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विषय-- इम्तिहान यह जिन्दगी हमारा इम्तहान लेती है। न वजूद है हमारा, न पहचान देती है। यह जिन्दगी---- बाबुल के अंगना में पली थी। मैया कहे तूँ पराये घर की। पी के घर मेरी हुई बिदाई। सास कहे तूँ पराई जाई। कहाँ छुपी है पहचान हमारी। कभीपिता और कभी पतिका, नाम देती है। यह जिन्दगी हमारा, इम्तहान लेती है। यह--- बड़ी मुश्किल बुढ़ापा आया। इसने भी अपना रंग दिखाया। जिस को पति कहता अपना। अब घर बेटे का कहलाया। नारी कहलाती त्याग की देवी, गुमनाम होती है। यह जिन्दगी हमारा , इम्तहान लेती है। यह--- इन्दू शर्मा शचि तिनसुकिया असम
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मनहरन घनाक्षरी 8 ,8,8,7 देश हमारा प्यारा है। सारे जग से न्यारा है। चन्दा ज्यूँ उजियारा है। ध्वज लहराइये। खेत है खलिहान है। गंगा पावन धाम है। हिमालय महान है। शीश तो झुकाइये। हिन्दी अपनी जान है। राष्ट्र की पहचान है। वीरो की यह खान है। यह न भुलाइये। वीरो की ललकार है। तेज इसकी धार है। दुश्मन पे खूंखार है। शस्त्र तो उठाइये। इन्दू शर्मा शचि तिनसुकिया असम
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विषय--राष्ट्र भाषा ✍🇧🇴🇧🇴 राष्ट्र भाषा तो हमारी, मान है स्वभिमान है। राष्ट्र भाषा में बसे, अब तो हमारे प्राण है। साज भी श्रृंगार भी है, सुर है फनकार भी है। ये धरोहर है हमारी, पुर्ण ये अधिकार भी है। रोम रोम में बस गयी, बन बाँसुरी की तान है। राष्ट्र भाषा में बसे, अब तो हमारे प्राण है। ये हमारी आस है। ये हमारी साँस है। हम परिंदे है मगर , ये पंख है परवाज है। राष्ट भाषा है हमारी, जानता ये जहान है। राष्ट्र भाषा में बसे, अब तो हमारे प्राण है। भारत का हिन्दी ताजहो। सब के दिलों पर राजहो। भाषा न कोई और हो। बस हिन्दी चारो ओर हो। राष्ट्र की भाषा है हिन्दी। ये राष्ट्र की पहचान है। राष्ट्र भाषा में बसे। अब तो हमारे प्राण है। रामायण में राष्ट्र भाषा। कृष्ण गीता राष्ट्र भाषा। कबीर वाणी राष्ट्र भाषा। मनु का ज्ञान राष्ट्र भाषा। राष्ट्र भाषा हमको प्यारी। यह राष्ट काअभिमान है। राष्ट्र भाषा में बसे। अब तो हमारे प्राण है। इन्दू शर्मा शचि तिनसुकिया असम🇧🇴🇧🇴🇧🇴
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विधा मनहरण घनाक्षरी🌹🌹🌹 8,8,8,7 । मेरा भारत । भारत तो महान है। सर्व गुणों की खान है। उज्वल गीता ज्ञान है। सबको बताइये। देश अपनी जान है। सत्य की पहचान है। लाखों दिल कुर्बान है। यह समझाइये। अतिथी का सम्मान है। राष्ट्र का प्यारा गान है। गंगा देश की शान है। इसे न भुलाइये। रंगीला राजस्थान है। यूपी विद्या की खान है। काशी बहता ज्ञान है। गोते तो लगाइये। इन्दू शर्मा तिनसुकिया असम
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सुप्रभात 🌺🌸🌼🍀🌺🌸🍀🌺जय श्री कृष्ण🙏🏻🌺🍀 कृष्ण मुरारी हे गिरवर धारी सुनो तो जरा छवि तुम्हारी लगती बड़ी प्यारी छुपे हो कहाँ अधरो पर मुरली साजत है लगती प्यारी पिताम्बर मो मन को मोहत है बाँके बिहारी कौन सुनेगा तुम बिन मोहन मोरी बतियाँ सावन जैसे निसदिन बरसे मोरी अखियाँ देदो दरश अब मत तर्साओ राष बिहारी शरण पड़ी इन्दू शचि केवल नाथ तिवारी इन्दू शर्मा शचि तिनसुकिया असम
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विषय-- देश प्रेम देश के लिये जिये, देश के लिये मरें। देश मेरी आन है, देश मेरी जान है। देश के लिये सदा, दुश्मनो से हम लड़े। देश के--- देश की धरा में है, खुशबू उस रक्त की। सुना रही सहीदों की, कहानी उस वक्तकी। फाँसी पर लटकगये, जरा भी वो ना डरे। देश के--- देश मेरा राम और, देश ही तो श्याम है। देश गुरू ग्रन्थ और, देश ही कूरान है। है देश की महानता, जाती धर्म से परे। देश के--- सबका खून हो सना, राष्ट्र हित के प्रेम से। देश हो सजग मेरा, दुश्मनों के खेल से। भारत सदा रहे जवाँ, रंग अब इस में भरें। देश के--- इन्दू शर्मा तिनसुकिया आसाम
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सुप्रभात🌸🍀🌺🌼🌺🍀🌸🍀जय श्री कृष्णा🙏🏻 🌺 🌺🍀🌸🌼🌸🍀🍀🌺 मुखड़े पर मुस्कान मोहिनी, अधर विराजत मुरली प्यारी। बाकि चितवन गिरवर धारी, वो तो है मेरो कृष्ण मुरारी। पीला मन मोहन का पटका, केसरिया राधा की साड़ी। केसर तिलक ललाट चमके। मोर मुकुट की शोभा न्यारी। घुंघराली लट जब लहराये, लागत मोहन की छवि प्यारी। हृदय सिंहासन श्याम विराजे, सुरता मन की करे रखवारी। माखन मिसरी भोग लगत है। काँधे काली कामरिया डारी। श्याम सुरतिया नैन निहारू। इन्दू शुध बुध श्याम बिसारी। इन्दू शर्मा शचि तिनसुकिया असम।
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सुप्रभात🌹🌹🌹 जयश्रीकृष्ण🙏🏻 भोर भई अब जागो मुरारी, द्वार खड़ी है सखियाँ सारी। मुख देखन को तरस रही है, मात यसोदा कहत दुलारी। भोर भई-- चिड़िया देखो चहकन लागी, बेला चमेली महकन लागी। ग्वाल बाल सब कब से ठाड़े, आखियाँ खोलो कृष्णमुरारी। भोर भई--- माखन मिसरी का दौना लाई, चखलो ऊठ हे कृष्ण कन्हाई। गइया तुम्हरी राँभन लागी, उठजा बोलत यसुमती माई भोर भई--- जयश्रीकृष्ण🙏🏻 इन्दू शर्मा तिनसुकिया असम🌹🌹🌹
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सुप्रभात🌹🌹🌹 जयश्रीकृष्ण🙏🏻 भोर भई अब जागो मुरारी, द्वार खड़ी है सखियाँ सारी। मुख देखन को तरस रही है, मात यसोदा कहत दुलारी। भोर भई-- चिड़िया देखो चहकन लागी, बेला चमेली महकन लागी। ग्वाल बाल सब कब से ठाड़े, आखियाँ खोलो कृष्णमुरारी। भोर भई--- माखन मिसरी का दौना लाई, चखलो ऊठ हे कृष्ण कन्हाई। गइया तुम्हरी राँभन लागी, उठजा बोलत यसुमती माई भोर भई--- जयश्रीकृष्ण🙏🏻 इन्दू शर्मा तिनसुकिया असम🌹🌹🌹
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सुप्रभात🌺🌸🍀🌸🌺🌼 🍀🌼🍀जय श्री कृष्ण🙏🏻🌺🌸🌼🍀🌺🍀🌸🌼🌸🍀🌺🌸 सुबह हो या हो शाँम। रसना पे तेरा नाम। सँवरे सलोने मेरी। बिगड़ी बनाइये। साँवरी सूरत प्यारी। मोहना बाँके बिहारी। द्वार पर खड़ी कान्हा। दरश दिखाइये। चरण पखाँरू श्याम। बिगड़े बनादे काम। नयन निहारे आके। धीर तो बंधाइये। आइ कान्हा द्वार तेरे। पाप ताप हरो मेरे। भव सागर से अब। पार तो लगाइये। इन्दू शर्मा तिनसुकिया असम जय श्री कृष्ण 🙏🏻🌺🍀🌸🌺
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विषय-ईद आओ हम सब ईद मनायें। प्रेम प्यार के फूल खिलायें। गिले सिकवे दिल से मिटा, एक दूजे को गले लगायें। एक पिता की हम संतानें। जहर किसी ने भरा लड़ाने। भाई को भाई से लड़ा कर, चला आशियाँ आज बसाने। आओ मिल कर प्यार बढ़ायें। भाई को भाई गले लगायें। हिंदू मुश्लिम भेद मिटा कर। ईद का हम त्योंहार मनायें। एक चाँद हमें रोशन करता। एक सूरज ओज से भरता। एक ही धरती अन्न खिलाती। एक सागर ही प्यास बुझाता। किसी ने नही भेद किया जब। क्यूँ हम भेद सें जोड़ें नाता। एक है मालिक नाम अलग है। कृष्ण खुदा में एक झलक है। चीर के देखो रक्त एक है। एक है सासेँ लब्ज एक है। दर्द एक और जख्म एक हैं। जलना दफनाना अंत एक है। घृणा द्वेश की दिवार गिरायें। प्रेम का सबको पाठ पढ़ायें। एकता की डोर में बंध कर। आओ अब हम ईद मनायें। इन्दू शर्मा शचि तिनसुकिया असम
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विषय - प्रतिज्ञा मातृभुमि के संग गद्दारी, कभी नही करेंगे, हम प्रतिज्ञा करते हैं। झूठ कपट के संग में यारी, कभी नही करेंगे, हम प्रतिज्ञा करते हैं। नेता जितने हैं भ्रष्टाचारी, उनको दूर करेंगे, हम प्रतिज्ञा करते हैं। फैली दहेज प्रथा बिमारी, उसको दूर करेंगे, हम प्रतिज्ञा करते हैं। अत्याचार सहे न अब नारी, ये संविधान करेंगे, हम प्रतिज्ञा करते हैं। क्यूँ माता पिता सहे लाचारी, वृद्धाश्रम बंद करेंगे, हम प्रतिज्ञा करते है। इन्दू शर्मा तिनसुकिया असम
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विषय - प्रतिज्ञा मातृभुमि के संग गद्दारी, कभी नही करेंगे, हम प्रतिज्ञा करते हैं। झूठ कपट के संग में यारी, कभी नही करेंगे, हम प्रतिज्ञा करते हैं। नेता जितने हैं भ्रष्टाचारी, उनको दूर करेंगे, हम प्रतिज्ञा करते हैं। फैली दहेज प्रथा बिमारी, उसको दूर करेंगे, हम प्रतिज्ञा करते हैं। अत्याचार सहे न अब नारी, ये संविधान करेंगे, हम प्रतिज्ञा करते हैं। क्यूँ माता पिता सहे लाचारी, वृद्धाश्रम बंद करेंगे, हम प्रतिज्ञा करते है। इन्दू शर्मा तिनसुकिया असम
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विषय-- देश प्रेम देश के लिये जिये, देश के लिये मरें। देश मेरी आन है, देश मेरी जान है। देश के लिये सदा, दुश्मनो से हम लड़े। देश के--- देश की धरा में है, खुशबू उस रक्त की। सुना रही सहीदों की, कहानी उस वक्तकी। फाँसी पर लटकगये, जरा भी वो ना डरे। देश के--- देश मेरा राम और, देश ही तो श्याम है। देश गुरू ग्रन्थ और, देश ही कूरान है। है देश की महानता, जाती धर्म से परे। देश के--- सबका खून हो सना, राष्ट्र हित के प्रेम से। देश हो सजग मेरा, दुश्मनों के खेल से। भारत सदा रहे जवाँ, रंग अब इस में भरें। देश के--- इन्दू शर्मा तिनसुकिया आसाम
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🌸🌺🍀🌼🌸🌺🍀🌼🌸🌺🍀सुप्रभात🌺🌸🌼🍀🌺 🌸जय श्री कृष्ण 🙏🏻 🌺🍀🌼 जब भी संकट घेरे मुझको, मेरा कान्हा याद आये। दुख सारे हो जाय छूमंतर, कवच कन्हैया बन जाये। जब भी--- जब -जब ठोकर खाई मैने, मन मोहन ने थाम लिया। सर पर हाथ धरा कान्हा ने, मुझे प्रेम पास में बाँध लिया। याद करूँ उपकार श्याम के, अखिँया मेरी भर आये। जब भी---- मुझको जग से क्या लेना है, जब मन मोहन साथ मेरे। हर जख्मों की मरहम कान्हा, फिर क्यूँ न भरेंगे घाव मेरे। नाम शुधा रस पीकर इन्दू, जीवन तुम्हारा सुधर जाये। जब भी ----- इन्दू शर्मा तिनसुकिया असम 🌺🍀🌼जय श्री कृष्ण🌼🍀🌺
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