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जौनपुरः सिराज - ए - हिन्द का एक अनोखा सफर
विवरणः जौनपुर एक ऐतिहासिक शहर है। मध्यकालीन भारत में शर्की शासकों की राजधानी रहा जौनपुर वाराणसी से 58 किलोमीटर और प्रयागराज से 100 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में गोमती नदी के तट पर बसा है। मध्यकालीन भारत में जौनपुर सल्तनत (1394 और 1479 के बीच) उत्तरी भारत का एक स्वतंत्र राज्य था। वर्तमान राज्य उत्तर प्रदेश जौनपुर सल्तनत के अंतर्गत आता था, जिस पर शर्की शासक जौनपुर से शासन करते थे | अवधी यहाँ की मुख्य भाषा है।
भूगोलः जौनपुर जिला वाराणसी प्रभाग के उत्तर-पश्चिम भाग में स्थित है। गोमती और सई यहाँ की मुख्य नदियाँ हैं। इनके अलावा, वरुण, पिली और मयुर आदि छोटी नदिया हैं। मिट्टी मुख्य रूप से रेतीले, चिकनी बलुई हैं। जौनपुर अक्सर बाढ़ की आपदा से प्रभावित रहता है।
जनसंख्याः जौनपुर ज़िला की वास्तविक जनसंख्या ४,४७६,०७२ (भारतीय जनगणना २०११) है। जिनमे २,२१७,६३५ पुस्र्ष तथा २,२५८,४३७ महिलाए हैं। जनसंख्या घनत्व 1113 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। जिले में लिंगानुपात १०२४ है, जो की पूरे भारत में 1000 पुरुषों पर 940 महिलाओं की तुलना में कहीं अधिक है।
इतिहासः जौनपुर का इतिहास काफी पुराना है | जौनपुर को शिक्षा की नगरी भी कहा जात है, यहाँ पहले ऋषि, मुनि ही निवास करते थे | महर्षि दधिची भी जौनपुर में ही रहते थे। तुगलक शासक फिरोज शाह तुगलक ने इसकी स्थापना 13वीं सदी में अपने चचेरे भाई मुहम्मद बिन तुगलक की याद में की थी जिसका वास्तविक नाम जौना खां था। इसी कारण इस शहर का नाम जौनपुर रखा गया। 1394 के आसपास मलिक सरवर ने जौनपुर को शर्की साम्राज्य के रूप में स्थापित किया। शर्की शासक कला प्रेमी थे। उनके काल में यहां अनेक मकबरों, मस्जिदों और मदरसों का निर्माण किया गया। यह शहर मुस्लिम संस्क���ति और शिक्षा के केन्द्र के रूप में भी जाना जाता है। वर्तमान में यह शहर चमेली के तेल, तम्बाकू की पत्तियों, इमरती और स्वीटमीट के लिए लिए प्रसिद्ध है।
मुख्य आकर्षण-
अटाला मस्जिदः अटाला मस्जिद का निर्माण 1393 ईस्वी में फिरोजशाह तुगलक के समय में शुरू हुआ था जो १४०८ में जाकर इब्राहिम शर्की के शासनकाल में पूरा हुआ। मस्जिद के तीन तोरण द्वार हैं जिनमें सुंदर सजावट की गई है। बीच का तोरण द्वार सबसे ऊंचा है और इसकी लंबाई २३ मीटर है। इसकी बनावट देखकर कोई भी शर्की स्थापत्य की उच्चस्तरीय निर्माण कला का आसानी से अंदाजा लगा सकता है।
जामा मस्जिदः जौनपुर की इस सबसे विशाल मस्जिद का निर्माण हुसैन शाह ने १४५८-७८ के बीच करवाया था। एक ऊंचे चबूतर पर बनी इस मस्जिद का आंगन ६६ मीटर और ६४.५ मीटर का है। प्रार्थना कक्ष के अंदरूनी हिस्से में एक ऊंचा और आकर्षक गुंबद बना हुआ है।।मस्जिद से लगा हुआ शरकी क़ब्रिस्तान भी आकर्षक का केंद्र है।
शाही किलाः शाही किला गोमती के बाएं किनारे पर शहर के दिल में स्थित है। शाही किला फिरोजशाह ने १३६२ ई. में बनाया था इस किले के भीतरी गेट की ऊचाई २६.५ फुट और चौड़ाई १६ फुट है। केंद्रीय फाटक ३६ फुट उचा है। इसके एक शीर्ष पर वहाँ एक विशाल गुंबद है। शाही किला में कुछ आदि मेहराब रहते हैं जो अपने प्राचीन वैभव की कहानी बयान करते है।
लाल दरवाजा मस्जिदः इस मस्जिद का निर्माण १४५० के आसपास हुआ था। लाल दरवाजा मस्जिद बनवाने का श्रेय सुल्तान महमूद शाह की रानी बीबी राजी को जाता है। इस मस्जिद का क्षेत्रफल अटाला मस्जिद से कम है। लाल पत्थर के दरवाजे से बने होने के कारण इसे लाल दरवाजा मस्जिद कहा जाता है। इस मस्जिद में जौनपुर का सबसे पुराना मदरसा भी है जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां सासाराम के शासक शेर शाह सूरी ने शिक्षा ग्रहण की थी इस मदरसा का नाम जामिया हुसैनिया है जिसके प्रबंधक मौलाना तौफ़ीक़ क़ासमी है।
शाही ब्रिजः गोमती नदी पर बने इस खूबसूरत ब्रिज को मुनीम खान ने 1568 ई. में बनवाया था। शर्कीकाल में जौनपुर में अनेकों भव्य भवनों, मस्जिदों व मकबरों का र्निमाण हुआ। फिरोजशाह ने 1393 ई0 में अटाला मस्जिद की नींव डाली थी, लेकिन 1408 ई0 में इब्राहिम शाह ने पूरा किया.इब्राहिम शाह ने जामा मस्जिद एवं बड़ी मस्जिद का र्निमाण प्रारम्भ कराया, इसे हूसेन शाह ने पूरा किया। शिक्षा, संस्क़ृति, संगीत, कला और साहित्य के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले जनपद जौनपुर में हिन्दू- मुस्लिम साम्प्रदायिक सद् भाव का जो अनूठा स्वरूप शर्कीकाल में विद्यमान रहा है, उसकी गंध आज भी विद्यमान है। यह मुग़ल काल का पहला पुल है।
शीतला माता मंदिर (चौकियां धाम) यहां शीतला माता का लोकप्रिय प्राचीन मंदिर बना हुआ है। इसके निर्माण की कोई अवधि या उल्लेख नहीं है बताया जाता है कि यह मौर्य कालीन प्राचीन मन्दिर था जिसका जीर्णोद्धार करके मां शीतला चौकियां धाम रखा गया। इस मंदिर के साथ ही एक बहुत ही खूबसुरत तालाब भी है, श्रद्धालुओं का यहां नियमित आना-जाना लगा रहता है। यहाँ पर हर रोज लगभग ५००० से ७००० लोग आते हैं। नवरात्र के समय में तो यहाँ बहुत ही भीड़ होती हैं। यहाँ बहुत दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिये आते हैं। यह हिन्दुओ का एक पवित्र मंदिर जहाँ हर श्रद्धालुओं की मनोकामना शीतला माता पूरा करती है।
बारिनाथ मंदिरः बाबा बारिनाथ का मंदिर इतिहासकारों के अनुसार लगभग ३०० वर्षों से भी अधिक पुराना है। यह मंदिर उर्दू बाज़ार में स्थित है और इसका क्षेत्रफल कई बीघे में है। बाहर से देखने में आज यह उतना बड़ा मंदिर नहीं दिखता लेकिन प्रवेश द्वार से अन्दर जाने पर पता लगता है कि यह कितना विशाल रहा होगा।
यमदाग्नी आश्रमः जिले के जमैथा गावं में गोमती नदी के किनारे स्थित यह आश्रम एक धार्मिक केन्द्र के रूप में विख्यात है। सप्तऋषियों में से एक ऋषि जमदग्नि उनकी पत्नी रेणुका और पुत्र परशुराम के साथ यहीं रहते थे। संत परशुराम से संबंध रखने वाला यह आश्रम आसपास के क्षेत्र से लोगों को आकर्षित करता है।
रामेश्वरम महादेवः यह भगवान शिव का मंदिर राजेपुर त्रीमुहानी जो सई और गोमती के संगम पर बसा है। इसी संगम की वजह से इसका नाम त्रीमुहानी पड़ा है यह जौनपुर से 12 किलोमीटर दूर पूर्व की दिशा में सरकोनी बाजार से ३ किलोमीटर पर हैं और इस स्थान के विषय में यह भी कहा जाता है कि लंका विजय करने के बाद जब राम अयोध्या लौट रहे थे तब उस दौरान सई-गोमती संगम पे कार्तिक पुर्णिमा के दिन स्नान किया जिसका साक्ष्य वाल्मीकि रामायण में मिलता है "सई उतर गोमती नहाये , चौथे दिवस अवधपुर आये ॥ तब से कार्तिक पुर्णिमा के दिन प्रत्येक वर्ष मेला लगता है। त्रिमुहानी मेला संगम के तीनों छोर विजईपुर, उदपुर, राजेपुर पे लगता है दूर सुदूर से श्रद्धालु यहाँ स्नान ध्यान करने आते हैं। विजईपुर गाँव में अष्टावक्र मुनि की तपोस्थली भी है और इसी विजईपुर गाँव में ही 'नदिया के पार' फिल्म की शूटिंग हुई।
गोकुल घाट(गोकुल धामः गोकुल धाम मंदिर अत्यंत पुराना मंदिर है जिसे लगभग 400 वर्ष पुराना माना जाता है जो कि गोमती नदी के तीर स्थित है। गोकुल घाट के संरक्षक साहब लाल मौर्य के द्वारा बताया गया है कि यह मंदिर बहुत ही प्राचीन और बहुत विशाल है परन्तु अब इसका अधिक हिस्सा ग्रामीणों द्वारा कब्जा कर लिया गया है।
पांचों शिवालाः यह मंदिर जौनपुर के प्राचीन मंदिरों में से एक है इसकी प्राचीनता के विषय में किसी को कोई सटीक जानकारी नहीं है परन्तु यह अत्यंत आकर्षक शिव मंदिर है। इसमें पांच शिवालयों का समूह आकर्षक है इसके इतिहास का कहीं सटीक वर्णन नहीं मिलता।
जौनपुर की मूलीः जौनपुर की मूली बहुत प्रसिद्ध है और यह लगभग 4 से 6 फीट तक होती है जब भी ऐसी मूली सामने आती है चर्चा का विषय बन जाती है और उसे देखने के लिए भीड़ लग जाती है । लेकिन वर्तमान में यह अपना वजूद खो रही है। इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे मूली की खेती कुछ विशेष क्षेत्रों में होना जहां मकान बनाये जाने से, तथा मूली का उचित लागत न मिलने के कारण किसानों का मूली से मोहभंग हो गया। यही कारण है कि 15 से 17 किलो तक वजन की कुल मूली अब 5 से 7 किलो की भी मुश्किल से हो पाती है। लेकिन कभी कभी वर्तमान में भी यह चर्चा का विषय बनी रहती है।
अन्य दर्शनीय स्थलः उपरोक्त लोकप्रिय दर्शनीय स्थलों के अलावा भी जौनपुर में देखने के लिए बहुत कुछ है। उदाहरण के लिए सोमेश्वर महादेव बीबीपुर शाही किल, ख्वाब गाह, दरगाह चिश्ती, पान-ए-शरीफ, जहांगीरी मस्जिद, अकबरी ब्रिज और र्की सुल्तानों के मकबरें प्रमुख हैं। सई-गोमती संगम ,संगम स्थित विजईपुर ग्राम में बने 'नदिया के पार' फिल्म का शूटिंग स्थल , संगम पे रामेश्वर मंदिर , संगम से कुछ दूर बिरमपुर केवटी में स्थित चौबीस गाँव की कुल देवी माँ चंडी धाम, शीतला चौकियाँ धाम , जमैथा आश्रम , पूर्वांचल विश्वविद्यालय , तिलकधारी महाविद्यालय , मैहर धाम, कटवार, आदि; इन सब के अतिरिक्त हनुमानजी का एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर " अजोसी महावीर धाम " मड़ियाहूं तहसील के अजोसी गांव में स्थित है , यहाँ हर मंगलवार को प्रभु के दर्शन हेतु हजारों श्रद्धालु आते हैं ,और शिव���ुर में दुर्गा मां,और हनुमान जी का भव्य मन्दिर है, आप भी कभी समय निकाल कर यहाँ दर्शन हेतु अवश्य आएँ । यहा पर वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्विद्यालय भी स्थित है।
आवागमन-
वायु मार्ग - जौनपुर शहर का निकटतम एयरपोर्ट वाराणसी का लाल बहादुर शास्त्री एअरपोर्ट (बाबतपुर एयरपोर्ट) है, जो यहां से 35 किलोमीटर की दूरी पर है। एअरपोर्ट, राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या ५६ पर है और यात्रा में औसतन ४५ मिनट का समय लगता है।
रेल मार्ग - जौनपुर में २ मुख्य रेलवे स्टेशन हैं, १. जौनपुर जंक्शन, २. जौनपुर सिटी स्टेशन। जौनपुर का रेलवे स्टेशन लखनऊ वाराणसी और दीन दयाल उपाध्याय रेललाइन पर पड़ता है। गंगा यमुना एक्सप्रेस, वरुणा एक्सप्रेस और श्रमजीवी एक्सप्रेस ,सद्भावना एक्सप्रेस,और गोदान एक्सप्रेस जौनपुर को अनेक शहरों से जोड़ती है।
सड़क मार्ग - जौनपुर शहर आसपास के अनेक शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। वाराणसी, इलाहाबाद, फ़ैज़ाबाद, अयोध्या,अकबरपुर लखनऊ, गोरखपुर, आजमगढ़, सुल्तानपुर ,पडरौना शहरों से जौनपुर के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी(नवाचार)-
दुनिया का सर्वाधिक भाषाएं बोलने वाली सामाजिक और शैक्षिक ह्यूमनॉइड रोबोट "रोबोट शालू"। अपशिष्ट पदार्थ से बनी 47 भाषाएं बोलने में सक्षम विश्व प्रसिद्ध रोबोट शालू को जौनपुर के ही एक वैज्ञानिक व शिक्षक ने विकसित किया है।
उल्लेखनीय व्यक्तित्व-
पण्डित वासुदेव चतुर्वेदी
निहालू मिश्र
रामभद्राचार्य
रवि किशन
मुहम्मद जौनपुरी
लालजी सिंह
राजा यदुवेन्द्र दत्त दूबे
पारसनाथ यादव
अश्विनी द्विवेदी (बादल)
धन्यवाद्।
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