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🎻कीर्तन क्या हैं? ll गुरु गृह सेवाधाम ll नवधा भक्ति क्या है ? सामान्य रूप से देखा जाए तो कीर्तन दो शब्दों से मिल कर बना हैं । कीर्ति + तन = कीर्तनइसका अर्थ ये हुआ के जब तक आप कीर्ति और तन के लिए गाओगे तब तक गायन तो हो सकता हैं लेकिन कीर्तन नहीं हो सकता ।
कीर्तन क्या हैं और कब करना चाहिए ?
गायन करने और कीर्तन करने में फर्क है।
गायन तो कोई भी व्यक्ति कर सकता हैं । जिसे स्वर का थोड़ा बहुत ज्ञान हो । या ना भी हो , तो भी वह गा तो सकता ही हैं चाहे स्वर में ताल में गाए या ना गाए ।
लेकिन कीर्तन , कोई गायन नहीं हैं जो व्यक्ति अपने तन की सुध भूल जाए, जिसे मान अपमान का , संसार का भान ना रहें सम्पूर्ण जगत में केवल और केवल अपने आराध्य का ही दर्शन हो, असल में वही व्यक्ति कीर्तन कर सकता हैं और वही कीर्तन के योग्य भी हैं ।
मीरा कीर्तन कर रही थी एक गायक वहा से निकाला तो एक बड़े से बोड पर लिख दिया मीरा राग में गाओ । किसी ने मीरा जी से कहा कि एक गायक ने बोड पर लिखा हैं राग में गाओ मीरा तुरंत उठी और राग के आगे अनु लगा दिया और बोली राग में गाओ या ना गाओ अनुराग में गाओ । क्यूँकि कीर्तन राग में गाने से नही अनुराग में गाने से होता हैं । जब अनुराग आ जाएगा तो राग तो स्वयं उसकी सेवा के लिए प्रगट हो ही जाएगा ।
मीरा गाती थी- लोग कहे मीरा भयी बाँवरी सास कहे कुल नाशी रे। इस पद पर मीरा कीर्ति से ऊपर उठ गयी और
राणा भेज्यो विष को प्यालो पीवत मीरा हाँसी रे ।। इस लाइन में मीरा तन से ऊपर उठ गयी इसलिए जब मीरा बोलती थी तब गिरधर नाचता था।
गायक जगत को नचाते हैं । लेकिन जो कीर्तन करता हैं वह जगन्नाथ को नचाता हैं।
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नवधा भक्ति क्या है ?
https://www.youtube.com/watch?v=yrCnhDgCgas
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