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#भारत-चीन संघर्ष
trendingwatch · 2 years
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भाजपा सरकार 'शेर की तरह बात करती है, एक चूहे की तरह काम करती है': कांग्रेस प्रमुख खड़गे ने सीमा पर आमना-सामना किया
भाजपा सरकार ‘शेर की तरह बात करती है, एक चूहे की तरह काम करती है’: कांग्रेस प्रमुख खड़गे ने सीमा पर आमना-सामना किया
द्वारा पीटीआई अलवर (राजस्थान) : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ”शेर की तरह बात करती है लेकिन चूहे की तरह काम करती है” क्योंकि वह सीमा पर घुसपैठ करने के लिए चीन को आड़े हाथों नहीं ले रही है और सीमा पर बहस से भाग रही है. संसद में मुद्दा। भारत जोड़ो यात्रा के इतर राजस्थान के अलवर में एक रैली में बोलते हुए, उन्होंने यह भी दावा किया कि जब कांग्रेस देश के लिए…
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mwsnewshindi · 2 years
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अरविंद केजरीवाल ने चीन के साथ व्यापार को लेकर केंद्र की खिंचाई की, लोगों से चीनी सामानों का बहिष्कार करने को कहा
अरविंद केजरीवाल ने चीन के साथ व्यापार को लेकर केंद्र की खिंचाई की, लोगों से चीनी सामानों का बहिष्कार करने को कहा
छवि स्रोत: फ़ाइल दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल एमसीडी और विधानसभा चुनावों के बाद राष्ट्रीय परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने रविवार को चीनी सामानों का बहिष्कार करने का आह्वान किया। यहां राष्ट्रीय परिषद की बैठक चल रही है। केजरीवाल ने पार्टी सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा, “आज मैं इस मंच के माध्यम से भारत के लोगों से चीनी सामान का बहिष्कार…
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rudrjobdesk · 2 years
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Manish Tewari Slammed S Jaishankar On China Issue Also Mentioned Former Defense Minister Krishna Menon
Manish Tewari Slammed S Jaishankar On China Issue Also Mentioned Former Defense Minister Krishna Menon
Manish Tewari On S Jaishankar: अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर (Tawang Sector) में एलएसी पर भारतीय सैनिकों की 9 दिसंबर को चीनी सैनिकों के साथ झड़प हुई. इस झड़प में दोनों तरफ के कुछ सैनिक घायल हुए. झड़प के बाद चीन के मुद्दे पर विपक्ष ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया. बीते दो दिनों से संसद में भी इस पर हंगामा चल रहा है. वहीं अब कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने चीन के मुद्दे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर को…
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bharatlivenewsmedia · 2 years
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भारत-चीन संघर्ष: राजनाथ सिंह म्हणाले,”‘त्या’ चकमकीत एकही जवान शहीद किंवा गंभीर जखमी नाही”
भारत-चीन संघर्ष: राजनाथ सिंह म्हणाले,”‘त्या’ चकमकीत एकही जवान शहीद किंवा गंभीर जखमी नाही”
भारत-चीन संघर्ष: राजनाथ सिंह म्हणाले,”‘त्या’ चकमकीत एकही जवान शहीद किंवा गंभीर जखमी नाही” नवी दिल्ली : अरुणाचल प्रदेशात भारत आणि चिनी सैन्यात झालेल्या चकमकीच्या मुद्द्यावरून संसदेत विरोधकांनी सरकारला धारेवर धरले आहे. या मुद्द्यावर देशाचे संरक्षण मंत्री राजनाथ सिंह यांनी संसदेत उत्तर दिले आहे. 9 डिसेंबर रोजी चीनकडून घुसखोरीचा प्रयत्न केला, त्याला भारतीय जवानांनी चोख प्रत्युत्तर दिले. त्यामुळे…
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airnews-arngbad · 2 months
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Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar
Date 15 July 2024
Time 01.00 to 01.05 PM
Language Marathi
आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर
प्रादेशिक बातम्या
दिनांक १५ जूलै २०२४ दुपारी १.०० वा.
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देशातल्या किरकोळ व्यापार क्षेत्रातल्या डिजिटल व्यवहारांचं प्रमाण २०३० पर्यंत दुप्पट म्हणजेच सात लाख कोटी डॉलर्सवर जाण्याची शक्यता आहे. ऍमेझॉन पे आणि केर्ने या संस्थांच्या संयुक्त अभ्यासात हा अंदाज वर्तवण्यात आला आहे. २०३० पर्यंत भारतातल्या ई कॉमर्स बाजारपेठेत २१ टक्क्यांनी वाढ होईल असं या अभ्यास अहवालात म्हटलं असून या अहवालानुसार २०२२ या वर्षातले फक्त भारतातले डिजिटल आर्थिक व्यवहार संपूर्ण जगाच्या डिजिटल आर्थिक व्यवहारांच्या ४६ टक्के इतके आहेत.
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नेपाळच्या पंतप्रधानपदी के पी शर्मा ओली यांची निवड झाल्याबद्दल, पंतप्रधान नरेंद मोदी यांनी त्यांचं अभिनंदन केलं आहे. भारत आणि नेपाळ मधील मैत्रीपूर्ण संबंध दृढ करण्यासाठी तसंच दोन्ही देशांमध्ये परस्पर द्विपक्षीय सहकार्याचा आणखी विस्तार करण्यासाठी उत्सुक असल्याचं पंतप्रधान मोदी यांनी आपल्या समाज माध्यमावरील संदेशात म्हटलं आहे.
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विक्रम मिस्त्री यांनी आज परराष्ट्र सचिव पदाचा कार्यभार स्वीकारला. मिस्री हे १९८९ तुकडीचे आयएफएस अधिकारी आहेत. त्यांनी यापूर्वी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदेच्या सचिवालयात उपराष्ट्रीय सुरक्षा सल्लागार म्हणून जबाबदारी सांभाळली आहे. चीन, म्यानमार आणि स्पेनमध्ये भारतीय दूत म्हणूनही त्यांनी काम केलं आहे. पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्यासह माजी पंतप्रधान इंद्रकुमार गुजराल तसंच  डॉ मनमोहन सिंग यांचे खाजगी सचिव म्हणूनही त्यांनी जबाबदारी सांभाळली आहे. यापूर्वी या पदाचा कार्यभार विनय मोहन क्वात्रा यांच्याकडे होता, त्यांचा कार्यकाळ संपल्यानं मिस्त्री यांची या पदी निवड करण्यात आली.
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महाराष्ट्र जनसुरक्षा कायदा आणण्यामागे, शहरी नक्षलवादाच्या नावाखाली पुरोगामी चळवळींना लक्ष्य करण्याचा सरकारचा उद्देश असल्याची टीका, राष्ट्रवादी काँग्रेस शरदचंद्र पवार पक्षाचे प्रदेशाध्यक्ष जयंत पाटील यांनी केली आहे. समाज माध्यमावरील संदेशात त्यांनी हे मत व्यक्त केलं आहे. कोणताही कायदा करतांना, त्यावर विधी आयोगाकडून मत घेणं, जनतेकडून आणि तज्ञांकडून अभिप्राय घेणं आणि विधिमंडळाच्या दोन्ही सभागृहात त्यावर सखोल चर्चा होणे अशी प्रक्रिया असतांना सरकार कोणालाही न जुमानता हा पाशवी कायदा अध्यादेशाद्वारे आणत असल्याचं त्यांनी म्हटलं आहे. हे विधेयक घटनाविरोधी असून सर्व विरोधी पक्षांचा या विधेयकाला पूर्णपणे विरोध आहे असंही त्यांनी यावेळी स्पष्ट केलं.
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दुधाला प्रति लिटर ४० रुपये भाव तसंच रास्त आणि किफायतशीर दर- एफआरपी देण्याच्या प्रमुख मागणीसाठी दूध उत्पादक शेतकरी संघर्ष समितीच्या वतीनं राज्यभरात आजपासून २१ जुलै पर्यंत तीव्र आंदोलन करण्यात येणार आहे. शेतकरी संघर्ष समितीचे समन्वयक अजित नवले यांनी ही माहिती दिली.
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नाशिक जिल्ह्यात खरीपाच्या पेरणीला वेग आला असून ७० टक्के पेरण्या पूर्ण झाल्या आहेत. येवला तालुक्यात शंभर टक्के पेरण्या झाल्या असून चांदवड, मालेगाव, निफाड, नांदगाव, देवळा आणि बागलाण या सहा तालुक्यांमध्ये ८५ टक्के पेरण्या पूर्ण झाल्या आहेत.
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रत्नागिरी जिल्ह्यात मुसळधार पावसाचा आजचा चौथा दिवस असून गेल्या २४ तासांत खेडमध्ये तब्बल २३१ मिलिमीटर पावसाची नोंद झाली.
सिंधुदुर्ग जिल्ह्यात आजही पावसाचा जोर कायम आहे. जिल्ह्यात गेल्या २४ तासांत १२२ मिलीमीटर पावसाची नोंद झाली असून जिल्ह्यातल्या तेरेखोल, गड, कर्ली, वाघोटन या नद्या दुथडी भरून वाहत आहेत. सखल भागात पाणी शिरल्यानं, रस्ते वाहतूक ठप्प झाली असून जनजीवन विस्कळीत झालं आहे.
दरम्यान, या पावसामुळे कोकण रेल्वेमार्गावरील काही रेल्वेगाड्या रत्नागिरी रेल्वेस्थानकात रद्द करण्यात आल्या आहेत.  प्रवाशांना मुंबईला सोडण्यासाठी एसटी बसेसची व्यवस्था करण्यात येत असून, रत्नागिरी स्थानकात ४०, चिपळूण स्थानकात १८, तर खेड स्थानकात १० बस पाठवल्या जात आहेत.
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मराठवाड्यात काल छत्रपती संभाजीनगर शहर तुरळक पाऊस झाला. बीड जिल्ह्यासह धारुर, चुंबळी फाटा, परळी, गेवराई, गढी या भागात काल जोरदार पाऊस झाला. या पावसामुळं शेतकऱ्यांच्या आशा पल्लवित झाल्या आहेत. तर परभणी जिल्ह्यात काल सोनपेठ शहर आणि तालूक्यात तसंच जिंतूर तालूक्यात येलदरी परिसरात रिमझिम स्वरुपाचा पाऊस झाला. धाराशिव शहर परिसरात काल संध्याकाळच्या सुमारास जोरदार पावसानं हजेरी लावली. यामुळे शहरातल्या प्रमुख तसंच अंतर्गत रस्त्यांवर पाणी साचलं.
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राज्यात आज रायगड, सिंधुदुर्ग, सातारा, कोल्हापूर, परभणी, हिंगोली, अमरावती, पुणे, यवतमाळ आणि वर्धा या जिल्ह्यांसाठी हवामान विभागानं  रेड अलर्ट दिला आहे. तर, सोलापूर, छत्रपती संभाजीनगर, धाराशिव, नांदेड आणि बीड  जिल्ह्यांसाठी येलो अलर्ट दिला आहे.
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dainiksamachar · 3 months
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मोदी की रूस यात्रा से इतना चिढ़ा क्यों है अमेरिका? दे रहा धमकी, पुतिन की हुई बल्ले-बल्ले
मॉस्को: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत के लिए रूस जा रहे हैं। यह रूस के 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से उनकी पहली यात्रा है। यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि मोदी और पुतिन दोनों ने अपने-अपने देशों में हुए चुनावों में एक बार फिर जीत हासिल की है। पुतिन के नए कार्यकाल के शुरू होने के बाद यह किसी बड़े वैश्विक नेता की पहली र���स यत्रा भी है, जिससे रूसी राष्ट्रपति को बहिष्कृत करने के पश्चिमी प्रयासों का मुकाबला करने में मदद मिलेगी। पुतिन ने चुनाव जीतने के बाद पहली यात्रा के तौर पर चीन को चुना था, जिसे दोनों देशों के संबंधों में आई तेजी के तौर पर देखा गया। हालांकि को लेकर अमेरिका खुश नहीं है। भारत में अमेरिकी राजदूत ने तो भारतीय कंपनियों को प्रतिबंधों की धमकी तक दे डाली है।ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय द्वारा समर्थित शोध समूह मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस की एसोसिएट फेलो स्वास्ति राव ने कहा, "रूस और चीन के बीच रणनीतिक गठबंधन का गहरा होना भारत के लिए असहज है, क्योंकि यह आपके सबसे अच्छे दोस्त और दुश्मन के बीच सोने जैसा है।" "चूंकि हमें ये चिंताएं हैं, इसलिए प्रधानमंत्री का वहां जाना और उच्चतम स्तर पर पुतिन से बात करना समझ में आता है।" तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद यह मोदी की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी, जिसमें प्रधानमंत्री भूटान, मालदीव और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों के बजाय रूस की यात्रा करके परंपरा को तोड़ रहे हैं, जहां उन्होंने पिछले चुनाव जीतने के बाद जाना चुना था। रूस के साथ रिश्तों को महत्व दे रहा भारत इस मामले से परिचित लोगों ने कहा कि यह इस बात को रेखांकित करता है कि नई दिल्ली मास्को के साथ अपने संबंधों को कितना महत्व देता है। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उपभोक्ता भारत रूसी तेल का एक बड़ा खरीदार बन गया है। भारत की सैन्य हार्डवेयर आपूर्ति भी रूस पर निर्भर है। वहीं, 2020 में भूमि-सीमा संघर्ष के बाद से चीन और भारत के बीच संबंध निम्न स्तर पर हैं। रूस के साथ किसी बड़े सौदे की संभावना नहीं इस मामले से परिचित भारतीय अधिकारियों के अनुसार, दोनों नेताओं से कई मुद्दों पर चर्चा करने की उम्मीद है, हालांकि कोई महत्वपूर्ण समझौता होने की संभावना नहीं है। लोगों ने कहा कि एजेंडे में दोनों सेनाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए रसद आपूर्ति समझौता, पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के संयुक्त विकास पर चर्चा फिर से शुरू करना और परमाणु ऊर्जा पर सहयोग शामिल है। अधिक जानकारी के लिए संपर्क किए जाने पर भारत का विदेश मंत्रालय तुरंत टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं था। पीएम मोदी की रूस यात्रा का अजब संयोग पीएम मोदी की मॉस्को की यात्रा 8-9 जुलाई को होने की उम्मीद है। यह आंशिक रूप से वाशिंगटन में उत्तरी अमेरिकी संधि संगठन (NATO) के सदस्यों के एक अलग शिखर सम्मेलन के साथ मेल खाती है। मामले से परिचित लोगों ने कहा कि मोदी की रूस यात्रा लंबे समय से लंबित थी और समय का नाटो गठबंधन की बैठक से कोई संबंध नहीं है। मॉस्को के बाद मोदी के दो दिवसीय दौरे पर वियना जाने की उम्मीद है। रूस के साथ भारत के संबंधों से अमेरिका चिंतित अमेरिका ने एशिया में चीन के प्रभुत्व का मुकाबला करने के लिए भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने की मांग की है और रूस के साथ नई दिल्ली के संबंधों के प्रति सहिष्णु रहा है। उन संबंधों के बारे में पूछे जाने पर, अमेरिकी उप विदेश मंत्री कर्ट कैंपबेल ने पिछले हफ्ते कहा कि वाशिंगटन ने नई दिल्ली के साथ भारत-रूस संबंधों के बारे में चिंता जताई है, लेकिन उसे भारत पर भरोसा है और वह दक्षिण एशियाई देश के साथ संबंधों का विस्तार करना चाहता है। संकट में भी रूस के साथ खड़ा रहा भारत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में सबसे खराब लड़ाई को लेकर नई दिल्ली में बेचैनी के बीच मोदी पिछले दो वर्षों से पुतिन के साथ वार्षिक व्यक्तिगत शिखर सम्मेलनों में शामिल नहीं हुए हैं। फिर भी, भारत ने पड़ोसी यूक्रेन पर आक्रमण करने के लिए रूस की निंदा करने से परहेज किया है, इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के मतदान में भाग नहीं लिया है, और संघर्ष को हल करने के लिए कूटनीति की वकालत की है। अमेरिका ने भारत को दी धमकी भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि रूस के खिलाफ वैश्विक प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वाली किसी भी भारतीय कंपनी को यूरोप, अमेरिका और दुनिया भर में अपने वैश्विक सहयोगियों के साथ व्यापार करने की कोशिश करते समय होने वाले "परिणामों" के बारे में पता होना चाहिए। गार्सेटी ने कहा, "अमेरिका, दर्जनों सहयोगियों के साथ, इस विचार के खिलाफ खड़ा है कि एक देश को क्रूर बल द्वारा दूसरे की जमीन लेने में सक्षम होना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि… http://dlvr.it/T93MNd
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chunavicharcha · 4 months
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Lok Sabha Election Results 2024 Live: नीतीश-नायडू ने BJP को सौंपा समर्थन पत्र, आज ही सरकार बनाने का दावा पेश कर सकता है NDA
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Results of Lok Sabha Election: सौंपा समर्थन पत्र नीतीश-नायडू ने बीजेपी को   सूत्रों के मुताबिक बिहार के सीएम नीतीश कुमार और टीडीपी चीफ चंद्रबाबू नायडू ने बीजेपी को अपना समर्थन पत्र सौंप दिया है.मुमकिन एनडीए की बैठक के बाद तमाम नेता सरकार बनाने का दावा पेश करने जाएं. Results of Lok Sabha Elections: बोले आरएलडी चीफ जयंत चौधरी 'नीतीश कुमार ने प्रेरित होकर NDA में आया| एनडीए की बैठक से पहले RLD के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा, "नीतीश कुमार गंभीर राजनीतिक नेता हैं देश को दिशा देने वाले नेता हैं. नीतीश कुमार से मुझे और सीखने का मौका मिलेगा ये मैं उम्मीद करता हूं." नीतीश कुमार ने जो INDIA छोड़ने का फैसला लिया है, उनके फैसले से ही ��्रेरित होकर हम NDA के साथ आए.
 Results of the Lok Sabha Elections: जानें क्या कहा ? चीन ने दी नरेंद्र मोदी और NDA को बधाई,   चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में भारत-चीन के संबंधों को बेहतर बनाने को लेकर भी बात कही गई है. चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने नरेंद्र मोदी, बीजेपी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को लोकसभा चुनाव 2024 में जीत दर्ज करने पर बधाई दी है| Results of the Lok Sabha Election: NDA की बैठक पर संजय राउत का तंज, जानें क्या कहा ? शिवसेना(UBT) के नेता संजय राउत ने कहा, "NDA की बैठक NDA वाले जानें, NDA में नीतीश बाबू, चंद्रबाबू, चिराग बाबू हैं, देख लेंगे. जनता ने भाजपा का बहुमत खींच लिया है इसलिए अब मोड-तोड़ की सरकार बनाने की कोशिश हो रही है, अगर उनके पास आंकड़ा है तो उन्हें सरकार बनाने दीजिए." Results of Lok Sabha Elections: 'इंडिया गुट और NDA के बीच सत्ता का संघर्ष', बोले सीपीआई नेता डी रामा. सीपीआई के महासचिव डी राजा ने कहा कि हमें इंतजार करना चाहिए और देखना चाहिए कि आने वाले दिनों में चीजें किस तरह से हो रही हैं, क्योंकि आज इंडिया गठबंधन और NDA दोनों की बैठक होने वाली हैं. उन्होंने कहा कि यह इंडिया गुट और एनडीए के बीच सत्ता का संघर्ष बन गया है. हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि किसे नंबर मिलता है और किसे राष्ट्रपति की ओर से निमंत्रण मिलता है| The outcome of the Lok Sabha election is: चुनाव नतीजों के बाद क्या बोलीं BJP नेता माधवी लता? भाजपा नेता माधवी लता ने कहा, "भाजपा एक पार्टी के रूप में जानती है कि सीधी लड़ाई कैसे लड़नी है. महाभारत के पांडव केवल सीधा युद्ध करना जानते थे, लेकिन कौरव उसी काम को दूसरे तरीके से करना जानते थे, वे पीछे से वार करना जानते थे. पांडवों ने कुरुक्षेत्र का युद्ध तो जीत लिया, लेकिन उन्होंने अपने सगे-संबंधियों को खो दिया. उन्होंने अपने पांच पांडवों को खो दिया, जो उनके अपने बच्चे हैं. उन्होंने एक महान योद्धा अभिमन्यु को खो दिया है, इसलिए इतिहास भी हमें बताता है कि सत्य और अन्याय के युद्ध के बीच सत्य को अपने सगे-संबंधियों की बलि देनी पड़ती है|" Results of the Lok Sabha Election: NDA सरकार बनाने का दावा आज ही पेश कर सकते हैं| NDA के घटक दल के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आज सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राष्ट्रपति से मिलने जा सकते हैं. BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह, चंद्रबाबू नायडू, नीतीश कुमार, एकनाथ शिंदे , चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और प्रफुल्ल पटेल राष्ट्रपति भवन जा सकते हैं. उनके साथ जयंत चौधरी, अनुप्रिया पटेल भी जा सकते हैं| more____
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roh230 · 4 months
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theambuj · 1 year
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तीसरा विश्वयुद्ध कैसे होगा ?
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तीसरा विश्वयुद्ध कैसे होगा और इसमें भारत और मोदी की क्या भूमिका होगी और ये मोदी देश को जलता छोड़कर बार-बार विदेश में काहे को भागता दोड रहा है, जैसे सवालों का जवाब देता सेव करके रखने योग्य वो लेख जो जिसने नहीं पढ़ा उसने 'कल क्या होने वाला है' को आज ही जानने का अवसर खो देगा।
दी ग्रेट गेम…
अगर आप इतिहास को गौर से देखेंगे तो पायेंगे कि वर्तमान में विश्व की महाशक्तियों में एक उसी प्रकार की आपाधापी और लेनदेन का खेल चल रहा है जैसा कि 15वीं-16वीं शताब्दी में यूरोपीय शक्तियों में उपनिवेशीकरण को लेकर विश्व की बंदरबांट को लेकर चला था। उपनिवेशीकरण ने औद्यौगिक क्रांति को सफल बनाकर पश्चिम को आर्थिक रूप से तो शक्तिशाली बना दिया परंतु औद्योगिक क्रांति और पूँजीवाद के फलस्वरूप 'बाजार और मांग' की आवश्यकता ने एक ऐसे भस्मासुर को जन्म दिया जिसके कारण पृथ्वी के असीम संसाधन भी कम पड़ने लगे हैं। इस भस्मासुर का नाम है 'उपभोक्तावाद' और ये एक ऐसा असुर भी है जिसकी भूख अगर शांत ना की जाये तो यह मानव सभ्यता को ही निगल लेगा और सबसे बुरी बात ये है कि इसके उदर में जितना भोजन डाला जाता है, इसकी भूख उतनी ही बढती जाती है जिसके कारण पृथ्वी के संसाधन चुकते जा रहे हैं और पृथ्वी एक गंभीर 'पारिस्थितिक संकट' से गुजर रही है जिसका नाम है 'वहन क्षमता में कमी' जिसे सरल शब्दों में कहूँ तो अपने अपने क्षेत्र (देशों) में जनसंख्या को जिंदा बनाये रखने के लिये आवश्यक संसाधनों की क्षमता में कमी।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार रूस के पास 'साइबेरिया' के रूप में अगले 150 सालों के लिये पर्याप्त खनिज संसाधन है और साथ ही उसने अंटार्कटिका पर अपना दावा ठोक दिया है जिसमें भारी मात्रा में खनिज संसाधन दबे हुए हैं।
इसी तरह अमेरिका ने भी अगले 150-200 साल के लिये खनिजों और तेल का तो बंदोबस्त किया हुआ है और फिलहाल वह 'दूसरों के माल' पर डाका डालकर एश कर रहा है।
विश्व की तीसरी सबसे बड़ी शक्ति चीन ने भी तनिक बदले हुये रूप में यह पॉलिसी बना रखी है कि वह भारत जैसे बेवकूफ और कई भ्रष्ट देशों से भारी मात्रा में अयस्क खरीदकर खनिजों के सुरक्षित भंडार बना रहा है।
अब रहा 'भोजन' जिसके लिये अमेरिका बिल्कुल चिंतित नहीं क्योंकि उसके पास ��र्याप्त से भी कई गुना भूमि व कृषि संसाधन हैं और ऑस्ट्रेलिया व कनाडा के रूप में विश्वस्त मित्र हैं, और सच कहा जाये तो ये अमेरिका की परछांई हैं जिनके द्वारा अपार मात्रा में दूध, मछली व मांस की आपूर्ति की गारंटी है।
दूसरी तरफ रूस के लिये भोजन व गर्म पानी के बंदरगाह उसकी सबसे बड़ी कमजोरी है इसी कारण रूस यूक्रेन जिसे यूरोप का 'अन्न भंडार' कहा जाता है, को किसी भी हालात में अपने शिकंजे में बनाये रखना चाहता है और "क्रीमिया विवाद" की जड़ यही है।
चीन के सामने भी भोजन के लिये कृषिभूमि की कमी व समुद्र में कमजोरी मुख्य संकट है जिसके लिये उसने अजीब हल निकाला है। उसने एक ओर तो हिंद महासागर में "पर्ल स्ट्रिंग" का निर्माण शुरू किया है और दूसरी ओर अफ्रीका में हजारों एकड़ जमीन को लीज पर लेना शुरू किया है ताकि वहां वह व्यापारिक फसलों को उगा सके और खुद अपनी भूमि पर खाद्यान्न फसलों को।
विशेषज्ञों की मानें तो पृथ्वी के संसाधन अब चुक रहे हैं जिसमें फिलहाल दो चीजें सबसे मुख्य हैं: पैट्रोल और पानी।
वर्तमान जंग पैट्रोल की है और भविष्य का संघर्ष पानी को लेकर होगा और इसमें दो धड़े होंगे चीन v/s अमेरिका। अब इसमें शेष विश्व और भारत की क्या स्थिति है?
विश्व राजनीति की शतरंज में महाशक्तियां अपने…
क्या क्या मोहरे चल रहीं हैं?
भारत की स्थिति क्या है?
क्यों मोदी ताबड़तोड़ विदेश दौरे कर रहे हैं?
संसाधनों की इस होड़ में हम कहाँ हैं?
आपको बुरा लगेगा पर सत्य ये है कि कहीं नहीं।
क्यों?
क्योंकि आजादी के बाद के 15 साल हमने नेहरू की बेवकूफाना आदर्शवादी विदेशनीति की भेंट चढ़ा दिये और तिब्बत जैसे कीमती संसाधन को खो दिया। वरना आज चारों ओर से भारत से घिरा नेपाल भारत का हिस्सा बन चुका होता और हिमालय के पूरे संसाधनों पर हमारा कब्जा होता। इसके बाद से शास्त्री जी के लघु शासनकाल को छोड़कर शेष समय सरकारें विशेषतः गांधी खानदान बिना भविष्य की ओर देखे सिर्फ "प्रशासन के लिये शासन" करते रहे जिसमें जनता सिर्फ चुनिंदा लोगों के लिये वोटों की संख्या और उनकी विलासिता के लिये 'उत्पादक' मात्र थी।
दूसरी ओर विशाल और बढती हुई जनसंख्या, जिसके लिये इतने संसाधन जुटाना असंभव भी है, खासतौर पर जब देश में बहुसंख्यकों के प्रति शत्रु मानसिकता रखने वाली 20 करोड़ से ज्यादा की जनसंख्या व एक छोटा पर बहुत प्रभावी कुटिल बिका हुआ देशद्रोही बुद्धिजीवी वर्ग हो जो राष्ट्रहित की प्रत्येक नीति में रोड़े अटकाता हो।
भारत की स्थिति, तो कुल मिलाकर भारत इस समय अभूतपूर्व खतरे का सामना कर रहा है। दक्षिण में हिंद महासागर की तरफ से भारत सुरक्षित है पर यह स्थिति दिएगो गर्सिया पर काबिज अमेरिका पर निर्भर है।
पश्चिम में पाकिस्तान
पूर्व में बांग्लादेश
उत्तर में स्वयं चीन
'पांचवीं दिशा' का खतरा सबसे भयानक है और भारत के अंदर ही मौजूद है। 20 करोड़ की भारत विरोधी सेना।
कश्मीर में पूरी तरह बढ़त में, केरल में निर्णायक, पूर्वोत्तर, असम व बंगाल में प्रबल स्थिति में, उत्तरप्रदेश और बिहार में वे कांटे की टक्कर देने की स्थिति में है।
शेष भारत में भी वे विभिन्न स्थानों पर परेशानी खड़ा करने की स्थिति में हैं। केरल में तो वे "पॉपुलर फ्रंट" के नाम से वे सैन्य रूप भी ले चुके हैं। ये वामपंथी, ये अरुंधती टाइप के साहित्यकार, भांड टाइप के अभिनेता और महेश भट्ट जैसे एडेलफोगैमस लोग, बिंदी गैंग आदि सऊदी पैट्रो डॉलर्स और चीन के हाथों बिके हुये वे लोग हैं जो मोदी का रास्ता रोकने के लिये देशविरोधी घरेलू और विदेशी शक्तियों का 'हरावल दस्ता' है ताकि मोदी की गति कम करके इस 'ग्रेट गेम' में पछाड़ जा सके… Now great game is near to start.
भारत को छोड़कर शेष विश्व इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ खड़ा हो चुका है और अब वो मृतप्रायः है। इस्लाम का संकुचन अरब देशों में पैट्रोल के खतम होते ही प्रारम्भ हो जायेगा।
अब मारामारी शुरू होगी पानी के ऊपर और दुर्भाग्य से इसकी शुरूआत भारत से ही होगी क्योंकि चीन ना केवल ब्रह्मपुत्र नदी पर अपनी निर्णायक पकड़ बना चुका है बल्कि यह तक कहा जा रहा है कि हिमालय क्षेत्र के मौसम और ग्लेशियरों को प्रभावित करने की टेक्नोलॉजी विकसित कर चुका है। चीन की तीन कमजोरी हैं…
1- निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था 2- टेक्नोलॉजी 3- हिंद महासागर
पहली कमजोरी से निबटने के लिये चीन ने विदेशी मुद्रा का बड़ा भंडार और ट्रेजरी बॉन्ड खरीद रखे हैं जिसके जरिये वह अमेरिका के डॉलर को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में दो दिन में कौड़ियों के भाव का कर सकता है परंतु भारत के संदर्भ में उसका कदम उल्टा बैठेगा और साथ ही भारत चीन के माल पर किसी भी 'बहाने' से रोक लगाकर उसकी अर्थव्यवस्था को गड्ढे में धकेल सकता है। इसलिये आर्थिक मोर्चे पर तो सभी पक्ष "रैगिंग वाली रेल" बने रहेंगे जिसमें झगड़ा बस इस बात का है कि "इंजन" कौन बनेगा और "पीछे वाला डिब्बा" कौन रहेगा। (मेहरबानी करके रैगिंग की रेल का मतलब ना पूछियेगा)
अब बात टेक्नोलॉजी की जिसमें चीन दिनरात एक किये हुए है पर मिसाइल और न्यूक्लियर टेक्नीक को छोड़कर वह पश्चिम के सामने कहीं नहीं टिकता, विशेषतः सामरिक तकनीक के क्षेत्र में। इसीलिये चीन "पश्चिम की सामरिक तकनीक के गले की नस" अर्थात टेलीकम्यूनिकेशन को बर्बाद करने के लिये "सैटेलाइट किलर मिसाइल्स" का सफल परीक्षण कर चुका है, जिसके जवाब में अमेरिका ने "नैनो सैटेलाइट" लॉन्च किया हैं। यानि इस क्षेत्र में पश्चिम अभी भी भारी बढ़त में है परंतु च���न और पश्चिम दोनों ही जानते हैं कि टैक्नोलॉजी से चीन को रोका तो जा सकता है पर निर्णायक रूप से परास्त नहीं किया जा सकता।
अब तीसरी कमजोरी 'हिंदमहासागर' और उसमे भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का प्रभुत्व जिसके तोड़ के रूप में चीन ने "पर्ल स्ट्रिंग" विकसित की है जिसका एक सिरा पाकिस्तान स्थित 'ग्वादर बंदरगाह' है तो दूसरा सिरा 'सेशेल्स' में है। इसके बावजूद भारत अंडमान स्थित नौसैनिक अड्डे से पूरे हिंदमहासागर में चीन पर बढ़त में है और बाकी का काम मोदी ने ताबड़तोड़ विदेश दौरों और सफल कूटनीति से कर दिया। जरा याद कीजिये विदेश दौरों में देशों का क्रम और अब ऑस्ट्रेलिया, जापान, विएतनाम, भारत, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका के साथ एक हिंदमहासागरीय संगठन बनाने की कोशिश हो रही है जो चीन की 'पर्ल स्ट्रिंग' का मुंहतोड़ जवाब होगी। हालांकि ऑस्ट्रेलिया की झिझक के कारण इसका सैन्यस्वरूप विकसित नहीं हो पाया है।
इस तरह चीन को घेरने के बावजूद अपनी "हान जातीयता" पर आधारित विशाल जनशक्ति के कारण पश्चिम उसपर निर्णायक विजय हासिल नहीं कर सकता। उसपर विजय पाने का एकमात्र तरीका जमीन के रास्ते से हमला करना ही है, जिसके मात्र तीन रास्ते हैं…
रूस द्वारा मध्य एशिया की ओर से
पाकिस्तान के रास्ते
भारत की ओर से
अब आपको समझ आ गया होगा कि चीन रूस की खुशामद क्यों कर रहा है और क्यूँ अपनी पूर्वनीति के विपरीत सीरिया में रूस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर 'एयर स्ट्राइक' में भाग लेने को तैयार हो गया है। चीन का पूरा पूरा प्रयास रूस के साथ गठबंधन करने का या कम से कम उसे 'न्यूट्रल' रखने का होगा ताकि रूस की ओर से निश्चिंत हो सके।
पाकिस्तान की तरफ के रास्ते को चीन POK में सैन्य जमावड़ा करके और ग्वादर तक अबाध सैन्यसप्लाई की व्यवस्था द्वारा बंद कर चुका है। अगर सियाचिन पाकिस्तान के कब्जे में पहुंच गया तो चीन इस पूरे क्षेत्र को पूरी तरह "लॉक" कर देगा, भारत के संदर्भ में दोनों पक्ष जानते हैं कि समझौता संभव नहीं क्योंकि 'तिब्बत की फांस' दोनों के गले में अड़ी है। भारत को हतोत्साहित करने और सामरिक रूप से निर्णायक महत्वपूर्ण स्थानों को कब्जा करने हेतु ही वह अक्सर सीमा उल्लंघन करता रहता है।
तो कुल मिलाकर 'भारत' ही है जो चीन को रोकने के लिये पश्चिम का 'प्रभावी हथियार' बन सकता है और यही कारण है कि पश्चिमी देशभारत में इतना 'इंट्रेस्ट' दिखा रहे हैं।
पश्चिम की इस विवशता को मोदी ने पकड़ लिया है इसीलिये संघर्ष से पूर्व 'अर्थववस्था और सैन्य टेक्नोलॉजी' की दृष्टि से सक्षम बना देना चाहते हैं इसीलिये उनके दौरों में निरंतर दो बातें परिलक्षित हो रहीं हैं; आर्थिक निवेश और हथियारों की ताबड़तोड़ खरीदी के साथ सैन्य टेक्नोलॉजी का हस्तांतरण।
इसी तरह कूटनीतिक विदेश दौरों के द्वारा लामबंद करते हुए चीन विरोधी पूर्वी देशों का संगठित करने की कोशिश करते हुए चीन के 'पर्ल स्ट्रिंग' को तोड़ दिया है, जिससे चिढकर ही चीन ने नेपाल में मधेशियों के विरुद्ध माहौल खड़ाकर भारत के नेपाल में बढ़ते प्रभाव को रोका है और इसका असर मोदी पर इंग्लैंड दौरे के दौरान दिखाई दिया।
भारत की तैयारियां…
भारी मात्रा में निवेश को आमंत्रित करना।
आर्थिक मोर्चे पर सुदृढ़ता हासिल करना। (सेनायें भूखे पेट युद्ध नहीं कर सकतीं)
नौसेना का आधुनिकीकरण।
वायुसेना को एशिया में सर्वश्रेष्ठ बनाना और उज़्बेकिस्तान में भारत के सैन्य हवाई ठिकाने को मजबूत बनाना।
अंतरमहाद्वीपीय तथा मल्टीपल वारहैड मिसाइलों का विकास व आणविक शस्त्रागारों का विकास।
बलूचिस्तान व अफगानिस्तान में भारत के प्रभाव को बढ़ाना।
इलैक्ट्रोनिक वार के लिए "काली 5000" जैसी तकनीक का उन्नतीकरण।
अंतरिक्षीय संसाधनों के उपयोग की संभावनाओं के मुद्देनजर "मार्स मिशन" व अन्य "अंतरिक्ष कार्यक्रमों" का संचालन।
पर इतनी तैयारियों के बावजूद अभी भी भारत बहुत पिछड़ा हुआ है और पश्चिमी शक्तियों के ऊपर निर्भर है और उसे निर्भर रहना पड़ेगा। अब कल्पना कीजिये कि भारत में किसी भी मुद्दे पर देशव्यापी दंगे शुरू हो जाते हैं और उसी समय पाकिस्तान भी अघोषित हमला शुरू कर देता है, जिसे समर्थन देते हुये चीन भी अपने दावे के अनुसार अरुणाचल पर कब्जा कर लेता है और लद्दाख में भी घुस जाता है। अब बताइये भारत क्या करेगा?
भारत के पास ले देकर 11 लाख रेगुलर आर्मी और 32 लाख रिजर्व आर्मी है जबकि चीन की वास्तविक सैन्य संख्या हमारी कल्पना से परे है। और फिलहाल चीन अपने खरीदे हुए भारतीय बुद्धिजीवियों द्वारा और सऊदी फंड से प्रायोजित मुस्लिमों व 'सैक्यूलर राजनेताओं' द्वारा भारत में ही भारत के विरुद्ध 'अप्रत्यक्ष युद्ध' छेड़ चुका है और इसका अगला कदम होगा 'गृह युद्ध' जिसका एक लघुरूप हम पश्चिमी उत्तरप्रदेश में देख चुके है। अगर ये गृहयुद्ध शुरू होता है और यकीन मानिये वो होगा ही 'और यह होगा संसाधनों' के लिये परंतु 'धर्म' के नाम पर होगा। इस स्थिति का फायदा उठाने से पाकिस्तान नहीं चूकेगा और ऐसी स्थिति में अगर चीन भी मैदान में उतरा तो अमेरिका व पश्चिम को भी हस्तक्षेप करना पड़ेगा और यह तीसरे विश्वयुद्ध की शुरूआत होगी।
तो पूरा परिदृश्य क्या हो सकता है: एक तरफ चीन + पाकिस्तान + अरब देश
दूसरी ओर अमेरिका + इजरायल +यूरोप +जापान
रूस संभवतः तटस्थ रहेगा लेकिन अगर वह चीन के साथ कोई गुट बनाता है, चाहे वह आर्थिक गुट (शंघाई सहयोग संगठन) या सैन्य गुट (जिसकी शुरूआत सीरिया में दिख रही है) तो चीन बहुत भारी पड़ेगा।
इस परिस्थिति में भारत के सामने अमेरिका का सहयोग करने के अलावा कोई चारा नहीं और ना ही पश्चिम के पास भारत जैसी विशाल मानव शक्ति है और यही कारण है कि पश्चिमी शक्तियां आज मोदी की तारीफों के पुल बांध रही हैं, भारी निवेश कर रहीं हैं (बुलेट ट्रेन में जापान की उदार शर्तों के बारे में पढ़िये) और सैन्य तकनीक का हस्तांतरण कर रहीं हैं जबकि इजरायल द्वारा चीन को "अवाक्स राडार" देने से मना कर दिया जाता है।
मोदी की कोशिश है कि इस स्थिति के आने से पूर्व ही भारत को पश्चिम की 'आर्थिक व सैन्य मजबूरी' बना दिया जाये और मोदी की सारी व्याकुलता, बैचैनी और तूफानी विदेश दौरे उसी "महासंघर्ष" की तैयारी के लिये हैं ना कि 'तफ़रीह' के लिये। मोदी की कोशिश चीन से त्रस्त वियतनाम, म्यामांर, मंगोलिया, इंडोनेशिया, जापान आदि देशों के साथ मिलकर आक्रामक तरीके से घेरने की भी है और पहली बार भारत ने चीन को विएतनाम सागर, जिसे चीन दक्षिण चीन सागर कहता है, में दबंगई से अंगूठा दिखाया है। ये है मोदी की विदेश दौरों की कूटनीति का परिणाम। तो मोदी के नादान और अधीर समर्थको, समझ गये ना कि मोदी विदेश दौरे पर दौरे क्यों कर रहे हैं?
तो दोस्तो…
कुछ दिन और गाय माता का दर्द बर्दाश्त कर लो।
कुछ दिन और समान संहिता का इंतजार कर लो।
कुछ दिन और कश्मीरी पंडितों की तकलीफ झेलो।
कुछ दिन और महंगी रोटी पैट्रोल से गुजारा करो।
क्योंकि… पहले, भारत को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करना है… दूसरा, भारत को सैन्य महाशक्ति बंन जाने दो… तीसरा, भारत को आंतरिक शत्रुओं से निबटने लायक क्षमता ह���सिल करने दो…चौथा, तुम खुद अपने आपको गृहयुद्ध की स्थिति में दोहरे आक्रमण का प्रतिरोध करने लायक तैयार कर लो।
क्योंकि… क्योंकि… क्योंकि… You are also an important player of this Great Game.
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prabudhajanata · 2 years
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रायपुर - कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ अदालत का फैसला दुर्भाग्यजनक है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि ऊंची अदालत में इस फैसले के खिलाफ जायेंगे। हमें पूरा भरोसा है न्याय मिलेगा। सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं। भारतीय जनता पार्टी राहुल गांधी और उनकी आक्रामकता से घबराई हुई है। राहुल गांधी के भाषणों उनके द्वारा उठाये गये मुद्दो के आधार पर उनको घेरने का षड़यंत्र रचा जा रहा है। भाजपा विपक्ष की आवाज को दबाना चाहती है। राहुल गांधी लगातार जनता की आवाज उठा रहे महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी के खिलाफ वे मुखर है। संसद में अडानी के भ्रष्टाचार के खिलाफ राहुल गांधी बोल रहे उनके नेतृत्व में विपक्षी दल अडानी के घोटाले की जांच के लिये संयुक्त संसदीय समिति बनाने की मांग कर रहे है। भाजपा संसद नहीं चलने दे रही है। राहुल गांधी ने अपने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान 140 दिनों में आम आदमी की समस्याओं को उठाया था। मोदी सरकार को वह भी बर्दाश्त नहीं। राहुल गांधी के खिलाफ दिल्ली पुलिस के द्वारा नोटिस भेजवाया गया। मोदी और उनके सहयोगी सोचते है इस प्रकार का हथकंडा अपना कर वे विपक्ष को दबा देंगे तो मुगालते है। कांग्रेस का एक-एक कार्यकर्ता मोदी सरकार के इस तानाशाही रवैये के खिलाफ संघर्ष करेगा। न हम डरे है और न डरेंगे, न झुके है और झुकेंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि राहुल गांधी, मोदी सरकार से सवाल पूछते है जो जनता से जुड़े एवं देश के भविष्य से संबंधित होता है। राहुल गांधी के सवाल का जवाब देने से बचने मोदी सरकार ईडी का नोटिस भेजती है। राहुल गांधी मजदूरों की, गरीबों की, किसानों की, युवाओं की आवाज को दबने नहीं दिया। मोदी भाजपा सरकार, ईडी और पुलिस के माध्यम से ये दबाव इनकी आवाज उठाने से रोकती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भारत के लोकतंत्र को मजबूत करने के लिये राहुल गांधी यदि विदेश में सत्तारूढ़ दल के अतिवादी चरित्र के बारे में कुछ कहते है तो भाजपा को आपत्ति है लेकिन जब प्रधानमंत्री विदेश की धरती पर आधा दर्जन बार देश की आलोचना करते है तो इसमें भाजपा को देशद्रोह नजर नहीं आता है, चीन, रूस, अमेरिका हर जगह मोदी जी ने भारत के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणियां किया है। चीन में जाकर प्रधानमंत्री मोदी बोल चुके है कि हमने ऐसा कौन सा पाप किया था जो हम हिन्दुस्तान में पैदा हो गये। प्रधानमंत्री मोदी के इस वक्तव्य से देश का सिर नीचा नहीं हुआ था तब भाजपाईयों की बोलती क्यों बंद हो गयी थी? राहुल गांधी को समर्थन देने कांग्रेस ने अंबेडकर चौक में किया सत्याग्रह राहुल गांधी के खिलाफ आये अदालत के फैसले पर राहुल गांधी के साथ एकजुटता दिखाने कांग्रेस ने पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम के नेतृत्व में अंबेडकर चौक में सत्याग्रह किया। कांग्रेस नेताओं ने कहा सच परेशान हो सकता है पराजित नहीं। कांग्रेस का एक-एक कार्यकर्ता राहुल गांधी के साथ एकजुटता के खड़ा है। सत्याग्रह के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
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trendingwatch · 2 years
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सेना चीन को एलएसी पर 'एकतरफा' यथास्थिति नहीं बदलने देगी: जयशंकर
सेना चीन को एलएसी पर ‘एकतरफा’ यथास्थिति नहीं बदलने देगी: जयशंकर
द्वारा पीटीआई विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कांग्रेस नेता को खारिज करते हुए सोमवार को कहा कि भारतीय सेना चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति में ”एकतरफा” बदलाव नहीं करने देगी और सीमा पर उसकी मौजूदा तैनाती पहले नहीं देखी गई थी। राहुल गांधी की आलोचना सीमा रेखा के सरकार के संचालन के बारे में। जयशंकर ने कहा कि सेना की तैनाती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ���े आदेश पर की गई थी और सेना सीमावर्ती…
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mwsnewshindi · 2 years
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India-China Clash: LAC पर हो रही बर्फबारी, चीन देखेगा भारत की ताकत. भारतीय वायु सेना
India-China Clash: LAC पर हो रही बर्फबारी, चीन देखेगा भारत की ताकत. भारतीय वायु सेना
भारत बांग्लादेश में, 2 मैचों की टेस्ट सीरीज़, 2022 , दूसरा टेस्ट | शेरे बांग्ला नेशनल स्टेडियम, मीरपुर – 22 दिसंबर, भारतीय समयानुसार सुबह 09:00 बजे (मैच अभी शुरू होना बाकी है) Source link
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worldinyourpalm · 2 years
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गणतंत्र दिवस समारोह में केजरीवाल ने केंद्र और एलजी पर निशाना साधा सक्सेना | Kejariwal fires on Center and L.G. Saxena during the Republic Day event;
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औपचारिक गणतंत्र दिवस भाषण का दुरुपयोग
केंद्र सरकार की आलोचना करने और लेफ्टिनेंट-गवर्नर वी.के. सक्सेना पर हमला करने के लिए बीजेपी ने मुख्यमंत्री पर 'अपने औपचारिक गणतंत्र दिवस भाषण का दुरुपयोग' करने का आरोप लगाया; सीएम का कहना है कि चीन के साथ भारत का व्यापार आक्रामकता के बावजूद लड़ाई की भावना से बढ़ा है: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बुधवार को एक आर-डे समारोह में।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को कहा कि विभिन्न राज्यों के राज्यपाल निर्वाचित सरकारों के काम में बाधा डाल रहे हैं और इस तरह लोगों की आकांक्षाओं को। दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री केजरीवाल ने इसे लोकतंत्र का 'मजाक' बताया।
आप सरकार और केंद्र द्वारा नियुक्त लेफ्टिनेंट-गवर्नर वी के सक्सेना के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष के बीच उनका बयान आया है।
श्री केजरीवाल की टिप्पणी का जवाब देते हुए, भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने केंद्र सरकार की आलोचना करने और उपराज्यपाल पर हमला करने के लिए 'अपने औपचारिक गणतंत्र दिवस भाषण का दुरुपयोग' करने के लिए मुख्यमंत्री की आलोचना की।
केंद्र पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने चीन के सवाल को भी उठाया और कहा कि चीन का बहिष्कार करना हर भारतीय का कर्तव्य है, लेकिन इसके बजाय चीन के साथ व्यापार में 50% की वृद्धि हुई है।
'चीन का बहिष्कार'
'आज एक अखबार ने खबर दी है कि चीन ने हमारी कुछ जमीन पर कब्जा कर लिया है। यह चिंता का कारण है। हमारे जवान सीमा पर चीन का बहादुरी से सामना कर रहे हैं। इसलिए हमारा कर्तव्य है कि हम इस लड़ाई में उनके साथ खड़े रहें। सीएम ने कहा कि चीन का बहिष्कार करना और उन्हें कड़ा संदेश देना हमारा कर्तव्य है।
'लेकिन हमने पिछले कुछ सालों में क्या किया है? एक तरफ चीन हमारी जमीन पर कब्जा कर रहा है और दूसरी तरफ हम चीन के साथ अपना व्यापार बढ़ा रहे हैं। हम चीन को अमीर बना रहे हैं और वे हमारे पैसे का इस्तेमाल हथियार खरीदने के लि��� कर रहे हैं, हमारे खिलाफ लड़ने के लिए और सैनिकों की भर्ती कर रहे हैं,' श्री केजरीवाल ने कहा......
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bharatlivenewsmedia · 2 years
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भारत-चीन सैनिक संघर्ष : संजय राऊत संतापले; म्हणाले, “देशाचे संरक्षणमंत्री काय लपवत आहेत ?”
भारत-चीन सैनिक संघर्ष : संजय राऊत संतापले; म्हणाले, “देशाचे संरक्षणमंत्री काय लपवत आहेत ?”
भारत-चीन सैनिक संघर्ष : संजय राऊत संतापले; म्हणाले, “देशाचे संरक्षणमंत्री काय लपवत आहेत ?” मुंबई : अरुणाचल प्रदेशातील तवांगच्या यांगत्से सीमाभागात चिनी सैनिकांशी झालेल्या चकमकीत अनेक भारतीय जवान जखमी झाले असून यानंतर देशातील राजकारण चांगलेच तापले आहे. ९ डिसेंबरला दोन्ही देशांचे सैनिक आमने-सामने आले होते. यानंतर राजकीय क्षेत्रातून प्रतिक्रिया उमटत असून शिवसेना खासदार संजय राऊत यांनी तीव्र संताप…
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newscup2021 · 2 years
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तवांग संघर्ष पर अमित शाह ने कहा, ‘एक इंच जमीन नहीं देंगे’ नेहरू की गलती भी याद दिलाई
तवांग संघर्ष पर अमित शाह ने कहा, ‘एक इंच जमीन नहीं देंगे’ नेहरू की गलती भी याद दिलाई
तवांग संघर्ष पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “कॉंग्रेस के समय चीन ने हड़पी हजारों हेक्टेयर जमीन, नेहरू ने भेंट कर दी UN सुरक्षा परिषद की सीट” मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर इलाके में भारत और चीन की सेना के बीच हुई हिंसक झड़प को लेकर कॉंग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने संसद में खूब हंगामा किया है। इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सबको जवाब देते हुए कॉंग्रेस पर सीधा हमला…
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nityanewsnation · 2 years
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Pentagon Press Secretary Pat Ryder Usa Statement On India China Clash - भारत के समर्थन में उतरा Us: 'हमारे सहयोगियों के खिलाफ बढ़ रही चीन की आक्रामकता, हम सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध'
Pentagon Press Secretary Pat Ryder Usa Statement On India China Clash – भारत के समर्थन में उतरा Us: ‘हमारे सहयोगियों के खिलाफ बढ़ रही चीन की आक्रामकता, हम सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध’
पेंटागन के प्रेस सचिव पैट राइडर – फोटो : Social Media ख़बर सुनें ख़बर सुनें अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर के पास भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच ताजा संघर्ष के बाद स्थिति को नियंत्रित करने के भारत के प्रयासों का अमेरिका ने समर्थन किया है। पेंटागन के प्रेस सचिव पैट राइडर ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि हम अपने सहयोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम रहेंगे। भारत ने…
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