हिंदी दिवस क्यों मनाते हैं? : Hindi Diwas Ki Shayari: इन बेस्ट शारियों के जरिए दें अपनों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं
हिंदी दिवस क्यों मनाते हैं?
उनके 50वें जन्मदिन पर ही संविधान सभा ने हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में औपचारिक रूप दिया था और बाद में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य पूरे देश में हिंदी के उपयोग और समझ को बढ़ावा देना है ।
हिंदी दिवस 2024 का विषय क्या है?
हिंदी दिवस 2024 की थीम की आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है। हिंदी…
परमात्मा कबीर साहेब जी कहते हैं कि दिन में तो मुसलमान रोजा रखते हैं लेकिन रात को गाय को काटकर खाते हैं। एक तरफ तो अल्लाह की बन्दगी करते हैं और दूसरी तरफ गाय की हत्या कर देते हैं। इस तरह की इबादत से अल्लाह कभी खुश नहीं होते।
गुजरात के भरुच शहर के पास अंकलेश���वर गांव के पास जीवा-दत्ता नामक दो भक्तों द्वारा पूर्ण संत की खोज में लगाई गई सूखी वट वृक्ष की टहनी को कबीर परमेश्वर ने अपने चरणामृत से हरी भरी कर दी थी। जो आज भी भरुच शहर के पास प्रमाण के तौर पर मौजूद हैं, जिसे कबीर वट वृक्ष के नाम से जाना जाता है
प्रश्न:- यह कहाँ प्रमाण है कि ‘‘ओम् नाम का जाप करने वाले ब्रह्मलोक में जाते हैं और ब्रह्म भी ब्रह्मलोक में रहता है?
उत्तर:- श्री देवी महापुराण के सातवें स्कंद के अध्याय 36 में श्री देवी जी ने राजा हिमालय से कहा कि हे राजन्! और बातें छोड़कर यानि और सबकी भक्ति छोड़कर केवल ओम् नाम का स्मरण कर, जिसके स्मरण से तू ब्रह्म को प्राप्त हो जाएगा जो दिव्य आकाश रूप ब्रह्मलोक में रहता है।
{ध्यान रहे:- गीता अध्याय 8 श्लोक 16 में कहा है कि ब्रह्मलोक में गए साधक भी जन्म-मरण के चक्र में हैं।}
वह सतनाम-सारनाम उपासक सतलोक चला जाता है। उसका पुनर्जन्म नहीं होता। हम सबने कबीर साहिब के ज्ञान को पुनः पढ़ना चाहिए तथा सोचना चाहिए कि सतलोक प्राप्ति केवल कबीर साहिब के द्वारा दिए गए मन्त्र से होगी।