#संत_रामपालजी_के_उद्देश्य
17 फरवरी को उस महापुरुष का बोध दिवस है जिन्होंने दहेज मुक्त, नशा मुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त समाज तथा विश्व शांति का बीड़ा उठाया है। विश्व कल्याण के लिये प्रकट वह महापुरुष जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी हैं।
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पूरी दुनिया आतंकवाद, कट्टरवाद, नक्सलवाद से प्रभावित है। संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि पूरी दुनिया में अमन शांति हो, लोग आपस में लड़े नहीं।
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"Sant Rampal Ji Maharaj" ऐप्प🙏
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➜ साधना चैनल 📺 शाम 7:30 से 8:30
➜ श्रद्धा चैनल 📺 दोपहर - 2:00 से 3:00
#SaintRampalJi
Visit- "Satlok Ashram" on YouTube.
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#गीता_तेरा_ज्ञान_अमृत_Part_26
क्या गुरू बदल सकते हैं?
धर्मदास ने प्रश्न किया:-
प्रश्न 52 (धर्मदास जी का):- हे प्रभु क्या गुरु बदल सकते हैं?
सुना है सन्तों से कि गुरु नहीं बदलना चाहिए। गुरु एक, ज्ञान अनेक।
उत्तर (सत्यपुरुष का):- जब तक गुरु मिले नहीं साचा, तब तक गुरु करो दस पाँचा।
कबीर झूठे गुरु के पक्ष को, तजत न लागै वार। द्वार न पावै मोक्ष का, रह वार का वार।।
भावार्थ: जब तक सच्चा गुरु (सतगुरु) न मिले, तब तक गुरु बदलते रहना चाहिए। चाहे कितने ही गुरु क्यों न बनाने पड़ें और बदलने पड़ें। झूठे गुरु को तुरन्त त्याग देना।
कबीर, डूबै थे पर उभरे, गुरु के ज्ञान चमक। बेड़ा देखा जरजरा, उतर चले फड़क।।
भावार्थ: जिस समय मुझे सत्य गुरु मिले, उनके ज्ञान के प्रकाश से पता चला कि हमारा ज्ञान और समाधान (साधना) गलत है तो ऐसे गुरु बदल दिया जैसे किसी डर से पशु फड़क कर बहुत तेज दौड़ता है और जैसे रात्रि में सफर कर रहे यात्रियों को सुबह प्रकाश में पता चले कि जिस नौका में हम सवार हैं, उसमें पानी प्रवेश कर रहा है और साथ में सुरक्षित और साबुत नौका खड़ी है तो समझदार यात्री जिसने कोई नशा न कर रखा हो, वह तुरंत फूटी नौका को त्यागकर साबुत (Leak Proof) नौका में बैठ जाता है। मैंने जब काशी में कबीर जी सच्चे गुरु का यह ज्ञान सुना जो आपको सुनाया है तो जाति, धर्म को नहीं देखा। उसी समय सत्यगुरु की शरण में चला गया और दीक्षा मन्त्र लेकर भक्ति कर रहा हूँ। सतगुरु ने मुझे दीक्षा देने का आदेश दे रखा है। हे धर्मदास! विचार कीजिए यदि एक वैध से रोगी स्वस्थ नहीं होता तो क्या अन्य डाॅक्टर के पास नहीं जाता?
धर्मदास ने कहा कि जाता है, जाना भी चाहिए, जीवन रक्षा करनी चाहिए। परमेश्वर ने कहा कि इसी प्रकार मनुष्य जन्म जीव कल्याण के लिए मिलता है। जीव को जन्म-मरण का दीर्घ रोग लगा है। यह सत्यनाम तथा सारनाम बिना समाप्त नहीं हो सकता। दोनों मंत्र काशी में सतगुरु कबीर रहते हैं, उनसे मिलते हैं, पृथ्वी पर और किसी के पास नहीं हैं। आप काशी में जाकर दीक्षा लेना, आपका कल्याण हो जाएगा क्योंकि सत्यगुरु के बिना मेरा वह सत्यलोक प्राप्त नहीं हो सकता।
धर्मदास जी ने कहा कि आप स्वयं सत्य पुरूष हैं। अब मैं धोखा नहीं खा सकता। आप अपने को छुपाए हुए हैं। हे प्रभु! मैंने गुरु रुपदास जी से दीक्षा ले रखी है। मैं पहले उनसे गुरु बदलने की आज्ञा लूँगा, यदि वे कहेंगे तो मैं गुरु बदलूंगा परन्तु धर्मदास की मूर्खता की हद देखकर परमेश्वर छठी बार अन्तध्र्यान हो गए। धर्मदास जी फिर व्याकुल हो गए। पहले रुपदास जी के पास गए जो श्री कृष्ण अर्थात् श्री विष्णु जी के पुजारी थे। जो वैष्णव पंथ से जुड़े थे।
धर्मदास जी ने सन्त रुपदास जी से सर्व घटना बताई तथा गुरु बदलने की आज्ञा चाही। सन्त रुपदास जी अच्छी आत्मा के इन्सान थे। उन्होंने कहा बेटा धर्मदास! जो ज्ञान आपने सुना है जिस जिन्दा बाबा से, यह ज्ञान भगवान ही बता सकता है। मेरी तो आयु अधिक हो गई है। मैं तो इस मार्ग को त्याग नहीं सकता। आप की इच्छा है तो आप उस महात्मा से दीक्षा ले सकते हो।
तब धर्मदास जी काशी में गए, वहाँ पर कबीर जुलाहे की झोंपड़ी का पता किया। वहाँ कपड़ा बुनने का कार्य करते कबीर परमेश्वर को देखकर आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। खुशी भी अपार हुई कि सतगुरु तथा परमेश्वर यही है। तब उनसे दीक्षा ली और अपना कल्याण कराया। कबीर परमेश्वर जी ने धर्मदास जी को फिर दो अक्षर (जिस में एक ओम् ऊँ मन्त्रा है तथा दूसरा तत् जो सांकेतिक है) का सत्यनाम दिया। फिर सारनाम देकर सतलोक का वासी किया।
कलयुग में परमात्मा अन्य निम्न अच्छी आत्माओं (दृढ़ भक्तों) को मिलेः-
संत मलूक दास (अरोड़ा) जी को मिले।
संत दादू दास जी (आमेर, राजस्थान वाले) को मिले।
संत नानक देव जी को सुल्तानपुर शहर के पास बह रही बेई नदी पर मिले जहाँ गुरू द्वारा ’’सच्चखण्ड साहेब’’ यादगार रूप में बना है।
संत गरीब दास जी गाँव छुड़ानी जिला झज्जर (हरियाणा) वाले को मिले, उस स्थान पर वर्तमान में यादगार बनी हुई है।
संत गरीब दास जी 10 वर्ष के बच्चे थे। अपने ही खेतों में अन्य कई ग्वालों के संग गऊएं चराने जाया करते थे, परमेश्वर जिन्दा बाबा के रूप में सत्यलोक (सच्चखण्ड) से चलकर आए। यह लोक सर्व भवनों के ऊपर ही जहाँ परमात्मा रहते हैं, सन्त गरीब दास जी की आत्मा को ऊपर अपने लोक में परमेश्वर लेकर गए। बच्चे को मृत जानकर शाम को चिता पर रखकर अंतिम संस्कार करने वाले थे। तत्काल परमात्मा ने सन्त गरीबदास जी की आत्मा को ऊपर ब्रह्माण्डों का भ्रमण कराकर सत्य ज्ञान बताकर शरीर में प्रवेश कर दिया, बालक जीवित हो गया। यह घटना फाल्गुन शुद्धि द्वादशी संवत 1784 सन् 1727 की है। संत गरीब दास जी को परमात्मा ने तत्वज्ञान प्रदान किया। उनका ज्ञान योग खोल दिया। जिस कारण से संत गरीब दास जी ने 24 हजार वाणी बोली जो संत गोपाल दास जी द्वारा लिखी गई। उन अमृतवाणियों को छपवाकर ग्रन्थ रूप दे दिया है। यह दास (संत रामपाल दास) उसी से सत्संग किया करता है।
संत गरीब दास जी ने अमृत वाणी में कहा है:-
गरीब, हम सुलतानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया।
जाति जुलाहा भेद ना पाया, काशी मांहे कबीर हुआ।।
गरीब, अनन्त कोटि ब्रह्माण्ड का, एक रति नहीं भार।
सतगुरू पुरूष कबीर हंै, कुल के सिरजनहार।।
भावार्थ:- संत गरीब दास जी ने परमात्मा से प्राप्त दिव्य दृष्टि से देखकर भूत-भविष्य का ज्ञान कहा है, बताया है कि जो काशी नगर (उत्तर प्रदेश) में जुलाहा कबीर जी थे। वे सर्व ब्रह्माण्डों के सृजनहार हैं। सर्व ब्रह्माण्डों को अपनी शक्ति से ठहराया है। परमेश्वर कबीर जी पर उनका कोई भार नहीं है। जैसे वैज्ञानिकों ने हवाई जहाज, राॅकेट बनाकर उड़ा दिये, स्वयं भी बैठ कर यात्रा करते हैं, इस प्रकार संत गरीब दास जी ने परमेश्वर जी को आँखों देखकर उनकी महिमा बताई है।
संत घीसा दास जी गाँव-खेखड़ा जिला बागपत (उत्तर प्रदेश) को मिले थे। पुस्तक विस्तार को मध्यनजर रखते हुए अधिक विस्तार नहीं कर रहा हूँ, अधिक जानकारी के लिए www.jagatgururampalji.org से खोलकर अधिक ज्ञान ग्रहण कर सकते हैं।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।
संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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