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choot-lund · 6 years ago
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मेरी आँखे अभी भी चरमोतकर्ष पर ना पहुँचने की वजह से बंद थी ,मेरा एक हाथ खुद की चूची को मसल रहा था , दुसरा हाथ, बुर के भगनासा पे सहला रहा था।
मैंने आवाज़ तो सुनी, लेकिन इससे पहले आँखें खोलूं और सम्भलूँ, अपने शरीर पर मैंने धड़ाम से एक पुरुष के शरीर को गिरते हुए महसूस किया , और फच्च से बिना किसी पूर्व चेतावनी के मेरी मदनरस से नहा चुकी बुर के छेद में आधा से अधिक लंड घुस चुका था।
सोत��� हुए और लापरवाह प्रहरी की करनी का फल सीमा की चौकी को भुगतना पड़ता है, मेरी चौकी में बन्दुक की संगीन घुस चुकी थी, और मुझे पता भी नहीं चला कि आक्रमण किस सैनिक द्वारा हुआ है?
मेरी चौकी पर इस अचानक हुए हमले के कारण मेरे मुंह से हच्च से आवाज़ निकल गयी।
लण्ड को बुर तो मिला जिससे बुर में मच रही खुजली को थोड़ी शान्ति मिली लेकिन , मन में स्वाभाविक प्रश्न उठा " ये कौन चित्रकार है, सॉरी , ये किसने किया बुर पे प्रहार है?"
आँखे खुलीं तो देख भी ना पायी क्युकी जिस सैनिकने मेरी चुनिया बुर में बन्दुक की संगीन घुसा दी थी वो मेरे कंधे में अपना मुंह गडा कर मेरे कन्धों को काटने लगा था।
मुझे गुदगुदी भी होने लगी थी , जो भी आक्रमणकारी था बड़ा कुशल चुदक्कड़ था। गीले खेत में बड़ी आसानी से धान की रोपाई हो जाती है , और मेरे खेत में तो बाढ़ आ चुकी था, तो बड़ी आसानी से धान रोपाई हो गयी।
फिर भी पता तो चले कौन है जो सीधा निशाना लगाकर खेत में झंडा गाड़ चुका था?
ये सब मात्र एक से दो सेकण्ड में हुआ , विजय सर की आवाज़ आयी " सुहेल? ये क्या है?"
ओह्ह्ह , ये मियाँ सुहेल हैं जो अपना खतना किया हुआ लण्ड मेरी बुर में घुसा चुके थे।
" क्यों तिवारी, अभी मेरे माल को धनाधन पेल रहा था तब सोचा क्या? अब मैं भी बदला लूंगा, जैसे मैं चुपचाप जलते हुए देख रहा था ,तू भी देख या आके मज़ा ले, सबीहा साली रंडी, मेरे सामने दूसरे से पेलवाती है? अब चल उसका लण्ड फिर से खड़ा कर और उसे तैयार कर नहीं तो अभी यहां तेरी गांड में मिर्ची भर दूंगा"
अब सुहेल अपने दोनों हथेलियों के बल पर था और एक झटके में उसने अपना पूरा लण्ड मेरी बुर के जड़ तक घुसा दिया।
अब मैं उसे स्पष्ट देख पा रही थी और वो मुझे , बड़े प्यार से उसने आँख मारी और मुस्कुरा दिया।
मैं कोई जवाब नहीं दे पायी और विजय सर कारिएक्शन देखने अपना मुंह उन दोनों की ओर घुमा दी।
सबीहा बोली" अब जाने दो सर, अब क्या पर्दा रह गया है,"
ये कह कर वो विजय सर के गीले लटकते चूहे को पकड़ कर सहलाने लगी।
और विजय सर के सर को झुका कर उनके मुंह में मेरी चूची पकड़ कर डाल दी।
अभी अभी विजय सर दो बार अपने मदनरस चाशनी को अपने चम्मच से टपका चुके थे।
तो ढीले ढाले ललुआ को प्रचंड कामदण्ड बनने के लिए कुछ विशेष इलाज़ की आवश्यकता थी , सबीहा खिलाडी थी , उसने झुक कर ललुआ को अपने मुंह में दबा लिया और उसके निचे झूलते हुए गुलाबजामुनो को दबाने लगी।
इधर सुहेल झम झम करके बिना कुण्ड़ी खड़काए सीधा अंदर घुस चुका था. हथेलियों पर उसने अपने शरीर का वजन डाल दिया था और उसका पूरा प्रचंड कामदण्ड मेरी बुर में अंदर बाहर अंदर बाहर हो रहा था। मेरी चूची विजय सर चप्प चप्प करके पिने लगे , वहीँ सबीहा सर के उथ्तित हो रहे लण्ड को गपागप चूस रही थी। अब सबीहा और सुहेल के बीच जैसे कम्पिटिशन शुरू हो गया कि सबीहा का मुंह तेज़ चलेगा या सुहेल की कमर।
सुहेल ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगा, हर धक्के पे चीथड़े उड़ने लगे. मैं वैसे भी पूरी तरह से गरम थी ही विजय सर मेरी चूचियों को दबा दबा के पिए जा रहे थे। इधर बुर में धनाधन लण्ड का निर्बाध आवागमन हो रहा था।
मैंने अपनी टांगें हवा में उठा ली जिससे सुहेल का लण्ड और अंदर तक घुस कर मेरी बुर को फाड़ डाले।
सुहेल मारे मज़े में बड़बड़ाना शुरू कर दिया " हाय हाय तेरी बुर, साली , मस्त मस्त बुर तेरी, उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या बुर है, कितना पानी है तेरी बुर में, छपाछप तेरी बुर, लसालस तेरी बुर, मस्त मस्त बुर, साली रंडी छिनार , तेरे यार ने मेरा माल चोदा , मैं तेरी बुर का भोसड़ा बनाऊंगा , तुझे कुत्तों से चुदवाऊँगा , साली रंडी, तुझे रांड बाजार में बिठवा दूंगा, रोज़्ज़ ४० लण्ड से चुदवाना, तेरा भड़वा बनकर तेरी कमाई खाऊंगा , बोल रंडी बनेगी ना मेरी, छिनार, बोल साली , कुतिया , नहीं तो पेल पेल के गांड तक लण्ड घुसा दूंगा "
" हाँ चोद ले साले, भड़वे, चोद , पेल ले मुझे, फाड़ ले मेरी बुर, ले ले मज़ा ज़िंदगी का, असली मज़ा यही चुदाई का पेलाई का, और कुछ नहीं, डालते रह , पेलते रह,पेलवा जिससे पेलवाना है,, बना ले मुझे रंडी, बिठा दे रंडीखाने में, अब तो मैं २-२ लण्ड से चुद गयी, अब क्या शर्म , मेरी गांड में भी घुसा, मेरे मुंह में भी घुसा, जहां चाहे पेलवा, जिससे चाहे पेलवा, कुत्ते से पेलवा , गधे से पेलवा, खूब पेलवा पेलवा के फाड़ दे मेरी बुर, खोल ले रंडीखाना, तेरी माँ को भी बिठा ले, तेरी बहन को भी बिठा ले, इसरंडी सबीहा को भी बिठा ले, सब मिल कर पेलवाएंगे,भड़वे ,इस भड़वे तिवारी माधरचोद को भी बिठा ले, तू भी गांड मरवाना, इसकी भी गांड मरवाना , खूब कमाई करना, पेल पेल, हां हां ऐसे ही, पेल ,आए आआआआआअ आआआआअ मै आआआआअ ग
गईइइइइइइइइइइइइइइइइइइइई , भर दे अपना मदनरस, भर दे अपना गंदा पानी मेरी बुर में , सुवर , भर दे तेरा गटर का नाली का पानी मेरी मेँ ,भर के पिल्ला पैदा करवा दे मेरी बुर से अपने जैसा जो अपनी माँ बह��� चोदे और चुदवाये सबसे ,,,,,,आआआआह्ह्ह्ह्ह लेेेे, मैं तो गईइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ "
छल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल से जैसे मूत निकलता है ,ऐसे ही मेरी बुर से सारा रज भर भर के निकलने लगा।
इधर सुहेल भी " आह अहा हा आआआआआ , ले ले ले ले , आआआआ रंडीईईईईईईईईईईईईईई , खल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स "
कह��र अपना नाली का गन्दा पानी छम्म छम्म करके मेरी बुर में सीधे बच्चेदानी तक भर के मुझपर धम्म से गिर गया।
उसके गिरने की वजह से विजय सर को मेरी चूची छोड़नी पड़ी और अब सबीहा उनके खड़े हो चुके प्रचंड कामदंड को ज़ोर ज़ोर से पिने लगि.
उनके हावभाव से वो भी पल दो पल के मेहमान थे , बिना किसी पूर्वसूचना के उनका भी मानसून खुल गया
और सबीहा के सर को दबा कर सब कुछ उसके गले में उतार दिया। सबीहा गों गों करते हुए पूरा पानी पी गयी।
ये है चुदाई का जलवा,
मेरी बुर से मेरा रज और सुहेल का गाढ़ा वीर्य मिश्रित होकर जाँघों पर बहने लगा और सबीहा के मुंह से विजय सर का वीर्य चुने लगा।
गाजर शक्कर मेवा मिसरी का हलवा।
जो खाए वो बौराये,
जो ना खाए वो बौराये।
इति समूह चोदन , अध्याय १
इस घनघोर चुदाई यज्ञ के समापन उपरान्त मात्र श्वासों के चलने की और धड़कनों की आवाज़ शान्ति भंग कर रही थीं। चार जोड़ी आँखें संतुष्टि में बंद थीं। धीरे धीर दुनिया का होश आया और सब एक एक कर उठ कर वस्त्र धारण करने लगे। आखिर में कुछ बाते हुईं जिसमे ये तय हुआ कि यद्यपि शादी तो हमें करनी ही है और इस तरह का विश्वास से लबालब चुदाई समागम परस्पर प्रेम में बढ़ोतरी ही करेगा। विद्वान विजय सर ने इसे पश्चिम में वाइफ स्वेपिंग के रूप में प्रचलित परम्परा के नाम से अलंकृत किया। मैंने इस नाम का विरोध किया चूँकि अभी आधिकारिक रूप से विवाह नहीं हुआ था तो इसे कपल स्वेपिंग का नाम दिया जाए, जिसे सर्वसम्मति से ध्वनिमत द्वारा पारित कर लिया गया।
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choot-lund · 6 years ago
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" रूपा बैठो घबराओ नहीं ।"
"अब आपको अरुण घर जाना चाहिये । कृपया समझें कि हम पड़ोसियों हैं और हम जो भी सोच रहे हैं वह हम नहीं कर सकते "
रूपा उसकी दृढ़ता से चौंकी और सोफे पर अपने पैरों को एक साथ चिपका कर बैट गयी साथ ही हाथों ��े अपने स्तन की रक्षा के लिये लपेट ली। अरुण उसके करीब चले गए और उसके बालों केो अपने हाथ से सेहराने लगा ।  
"आप वास्तव में बहुत सेक्सी हैं। आ���ित्य भाग्यशाली है कि आपके जैसी बीवी मिली जिससे रोज प्यार कर सके। मुझे नहीं पता कि वह आपको बेडरूम मैं किस तरह से प्यार करता होगा ।"
"रूपा मैं समझ सकता हूं कि आज आपको एक आदमी के प्यार की ज़रूरत है। मैं आपकी महिला सुगंध को भांप सकता हूं और कह सकता हूं कि आप भी मुझे आज रात रहना चाहते हैं। "
यह कहते हुए अरुण ने रूपा के होंठों को चूमने के लिए आगे बढ़े । रूपा ने उसके चेहरे का अध्ययन किया क्योंकि उसका चेहरा अब एकदम सामने था। वहएक बुरे दिखने वाले आदमी नहीं थे। आदित्य की तुलना में वह निश्चित रूप से एक माचो आदमी से अधिक था । उनकी लंबी मुद्रा के कारण, रूपा को हमेशा आंखों उठा कर बात करनी पड़ती थी। वह झुका और उसे जुनून से चुंबन शुरू कर दिया। उसने अपना मुंह खोला और अपनी जीभ को उसके होंठों के बीच मजबूर कर दिया । रूपा अब अरुण के मुंह का स्वाद ले सकती थी।
अरुण नहीं जानता था कि वह कितने समय तक चूमा, लेकिन वास्तविकता के लिए रूपा ने उसे वापस बोला जब वह उसकी बाहों से अधिक उसके  नाइटगॉउन को नीचे उतार रहा था। उसके स्तन को उजागर करने की कोशिश कर रहा था। रूपा उससे दूर होगयी और अपने नाइटगॉउन को वापिस ऊपर खींच लिया। वह रूपा की तरफ गया और उसे फिर से चुंबन देना शुरू कर दिया। वह उसके स्तनों के साथ प्यार करने लगा था, लेकिन जब रूपा ने उसे रोकने की कोशिश की तब उसने अपनी समझ से मुक्त होकर खड़ा होगया।
" अरुण, मुझे सच में लगता है कि अब आपको जाना चाहिए।"
वह रूपा के पास गया, और उसके चारों ओर अपनी बाहों को लपेट लिया। उसकी नाइटगॉउन के माध्यम से उसे नीचे पथपाकर शुरू कर दिया। उसने मुझे फिर से चुंबन शुरू किया और एक महानचुंबक होने लगा, वह काम किया जा रहा था। वह अपने मुंह में चिल्लाती थी क्योंकि उसका हाथ उसके पैंटी में चला गया था , लेकिन उसने अपना सिर तंग रखा और उसे चुंबन दिया। रूपा दूरजाने के लिए कोशिश की और उसे धकेल दिया, और बहुत धीरे से उसके योनि के हुड मालिश शुरू कर दिया । वह उस समय अपने प्रतिरोध को लुप्तप्राय महसूस कर सकती थी जब उसकी उंगलियों ने फिर से निर्माण के लिए उसे पकड़ लिया। रूपा ने खुद पर अपना नियंत्रण खोना शुरू कर दिया था और उसकी इच्छा उसके ऊपर प्रभावी हो गई थी। एस वक्त अनिच्छुक रूपा अरुण के साथ लड़ना छोड़ दिया और अपनी जीत को महसूस करते हुए उन्होंने दबाव और ��ति को बढ़ाने शुरू कर दिया जो वह आवेदन कर रहा था।
"तुम बहुत हॉट और सुन्दर हो !" उसने रूपा के कान में फुसफुसाया । 
अरुण एकदम व्यग्र था, लेकिन रूपा को अरुण बहुत खुशी प्रदान कर रहा था। वह एक संभोग के कगार पर थी क्योंकि वह उसके साथ क्रूरता से खिलवाड़ कर रहा था। रूपा को ओर्गास्म आने ही वाला था की अरुण रुक गया और रूपा की उत्तेजना को चरम सीमा तक ले आया। वह एक पल के लिए पीछे वापस कदम रखा और रूपा के मुँह से हलकी चीख निकल गयी। वह अरुण की उंगलियों की उत्तेजना खोना नहीं चाहती थी। उसने अपनी इच्छा से आत्मसमर्पण कर दिया था। अरुण ने रूपा की नाइटगॉउन को उसके सिर पर खींच लिया।वह उसे अश्लीलतापूर्वक घूरने लगा और रूपा की नाइटगॉउन अब उसके नंगे पैरों के पास फर्श पर पड़ा था।
"अपनी चड्डि उतारो।"
" अरुण, कृपया। मैं यह नहीं कर सकती।" रूपा ने फुसफुसाए।
" रूपा, मुझे तुम्हारी चड्डी उतरने पर ज़बरदस्ती मत करवाओ।" अरुण ने एक कम, खतरनाक स्वर में कहा। रूपा के सिर को एक तरफ से हिलाकर रख दिया।
चूंकि रूपा एक घंटे पहले एक आदमी के स्पर्श के लिए बेताब थी, वह उसे अपनी सहमति दे दी और उसने अपनी सफेद सूती चड्डी को फर्श पर उतर कर उनमें से बाहर निकल गयी।
" ओह रूप, तुम एक खूबसूरत महिला हो ! उन बेहतरीन स्तनों मैं इतनी खूबसूरत औरत मैने आज तक नहीं देखा। "
उसके शब्दों को सुनकर रूपा को थोड़ा सा अचम्भा हुआ। लेकिन सच्चाई सुनकर रूपा ने उसके तारीफ का आनंद लिया। वह हमेशा अपने स्तनों पर बहुत गर्व करती रही है। वे किशोरावस्था के समय चिंतित थी कि छोटे स्तन से संपन्न महिलाओं उसके बारे में बहुत जलन हो रही होंगी। फिर भी, रूपा को शर्म आरही थी की वोह अब पूरी तरह से नग्न अरुण के सामने खड़ी थी और अरुण अभी भी पूरे कपड़ों मैं था। 
वह उसके करीब आगया और उसे फिर से प्रसन्न करना शुरू कर दिया । रूपा ने हलकी सी चीख दी और अरुण उसके एक स्तन पकड़ लिया और उसे अपने मुंह में
ले लिया। वह कड़ी मेहनत कर रहा था क्योंकि वह बलपूर्वक संवेदनशील निप्पल को झीभ से सेहला रहा था। यही कारण था कि रूपा की नसों से बिजली की एक लहर गुजर गयी जोकि सीधी उसकी योनि मैं उत्तेजना बना दी और उसे ओर्गास्म के किनारे पर धक्का दे दिया । जब वह एक तीव्र पर्वतारोहण पर पहुंची तो उसके घुटने जवाब दे दिये। रूपा को समझ में नहीं आया, जब अरुण ने उसे दीवार के खिलाफ दबाकर उसे पकड़ लिया । अब वह चरम सीमा पर चढ़ गई थी तो उसके ऊपर आनंद की लहर की बाढ़ बहने लगी । अरुण ने रूपा क�� निप्पल को एक पल के लिए लंबे समय तक चूस लिया और ठीक उसी समय जब रूपा इसका आनंद ले रही थी अरुण ने सामने के दांतों से निप्पल को हल्का सा काट लिया। वह इतनी कमजोर थी कि वह मुश्किल से दर्द से फुसफुसा सकती थी। उसने धीरे-धीरे उसे घुटनों तक कम कर दिया और एक पल के बाद , उसने अपनी आँखें खोली ताकि वह पूरी तरह से खड़ा लिंग अपने चेहरे पर रगड़ते उसके गाल को छू सके । वहएक हाथ से उसकी ठोड़ी उठाया और घुंघराले, बालों पर हाथ फेरने लगा। 
" रूपा तुम इतनी खूबसूरत महिला हो ।"  
एक त्वरित गति में उसने रूपा के बालों को ऊपर की तरफ खींच दिया और दूसरी तरफ उसके ठोड़ी को दबा दिया। रूपा को इससे पहले पता चलता कि क्या हुआ अरुण का लिंग उसके मुंह मैं था।
रूपा ने इससे पहले कभी किसी पुरुष का लिंग मुँह मैं नहीं लिया था। आदित्य को यह इतना पसंद नहीं था। रूप और आदित्य लगभग हर महीने प्यार करते थे और यह एक-दूसरे के लिए गहरे और अविनाशी प्यार की शारीरिक पुष्टि थी। वे एक बहुत सेरेब्रल रिश्ते के साथ आत्मा साथी हैं।आदित्य के पास रसायन विज्ञान में पीएचडी है और उसके पास गणित में परास्नातक हैं। वे नरक हो सकते हैं, लेकिन बहुत खुश और प्यार करने वाले नरक हैं।  
रूपा अरुण के तेजी से प्रभावशाली व्यवहार से अचंभित हो गयी थी ।
" मुझे आनंद दो मेरी भव्य पड़ोसी !"
रूपा कुछ घंटे पहले अपनी वासना मैं मगन थी। उसे एक पुरुष के प्यार की इंतजार थी। अरुण ने जब दरवाजा खटखटाया था तब वोह वासना मैं उसपर टूट जाती। पर रूपा अपनी संतुलन खोना नहीं चाहती थी। परन्तु अब अरुण की जबरदस्ती रूपा को अच्छी लगने लगी थी। उत्तेजना मैं अरुण का लिंग की शाफ्ट को पकड़ा लिया और उसे मुंह में रख दिया। वह यह पसंद करना शुरू कर रही थी कि वह उसे अपने हमले में भाग लेने के लिए मजबूर क��� रही थी । वह उम्मीद कर रही थी कि उसके वासना पूरा होते ही अरुण निकल जाएगा।
"ओह, यह एक अच्छी महिला है । आपके पास कुछ प्रतिभा है रूपा। अरे हाँ, यह अच्छा लग रहा है। " 
अरुण ने एक शांत, निविदा, लगभग प्यार स्वर में कहा
और वह धीरे-धीरे रूपा के बालों मैं अपने हाथ घूमने लगा ।
यह उसे शांत कर रहा था । वह सोफे पर बैठ गया। अब उसका विशाल डिक पूर्ण तरह से खड़ा था और सीधे चाट की ओर खड़ा था। अरुण ने रूपा को पैरों पर खींचा और उसके कमर पर हाथ रखा।
"कृपया ... मुझे प्यार करो।" रूपा विनम्रता से कहा । उसने अपनी शर्ट खोला और उसे नीचे पैर पर बिठा दिया। वह तुरंत उसके बगल में सोफे से नीचे बैठ गयी और उंगलियों से उसके विशाल शाफ्ट को स्ट्रोक देने लगी। अरुण थोड़ी देर के लिए एक पालतू बिल्ली की तरह मुस्कुराता रहा ! रूपा अपने दूसरे हाथ से उसकी विशाल गेंदों को पु��कारने लगी। वह पूरी तरह से नियंत्रण शुरू कर रही थी । उसके स्तन उसके सामने दो विशाल पानी की बूंदों की तरह लटक रहे थे । अरुण ने   धीरे उसके निपल्स से कहना शुरू किया जबकि रूपा उसके लिंग का आनंद ले रही थी । अब अरुण की बारी थी की वह अब रूपा इसी तरह से सम्भोग का आनंद दे। रूपा इस सम्भोग के लिये शाम से बेचैन थी।
अरुण ने पीछे से रूपा की योनि पाने की कोशिश की । वह अपनी योनि कोह थोड़ा घुमा दी ताकि अरुण उसे बेहतर पहुंच सकें। वह उसके योनि मैं ऊँगली दाल कर तेजी से हिलने लगा जबकि रूपा उसका लिंग को हिला रही थी। अरुण की उंगली उसकी गीली छेद में गायब हो गयी। रूपा के खुले मुंह और रॉकिंग कूल्हों को देखकर , यह स्पष्ट था कि वह बहोत आनंद मैं थी!
फिर उसने उसे थोड़ा पीछे कर दिया। वह बाहर कदम रखा और रूपा को नीचे कालीन पर लेटा  दिया। उसने रूपा को पीठ पर सुला दिया और 69 पदों में उसके ऊपर लेट गएा - उसका सिर उसके नग्न क्रॉच पर और रूपा के चेहरे पर लटका हुआ उसका विशाल ध्रुव। वह अपने पैरों को संपादित करता है और रूपा के योनि को झीभ से प्यार करना शुरू करता है। रूपा निरंतर कराह रही थी जिससे यह स्पष्ट था कि वह इसका आनंद ले रही थी। उसकी आँखें बंद होगयी और प्यार के रूप में वह अपनी जीभ नीचे से ऊपर तक उसकी योनी पर रोल कर रही थी। रूपा ने देखा की उसके चेहरे पर अरुण का विशाल लिंग मँडरा रहा है और सहज करीब लिंग के सिर को अपने मुँह मैं दाल लिया । अरुण भी काफी उत्तेजित हुआ और रूपा की योनि को और तेजी के साथ झीब से चाटने लगा। रूपा और अरुण दोनों और सम्भोग करने के चरम सीमा पर थे।  
रूपा के हाथ अरुण के नग्न नितंबों के आसपास जकड लिया और उसके कूल्हों तेजी से हिलने लगे, जो एक स्पष्ट संकेत है कि यह संभोग सुख है और रूपा को एक जोरदार ओर्गास्म आगया है। तब वह अपने शरीर के साथ अनियंत्रित रूप से हिलने लगी और एक शक्तिशाली संभोग में विस्फोट किया। अरुण ने  रूपा को  अपनी बाहों में पकड़ लिया और  उसे थोड़ा संभलने का मौका दिया।
धीरे धीरे वह रूपा के पैरों के बीच अपने पैरों के साथ उसके ऊपर सो गया । उन्होंने अपनी कमर आगे झुकाई और लिंग को योनि पर रख कर पुश करना शुरू किया।
"नहीं! रुको! मुझमें मत करो! मैं तुम्हें किसी ओर तरीके से प्यार कर देती हूँ!", रूपा ने वकालत किया।
परंतु अरुण के पास अन्य विचार था। वह उसके गीले योनि मैं घुसने की कोशिश करने लगा। जबकि रूपा उसे ऐसा करने से रोकने के प्रयास में पागल की तरह कोशिश कर रही थी ।
"कृपया मत करो! हम ऐसा नहीं कर सकते! आदित्य के बारे में सोचो ...... ? मैं उसके गैर मौजूदगी मैं ऐसा नहीं करना चाहती हूँ ..." 
परंतु अरुण एक मिशन पर था ! उन्होंने उसके घुटनों को उठाया और लिंग को योनि मे डाल  दिया। उसके डिक के सिर ने उसकी योनि का उद्घाटन किया और अंदर घुस गया । वह उसकी योनी ��े नरम गीला सिलवटों में अपने कूल्हों और अपने विशाल शाफ्ट ग्लाइड कर दिया। अरुण ने अपना लिंग उसकी योनी में विस्तारपूर्वक दफन कर दिया। रूपा ने अब संघर्ष करना बंद कर दिया । उसके सभी प्रतिरोध सूर्य के पहले धुंध की तरह गायब हो गए थे । वह अपना घुटना उठा ली और उसकी कमर के चारों ओर जकड लिया, उसके पीठ के आसपास अपनी  बाहों को डाल दिया। उसके होंठ अरुण के होंठों कोह ढूंढ रहे थे और मिलते ही उसे पूरे तेजी से चुम्बन करने लगे।
फिर वह रूपा से सम्भोग करन शुरू कर देता है। अरुण गहराई तक उसके अंदर अपने विशाल डिक खोदा दिया और फिर उसकी गीला योनी से लिंग बहार निकला गीला और लाउंज के प्रकाश में चमकदार। रूपा के कूल्हों के साथ ताल मेल में रॉक करना शुरू कर दिया। रूपा के नाखून उसकी पीठ के मांस में काट ने लगे। अरुण उसे पूरी भावना  से सम्भोग करने लगा और रूपा बेसब्री से उसके हर जोर से अपनी लय मिला रही थी। अचानक अरुण ने उससे सम्भोग करना बंद किया और उसे बिस्टेर पर रोल कर दिया। रूपा ने उसे एक हैरान, लगभग निराश नज़र दे दी। 
अरुण ने रूपा को अपने  घुटने और हाथ पर खड़ा कर दिया । वह तुरंत इस स्थिति में रूपा के पीछे जाकर लव-चैनल में अपने विशाल डिक को दाल दिया। रूपा उत्तेजना और आनंद के चरम सीमा पर पहोच गयी। वह पूरी तरह पल की उसकी खुशी में घिर गयी थी। अरुण खुद आगे झुका और उसके एक हाथ उसके पैरों के बीच योनि को सेहराने लगा जबकि दूसरा हाथ लहराते स्तन के साथ पुचकारने लगा। अरुण पीछे से अपनी हार्ड लिंग और गेंदों के हर स्ट्रोक के साथ उसके क्लीट के खिलाफ थप्पड़ मारने लगा। रूपा एक और पृथ्वी-टूटने संभोग के कगार पर थी। वह फिर से हिरन की तरह कराहना चालू की औरकालीन पर पतन, उसके शरीर अपने दूसरे संभोग के ओर्गास्म मैं सिहरने लगा।
वह फर्श पर ढेर होगयी, जबकि अरुण उठकर सोफे पर जा बैठा। रूपा ने उसे देखा और एक शब्द भी नहीं कहा। 
फिर वह उठकर उसके पास चली गयी। वह पैर फैलाकर  गोद में जा बैठी और अपनी गीली योनी में अरुण का विशाल लिंग स्लाइड कर ली जब तक उनकी गेंदों रूपा के नितम्ब के खिलाफ दब ने नहीं लगे। फिर उसने उसे सवारी करने शुरू किया! यह दृश्य कि एक विशाल लिंग कैसे सुंदर रूपा की योनी से बाहर निकलता है काफी आश्चर्य जनक था। किन्तु रूपा नियंत्रण में थी और इसके हर पल को प्यार कर रही थी!
फिर यह अरुण के लिए बहुत अधिक हो गया । उन्होंने रूपा के हड़पने कूल्हों को पकड़ा और उसकी योनी मैं जोर से स्ट्रोक लगाना शुरू कर दिया। उसके कूल्हों तालबद्ध रूपा के ताल से मिल गया और लिंग ने गरम सफ़ेद सह की धारा पूरी तरह से उसके योनि के अंदर ��ाली कर दी।
रूपा थक कर अरुण के कंधे पर सिर रखी। उसका नरम डिक अभी भी उसकी योनि में दफन था । तब उसने अपने नितम्ब को ऊपर उठाया और उसके मुलायम, गीले डिक को उसके बाहर निकल दिया। दोनों ने उठकर अपने कपड़े पहने। रूपा भी कपड़े पहनकर अरुण को दरवाजे तक छोड़ने गयी। अरुण शांत घर से बहार निकल गया और पलट कर देखा नहीं।
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choot-lund · 6 years ago
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