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https://youtu.be/vVL8hmRPzjI
*ये बातें मान लो तो बच जाओगे कोरोना से*
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#ध्यान केवल आपके तन को ही नहीं मन को भी स्वस्थ रखता है, ध्यान ऐसी अवस्था है जिसमें केवल आप अपने स्व का निर्माण करते हैं, एक बार आप ध्यान करना सीख गए तो फिर आप उस परम तत्व को प्राप्त करने के पथ पर अग्रसर हो जाएँगे जिस परम तत्व की कामना संसार के सभी योगियों की होती है!
#परम_योग
#param_yog
#Meditation not only keeps your body healthy, meditation is a state in which you only build your self, once you've learned to meditate, you'll be on the path to achieving the ultimate element that belongs to all the yogis in the world!


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दिन-2 10-03-2020
है होली रंगों का त्यौहार
रंग गुलाल मल मल के
पहनो होली का जामा
लगाओ सबको रंग
खूब करो हंगामा
न बच पाए एक भी नारी
करो ऐसी तैयारी
रंग खेलो मर्यादा में रह के
खाओ मिठाई जी भर के
दो सबको खुशियों का संसार
है होली रंगो का त्यौहार

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होली को रंगोत्स्व या रंगों का त्यौहार भी बोला जाता है! होली हिंदुओं का एक पवित्र त्यौहार है! होली केवल भारत के कोने कोने में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी धूम धाम से मनायी जाती है! होली के दिन लोग अपनी कटुता भूलकर एक दूसरे से गले मिलते हैं और खुशियाँ बाँटते हैं!

भारतीय संस्कृति में हर त्यौहार प्रकृति से जुड़ा होता है, होली के त्यौहार को भी प्रकृति से जोड़कर देखा जाता है! होली के त्यौहार को वसंतागमन के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है! हिंदी के एक महीने का नाम ही फगुआ से जुड़ा हुआ है! फाल्गुन माह में वसंत मौसम का आगमन हुआ रहता है , चारों तरफ हरियाली छायी होती है, खेतों में सरसों के पीले फूल लहलहा रहे होते हैं, वृक्ष नए पत्तों का स्वागत करते हैं, प्रकृति अपनी चरम सुन्दरता पर विराजमान होती है तो फिर ऐसे मौसम में कौन उत्सव नहीं मनाना चाहेगा, इसलिए होली का त्यौहार इस माह में और खास हो जाता है!

इतिहास की दृष्टि से भी होली अत्यंत मनोरम त्यौहार है! वैदिक काल में होला को यज्ञ में समर्पित करके इस उत्सव को मनाया जाता था! भविष्य पुराण और नारद पुराण में भी इस उत्सव का उल्लेख है! मुगल काल की भी होली काफी प्रसिद्ध थी! अलवर के एक चित्र में जहाँगीर को नूरजहाँ के साथ होली खेलते दिखाया गया है! शाहजहाँ के समय होली को ईद-ए-गुलाबी भी कहा जाता था! भारत में मंदिरों मे उत्कीर्ण अनेक भित्तिचित्रों से तथा अभिलेखों से इस त्योहार की जानकारी मिलती है!

हर उत्सव के पीछे कोई न कोई कारण अवश्य होता है, ठीक इसी प्रकार होली के उत्सव मनाने के भी कई कारण हैं जिसमें भक्त प्रह्लाद और होलिका की कहानी बहुत प्रसिद्ध है! होली, अच्छाई पर बुराई की जीत का प्रतीक है!

भारत के हर कोने में होली का त्यौहार मनाया जाता है! कहीं होली को दोल तो कहीं होरी तो कहीं फाग के नाम से जानी जाती है! यूरोप और अमेरिका महाद्वीप और एशिया के कई देशों में होली का त्यौहार बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है!

साहित्यकार भी इसके प्रेम से अछूते नहीं रहे! हम कवियों और लेखकों का तो यह बहुत ही प्रेमयुक्त त्यौहार है!

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#इस #तरह से अपना #व्यवहार रखना चाहिए कि अगर कोई #तुम्हारे बारे में #बुरा भी कहे, तो कोई भी उस पर #विश्वास न करे। 😀😀😄😄😊😊👍👍👍🙏🙏🙏✌✌✔✅
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10 मई 2017 को पूरे विश्व में #बुद्ध #पूर्णिमा की धूम थी, क्या आपने सोचा कि #भगवान #बुद्ध में ऐसा क्या है कि उनको सभी दिल से मानते हैं चाहे वो किसी भी धर्म का क्यूँ न हो! हम इतने विद्वान नहीं कि #श्री #बुद्ध को समझ सके पर जितना भी समझ सके उतना ही काफी है....
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चाइना- एक ऐसा देश जिसे समझना मुश्किल है!
कहते हुए बहुत अफ़सोस हो रहा है की भारत और चीन के बीच हुआ 1962 का युद्ध उस समय के प्रधान मंत्री नेहरू की नासमझी का नतीजा था. नेहरू सोचते थे की "हिन्दी चीनी भाई भाई का भावनात्मक नारा देकर चीन से युध करने से बचा जा सकता है पर ऐसा नही हो सकता की आप चीनियों को ईमोशनालि आकर्षित कर सकते हैं.
कुवंर नटवर सिंग के अनुसार जब नेहरू और चीन के प्रधानमंत्री चौ एन लाई का संयुक्त भाषण हुआ तो उसमे चीनी प्रधानमंत्री नेहरू पर भारी पड़ा था क्योकि नेहरू उस समय की समस्या से पूरी तरह अवगत नही थे और जबकि चीनी पीएम पूरी तैयारी करके आए थे, चोऊ एन लाई के भाषण से ही अंदेशा हो गया था की युद्ध तो होगा.
यहाँ ये कहना ज़रूरी है की चीन से भारत अभी बहुत पीछे है. सबसे बड़ी बात भारत एक शक्ति शाली देश होते हुए भी वीटो पावर का प्रयोग नही कर सकता क्य���ंकि भारत वीटो के मानक पर खरा नही उतरता.
चीन को मैने बहुत करीब से समझने की कोशिश की है पर मैं चीन को समझ नही पाता. मैने चीन की राजनीति के बारे में खोज की और पढ़ा जिससे मुझे चीन के बारे में बहुत अद्भुत बातें पता चलीं,
यह कहना ग़लत नहीं होगा की चीन बहुत ही महत्वाकांक्षी देश और साम्राज्यवादी देश है पर कुछ बातें चीन की ऐसी है जिसे भारत को सीखना चाहिए.
चीन में भी अभिव्यक्ति की आज़ादी है पर आप वहाँ अभिव्यक्ति के नाम पर देश को तोड़ने की बात नही कर सकते, वहाँ पर आप देश के हर छोटी बड़ी बात पर अपनी राय नही दे सकते चाहे आपकी राय कितनी भी अच्छी क्यों ना हो. वहाँ पर विषय निर्धारित है की आप किस पर बोल सकते हैं, आप देश के बारे में सोशल मीडिया में कुछ भी पोस्ट नही कर सकते क्योंकि इससे देश की अंदुरूनी बातें दुनिया के सामने आने का अंदेशा रहता है. आपको ये जानकार आश्चर्या होगा की जब भारत में नोट बंदी का आदेश हुआ तो चीन में करेंसी एवोल्यूशन हुआ था पर यह खबर दुनिया के सामने एक महीने बाद आई , भारत की खबर उसी दिन पूरी दुनिया जान गयी.
अगर आप भारत और चीन की तुलना करेंगे तो राजनीतिक सामाजिक आर्थिक बहुत जगहों पर भारत चीन से पीछे है. भारत हर समस्या को एक उदारवादी नज़र से देखता है पर चीन हर समस्या को इस नज़र से देखता है की इसमें उसका कितना फ़ायदा है. चीन के लिए आतंकवादी भी अच्छे हैं अगर उनसे चीन को लाभ हो रहा है जिसमे मसूद अज़हर का नाम शामिल है.
चीन एक ऐसा देश है जिसे हम कुछ ही समय में नही समझ सक्ते पर मैने एक आम आदमी की नज़र से चीन को देखने का प्रयास किया है..अगर आपके पास भी चीन से जुड़ी कोई अच्छी जानकारी है तो कृपया मेरे email @[email protected] पर भेज दीजिए
चीन को समझने और पढ़ने का सिलसिला जारी है..कोई अच्छी जानकारी होगी तो मैं ज़रूर विश्लेषण के साथ लिखूंगा
जै हिंद
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घर...(1)
हमारे समाज में घर को मन्दिर कह गया है, पुस्तकों में घर की महिमा को बताया गया है, हमारे माता पिता भी घर की महत्व के बारे में बताते हैं..सबका एक ही अर्थ होता है कि घर आपको सुकुन देता है, आपको शारीरिक शान्ति, भौतिक शान्ति और आत्मिक शान्ति अपने घर पर ही प्राप्त हो सकती है, आप घर वहीं बनाते हैं जहाँ पर आप पैदा हुए हों या जहाँ पर आप काफी समय से रह रहे हों और सही भी है क्योंकि वहाँ आपको अपना परिवेश मिलता है, जैसा आप चाहते हैं वैसा, आपके वहीं पर मित्र बने होते हैं, आपको वहाँ जानने वाले होते हैं, आपको वहाँ प्रेम मिलता है, यानि आपको जो कुछ भी चाहिए होता है आपको मिलता है और आप वहीं अपना घर बनाते हैं या आप जहाँ काफी समय से रह रहे होते हैं वहाँ पर भी आप अपना निवास स्थान बनाते हैं और यही सत्य है....मेरी समझ से इन सब बातों का सार यही है कि जहाँ पर आपको प्रेम मिलता है वही आपको घर जैसा लगता है...फिर आप चाहे वहाँ पर ईंट पत्थर का भवन खड़ा करें या नहीं...क्या फर्क पड़ता है...आपको जहाँ पर भी प्यार मिलता है वहाँ आपको अपना घर दिखता है...आखिर तभी तो हमारे संतों ने कहा है कि "वसुधैव कुटुम्बकम्"... यानि वो धरती के हर कोनें में प्रेम ढूँढ लेते हैं और सारी धरा उनका घर हो जाता है....जिस दिन आप भी धरती के हर कोनों में प्रेम पा जाएँगे उस दिन आप भी कहेंगे कि सम्पूर्ण धरती हमारा घर है पर इसका मतलब यह तनिक नहीं कि आप भी संत हो जाएँगे...........😊😊 क्रमश:......... आशुतोष
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