लखनऊ, दिनांक 22 मार्च, 2023 | 'हिन्दू नववर्ष' नव संवत्सर (विक्रम संवत 2080 प्रारम्भ) के अवसर पर, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के सेक्टर-25, इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में, ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल तथा ट्रस्ट की न्यासी श्रीमती (डॉ०) रूपल अग्रवाल ने दीप प्रज्जवलन करके, भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण किया तथा पुष्प अर्पित करके, हिन्दू नव वर्ष पर्व मनाया l
श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी लोगों को 'हिन्दू नववर्ष' की बधाई देते हुए कहा कि, भारत ने विश्व को काल गणना का एक अद्वितीय सिद्धांत प्रदान किया है । 'विक्रम संवत' अत्यंत प्राचीन संवत है। भारत के सांस्कृतिक इतिहास की दृष्टि से सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रीय संवत 'विक्रम संवत' ही है । आज ही के दिन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि निर्माण किया था, इसलिए इस पावन तिथि को 'नव संवत्सर' पर्व के रूप में भी मनाया जाता है । पिछले दो हज़ार वर्षों में अनेक देशी और विदेशी राजाओं ने अपनी साम्राज्यवादी आकांक्षाओं की तुष्टि करने तथा इस देश को राजनीतिक द्दष्टि से पराधीन बनाने के प्रयोजन से अनेक संवतों को चलाया किंतु भारत राष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान केवल विक्रमी संवत के साथ ही जुड़ी रही। अंग्रेज़ी शिक्षा-दीक्षा और पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव के कारण आज भले ही सर्वत्र ईस्वी संवत का बोलबाला हो और भारतीय तिथि-मासों की काल गणना से लोग अनभिज्ञ होते जा रहे हों परंतु वास्तविकता यह भी है कि देश के सांस्कृतिक पर्व-उत्सव तथा राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, गुरु नानक आदि महापुरुषों की जयंतियाँ आज भी भारतीय काल गणना के हिसाब से ही मनाई जाती हैं, ईस्वी संवत के अनुसार नहीं । विवाह-मुण्डन का शुभ मुहूर्त हो या श्राद्ध-तर्पण आदि सामाजिक कार्यों का अनुष्ठान, ये सब भारतीय पंचांग पद्धति के अनुसार ही किया जाता है, ईस्वी सन् की तिथियों के अनुसार नहीं । आज के कालखंड में हमें दोनों ही दृष्टि से इस विषय पर विचार करना चाहिए l"
इस अवसर पर ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की उपस्थिति रही l
Kharmas 2023: खरमास में क्यों नहीं किए जाते शुभ कार्य,जानिए नियम और पौराणिक कथाKharmas 2023: इस साल 16 दिसंबर शनिवार से खरमास शुरू होने जा रहा है और 15 जनवरी 2024 को समाप्त होगा। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, शिलान्यास मुहूर्त जैसे सभी शुभ कार्य रुक जाते हैं।
Kharmas : 16 दिसंबर से खरमास, एक माह तक नहीं होंगे शुभ कार्य, अगले साल 58 दिनों तक बजेगी शहनाई
शादी-विवाह व अन्य शुभ कार्य के लिए शुभ मुहूर्त 15 दिसंबर तक ही है। इसके बाद एक माह तक शुभ कार्य नहीं होंगे। खरमास 16 दिसंबर 2023 से शुरू होकर 15 जनवरी 2024 तक रहेगा। जगन्नाथ मंदिर के पंडित सौरभ कुमार मिश्रा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार खरमास में विवाह, जनेऊ संस्कार, नामकरण संस्कार, मुंडन, गृह प्रेवश, भूमि पूजन जैसे शुभ काम करने की मनाही है। खरमास 16 दिसंबर दोपहर 12 बजे से शुरू हो रहा है। इस…
👉व्रत पर्व विवरण - व्यतिपात योग, प्रदोष व्रत, तुलसी विवाह प्रारम्भ, गुरु तेग बहादुरजी शहीदी दिवस*
👉विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
👉व्यतिपात योग - 24 नवम्बर
👉समय अवधि : 24 नवम्बर सुबह 09:05 से 25 नवम्बर प्रातः 06:24 तक*
💥व्यतिपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल 1 लाख गुना होता है । - वराह पुराण💥
💥प्रदोष व्रत - 24 नवम्बर 2023💥
💥 जिस दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के समय व्याप्त होती है उसी दिन प्रदोष का व्रत किया जाता है । प्रदोष काल सूर्यास्त से प्रारम्भ हो जाता है । जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष साथ-साथ होते हैं, वह समय शिव पूजा व गुरु पूजा के लिये सर्वश्रेष्ठ होता है ।💥
🚩तुलसी विवाह प्रारम्भ : 24 नवम्बर 2023🚩
👉तुलसी विवाह हिन्दु देवता विष्णु या उनके अवतार कृष्ण के साथ तुलसी के पौधे का आनुष्ठानिक विवाह है । यह अनुष्ठान 24 नवम्बर से शुरू होगी 27 नवम्बर को समाप्त होगा ।
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Devuthani Ekadashi Vrat 2023 : देवउठनी एकादशी आज, जाने शुभ मुहूर्त, विशेष पूजन विधि और महत्व
देव उठनी एकादशी २०२३ (Devuthani Ekadashi Vrat 2023)
Devuthani Ekadashi Vrat 2023 : हिंदी पंचांग के अनुसार, पूरे वर्ष भर में 24 एकादशी यानी एक माह में 2 एकादशी आती है। लेकिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी को विशेष माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु चार माह के बाद निद्रा पूरी करके जागते हैं।
इस दिन से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते है। इस दिन तुलसी विवाह कराने की…
Live : Sudarshan News 23-11-2023 || Episode:837 || Sant Rampal Ji Mahar...
🙏🌷SAT SAHEB G 🌷🙏🛎कबीर परमेश्वर द्वारा काशी का सदाव्रत भंडारा🛎
कबीर जी को सर्व मानव समाज एक महान संत तथा कवि के रूप में जनता है। लेकिन वास्तविकता में वे पूर्ण परमात्मा है। कबीर जी हर युग में आते रहे हैं जिसकी गवाही हमारे धर्म ग्रंथ भी देते हैं।
कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
कबीर साहेब लगभग आज से 626 वर्ष पहले इस धरती पर आये और बहुत सी लीलाएं करके चले गए। उस समय कबीर साहेब के 64 लाख शिष्य थे, यह आपने आप में एक बहुत बड़ी बात है।
कबीर साहेब ने आजीवन अनेकों लीलाएं करी जिसमे से एक थी काशी में लाखों लोगों को भंडारा करवाना, देखी जाये ऐसा करना किसी भी निर्धन जुलाहे के बस की बात नहीं थी, लेकिन कबीर साहेब वास्तव में पूर्ण परमेश्वर थे जिनके लिए कुछ भी करना असंभव नहीं था।
दिल्ली के राजा सिकंदर लोधी का पीर शेखतकी कबीर जी से ईर्ष्या करता था। वह कबीर जी को अल्लाह/परमात्मा स्वीकार नहीं करना चाहता था, साथ ही अलग अलग प्रकार से नीचा दिखाने की योजनाएं बनाता रहता था। इस बात का फायदा काशी के नकली पंडितों ने भी उठाना चाहा क्योंकि कबीर साहेब के सत्य ज्ञान से उनकी ढोंग की दुकान बंद हो रही थी। सबने मिलकर झूठे पत्र लिखे और सिकन्दर लोधी समेत अठारह लाख लोगों को भंडारे में आमंत्रित किया, चिट्ठी में यह भी लिखा कि प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक स्वर्ण मोहर भी मिलेगी। ऐसा उन्होंने यह सोचकर किया कि एक जुलाहा इतने लोगों को कैसे भंडार कराएगा।
किन्तु जुलाहे की भूमिका करते हुए पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने सभी अठारह लाख साधु संतों लोगों को भोजन कराया। सारा भोजन भंडारा सतलोक (अमर लोक) से लाये तथा प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक मोहर दी एवं सूखा सीधा भी दिया। वह अलौकिक भंडारा लगातार तीन दिनों तक चलता रहा।
कबीर गोसांई, रसोई दीन्हीं, आपै केशो बनि करि आये।
परानंदनी जा कै द्वारै, बहु बिधि भेष छिकाये।।
कबीर परमेश्वर ने उस समय दो रूप में अभिनय किया था, एक रूप में तो गरीब जुलाहे के रूप में अपनी कुटिया में बैठे रहे व दूसरे केशो रूप में अपने सतलोक से 9 लाख बैलों पर थैले रखकर पका-पकाया सामान तथा सूखा सामान तथा दोहर-मोहर भरकर ले आए। तीन दिन तक लगभग 18 लाख व्यक्तियों को सदाव्रत भंडारे से नवाज़ा, तथा 8 पहर (24 घंटे) तक सत्संग कर सतज्ञान समझाया, जिसे सुनकर कई लाख साधु, संतो ने नाम दीक्षा ली व अपना कल्याण करवाया।
कबीर परमात्मा आज भी उपस्थित हैं। वे सदैव ही तत्वदर्शी संत के रूप में विद्यमान रहते हैं। आज वे हमारे समक्ष जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के रूप में आये हैं। संत रामपालजी महाराज के सानिध्य में भी ऐसे अनमोल भंडारे आयोजित किए जाते है। जिसमे आदरणीय गरीब दास जी महाराज की वाणी का अखंड पाठ, सत्संग, दहेजमुक्त विवाह, रक्तदान, देहदान शिविर का भी आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त उनके सभी आश्रमों में वर्षभर सदाव्रत भंडारा चलता है।
पूर्ण संत द्वारा दिए गए ऐसे धर्म भंडारों में जाने से करोडों पाप व दुःखों का नाश होता हैं। पुण्य मिलता है तथा पितरों की भी मुक्ति हो जाती है।
आगामी 26-27-28 नवंबर 2023 को ऐसे ही दिव्य धर्म भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। देश भर में संत रामपालजी महाराज के 9 आश्रमों में तीन दिवसीय निशुल्क भण्डारे का आयोजन किया जायेगा, जिसमे सभी देशवासी सादर आमंत्रित हैं, आप भी इस भंडारे में अवश्य आइए और अपना कल्याण करवाइए।
#MiracleOfGodKabir_In_1513
#दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस
26-27-28 नवंबर 2023
#SantRampalJiMaharaj
#trending
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
कबीर जी को सर्व मानव समाज एक महान संत तथा कवि के रूप में जनता है। लेकिन वास्तविकता में वे पूर्ण परमात्मा है। कबीर जी हर युग में आते रहे हैं जिसकी गवाही हमारे धर्म ग्रंथ भी देते हैं।
कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
कबीर साहेब लगभग आज से 626 वर्ष पहले इस धरती पर आये और बहुत सी लीलाएं करके चले गए। उस समय कबीर साहेब के 64 लाख शिष्य थे, यह आपने आप में एक बहुत बड़ी बात है।
कबीर साहेब ने आजीवन अनेकों लीलाएं करी जिसमे से एक थी काशी में लाखों लोगों को भंडारा करवाना, देखी जाये ऐसा करना किसी भी निर्धन जुलाहे के बस की बात नहीं थी, लेकिन कबीर साहेब वास्तव में पूर्ण परमेश्वर थे जिनके लिए कुछ भी करना असंभव नहीं था।
दिल्ली के राजा सिकंदर लोधी का पीर शेखतकी कबीर जी से ईर्ष्या करता था। वह कबीर जी को अल्लाह/परमात्मा स्वीकार नहीं करना चाहता था, साथ ही अलग अलग प्रकार से नीचा दिखाने की योजनाएं बनाता रहता था। इस बात का फायदा काशी के नकली पंडितों ने भी उठाना चाहा क्योंकि कबीर साहेब के सत्य ज्ञान से उनकी ढोंग की दुकान बंद हो रही थी। सबने मिलकर झूठे पत्र लिखे और सिकन्दर लोधी समेत अठारह लाख लोगों को भंडारे में आमंत्रित किया, चिट्ठी में यह भी लिखा कि प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक स्वर्ण मोहर भी मिलेगी। ऐसा उन्होंने यह सोचकर किया कि एक जुलाहा इतने लोगों को कैसे भंडार कराएगा।
किन्तु जुलाहे की भूमिका करते हुए पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने सभी अठारह लाख साधु संतों लोगों को भोजन कराया। सारा भोजन भंडारा सतलोक (अमर लोक) से लाये तथा प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक मोहर दी एवं सूखा सीधा भी दिया। वह अलौकिक भंडारा लगातार तीन दिनों तक चलता रहा।
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कबीर परमेश्वर ने उस समय दो रूप में अभिनय किया था, एक रूप में तो गरीब जुलाहे के रूप में अपनी कुटिया में बैठे रहे व दूसरे केशो रूप में अपने सतलोक से 9 लाख बैलों पर थैले रखकर पका-पकाया सामान तथा सूखा सामान तथा दोहर-मोहर भरकर ले आए। तीन दिन तक लगभग 18 लाख व्यक्तियों को सदाव्रत भंडारे से नवाज़ा, तथा 8 पहर (24 घंटे) तक सत्संग कर सतज्ञान समझाया, जिसे सुनकर कई लाख साधु, संतो ने नाम दीक्षा ली व अपना कल्याण करवाया।
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पूर्ण संत द्वारा दिए गए ऐसे धर्म भंडारों में जाने से करोडों पाप व दुःखों का नाश होता हैं। पुण्य मिलता है तथा पितरों की भी मुक्ति हो जाती है।
आगामी 26-27-28 नवंबर 2023 को ऐसे ही दिव्य धर्म भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। देश भर में संत रामपालजी महाराज के 9 आश्रमों में तीन दिवसीय निशुल्क भण्डारे का आयोजन किया जायेगा, जिसमे सभी देशवासी सादर आमंत्रित हैं, आप भी इस भंडारे में अवश्य आइए और अपना कल्याण करवाइए।
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कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
कबीर साहेब लगभग आज से 626 वर्ष पहले इस धरती पर आये और बहुत सी लीलाएं करके चले गए। उस समय कबीर साहेब के 64 लाख शिष्य थे, यह आपने आप में एक बहुत बड़ी बात है।
कबीर साहेब ने आजीवन अनेकों लीलाएं करी जिसमे से एक थी काशी में लाखों लोगों को भंडारा करवाना, देखी जाये ऐसा करना किसी भी निर्धन जुलाहे के बस की बात नहीं थी, लेकिन कबीर साहेब वास्तव में पूर्ण परमेश्वर थे जिनके लिए कुछ भी करना असंभव नहीं था।
दिल्ली के राजा सिकंदर लोधी का पीर शेखतकी कबीर जी से ईर्ष्या करता था। वह कबीर जी को अल्लाह/परमात्मा स्वीकार नहीं करना चाहता था, साथ ही अलग अलग प्रकार से नीचा दिखाने की योजनाएं बनाता रहता था। इस बात का फायदा काशी के नकली पंडितों ने भी उठाना चाहा क्योंकि कबीर साहेब के सत्य ज्ञान से उनकी ढोंग की दुकान बंद हो रही थी। सबने मिलकर झूठे पत्र लिखे और सिकन्दर लोधी समेत अठारह लाख लोगों को भंडारे में आमंत्रित किया, चिट्ठी में यह भी लिखा कि प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक स्वर्ण मोहर भी मिलेगी। ऐसा उन्होंने यह सोचकर किया कि एक जुलाहा इतने लोगों को कैसे भंडार कराएगा।
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कबीर परमात्मा आज भी उपस्थित हैं। वे सदैव ही तत्वदर्शी संत के रूप में विद्यमान रहते हैं। आज वे हमारे समक्ष जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के रूप में आये हैं। संत रामपालजी महाराज के सानिध्य में भी ऐसे अनमोल भंडारे आयोजित किए जाते है। जिसमे आदरणीय गरीब दास जी महाराज की वाणी का अखंड पाठ, सत्संग, दहेजमुक्त विवाह, रक्तदान, देहदान शिविर का भी आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त उनके सभी आश्रमों में वर्षभर सदाव्रत भंडारा चलता है।
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कबीर गोसांई, रसोई दीन्हीं, आपै केशो बनि करि आये।
परानंदनी जा कै द्वारै, बहु बिधि भेष छिकाये।।
कबीर परमेश्वर ने उस समय दो रूप में अभिनय किया था, एक रूप में तो गरीब जुलाहे के रूप में अपनी कुटिया में बैठे रहे व दूसरे केशो रूप में अपने सतलोक से 9 लाख बैलों पर थैले रखकर पका-पकाया सामान तथा सूखा सामान तथा दोहर-मोहर भरकर ले आए। तीन दिन तक लगभग 18 लाख व्यक्तियों को सदाव्रत भंडारे से नवाज़ा, तथा 8 पहर (24 घंटे) तक सत्संग कर सतज्ञान समझाया, जिसे सुनकर कई लाख साधु, संतो ने नाम दीक्षा ली व अपना कल्याण करवाया।
कबीर परमात्मा आज भी उपस्थित हैं। वे सदैव ही तत्वदर्शी संत के रूप में विद्यमान रहते हैं। आज वे हमारे समक्ष जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के रूप में आये हैं। संत रामपालजी महाराज के सानिध्य में भी ऐसे अनमोल भंडारे आयोजित किए जाते है। जिसमे आदरणीय गरीब दास जी महाराज की वाणी का अखंड पाठ, सत्संग, दहेजमुक्त विवाह, रक्तदान, देहदान शिविर का भी आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त उनके सभी आश्रमों में वर्षभर सदाव्रत भंडारा चलता है।
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कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
कबीर साहेब लगभग आज से 626 वर्ष पहले इस धरती पर आये और बहुत सी लीलाएं करके चले गए। उस समय कबीर साहेब के 64 लाख शिष्य थे, यह आपने आप में एक बहुत बड़ी बात है।
कबीर साहेब ने आजीवन अनेकों लीलाएं करी जिसमे से एक थी काशी में लाखों लोगों को भंडारा करवाना, देखी जाये ऐसा करना किसी भी निर्धन जुलाहे के बस की बात नहीं थी, लेकिन कबीर साहेब वास्तव में पूर्ण परमेश्वर थे जिनके लिए कुछ भी करना असंभव नहीं था।
दिल्ली के राजा सिकंदर लोधी का पीर शेखतकी कबीर जी से ईर्ष्या करता था। वह कबीर जी को अल्लाह/परमात्मा स्वीकार नहीं करना चाहता था, साथ ही अलग अलग प्रकार से नीचा दिखाने की योजनाएं बनाता रहता था। इस बात का फायदा काशी के नकली पंडितों ने भी उठाना चाहा क्योंकि कबीर साहेब के सत्य ज्ञान से उनकी ढोंग की दुकान बंद हो रही थी। सबने मिलकर झूठे पत्र लिखे और सिकन्दर लोधी समेत अठारह लाख लोगों को भंडारे में आमंत्रित किया, चिट्ठी में यह भी लिखा कि प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक स्वर्ण मोहर भी मिलेगी। ऐसा उन्होंने यह सोचकर किया कि एक जुलाहा इतने लोगों को कैसे भंडार कराएगा।
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कबीर परमात्मा आज भी उपस्थित हैं। वे सदैव ही तत्वदर्शी संत के रूप में विद्यमान रहते हैं। आज वे हमारे समक्ष जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के रूप में आये हैं। संत रामपालजी महाराज के सानिध्य में भी ऐसे अनमोल भंडारे आयोजित किए जाते है। जिसमे आदरणीय गरीब दास जी महाराज की वाणी का अखंड पाठ, सत्संग, दहेजमुक्त विवाह, रक्तदान, देहदान शिविर का भी आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त उनके सभी आश्रमों में वर्षभर सदाव्रत भंडारा चलता है।
पूर्ण संत द्वारा दिए गए ऐसे धर्म भंडारों में जाने से करोडों पाप व दुःखों का नाश होता हैं। पुण्य मिलता है तथा पितरों की भी मुक्ति हो जाती है।
आगामी 26-27-28 नवंबर 2023 को ऐसे ही दिव्य धर्म भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। देश भर में संत रामपालजी महाराज के 9 आश्रमों में तीन दिवसीय निशुल्क भण्डारे का आयोजन किया जायेगा, जिसमे सभी देशवासी सादर आमंत्रित हैं, आप भी इस भंडारे में अवश्य आइए और अपना कल्याण करवाइए।
#MiracleOfGodKabir_In_1513
#दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस
26-27-28 नवंबर 2023
#SantRampalJiMaharaj
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
कबीर जी को सर्व मानव समाज एक महान संत तथा कवि के रूप में जनता है। लेकिन वास्तविकता में वे पूर्ण परमात्मा है। कबीर जी हर युग में आते रहे हैं जिसकी गवाही हमारे धर्म ग्रंथ भी देते हैं।
कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
कबीर साहेब लगभग आज से 626 वर्ष पहले इस धरती पर आये और बहुत सी लीलाएं करके चले गए। उस समय कबीर साहेब के 64 लाख शिष्य थे, यह आपने आप में एक बहुत बड़ी बात है।
कबीर साहेब ने आजीवन अनेकों लीलाएं करी जिसमे से एक थी काशी में लाखों लोगों को भंडारा करवाना, देखी जाये ऐसा करना किसी भी निर्धन जुलाहे के बस की बात नहीं थी, लेकिन कबीर साहेब वास्तव में पूर्ण परमेश्वर थे जिनके लिए कुछ भी करना असंभव नहीं था।
दिल्ली के राजा सिकंदर लोधी का पीर शेखतकी कबीर जी से ईर्ष्या करता था। वह कबीर जी को अल्लाह/परमात्मा स्वीकार नहीं करना चाहता था, साथ ही अलग अलग प्रकार से नीचा दिखाने की योजनाएं बनाता रहता था। इस बात का फायदा काशी के नकली पंडितों ने भी उठाना चाहा क्योंकि कबीर साहेब के सत्य ज्ञान से उनकी ढोंग की दुकान बंद हो रही थी। सबने मिलकर झूठे पत्र लिखे और सिकन्दर लोधी समेत अठारह लाख लोगों को भंडारे में आमंत्रित किया, चिट्ठी में यह भी लिखा कि प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक स्वर्ण मोहर भी मिलेगी। ऐसा उन्होंने यह सोचकर किया कि एक जुलाहा इतने लोगों को कैसे भंडार कराएगा।
किन्तु जुलाहे की भूमिका करते हुए पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने सभी अठारह लाख साधु संतों लोगों को भोजन कराया। सारा भोजन भंडारा सतलोक (अमर लोक) से लाये तथा प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक मोहर दी एवं सूखा सीधा भी दिया। वह अलौकिक भंडारा लगातार तीन दिनों तक चलता रहा।
कबीर गोसांई, रसोई दीन्हीं, आपै केशो बनि करि आये।
परानंदनी जा कै द्वारै, बहु बिधि भेष छिकाये।।
कबीर परमेश्वर ने उस समय दो रूप में अभिनय किया था, एक रूप में तो गरीब जुलाहे के रूप में अपनी कुटिया में बैठे रहे व दूसरे केशो रूप में अपने सतलोक से 9 लाख बैलों पर थैले रखकर पका-पकाया सामान तथा सूखा सामान तथा दोहर-मोहर भरकर ले आए। तीन दिन तक लगभग 18 लाख व्यक्तियों को सदाव्रत भंडारे से नवाज़ा, तथा 8 पहर (24 घंटे) तक सत्संग कर सतज्ञान समझाया, जिसे सुनकर कई लाख साधु, संतो ने नाम दीक्षा ली व अपना कल्याण करवाया।
कबीर परमात्मा आज भी उपस्थित हैं। वे सदैव ही तत्वदर्शी संत के रूप में विद्यमान रहते हैं। आज वे हमारे समक्ष जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के रूप में आये हैं। संत रामपालजी महाराज के सानिध्य में भी ऐसे अनमोल भंडारे आयोजित किए जाते है। जिसमे आदरणीय गरीब दास जी महाराज की वाणी का अखंड पाठ, सत्संग, दहेजमुक्त विवाह, रक्तदान, देहदान शिविर का भी आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त उनके सभी आश्रमों में वर्षभर सदाव्रत भंडारा चलता है।
पूर्ण संत द्वारा दिए गए ऐसे धर्म भंडारों में जाने से करोडों पाप व दुःखों का नाश होता हैं। पुण्य मिलता है तथा पितरों की भी मुक्ति हो जाती है।
आगामी 26-27-28 नवंबर 2023 को ऐसे ही दिव्य धर्म भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। देश भर में संत रामपालजी महाराज के 9 आश्रमों में तीन दिवसीय निशुल्क भण्डारे का आयोजन किया जायेगा, जिसमे सभी देशवासी सादर आमंत्रित हैं, आप भी इस भंडारे में अवश्य आइए और अपना कल्याण करवाइए।
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कबीर जी को सर्व मानव समाज एक महान संत तथा कवि के रूप में जनता है। लेकिन वास्तविकता में वे पूर्ण परमात्मा है। कबीर जी हर युग में आते रहे हैं जिसकी गवाही हमारे धर्म ग्रंथ भी देते हैं।
कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
कबीर साहेब लगभग आज से 626 वर्ष पहले इस धरती पर आये और बहुत सी लीलाएं करके चले गए। उस समय कबीर साहेब के 64 लाख शिष्य थे, यह आपने आप में एक बहुत बड़ी बात है।
कबीर साहेब ने आजीवन अनेकों लीलाएं करी जिसमे से एक थी काशी में लाखों लोगों को भंडारा करवाना, देखी जाये ऐसा करना किसी भी निर्धन जुलाहे के बस की बात नहीं थी, लेकिन कबीर साहेब वास्तव में पूर्ण परमेश्वर थे जिनके लिए कुछ भी करना असंभव नहीं था।
दिल्ली के राजा सिकंदर लोधी का पीर शेखतकी कबीर जी से ईर्ष्या करता था। वह कबीर जी को अल्लाह/परमात्मा स्वीकार नहीं करना चाहता था, साथ ही अलग अलग प्रकार से नीचा दिखाने की योजनाएं बनाता रहता था। इस बात का फायदा काशी के नकली पंडितों ने भी उठाना चाहा क्योंकि कबीर साहेब के सत्य ज्ञान से उनकी ढोंग की दुकान बंद हो रही थी। सबने मिलकर झूठे पत्र लिखे और सिकन्दर लोधी समेत अठारह लाख लोगों को भंडारे में आमंत्रित किया, चिट्ठी में यह भी लिखा कि प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक स्वर्ण मोहर भी मिलेगी। ऐसा उन्होंने यह सोचकर किया कि एक जुलाहा इतने लोगों को कैसे भंडार कराएगा।
किन्तु जुलाहे की भूमिका करते हुए पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने सभी अठारह लाख साधु संतों लोगों को भोजन कराया। सारा भोजन भंडारा सतलोक (अमर लोक) से लाये तथा प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक मोहर दी एवं सूखा सीधा भी दिया। वह अलौकिक भंडारा लगातार तीन दिनों तक चलता रहा।
कबीर गोसांई, रसोई दीन्हीं, आपै केशो बनि करि आये।
परानंदनी जा कै द्वारै, बहु बिधि भेष छिकाये।।
कबीर परमेश्वर ने उस समय दो रूप में अभिनय किया था, एक रूप में तो गरीब जुलाहे के रूप में अपनी कुटिया में बैठे रहे व दूसरे केशो रूप में अपने सतलोक से 9 लाख बैलों पर थैले रखकर पका-पकाया सामान तथा सूखा सामान तथा दोहर-मोहर भरकर ले आए। तीन दिन तक लगभग 18 लाख व्यक्तियों को सदाव्रत भंडारे से नवाज़ा, तथा 8 पहर (24 घंटे) तक सत्संग कर सतज्ञान समझाया, जिसे सुनकर कई लाख साधु, संतो ने नाम दीक्षा ली व अपना कल���याण करवाया।
कबीर परमात्मा आज भी उपस्थित हैं। वे सदैव ही तत्वदर्शी संत के रूप में विद्यमान रहते हैं। आज वे हमारे समक्ष जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के रूप में आये हैं। संत रामपालजी महाराज के सानिध्य में भी ऐसे अनमोल भंडारे आयोजित किए जाते है। जिसमे आदरणीय गरीब दास जी महाराज की वाणी का अखंड पाठ, सत्संग, दहेजमुक्त विवाह, रक्तदान, देहदान शिविर का भी आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त उनके सभी आश्रमों में वर्षभर सदाव्रत भंडारा चलता है।
पूर्ण संत द्वारा दिए गए ऐसे धर्म भंडारों में जाने से करोडों पाप व दुःखों का नाश होता हैं। पुण्य मिलता है तथा पितरों की भी मुक्ति हो जाती है।
आगामी 26-27-28 नवंबर 2023 को ऐसे ही दिव्य धर्म भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। देश भर में संत रामपालजी महाराज के 9 आश्रमों में तीन दिवसीय निशुल्क भण्डारे का आयोजन किया जायेगा, जिसमे सभी देशवासी सादर आमंत्रित हैं, आप भी इस भंडारे में अवश्य आइए और अपना कल्याण करवाइए।
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Satsang Ishwar TV | 23-11-2023 | Episode: 2214 | Sant Rampal Ji Maharaj ...
🙏🌷SAT SAHEB G 🌷🙏🛎कबीर परमेश्वर द्वारा काशी का सदाव्रत भंडारा🛎
कबीर जी को सर्व मानव समाज एक महान संत तथा कवि के रूप में जनता है। लेकिन वास्तविकता में वे पूर्ण परमात्मा है। कबीर जी हर युग में आते रहे हैं जिसकी गवाही हमारे धर्म ग्रंथ भी देते हैं।
कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
कबीर साहेब लगभग आज से 626 वर्ष पहले इस धरती पर आये और बहुत सी लीलाएं करके चले गए। उस समय कबीर साहेब के 64 लाख शिष्य थे, यह आपने आप में एक बहुत बड़ी बात है।
कबीर साहेब ने आजीवन अनेकों लीलाएं करी जिसमे से एक थी काशी में लाखों लोगों को भंडारा करवाना, देखी जाये ऐसा करना किसी भी निर्धन जुलाहे के बस की बात नहीं थी, लेकिन कबीर साहेब वास्तव में पूर्ण परमेश्वर थे जिनके लिए कुछ भी करना असंभव नहीं था।
दिल्ली के राजा सिकंदर लोधी का पीर शेखतकी कबीर जी से ईर्ष्या करता था। वह कबीर जी को अल्लाह/परमात्मा स्वीकार नहीं करना चाहता था, साथ ही अलग अलग प्रकार से नीचा दिखाने की योजनाएं बनाता रहता था। इस बात का फायदा काशी के नकली पंडितों ने भी उठाना चाहा क्योंकि कबीर साहेब के सत्य ज्ञान से उनकी ढोंग की दुकान बंद हो रही थी। सबने मिलकर झूठे पत्र लिखे और सिकन्दर लोधी समेत अठारह लाख लोगों को भंडारे में आमंत्रित किया, चिट्ठी में यह भी लिखा कि प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक स्वर्ण मोहर भी मिलेगी। ऐसा उन्होंने यह सोचकर किया कि एक जुलाहा इतने लोगों को कैसे भंडार कराएगा।
किन्तु जुलाहे की भूमिका करते हुए पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने सभी अठारह लाख साधु संतों लोगों को भोजन कराया। सारा भोजन भंडारा सतलोक (अमर लोक) से लाये तथा प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक मोहर दी एवं सूखा सीधा भी दिया। वह अलौकिक भंडारा लगातार तीन दिनों तक चलता रहा।
कबीर गोसांई, रसोई दीन्हीं, आपै केशो बनि करि आये।
परानंदनी जा कै द्वारै, बहु बिधि भेष छिकाये।।
कबीर परमेश्वर ने उस समय दो रूप में अभिनय किया था, एक रूप में तो गरीब जुलाहे के रूप में अपनी कुटिया में बैठे रहे व दूसरे केशो रूप में अपने सतलोक से 9 लाख बैलों पर थैले रखकर पका-पकाया सामान तथा सूखा सामान तथा दोहर-मोहर भरकर ले आए। तीन दिन तक लगभग 18 लाख व्यक्तियों को सदाव्रत भंडारे से नवाज़ा, तथा 8 पहर (24 घंटे) तक सत्संग कर सतज्ञान समझाया, जिसे सुनकर कई लाख साधु, संतो ने नाम दीक्षा ली व अपना कल्याण करवाया।
कबीर परमात्मा आज भी उपस्थित हैं। वे सदैव ही तत्वदर्शी संत के रूप में विद्यमान रहते हैं। आज वे हमारे समक्ष जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी म��ाराज के रूप में आये हैं। संत रामपालजी महाराज के सानिध्य में भी ऐसे अनमोल भंडारे आयोजित किए जाते है। जिसमे आदरणीय गरीब दास जी महाराज की वाणी का अखंड पाठ, सत्संग, दहेजमुक्त विवाह, रक्तदान, देहदान शिविर का भी आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त उनके सभी आश्रमों में वर्षभर सदाव्रत भंडारा चलता है।
पूर्ण संत द्वारा दिए गए ऐसे धर्म भंडारों में जाने से करोडों पाप व दुःखों का नाश होता हैं। पुण्य मिलता है तथा पितरों की भी मुक्ति हो जाती है।
आगामी 26-27-28 नवंबर 2023 को ऐसे ही दिव्य धर्म भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। देश भर में संत रामपालजी महाराज के 9 आश्रमों में तीन दिवसीय निशुल्क भण्डारे का आयोजन किया जायेगा, जिसमे सभी देशवासी सादर आमंत्रित हैं, आप भी इस भंडारे में अवश्य आइए और अपना कल्याण करवाइए।
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कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
कबीर साहेब लगभग आज से 626 वर्ष पहले इस धरती पर आये और बहुत सी लीलाएं करके चले गए। उस समय कबीर साहेब के 64 लाख शिष्य थे, यह आपने आप में एक बहुत बड़ी बात है।
कबीर साहेब ने आजीवन अनेकों लीलाएं करी जिसमे से एक थी काशी में लाखों लोगों को भंडारा करवाना, देखी जाये ऐसा करना किसी भी निर्धन जुलाहे के बस की बात नहीं थी, लेकिन कबीर साहेब वास्तव में पूर्ण परमेश्वर थे जिनके लिए कुछ भी करना असंभव नहीं था।
दिल्ली के राजा सिकंदर लोधी का पीर शेखतकी कबीर जी से ईर्ष्या करता था। वह कबीर जी को अल्लाह/परमात्मा स्वीकार नहीं करना चाहता था, साथ ही अलग अलग प्रकार से नीचा दिखाने की योजनाएं बनाता रहता था। इस बात का फायदा काशी के नकली पंडितों ने भी उठाना चाहा क्योंकि कबीर साहेब के सत्य ज्ञान से उनकी ढोंग की दुकान बंद हो रही थी। सबने मिलकर झूठे पत्र लिखे और सिकन्दर लोधी समेत अठारह लाख लोगों को भंडारे में आमंत्रित किया, चिट्ठी में यह भी लिखा कि प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक स्वर्ण मोहर भी मिलेगी। ऐसा उन्होंने यह सोचकर किया कि एक जुलाहा इतने लोगों को कैसे भंडार कराएगा।
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कबीर परमेश्वर ने उस समय दो रूप में अभिनय किया था, एक रूप में तो गरीब जुलाहे के रूप में अपनी कुटिया में बैठे रहे व दूसरे केशो रूप में अपने सतलोक से 9 लाख बैलों पर थैले रखकर पका-पकाया सामान तथा सूखा सामान तथा दोहर-मोहर भरकर ले आए। तीन दिन तक लगभग 18 लाख व्यक्तियों को सदाव्रत भंडारे से नवाज़ा, तथा 8 पहर (24 घंटे) तक सत्संग कर सतज्ञान समझाया, जिसे सुनकर कई लाख साधु, संतो ने नाम दीक्षा ली व अपना कल्याण करवाया।
कबीर परमात्मा आज भी उपस्थित हैं। वे सदैव ही तत्वदर्शी संत के रूप में विद्यमान रहते हैं। आज वे हमारे समक्ष जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के रूप में आये हैं। संत रामपालजी महाराज के सानिध्य में भी ऐसे अनमोल भंडारे आयोजित किए जाते है। जिसमे आदरणीय गरीब दास जी महाराज की वाणी का अखंड पाठ, सत्संग, दहेजमुक्त विवाह, रक्तदान, देहदान शिविर का भी आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त उनके सभी आश्रमों में वर्षभर सदाव्रत भंडारा चलता है।
पूर्ण संत द्वारा दिए गए ऐसे धर्म भंडारों में जाने से करोडों पाप व दुःखों का नाश होता हैं। पुण्य मिलता है तथा पितरों की भी मुक्ति हो जाती है।
आगामी 26-27-28 नवंबर 2023 को ऐसे ही दिव्य धर्म भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। देश भर में संत रामपालजी महाराज के 9 आश्रमों में तीन दिवसीय निशुल्क भण्डारे का आयोजन किया जायेगा, जिसमे सभी देशवासी सादर आमंत्रित हैं, आप भी इस भंडारे में अवश्य आइए और अपना कल्याण करवाइए।
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