विशेष संयोग 2 नवंबर, दिन मंगलवार को बन रहा है। इस दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, वैधृति योग में कन्या राशि धनतेरस यानी कि त्रयोदशी का पर्व मनेगा। विशेष होगा । त्रिपुष्कर योग जो बाजारों के हर सेक्टर में धनवर्षा होगी। घरों में 13 दीपक जलाकर लक्ष्मी जी को आह्वान करने का यही दिन होता है। लक्ष्मी कुबेर की पूजा का विधान है। क्योंकि इसी तिथि पर आयुर्वेद के जनक धनवंतरि भगवान की पूजा होती है।
इसी के साथ पंच महापर्व
धनतेरस पर जमकर खरीदारी के साथ ही पांच दिनी दिवाली महोत्सव की शुरुआत होती है। 3 नवंबर को रूप चौदस और 4 नवंबर को महालक्ष्मी पूजन है। यानी दिवाली महोत्सव। फिर गोवर्धन पूजा और भाईदूज के त्योहार के साथ समापन होगा।
मोबाइल नं - 9760924411
https://shriramjyotishsadan.in/
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भाई-बहन के प्��ार का पवित्र त्यौहार भाईदूज आज
आज भाई-बहन के प्यार का पवित्र त्यौहार भाईदूज है. देशभर में पारंपरिक तरीके से आज भाईदूज मनाया जा रहा है. भाई दूज के दिन बहनें रोली और अक्षत से अपने भाई के माथे पर तिलक करती हैं और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं. इस दिन बहनें भाई को तिलक लगाकर उन्हें लंबी उम्र का आशीर्वाद देती हैं. भाई भी अपनी बहन को उपहार देती है. भाई दूज का त्योहार भाई और बहन के प्यार को सुदृढ़ करने का त्यौहार है.
धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन यमुना ने अपने भाई यम को घर पर आमंत्रित किया था और स्वागत सत्कार के साथ टीका लगाया था. तभी से यह त्योहार मनाया जाता है. इस पर्व को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है.
आज भाईदूज का शुभ मुहूर्त है 1 बजकर 31 मिनट से शुरु होकर 3 बजकर 49 मिनट तक रहेगा.
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भाईदूज 2017 पूजन का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, पूजन मंत्र, महत्व,फल एवं कथा...
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धनतेरस, दिवाली और कुबेर पूजा का ये हैं शुभ मुहूर्त , इस मंगल बेला में करें पूजा
धनतेरस, दिवाली और कुबेर पूजा का ये हैं शुभ मुहूर्त , इस मंगल बेला में करें पूजा #diwali #muhurt
नई दिल्ली: दिवाली पर पूजन तो ठीक है लेकिन जब पूजन शुभ मुहूर्त में हो मंगल बेला में हो तो धनतेरस हो या दिवाली लाभ तिगुना हो जाता है. शास्त्रियों के मुताबिक दीपोत्सव का महापर्व का 17 अक्टूबर 2017, मंगलवार से शुरू होगा.
यह दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनवंतरी जयंती और भगवान कुबेर की पूजा अर्चना कर मनाया जाएगा. इसके बाद छोटी दीपावली, महालक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजन और भाईदूज पर्व के साथ यह…
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आखिर क्यों मनाया जाता है भाई दूज? पढ़े��� यम-यमुना की पूरी कहानी
चैतन्य भारत न्यूज
दिवाली के तीसरे दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस बार भाईदूज 29 अक्टूबर यानी मंगलवार को है। यह त्योहार बहन-भाई का होता है। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई के सेहतमंद जीवन और लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती हैं। साथ ही शुभ मुहूर्त में रोली से उनका तिलक करती हैं। फिर वो अपने भाई को मिठाई खिलाती हैं और फिर इसके बाद ही खाना खाती हैं। भाई दूज के इस अवसर पर आइए जानते हैं इसकी कथा/कहानी...
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भाई दूज की कथा/कहानी-
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, सूर्य की संज्ञा से दो संतानें थीं एक पुत्र यमराज और दूसरी पुत्री यमुना। सूर्य के तेज को सहन न कर पाने के कारण संज्ञा अपनी छायामूर्ति का निर्माण कर उसे ही अपने पुत्र-पुत्री को सौंपकर वहां से चली गई। छाया को यम और यमुना से बिलकुल भी लगाव नहीं था, लेकिन यम और यमुना को आपस में बहुत प्रेम था। यम अपनी बहन यमुना से बेहद प्रेम करते थे, लेकिन काम ज्यादा होने के कारण वह उनसे मिलने नहीं जा पाते थे। फिर एक दिन बहन की नाराजगी दूर करने के लिए यम यमुना से मिलने चले गए। भाई को देख यमुना बेहद खुश हुईं और फिर उन्होंने भाई के लिए खाना बनाया और उनका आदर सत्कार किया। बहन का इतना प्यार देख यम बहुत खुश हुए और उन्होंने यमुना को कई सारे भेंट दिए। जब यम बहन से मिलने के बाद उनसे विदा लेने लगे तो फिर उन्होंने यमुना से अपनी कोई इच्छा का वरदान मांगने के लिए कहा। इसके बाद यमुना ने उनसे कहा कि, 'अगर आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन हर साल आप मेरे यहां आएं और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे।'
कहा जाता है इसी के बाद हर साल भाईदूज का त्योहार मनाया जाता है। भाईदूज के दिन भाई और बहन दोनों को मिलकर सुबह के समय यम, चित्रगुप्त, यम के दूतों की पूजा करनी चाहिए।
शुभ मुहूर्त
तिलक का समय : दोपहर 01:11 से दोपहर 03:23 तक
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आज है भाई दूज, जानिए क्या है इसका महत्व, पौराणिक मान्यता और शुभ मुहूर्त
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आखिर क्यों मनाया जाता है भाई दूज? पढ़ें यम-यमुना की पूरी कहानी
चैतन्य भारत न्यूज
दिवाली के तीसरे दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस बार भाईदूज 29 अक्टूबर यानी मंगलवार को है। यह त्योहार बहन-भाई का होता है। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई के सेहतमंद जीवन और लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती हैं। साथ ही शुभ मुहूर्त में रोली से उनका तिलक करती हैं। फिर वो अपने भाई को मिठाई खिलाती हैं और फिर इसके बाद ही खाना खाती हैं। भाई दूज के इस अवसर पर आइए जानते हैं इसकी कथा/कहानी...
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भाई दूज की कथा/कहानी-
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, सूर्य की संज्ञा से दो संतानें थीं एक पुत्र यमराज और दूसरी पुत्री यमुना। सूर्य के तेज को सहन न कर पाने के कारण संज्ञा अपनी छायामूर्ति का निर्माण कर उसे ही अपने पुत्र-पुत्री को सौंपकर वहां से चली गई। छाया को यम और यमुना से बिलकुल भी लगाव नहीं था, लेकिन यम और यमुना को आपस में बहुत प्रेम था। यम अपनी बहन यमुना से बेहद प्रेम करते थे, लेकिन काम ज्यादा होने के कारण वह उनसे मिलने नहीं जा पाते थे। फिर एक दिन बहन की नाराजगी दूर करने के लिए यम यमुना से मिलने चले गए। भाई को देख यमुना बेहद खुश हुईं और फिर उन्होंने भाई के लिए खाना बनाया और उनका आदर सत्कार किया। बहन का इतना प्यार देख यम बहुत खुश हुए और उन्होंने यमुना को कई सारे भेंट दिए। जब यम बहन से मिलने के बाद उनसे विदा लेने लगे तो फिर उन्होंने यमुना से अपनी कोई इच्छा का वरदान मांगने के लिए कहा। इसके बाद यमुना ने उनसे कहा कि, 'अगर आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन हर साल आप मेरे यहां आएं और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे।'
कहा जाता है इसी के बाद हर साल भाईदूज का त्योहार मनाया जाता है। भाईदूज के दिन भाई और बहन दोनों को मिलकर सुबह के समय यम, चित्रगुप्त, यम के दूतों की पूजा करनी चाहिए।
शुभ मुहूर्त
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चैतन्य भारत न्यूज
भाई-बहनों का खास त्योहार भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस बार भाई दूज का त्योहार 29 अक्टूबर को है। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर भाई की खुशहाली की कामना करती हैं। कहा जाता है कि भाईदूज के दिन भाई और बहन दोनों को मिलकर सुबह के समय यम, चित्रगुप्त, यम के दूतों की पूजा करनी चाहिए। आइए जानते हैं भाई दूज का महत्व और शुभ मुहूर्त।
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भाई दूज का महत्व
दिवाली के दो दिन बाद आने वाला ये एक ऐसा उत्सव है जो भाई बहन के अगाध प्रेम और स्नेह को दिखाता है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा को लेकर भी भाई दूज की एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि नरकासुर को मारने के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने पहुंचे थे, तब उनकी बहन ने उनका फूलों और आरती से स्वागत किया था औ��� उनके माथे पर टीका किया था। जिसके बाद से इस त्योहार को मनाया जाने लगा। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।
भाई दूज पर तिलक करने का शुभ मुहूर्त
भाई दूज / यम द्वितीया की तिथि : 29 अक्टूबर 2019
द्वितीया तिथि प्रारंभ : 29 अक्टूबर सुबह 06.13 से
द्वितीया तिथि समाप्त : 30 अक्टूबर को दोपहर 03.48 तक
तिलक का समय : दोपहर 01.11 से दोपहर 03.23 तक
कुल अवधि: 02 घंटे 12 मिनट
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भाई दूज और चित्रगुप्त पूजा, जानें शुभ मुहूर्त व महत्व
दीपावली पर्व के दो दिन बाद भाईदोज (भाईदूज) का त्यौहार मनाया जाता है। भाईदोज के साथ ही इस दिन चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है, जो इस बार 29 अक्टूबर मंगलवार को है। भाई दूज दिवाली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं।
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भाईदूज 2017 पूजन का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, पूजन मंत्र, महत्व,फल एवं कथा...
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