लखनऊ, दिनांक 22 मार्च, 2023 | 'हिन्दू नववर्ष' नव संवत्सर (विक्रम संवत 2080 प्रारम्भ) के अवसर पर, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के सेक्टर-25, इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में, ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल तथा ट्रस्ट की न्यासी श्रीमती (डॉ०) रूपल अग्रवाल ने दीप प्रज्जवलन करके, भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण किया तथा पुष्प अर्पित करके, हिन्दू नव वर्ष पर्व मनाया l
श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी लोगों को 'हिन्दू नववर्ष' की बधाई देते हुए कहा कि, भारत ने विश्व को काल गणना का एक अद्वितीय सिद्धांत प्रदान किया है । 'विक्रम संवत' अत्यंत प्राचीन संवत है। भारत के सांस्कृतिक इतिहास की दृष्टि से सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रीय संवत 'विक्रम संवत' ही है । आज ही के दिन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि निर्माण किया था, इसलिए इस पावन तिथि को 'नव संवत्सर' पर्व के रूप में भी मनाया जाता है । पिछले दो हज़ार वर्षों में अनेक देशी और विदेशी राजाओं ने अपनी साम्राज्यवादी आकांक्षाओं की तुष्टि करने तथा इस देश को राजनीतिक द्दष्टि से पराधीन बनाने के प्रयोजन से अनेक संवतों को चलाया किंतु भारत राष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान केवल विक्रमी संवत के साथ ही जुड़ी रही। अंग्रेज़ी शिक्षा-दीक्षा और पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव के कारण आज भले ही सर्वत्र ईस्वी संवत का बोलबाला हो और भारतीय तिथि-मासों की काल गणना से लोग अनभिज्ञ होते जा रहे हों परंतु वास्तविकता यह भी है कि देश के सांस्कृतिक पर्व-उत्सव तथा राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, गुरु नानक आदि महापुरुषों की जयंतियाँ आज भी भारतीय काल गणना के हिसाब से ही मनाई जाती हैं, ईस्वी संवत के अनुसार नहीं । विवाह-मुण्डन का शुभ मुहूर्त हो या श्राद्ध-तर्पण आदि सामाजिक कार्यों का अनुष्ठान, ये सब भारतीय पंचांग पद्धति के अनुसार ही किया जाता है, ईस्वी सन् की तिथियों के अनुसार नहीं । आज के कालखंड में हमें दोनों ही दृष्टि से इस विषय पर विचार करना चाहिए l"
इस अवसर पर ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की उपस्थिति रही l
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Kharmas 2023: खरमास में क्यों नहीं किए जाते शुभ कार्य,जानिए नियम और पौराणिक कथाKharmas 2023: इस साल 16 दिसंबर शनिवार से खरमास शुरू होने जा रहा है और 15 जनवरी 2024 को समाप्त होगा। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, शिलान्यास मुहूर्त जैसे सभी शुभ कार्य रुक जाते हैं।
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Kharmas : 16 दिसंबर से खरमास, एक माह तक नहीं होंगे शुभ कार्य, अगले साल 58 दिनों तक बजेगी शहनाई
शादी-विवाह व अन्य शुभ कार्य के लिए शुभ मुहूर्त 15 दिसंबर तक ही है। इसके बाद एक माह तक शुभ कार्य नहीं होंगे। खरमास 16 दिसंबर 2023 से शुरू होकर 15 जनवरी 2024 तक रहेगा। जगन्नाथ मंदिर के पंडित सौरभ कुमार मिश्रा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार खरमास में विवाह, जनेऊ संस्कार, नामकरण संस्कार, मुंडन, गृह प्रेवश, भूमि पूजन जैसे शुभ काम करने की मनाही है। खरमास 16 दिसंबर दोपहर 12 बजे से शुरू हो रहा है। इस…
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Devuthani Ekadashi Vrat 2023 : देवउठनी एकादशी आज, जाने शुभ मुहूर्त, विशेष पूजन विधि और महत्व
देव उठनी एकादशी २०२३ (Devuthani Ekadashi Vrat 2023)
Devuthani Ekadashi Vrat 2023 : हिंदी पंचांग के अनुसार, पूरे वर्ष भर में 24 एकादशी यानी एक माह में 2 एकादशी आती है। लेकिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी को विशेष माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु चार माह के बाद निद्रा पूरी करके जागते हैं।
इस दिन से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते है। इस दिन तुलसी विवाह कराने की…
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*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 12 सितम्बर 2023*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅शक संवत् - 1945*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद (गुजरात महाराष्ट्र में श्रावण)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - त्रयोदशी रात्रि 02:21 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*⛅नक्षत्र - अश्लेषा रात्रि 11:01 तक तत्पश्चात मघा*
*⛅योग - परिघ रात्रि 01:12 तक तत्पश्चात सिद्ध*
*⛅राहु काल - दोपहर 03:41 से 05:14 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:25*
*⛅सूर्यास्त - 06:47*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:39 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:13 से 12:59 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - भौमप्रदोष व्रत, मंगलागौरी पूजन*
*⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹भौम प्रदोष व्रत (12 सितम्बर 2023) : कर्ज-निवारक कुंजी 🌹*
*🌹प्रदोष व्रत यदि मंगलवार के दिन पड़े तो उसे ‘भौम प्रदोष व्रत’ कहते हैं । मंगलदेव ऋणहर्ता होने से कर्ज-निवारण के लिए यह व्रत विशेष फलदायी है । भौम प्रदोष व्रत के दिन संध्या के समय यदि भगवान शिव एवं सद्गुरुदेव का पूजन करें तो उनकी कृपा से जल्दी कर्ज से मुक्त हो जाते हैं । पूजा करते समय यह मंत्र बोले :*
*मृत्युंजय महादेव त्राहि मां शरणागतम ।*
*जन्ममृत्युजराव्याधिपीडितं कर्मबन्धनै: ।।*
*इस दैवी सहायता के साथ स्वयं भी थोड़ा पुरुषार्थ करें*।
*🔹कलश मांगलिकता का प्रतीक क्यों ?🔹*
*🔸सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य को प्रारम्भ करने से पूर्व कलश-स्थापना की परम्परा है । विवाह आदि शुभ प्रसंगों, उत्सवों तथा पूजा-पाठ, गृह-प्रवेश, यात्रारम्भ आदि अवसरों पर घर में भरे हुए कलश पर आम के पत्ते रखकर उसके ऊपर नारियल रखा जाता है और कलश की पूजा की जाती है ।
*🔸 जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त कलश का उपयोग किसी-न-किसी रूप में होता रहता है । दाह-संस्कार के समय व्यक्ति के जीवन की समाप्ति के सूचकरूप में उसके शव की परिक्रमा करके जल से भरा मटका छेदकर खाली किया जाता है और उसे फोड़ दिया जाता है ।*
*🔸कलश में सभी देवताओं का वास माना गया है । हमारे शास्त्र में आता है कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश की त्रिपुटी एवं अन्य सभी देवी-देवता, पृथ्वी माता और उसके सप्तद्वीप, चारों वेदों का ज्ञान एवं इस संसार में जो-जो है वह सब इस कलश-जल में समाया हुआ है ।*
*🔸समुद्र- मंथन के समय अमृत-कलश प्राप्त हुआ था । माना जाता है कि माँ सीताजी का आविर्भाव भी कलश से हुआ था । लंकाविजय के बाद भगवान श्रीराम अयोध्या लौटे तब उनके राज्याभिषेक के समय भी अयोध्यावासियों ने अपने घरों के दरवाजे पर कलश रखे थे ।*
*🔸भरा हुआ कलश मांगलिकता का प्रतिक है । मनुष्य – शरीर भी मिटटी के कलश अथवा घड़े के जैसा ही है । जिस शरीर में जीवनरूपी जल न हो वह मृर्दा शरीर अशुभ माना जाता है । इसी तरह खाली कलश भी अशुभ माना जाता है । इसी तरह खाली कलश ��ी अशुभ माना जाता है । शरीर में मात्र श्वास चलते है, वह वास्तविक जीवन नहीं है । परंतु जीवन में प्रभु-प्रेम का सत्संग, श्रद्धा, भगवत्प्रेम, उत्साह, त्याग, उद्धम, उच्च चरित्र, साहस आदि गुण हों तभी कलश भी अगर दूध, पानी अथवा अनाज से भरा हुआ हो तभी वह कल्याणकारी कहलाता है ।*
*🔸कलश का तात्त्विक : “अपना शरीर, अपना जीवन एक कलश या कुम्भ के जैसा है । कलश के अंदर क्या है ? कलश के अंदर पानी है । और यह गागर का चार घूँट या २-५ लीटर पानी सागर की खबर दे रहा है ऐसे ही अंत:करण में समाया चैतन्य, विभु चैतन्य की खबर दे रहा है । हे मानव ! तेरा यह शरीररूपी कलश है । कलश में ब्रह्मा, विष्णु और महेश अर्थात सात्त्तिव्क, राजस और तामस गुणों के अधिष्ठाता देवों का निवास है । इसलिए मंदिर के दर्शन के बाद कलश के दर्शन करने होते हैं, ऐसी ही गृह के दर्शन के साथ-साथ अपने शरीररूपी कलश के दर्शन कर और उसके आधार चैतन्य की स्मृति कर !*
*🔸कलश का पानी सागर में मिल जाय ऐसे यह जीवात्मा का शरीररूपी कलश यही छूट जाय इससे पहले वह परमात्मा को मिलने की विधि जान ले तो उसका बेड़ा पार हो जाय ।”*
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पंडित अक्षय जमदग्नि
9837376839
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Shukra Tara Ast : 3 अगस्त 2023 को होगा शुक्र का तारा अस्त
हमारे सनातन धर्म में प्रत्येक कार्य के लिए एक अभीष्ट मुहूर्त निर्धारित है। वहीं कुछ अवधि ऐसी भी होती है जब शुभकार्य के मुहूर्त का निषेध होता है। इस अवधि में सभी शुभ कार्य जैसे विवाह,मुंडन,सगाई,गृहारम्भ व गृहप्रवेश के साथ व्रतारम्भ एवं व्रतउद्यापन आदि वर्जित रहते हैं। शुभ एवं मांगलिक मुहूर्त्त के निर्धारण में गुरु एवं शुक्र के तारे का उदित स्वरूप होना बहुत आवश्यक है। गुरु व शुक्र के तारे के अस्त…
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मासिक पंचांग - 30 जून 2023 (शुक्रवार):
तिथि: शुक्ल पक्ष द्वादशी
वार: शुक्रवार
नक्षत्र: हस्ता (पूर्वफाल्गुनी नक्षत्र के अंतर्गत)
करण: बालव
योग: सौभाग्य
सूर्योदय: 5:31 AM
सूर्यास्त: 7:23 PM
चंद्रोदय: 11:14 PM
चंद्रास्त: 11:37 AM
व्रत और त्योहार:
योगिनी एकादशी व्रत
शुभ मुहूर्त:
विवाह मुहूर्त: 7:10 AM - 8:49 AM
ग्रह प्रवेश मुहूर्त: 12:33 PM - 2:17 PM
शुभ रंग:
पीला रंग शुभ होगा इस दिन।
ज्योतिष संबंधी महत्वपूर्ण तिथियां:
हस्ता नक्षत्र में सूर्य अस्त होगा, इसलिए कार्यों के लिए यह शुभ मुहूर्त होगा।
योगिनी एकादशी व्रत भी इस दिन मनाया जाएगा जो धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है।
सुनिये देवी माँ का यह सुन्दर भजन:- https://youtu.be/Sy4RIja6TVM
यह पंचांग केवल सूर्योदय, सूर्यास्त, चंद्रोदय, चंद्रास्त और कुछ महत्वपूर्ण तिथियों को शामिल करता है। पूर्ण पंचांग के लिए आप स्थानीय पंचांग या कैलेंडर से संपर्क कर सकते हैं जो आपके क्षेत्र में उपलब
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मासिक पंचांग - 30 जून 2023 (शुक्रवार):
तिथि: शुक्ल पक्ष द्वादशी
वार: शुक्रवार
नक्षत्र: हस्ता (पूर्वफाल्गुनी नक्षत्र के अंतर्गत)
करण: बालव
योग: सौभाग्य
सूर्योदय: 5:31 AM
सूर्यास्त: 7:23 PM
चंद्रोदय: 11:14 PM
चंद्रास्त: 11:37 AM
व्रत और त्योहार:
योगिनी एकादशी व्रत
शुभ मुहूर्त:
विवाह मुहूर्त: 7:10 AM - 8:49 AM
ग्रह प्रवेश मुहूर्त: 12:33 PM - 2:17 PM
शुभ रंग:
पीला रंग शुभ होगा इस दिन।
ज्योतिष संबंधी महत्वपूर्ण तिथियां:
हस्ता नक्षत्र में सूर्य अस्त होगा, इसलिए कार्यों के लिए यह शुभ मुहूर्त होगा।
योगिनी एकादशी व्रत भी इस दिन मनाया जाएगा जो धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है।
यह पंचांग केवल सूर्योदय, सूर्यास्त, चंद्रोदय, चंद्रास्त और कुछ महत्वपूर्ण तिथियों को शामिल करता है। पूर्ण पंचांग के लिए आप स्थानीय पंचांग या कैलेंडर से संपर्क कर सकते हैं जो आपके क्षेत्र में उपलब
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आज का पंचांग, 27 जून 2023, मंगलवार
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे कृष्णा*🌹
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
#योगी_जी
#bageshwardhamsarkardivyadarbar
#kedarnath
#badrinath
#JaiShriRam
#yogi
#jodhpur
#udaipur
#RSS
#rajasthan
#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
आज का दिन विशेष है। आज भड़ली नवमी है। देवशयनी एकादशी से पूर्व यह विवाह का अंतिम शुभ मुहूर्त होता है। इस दिन स्वयं सिद्ध मुहूर्त होता है। अर्थात् आज के दिन विवाह कार्य में पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं रहती। इसके बाद फिर विवाह देवोत्थान एकादशी से ही प्रारंभ होते हैं। आज मां दुर्गा का दिन मंगलवार भी है। यदि आप शत्रुओं ��े परेशान हैं। लगातार कोई न कोई बाधा आपके जीवन में आ रही है। आपके काम कोई अटका रहा है तो आज के दिन मां दुर्गा के समक्ष एक तेल और एक देसी घी का दीपक लगाकर ऊं दुं दुर्गाये नम: मंत्र का जाप लाल मूंगे की माला से करें। शीघ्र लाभ होगा।
विक्रम संवत : 2080 शालिवाहन शके : 1945 मास : आषाढ़ शुक्ल पक्ष ऋतु : वर्षा अयन : दक्षिणायन तिथि : नवमी रात्रि 3:04 तक नक्षत्र : हस्त दोप 2:42 तक योग : वरियान प्रात: 6:21 तक करण : बालव दोप 2:39 तक पश्चात कौलव सूर्योदय : 5:45:18 सूर्यास्त : 7:14:04 दिनकाल : 13 घंटे 28 मिनट 46 सेकंड रात्रिकाल : 10 घंटे 31 मिनट 31 सेकंड चंद्रोदय : दोप 1:18 चंद्रास्त : रात्रि 1:16 आज की ग्रह स्थिति सूर्य राशि : मिथुन चंद्र राशि : कन्या, रात्रि 3:26 से तुला में मंगल : कर्क बुध : मिथुन गुरु : मेष शुक्र : कर्क शनि : कुंभ वक्री राहु : मेष केतु : तुला
दिन का चौघड़िया लाभ : प्रात: 10:49 से दोप 12:30 अमृत : दोप 12:30 से 2:11 अभिजित : दोप 12:03 से 12:57 रात्रि का चौघड़िया लाभ : रात्रि 8:30 से 9:52
त्याज्य समय राहु काल : दोप 3:52 से सायं 5:33 यम घंट : प्रात: 9:07 से 10:49
आज विशेष : भड़ली नवमी, विवाह का अंतिम मुहूर्त आज का शुभ रंग : लाल आज के पूज्य देव : मां दुर्गा आज का मंत्र : ऊं दुं दुर्गाये नम:
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नया साल शादी-विवाह के लिहाज से बहुत खास रहने वाला है. इस साल शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यों के लिए कई शुभ मुहूर्त आएंगे.
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Marriage Muhoort In 2023:इस साल 59 दिन रहेगी बैंड-बाजा व बरात की धूम, जानें- किस महीने, कब हैं मुहूर्त - Marriage Muhoort In 2023.
Marriage Muhoort In 2023:इस साल 59 दिन रहेगी बैंड-बाजा व बरात की धूम, जानें- किस महीने, कब हैं मुहूर्त – Marriage Muhoort In 2023.
प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : Social Media
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इस साल शहनाइयों की धूम रहेगी। शादी विवाह और मांगलिक कार्यों के लिए 59 दिन शुभ बन रहे हैं। जबकि पिछले साल विवाह के केवल 46 शुभ मुहूर्त थे। मांगलिक कार्यों की शुरूआत 15 जनवरी को सूर्य के उत्तरायण होते ही मकर संक्रांति से शुरू होने वाले हैं। अकेले जनवरी में ही आठ दिन शादी-विवाह के शुभ मुहूर्त हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित कौशल्यानंदन वर्धन…
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साल 2023 के लिए ये है विवाह के शुभ मुहूर्त, तिथि चुनें और करें विवाह की तैयारी
साल 2023 के लिए ये है विवाह के शुभ मुहूर्त, तिथि चुनें और करें विवाह की तैयारी
विवाह के शुभ मुहूर्त: दिसंबर का महीना शुरू हो चुका है। नए साल के अब गिनती के दिन शेष हैं। ऐसे में कई लोगों ने नए साल में शादी की प्लानिंग की होगी. हालांकि अक्सर लोग शादी के शुभ मुहूर्त को लेकर भ्रमित रहते हैं। हिंदू धर्म में शादी के लिए शुभ मुहूर्त का बहुत महत्व होता है। जिससे लोग शुभ मुहूर्त जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। ऐसे में आज हम इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि साल 2023 में कितने शुभ मुहूर्त…
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