shravan-kumar55
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shravan-kumar55 · 2 months ago
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बहुत हो गया जवाब देना – हिंदी कविता
बहुत हो गया जवाब देना
सवाल ही रहने देते है ना
सफाई देकर थक गए हैं अब
खुद से इश्क कर लेते है ना
वो खुश है हमें रुलाकर तो
उसे खुश रहने देते है ना
हजारों गम है जीवन में
थोड़ा और सह लेते है ना..!!
Writing by. SK
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shravan-kumar55 · 2 months ago
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तु दूर होके भी मेरे पास है – हिंदी कविता
तु दूर होके भी मेरे पास है।
जैसे पहले थी आज भी उतनी ही खास है।
तुझे लगता है भूल गया हूं सब
अरे पगली अभी तो प्यार की शुरुआत है!
तुझे तो फर्क ही नहीं पड़ता!
मेरे ना होने पर भी हर खुशी तेरे पास है!
तु दूर होके भी मेरे पास है।
जैसे पहले थी आज भी उतनी ही खास है।❣️
Writing by. SK
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shravan-kumar55 · 2 months ago
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सफ़र में धूप तो होगी – हिंदी कविता
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो
कहीं नहीं कोई सूरज धुआँ धुआँ है फ़ज़ा
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो
यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो!!
Writing by. SK.
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shravan-kumar55 · 2 months ago
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मैं रोने से डरता हूँ – हिंदी कविता
मैं रोने से डरता हूँ, जुदा होने से डरता हूँ
मेरी आँख बताती है कि मैं सोने से डरता हूँ
मेरी उँगली पकड़ लेना, मुझे तन्हा नहीं करना
ये दुनियाँ एक मेला है इसलिए तुम्हे खोने से
डरता हूँ
जब हँसता हूँ तो क्यों पलकें भीग जाती हैं ।
तुम्हें मालुम है मैं इस तरह रोने से डरता हूँ
जब से ये ख़्वाब देखा है तुम मुझे छोड़ जाओगे
मैं डरता हूँ ख़्वाबों से, मैं अब सोने से डरता
हूं।।
Writing by .SK
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shravan-kumar55 · 2 months ago
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जहाँ खामोश रहना है, वहाँ मुँह खोल जाते है – हिंदी कविता
कहाँ पर बोलना है, और कहाँ पर बोल जाते हैं।
जहाँ खामोश रहना है, वहाँ मुँह खोल जाते हैं। ।
कटा जब शीश सैनिक का, तो हम खामोश रहते हैं।
कटा एक सीन पिक्चर का, तो सारे बोल जाते हैं।
नयी नस्लों के ये बच्चे, जमाने भर की सुनते हैं।
मगर माँ बाप कुछ बोले, तो बच्चे बोल जाते हैं।।
बहुत ऊँची दुकानों में, कटाते जेब सब अपनी।
मगर मज़दूर माँगेगा, तो सिक्के बोल जाते हैं।।
अगर मखमल करे गलती, तो कोई कुछ नहीं कहता।
फटी चादर की गलती हो, तो सारे बोल जाते हैं।
हवाओं की तबाही को, सभी चुपचाप सहते हैं।
च़रागों से हुई गलती, तो सारे बोल जाते हैं।।
बनाते फिरते हैं रिश्ते, जमाने भर से अक्सर हम
मगर घर में जरूरत हो, तो रिश्ते भूल जाते हैं।।
कहाँ पर बोलना है, और कहाँ पर बोल जाते हैं।
जहाँ खामोश रहना है, वहाँ मुँह खोल जाते हैं।
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shravan-kumar55 · 3 months ago
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जीना अभी बाकी है – हिंदी कविता
गुजर रही है उम्र,
पर जीना अभी बाकी हैं।
जिन हालातों ने पटका है जमीन पर,
उन्हें उठकर जवाब देना अभी बाकी हैं।
चल रहा हूँ मन्जिल के सफर मैं,
मन्जिल कौ पाना अभी बाकी हैं,
कर लेने दो लोगों को चर्चे मेरी हार के,
कामयाबी का शोर मचाना अभी बाकी हैं ।
वक्त को करने दो अपनी मनमानी,
मेरा वक्त आना अभी बाकी है,
कर रहे है सवाल मुझे जो loser समझ कर,
उन सबको जवाब देना अभी बाकी हैं।
निभा रहा हूँ अपना किरदार जिंदंगी के मंच पर
परदा गिरते ही तालीयाँ बजना अभी बाकी हैं,
कुछ नहीं गया हाथ से अभी तो,
बहुत कुछ पाना बाकी हैं…!!
Writing by. SK.
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shravan-kumar55 · 3 months ago
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थोड़ी छांव भी जरूरी है – हिंदी कविता
ज़िन्दगी सीधे साधे चलना ठीक नही
उबड़ खाबड़ पड़ाव भी जरूरी है,
तैरते तैरते बाजू थक जाएंगे
एक पल के लिए नाव भी जरूरी है,
बदलाव भी जरूरी है
ये घाव भी जरूरी है,
इतनी धूप अच्छी नही
थोड़ी छांव भी जरूरी है..!
Writing by. SK.
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shravan-kumar55 · 3 months ago
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आंखों में क़ैद एक मंजर देखा है – हिंदी कविता
आंखों में क़ैद, एक मंजर देखा है,
मै प्यासा रहा, लेकिन समन्दर देखा है,
मुझे ना दिखाना खेल दुनियां के,
मैने हरियाली में भी, पेड़ो को बंजर देखा है।
बड़े अजीब है, तरीके यहां,
रिश्ते निभाने के,
एक हाथ में प्यार,और दूजे में,
खंजर देखा है,
मुझे ना दुआ देना इन बारिशों में,
फिर से जवां हो जाने की,
मैने बारिशों के बाद भी,
जमीं को बंजर देखा है,!!
Writing by. SK.
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shravan-kumar55 · 3 months ago
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यही जिंदगानी है – हिंदी कविता
यहाँ हर दिल मे एक अधूरी सी कहानी है।
तन्हाइयों में हर किसी की जिंदगी रूहानी है।
बाहर से हर चेहरा हंसता हुआ नजर आएगा
भीतर से टटोलोगे तो हर आंख में पानी है।
कुछ यादें लिए बैठे है कुछ किस्से लिए बैठे है।
यहां लोग एक दिल के कई हिस्से लिए बैठे है।
बैठिए किसी के पास कुछ पल हमराह बनकर
तभी जान पाओगे, दर्द में कितनी सुनामी है।
कोई “दर्द” कह देता है तो किसी को कहना नही आता
कोई पत्थर बन जाता है किसी को चुप रहना नही आता
सबकी आदत औरों को जानना है, और अपनी छुपानी है।
चुप रहकर जिम्मेदारियां निभानी है बस यही जिंदगानी है।
Writing by. SK.
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shravan-kumar55 · 3 months ago
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थोड़ा सा थका हूँ मगर रुका नही हूँ.
– हिंदी कविता
थोड़ा सा थका हूँ मगर रुका नही हूँ
ऐ ज़िन्दगी तेरी हालातों के आगे अभी झुका नही हूँ।
कांच के रिश्ते लिए फिर रहा हूँ इन पत्थरों के शहर में
ठोकरें लग रही है मगर अभी तक टूटा नहीं हूँ।
हम मिले थे शायद किसी रह गुज़र में कभी, गर याद हो तुझे
यकी कर आज भी उस मुलाकात को भुला नहीं हूँ।
यूं तो गम की बारिश रही मुझ पर मुसलसल
पर ख़ुदा के सजदे में कभी भीगा नही हूँ।
जितने थे तूफ़ान सब गुज़र गए मेरी लौ से
जाने किसकी दुआ है जो अभी तक बुझा नही हूँ।
Writing by. SK.
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shravan-kumar55 · 3 months ago
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कोई बदनसीब, कोई मुक़द्दर का सिक्कंदर क्यों है..
– हिंदी कविता
तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है…
कहीं अपनापन तो कहीं पीठ में खंजर क्यों है…
सुना है तू हर ज़रे में है रहता,
फिर ज़मीं पर कहीं मस्जिद कहीं मंदिर क्यों है…
जब रहने वाले दुनियां के हर बन्दे तेरे हैं,
फिर कोई दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है..
तू ही लिखता है हर किसी का मुक़द्दर,
फिर कोई बदनसीब, कोई मुक़द्दर का सिक्कंदर
क्यों है..!!
Writing by. SK.
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shravan-kumar55 · 3 months ago
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हर बार कसूर हवा का नही होता – हिंदी कविता
ऐ उम्र ?
कुछ कहा मैंने,
पर शायद तूने सुना नहीं..!
तू छीन सकती है बचपन मेरा,
पर बचपना नहीं..!!
हर बात का कोई जवाब नही होता…,
हर इश्क का नाम खराब नही होता…!
यूं तो झूम लेते है नशे में पीनेवाले..
मगर हर नशे का नाम शराब नही होता…!
खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते है….!
हंसती आखों में भी जख्म गहरे होते है….!
जिनसे अक्सर रुठ जाते है हम,
असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते है….!
किसी ने खुदा से दुआ मांगी.!
दुआ में अपनी मौत मांगी,
खुदा ने कहा, मौत तो तुझे दे दें मगर…!
उसे क्या कहूँ जिसने तेरी जिंदगी मांगी…!
हर इंन्सान का दिल बुरा नही होता…
हर एक इन्सान बुरा नही होता.
बुझ जाते है दीये कभी तेल की कमी से….!
हर बार कसूर हवा का नही होता..!!
Writing by. SK.
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shravan-kumar55 · 3 months ago
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खवाब से अब ज़रा जगने लगा हूँ – हिंदी कविता
खवाब से अब ज़रा जगने लगा हूँ
जिंदगी को बेहतर समझने लगा हूं।
उड़ता था शायद कभी ऊँची हवा में,
जमीं पर अब पैदल चलने लगा हूँ।
लफ़्ज़ों की मुझको ज़रूरत नहीं है,
चेहरों को जब से मैं पढ़ने लगा हूँ।
थक जाता हूं अक्सर अब शोर से,
खामोशियों से बातें करने लगा हूँ।
दुनियाँ की बदलती तस्वीर देख कर,
शायद मैं कुछ कुछ बदलने लगा हूँ।
नफ़रत के ज़हर को मिटाना ही होगा,
इरादा यह मज़बूत करने लगा हूँ।
परवाह नहीं कोई साथ आए मेरे,
मैं अकेला ही आगे बढ़ने लगा हूँ।
Writing by. SK.
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shravan-kumar55 · 3 months ago
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कहानी अधूरी रह जाएगी – हिंदी कविता
शायद तेरी मेरी कहानी अधूरी रह जाएगी
हमारे इश्क़ की दास्तां यहीं दफन हो जाएगी
लगाएगी ये दुनिया हम पर हजारों बंदिशें लेकिन
हमारी प्रेम कहानी फिर भी अमर हो जाएगी
कुछ पल ही बिता पाएंगे एक दूसरे के साथ
फिर जिंदगी पता नहीं किस मोड़ पर ले आएगी
ना तू मेरे साथ, ना मैं तेरे साथ
एक दूसरे की कमी हमें बहुत सताएगी
लेकिन तू बेफिक्र होकर मुझ पर विश्वास करना
मेरे दिल में तेरी जगह किसी को ना मिल पाएगी
अभी तो हजारों रंग बदलेगी ये ज़िन्दगी
ना तू मुझे भूलना, ना मैं तुझे
ऐसे ही एक दूसरे की याद के साथ
जिंदगी गुजर जाएगी ।।
Writing by. SK.
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shravan-kumar55 · 3 months ago
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मुस्कुरा दिया करता हूँ – हिंदी कविता
उलझनें है बहुत
सुलझा लिया करता हूँ
फोटो खिंचवाते वक्त मैं अक्सर
मुस्कुरा दिया करता हूँ…!
क्यों नुमाइश करू मैं अपने
माथे पर शिकन की
मैं अक्सर मुस्कुरा के
इन्हें मिटा दिया करता हूँ
क्योंकि
जब लड़ना है खुद को खुद ही से……!
तो हार और जीत में कोई फर्क नहीं रखता हूं….!
हारूं या जीतूं कोई रंज नहीं
कभी खुद को जिता देता हूँ
कभी खुद ही जीत जाया करता हूं
इसलिए भी मुस्कुरा दिया करता हूँ..
Writing by SK.
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shravan-kumar55 · 3 months ago
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shravan-kumar55 · 3 months ago
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