श्री महालक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त
संवत् 2080 कार्तिक कृष्ण 14 रविवार दि. 12 नवम्बर 2023 आयुष्मान योग एवं स्वाति नक्षत्र से समन्वित दीपोत्सव के पावन अवसर पर सर्वे भवन्तु सुखिनः….. की अग्रिम शुभकामनाये प्रेषित करते कर्मकाण्डीय विप्र परिषद नीमच की ओर से अध्यक्ष पं. राधेश्याम उपाध्याय, प्रतिष्ठाचार्य व आद्य पुजारी स्वयंसिद्ध विनायक गणेश मंदिर नीमच केन्ट ने बताया कि इस बार दीपावली पर्व सप्ताह पर्यन्त मनाया जायेगा। ता. 9 को गौवत्स…
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🪷 वरलक्ष्मी व्रत कथा - Varalakshmi Vrat Katha
वरलक्ष्मी व्रत कथा के अनुसार बहुत पौराणिक समय मैं मगध राज्य में कुण्डी नामक एक नगर था। पुरातन काल की कथाओं के अनुसार स्वर्ग की कृपा से इस नगर का निर्माण हुआ था। यह नगर मगध राज्य के मध्य स्थापित था। इस नगर में एक ब्राह्मणी नारी चारुमति अपने परिवार के साथ रहती थी। चारुमति कर्त्यव्यनिष्ठ नारी थी जो अपने सास, ससुर एवं पति की सेवा और माँ लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना कर एक आदर्श नारी का जीवन व्यतीत करती थी..
.. वरलक्ष्मी व्रत कथा को पूरा जानने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें 👇
📲 https://www.bhaktibharat.com/katha/varalakshmi-vrat-katha
🪷 लक्ष्मीजी आरती - Laxmi Mata Aarti
📲 https://www.bhaktibharat.com/aarti/shri-laxmi-mata
🪷 वरलक्ष्मी पूजा - Varalakshmi Pooja
📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/varalakshmi-pooja
🪷 भाग्यद लक्ष्मी बारम्मा: - Bhagyada Lakshmi Baaramma
📲 https://www.bhaktibharat.com/mantra/bhagyada-lakshmi-baaramma
🪷 श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम - Ashtalakshmi Stothram
📲 https://www.bhaktibharat.com/mantra/ashtalakshmi-stothram
🪷 श्री महालक्ष्मी अष्टक - Shri Mahalakshmi Ashtakam
📲 https://www.bhaktibharat.com/mantra/shri-mahalakshmi-ashtakam
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।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पञ्चाङ्ग :- संवत :- २०७९ दिनांक :- 10 नवम्बर 2022 सूर्योदय :- 06:38 सूर्यास्त :- 17:45 सूर्य राशि :- तुला चंद्र राशि :- वृष मास :- अगहन तिथि :- द्वितीया वार :- गुरुवार नक्षत्र :- रोहिणी योग :- परिध करण :- गर अयन:- दक्षिणायन पक्ष :- कृष्ण ऋतू :- शरद लाभ :- 12:10 - 13:33 अमृत:- 13:34 - 14:58 शुभ :- 16:20 - 17:44 राहु काल :- 13:34 - 14:58 जय महाकाल महाराज :- *सुख समृद्धि हेतु:-* गुरुवार ( बृहस्पति वार, वीरवार ) के दिन भगवान लक्ष्मीनारायण जी की पूजा करनी चाहिए। भगवान विष्णु और माँ महालक्ष्मी धन और वैभव के प्रतीक हैं। इस दिन केले के पौधे का पूजन करें, बृहस्पतिवार की व्रत कथा भी पढ़ें। इससे दांपत्य जीवन सुखमय होता है और घर में सुख समृद्धि बनी रहती है व सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। आज का मंत्र :- ""|| ॐ बृं बृहस्पतये नमः।। ||"" *🙏नारायण नारायण🙏* जय महाकालेश्वर महाराज। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय महाकालेश्वर महाराज🌹🙏 महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 10 नवम्बर 2022 ( गुरुवार ) जय महाकालेश्वर महाराज। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 https://www.facebook.com/Bhagyachakraujjain शुभम भवतु ! 9522222969 https://www.instagram.com/p/Ckw8e6wyWTC/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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जगत जननी मातेश्वरी श्री महालक्ष्मी जी का जन्मोत्सव समारोह
श्री महालक्ष्मी जी जन्मोत्सव दिनांक 24 सितंबर मंगलवार को जगत जननी मातेश्वरी श्री महालक्ष्मी जी का जन्मोत्सव समारोह बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। बेनिसर बारी बाहर स्थित महालक्ष्मी मंदिर में सुबह से ही पूजा अर्चना के कार्यक्रम शुरू होंगे। क्षेत्रपाल भेरूनाथ एवं बजरंगबली की पूजा संपन्न होगी। समाज के युवा मंडल द्वारा अभिजीत मुहूर्त में श्री महालक्ष्मी जी का पंचामृत अभिषेक किया जाएगा। सायं 8:30…
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VaraLaxmi Vrat Puja
व्रहलक्ष्मी व्रत: विस्तृत विवरण
देवी वरलक्ष्मी के बारे में
वरलक्ष्मी पूजा का दिन समृद्धि और धन की देवी की पूजा के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। देवी वरलक्ष्मी, जो भगवान विष्णु की पत्नी हैं, देवी महालक्ष्मी का एक रूप हैं। वरलक्ष्मी का अवतार क्षीर सागर से हुआ था, जिसे दूध का सागर भी कहा जाता है। इन्हें दूध के समान रंग की कपड़े पहने और दूध के सागर जैसे रंग की रंगत वाली देवी के रूप में वर्णित किया गया…
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*🌞~ आज दिनांक - 13 अप्रैल 2024 का हिन्दू पंचांग औरआर्थिक परेशानी हो तो...~🌞*
*⛅दिनांक - 13 अप्रैल 2024*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - वसंत*
*⛅मास - चैत्र*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पंचमी दोपहर 12:04 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - मृगशिरा रात्रि 12:49 अप्रैल 14 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*⛅योग शोभन रात्रि 12:34 अप्रैल 14 तक तत्पश्चात अतिगण्ड*
*⛅राहु काल - सुबह 09:31 से सुबह 11:05 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:23*
*⛅सूर्यास्त - 06:55*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से 05:37 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:14 से दोपहर 01:04 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:14 अप्रैल 14 से रात्रि 01:01 अप्रैल 14 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण- मेष संक्रांति, स्कंद षष्ठी, वैशाखी*
*⛅विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति ���ोती है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹 चैत्र नवरात्रि 🌹*
*🌹 धर्म शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि की पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा की जाती है । स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान करनेा वाली हैं । देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कन्द की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जानते हैं ।*
*पंचमी तिथि यानी नवरात्रि के पांचवे दिन माता दुर्गा को केले का भोग लगाएं व गरीबों को केले का दान करें । इससे आपके परिवार में सुख-शांति रहेगी ।*
*🌹 आर्थिक परेशानी हो तो... 🌹*
*🌹 स्कंद पुराण में लिखा है चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी (13 अप्रैल 2024 , शनिवार) को लक्ष्मी माता के 12 मंत्र बोलकर, शांत बैठकर मानसिक पूजा करे और उनको नमन करें तो उसको भगवती लक्ष्मी प्राप्त होती है, घर में लक्ष्मी स्थायी हो जाती हैं । उसके घर से आर्थिक समस्याएँ धीरे धीरे किनारा करती हैं । बारह मंत्र इस प्रकार हैं –*
*🌹ॐ ऐश्वर्यै नम:*
*🌹ॐ कमलायै नम:*
*🌹ॐ लक्ष्मयै नम:*
*🌹ॐ चलायै नम:*
*🌹ॐ भुत्यै नम:*
*🌹ॐ हरिप्रियायै नम:*
*🌹ॐ पद्मायै नम:*
*🌹ॐ पद्माल्यायै नम:*
*🌹ॐ संपत्यै नम:*
*🌹ॐ ऊच्चयै नम:*
*🌹ॐ श्रीयै नम:*
*🌹ॐ पद्मधारिन्यै नम:*
*सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्ति प्रदायिनि । मंत्रपूर्ते सदा देवि महालक्ष्मी नमोस्तुते*
*द्वादश एतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्यय पठेत । स्थिरा लक्ष्मीर्भवेतस्य पुत्रदाराबिभिस:*
*उसके घर में लक्ष्मी स्थिर हो जाती है । जो इन बारह नामों को इन दिनों में पठन करें ।*
*................... इस प्रकार की उपयोगी और रोचक जानकारियां स्वमं भी ले और अपने मित्रों को भी आगे ज्यादा से ज्यादा Share करें*
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Jamshedpur mahalakshmi mandir annual function : साकची महालक्ष्मी मंदिर का चतुर्थ वार्षिकोत्सव धूमधाम के साथ मनाया गया, झुंझनूं वाली राणी सती दादी का सवा लाख जवा फूलों से हुआ अभिषेक, दादी के जयकारों से गूंजा मंदिर परिसर, दादी के भजनों पर झूमे श्रद्धालु
जमशेदपुर : साकची ठाकुरबाड़ी रोड स्थित महालक्ष्मी, राणीसती दादी एवं अंजनी माता मंदिर का चतुर्थ वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया गया. मंदिर परिसर में आज झुंझुनूं वाली राणी सती दादी का सवा लाख जवा फूलों से अभिषेक किया गया. प्रातः दादी की विशेष पूजा हुई, जिसके बाद भक्तों ने दादी की महिमा गान का खूब आनंद लिया. इस आयोजन में बड़ी संख्या में समाज की महिलाएं राजस्थानी परिधान में सज-धज कर शामिल हुईं. चुनड़ी…
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कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि, महत्व, मुहर्त और इस दिन ...
कार्तिक पूर्णिमा, हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा को कहा जाता है और यह त्योहार हिन्दू धर्म में विशेष महत्वपूर्ण है। इसे 'दीपावली पूर्णिमा' भी कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। यह पूर्णिमा हिन्दू कैलेंडर के कार्तिक मास में होती है, जिसे सूर्योदय के साथ शुरू किया जाता है और चंद्रोदय के साथ समाप्त किया जाता है। इस दिन विशेष पूजा विधि, महत्व, मुहूर्त, और इसका अनुष्ठान किया जाता है।
पूजा विधि:
कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशेष पूजा विधि का अनुसरण किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। लोग घरों को साफ-सुथरा करते हैं और उन्हें दीपों से सजाते हैं। विशेष रूप से तिल, गुड़, और दाना आदि से बने दीपों की सजाकर उन्हें बुद्धिमानी और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रज्वलित किया जाता है।
महत्व:
कार्तिक पूर्णिमा को मनाने का मुख्य महत्व है सत्य, दान, और तप की महिमा को समझाना। इस दिन किए गए पुण्यकर्मों का फल विशेष रूप से मिलता है और व्यक्ति अपने जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि प्राप्त करता है।
मुहूर्त:
कार्तिक पूर्णिमा का विशेष मुहूर्त ध्यानपूर्वक चयन किया जाता है ताकि पूजा की सही रीति-रिवाज़ के साथ हो सके। विशेष रूप से सूर्योदय के समय या चंद्रोदय के समय पूजा करने का महत्वपूर्ण मुहूर्त होता है।
इस दिन:
कार्तिक पूर्णिमा के दिन लोग व्रत रखकर विशेष रूप से गंगा स्नान करते हैं और तीर्थस्थलों में जाकर पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन दीपों का प्रज्वलन, विशेष रूप से तिल के दीपों का, विशेष महत्वपूर्ण है।
कार्तिक पूर्णिमा एक धार्मिक और सामाजिक उत्सव है जो सत्य, धर्म, और दया की महिमा को मनाता है और लोगों को एक-दूसरे के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना के साथ जोड़ता है।
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Other Pooja's
SARV GARH SHANTI/ सर्व ग्रह शांति अनुष्ठान
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तिरूवन्नामलाई मे श्री नित्यानंद जन्म भूमि में प्राण प्रतिष्ठा
एसपीएच भगवान नित्यानंद परमशिवम की दिव्य उपस्थिति और शुभ आशीर्वाद के सान्निध्य मे पवित्र शहर तिरूवन्नामलाई मे श्री नित्यानंद जन्म भूमि में प्राण प्रतिष्ठा चल रही है।
भव्य वैदिक अर्चना की शुरुआत मौलिक पंचासन पूजा से होती है, जिसके बाद न्यासम होता है, जहां एक फूल में परमशिव की उपस्थिति की कल्पना की जाती है, जिसे परमशिव और परमशिवशक्ति की दिव्य ऊर्जाओं का आह्वान करने के लिए कलश पर चढ़ाया जाता है।
इसके अतिरिक्त, नवग्रहों की पूजा और महागणपति, महालक्ष्मी, मृत्युंजय और परमशिव के मूल मंत्रों का पाठ प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के दौरान विभिन्न दिव्य ऊर्जाओं की शक्तिशाली उपस्थिति में योगदान देता है।
इन पवित्र समारोहों के समापन में शक्तिशाली मंत्रों के साथ एक भव्य होम होता है, जो महा पूर्णाहुति और एसपीएच भगवान नित्यानंद परमशिवम की प्रतिमा पर कलश तीर्थ के औपचारिक प्रोक्षणम के साथ संपन्न होता है।
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🪷 वरलक्ष्मी पूजा - Varalakshmi Pooja
❀ वरलक्ष्मी देवी वह है जो वर (वरदान) देती है।
❀ वरलक्ष्मी व्रत, श्रावण माह के अंतिम शुक्रवार के दिन रखा जाता है।
❀ वरलक्ष्मी व्रत आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु एवं महाराष्ट्र जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में बहुत अधिक लोकप्रिय है।
❀ विवाहित महिलाएं अपने पति और परिवार के सदस्यों के कल्याण, धन, संपत्ति और वैभव के लिए यह व्रत करती हैं।
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🪷 वरलक्ष्मी व्रत कथा - Varalakshmi Vrat Katha)
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🪷 भाग्यद लक्ष्मी बारम्मा: - Bhagyada Lakshmi Baaramma
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🪷 श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम - Ashtalakshmi Stothram
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🪷 श्री महालक्ष्मी अष्टक - Shri Mahalakshmi Ashtakam
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🪷 लक्ष्मीजी आरती - Laxmi Mata Aarti
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।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पञ्चाङ्ग :- संवत :- २०७९ दिनांक :- 02 नवम्बर 2022 सूर्योदय :- 06:33 सूर्यास्त :- 17:49 सूर्य राशि :- तुला चंद्र राशि :- मकर मास :- कार्तिक तिथि :- नवमी वार :- बुधवार नक्षत्र :- धनिष्ठा योग :- गंड करण :- बालव अयन:- दक्षिणायन पक्ष :- शुक्ल ऋतू :- शरद लाभ :- 06:32 - 07:56 अमृत:- 07:57 - 09:21 शुभ :- 10:45 - 12:10 राहु काल :- 12:11 - 13:35 जय महाकाल महाराज :- *आँवला नवमी:-* *शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।* *प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ॥* कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी या अक्षय नवमी कहा जाता है। इस दिन से ही द्वापर युग का आरंभ हुआ था। इस दिन दान-धर्म का अधिक महत्व होता है। इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्न आदि के दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन दान करने से उसका पुण्य वर्तमान के साथ अगले जन्म में भी मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है। कहते हैं कि ऐसा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। *शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं* *विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।* *लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्* *वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥* आज का मंत्र :- ""|| ॐ गं गणपतये नमः।। ||"" *🙏नारायण नारायण🙏* जय महाकालेश्वर महाराज। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय महाकालेश्वर महाराज🌹🙏 महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 02 नवम्बर 2022 ( बुधवार ) जय महाकालेश्वर महाराज। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 https://www.facebook.com/Bhagyachakraujjain शुभम भवतु ! 9522222969 https://www.instagram.com/p/CkcYttASVL6/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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*धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं*। ।। धनतेरस पर्व एवं भगवान धनवंतरि जयंती ।।
हर वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इसी तिथि पर भगवान धनवंतरि सोने के कलश के साथ प्रकट हुए थे। साथ ही त्रयोदशी के दिन ही आयुर्वेद के देवता धनवंतरि जी की जयंती भी मनाई जाती है।
इस साल १० नवंबर को धनतेरस है। धनतेरस पर नई चीजों की खरीदारी का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है जो कोई भी धनतेरस के दिन खरीदारी करता है, उसके घर पर सुख और समृद्धि आती है।
मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदी गई वस्तुएं कई वर्षों तक शुभ फल प्रदान करती हैं। ऐसे में प्रस्तुत है इस साल धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त, महत्व और इस दिन की खरीदारी-
धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त-
धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में खरीदारी करना अच्छा माना जाता है। पंचांग के अनुसार धनतेरस के दिन यानी १० नवंबर २०२३ को दोपहर १२ बजकर ३५ मिनट से लेकर अगले दिन यानी ११ नवंबर की सुबह तक खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त है।
धनतेरस लक्ष्मी पूजा मुहूर्त-
धनतेरस के पावन पर्व पर भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा की जाती है। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त १० नवंबर, २०२३ शुक्रवार को शाम ०५ बजकर ४७ मिनट से शाम ०७ बजकर ४७ मिनट तक रहेगा।
धनतेरस पर खरीदारी का महत्व-
धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में बर्तन और सोने-चांदी के अलावा वाहन, जमीन-जायदाद के सौदे, लग्जरी चीजें और घर में काम आने वाले अन्य दूसरी चीजों की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदी गई चल-अचल संपत्ति में तेरह गुणा वृद्धि होती है।
धनतेरस पर खरीदने योग्य वस्तुएं-
धनतेरस के दिन सोना-चांदी के अलावा बर्तन, वाहन और कुबेर यंत्र खरीदना शुभ होता है।
इसके अलावा झाड़ू खरीदना भी अच्छा माना जाता है। मान्यता है इस दिन झाड़ू खरीदने से मां लक्ष्मी मेहरबान रहती हैं।
वहीं यदि धनतेरस के दिन आप कोई कीमती वस्तु नहीं खरीद पा रहे हैं तो साबुत धनिया जरूर घर ले आएं। मान्यता है इससे धन की कभी कमी नहीं होती है। इसके अलावा आप गोमती चक्र भी खरीद सकते हैं। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
धनतेरस पर नहीं खरीदने योग्य वस्तुयें-
इस दिन लोहा या लोहे से बनी वस्तुएं घर लाना शुभ नहीं माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार यदि आप धनतेरस के दिन लोहे से बनी कोई भी वस्तु घर लाते हैं, तो घर में दुर्भाग्य का प्रवेश हो जाता है।
धनतेरस पर एल्युमिनियम या स्टील की वस्तुएं न खरीदें। मान्यता है कि स्टील या एल्युमिनियम से बने बर्तन या अन्य कोई सामान खरीदने से मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं।
ज्योतिष के अनुसार यदि आप धनतेरस के दिन घर में कोई भी प्लास्टिक की चीज लेकर आएंगे तो इससे धन के स्थायित्व और बरकत में कमी आ सकती है, इसलिए धनतेरस के दिन प्लास्टिक की वस्तुएं भी न खरीदें।
धनतेरस के शुभ अवसर पर शीशे या कांच की बनी चीजें भी बिल्कुल नहीं खरीदनी चाहिए।
ज्योतिष के अनुसार धनतेरस के दिन चीनी मिट्टी या बोन चाइना की कोई भी वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए।
धनतेरस पर पूजा उपाय-
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी, कुबेर, यमराज और भगवान गणेश जी की पूजा करें।
धनतेरस के दिन घर और बाहर १३ दीपक जलाने से बीमारियों को दूर किया जा सकता है।
दान करना पुण्य कर्म है। माना जाता है कि, दान करने से पिछले जन्म के पाप धुल जाते है। धनतेरस के दिन दान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन यदि आप सूर्यास्त से पहले दान करते हैं तो आपको धन की कमी नहीं होगी। हालांकि इस दिन सफेद कपड़ा, चावल, चीनी आदि का दान नहीं करना है।
धनतेरस पर पशुओं की पूजा करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।
धनतेरस कथा-
पौराणिक कथा के अनुसार जब अमृत प्राप्ति के लिए देवताओं और दानवों के द्वारा समुद्र मंथन किया गया था, तो एक-एक करके उससे क्रमशः चौदह रत्नों की प्राप्ति हुई। समुद्र मंथन के बाद सबसे अंत में अमृत की प्राप्ति हुई थी। कहा जाता है कि भगवान धन्वंतरि समुद्र से अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। जिस दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए वह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी, इसलिए धनतेरस या धनत्रयोदशी के दिन धन्वंतरि देव के पूजन का विधान है।
।। जय श्रीगणेश माँ महालक्ष्मी ।।
*भगवान धनवंतरि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं*
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः 🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (सप्तमी तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
#योगी_���ी
#bageshwardhamsarkardivyadarbar
#kedarnath
#badrinath
#JaiShriRam
#yogi
#jodhpur
#udaipur
#RSS
#rajasthan
#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
🙏🏻 *नवरात्र के सातवें दिन शत्रुओं का नाश करती हैं मां कालरात्रि*
महाशक्ति मां दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं कालरात्रि। मां कालरात्रि काल का नाश करने वाली हैं, इसी वजह से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। मां कालरात्रि की आराधना के समय भक्त को अपने मन को भानु चक्र जो ललाट अर्थात सिर के मध्य स्थित करना चाहिए। इस आराधना के फलस्वरूप भानु चक्र की शक्तियां जागृत होती हैं। मां कालरात्रि की भक्ति से हमारे मन का हर प्रकार का भय नष्ट होता है। जीवन की हर समस्या को पल भर में हल करने की शक्ति प्राप्त होती है। शत्रुओं का नाश करने वाली मां कालरात्रि अपने भक्तों को हर परिस्थिति में विजय दिलाती हैं ।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-21-अक्टूबर-2023
वार:--------शनिवार
तिथि :--------07सप्तमी:-21:54
पक्ष:--------शुक्लपक्ष
माह:--------आश्विन
नक्षत्र:-------पूर्वाषाढा:-19:54
योग:--------सुकर्मा:-24:37
करण:-------गर:-10:43
चन्द्रमा:-----धनु25:39/मकर
सुर्योदय:------06:44
सुर्यास्त:------18:01
दिशा शूल-------पूर्व
निवारण उपाय:---उङद, वाह्वारंग का सेवन
ऋतु :-------------शरद हेमन्त ऋतु
गुलिक काल:---06:41से 08:07
राहू काल:-----09:33से10:59
अभीजित-----11:55से12:45
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:------पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
शुभ:-08:09से09:35तक
चंचल:-12:27से13:53तक
लाभ:-13:53से15:19तक
अमृत:-15:19से16:36तक
🌗चोघङिया रात🌓
लाभ:-18:01से19:35तक
शुभ:-21:12से22:46तक
अमृत:-22:46से00:20तक
चंचल:-00:20से01:54तक
लाभ:-05:10से06:44तक
🌸आज के विशेष योग🌸
वर्ष का 213वाँ दिन, भद्रा प्रारम्भ 21:53 से दिनाकं 22/10/2023 को 08:59 तक पाताल-लोक शुभ (दिशा) आग्नेय, महालक्ष्मी सरस्वती पूजन, नवपद पूजा (जैन), दुर्गा पूजन प्रारंभ (बंगाल), स्थिरयोग 21:53से30:39तक, भद्रकाली अवतार,
🌺👉वास्तु टिपस 👈🌺
घर में भारी फर्नीचर दक्षिण- पश्चिम दिशा में रखे।
सुविचार
प्रभु से मत कहो समस्या विकट है..समस्या से कह दो प्रभु मेरे निकट है। 👍🏻 राधे राधे...
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
*7. सप्तम कालरात्रि यानि नागदौन -*
यह नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती है। सभी प्रकार के रोगों की नाशक सर्वत्र विजय दिलाने वाली मन एवं मस्तिष्क के समस्त विकारों को दूर करने वाली औषधि है। इस पौधे को व्यक्ति अपने घर में लगाने पर घर के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यह सुख देने वाली और सभी विषों का नाश करने वाली औषधि है।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *राशि फलादेश मेष* :-
कम प्रयास से ही कार्यसिद्धि होगी। कार्य की प्रशंसा होगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। विरोध होगा। धनार्जन होगा।
🐂 *राशि फलादेश वृष* :-
पुराने मित्र व संबंधियों से मुलाकात होगी। स्वाभिमान बना रहेगा। विवाद को तूल न दें। शत्रु सक्रिय रहेंगे। कर्म के प्रति पूर्ण समर्पण रखें।
👫 *राशि फलादेश मिथुन* :-
बेरोजगारी दूर होगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। जोखिम न उठाएं। व्यावसायिक यात्रा लाभप्रद रहेगी। व्यापार में नई योजनाओं से लाभ होगा।
🦀 *राशि फलादेश कर्क* :-
फालतू खर्च होगा। अपेक्षानुरूप कार्य न होने से तनाव रहेगा। लेन-देन में सावधानी रखें। समय नेष्ट है। वाणी पर नियंत्रण रखें।
🦁 *राशि फलादेश सिंह* :-
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा सफल रहेगी। आय में वृद्धि होगी। शारीरिक कष्ट संभव है। आजीविका में नए प्रस्ताव मिलेंगे।
👱🏻♀ *राशि फलादेश कन्या* :-
नई योजना बनेगी। कार्यपद्धति में सुधार होगा। मान-सम्मान मिलेगा। भागदौड़ रहेगी। माता की चिंता रहेगी। मित्रों में वर्चस्व बढ़ेगा।
⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
चोट व रोग से बचें। पूजा-पाठ में मन लगेगा। कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी। नौकरी, निवेश व यात्रा लाभप्रद रहेंगे।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक* :-
चोट, चोरी व विवाद आदि से हानि संभव है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। कुसंगति से हानि होगी। दिखावे से दूर रहना चाहिए।
🏹 *राशि फलादेश धनु* :-
चिंता, तनाव, कष्ट व भय का माहौल बन सकता है। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। कानूनी अड़चन दूर होगी। आर्थिक स्थिति मध्यम रहेगी।
🐊 *राशि फलादेश मकर* :-
स्वास्थ्य का ध्यान रखें। भूमि व भवन खरीदने की योजना बनेगी। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। लाभ होगा। संतान पर नजर रखें।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ* :-
लेन-देन में सावधानी रखें। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। स्वादिष्�� भोजन का आनंद मिलेगा। प्रमाद न करें। दांपत्य जीवन शुभतापूर्ण रहेगा।
🐋 *राशि फलादेश मीन* :-
यात्रा में सावधानी रखें। भागदौड़ रहेगी। क्रोध पर नियंत्रण रखें। दु:खद समाचार मिल सकता है। कार्य निर्णय शांति से विचार करके ही करें।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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