परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने काशी शहर में 3 दिन तक सभी संप्रदाय के 18 लाख लोगों को, बिना कोई चिठ्ठी - बिना कोई नाम भंडारा करवाया था। वैसे ही आज बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी द्वारा सभी लोगों के लिए 3 दिन तक भंडारे का आयोजन करवाया जा रहा है।
संत रामपाल जी एक ऐसे स्वच्छ समाज का निर्माण कर रहे हैं जो चोरी, जारी, रिश्वतखोरी,नशा, जीव हिंसा, कन्या भ्रूण हत्या, दहेज कुप्रथा, मृत्यु भोज, ऊंच-नीच, जातिवाद से रहित होगा, इस स्वच्छ समाज निर्माण में आज उनके साथ प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग जुड़ रहे हैं और अपना जीवन सार्थक बना रहे हैं।
सब अपने अनुमान से व झूठे गुरुओं द्वारा बताई गई शास्त्र विरुद्ध साधना करते हैं।
जिससे न मानसिक शांति मिलती है और न ही शारीरिक सुख, न ही घर व कारोबार में लाभ होता है और न ही परमेश्वर का साक्षात्कार होता है और न ही मोक्ष प्राप्ति होती है।
510 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर द्वारा दिये गए काशी के अद्भुत तीन दिवसीय भंडारे(लंगर) में नौ लाख भोजन करने वालों को पानी भी मिट्टी के सकोरों में पिलाया जा रहा था जो उस समय प्रचलित थे। संत गरीबदास जी ने कहा है कि वह स्वच्छ पीने के पानी की धारा कहां से उतरी जो ऊपर से ट्यूबलवैल की तरह गिर रही थी। मटके भर-भरकर रखे जा रहे थे। उन्हीं से भण्डारे में पीने के लिए प्रयोग किया जा रहा था।