शिव कल्याणकारी, आनंददायक, त्रिपुरारी, सभी के हृदय में वास करने वाले सत्य स्वरूप, सनातन साकार और निराकार है। एक कथा के अनुसार देवता और दानव द्वारा समुद्र मंथन के समय निकले हलाहल को जब शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए ग्रहण किया तो हलचल सी मच गई। अपने कंठ में विष को धारण करने के कारण ही वह नीलकंठ कहलाए। विष के प्रभाव से उनके देह में अतिरिक्त ताप उत्पन्न हुआ।
उच्च ताप के प्रभाव को कम करने के लिए इंद्रदेव ने लगातार जोरदार वर्षा की। यह वर्षा ऋतु सावन महीने में उसी नियत समय से आज भी होती है। आज भी परम पावन महादेव शिव के हलाहल विष के ताप को कम करने की धारणा को महसूस करते हुए भक्त सावन के पवित्र माह में शिव को शीतलता प्रदान करने के लिए उनके निराकार स्वरूप को जल अर्पित कर शीतलता प्रदान कर पुण्य के भागी बनते हैं। सावन महीने का महत्व इसीलिए अत्यधिक बढ़ जाता है। बांस के बने शिव की उपस्थिति को धारण किए कांवड़ की परंपरा में एक में घट में ब्रह्म-जल दूसरे में विष्णु-जल लेकर भक्त जब आगे बढ़ते हैं, तो त्रिदेव का सुखद संयोग सबके समक्ष उपस्थित हो जाता है।
हलाहल विष के प्रभाव को कम करने के लिए ही शीतल चंद्रमा को उन्होंने अपने मस्तक पर धारण किया है। हमें यह समझना होगा कि शिव हमारे शरीरों की तरह शरीर धारण करने वाले हैं भी और नहीं भी। वे सभी जीवों के देह में सूक्ष्म रुप से, आत्म स्वरूप में वास करते हैं। वे ही पूरी सृष्टि का प्रतिनिधित्व करते हैं। सब जगह सब तत्व उनमें ही समाहित दिखाई देते हैं। इसीलिए शिव देवों के देव महादेव हैं।
जीवन यात्रा सत्य स्वरूप तक पहुँचने की यात्रा है। जो हमें प्रेम, अनुशासन, सृष्टि को चलायमान रखने के लिए लोभ, मोह, क्रोध को छोड़कर वैराग्य धारण करते हुए ईश्वरी शक्ति से जुड़ने की प्रेरणा देता है। यह आत्मविश्वास को उत्पन्न करने में करोड़ों लोगों की मदद करने वाला है। कांवड़ यात्रा आत्मा से परमात्मा के योग करने की यात्रा है। यह यात्रा तभी पूर्ण होती है, जब हम शिव तत्व को अपने भीतर महसूस करते हुए उसकी प्रतिध्वनि को शिव के साथ ही ताल से ताल मिला कर महसूस करते हैं।
कांवड़ यात्री शिवालयों में जाकर जलाभिषेक करते हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने वाले व्यक्ति को मोक्ष की परम आनंद की प्राप्ति होती है। जीवन के कष्ट दूर होते हैं।मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। घर में धन धान्य की कभी कोई कमी नहीं रहती है।
महर्षि व्यास ने शिव को सबसे महान कहाँ है। उन्हें देवों के देव महादेव कहाँ है। क्योंकि जब कोई निस्वार्थ भाव से महादेव को याद करता है तो देवों के देव महादेव बिना देर किए वरदान देने को तत्पर हो जाते हैं। वे भक्ति से प्रसन्न होते हैं, कौन देवता है, कौन है असुर, वे भेदभाव नहीं करते हैं। सरलता और भोला भालापन उनका स्वरूप है, जो भी भोले भक्त हैं, वह भोले को ख़ूब भाते हैं। शिव, महादेव ही परमपिता परमात्मा कहलाते हैं।
महादेव घाट एनीकट में डूब रहा था युवक, मौके पर पहुंची पुलिस
रायपुर। महादेव घाट एनीकट में डूब रहे युवक की जान पुलिस जवानों ने बचाई है. जानकारी के मुताबिक डायल 112 को सूचना मिला कि एक व्यक्ति महादेव घाट एनीकेट के पास नदी के बीचो-बीच डूब रहा है. और मदद की गुहार लगा रहा है.
जिस सूचना पर पुरानी बस्ती टाइगर वन और आजाद चौक मौके पर पहुंची और समय रहते युवक को बचा लिया। वही मौके पर उपस्थित लोगों ने डायल 112 का आभार व्यक्त किया है. युवक की जान बचाने में आरक्षक 619…
ॐ नमः शिवाय 🙏🏽 नमः परमदेवाय नमः परमहेतवे नमः शिवाय शान्ताय नमः शिवतराय ते॥ #महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर आप सबको अनंत शुभकामनाएं। #महादेव की कृपा हम सब पर सदा बनी रहे। #हर_हर_महादेव #महादेव #mahadev #MahaShivaratri https://www.instagram.com/p/CoywAj4vztz/?igshid=NGJjMDIxMWI=
बेशक लोगो ने जोर शोर से की होगी वेलेंटाइन डे की तैयारी, लेकिन सब पर भारी महाशिवरात्रि हमारी...!! #महादेव #अनुभव https://www.instagram.com/p/CowtBdoSBD5uws9ZOuG46clbYCNwUwzJ7zw8gM0/?igshid=NGJjMDIxMWI=
Happy New year 🎊 हारने नहीं देंगे मेरे #महादेव, भले कठिन ये इंतिहन है, जीत में हम दोनों का ही मान है ||Har Har Mahadev|| (at Mahadev Ki Nagari Kashi) https://www.instagram.com/p/Cm13ssPPmY0/?igshid=NGJjMDIxMWI=
महादेव शंकरांची पार्वती सिझलिंग रुपात, देवो के देव महादेवमधील पार्वतीचा नेत्रदिपक लग्नसोहळा
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“देवों के देव महादेव” या सिरीयलमधून घराघरात आणि मनामनात पोहोचलेली अभिनेत्री सोनारिका भदोरिया (sonarika bhadoria marriage) तुम्हाला सुद्धा नक्कीच आठवत असेल. आजही तिची प्रसिद्धी काही केल्या कमी झालेली नाही. देवी पार्वती म्हणून तिला या सिरीयलमध्ये संधी मिळाली आणि तिने देखील मिळालेल्या संधीचं सोनं करून…
लमजुङ बेँसीशहर नगरपालिका– ८ स्थित मस्र्याङ्दी नदी किनारमा रहेको करपुरेश्वर महादेव मन्दिरमा दूध चढाउँदै भक्तजन । विभिन्न अपेक्षा एवम् विश्वासका साथ भक्तजनहरु यसरी पूजापाठ गरी साउन महिनाभर व्रतसमेत बस्ने गर्दछन् । तस्विर जनक श्रेष्ठ÷रासस
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