बांग्लादेश के अधिकारियों ने चीन से तस्करी कर लाई गई 2700 कार्टन विदेशी शराब जब्त की
बांग्लादेश के अधिकारियों ने चीन से तस्करी कर लाई गई 2700 कार्टन विदेशी शराब जब्त की
द्वारा एएनआई
ढाका: बांग्लादेश की कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने विदेशी शराब की एक बड़ी खेप जब्त की है, जिसमें चीन से तस्करी कर लाए गए 2700 कार्टन शराब शामिल है।
बांग्लादेश मीडिया ने बताया कि 22 जुलाई को बांग्लादेश (बीडी) के अधिकारियों द्वारा एक विशेष अभियान में चटगांव-ढाका राजमार्ग पर खेप को जब्त कर लिया गया था।
यह चीनी तस्करी का ताजा मामला है जो बांग्लादेश के आयात नियमों की कमजोरियों का फायदा उठाकर…
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अमेरिका के डेट्रॉयट उपनगर में गोलीबारी में नौ लोग घायल
रोचेस्टर हिल्स. अमेरिका में मिशिगन के डेट्रॉयट शहर में शनिवार को एक ‘स्प्लैश पैड’ (मनोरंजन पार्क) में गोलीबारी की घटना में दो बच्चों और उनकी मां समेत नौ लोग घायल हो गए, जिनमें से एक बच्चे की हालत काफी गंभीर बताई जा रही है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
घटना को अंजाम देने के बाद संदिग्ध एक घर में छिप गया, जिसके बाद कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने घर को घेर लिया. अधिकारियों ने बताया कि संदिग्ध ने…
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Cyber thugs put man under 'digital arrest', extort ₹2 lakh
एक व्यक्ति को कथित तौर पर “डिजिटल गिरफ्तारी” के तहत रखा गया था और ₹पुलिस ने मंगलवार को बताया कि साइबर ठगों ने उनसे धन शोधन के एक मामले में शामिल होने का झूठा आरोप लगाकर दो लाख रुपये ऐंठ लिए।
सेक्टर 9 स्थित सूर्या विहार निवासी राजीव कुमार एक साइबर घोटाले का शिकार हो गए, जिसमें आमतौर पर जालसाज पुलिस या किसी अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसी के “अधिकारी” बनकर जबरन वसूली करते हैं।
यह भी पढ़ें: इस सप्ताह…
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यौन दुर्व्यवहारको आरोपमा नेपाल प्रहरीका इन्स्पेक्टर पक्राउ
काठमाडौं,२४ जेठ । आफ्नै निवासमा काम गर्ने एक युवतीलाई यौन दुर्व्यवहार गरेको आरोपमा उपत्यका अपराध अनुसन्धान कार्यालयका इन्स्पेक्टर विदुर शिवाकोटी पक्राउ परेका छन् । स्वयम्भूको प्रहरी सर्कलले गरेको पक्राउले समुदायमा तरंग फैलाएको छ र कानून प्रवर्तन एजेन्सीहरूमा शक्तिको दुरुपयोगको बारेमा गम्भीर चिन्ता व्यक्त गरेको छ।
आफ्नो सुरक्षाका लागि पहिचान गोप्य राखिएको युवतीले बहादुरीका साथ दुव्र्यवहार गरेको…
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IPC NOTES
IPC NOTES
धारा 1 - संहिता का नाम और उसके प्रवर्तन का विस्तार
*धारा 1: भारतीय दंड संहिता का नाम और विस्तार** भारतीय दंड संहिता को संक्षेप में आईपीसी भी कहा जाता है।
* आईपीसी एक कानून है जो भारत में होने वाले अपराधों और उनके लिए सजा का प्रावधान करता है।
* आईपीसी 1 जनवरी, 1862 से पूरे भारत में लागू है, सिवाय जम्मू और कश्मीर के।
* जम्मू और कश्मीर में आईपीसी 31 अक्टूबर, 2019 से लागू हुई है, जब भारत सरकार ने वहां संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया था।
* आईपीसी में कुल 511 धाराएं हैं, जो 23 अध्यायों में विभाजित हैं।
* आईपीसी की पहली धारा संहिता का नाम और विस्तार बताती है।*उदाहरण:** अगर कोई व्यक्ति किसी की हत्या करता है, तो उसे आईपीसी की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास या मौत की सजा हो सकती है।
* अगर कोई व्यक्ति किसी के साथ बलात्कार करता है, तो उसे आईपीसी की धारा 376 के तहत आजीवन कारावास या 10 साल तक की सजा हो सकती है।
* अगर कोई व्यक्ति किसी की जेब से पर्स चुराता है, तो उसे आईपीसी की धारा 379 के तहत 3 साल तक की सजा हो सकती है।*संबंधित कानून:** आईपीसी के अलावा, भारत में कई अन्य कानून हैं जो अपराधों और उनकी सजा का प्रावधान करते हैं।
* इन कानूनों में भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीस���), साक्ष्य अधिनियम, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और अन्य शामिल हैं।
* ये सभी कानून मिलकर भारत में अपराधों को नियंत्रित करने और अपराधियों को सजा देने का काम करते हैं।
धारा 2 - भारत के भीतर किए गए अपराधों का दण्ड
धारा 2, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) इस सिद्धांत को निर्धारित करती है कि किसी भी अपराध के लिए दंडित किए जाने के लिए, अपराध को भारत के भीतर किया जाना चाहिए। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति भारत के बाहर अपराध करता है, तो उसे उस अपराध के लिए भारत में दंडित नहीं किया जा सकता है।धारा 2 में निम्नलिखित प्रमुख तत्व हैं:* अपराध भारत के भीतर किया जाना चाहिए।
* अपराधी को भारत के भीतर दोषी ठहराया जाना चाहिए।
* अपराधी को भारतीय दंड संहिता के तहत दंडित किया जाना चाहिए।धारा 2 के कुछ उदाहरण यहां दिए गए हैं:* अगर कोई व्यक्ति भारत में हत्या करता है, तो उसे भारत में हत्या के लिए दंडित किया जा सकता है।
* अगर कोई व्यक्ति भारत में चोरी करता है, तो उसे भारत में चोरी के लिए दंडित किया जा सकता है।
* अगर कोई व्यक्ति भारत में बलात्कार करता है, तो उसे भारत में बलात्कार के लिए दंडित किया जा सकता है।धारा 2 के अपवाद भी हैं। कुछ अपराध ऐसे हैं जिन्हें भारत के बाहर भी किया जा सकता है, लेकिन फिर भी भारत में दंडनीय हैं। इन अपराधों में शामिल हैं:* भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ना।
* भारत की सरकार को उखाड़ फेंकने का प्रयास।
* भारत के राष्ट्रपति या प्रधान मंत्री की हत्या।
* भारत में राजनयिक मिशन या वाणिज्य दूतावास पर हमला।धारा 2 भारतीय दंड संहिता का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो सुनिश्चित करता है कि भारत में केवल भारत के भीतर किए गए अपराधों के लिए ही दंडित किया जा सकता है।
धारा 3 - भारत से परे किए गए किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अफराधों का दण्ड
*धारा 3, भारतीय दंड संहिता: भारत से परे किए गए अपराधों का दंड**सादे शब्दों में:*धारा 3 IPC के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति भारत से बाहर कोई अपराध करता है, लेकिन उस अपराध पर भारतीय कानून के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है, तो उस व्यक्ति पर उसी तरह से मुकदमा चलाया जाएगा जैसे कि उसने वह अपराध भारत में ही किया हो।*उदाहरण:** अगर कोई भारतीय नागरिक दूसरे देश में किसी भारतीय नागरिक की हत्या करता है, तो उस पर भारत में हत्या के आरोप में मुकदमा चलाया जा सकता है।
* अगर कोई विदेशी नागरिक भारत में किसी भारतीय नागरिक की चोरी करता है, तो उस पर भारत में चोरी के आरोप में मुकदमा चलाया जा सकता है।
* अगर कोई भारतीय नागरिक दूसरे देश में किसी विदेशी नागरिक की हत्या करता है, और वह भारतीय नागरिक भारत वापस आ जाता है, तो उस पर भारत में हत्या के आरोप में मुकदमा चलाया जा सकता है।*संबंधित धाराएँ:** धारा 4 IPC: अपराध किस जगह किया गया, यह निर्धारित करने के लिए नियम।
* धारा 5 IPC: अपराध किस समय किया गया, यह निर्धारित करने के लिए नियम।
* धारा 6 IPC: अपराधी की मृत्यु हो जाने पर भी अपराध के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है।
* धारा 7 IPC: अपराध की साजिश रचने या भड़काने के लिए भी मुकदमा चलाया जा सकता है।*निष्कर्ष:*धारा 3 IPC यह सुनिश्चित करती है कि भारत से बाहर किए गए अपराधों के लिए भी अपराधियों को सजा दी जा सके। यह धारा भारत के नागरिकों और विदेशी नागरिकों दोनों पर समान रूप से लागू होती है।
धारा 4 - राज्यक्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तार
*धारा 4 आईपीसी - राज्यक्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तार*भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 4 भारत के बाहर किए गए अपराधों के लिए भारतीय अदालतों के अधिकार क्षेत्र को निर्धारित करती है। इस धारा के अनुसार, यदि भारत का कोई नागरिक भारत के बाहर कोई अपराध करता है, या यदि भारत में पंजीकृत किसी जहाज या विमान पर कोई व्यक्ति अपराध करता है, तो उस व्यक्ति पर आईपीसी के प्रावधान लागू होंगे और उसे भारत की अदालत में विचारण के लिए लाया जा सकता है।*उदाहरण:** यदि कोई भारतीय नागरिक विदेश में हत्या करता है, तो उसे भारत में हत्या के लिए विचारित और दोषी ठहराया जा सकता है।
* यदि कोई व्यक्ति भारत में पंजीकृत जहाज पर चोरी करता है, तो उसे भारत में चोरी के लिए विचारित और दोषी ठहराया जा सकता है।धारा 4 के स्पष्टीकरण में कहा गया है कि "अपराध" शब्द के अंतर्गत भारत के बाहर किया गया ऐसा हर कार्य आता है, जो यदि भारत में किया जाता तो आईपीसी के अधीन दंडनीय होता। इसका मतलब यह है कि धारा 4 केवल उन अपराधों पर लागू होती है जो आईपीसी के तहत दंडनीय हैं।*संबंधित धाराएँ:** आईपीसी की धारा 5: यह धारा उन परिस्थितियों को निर्दिष्ट करती है जिनमें भारत के बाहर किए गए अपराधों के लिए भारतीय अदालतों को अधिकार क्षेत्र नहीं होगा।
* आईपीसी की धारा 6: यह धारा उन परिस्थितियों को निर्दिष्ट करती है जिनमें भारत के बाहर किए गए अपराधों के लिए भारतीय अदालतों को अधिकार क्षेत्र होगा।
* आईपीसी की धारा 7: यह धारा उन परिस्थितियों को निर्दिष्ट करती है जिनमें भारत के बाहर किए गए अपराधों के लिए भारतीय अदालतों को अधिकार क्षेत्र नहीं होगा, भले ही धारा 6 के तहत भारतीय अदालतों को अधिकार क्षेत्र हो।धारा 4 भारतीय दंड संहिता का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो यह सुनिश्चित करता है कि भारत के बाहर किए गए अपराधों के लिए भारतीय नागरिकों और भारत में पंजीकृत जहाजों या विमानों पर अपराध करने वाले व्यक्तियों को दंडित किया जा सके।
धारा 5 - कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना
धारा 5, भारतीय दंड संहिता: भारत सरकार की सेवा के ऑफिसरों, सैनिकों, नौसैनिकों और वायु सैनिकों को दंडित करने वाले विशेष कानूनधारा 5 कहती है कि इस अधिनियम (IPC) की कोई भी बात निम्नलिखित पर लागू नहीं होगी:- भारत सरकार की सेवा के अधिकारियों द्वारा विद्रोह और अभिजन को दंडित करने वाले किसी अधिनियम के प्रावधान
- किसी विशेष या स्थानीय कानून के प्रावधानइसका मतलब यह है कि अगर कोई भारत सरकार का अधिकारी है, सैनिक है, नौसेना का सदस्य है, या वायु सेना का सदस्य है, और वह विद्रोह या अभिजन में शामिल है, तो उसे इस अधिनियम के तहत दंडित नहीं किया जाएगा। इसके बजाय, उसे उस कानून के तहत दंडित किया जाएगा जो विशेष रूप से भारत सरकार के अधिकारियों, सैनिकों, नौसैनिकों और वायु सेना के सदस्यों को दंडित करने के लिए बनाया गया है।उदाहरण के लिए, अगर कोई सैनिक विद्रोह में शामिल है, तो उसे भारतीय दंड संहिता के तहत दंडित नहीं किया जाएगा। इसके बजाय, उसे सैन्य कानून के तहत दंडित किया जाएगा।इसी प्रकार, अगर कोई नौसेना का सदस्य अभिजन में शामिल है, तो उसे भारतीय दंड संहिता के तहत दंडित नहीं किया जाएगा। इसके बजाय, उसे नौसेना कानून के तहत दंडित किया जाएगा।धारा 5 यह सुनिश्चित करती है कि भारत सरकार के अधिकारियों, सैनिकों, नौसैनिकों और वायु सेना के सदस्यों को भारतीय दंड संहिता के तहत दंडित नहीं किया जाएगा, जब तक कि वे भारतीय दंड संहिता के तहत दंडनीय अपराध नहीं करते हैं।
धारा 6 - संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्यधीन समझा जाना
*धारा 6: परिभाषाओं के अपवाद** यह धारा कहती है कि इस संहिता में हर अपराध की परिभाषा, हर दंड उपबंध और हर ऐसी परिभाषा या दंड उपबंध का हर दृष्टांत, "साधारण अपवाद" शीर्षक वाले अध्याय में शामिल अपवादों के अधीन समझा जाएगा, चाहे उन अपवादों को ऐसी परिभाषा, दंड उपबंध या दृष्टांत में दोहराया न गया हो।* *उदाहरण:*
* इस संहिता की वे धाराएं, जिनमें अपराधों की परिभाषाएं शामिल हैं, यह स्पष्ट नहीं करती हैं कि सात वर्ष से कम आयु का बच्चा ऐसे अपराध नहीं कर सकता, लेकिन परिभाषाओं को उस साधारण अपवाद के अधीन समझा जाता है जिसमें यह प्रावधान है कि कोई भी काम, जो सात वर्ष से कम आयु के बच्चे द्वारा किया जाता है, अपराध नहीं है।
* क, एक पुलिस अधिकारी, बिना वारंट के, य को पकड़ लेता है, जिसने हत्या की है। यहां क सदोष परिरोध के अपराध का दोषी नहीं है, क्योंकि वह य को पकड़ने के लिए कानून द्वारा बाध्य था, और इसलिए यह मामला उस सामान्य अपवाद के अंतर्गत आता है, जिसमें यह प्रावधान है कि "कोई भी काम अपराध नहीं है जो किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाता है जो उसे करने के लिए कानून द्वारा बाध्य है।"* यह धारा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि अपराध की परिभाषाओं और दंड उपबंधों की व्याख्या करते समय अदालतें "साधारण अपवाद" को ध्यान में रखें। यह यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि अपराधों की परिभाषाओं और दंड उपबंधों की व्याख्या उचित और न्यायसंगत तरीके से की जाए।
धारा 7 - एक बार स्पष्टीकॄत पद का भाव
*धारा 7 का सरल अर्थ:*धारा 7 के अनुसार, यदि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में किसी शब्द को परिभाषित किया गया है, तो उस शब्द को पूरे आईपीसी में उसी अर्थ में इस्तेमाल किया जाएगा। यह सुनिश्चित करता है कि आईपीसी में इस्तेमाल किए गए शब्दों का मतलब स्पष्ट और सुसंगत हो।*उदाहरण:** धारा 299 में "अपवित्रता" शब्द को परिभाषित किया गया है। इस परिभाषा के अनुसार, अपवित्रता का मतलब है "कोई भी शब्द, इशारा या कृत्य जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है।" इसलिए, आईपीसी में हर जगह "अपवित्रता" शब्द का इस्तेमाल इसी अर्थ में किया जाएगा।
* धारा 300 में "हत्या" शब्द को परिभाषित किया गया है। इस परिभाषा के अनुसार, हत्या का मतलब है "किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनना।" इसलिए, आईपीसी में हर जगह "हत्या" शब्द का इस्तेमाल इसी अर्थ में किया जाएगा।*संबंधित धाराएँ:** धारा 3: यह धारा "कारण" शब्द को परिभाषित करती है।
* धारा 5: यह धारा "सद्भावना" शब्द को परिभाषित करती है।
* धारा 6: यह धारा "बाध्यता" शब्द को परिभाषित करती है।*भारतीय दंड संहिता और भारतीय आपराधिक कानून में धारा 7 का महत्व:*धारा 7 आईपीसी में इस्तेमाल किए गए शब्दों के अर्थ को स्पष्ट करती है। यह सुनिश्चित करता है कि आईपीसी को लागू करते समय कोई भ्रम या अनिश्चितता न हो। यह न्यायाधीशों और वकीलों को आईपीसी को सही ढंग से समझने और लागू करने में मदद करता है।धारा 7 आईपीसी की एक महत्वपूर्ण धारा है जो आईपीसी में इस्तेमाल किए गए शब्दों के अर्थ को स्पष्ट करती है। यह सुनिश्चित करता है कि आईपीसी को लागू करते समय कोई भ्रम या अनिश्चितता न हो। यह न्यायाधीशों और वकीलों को आईपीसी को सही ढंग से समझने और लागू करने में मदद करता है।
धारा 8 - लिंग
धारा 8, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), लिंग-तटस्थ भाषा के उपयोग पर लागू होती है। यह निर्दिष्ट करता है कि जहां किसी व्यक्ति के लिंग को शामिल करने वाला शब्द या वाक्यांश का उपयोग किया जाता है, वहाँ यह दोनों लिंगों के व्यक्तियों पर लागू होगा।*उदाहरण के लिए:*- धारा 300, आईपीसी, "हत्या" को परिभाषित करता है। यदि यह धारा "पुरुष" शब्द का उपयोग करती, तो यह केवल पुरुषों के खिलाफ हत्या के लिए लागू होती। हालाँकि, धारा 8 के कारण, यह धारा महिलाओं के खिलाफ हत्या के लिए भी लागू होती है।
- धारा 376, आईपीसी, "बलात्कार" को परिभाषित करता है। यदि यह धारा "पुरुष" शब्द का उपयोग करती, तो यह केवल पुरुषों द्वारा बलात्कार के लिए लागू होती। हालाँकि, धारा 8 के कारण, यह धारा महिलाओं द्वारा बलात्कार के लिए भी लागू होती है।धारा 8 का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए भी किया जाता है कि आईपीसी में निहित विभिन्न अपराधों के दंड दोनों लिंगों के व्यक्तियों के लिए समान हैं। उदाहरण के लिए, धारा 302, आईपीसी, "हत्या" के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान करती है। यह दंड पुरुषों और महिलाओं दोनों पर समान रूप से लागू होता है।धारा 8 यह सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि आईपीसी लिंग-निरपेक्ष हो और यह पुरुषों और महिलाओं के साथ समान व्यवहार करता हो। यह लैंगिक समानता हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
धारा 9 - वचन
धारा 9: एकवचन और बहुवचनभारतीय दंड संहिता की धारा 9 एक व्याख्यात्मक प्रावधान है जो इस बात का मार्गदर्शन करती है कि जब तक संदर्भ से अन्यथा स्पष्ट न हो, एकवचन वाचक शब्दों में बहुवचन भी शामिल है और बहुवचन वाचक शब्दों में एकवचन भी शामिल है। दूसरे शब्दों में, जब कोई कानून एकवचन या बहुवचन शब्द का उपयोग करता है, तो उसका आशय है कि उस शब्द में दोनों संख्याएँ शामिल हैं, जब तक कि कानून के विशिष्ट शब्दांकन या संदर्भ से यह स्पष्ट न हो कि केवल एक संख्या का उल्लेख किया गया है।उदाहरण के लिए, यदि कोई कानून कहता है कि "कोई व्यक्ति जो चोरी करता है उसे कारावास से दंडित किया जाएगा," तो इसका मतलब है कि एक व्यक्ति जो एक वस्तु चुराता है या एक व्यक्ति जो कई वस्तुओं की चोरी करता है, दोनों को कारावास से दंडित किया जाएगा। इसी तरह, यदि कोई कानून कहता है कि "कोई व्यक्ति जो हत्या करता है उसे मौत की सजा दी जाएगी," तो इसका मतलब है कि एक व्यक्ति जो एक व्यक्ति की हत्या करता है या एक व्यक्ति जो कई व्यक्तियों की हत्या करता है, दोनों को मौत की सजा दी जाएगी।धारा 9 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कानून स्पष्ट और संक्षिप्त हों, और यह कि कानूनी प्रक्रिया में अनावश्यक देरी या भ्रम से बचा जाए। धारा 9 यह सुनिश्चित करने में भी मदद करती है कि कानून भेदभावपूर्ण न हो, क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि कानून उन व्यक्तियों पर भी लागू होते हैं जो एकवचन या बहुवचन शब्दों का उपयोग करते हैं।धारा 9 भारतीय दंड संहिता की कई अन्य धाराओं से संबंधित है, जिसमें धारा 10 (शब्दों के अर्थ) और धारा 11 (अनुपातिक व्याख्या) शामिल हैं। धारा 10 शब्दों और वाक्यांशों के अर्थों को परिभाषित करती है, जबकि धारा 11 यह निर्दिष्ट करती है कि कानूनों की व्याख्या एक उचित और आनुपातिक तरीके से की जानी चाहिए। इन धाराओं को एक साथ पढ़ने से, यह स्पष्ट हो जाता है कि भारतीय दंड संहिता का उद्देश्य स्पष्ट और निष्पक्ष कानून बनाना है जो सभी व्यक्तियों पर समान रूप से लागू होते हैं।
धारा 10 - “पुरुष”। “स्त्री”
*धारा 10: पुरुष और स्त्री की परिभाषा** *पुरुष:* यह शब्द किसी भी उम्र के मानव नर को संदर्भित करता है। यह शब्द व्यापक है और इसमें लड़के और वयस्क पुरुष दोनों शामिल हैं।
* *स्त्री:* यह शब्द किसी भी उम्र की मानव नारी को संदर्भित करता है। यह शब्द भी व्यापक है और इसमें लड़कियाँ और वयस्क महिलाएँ दोनों शामिल हैं।धारा 10 भारतीय दंड संहिता की व्याख्यात्मक धाराओं में से एक है। यह धारा भारतीय दंड संहिता में प्रयुक्त शब्दों "पुरुष" और "स्त्री" को परिभाषित करती है। ये परिभाषाएँ भारतीय दंड संहिता में अपराधों की परिभाषा और व्याख्या करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।उदाहरण के लिए, धारा 302 भारतीय दंड संहिता में हत्या के अपराध को परिभाषित करती है। यह धारा कहती है कि "जो कोई भी किसी व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध, किसी ऐसे कृत्य से मृत्यु का कारण बनता है जो मृत्यु का कारण बनने की संभावना है, वह हत्या का दोषी होगा"। इस धारा में "व्यक्ति" शब्द का प्रयोग किया गया है। यह शब्द धारा 10 के अनुसार "किसी भी उम्र का मानव नर या मानव नारी" को संदर्भित करता है। इसलिए, धारा 302 भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या क�� अपराध किसी भी व्यक्ति की हत्या के लिए किया जा सकता है, चाहे वह व्यक्ति पुरुष हो या महिला, बालक हो या वयस्क।धारा 10 भारतीय दंड संहिता की एक महत्वपूर्ण धारा है। यह धारा भारतीय दंड संहिता में प्रयुक्त शब्दों "पुरुष" और "स्त्री" को परिभाषित करती है। ये परिभाषाएँ भारतीय दंड संहिता में अपराधों की परिभाषा और व्याख्या करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
धारा 11 - व्यक्ति
धारा 11 भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की व्याख्या:1. "व्यक्ति" की परिभाषा:
- धारा 11 के अनुसार, "व्यक्ति" शब्द में कोई भी कंपनी, एसोसिएशन या व्यक्ति निकाय शामिल है, चाहे वह निगमित हो या नहीं।
- इसका मतलब यह है कि कानून की नजर में, न सिर्फ इंसान, बल्कि कंपनियां, संगठन और अन्य संस्थाएं भी "व्यक्ति" के दायरे में आती हैं।2. उदाहरण:
- एक कंपनी जो पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करती है, उसे आईपीसी के प्रावधानों के तहत दंडित किया जा सकता है।
- एक एसोसिएशन जो लोगों के बीच झगड़े या हिंसा को बढ़ावा देती है, उसे आईपीसी के तहत अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
- एक व्यक्ति निकाय जो धोखाधड़ी या जालसाजी में शामिल है, उसे आईपीसी के तहत दंडित किया जा सकता है।3. प्रासंगिक तथ्य:
- धारा 11 आईपीसी में एक महत्वपूर्ण परिभाषा खंड है, क्योंकि यह निर्धारित करता है कि "व्यक्ति" शब्द का उपयोग पूरे आईपीसी में किस अर्थ में किया जाएगा।
- धारा 11 में "व्यक्ति" की परिभाषा "वैधानिक व्यक्ति" की अवधारणा से संबंधित है। वैधानिक व्यक्ति वे संस्थाएं या संगठन हैं जिन्हें कानून ने एक कानूनी इकाई के रूप में मान्यता दी है।
- "व्यक्ति" की परिभाषा आईपीसी में अपराधों के लिए जिम्मेदारी को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।4. अन्य संबंधित धाराएँ:
- आईपीसी की धारा 12 "अपराध" की परिभाषा प्रदान करती है और धारा 13 "अवरोध" की परिभाषा प्रदान करती है। ये धाराएँ आईपीसी में अपराधों की अवधारणा को समझने के लिए आवश्यक हैं।
- आईपीसी की धारा 34 "सामान्य इरादा" की अवधारणा को परिभाषित करती है, जबकि धारा 35 "अप्रत्यक्ष उत्तरदायित्व" की अवधारणा को परिभाषित करती है। ये धाराएँ आईपीसी में अपराधों के लिए जिम्मेदारी को समझने के लिए आवश्यक हैं।निष्कर्ष:
धारा 11 आईपीसी में एक महत्वपूर्ण परिभाषा खंड है, क्योंकि यह निर्धारित करता है कि "व्यक्ति" शब्द का उपयोग पूरे आईपीसी में किस अर्थ में किया जाएगा। "व्यक्ति" की परिभाषा आईपीसी में अपराधों के लिए जिम्मेदारी को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
धारा 12 - लोक
*धारा 12: लोक**सरल शब्दों में व्याख्या:** "लोक" शब्द का अर्थ है एक बड़ा समूह या लोगों का समुदाय।
* यह एक अपराध को परिभाषित करने के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह तय करता है कि क्या कोई कार्रवाई एक अपराध है या नहीं।
* यह निर्धारित करने के लिए कि कोई कार्रवाई "सार्वजनिक" है या नहीं, अदालतें निम्नलिखित कारकों पर विचार करेंगी:* क्या कार्रवाई एक सार्वजनिक स्थान पर हुई थी।
* क्या कार्रवाई कई लोगों द्वारा देखी गई थी।
* क्या कार्रवाई सामाजिक शांति या व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करती है।*उदाहरण:** यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक पार्क में नग्न दौड़ता है, तो यह एक सार्वजनिक अपराध माना जाएगा क्योंकि यह एक सार्वजनिक स्थान पर हुआ था और इसे कई लोगों ने देखा था।
* यदि कोई व्यक्ति अपने घर में नग्न दौड़ता है, तो इसे सार्वजनिक अपराध नहीं माना जाएगा क्योंकि यह एक सार्वजनिक स्थान पर नहीं हुआ था और इसे किसी ने नहीं देखा था।*संबंधित धाराएँ:** धारा 11: "अपराध" की परिभाषा देता है।
* धारा 23: "सहमति" की परिभाषा देता है।
* धारा 29: "आवश्यकता" की परिभाषा देता है।
* धारा 30: "उकसावे" की परिभाषा देता है।*निष्कर्ष:*धारा 12 यह परिभाषित करती है कि "लोक" शब्द का अर्थ क्या है और यह किसी अपराध को परिभाषित करने के लिए महत्वपूर्ण है। अदालतें यह निर्धारित करने के लिए कई कारकों पर विचार करेंगी कि कोई कार्रवाई "सार्वजनिक" है या नहीं, जिसमें यह भी शामिल है कि क्या कार्रवाई सार्वजनिक स्थान पर हुई थी, क्या इसे कई लोगों ने देखा था, और क्या यह सामाजिक शांति या व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करती है।
धारा 13 - “क्वीन” की परिभाषा
*धारा 13 का सरलीकृत स्पष्टीकरण*धारा 13 को भारतीय दंड संहिता, 1860 के विधि अनुकूलन आदेश, 1950 द्वारा निरस्त कर दिया गया है। इस धारा में "क्वीन" शब्द को परिभाषित किया गया था, जो कि ब्रिटिश शासन के दौरान भारत की संप्रभु थी। निरस्तीकरण के बाद, धारा 13 अब भारतीय दंड संहिता का हिस्सा नहीं है। इसलिए, इस धारा के बारे में विस्तार से चर्चा करना और उदाहरण देना प्रासंगिक नहीं है।
धारा 14 - सरकार का सेवक
*धारा 14: सरकार का सेवक (Government
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ईडी के खिलाफ खुली अराजकता का दुस्साहस कब तक?
-ः ललित गर्गः-
पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखली में 5 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जब कथित राशन वितरण घोटाले के सिलसिले में कई लोकेशन पर छापेमारी करने गयी तब टीएमसी के कार्यकर्ता एवं गांव के लोगों ने टीम पर जानलेवा एवं हिंसक हमला बोल दिया, जो न केवल शर्मनाक बल्कि कानून-व्यवस्था को तार-तार करने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। राशन घोटाले के आरोपी टीएमसी नेता शाहजहां शेख के घर पर लगे…
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COMINT - संचार खुफिया - परिभाषा, इतिहास, अनुप्रयोग (सैन्य खुफिया, राष्ट्रीय सुरक्षा, कूटनीति, कानून प्रवर्तन), लाभ, चुनौतियां और सीमाएं, तरीके और उपकरण, संचार के प्रकार COMINT द्वारा बाधित, कानूनी और नैतिक विचार, एजेंसियां COMINT में शामिल हैं
संचार खुफिया (COMINT) क्या है ?संचार खुफिया, जिसे COMINT के रूप में भी जाना जाता है, खुफिया जानकारी का एक महत्वपूर्ण पहलू है जिसमें व्यक्तियों या संगठनों के बीच संचार एकत्र करना और विश्लेषण करना शामिल है . यह बुद्धि के सबसे पुराने और सबसे महत्वपूर्ण रूपों में से एक है, जो प्राचीन सभ्यताओं में वापस आ [...] https://academypedia.info/hi/glossary/comint-%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%9a%e0%a4%be%e0%a4%b0-%e0%a4%96%e0%a5%81%e0%a4%ab%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%aa%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%b7%e0%a4%be-%e0%a4%87%e0%a4%a4/
#business #communication #data #education #ict #information #intelligence #technology - Created by David Donisa from Academypedia.info
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शी जिनपिंग ने चीनी तटरक्षक बल को दी खुली छूट, दक्षिण चीन सागर में अब मचेगी तबाही!
बीजिंग: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने तटरक्षक बल को खुली छूट दे दी है। उन्होंने कहा कि चीनी तटरक्षक बल को चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए समुद्री कानून लागू करना चाहिए और "आपराधिक गतिविधियों" पर कार्रवाई करनी चाहिए। इससे अंदेशा जताया जा रहा है कि चीनी तटरक्षक बल अब दक्षिण चीन सागर में और अधिक आक्रामक तरीके से सैन्य कार्रवाइयों को अंजाम दे सकती है। चीनी तटरक्षक बल पहले से ही अपनी आक्रामक और बिना किसी कारण के उकसावे की रणनीति के लिए बदनाम है। हाल में ही चीनी तटरक्षक बल के पोत दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस की नौकाओं को टक्कर मारने से लेकर पानी की बौछार करने, रास्ता रोकने और खतरनाक तरीके से पीछा करने जैसी घटनाओं में शामिल रहे हैं।
चीनी तटरक्षक बल को उकसा रहे जिनपिंग
चीनी समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, शी जिनपिंग ने पूर्वी चीन सागर क्षेत्र के लिए चीन तट रक्षक के कमांड कार्यालय और तट रक्षक के जहाजों के प्रदर्शन का वीडियो के माध्यम से निरीक्षण करते समय यह टिप्पणी की। पूर्वी चीन सागर में भी चीन का जापान के साथ द्वीपों को लेकर ��िवाद है। इन द्वीपों को लेकर अक्सर दोनों देशों की नौसेनाएं आमने-सामने आ जाती हैं। इन द्वीपों की पहरेदारी जापानी नौसेना करती है, जबकि चीनी तटरक्षक और नौसेना के पोत उनके घेरे को बार-बार तोड़ने की कोशिश करते हैं।
शी जिनपिंग ने तटरक्षक बल से क्या कहा
शी जिनपिंग ने कहा, "समुद्री कानून प्रवर्तन के समन्वय और सहयोग तंत्र को स्थापित करना और उसमें सुधार करना, समुद्र में अवैध और आपराधिक गतिविधियों पर सख्ती से कार्रवाई करना आवश्यक है।" चीनी राष्ट्रपति ने यह भी कहा, "समुद्री कानून प्रवर्तन में विदेशी देशों के साथ व्यावहारिक रूप से आदान-प्रदान और सहयोग करना और अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय समुद्री शासन में सक्रिय रूप से भाग लेना आवश्यक है।" चीन के शीर्ष नेता ने यह भी कहा कि चीन की समुद्री अर्थव्यवस्था के स्वस्थ विकास को बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
जिनपिंग के बयान से किस बात का डर
शी जिनपिंग के बयान से दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में चीनी तटरक्षक की आक्रामकता और ज्यादा बढ़ने की आशंका है। चीन पहले से ही पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है। अपने दावे को मजबूत करने के लिए वह लगातार इस क्षेत्र में कृत्रिम द्वीपों का निर्माण कर उसे सैन्यीकृत कर रहा है। वहीं, चीन के पड़ोसी देश उसके इस दावे को सिरे से खारिज करते हैं। इस कारण कई देशों के साथ चीन का समुद्र में विवाद भी है। http://dlvr.it/Szc9Kb
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अमेरिका–क्यानडा सिमानामा कार विस्फोट, दुईको मृत्यु
अमेरिका – क्यानडाको सिमानामा नियाग्रा फल्स नजिकै बुधबार दिउँसो एउटा गाडीमा विष्फोट भएको हो ।
उक्त गाडी विष्फोट हुँदा दुई जनाको मृत्यु भएको छ ।
त्यसपछि अमेरिका – क्यानडा सीमा नाका बन्द गरिएको छ । मृतक दुई जनाको अझै सनाखत हुन नसकेको अधिकारीहरुले बताएका छन् ।
एक वरिष्ठ अमेरिकी कानून प्रवर्तन अधिकारीले कार अमेरिकाबाट आउँदै गर्दा भन्सार स्टेशनमा ठोक्किएर कार जलेको बताए ।
कार के कारणले विष्फोट भयो…
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बिडेन का कहना है कि ट्रम्प में 6 जनवरी के दंगों के दौरान 'कार्रवाई करने का साहस' नहीं था
बिडेन का कहना है कि ट्रम्प में 6 जनवरी के दंगों के दौरान ‘कार्रवाई करने का साहस’ नहीं था
द्वारा पीटीआई
वॉशिंगटन: राष्ट्रपति जो बिडेन ने कैपिटल पर पिछले साल के घातक भीड़ के हमले को रोकने और रोकने में विफल रहने के लिए अपने पूर्ववर्ती की निंदा की, सोमवार को कहा कि “डोनाल्ड ट्रम्प में कार्य करने के लिए साहस की कमी थी” क्योंकि “मध्ययुगीन नरक” के घंटे सामने आए।
“हर दिन हम जीवन बचाने के लिए कानून प्रवर्तन पर भरोसा करते हैं। फिर, 6 जनवरी को, हमने अपने लोकतंत्र को बचाने के लिए कानून प्रवर्तन…
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तमिलनाडु के गैर सरकारी संगठनों पर एफसीआरए उल्लंघन का आरोप, विकास विरोधी फंडिंग का संदेह : कानूनी अधिकार संरक्षण मंच
कानूनी कार्यकर्ता समूह कानूनी अधिकार संरक्षण मंच ने 6 नवंबर को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखकर आयोग से तमिलनाडु स्थित गैर-सरकारी संगठन, तूतीकोरिन डायोसेसन एसोसिएशन के खिलाफ मामला दर्ज करने और कार्रवाई के लिए आयोग से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और अन्य संबंधित खुफिया एजेंसियों से अनुरोध करने का आग्रह किया है।
इसने राष्ट्रीय आयोग से बाल कल्याण विशेषज्ञों, चार्टर्ड अकाउंटेंट और कानून प्रवर्तन अधिकारियों की एक बहु-विषयक टीम गठित करने और एनजीओ की गतिविधियों की जांच करने और यह तय करने के लिए भी कहा कि क्या उसे एक पंजीकृत समाज के रूप में कार्य करने का अधिकार है।
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डोनाल्ड ट्रम्प म्यानहट अदालतमा उपस्थिति हुन सक्ने भए पछि सुरक्षा बढाइयो
वासिंगटन डिसी, १५ असोज । अमेरिकका पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्पले सोमबार न्यूयोर्कमा आफ्नो नागरिक धोखाधडी मुद्दामा व्यक्तिगत रूपमा उपस्थित हुने सम्भावना देखिएको छ ।
उनी निकट स्रोतहरुका अनुसार ट्रम्प स्वयंम उपस्थित हुने योजना बनाइरहेको सीएनएनले जनाएको छ ।
कानून प्रवर्तन र अदालतका कर्मचारीहरूले सोमबार र सम्भवतः मंगलबार तल्लो म्यानहट्टनको अदालतमा ट्रम्पको सम्भावित उपस्थितिको लागि सुरक्षा तयारी…
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AMC सहायक जूनियर क्लर्क भर्ती: अहमदाबाद में 612 पदों की भर्ती
📅 अंतिम तिथि:15/04/2024👨💼 रिक्त पद:612👉 पद का नाम:सहायक जूनियर क्लर्क
AMC Sahayak Junior Clerk Recruitment: अहमदाबाद में नौकरी के अवसर तलाश रहे लोगों के लिए बड़ी खबर! Amdavad Municipal Corporation (AMC) भर्ती बोर्ड ने एक नए भर्ती अभियान की घोषणा की है। वे वर्ष 2024 के लिए सहायक जूनियर क्लर्क के रूप में अपनी टीम में शामिल होने के लिए उत्साही व्यक्तियों की तलाश कर रहे हैं। यदि आप रुचि रखते हैं, तो यह आपके लिए शहर के प्रशासन में योगदान करने का एक शानदार अवसर हो सकता है।
यह भर्ती अभियान पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए पदों को भरकर हमारे समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बारे में है। नौकरी के ढेरों अवसर उपलब्ध होने के कारण, कानून प्रवर्तन में सम्मानित करियर म��ं रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यह एक शानदार अवसर है।
AMC सहायक जूनियर क्लर्क के लिए अधिसूचना 15 मार्च, 2024 को जारी की गई थी। यदि आप आवेदन करने के इच्छुक हैं, तो आप नीचे ऑनलाइन आवेदन पत्र के लिए पंजीकरण लिंक पा सकते हैं।
AMC Sahayak Junior Clerk Bharti (AMC सहायक जूनियर क्लर्क भर्ती)
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IPC NOTES
IPC NOTES
धारा 1 - संहिता का नाम और उसके प्रवर्तन का विस्तार
*धारा 1: भारतीय दंड संहिता का नाम और विस्तार** भारतीय दंड संहिता को संक्षेप में आईपीसी भी कहा जाता है।
* आईपीसी एक कानून है जो भारत में होने वाले अपराधों और उनके लिए सजा का प्रावधान करता है।
* आईपीसी 1 जनवरी, 1862 से पूरे भारत में लागू है, सिवाय जम्मू और कश्मीर के।
* जम्मू और कश्मीर में आईपीसी 31 अक्टूबर, 2019 से लागू हुई है, जब भारत सरकार ने वहां संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया था।
* आईपीसी में कुल 511 धाराएं हैं, जो 23 अध्यायों में विभाजित हैं।
* आईपीसी की पहली धारा संहिता का नाम और विस्तार बताती है।*उदाहरण:** अगर कोई व्यक्ति किसी की हत्या करता है, तो उसे आईपीसी की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास या मौत की सजा हो सकती है।
* अगर कोई व्यक्ति किसी के साथ बलात्कार करता है, तो उसे आईपीसी की धारा 376 के तहत आजीवन कारावास या 10 साल तक की सजा हो सकती है।
* अगर कोई व्यक्ति किसी की जेब से पर्स चुराता है, तो उसे आईपीसी की धारा 379 के तहत 3 साल तक की सजा हो सकती है।*संबंधित कानून:** आईपीसी के अलावा, भारत में कई अन्य कानून हैं जो अपराधों और उनकी सजा का प्रावधान करते हैं।
* इन कानूनों में भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), साक्ष्य अधिनियम, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और अन्य शामिल हैं।
* ये सभी कानून मिलकर भारत में अपराधों को नियंत्रित करने और अपराधियों को सजा देने का काम करते हैं।
धारा 2 - भारत के भीतर किए गए अपराधों का दण्ड
धारा 2, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) इस सिद्धांत को निर्धारित करती है कि किसी भी अपराध के लिए दंडित किए जाने के लिए, अपराध को भारत के भीतर किया जाना चाहिए। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति भारत के बाहर अपराध करता है, तो उसे उस अपराध के लिए भारत में दंडित नहीं किया जा सकता है।धारा 2 में निम्नलिखित प्रमुख तत्व हैं:* अपराध भारत के भीतर किया जाना चाहिए।
* अपराधी को भारत के भीतर दोषी ठहराया जाना चाहिए।
* अपराधी को भारतीय दंड संहिता के तहत दंडित किया जाना चाहिए।धारा 2 के कुछ उदाहरण यहां दिए गए हैं:* अगर कोई व्यक्ति भारत में हत्या करता है, तो उसे भारत में हत्या के लिए दंडित किया जा सकता है।
* अगर कोई व्यक्ति भारत में चोरी करता है, तो उसे भारत में चोरी के लिए दंडित किया जा सकता है।
* अगर कोई व्यक्ति भारत में बलात्कार करता है, तो उसे भारत में बलात्कार के लिए दंडित किया जा सकता है।धारा 2 के अपवाद भी हैं। कुछ अपराध ऐसे हैं जिन्हें भारत के बाहर भी किया जा सकता है, लेकिन फिर भी भारत में दंडनीय हैं। इन अपराधों में शामिल हैं:* भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ना।
* भारत की सरकार को उखाड़ फेंकने का प्रयास।
* भारत के राष्ट्रपति या प्रधान मंत्री की हत्या।
* भारत में राजनयिक मिशन या वाणिज्य दूतावास पर हमला।धारा 2 भारतीय दंड संहिता का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो सुनिश्चित करता है कि भारत में केवल भारत के भीतर किए गए अपराधों के लिए ही दंडित किया जा सकता है।
धारा 3 - भारत से परे किए गए किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अफराधों का दण्ड
*धारा 3, भारतीय दंड संहिता: भारत से परे किए गए अपराधों का दंड**सादे शब्दों में:*धारा 3 IPC के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति भारत से बाहर कोई अपराध करता है, लेकिन उस अपराध पर भारतीय कानून के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है, तो उस व्यक्ति पर उसी तरह से मुकदमा चलाया जाएगा जैसे कि उसने वह अपराध भारत में ही किया हो।*उदाहरण:** अगर कोई भारतीय नागरिक दूसरे देश में किसी भारतीय नागरिक की हत्या करता है, तो उस पर भारत में हत्या के आरोप में मुकदमा चलाया जा सकता है।
* अगर कोई विदेशी नागरिक भारत में किसी भारतीय नागरिक की चोरी करता है, तो उस पर भारत में चोरी के आरोप में मुकदमा चलाया जा सकता है।
* अगर कोई भारतीय नागरिक दूसरे देश में किसी विदेशी नागरिक की हत्या करता है, और वह भारतीय नागरिक भारत वापस आ जाता है, तो उस पर भारत में हत्या के आरोप में मुकदमा चलाया जा सकता है।*संबंधित धाराएँ:** धारा 4 IPC: अपराध किस जगह किया गया, यह निर्धारित करने के लिए नियम।
* धारा 5 IPC: अपराध किस समय किया गया, यह निर्धारित करने के लिए नियम।
* धारा 6 IPC: अपराधी की मृत्यु हो जाने पर भी अपराध के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है।
* धारा 7 IPC: अपराध की साजिश रचने या भड़काने के लिए भी मुकदमा चलाया जा सकता है।*निष्कर्ष:*धारा 3 IPC यह सुनिश्चित करती है कि भारत से बाहर किए गए अपराधों के लिए भी अपराधियों को सजा दी जा सके। यह धारा भारत के नागरिकों और विदेशी नागरिकों दोनों पर समान रूप से लागू होती है।
धारा 4 - राज्यक्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तार
*धारा 4 आईपीसी - राज्यक्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तार*भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 4 भारत के बाहर किए गए अपराधों के लिए भारतीय अदालतों के अधिकार क्षेत्र को निर्धारित करती है। इस धारा के अनुसार, यदि भारत का कोई नागरिक भारत के बाहर कोई अपराध करता है, या यदि भारत में पंजीकृत किसी जहाज या विमान पर कोई व्यक्ति अपराध करता है, तो उस व्यक्ति पर आईपीसी के प्रावधान लागू होंगे और उसे भारत की अदालत में विचारण के लिए लाया जा सकता है।*उदाहरण:** यदि कोई भारतीय नागरिक विदेश में हत्या करता है, तो उसे भारत में हत्या के लिए विचारित और दोषी ठहराया जा सकता है।
* यदि कोई व्यक्ति भारत में पंजीकृत जहाज पर चोरी करता है, तो उसे भारत में चोरी के लिए विचारित और दोषी ठहराया जा सकता है।धारा 4 के स्पष्टीकरण में कहा गया है कि "अपराध" शब्द के अंतर्गत भारत के बाहर किया गया ऐसा हर कार्य आता है, जो यदि भारत में किया जाता तो आईपीसी के अधीन दंडनीय होता। इसका मतलब यह है कि धारा 4 केवल उन अपराधों पर लागू होती है जो आईपीसी के तहत दंडनीय हैं।*संबंधित धाराएँ:** आईपीसी की धारा 5: यह धारा उन परिस्थितियों को निर्दिष्ट करती है जिनमें भारत के बाहर किए गए अपराधों के लिए भ���रतीय अदालतों को अधिकार क्षेत्र नहीं होगा।
* आईपीसी की धारा 6: यह धारा उन परिस्थितियों को निर्दिष्ट करती है जिनमें भारत के बाहर किए गए अपराधों के लिए भारतीय अदालतों को अधिकार क्षेत्र होगा।
* आईपीसी की धारा 7: यह धारा उन परिस्थितियों को निर्दिष्ट करती है जिनमें भारत के बाहर किए गए अपराधों के लिए भारतीय अदालतों को अधिकार क्षेत्र नहीं होगा, भले ही धारा 6 के तहत भारतीय अदालतों को अधिकार क्षेत्र हो।धारा 4 भारतीय दंड संहिता का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो यह सुनिश्चित करता है कि भारत के बाहर किए गए अपराधों के लिए भारतीय नागरिकों और भारत में पंजीकृत जहाजों या विमानों पर अपराध करने वाले व्यक्तियों को दंडित किया जा सके।
धारा 5 - कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना
धारा 5, भारतीय दंड संहिता: भारत सरकार की सेवा के ऑफिसरों, सैनिकों, नौसैनिकों और वायु सैनिकों को दंडित करने वाले विशेष कानूनधारा 5 कहती है कि इस अधिनियम (IPC) की कोई भी बात निम्नलिखित पर लागू नहीं होगी:- भारत सरकार की सेवा के अधिकारियों द्वारा विद्रोह और अभिजन को दंडित करने वाले किसी अधिनियम के प्रावधान
- किसी विशेष या स्थानीय कानून के प्रावधानइसका मतलब यह है कि अगर कोई भारत सरकार का अधिकारी है, सैनिक है, नौसेना का सदस्य है, या वायु सेना का सदस्य है, और वह विद्रोह या अभिजन में शामिल है, तो उसे इस अधिनियम के तहत दंडित नहीं किया जाएगा। इसके बजाय, उसे उस कानून के तहत दंडित किया जाएगा जो विशेष रूप से भारत सरकार के अधिकारियों, सैनिकों, नौसैनिकों और वायु सेना के सदस्यों को दंडित करने के लिए बनाया गया है।उदाहरण के लिए, अगर कोई सैनिक विद्रोह में शामिल है, तो उसे भारतीय दंड संहिता के तहत दंडित नहीं किया जाएगा। इसके बजाय, उसे सैन्य कानून के तहत दंडित किया जाएगा।इसी प्रकार, अगर कोई नौसेना का सदस्य अभिजन में शामिल है, तो उसे भारतीय दंड संहिता के तहत दंडित नहीं किया जाएगा। इसके बजाय, उसे नौसेना कानून के तहत दंडित किया जाएगा।धारा 5 यह सुनिश्चित करती है कि भारत सरकार के अधिकारियों, सैनिकों, नौसैनिकों और वायु सेना के सदस्यों को भारतीय दंड संहिता के तहत दंडित नहीं किया जाएगा, जब तक कि वे भारतीय दंड संहिता के तहत दंडनीय अपराध नहीं करते हैं।
धारा 6 - संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्यधीन समझा जाना
*धारा 6: परिभाषाओं के अपवाद** यह धारा कहती है कि इस संहिता में हर अपराध की परिभाषा, हर दंड उपबंध और हर ऐसी परिभाषा या दंड उपबंध का हर दृष्टांत, "साधारण अपवाद" शीर्षक वाले अध्याय में शामिल अपवादों के अधीन समझा जाएगा, चाहे उन अपवादों को ऐसी परिभाषा, दंड उपबंध या दृष्टांत में दोहराया न गया हो।* *उदाहरण:*
* इस संहिता की वे धाराएं, जिनमें अपराधों की परिभाषाएं शामिल हैं, यह स्पष्ट नहीं करती हैं कि सात वर्ष से कम आयु का बच्चा ऐसे अपराध नहीं कर सकता, लेकिन परिभाषाओं को उस साधारण अपवाद के अधीन समझा जाता है जिसमें यह प्रावधान है कि कोई भी काम, जो सात वर्ष से कम आयु के बच्चे द्वारा किया जाता है, अपराध नहीं है।
* क, एक पुलिस अधिकारी, बिना वारंट के, य को पकड़ लेता है, जिसने हत्या की है। यहां क सदोष परिरोध के अपराध का दोषी नहीं है, क्योंकि वह य को पकड़ने के लिए कानून द्वारा बाध्य था, और इसलिए यह मामला उस सामान्य अपवाद के अंतर्गत आता है, जिसमें यह प्रावधान है कि "कोई भी काम अपराध नहीं है जो किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाता है जो उसे करने के लिए कानून द्वारा बाध्य है।"* यह धारा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि अपराध की परिभाषाओं और दंड उपबंधों की व्याख्या करते समय अदालतें "साधारण अपवाद" को ध्यान में रखें। यह यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि अपराधों की परिभाषाओं और दंड उपबंधों की व्याख्या उचित और न्यायसंगत तरीके से की जाए।
धारा 7 - एक बार स्पष्टीकॄत पद का भाव
*धारा 7 का सरल अर्थ:*धारा 7 के अनुसार, यदि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में किसी शब्द को परिभाषित किया गया है, तो उस शब्द को पूरे आईपीसी में उसी अर्थ में इस्तेमाल किया जाएगा। यह सुनिश्चित करता है कि आईपीसी में इस्तेमाल किए गए शब्दों का मतलब स्पष्ट और सुसंगत हो।*उदाहरण:** धारा 299 में "अपवित्रता" शब्द को परिभाषित किया गया है। इस परिभाषा के अनुसार, अपवित्रता का मतलब है "कोई भी शब्द, इशारा या कृत्य जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है।" इसलिए, आईपीसी में हर जगह "अपवित्रता" शब्द का इस्तेमाल इसी अर्थ में किया जाएगा।
* धारा 300 में "हत्या" शब्द को परिभाषित किया गया है। इस परिभाषा के अनुसार, हत्या का मतलब है "किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनना।" इसलिए, आईपीसी में हर जगह "हत्या" शब्द का इस्तेमाल इसी अर्थ में किया जाएगा।*संबंधित धाराएँ:** धारा 3: यह धारा "कारण" शब्द को परिभाषित करती है।
* धारा 5: यह धारा "सद्भावना" शब्द को परिभाषित करती है।
* धारा 6: यह धारा "बाध्यता" शब्द को परिभाषित करती है।*भारतीय दंड संहिता और भारतीय आपराधिक कानून में धारा 7 का महत्व:*धारा 7 आईपीसी में इस्तेमाल किए गए शब्दों के अर्थ को स्पष्ट करती है। यह सुनिश्चित करता है कि आईपीसी को लागू करते समय कोई भ्रम या अनिश्चितता न हो। यह न्यायाधीशों और वकीलों को आईपीसी को सही ढंग से समझने और लागू करने में मदद करता है।धारा 7 आईपीसी की एक महत्वपूर्ण धारा है जो आईपीसी में इस्तेमाल किए गए शब्दों के अर्थ को स्पष्ट करती है। यह सुनिश्चित करता है कि आईपीसी को लागू करते समय कोई भ्रम या अनिश्चितता न हो। यह न्यायाधीशों और वकीलों को आईपीसी को सही ढंग से समझने और लागू करने में मदद करता है।
धारा 8 - लिंग
धारा 8, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), लिंग-तटस्थ भाषा के उपयोग पर लागू होती है। यह निर्दिष्ट करता है कि जहां किसी व्यक्ति के लिंग को शामिल करने वाला शब्द या वाक्यांश का उपयोग किया जाता है, वहाँ यह दोनों लिंगों के व्यक्तियों पर लागू होगा।*उदाहरण के लिए:*- धारा 300, आईपीसी, "हत्या" को परिभाषित करता है। यदि यह धारा "पुरुष" शब्द का उपयोग करती, तो यह केवल पुरुषों के खिलाफ हत्या के लिए लागू होती। हालाँकि, धारा 8 के कारण, यह धारा महिलाओं के खिलाफ हत्या के लिए भी लागू होती है।
- धारा 376, आईपीसी, "बलात्कार" को परिभाषित करता है। यदि यह धारा "पुरुष" शब्द का उपयोग करती, तो यह केवल पुरुषों द्वारा बलात्कार के लिए लागू होती। हालाँकि, धारा 8 के कारण, यह धारा महिलाओं द्वारा बलात्कार के लिए भी लागू होती है।धारा 8 का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए भी किया जाता है कि आईपीसी में निहित विभिन्न अपराधों के दंड दोनों लिंगों के व्यक्तियों के लिए समान हैं। उदाहरण के लिए, धारा 302, आईपीसी, "हत्या" के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान करती है। यह दंड पुरुषों और महिलाओं दोनों पर समान रूप से लागू होता है।धारा 8 यह सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि आईपीसी लिंग-निरपेक्ष हो और यह पुरुषों और महिलाओं के साथ समान व्यवहार करता हो। यह लैंगिक समानता हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
धारा 9 - वचन
धारा 9: एकवचन और बहुवचनभारतीय दंड संहिता की धारा 9 एक व्याख्यात्मक प्रावधान है जो इस बात का मार्गदर्शन करती है कि जब तक संदर्भ से अन्यथा स्पष्ट न हो, एकवचन वाचक शब्दों में बहुवचन भी शामिल है और बहुवचन वाचक शब्दों में एकवचन भी शामिल है। दूसरे शब्दों में, जब कोई कानून एकवचन या बहुवचन शब्द का उपयोग करता है, तो उसका आशय है कि उस शब्द में दोनों संख्याएँ शामिल हैं, जब तक कि कानून के विशिष्ट शब्दांकन या संदर्भ से यह स्पष्ट न हो कि केवल एक संख्या का उल्लेख किया गया है।उदाहरण के लिए, यदि कोई कानून कहता है कि "कोई व्यक्ति जो चोरी करता है उसे कारावास से दंडित किया जाएगा," तो इसका मतलब है कि एक व्यक्ति जो एक वस्तु चुराता है या एक व्यक्ति जो कई वस्तुओं की चोरी करता है, दोनों को कारावास से दंडित किया जाएगा। इसी तरह, यदि कोई कानून कहता है कि "कोई व्यक्ति जो हत्या करता है उसे मौत की सजा दी जाएगी," तो इसका मतलब है कि एक व्यक्ति जो एक व्यक्ति की हत्या करता है या एक व्यक्ति जो कई व्यक्तियों की हत्या करता है, दोनों को मौत की सजा दी जाएगी।धारा 9 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कानून स्पष्ट और संक्षिप्त हों, और यह कि कानूनी प्रक्रिया में अनावश्यक देरी या भ्रम से बचा जाए। धारा 9 यह सुनिश्चित करने में भी मदद करती है कि कानून भेदभावपूर्ण न हो, क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि कानून उन व्यक्तियों पर भी लागू होते हैं जो एकवचन या बहुवचन शब्दों का उपयोग करते हैं।धारा 9 भारतीय दंड संहिता की कई अन्य धाराओं से संबंधित है, जिसमें धारा 10 (शब्दों के अर्थ) और धारा 11 (अनुपातिक व्याख्या) शामिल हैं। धारा 10 शब्दों और वाक्यांशों के अर्थों को परिभाषित करती है, जबकि धारा 11 यह निर्दिष्ट करती है कि कानूनों की व्याख्या एक उचित और आनुपातिक तरीके से की जानी चाहिए। इन धाराओं को एक साथ पढ़ने से, यह स्पष्ट हो जाता है कि भारतीय दंड संहिता का उद्देश्य स्पष्ट और निष्पक्ष कानून बनाना है जो सभी व्यक्तियों पर समान रूप से लागू होते हैं।
धारा 10 - “पुरुष”। “स्त्री”
*धारा 10: पुरुष और स्त्री की परिभाषा** *पुरुष:* यह शब्द किसी भी उम्र के मानव नर को संदर्भित करता है। यह शब्द व्यापक है और इसमें लड़के और वयस्क पुरुष दोनों शामिल हैं।
* *स्त्री:* यह शब्द किसी भी उम्र की मानव नारी को संदर्भित करता है। यह शब्द भी व्यापक है और इसमें लड़कियाँ और वयस्क महिलाएँ दोनों शामिल हैं।धारा 10 भारतीय दंड संहिता की व्याख्यात्मक धाराओं में से एक है। यह धारा भारतीय दंड संहिता में प्रयुक्त शब्दों "पुरुष" और "स्त्री" को परिभाषित करती है। ये परिभाषाएँ भारतीय दंड संहिता में अपराधों की परिभाषा और व्याख्या करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।उदाहरण के लिए, धारा 302 भारतीय दंड संहिता में हत्या के अपराध को परिभाषित करती है। यह धारा कहती है कि "जो कोई भी किसी व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध, किसी ऐसे कृत्य से मृत्यु का कारण बनता है जो मृत्यु का कारण बनने की संभावना है, वह हत्या का दोषी होगा"। इस धारा में "व्यक्ति" शब्द का प्रयोग किया गया है। यह शब्द धारा 10 के अनुसार "किसी भी उम्र का मानव नर या मानव नारी" को संदर्भित करता है। इसलिए, धारा 302 भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या का अपराध किसी भी व्यक्ति की हत्या के लिए किया जा सकता है, चाहे वह व्यक्ति पुरुष हो या महिला, बालक हो या वयस्क।धारा 10 भारतीय दंड संहिता की एक महत्वपूर्ण धारा है। यह धारा भारतीय दंड संहिता में प्रयुक्त शब्दों "पुरुष" और "स्त्री" को परिभाषित करती है। ये परिभाषाएँ भारतीय दंड संहिता में अपराधों की परिभाषा और व्याख्या करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
धारा 11 - व्यक्ति
धारा 11 भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की व्याख्या:1. "व्यक्ति" की परिभाषा:
- धारा 11 के अनुसार, "व्यक्ति" शब्द में कोई भी कंपनी, एसोसिएशन या व्यक्ति निकाय शामिल है, चाहे वह निगमित हो या नहीं।
- इसका मतलब यह है कि कानून की नजर में, न सिर्फ इंसान, बल्कि कंपनियां, संगठन और अन्य संस्थाएं भी "व्यक्ति" के दायरे में आती हैं।2. उदाहरण:
- एक कंपनी जो पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करती है, उसे आईपीसी के प्रावधानों के तहत दंडित किया जा सकता है।
- एक एसोसिएशन जो लोगों के बीच झगड़े या हिंसा को बढ़ावा देती है, उसे आईपीसी के तहत अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
- एक व्यक्ति निकाय जो धोखाधड़ी या जालसाजी में शामिल है, उसे आईपीसी के तहत दंडित किया जा सकता है।3. प्रासंगिक तथ्य:
- धारा 11 आईपीसी में एक महत्वपूर्ण परिभाषा खंड है, क्योंकि यह निर्धारित करता है कि "व्यक्ति" शब्द का उपयोग पूरे आईपीसी में किस अर्थ में किया जाएगा।
- धारा 11 में "व्यक्ति" की परिभाषा "वैधानिक व्यक्ति" की अवधारणा से संबंधित है। वैधानिक व्यक्ति वे संस्थाएं या संगठन हैं जिन्हें कानून ने एक कानूनी इकाई के रूप में मान्यता दी है।
- "व्यक्ति" की परिभाषा आईपीसी में अपराधों के लिए जिम्मेदारी को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।4. अन्य संबंधित धाराएँ:
- आईपीसी की धारा 12 "अपराध" की परिभाषा प्रदान करती है और धारा 13 "अवरोध" की परिभाषा प्रदान करती है। ये धाराएँ आईपीसी में अपराधों की अवधारणा को समझने के लिए आवश्यक हैं।
- आईपीसी की धारा 34 "सामान्य इरादा" की अवधारणा को परिभाषित करती है, जबकि धारा 35 "अप्रत्यक्ष उत्तरदायित्व" की अवधारणा को परिभाषित करती है। ये धाराएँ आईपीसी में अपराधों के लिए जिम्मेदारी को समझने के लिए आवश्यक हैं।निष्कर्ष:
धारा 11 आईपीसी में एक महत्वपूर्ण परिभाषा खंड है, क्योंकि यह निर्धारित करता है कि "व्यक्ति" शब्द का उपयोग पूरे आईपीसी में किस अर्थ में किया जाएगा। "व्यक्ति" की परिभाषा आईपीसी में अपराधों के लिए जिम्मेदारी को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
धारा 12 - लोक
*धारा 12: लोक**सरल शब्दों में व्याख्या:** "लोक" शब्द का अर्थ है एक बड़ा समूह या लोगों का समुदाय।
* यह एक अपराध को परिभाषित करने के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह तय करता है कि क्या कोई कार्रवाई एक अपराध है या नहीं।
* यह निर्धारित करने के लिए कि कोई कार्रवाई "सार्वजनिक" है या नहीं, अदालतें निम्नलिखित कारकों पर विचार करेंगी:* क्या कार्रवाई एक सार्वजनिक स्थान पर हुई थी।
* क्या कार्रवाई कई लोगों द्वारा देखी गई थी।
* क्या कार्रवाई सामाजिक शांति या व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करती है।*उदाहरण:** यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक पार्क में नग्न दौड़ता है, तो यह एक सार्वजनिक अपराध माना जाएगा क्योंकि यह एक सार्वजनिक स्थान पर हुआ था और इसे कई लोगों ने देखा था।
* यदि कोई व्यक्ति अपने घर में नग्न दौड़ता है, तो इसे सार्वजनिक अपराध नहीं माना जाएगा क्योंकि यह एक सार्वजनिक स्थान पर नहीं हुआ था और इसे किसी ने नहीं देखा था।*संबंधित धाराएँ:** धारा 11: "अपराध" की परिभाषा देता है।
* धारा 23: "सहमति" की परिभाषा देता है।
* धारा 29: "आवश्यकता" की परिभाषा देता है।
* धारा 30: "उकसावे" की परिभाषा देता है।*निष्कर्ष:*धारा 12 यह परिभाषित करती है कि "लोक" शब्द का अर्थ क्या है और यह किसी अपराध को परिभाषित करने के लिए महत्वपूर्ण है। अदालतें यह निर्धारित करने के लिए कई कारकों पर विचार करेंगी कि कोई कार्रवाई "सार्वजनिक" है या नहीं, जिसमें यह भी शामिल है कि क्या कार्रवाई सार्वजनिक स्थान पर हुई थी, क्या इसे कई लोगों ने देखा था, और क्या यह सामाजिक शांति या व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करती है।
धारा 13 - “क्वीन” की परिभाषा
*धारा 13 का सरलीकृत स्पष्टीकरण*धारा 13 को भारतीय दंड संहिता, 1860 के विधि अनुकूलन आदेश, 1950 द्वारा निरस्त कर दिया गया है। इस धारा में "क्वीन" शब्द को परिभाषित किया गया था, जो कि ब्रिटिश शासन के दौरान भारत की संप्रभु थी। निरस्तीकरण के बाद, धारा 13 अब भारतीय दंड संहिता का हिस्सा नहीं है। इसलिए, इस धारा के बारे में विस्तार से चर्चा करना और उदाहरण देना प्रासंगिक नहीं है���
धारा 14 - सरकार का सेवक
*धारा 14: सरकार का सेवक (Government
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पॉक्सो में सहमति की उम्र घटाने का मामला : बचपन बचाओ आंदोलन की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
28568_2023_1_18_46466_Order_25-Aug-2023 (1)
पॉक्सो में सहमति की उम्र घटाने की कुछ कानून प्रवर्तन एजेंसियों की मांग और देश की विभिन्न अदालतों में दिए गए विभिन्न फैसलों में इस मांग के प्रति अदालतों के रुख में दिखती नरमी के खिलाफ बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) की अर्जी को चिह्नांकित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने संबद्ध पक्षों को नोटिस जारी किया है। याचिका में कहा गया है कि इस मांग से देश में बड़ी संख्या में…
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