shruti--123
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shruti--123 · 3 years ago
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*जेल से रिहा हुए आजम खान*
समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान 27 महीनों बाद जेल से रिहा हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश में 2017 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद आजम खां पर नकेल कसी गई थी।2019 में रामपुर से लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद उनके खिलाफ 87 मामले दर्ज किए गए थे।आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम और शिवपाल यादव उन्हे लेने सीतापुर जेल पहुंचे।लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद आजम खान को 86 मामले में तो जमानत मिल गई थी लेकिन शत्रु संपत्ति से जुड़े मामले में कोर्ट का फैसला बाकी था।जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उन्हें अंतरिम जमानत दे दी।आजम खान के रिहा होने पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट किया और कहा झूठ के लम्हे होते हैं,सदियां नहीं।आजम के जेल से रिहा होने के बाद समर्थकों का बड़ा हुजूम उनके लिए नारे लगाने लगा।
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shruti--123 · 3 years ago
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यूपी में हर तरफ राजनीतिक अफरा तफरी का माहोल है,चुनावी बिगुल फूका जा चुका है। हर नेता इस चुनावी माहौल में अपनी रोटियां सेकने में लगा हुआ है और चुनावी टिकट के लिए अपना अपना दम भी दिखा रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला सामने आया है समाजवादी पार्टी से टिकट न मिलने पर नाराज नेता परवेज अहमद से।
सपा में टिकट न पाने वाले नेताओं की नाराजगी मुखर होने लगी है। तीन नेताओं ने बुधवार को ही पार्टी छोड़ दी थी, अब दो अन्य नेताओं ने भी तेवर तल्ख कर लिए हैं। पूर्व विधायक परवेज अहमद के तो निर्दलीय लड़ने की बात कही जा रही है। हालांकि शीर्ष नेतृत्व पर दबाव बढ़ाते हुए उन्होंने 24 घंटे का समय दिया है। इनके अलावा डॉ.ऋचा सिंह ने भी शहर पश्चिमी से अमरनाथ मौर्य को टिकट दिए जाने पर नाराजगी जताई है।
शहर दक्षिणी से रईस शुक्ला को टिकट दिए जाने की घोषणा के अगले दिन बृहस्पतिवार को परवेज अहमद ने अपने आवास पर समर्थकों की बैठक बुलाई। उसमें सभी विकल्पों पर चर्चा हुई। निर्णय लिया गया कि टिकट में बदलाव के लिए शीर्ष नेतृत्व को 24 घंटे का समय दिया जाए।
इसके बाद आगे की रणनीति की घोषणा की जाएगी। हालांकि, समर्थकों का कहना था कि टिकट नहीं मिलने पर परवेज निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। वहीं परवेज का कहना है कि एमएलसी के चुनाव में रईस शुक्ला के खिलाफ ही कार्यकर्ताओं ने प्रचार किया था। अब उन्हीं रईस के लिए प्रचार करने के लिए कहा जा रहा है। परवेज का यह भी कहना है कि शहर दक्षिणी का कार्यकर्ता उनके साथ है।
डॉ.ऋचा सिंह का भी कहना है कि अमरनाथ मौर्य पहले भाजपा में थे और भाजपा के खिलाफ कार्यकर्ताओं ने प्रचार किया था। अब नेतृत्व भाजपा से आए व्यक्ति के लिए प्रचार करने के लिए कह रही है। डॉ.ऋचा का कहना है कि टिकट में बदलाव के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष से बात की जा रही है। उनके निर्देश के ��नुसार आगे निर्णय लिया जाएगा।
सपा से दावेदारी को लेकर फाफामऊ विधानसभा क्षेत्र के लिए दुविधा की स्थिति बनी हुई है। पार्टी ने अभी तक प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है। इसे लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। इसके अलावा शहर उत्तरी से संदीप यादव ने बृहस्पतिवार को नामांकन नहीं किया। बताया जा रहा है कि संदीप बसंत पंचमी के दिन नामांकन कर सकते हैं। इसी बीच भाजपा के विधायक हर्षवर्धन बाजपेई के सपा में शामिल होने की चर्चा भी जोरों पर है। ऐसे में शहर उत्तरी को लेकर भी कयासबाजी शुरू हो गई है।
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shruti--123 · 3 years ago
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संयुक्त किसान मोर्चा एक बार फिर से किसान आंदोलन को तेज करने की तैयारी कर चुका है।पहले साल भर चले संघर्षपूर्ण आंदोलन होने के बाद सरकार ने तीनों कानून वापस लिए थे।लेकिन अभी भी किसान मोर्चा एमएसपी को लेकर अपनी मांगे मनवाने के लिए आंदोलन को एक बार फिर से करने की तैयारी में है।
दिल्ली में आयोजित संयुक्त किसान मोर्चा समन्वय समिति की अहम बैठक के बाद प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के दौरान किसान नेता डा. दर्शन पाल ने मांगों को लेकर आंदोलन और तेज करने का ऐलान किया है। इसके तहत छोटी-छोटी बैठकें भी की जाएंगी और सरकार की गलत नीतियों के बारे में बताया जाएगा। केंद्र सरकार ने जो वादे पूरे नहीं किए उसके बारे में जनता के बीच प्रचार किया जाएगा। लखीमपुर खीरी मामले को भी उठाया जाएगा। अभी तक आरोपित केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बने हुए हैं, जबकि उन्हें बर्खास्त करने की मांग किसान संगठनों की ओर से उठी थी।
संयुक्त किसान मोर्चा की पत्रकार वार्ता के दौरान किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि 5 बिंदु पर सहमति बनी थी और उसी आधार पर हमने आंदोलन को स्थगित किया था। किसान नेता ने कहा कि एमएसपी पर कानून को लेकर समिति बनाने, किसानों पर मुकदमें को वापस लेने, पराली पर जुर्माने के प्रविधान पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। केंद्र सरकार द्वारा वादाखिलाफी, इसलिए 31 जनवरी को विश्वासघात दिवस मनाया गया था। वहीं, दिसंबर को सरकार की चिट्ठी के आधार पर आंदोलन वापस लिया था। अब किसान विरोधी सरकार के खिलाफ चुनाव में निर्णय लिया गया है। इसके तहत उत्तर प्रदेश क्षेत्र की मीटिंग की थी, जिसमें 41 संगठन के लोग हा��िर थे। उसमें 57 संगठन को शामिल होना था। बैठक में तय हुआ कि पर्चा छापकर गांव गांव बांटा जाएगा। वहीं अन्य किसान नेता ने कहा कि किसान आंदोलन व लखीमपुर खीरी घटना से भाजपा का ग्राफ गिरा है। ऐसे में पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में किसान आंदोलन और तेज करेंगे।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा का क्या रुख होगा? इसको लेकर एसकेएम बृहस्पतिवार को दिल्ली में अपनी रणनीति घोषित करेगा। इसके लिए आयोजित की जा रही है। इसके बाद दिल्ली में प्रेस क्लब में होने वाली पत्रकार वार्ता में यूपी चुनाव में संयुक्त किसान मोर्चा की भूमिका को लेकर रुख स्पष्ट किया जाएगा। मिली जानकारी के मुताबिक, संयुक्त किसान मोर्चा समन्वय समिती की इस बैठक के बाद किसान नेता डा. दर्शन पाल, हन्नान मौल्ला और राकेश टिकैत समेत अन्य किसान नेता पत्रकारों को संबोधित करेंगे
बता दें कि तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों की वापसी के बावजूद एमएसपी समेत विभिन्न मांगों को लेकर अभी तक भाजपा और केंद्र सरकार के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा हमलावर रहा है। दरअसल, तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के रद होने के साथ ही किसान संगठनों ने कई अन्य मांगें भी रख दी थीं। इसके बाद केंद्र सरकार के आश्वासन के बाद ही किसान संगठनों ने दिल्ली-एनसीआर के बार्डर पर धरना खत्म किया था, इसके साथ मांगों को नहीं मानने पर दोबारा आंदोलन की चेतावनी दी थी। इसके तहत ही 31 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देशभर में विश्वासघात दिवस मनाया गया था। इसका उद्देश्य केंद्र व राज्य सरकार को सशक्त संदेश देना था। इसके तहत कुछ जगहों पर तहसील स्तर पर भी प्रदर्शन किया था। संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार केंद्र सरकार की 9 दिसंबर को दी गई जिस चिट्ठी के आधार पर किसानों ने अपना आंदोलन स्थगित किया था, उसके लिखित आश्वासन को पूरा न करने के विरोध में किसानों ने 31 जनवरी को देशभर में विश्वासघात दिवस मनाया था।
किसान संगठनों की अहम मांगें
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार सहमत हो।
प्रदर्शनकारी हजारों किसानों और उनके नेताओं पर दर्ज मुकदमे वापस हों।
लखीपुरखीरी कांड के पीड़ितों को न्याय मिले और दोषियों पर कार्रवाई हो।
वायु प्रदूषण को लेकर मुद्दा, जो किसानों के पराली जलाने से जुड़ा है।
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद करने के ऐलान के बावजूद संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया था। साथ ही यह भी कहा था कि सरकार ने हमारी अन्य मांंगें नहीं मानीं तो दोबारा आंदोलन शुरू हो सकता है।
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shruti--123 · 3 years ago
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AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की कार पर फायरिंग का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. घटना के बाद जहां ओवैसी ने इसे सोची समझी साजिश बताया है वहीं, हमलावरों ने भी फायरिंग का कारण बताकर पूरे पुलिस विभाग को चौंका दिया है. आइये आपको बताते हैं आखिरकार हमलावरों के जहन में कौन सी नफरत पनप रही थी जिसका ये खौफनाक अंजाम सामने आया.
ओवैसी की कार पर फायिरंग की घटना के तुरंत बाद ही पुलिस ने एक हमलावर को गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस की लगातार पूछताछ में हमलावर ने सब सच बता दिया और उसने हमले के पीछे का कारण बयां कर दिया. पुलिस ने बताया कि दोनों ही आरोपी लॉ ग्रैजुएट हैं. दोनों ही अच्छे दोस्त हैं और एक ही कॉलेज में पढ़ाई भी की है.
पूछताछ में पता चला है कि आरोपी सचिन बादलपुर का है और शुभम सहारनप��र का रहने वाला है. पुलिस हिरासत में पूछताछ के दौरान आरोपी ने बताया कि दोनों हेट स्पीच को लगातार फॉलो करते हैं. आरोपी ने बताया कि ओवैसी के भाई ने जो बयान दिया था कि पुलिस हटा दो फिर हम दिखा देंगे.. उस बयान से वो दोनों गुस्से में थे.
इस हमले के बाद अब ओवैसी को z श्रेणी की सुरक्षा दी गई है।सांसद असदुद्दीन औवेसी को दी गई जेड श्रेणी की सुरक्षा में चार से पांच एनएसजी कमांडो सहित कुल 22 सुरक्षा कर्मी तैनात होते हैं। इसमें दिल्ली पुलिस, आईटीबीपी या सीआरपीएफ के कमांडो व स्थानीय पुलिसकर्मी भी शामिल होते हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय, इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) के परामर्श पर हर वर्ष कई महत्वपूर्ण लोगों की सुरक्षा में समीक्षा करता है और खतरे के स्तर को देखते हुए सुरक्षा श्रेणी स्तर में बदलाव करता है। खतरे के स्तर को देखते हुए वीवीआईपी और वीआईपी लोगों को विभिन्न स्तर की सुरक्षा दी जाती है। किन नेताओं, अधिकारियों, उद्योगपतियों और सामाजिक क्षेत्र के महत्वपूर्ण लोगों को किस प्रकार की सुरक्षा दी जानी चाहिए, यह तय करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था को अलग-अलग श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। इनमें एसपीजी सुरक्षा, जेड प्लस, जेड, वाई और एक्स श्रेणी आदि शामिल है।
उत्तर प्रदेश के हापुड़ में हुई इस घटना के कई राजनीतिक मायने भी निकले जा रहे हैं और कई लोग तो ओवैसी को मिली इस सुरक्षा पर सवाल भी उठाए हैं।ओवैसी और उनकी पार्टी हमेशा से ही मीडिया में चर्चा का विषय बने रहते हैं।खैर इस मामले की जांच अभी जारी है और देखना होगा की आगे इसमें क्या सामने आता है।
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shruti--123 · 3 years ago
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उत्तर प्रदेश में चुनावी माहोल है और हर तरफ राजनीतिक हवा बह रही है।हर तरफ लोग चाय की चुस्की के साथ चुनावी बातें ही कर रहे हैं और नेता टिकट लेने के लिए जिद्दोजेहत में लगे हुए हैं।
उत्तर प्रदेश की 58 सीटों पर पहले चरण का चुनाव 10 फरवरी को होना है। इसके लिए 623 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें से 615 उम्मीदवारों के हलफनामे के एडीआर ने पड़ताल की है। इनमें 25% यानी 156 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। 121 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनपर गंभीर धाराओं में मामले दर्ज हैं।
12 प्रत्याशियों के ऊपर महिलाओं के साथ अत्याचार के मामले दर्ज हैं। इनमें से एक उम्मीदवार पर रेप का मुकदमा भी चल रहा है। छह प्रत्याशियों पर हत्या का मामला दर्ज है, जबकि 30 ऐसे उम्मीदवार हैं जिनपर हत्या के प्रयास का आरोप लगा है। पहले चरण में 58 में से 31 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जिन्हें संवेदनशील माना गया है, मतलब यहां तीन या इससे अधिक उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
इसमें सोचने वाली बात यह है की जो लोग जनता की सेवा के लिए होते हैं वो अपराधी कैसे हो सकते हैं बड़ी अजीब विडंबना है हमारे संविधान की जो लोग गरीबी दूर करने आते हैं वो ही लोग अमीर होते जाते हैं।
आइए आपको बताते हैं यूपी पहले चरण के चुनाव के पांच सबसे दागी प्रत्यासियों के बारे में....
1. अतुल प्रधान (समाजवादी पार्टी) : मेरठ की सरधना सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अतुल प्रधान पर सबसे ज्यादा 38 मामले दर्ज हैं। 105 आईपीसी की धाराएं लगी हुई हैं, इनमें 26 गंभीर धाराएं हैं। अतुल पर दंगा भड़काने, हत्या की कोशिश, सरकारी कामकाज में बाधा डालने, घर जलाने, तोड़फोड़ करने, लूटपाट करने, शांति भंग जैसे कई आरोप हैं।
2. योगेश वर्मा (समाजवादी पार्टी) : सबसे ज्यादा आपराधिक छवि वाले टॉप-5 प्रत्याशियों में दूसरे नंबर पर मेरठ के हस्तिनापुर सुरक्षित सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार योगेश वर्मा हैं। इन पर 32 आपराधिक मामले दर्ज हैं। योगेश पर आईपीसी की 145 धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं, इनमें 71 गंभीर धाराएं हैं। सबसे ज्यादा 15 मामले जान से मारने की धमकी देने, 13 मामले हत्या के प्रयास, सात मामले डकैती-लूट, पांच मामले सरकारी कामकाज में बाधा डालने से जुड़े हैं। योगेश पर महिला के साथ अभद्रता करने का भी आरोप लगा है। इसके अलावा संक्रमण फैलाने का भी मामला योगेश पर चल रहा है।
4. मनिंदर पाल (भारतीय जनता पार्टी) : मेरठ के सिवालखास से भाजपा के उम्मीदवार मनिंदर पाल अपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों की सूची में ती��रे नंबर पर आते हैं। मनिंदर पर कुल 18 मामले दर्ज हैं। इनमें आईपीसी की 36 धाराओं में मुकदमे हैं। एडीआर के मुताबिक पाल पर सबसे ज्यादा धोखाधड़ी के 18 केस हैं।
6. नाहिद हसन (समाजवादी पार्टी) : शामली के कैराना से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी नाहिद हसन सबसे ज्यादा ��पराधिक छवि वाले प्रत्याशियों की सूची में पांचवे नंबर पर आते हैं। नाहिद पर कुल 16 मामले दर्ज हैं। आईपीसी की कुल 65 धाराएं लगी हुई हैं। इनमें 23 धाराएं गंभीर आरोपों की हैं। नाहिद पर धोखाधड़ी, दंगा भड़काने, धर्म के नाम पर लोगों को भड़काने का आरोप, किडनैपिंग, जान से मारने की कोशिश, फर्जीवाड़ा करने जैसे आरोप लगे हैं।
5. अमित जानी: सिवालखास से चुनाव लड़ रहे अमित पर 14 केस दर्ज हैं। वो इस लिस्ट में पांचवें नंबर पर हैं। उनके ऊपर घूस, लोगों को भड़काने जैसे मामले दर्ज हैं। अमित शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी में रहे हैं। इस चुनाव में ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
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shruti--123 · 3 years ago
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लता दीदी अपनी मधुर आवाज से सबको अपना दीवाना बना लेने वाली लता मंगेशकर अब हमारे बीच नहीं है।अब हम कभी भी उनकी मुखवानी से कोई गीत नही सुन पाएंगे।फिल्म इंडस्ट्री में स्वर कोकिला के नाम से मशहूर लता जी के गाने आज भी लोगो के जहां में तरो ताजा हैं।हिंदी सिनेमा की दिग्गज गाएका को सिर्फ पुरानी पीढ़ी के लोग ही नही बल्कि नौजवान भी सुन ना बहुत पसंद करते हैं।अपनी बेहतरीन और दमदार आवाज से इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाने वाली लता जी आज भी करोड़ों लोगो के दिलों की धड़कन हैं।
स्वर कोकिला के नाम से प्रचलित लता जी के फैंस को अब भी इस बात का यकीन नही है की अब वो उनके बीच नही रहीं।30000 से ज्यादा गानों में अपनी आवाज दे चुकी लता जी करीब 36 छेत्रीय भाषाओं में भी गाने गा चुकी हैं।उनका जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर के एक मध्यमवर्गीय मराठा परिवार में हुआ था,पहले उनका नाम लता नही हेमा था लेकिन जन्म के पांच साल बाद उनके माता पिता ने उनका नाम बदलकर लता रख दिया।
इंडस्ट्री में कभी न मिटने वाली पहचान बनाने के लिए उन्होंने बहुत संघर्ष भी किया है जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं।उन्हे अपनी इस खूबसूरत कला के लिए दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से लेकर भारत रत्न जैसे सर्वोच्च सम्मानों से भी नवाजा जा चुका है।उनके पिता दीनदयाल रंगमंच के कलाकार थे,जिसकी वजह से लता जी को संगीत की कला विरासत में मिली थी।उन्होंने 5 साल की उम्र से ही संगीत सीखना शुरू कर दिया था।
एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें जान से मरने की कोशिश भी की गई थी।बात साल 1963 की है जब फिल्म "20 साल बाद" के लिए लता जी को एक गाना रिकॉर्ड करना था।इस गाने को रिकॉर्ड करने के लिए पूरी तैयारी भी की जा चुकी थी , लेकिन रिकॉर्डिंग से कुछ समय पहले ही अचानक से लता जी की तबीयत खराब हो गई।उनके पेट में अचानक से इतना दर्द शुरू हुआ की वो हिल भी नहीं पा रही थीं और साथ ही बीच बीच में उनको उल्टियां भी हो रही थी।आनन फानन में डॉक्टर को बुलाया गया और 3 दिनों तक वो डॉक्टर की निगरानी में रहीं।10 दिन के बाद उनकी सेहत में सुधार आया तब डॉक्टर्स ने बताया की उन्हें खाने में धीमा जहर दिया गया थाजिस्की वजह से उनकी तबियत खराब हुई थी।बाद में लता जी ने खुद इस बात का जिक्र करते हुए एक इंटरव्यू में बताया की वो समय मेरे जीवन का सबसे भयानक समय था।आपको बता दें की उस समय वो इतनी कमजोर हो गई थी की 3 महीने तब बिस्तर से भी मुश्किल से उठ पाती थी।
उन्होंने बताया था की हालात ये हो गए थे की मैं अपने पैरो से चल भी नहीं लाती थी।लता मंगेशकर के अनुसार एक लंबे इलाज के बाद वो ठीक हो पाई थीं।ठीक हो जाने के बाद उन्होंने पहला गाना "कहीं दीप जले कहीं दिल" गया था।
अपने करियर के शुरुआती दौर में उन्हें उनकी पतली आवाज के वजह से रिजेक्शन भी झेलने पड़े।और तो और उन्हें उनकी इसी आवाज के लिए सबसे पहले रिजेक्ट करने वाले कोई और नही बल्कि मशहूर फिल्मकार एस मुखर्जी ही थे।लेकिन सुरों के साथ साथ धुन की भी पक्की थी लता जी,सबकी बताई हुई गलतियों से उन्होंने सुधार किया और दुनियाभर में अपनी एक अलग पहचान
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shruti--123 · 3 years ago
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कर्नाटक में चल रही हिजाब कंट्रोवर्सी मैं थोड़ी राहत की खबर आई है।सरकारी प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज,कुंडापुरा के परिसर में सोमवार ,सात फरवरी को हिजाब पहन के कॉलेज लारीसर में जाने की अनुमति दे दी गई।लेकिन इसमें एक बात यह है की उनको अलग कक्षाओं में पदहय जाएगा इसके आगे ये दलील दी गई है की ताकि फिर से किसी नए प्रकार क�� विवाद का खड़ा हो।
राज्य के उडुपी में कुछ कॉलेजों की ओर से मुस्लिम छात्राओं के कक्षा में हिजाब पहनने पर रोक लगाने के बाद से ही यह विवाद बढ़ता चला जा रहा था। शनिवार को कांग्रेस विधायक कनीज फातिमा ने अपने समर्थकों के साथ इसके खिलाफ प्रदर्शन किया था। इसके बाद रविवार रात को पुलिस ने कुछ हथियार ले जा रहे लोगों को कॉलेज के करीब से गिरफ्तार किया था। आरोपी रज्जाब और हाजी अब्दुल माजिद के पास से धारदार हथियार मिले थे। इनके कुछ साथ ही फरार है।
हम शुरुआत से ही इस खबर के पीछे हैं और हमने आपको तब भी बताया था जब ये विवाद शुरू हुआ था।जिसके बाद शनिवार को ही राज्य शिक्षा विभाग ने अहम दिशा-निर्देश जारी किए थे।शिक्षा विभाग ने अपने बयान में कहा है कि सभी सरकारी स्कूलों को राज्य सरकार द्वारा घोषित यूनिफॉर्म ड्रेस कोड का पालन करें। वहीं, निजी संस्थानों के छात्र स्कूल प्रबंधन द्वारा तय की गई ड्रेस कोड का पालन करें। अगर वहां कोई ड्रेस कोड नहीं है तो छात्र ऐसी पोशाकों को पहनें जो समानता, अखंडता और कानून व्यवस्था को प्रभावित न करें।
आपको याद दिला दूं कर्नाटक में ये हिजाब कंट्रोवर्सी शुरुआती जनवरी महीने में उद्दुपी में हुई थी।यह की प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज में छात्राओं के एक समूह को हिजाब पहन के कक्षा में जाने से रोका गया था।कॉलेज प्रशासन का कहना है कि उन्होंने यह फैसला ड्रेस में समानता के मकसद से लिया है। इसके बाद राज्य के विभिन्न जिलों में यह विवाद बढ़ता चला गया। कई छात्र हिजाब के विरोध में भगवा गमछा को ओढ़कर संस्थानों में पहुंचने लगे
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shruti--123 · 3 years ago
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पूरे देश में चुनावी माहौल है ,वर्तमान समय में पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं। इसी बीच मेघालय से आई बड़ी खबर मेघालय में कांग्रेस के 5 विधायकों ने पार्टी छोड़कर एमडीए ज्वाइन किया। इस बड़े फैसले से कांग्रेस को लगा बड़ा झटका ,कांग्रेस छोड़ एमडीए का दामन थामने वाले यह पांच विधायकों में सीएलपी नेता अंपारीन लिगदो , मायरलबोर्न सीएम,मोहेंद्रो रपसांग,किंफा मर्बनियांग, पीटी साकमी शामिल है।
रिपोर्ट के मुताबिक इन पांचों विधायकों ने मंगलवार को बैठक की थी, और इस बैठक के बाद उन्होंने मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा को एक पत्र लिखकर स���ंप दिया ।मुख्यमंत्री ने भी ट्वीट कर लिखा कि हम बहुत खुश हैं और आपके इस फैसले का स्वागत करते हैं।
कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने बीजेपी पर साधा निशाना , बोले कि बीजेपी की सत्ता में देश में बेरोजगारी है, महंगाई है चीन हमारी सीमा के अंदर घुस आया है ,और कोरोना को लेकर बीजेपी को जो काम करना चाहिए था वह उन्होंने अभी तक नहीं किया, 2021 तक युवा पीढ़ी को वैक्सीन लग जाने के टारगेट पर भी बीजेपी खरी नहीं उतरी, और तो और गुजरात में कोरोना वायरस से हुई मौतों के आंकड़े भी छुपाए हैं।
विधायकों के MDA जॉइन किए जाने पर जब उनसे सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारे मेघालय के इंचार्ज पहले भी इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की हुई है ,वही इस बारे में बताने के लिए सही व्यक्ति होंगे।
अब देखना यह होगा कि कांग्रेस आलाकमान इस मुद्दे को किस तरीके से लेता है, हर जगह कांग्रेस की यह हालत बेहद चिंताजनक है।
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shruti--123 · 3 years ago
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पूरे देश में चुनावी माहौल है ,वर्तमान समय में पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं। इसी बीच मेघालय से आई बड़ी खबर मेघालय में कांग्रेस के 5 विधायकों ने पार्टी छोड़कर एमडीए ज्वाइन किया। इस बड़े फैसले से कांग्रेस को लगा बड़ा झटका ,कांग्रेस छोड़ एमडीए का दामन थामने वाले यह पांच विधायकों में सीएलपी नेता अंपारीन लिगदो , मायरलबोर्न सीएम,मोहेंद्रो रपसांग,किंफा मर्बनियांग, पीटी साकमी शामिल है।
रिपोर्ट के मुताबिक इन पांचों विधायकों ने मंगलवार को बैठक की थी, और इस बैठक के बाद उन्होंने मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा को एक पत्र लिखकर सौंप दिया ।मुख्यमंत्री ने भी ट्वीट कर लिखा कि हम बहुत खुश हैं और आपके इस फैसले का स्वागत करते हैं।
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shruti--123 · 3 years ago
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*कहा जाता है की जब देश लड़ते तो वहा के लोग मरते हैं। क्योंकि जंग से कभी किसी का फायदा नही होता*
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग इस बात का जीता जागता उदाहरण है। जंग की वजह से हजारों लोगों को बेघर होना पड़ रहा है। दोनो देशों के बीच चल रहे इस युद्ध की वजह से कई देशों के नागरिक भी यहां फंसे हुए हैं। इस युद्ध की वजह से यूरोप में विश्वयुद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हैं। इस समय पूरी दुनिया की नजरें इन दोनों देशों पर टिकी हुई हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं सोवियत संघ के जमाने से एक दूसरे के अच्छे मित्र रहे इन दोनों देशों में आखिर ऐसा क्या हुआ जो की युद्ध की नौबत आ गई
वैसे तो रूस और यूक्रेन के बीच विवाद की कई वजहें हैं, लेकिन इसमें सबसे बड़ी वजह नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) को माना जाता है। जिसकी वजह से एक युद्ध शुरू हुआ है।
1949 में तत्कालीन सोवियत संघ से निबटने के लिए अमेरिका ने नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) का गठन किया था। इस संगठन को रूस को कांउटर करने के लिए बनाया गया था।
- यदि कोई देश नाटो से जुड़े देशों पर हमला करता है तो वह हमला पूरे नाटो पर माना जाएगा, जिसका मुकबला सभी नाटो सदस्य देश एकजुट होकर करते हैं
- यूक्रेन भी नाटो में शामिल होना चाहता है, लेकिन ये बात रूस को रास नहीं आ रही है। इसी वजह से यह विवाद जारी है।
- रूस का मानना है की यूक्रेन के नाटो में शामिल होने के बाद उसके सैनिक रूस यूक्रेन सीमा पर अपने पैर जमा लेंगे जो की रूस के लिए दिक्कत का सबब बन सकता है।
आपको बता दे कि नाटो में 30 लाख से अधिक सैनिक हैं।जबकि रूस के पास सिर्फ 12 लाख सैनिक हैं।इसी वजह से रूस किसी भी कीमत पर यूक्रेन को इसका सदस्य नहीं बनने देना चाहता है।
रूस ने 2014 में यूक्रेन के शहर क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था। दरअसल क्रीमिया में एक बंदरगाह है, जो रूस के लिए बहुत ही अहम भूमिका निभाता है।
एक विवाद की वजह यह भी है कि क्रीमिया में ज्यादातर लोग रसियन बोलने वाले हैं, जो रूस से अधिक लगाव रखते हैं। इस वजह से यूक्रेन डरा हुआ है कि रसिया उसके और भी क्षेत्र पर कब्जा कर सकता है, इसलिए यूक्रेन अपने बचाव के लिए नाटो में शामिल होना चाहता है।
काफी सालों तक चले विवाद के बाद आखिरकार रूस ने अमेरिका व अन्य देशों की पाबंदियों की परवाह किए बगैर 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर हमला बोल दिया है।
अब इस युद्ध में भारत की भूमिका बहुत अहम हो जाती है सभी देश भारत के कदम का इंतजार कर रहे हैं।हालांकि, अभी तक भारत की तरफ से जारी किए गए बयानों में रूस के हमले का ना ही जिक्र किया गया है और ना ही उसके किसी कदम की आलोचना की गई है। यूक्रेन के राजदूत ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई पर भारत के रुख को लेकर यूक्रेन बेहद असंतुष्ट है। यूक्रेन ने कहा कि उन्हें इस संकट की स्थिति में भारत से ज्यादा मदद की उम्मीद थी।
भारत की भूमिका इसलिए अहम है कि वह रूस और अमेरिका का इस समय अच्छा मित्र है। इसलिए भारत मध्यस्त के रूप में प्रभावी भूमिका निभा सकता है। वैसे तो भारत के यूक्रेन से संबंध कुछ खास अच्छे नहीं हैं। अक्सर यूक्रेन बड़े मौकों पर भारत के खिलाफ ही गया है
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shruti--123 · 3 years ago
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अमिताभ बच्चन आज भी फिल्मों में बहुत एक्टिव हैं। इसके अलावा वे तरह-तरह के इंवेस्टमेंट के लिए भी जाने जाते हैं। मुंबई में ही अमिताभ बच्चन के पास पांच बंगले हैं। अब खबर है कि उन्होंने दिल्ली के गुलमोहर पार्क में स्थित बंगला 'सोपान' 23 करोड़ में बेच दिया है। Nezone ग्रुप के सीईओ अवनी बदेर ने अमिताभ बच्चन का दिल्ली वाला घर 'सोपान' खरीदा है।
रिपोर्ट की मानें अमिताभ बच्चन की दिल्ली के गुलमोहर पार्क स्थित यह प्रॉपर्टी 418 स्क्वॉयर मीटर में फैली है। पिछले साल 7 दिसंबर को बदेर ने अपने नाम इस प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन कराया। इस पुराने घर से अमिताभ बच्चन की कई यादे जुड़ी थीं। इस प्रॉपर्टी को अमिताभ बच्चन के पिता ने खरीदा था। वे तेजी बच्चन के साथ कई सालों तक यहीं रहे। हालांकि, मुंबई में रहने की वजह से दिल्ली वाले घर की देख-रेख करना मुश्किल हो रहा था। जिस वजह से उन्होंने इस घर को बेचने का फैसला किया है।
गुलमोहर पार्क का बंगला 'सोपान' काफी चर्चित रहा है। खुद बिग बी ने भी कई बार अपने ब्लॉग में 'सोपान' का जिक्र किया है, जो उनकी मां तेजी बच्चन के नाम पर रजिस्टर्ड था। तेजी बच्चन गुलमोहर पार्क हाउसिंग सोसाइटी की सदस्य थीं। मुंबई जाने से पहले अमिताभ अपने माता-पिता के साथ यहीं रहते थे।
मुंबई में अमिताभ बच्चन के पहले से ही पांच बंगले हैं। अमिताभ अपने पूरे परिवार के साथ जलसा में रहते हैं। फैंस उनसे हर रविवार को यहीं मिलने आते हैं। यह करीब 10 हजार वर्गफीट में फैला हुआ है।अमिताभ बच्चन का जलसा बंगला मुंबई के जुहू में स्थित है। दूसरा बंगला 'प्रतीक्षा' है, जहां वे 'जलसा' में शिफ्ट होने से पहले रहते थे। उनका तीसरा बंगला 'जनक' है, जहां उनका ऑफिस है। जबकि चौथा बंगला वत्स है। जिसे उन्होंने बैंक को किराये पर दिया हुआ है।
2013 में भी उन्होंने करीब 60 करोड़ रुपये का बंगला 'जलसा' के ठीक पीछे खरीदा था। अमिताभ बच्चन ने अंधेरी इलाके वाला ड्यूप्लेक्स फ्लैट किराए पर दिया हुआ है। अमिताभ बच्चन ने 31 करोड़ में ड्यूप्लेक्स लग्जरी फ्लैट खरीदा था।
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