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हमारी भी तो सुनो, हे बुद्धिमान हिन्दुओं! हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
हमारे संत तथा महंतों का मानना है कि पाप कर्म तो भोगना ही पड़ता है।
V/S
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने प्रमाण दिखा कर बताया कि यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
#हे_मेरी_कौम_के_हिंदुओं
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"Sant Rampal Ji Maharaj"
📺 ➡️ सुनिए जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन :-
🏵️ Nepal 1 टी.वी. पर सुबह 6:00 से 7:00 तक
🏵️ श्रद्धा MH ONE टी. वी. पर दोपहर 2:00 से 3:00 तक
🏵️ साधना टी. वी. पर शाम 7:30 से 8:30 तक
🏵️ POPULAR TV पर शाम 07:30 बजे से 08:30 बजे तक
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Shraddha TV Satsang 19-01-2024 || Episode: 2446 || Sant Rampal Ji Mahara...
#MustListenSatsang
हमारी भी तो सुनो, हे बुद्धिमान हिन्दुओं
नकली संत तथा महंतों का मानना है कि पाप कर्म तो भोगना ही पड़ता है।
या तो हमें यह प्रमाण दिखाओ या सरेंडर करो।
क्योंकि यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
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➡️ सुनिए जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन :-
➜ पापुलर TV 📺 पर शाम 7:30 से 8:30
➜ श्रद्धा Tv 📺 दोपहर - 2:00 से 3:00
अधिक जानकारी के लिए SA True Story Youtube Channel Visit करें।
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हमारी भी तो सुनो, हे बुद्धिमान हिन्दुओं! हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
हमारे संत तथा महंतों का मानना है कि पाप कर्म तो भोगना ही पड़ता है।
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तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने प्रमाण दिखा कर बताया कि यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
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🫴🏻 अब संत रामपाल जी महाराज जी के मंगल प्रवचन प्रतिदिन सुनिए....
🏵️ Nepal 1 टी.वी. पर सुबह 6:00 से 7:00 तक
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#हे_मेरी_कौम_के_हिंदुओं
#SantRampalJiMaharaj
हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
श्रीमदभगवद्गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण तक ही सीमित नहीं है। इसका गूढ़ रहस्य समझो।
गीता अध्याय 8 श्लोक 1 में अर्जुन ने प्रश्न किया कि {आपने गीता अध्याय 7 श्लोक 29 में जो तत् ब्रह्म कहा है} वह तत् ब्रह्म क्या है? जिसका उत्तर देते हुए गीता अध्याय 8 श्लोक 3, 8, 9, 10, गीता अध्याय 15 श्लोक 4 तथा 17 आदि में कहा है। जिस लोक में वह तत् ब्रह्म यानि परम अक्षर ब्रह्म (सत्यपुरूष) रहता है, उसमें परमशांति है यानि महासुख है। उस सनातन परम धाम में गए साधक फिर लौटकर संसार में नहीं आते। जबकि स्वर्ग आदि लोकों में जाने के बाद वापस आना पड़ता है ।
अपने शास्त्रों को समझने के लिए संत रामपाल जी महाराज का सत्संग सुनें।
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Best 100+ Gf के लिए रोमांटिक शायरी | Girlfriend ke liye romantic shayari in hindi
अगर आप अपनी गर्लफ्रेंड से सच्चा प्यार करते हैं और उसे खुश रखना चाहते हैं, तो उसे रोमांटिक शायरी भेजना अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का एक खूबसूरत तरीका है। हर रिश्ता प्यार, देखभाल और मीठे इशारों पर पनपता है। अगर आप चाहते हैं कि आपकी गर्लफ्रेंड खास और लाड़ली महसूस करे, तो Girlfriend ke liye romantic shayari in hindi का यह संग्रह आपके लिए एकदम सही है।.
ये Shayari उन लोगों के लिए बनाई गई हैं जो अपने पार्टनर से सच्चा प्यार करते हैं। अगर आप अपनी गर्लफ्रेंड के लिए परफ़ेक्ट Romantic Shayari खोज रहे हैं, तो आप सही जगह पर हैं। इस लेख में, आपको दिल को छू लेने वाली शायरी मिलेगी जो उसे मुस्कुराने पर मजबूर कर देगी और आपके रिश्ते को और भी गहरा कर देगी।.
अपनी गर्लफ्रेंड को ये Romantic Shayari भेजें और देखें कि इससे उसे कितनी खुशी मिलती है। यह छोटा सा इशारा उसका दिन बना सकता है और आपको और भी करीब ला सकता है। तो आगे बढ़ें, इन रोमांटिक शब्दों को अपने प्यार के साथ शेयर करें!.
Girlfriend Ke Liye Romantic Shayari
ठहर जा नजर में तू
जी भर के तुझे देख लूं !
बीत जाए ना ये पल कहीं
इन पलों को में समेट लूं !
कई दफा खुद से बढ़कर,
किसी से तुम मोहब्बत करते हो।
इतने सस्ते हो जाते हो तुम,
कि उन्हें मुफ्त के लगते हो।।
रख के तेरे लब पर लब
सब शिकायतें मिटा देंगे
कौन कहता है इश्क एक बार
होता है जितनी बार देखता हूं
तुम्हें हर बार होता है..!
सरहद नहीं हम जो सिर्फ
लकीरों में मिलेंगे,
हम तो खुशबू ए वफ़ा हैं
दिल के हर कोने में मिलेंगे।।
ग़र यकीन ना हो तो
बिछड़ के देख लो,
तुम मिलोगे सबसे मगर
हमारी ही तलाश में !
एक आदत सी हो तुम
शायद अब लग सी गई हो मुझे।
सुनो जान मेरी एक बात मा�� लो
सफर लम्बा है हाथ थाम लूं..!
सुनो तुम खास हो, टाइमपास नहीं।
दिल में तेरी चाहत है
लबों पे तेरा नाम है
तू मोहब्बत कर या ना कर
मेरी जिंदगी तेरे नाम है..!
आओ जलने वाले को जलाये
बेबी हम होठों से होठ मिलाये.
चूम लूँ तेरे गालों को दिल की
ख्वाहिश है, ये में नहीं कहता
ऐसी दिल की फरमाहिश है..!
कुछ इस अदा से आज वो
पहलू-नशीं रहे
जब तक हमारे पास रहे
हम नहीं रहे
हम किसी को अच्छे लगे ना लगे मगर, हम दोनों एक दूसरे को बहुत अच्छे लगते हैं।
किसी को सिर्फ
पा लेना मोहब्बत नही होती है,
बल्कि किसी के दिल में
जगह बना लेना मोहब्बत होती है.
बहुत होंगे दुनिया में चाहने वाला तुझें,
लेकिन मेरे लिए तू ही
मेरी दुनिया है ।😘
तुम नहीं होते हो तो
बहुत खलता है,
प्यार कितना है तुमसे पता चलता है !
तुम्हारे होंठो में इतनी मिठास
है की उसके आगे डेरी मिल्क
भी बकवास है..
बहुत प्यार से रखेंगे,
एक बार हमारे हो कर तो देखो।
सामने बैठे रहो दिल को करार आएगा
जितना देखेंगे तुम्हें उतना ही प्यार आएगा
मान जाना यार 4 दिन की जिंदगी है और तू 3 दिन से नाराज है।
ना करूं तुझको याद तो,
खुद की साँसों में
उलझ जाती हूँ मैं,
समझ में नहीं आता की
जिंदगी, सांसो से है
या तेरी यादों से।
जागना भी कुबूल है
रातभर तेरी यादों में
तेरे एहसासों में जो मजा है
वो नीद में कहां
चूम लूं मैं लबों से
अपने ये आँखें तेरी
बेचैन कर दूँ मैं सारी रातें तेरी
ना कम होगा
ना कभी खत्म होगा ये
प्यार है जनाब
हर पल होगा और सिर्फ़
तुमसे होगा..!
सीने से लगा के सुन वो धड़कन
जो तुझसे मिलने के इंतजार में है..!
तड़प रहीं हैं मेरी साँसें
तुझे महसूस करने को,
खुशबू की तरह बिखर जाओ
तो कुछ बात बने।
हर खुशी का मुझको, पता मिला है,
जब से मेरे दिल में, तेरी चाहत का सुकुन मिला है
love shayari😍
कितनी भी पल गुज़ार लूँ तेरी
बाहों में हर साँस यही कहती
है की दिल अभी भरा नहीं.!
एक टुकड़ा बादल….एक आंगन बरसात,
दिल की यही ख्वाइश,
की भीगू तेरे साथ
हमने मोहब्ब्त का भरम,
सबसे जुदा रक्खा है,
जिक्र हर बात में तेरा है बस,
नाम छुपा रक्खा है..!!!
मेरी जान मेरी वफ़ा हो तुम,
उस कुदरत का दिया हुआ
एक नायब तोहफा हो तुम..!
अब नींद नहीं आती अकेले तुम
आ जाओ न जान घर हमारे..
प्यार का रंग क्या है आज तक समझी नहीं थी ,
तेरी चाहत पाने के बाद
हर रंग से मोहब्बत हो गई,
मैं तमाम दिन का थका हुआ,
तू तमाम शब का जगा हुआ,
ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर,
तेरे साथ शाम गुज़ारना है
तुम्हारे चेहरे पर ये जो मुस्कान है
क्या कहे यही तो हमारी जान है.!
लिख दूँ तो लफज़ तुम हो,
सोच लूँ तो ख्याल तुम हो,
माँग लूँ तो मन्नत तुम हो,
और चाह लूँ तो
मोहब्बत भी तुम ही हो।
मेरा दिल उतना मेरा नहीं
जितना ये तुम्हारा है.
दिल करता है मेरी जान
“तुझे कच्चा चबा जाऊं”
अजीब किस्सा है जिंदगी का,
अजनबी हाल पूछ रहे है,
और अपनी की कोई खबर नहीं.!!!
अब नहीं होता सबर मुझे तो
बस आपकी बाहों में सोना है..!!
याद आने की वजह
बहुत अजीब सी है, तुम्हारी,
तुम गैर थे जिसे मैंने
एक पल में अपना माना..!!!
लत तेरी ही लगी है, नशा
सरेआम होगा
हर लम्हा जिन्दगी का सिर्फ
तेरे नाम होगा..!!
कुछ सोचती हूँ तो
तेरा ख्याल आ जाता है,
कुछ बोलती हूँ तो
तेरा नाम आ जाता है,
कब तक छुपा के रखूं
दिल की बात को,
तेरी हर बात पर मुझे प्यार आ जाता है।
gf के लिए रोमांटिक शायरी
अच्छा लगता है तेरा नाम मेरे
नाम के साथ जैसे कोई
सुबह जुड़ी हो किसी हसीन
शाम के साथ..
मैने तो कहा था कोई और नही है मेरे दिल में,
देख लिया तोड़ के कोई मिला क्या..!!!
इन हसीन वादियो ने आज कमाल
कर दिया,
तेरे ओठो की लाली ने
मेरे ओठो को लाल कर दिया।
इश्क में कोई उसूल नहीं होता
है यार जैसा भी हो कबूल
होता है.!!
किसी को गुलाब देना इश्क़ नही उसे
गुलाब की तरह रखना इश्क़ हैं..!
खूबसूरत रोमांटिक शायरी
तेरे होंठो को मेरे होंठो से
गीला करदु एक बार मौका
दो इन्हे और राशिला करदु..!
चाहे कितने भी नखरे कर ले
मेरी जान kiss तो लेकर रहूंगा.!!
मैं ठहरा खामोश तरबियत वाला लड़का,
मैं सिर्फ अपने पसंदीदा शख्स से बोलता हु..!!!
तुझसे मिले न थे तो
कोई आरजू न थी
देख लिया तुझे तो
तेरे तलबगार हो गए..
दिखावे के अपनेपन से,
हकीकत की दूरियां अच्छी है..!!!
तुम हँसते हो तो मुझे हँसाने के लिए,
तुम रोते हो तो
मुझे रुलाने के लिए,
एक बार हमसे रूठ कर तो देखो ,
जान न्योछावर कर देंगे तुम्हें मनाने के लिए।
खैरियत नही पूछता, खबर रखता है,
सुना है वो शख्स मूझपर नजर रखता है..!!!
याद नही की वो रूठा था
कि मैं रूठा था,
मगर साथ हमारा जरा सी
बात पर छूटा था..!!!
हर हाल में तेरे होठों पर हंसी लाऊंगा,
तेरे लिए दुनिया से भी लड़ जाऊंगा।
होते तुम पास तो कोई शरारत करते
लेकर तुमको बाहों में बेपनाह
मोहब्बत करते..
gf shayari 2 line
मत पूछो कैद गुजरता है हर पल तेरे बिन,
कभी बात करने की हसरत,
कभी देखने की तमन्ना.!!!
उसकी हकीकत जानकर हैरान हुआ मैं,
और वो कहती है ऐसा कुछ नही..!!!
ये जो तुम दिल से
साफ हो ना,
दिमाग वालो से हार जाओगे..!!!
मेरी हर ख्वाहिश हो तुम
मेरी चाहत मेरा प्यार हो तुम
तुम समझ ना पाओ
शायद इस बात को
पर मेरी जिंदगी,
मेरे जीने की वजह हो तुम
कोन कहता है के हम झूट नही बोलते,
तुम बार बार खैरियत पूछकर तो देखो..!!!
प्यारी तेरी बातें मुझे हंसा देती है
तुझसे दूरियाँ मुझे सजा देती है
रोशनी बनके आयी है तू
मेरी जिंदगी में
तेरी चाहत तेरी वफ़ा बता देती है
अगर प्यार करना है तो
पैसे से करो,
अगर लत भी लग गई तो करोड़पति बना कर छोड़ेगा..!!!
लम्हा भर आंख सेक लेते है,
उसकी तस्वीर देख लेते हैं…!
मोहब्बत तो दूर की बात है जान,
कोई मेरे जैसा इंतजार भी नही कर सकता..!!!
मेरी बाँहों में बहकने की
सज़ा भी सुन ले
अब बहुत देर में आज़ाद करूँगा तुझको
फुर्सत निकाल कर आओगे कभी हमारी महफिल में,
लोटते वक्त दिल नहीं पाओगे अपने सीने में..!!!
जी चाहे कि दुनिया की
हर एक फ़िक्र भुला कर
दिल की बातें सुनाऊं
तुझे मैं पास बिठाकर
बेहद रोमांटिक शायरी
अपनी हाथो की उंगलियों को
ज़रा सा दिल पर क्या रखा
तेरी यादो की धड़कन धड़कने लगी
जरा छू लूँ तुमको कि
मुझको यकीं आ जाये
लोग कहते हैं
मुझे साये से मोहब्बत है
ये तेरा इश्क बे-खुदी है मेरी,
तुझे पाना ही जिंदगी है मेरी..!!!
मेरे हिस्से में तू रहे बस,
बाकी दुनियां लोगो को मुबारक..!!!
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( #Muktibodh_part229 के आगे पढिए.....)
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#MuktiBodh_Part230
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 440-441
‘‘प्रमाण के लिए पवित्र कबीर सागर से भिन्न-भिन्न अध्यायों से अमृत बानी’’
‘‘कबीर जी तथा ज्योति निरंजन की वार्ता‘‘
अनुराग सागर के पृष्ठ 62 से :-
‘‘धर्मराय (ज्योति निरंजन) वचन‘‘
धर्मराय अस विनती ठानी।
मैं सेवक द्वितीया न जानी।।1
ज्ञानी बिनती एक हमारा।
सो न करहू जिह से हो मोर बिगारा।।2
पुरूष दीन्ह जस मोकहं राजु।
तुम भी देहहु तो होवे मम काजु।।3
अब मैं वचन तुम्हरो मानी।
लीजो हंसा हम सो ज्ञानी।।4
पृष्ठ 63 से अनुराग सागर की वाणी :-
दयावन्त तुम साहेब दाता।
ऐतिक कृपा करो हो ताता।।5
पुरूष शॉप मोकहं दीन्हा।
लख जीव नित ग्रासन कीन्हा।।6
पृष्ठ 64 से अनुराग सागर की वाणी :-
जो जीव सकल लोक तव आवै।
कैसे क्षुधा मोर मिटावै।।7
जैसे पुरूष कृपा मोपे कीन्हा।
भौसागर का राज मोहे दीन्हा।।8
तुम भी कृपा मोपर करहु।
जो माँगे सो मोहे देहो बरहु।।9
सतयुग, त्रेता, द्वापर मांहीं।
तीनों युग जीव थोड़े जाहीं।।10
चौथा युग जब कलयुग आवै।
तब तव शरण जीव बहु जावै।।11
पृष्ठ 65 से अनुराग सागर की वाणी, ऊपर से वाणी पंक्ति नं. 3 से :-
प्रथम दूत मम प्रकटै जाई।
पीछे अंश तुम्हारा आई।।12
पृष्ठ 64 से अनुराग सागर की वाणी, ऊपर से वाणी पंक्ति नं. 6 :-
ऐसा वचन हरि मोहे दीजै।
तब संसार गवन तव कीजै।।13
‘‘जोगजीत वचन=ज्ञानी बचन‘‘
पृष्ठ 64 से अनुराग सागर की वाणी, ऊपर से वाणी पंक्ति नं. 7 :-
अरे काल तुम परपंच पसारा।
तीनों युग जीवन दुख डारा।।14
बीनती तोरी लीन्ह मैं जानि।
मोकहं ठगा काल अभिमानी।।15
जस बीनती तू मोसन कीन्ही।
सो अब बखस तोहे दीन्ही।।16
चौथा युग जब कलयुग आवै।
तब हम अपना अंश पठावैं।।17
‘‘धर्मराय (काल) वचन‘‘
पृष्ठ 64 से अनुराग सागर की वाणी, ऊपर से वाणी पंक्ति नं. 17 :-
हे साहिब तुम पंथ चलाऊ।
जीव उबार लोक लै जाऊ।।18
पृष्ठ 66 से अनुराग सागर की वाणी, ऊपर से वाणी पंक्ति नं. 8, 9, 16 से 21 :-
सन्धि छाप (सार शब्द) मोहे दिजे ज्ञानी।
जैसे देवोंगे हंस सहदानी।।19
जो जन मोकूं संधि (सार शब्द) बतावै। ताके निकट काल नहीं आवै।।20
कहै धर्मराय जाओ संसारा।
आनहु जीव नाम आधारा।।21
जो हंसा तुम्हरे गुण गावै।
ताहि निकट हम नहीं जावैं।।22
जो कोई लेहै शरण तुम्हारी।
मम सिर पग दै होवै पारी।।23
हम तो तुम संग कीन्ह ढिठाई।
तात जान किन्ही लड़काइ।।24
कोटिन अवगुन बालक करही।
पिता एक चित नहीं धरही।।25
जो पिता बालक कूं देहै निकारी।
तब को रक्षा करै हमारी।।26
सारनाम देखो जेहि साथा।
ताहि हंस मैं नीवाऊँ माथा।।27
ज्ञानी (कबीर) वचन
अनुराग सागर पृष्ठ 66 :-
जो तोहि देहुं संधि बताई।
तो तूं जीवन को हइहो दुखदाई।।28
तुम परपंच जान हम पावा।
काल चलै नहीं तुम्हरा दावा।।29
धर्मराय तोहि प्रकट भाखा।
गुप्त अंक बीरा हम राखा।।30
जो कोई लेई नाम हमारा।
ताहि छोड़ तुम हो जाना नियारा।।31
जो तुम मोर हंस को रोको भाई।
तो तुम काल रहन नहीं पाई।।32
‘‘धर्मराय (काल निरंजन) बचन‘‘
पृष्ठ 62 तथा 63 से अनुराग सागर की वाणी :-
बेसक जाओ ज्ञानी संसारा।
जीव न मानै कहा तुम्हारा।।33
कहा तुम्हारा जीव ना मानै।
हमरी और होय बाद बखानै।।34
दृढ़ फंदा मैं रचा बनाई।
जामें सकल जीव उरझाई।।35
वेद-शास्त्र समर्ति गुणगाना।
पुत्र मेरे तीन प्रधाना।।36
तीनहू बहु बाजी रचि राखा।
हमरी महिमा ज्ञान मुख भाखा।।37
देवल देव पाषाण पुजाई।
तीर्थ व्रत जप तप मन लाई।।38
पूजा विश्व देव अराधी।
यह मति जीवों को राखा बाँधि।।39
जग (यज्ञ) होम और नेम आचारा।
और अनेक फंद मैं डारा।।40
‘‘ज्ञानी (कबीर) वचन‘‘
हमने कहा ��ुनो अन्याई।
काटों फंद जीव ले जांई।।41
जेते फंद तुम रचे विचारी।
सत्य शब्द ते सबै विडारी।।42
जौन जीव हम शब्द दृढ़ावैं।
फंद तुम्हारा सकल मुक्तावैं।।43
जबही जीव चिन्ही ज्ञान हमारा।
तजही भ्रम सब तोर पसारा।।44
सत्यनाम जीवन समझावैं।
हंस उभार लोक लै जावै।।45
पुरूष सुमिरन सार बीरा, नाम अविचल जनावहूँ।
शीश तुम्हारे पाँव देके, हंस लोक पठावहूँ।।46
ताके निकट काल नहीं आवै।
संधि देख ताको सिर नावै।।48
(संधि = सत्यनाम+सारनाम)
‘‘धर्मराय (काल) वचन‘‘
पंथ एक तुम आप चलऊ।
जीवन को सतलोक लै जाऊ।।49
द्वादश पंथ करूँ मैं साजा।
नाम तुम्हारा ले क��ों आवाजा।।50
द्वादश यम संसार पठाऊँ।
नाम कबीर ले पंथ चलाऊँ।।51
प्रथम दूत मेरे प्रगटै जाई।
पीछे अंश तुम्हारा आई।।52
यहि विधि जीवन को भ्रमाऊँ।
आपन नाम पुरूष का बताऊँ।।53
द्वादश पंथ नाम जो लैहि।
हमरे मुख में आन समैहि।।54
क्रमशः_______________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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#MuktiBodh_Part230
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 440-441
‘‘प्रमाण के लिए पवित्र कबीर सागर से भिन्न-भिन्न अध्यायों से अमृत बानी’’
‘‘कबीर जी तथा ज्योति निरंजन की वार्ता‘‘
अनुराग सागर के पृष्ठ 62 से :-
‘‘धर्मराय (ज्योति निरंजन) वचन‘‘
धर्मराय अस विनती ठानी।
मैं सेवक द्वितीया न जानी।।1
ज्ञानी बिनती एक हमारा।
सो न करहू जिह से हो मोर बिगारा।।2
पुरूष दीन्ह जस मोकहं राजु।
तुम भी देहहु तो होवे मम काजु।।3
अब मैं वचन तुम्हरो मानी।
लीजो हंसा हम सो ज्ञानी।।4
पृष्ठ 63 से अनुराग सागर की वाणी :-
दयावन्त तुम साहेब दाता।
ऐतिक कृपा करो हो ताता।।5
पुरूष शॉप मोकहं दीन्हा।
लख जीव नित ग्रासन कीन्हा।।6
पृष्ठ 64 से अनुराग सागर की वाणी :-
जो जीव सकल लोक तव आवै।
कैसे क्षुधा मोर मिटावै।।7
जैसे पुरूष कृपा मोपे कीन्हा।
भौसागर का राज मोहे दीन्हा।।8
तुम भी कृपा मोपर करहु।
जो माँगे सो मोहे देहो बरहु।।9
सतयुग, त्रेता, द्वापर मांहीं।
तीनों युग जीव थोड़े जाहीं।।10
चौथा युग जब कलयुग आवै।
तब तव शरण जीव बहु जावै।।11
पृष्ठ 65 से अनुराग सागर की वाणी, ऊपर से वाणी पंक्ति नं. 3 से :-
प्रथम दूत मम प्रकटै जाई।
पीछे अंश तुम्हारा आई।।12
पृष्ठ 64 से अनुराग सागर की वाणी, ऊपर से वाणी पंक्ति नं. 6 :-
ऐसा वचन हरि मोहे दीजै।
तब संसार गवन तव कीजै।।13
‘‘जोगजीत वचन=ज्ञानी बचन‘‘
पृष्ठ 64 से अनुराग सागर की वाणी, ऊपर से वाणी पंक्ति नं. 7 :-
अरे काल तुम परपंच पसारा।
तीनों युग जीवन दुख डारा।।14
बीनती तोरी लीन्ह मैं जानि।
मोकहं ठगा काल अभिमानी।।15
जस बीनती तू मोसन कीन्ही।
सो अब बखस तोहे दीन्ही।।16
चौथा युग जब कलयुग आवै।
तब हम अपना अंश पठावैं।।17
‘‘धर्मराय (काल) वचन‘‘
पृष्ठ 64 से अनुराग सागर की वाणी, ऊपर से वाणी पंक्ति नं. 17 :-
हे साहिब तुम पंथ चलाऊ।
जीव उबार लोक लै जाऊ।।18
पृष्ठ 66 से अनुराग सागर की वाणी, ऊपर से वाणी पंक्ति नं. 8, 9, 16 से 21 :-
सन्धि छाप (सार शब्द) मोहे दिजे ज्ञानी।
जैसे देवोंगे हंस सहदानी।।19
जो जन मोकूं संधि (सार शब्द) बतावै। ताके निकट काल नहीं आवै।।20
कहै धर्मराय जाओ संसारा।
आनहु जीव नाम आधारा।।21
जो हंसा तुम्हरे गुण गावै।
ताहि निकट हम नहीं जावैं।।22
जो कोई लेहै शरण तुम्हारी।
मम सिर पग दै होवै पारी।।23
हम तो तुम संग कीन्ह ढिठाई।
तात जान किन्ही लड़काइ।।24
कोटिन अवगुन बालक करही।
पिता एक चित नहीं धरही।।25
जो पिता बालक कूं देहै निकारी।
तब को रक्षा करै हमारी।।26
सारनाम देखो जेहि साथा।
ताहि हंस मैं नीवाऊँ माथा।।27
ज्ञानी (कबीर) वचन
अनुराग सागर पृष्ठ 66 :-
जो तोहि देहुं संधि बताई।
तो तूं जीवन को हइहो दुखदाई।।28
तुम परपंच जान हम पावा।
काल चलै नहीं तुम्हरा दावा।।29
धर्मराय तोहि प्रकट भाखा।
गुप्त अंक बीरा हम राखा।।30
जो कोई लेई नाम हमारा।
ताहि छोड़ तुम हो जाना नियारा।।31
जो तुम मोर हंस को रोको भाई।
तो तुम काल रहन नहीं पाई।।32
‘‘धर्मराय (काल निरंजन) बचन‘‘
पृष्ठ 62 तथा 63 से अनुराग सागर की वाणी :-
बेसक जाओ ज्ञानी संसारा।
जीव न मानै कहा तुम्हारा।।33
कहा तुम्हारा जीव ना मानै।
हमरी और होय बाद बखानै।।34
दृढ़ फंदा मैं रचा बनाई।
जामें सकल जीव उरझाई।।35
वेद-शास्त्र समर्ति गुणगाना।
पुत्र मेरे तीन प्रधाना।।36
तीनहू बहु बाजी रचि राखा।
हमरी महिमा ज्ञान मुख भाखा।।37
देवल देव पाषाण पुजाई।
तीर्थ व्रत जप तप मन लाई।।38
पूजा विश्व देव अराधी।
यह मति जीवों को राखा बाँधि।।39
जग (यज्ञ) होम और नेम आचारा।
और अनेक फंद मैं डारा।।40
‘‘ज्ञानी (कबीर) वचन‘‘
हमने कहा सुनो अन्याई।
काटों फंद जीव ले जांई।।41
जेते फंद तुम रचे विचारी।
सत्य शब्द ते सबै विडारी।।42
जौन जीव हम शब्द दृढ़ावैं।
फंद तुम्हारा सकल मुक्तावैं।।43
जबही जीव चिन्ही ज्ञान हमारा।
तजही भ्रम सब तोर पसारा।।44
सत्यनाम जीवन समझावैं।
हंस उभार लोक लै जावै।।45
पुरूष सुमिरन सार बीरा, नाम अविचल जनावहूँ।
शीश तुम्हारे पाँव देके, हंस लोक पठावहूँ।।46
ताके निकट काल नहीं आवै।
संधि देख ताको सिर नावै।।48
(संधि = सत्यनाम+सारनाम)
‘‘धर्मराय (काल) वचन‘‘
पंथ एक तुम आप चलऊ।
जीवन को सतलोक लै जाऊ।।49
द्वादश पंथ करूँ मैं साजा।
नाम तुम्हारा ले करों आवाजा।।50
द्वादश यम संसार पठाऊँ।
नाम कबीर ले पंथ चलाऊँ।।51
प्रथम दूत मेरे प्रगटै जाई।
पीछे अंश तुम्हारा आई।।52
यहि विधि जीवन को भ्रमाऊँ।
आपन नाम पुरूष का बताऊँ।।53
द्वादश पंथ नाम जो लैहि।
हमरे मुख में आन समैहि।।54
क्रमशः_______________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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#हे_मेरी_कौम_के_हिंदुओं
Sant Rampal Ji Maharaj
हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
श्रीमदभगवद्गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण तक ही सीमित नहीं है। इसका गूढ़ रहस्य समझो।
गीता अध्याय 8 श्लोक 1 में अर्जुन ने प्रश्न किया कि {आपने गीता अध्याय 7 श्लोक 29 में जो तत् ब्रह्म कहा है} वह तत् ब्रह्म क्या है? जिसका उत्तर देते हुए गीता अध्याय 8 श्लोक 3, 8, 9, 10, गीता अध्याय 15 श्लोक 4 तथा 17 आदि में कहा है। जिस लोक में वह तत् ब्रह्म यानि परम अक्षर ब्रह्म (सत्यपुरूष) रहता है, उसमें परमशांति है यानि महासुख है। उस सनातन परम धाम में गए साधक फिर लौटकर संसार में नहीं आते। जबकि स्वर्ग आदि लोकों में जाने के बाद वापस आना पड़ता है ।
अपने शास्त्रों को समझने के लिए संत रामपाल जी महाराज का
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3• हमारी भी तो सुनो, हे बुद्धिमान हिन्दुओं! हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
हमारे संत तथा महंतों का मानना है कि पाप कर्म तो भोगना ही पड़ता है।
V/S
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने प्रमाण दिखा कर बताया कि यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
4• हमारी भी तो सुनो, हे बुद्धिमान हिन्दुओं!
गीता कहती है, भूत पूजोगे तो भूत बनोगे।
और हमारे धर्म गुरु हर घर में भूत पुजवा रहे हैं, कुछ तो शर्म करो। शास्त्रों के अंदर तो खोल के देख लो।
हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
सभी संत व महंत श्री कृष्ण जी को पूर्ण परमात्मा बता रहे हैं ।
V/S
वहीं श्रीमदभगवद्गीता में प्रमाण है कि परम अक्षर ब्रह्म यानि की पूर्ण परमात्मा को गीता अध्याय 8 श्लोक 9 तथा अध्याय 15 श्लोक 17 में गीता ज्ञान देने वाले ने अपने से अन्य बताया है तथा कहा है कि (उत्तम पुरूषः तू अन्य ) पुरूषोत्तम तो मेरे से अन्य है, वही परमात्मा है। सबका धारण-पोषण करने वाला अविनाशी परमेश्वर है।
6• हिंदू भाइयों संभलो
हमारा उद्देश्य:- विश्व के मानव को सत्य ज्ञान सुनाकर सनातनी बनाना है क्योंकि पिछला इतिहास बताता है कि पहले केवल एक सनातन धर्म ही था। तत्त्वज्ञान के अभाव से हम धर्मों में बंटते चले गए जो विश्व में अशांति का कारण बना है। एक-दूसरे के जानी दुःश्मन बन गए हैं।
यह बात विश्व का मानव निर्विरोध मानता है कि सबका मालिक एक है। परंतु वह कौन है? कैसा है यानि साकार है या निराकार है? मानव रूप में या अन्य रूप में? यह प्रश्न वाचक चिन्ह ❓अभी तक लगा है। अब संत रामपाल जी महाराज ने यह प्रश्नवाचक चिन्ह ( ❓) पूर्ण रूप से हटा दिया है।
1. हमारी भी तो सुनो, हे बुद्धिमान हिन्दुओं!
श्री देवकीनंदन जी, श्रीहित प्रेमानन्द जी व अन्य कथावाचक कहते हैं ‛राधे राधे’ बोलने से बड़े आध्यात्मिक लाभ होते हैं।
V/S
जबकि राधे -राधे बोलना न वेदों में है, न गीता में है। किसी भी शास्त्र में प्रमाण नहीं है।
पवित्र गीता जी में अध्याय 17 श्लोक 23 में ‛ओम तत सत’ सांकेतिक मंत्रों से ही मोक्ष बताया है जिसका वास्तविक भेद व अधिकार केवल संत रामपाल जी महाराज जी के पास है।
गरीब, ऐसा सुमरन कीजिये, रोम रोम धुनि ध्यान।
आठ बखत अधिकार करि, पतिव्रता सो जान
भक्ति मैं कहा है कि ऐसा सिमरन कर की रोम रोम में धुन हो यानी कि शरीर के एक-एक बाल ऐसे खड़े हो जाए जैसे भय या फिर खुशी से खड़े होते हैं अपने सिमरन पर ध्यान से 24 पहर लग रहे
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#हे_मेरी_कौम_के_हिंदुओं
Sant Rampal Ji Maharaj
हमारी भी तो सुनो, हे बुद्धिमान हिन्दुओं! हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
हमारे संत तथा महंतों का मानना है कि पाप कर्म तो भोगना ही पड़ता है।
V/S
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने प्रमाण दिखा कर बताया कि यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
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हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
श्री देवकीनंदन जी, श्रीहित प्रेमानन्द जी व अन्य कथावाचक कहते हैं ‛राधे राधे’ बोलने से बड़े आध्यात्मिक लाभ होते हैं।
V/S
जबकि राधे -राधे बोलना न वेदों में है, न गीता में है। किसी भी शास्त्र में प्रमाण नहीं है।
पवित्र गीता जी में अध्याय 17 श्लोक 23 में ‛ओम तत सत’ सांकेतिक मंत्रों से ही मोक्ष बताया है जिसका वास्तविक भेद व अधिकार केवल संत रामपाल जी महाराज जी के पास है।
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🏵️ श्रद्धा MH ONE टी. वी. पर दोपहर 2:00 से 3:00 तक
🏵️ साधना टी. वी. पर शाम 7:30 से 8:30 तक
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Live : Nepal 1 TV 24-01-2024 || Episode: 1462 || Sant Rampal Ji Maharaj ...
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हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू) हमारी भी तो सुनो।
हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं संत रामपाल जी महाराज
अज्ञानी संतों का कहना है कि ॐ नाम के जाप से मुक्ति संभव है।
कृपया इसका प्रमाण दिखाएं।
पवित्र गीता जी अध्याय 17 श्लोक 23 में कहा गया है कि 'ॐ-तत्-सत्' मोक्ष व सुख प्राप्ति का मंत्र है।
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➜पापुलर टीवी 📺 पर शाम 7:30 से 8:30
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Sant Rampal Ji Maharaj
हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
श्रीमदभगवद्गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण तक ही सीमित नहीं है। इसका गूढ़ रहस्य समझो।
गीता अध्याय 8 श्लोक 1 में अर्जुन ने प्रश्न किया कि {आपने गीता अध्याय 7 श्लोक 29 में जो तत् ब्रह्म कहा है} वह तत् ब्रह्म क्या है? जिसका उत्तर देते हुए गीता अध्याय 8 श्लोक 3, 8, 9, 10, गीता अध्याय 15 श्लोक 4 तथा 17 आदि में कहा है। जिस लोक में वह तत् ब्रह्म यानि परम अक्षर ब्रह्म (सत्यपुरूष) रहता है, उसमें परमशांति है यानि महासुख है। उस सनातन परम धाम में गए साधक फिर लौटकर संसार में नहीं आते। जबकि स्वर्ग आदि लोकों में जाने के बाद वापस आना पड़ता है ।
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हमारी भी तो सुनो, हे बुद्धिमान हिन्दुओं! हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
हमारे संत तथा महंतों का मानना है कि पाप कर्म तो भोगना ही पड़ता है।
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तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने प्रमाण दिखा कर बताया कि यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है
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हमारे संत तथा महंतों का मानना है कि पाप कर्म तो भोगना ही पड़ता है।
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