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2025 में सतयुग शुरू हो चुका है? | संत रामपाल जी की भविष्यवाणी | Satyug &...
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EP-42 | संत रामपाल जी महाराज की अन्न सेवा से बदली एक परिवार की तक़दीर! R...
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EP-43 | अकेले बुजुर्ग की भूख मिटाई संत रामपाल जी महाराज की अन्नपूर्णा मु...
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Nanak Ji and Kashi - The truth behind the first sadness | Sant Rampal Ji...
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संत और परमात्मा का अद्भुत मिलन | 3D Animation Film | Sant Rampal Ji Maharaj
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गरीब, मात पिता जाके नहीं, नहीं जन्म प्रमाण।
यौह पूर्ण ब्रह्म कबीर है, करता हंस अमान।।
सतलोक आश्रम में लगाई जाने वाली आध्यात्मिक प्रदर्शनी सत्य आध्यात्मिक ज्ञान से रूबरू कराया जाता है कि केवाल कबीर जी ही वह परमात्मा हैं जिनके जन्म का कोई प्रमाण नहीं है बल्कि वे सशरीर प्रकट हुए थे।

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Trailer | The beginning of Satyug in Kalyug | Kabir God will give food, ...
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रामपाल महाराज के हरियाणा आश्रम पहुंचे लाखों लोग! बिना दहेज एक साथ हुई 10...
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कृष्ण की भक्त नहीं थी मीराबाई? क्या रविदास थे मीरा के असली गुरु? | Sant ...
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इस भक्ति मार्ग में मर्यादा बहुत जरूरी है | Sant Rampal Ji Satsang | SATL...
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कर्मकांडी गैंग का हो गया भंडाफोड़ | हिंदू पुराणों में मिली चौंकाने वाली ...
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पूर्ण परमात्मा की पहचान: अनिरुद्धाचार्य जी बनाम संत रामपाल जी महाराज
अनिरुद्धाचार्य जी श्री कृष्ण जी को ही परमेश्वर मानते हैं। जबकि गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में स्पष्ट है कि "उत्तम पुरुषः तु अन्यः", अर्थात् पूर्ण परमात्मा कोई अन्य है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका पालन करता है।
संत रामपाल जी महाराज प्रमाणित करके बताते हैं कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हैं।
अनिरुद्धाचार्य जी का ज्ञान गीता जी के इस श्लोक के विपरीत है।

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अथर्ववेद कांड नंबर 4 अनुवाक नंबर 1 मंत्र नंबर 5 में बताया गया है कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ने सतलोक में आष्ट्रा यानी अष्टांगी (दुर्गा/प्रकृति ��ेवी) को उत्पन्न किया। यह चौथा दिव्य क्षेत्र भी है और निचले ब्रह्मांडों की उत्पत्ति का स्थान भी है। इससे यह साबित होता है कि पूर्ण परमात्मा ही राजाओं का राजा, जगतगुरु और सतपुरुष है। यह वही कबीर परमेश्वर है जिससे सभी शरीर धारी प्राणी (ब्रह्म/काल, देवी दुर्गा और सभी आत्माएं) उत्पन्न हुए हैं और बाद में यह अलग हो गए।

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दुर्गा वाली आत्मा भी पहले अमरलोक सतलोक में बड़े सुख चैन से रहती थी लेकिन ज्योति निरंजन की भक्ति से प्रभावित होकर उनके साथ सतलोक से चली आई उनकी इसी भूल में हम सब भी फंस गए।

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हजुरे अक्सद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम (हजरत मुहम्मद) का इर्शाद (कथन) कहना है कि कोई बंदा ऐसा नहीं है कि ‘लाइला-ह-इल्लल्लाह‘ कहे उसके लिए आसमानों के दरवाजे न खुल जाएँ, यहाँ तक कि यह कलिमा सीधा अर्श तक पहुँचता है, बशर्ते कि कबीरा गुनाहों से बचाता रहे। दो कलमों का जिक्र है कि एक तो ‘लाइला-ह-इल्लल्लाह‘ है और दूसरा ‘अल्लाहु अक्बर‘(कबीर)। {यहाँ पर अल्लाहु अक्बर का भाव है भगवान कबीर (कबीर साहेब अर्थात् कविर्देव)।}

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फजाईले आमाल मुसलमानों की एक विश्वसनीय पवित्र पुस्तक है जो हदीसों में से चुनी हुई हदीसों का प्रमाण लेकर बनाई गई है। हदीस मुसलमानों के लिए पवित्र कुरआन के पश्चात् दूसरे नम्बर पर है। फजाईले आमाल में एक अध्याय फजाईले जिक्र है। उसकी आयत नं. 1, 2, 3, 6 तथा 7 में कबीर अल्लाह की महिमा है।

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