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#केरल में पीएफआई हिंसा
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हमारी बसें PFI ने तोड़ीं, दे 5 करोड़ का हर्जाना', केरल सड़क परिवहन निगम हाईकोर्ट पहुंचा
हमारी बसें PFI ने तोड़ीं, दे 5 करोड़ का हर्जाना’, केरल सड़क परिवहन निगम हाईकोर्ट पहुंचा
केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) को पिछले शुक्रवार को इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) द्वारा बुलाए गए बंद के दौरान हिंसा का खामियाजा भुगतना पड़ा था। अब केएसआरटीसी ने PFI से हर्जाना बसूलने के लिए मंगलवार को केरल उच्च न्यायालय का रुख किया। केरल राज्य सड़क परिवहन निगम ने उच्च न्यायालय में अर्जी देकर अनुरोध किया है कि वह पीएफआई को उसकी बसों को हुए नुकसान के एवज में पांच करोड़…
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india24x7news · 2 years
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PFI पर छापेमारी तो राजनीतिज्ञों को धर्म की याद क्यों आई
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बहुचर्चित पीएफआई (PFI) एक ऐसा संघठन जो गुमनामी के नाम से निकल कर कानून की रडार पर पहुंच गया। अधिकांश लोगों को यह भी पता नहीं कि यह संघठन किस धर्म का है एवं इसका मकसद क्या है। पीएफआई पर छापेमारी हो रही यह सभी को पता है। सबसे पहले पीएफआई की स्थापना के विषय में जानते है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) PFI सबसे पहले वर्ष 2006 में केरल प्रांत में खड़ा हुआ अगले वर्ष 2007 में पहली आधिकारिक रैली बैंगलुरू में हुई। पीएफआई का उद्देश्य उस वक्त मुस्लिम व दलित एवं आदिवासी समाज के जनकल्याण के लिए कार्यरत बताया गया था। लेकिन स्थापना के दस वर्षों बाद से यही संघठन धर्मांतरण, लव जिहाद, हिंसा, तस्करी व देशविरोधी गतिविधियों में संगठन के कार्यकर्ताओं के लिप्त होने के आरोपों के चलते पीएफआई आज एक सामाजिक संघठन की जगह पर कानून की रडार पर पहुंच गया है। इन्हीं आरोपों के चलते जब 16 राज्यों में एक साथ छापेमारी हुई तो विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने इस जांच को राजनीतिक मुद्दा बना डाला जिन्होंने बगैर किसी सबूत के पीएफआई की आरएसएस से तुलना कर दी। लेकिन अपने आप को राजनीति के चाणक्य मानने वाले राजनेताओं ने दोनों ही संघठन को आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त बताया है। अब इसे नेताओं की बदजुबानी कहें या फिर एक सोची समझी रणनीति जो अशिक्षित वर्ग के लोगों को नेताओं के कथनों का अर्थ समझने में दिक्कतें आएंगी। वह तो नेताओं के हर बयान को भईया का आदेश मानते हैं। क्योंकि देश में कानून व्यवस्था से ज्यादा लोग धर्म व्यवस्था में आस्था रखते हैं। इसलिए नेताओं को खुद की कुर्सी पर जब खतरा मंडराता दिखता है तो वह जनता के बीच जाकर दो धर्मों में विद्रोह की भूमिका अदा करते हैं। जबकि खुद पर जब आरोप लगते हैं तो मामला न्यायालय में विचाराधीन है यह कहकर स्वयं को आरोपित भी कहलाना पसंद नहीं करते। पीएफआई में छापेमारी के दौरान सफेदपोश लोगों की हमदर्दी केवल इतनी है कि कानून की हथकड़ी की आवाज़ उनके दर तक न पहुंचे इसलिए शोर मचाने की जरूरत है। अधिकांश लोगों की मौजूदगी विभिन्न संघठनों से लेकर नेताओं के साथ होती है उसका भी डर व मौजूदा छापेमारी की दहशत का कारण है। यदि आप सही हैं तो खुलकर जांच एजेंसियों का सहयोग कीजिए। यदि कोई व्यक्ति गलत तरीके से आकर संघठन में कार्य कर रहा है तो उस पर कार्यवाई कीजिए। लेकिन हर संघठन में कुल कितने लोग सम्लित हैं इनका बायोडाटा डिजिटल तरीके से सरकार के पोर्टल पर होना चाहिए। जो संघठन ऐसा नहीं कर सकते उन्हें बैन करने की जरूरत है लेकिन स��ी का साथ और गलत का विरोध जरूर करना चाहिए। Read the full article
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sabkuchgyan · 2 years
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केरल में हिंसा के बाद पीएफआई के 500 लोग गिरफ्तार, कई जगहों पर एनआईए की छापेमारी का विरोध
केरल में हिंसा के बाद पीएफआई के 500 लोग गिरफ्तार, कई जगहों पर एनआईए की छापेमारी का विरोध
एनआईए द्वारा 15 राज्यों में 93 स्थानों पर छापेमारी करने के बाद पीएफआई ने शुक्रवार को केरल बंद का आह्वान किया है। इस दौरान संगठन के कार्यकर्ता उग्र हो गए। उन्होंने राजधानी तिरुवनंतपुरम और कोट्टायम में कई सरकारी बसों और वाहनों में तोड़फोड़ की कन्नूर के मट्टनूर में आरएसएस कार्यालय पर पेट्रोल बम भी फेंके गए। हालांकि, किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। पुलिस के मुताबिक, मोटरसाइकिल सवार पीएफआई…
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vicharodaya · 2 years
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आरएसएस के ऑफिस पर फेंका बम,केरल में PFI के बंद के दौरान हिंसा का मामला
आरएसएस के ऑफिस पर फेंका बम,केरल में PFI के बंद के दौरान हिंसा का मामला
एनआईए की रेड के बाद हिंसक हुआ संगठन पूरे राज्य में अलर्ट बंद के दौरान आरएसएस के ऑफिस पर फेंका बम 15 राज्यों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया{पीएफआई} के 93 ठिकानों पर छापेमारी कार्रवाई की गई जिसके बाद शुक्रवार को पीएफआई ने केरल में बंद बुलाया। इस दौरान उसके कार्यकर्ता हिंसक हो उठे। उन्होंने राजधानी तिरुवंतपुरम और कोट्टायम में दर्जनों भर आरएसएस के ऑफिस पर फेंका बम। हालांकि इस पूरे मामले में किसी के हताहत…
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hcnnews-blog · 2 years
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क्या है PFI? कानपूर हिंसा में भी जुड़े हैं संगठन के तार
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lok-shakti · 2 years
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केरल: अलाप्पुझा में राजनीतिक हत्याओं से बढ़ सकती है हलचल
केरल: अलाप्पुझा में राजनीतिक हत्याओं से बढ़ सकती है हलचल
ऐसी आशंकाएं हैं कि केरल में राजनीतिक हिंसा की ताजा लड़ाई से राज्य में सांप्रदायिक तापमान बढ़ सकता है, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और इसकी राजनीतिक शाखा, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) को भाजपा के खिलाफ खड़ा किया जा रहा है। आरएसएस। राज्य में दशकों से माकपा और भाजपा-आरएसएस के कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पें हुई हैं, जिसमें कई लोगों की जान चली गई है। माकपा और भाजपा-आरएसएस के…
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upenews · 3 years
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SDPI का विरोध करने पर RSS कार्यकर्ता की हत्या, बीजेपी का केरल बंद आज
SDPI का विरोध करने पर RSS कार्यकर्ता की हत्या, बीजेपी का केरल बंद आज
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की केरल रैली से जुड़ा हुआ है, जो रविवार को हुई थी. उस दौरान भी एसडीपीआई वालों ने भड़काऊ नारे लगाए थे. पीएफआई का राजनीतिक संगठन है एसडीपीआई, जिस पर है हत्या का आरोप. (Photo Credit: न्यूज नेशन) अलप्पुझा : केरल (Kerala) में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े लोगों पर राजनीतिक हिंसा का कहर जारी है. विगत दिनों अलप्पुझा में दो गुटों के बीच…
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lyrics360t · 4 years
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लखनऊ. नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में 19 और20 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में हिंसा हुई थी। इस दौरान 21 लोगों की मौत हुई थी। इस मामले मेंबीते 4 दिनों में पुलिस ने 108 लोगों को गिरफ्तार किया है। ये सभी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सदस्य हैं। कार्यवाहक डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने कहा- पीएफआई पश्चिमी यूपी में सक्रिय है। जांच के दौरानसीएए प्रदर्शन के दौरान हुईहिंसा के लिए पीएफआई की भूमिका पाई गई।
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पीएफआई के 5 सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, योगी के कार्यक्रम का विरोध करने जा रहे थे
12 जिलों में ज्यादा सक्रियपीएफआई कार्यवाहक डीजीपी ने कहा- पीएफआई संगठन पूरे उत्तर प्रदेश में है। लेकिन, ज्यादा सक्रियशामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, लखनऊ, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, वाराणसी, आजमगढ़, गाजियाबाद व सीतापुर में है। बीते साल 19 व 20 दिसंबर को हिंसा के बाद पीएफआई के 25 सदस्यों की गिरफ्तारी की गई थी। इनमें प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद, कोषाध्यक्ष नदीम अहमद, डिवीजन इंचार्ज बहराइच/बाराबंकी मौलाना अशफाक, डिवीजन इंचार्ज वाराणसी रहीस अहमद एडवोकेट, कमेटी मेंबर नसरुद्दीन सहित अन्य कई महत्वपूर्ण पदाधिकारियों की गिरफ्तारी की गई थी।
साल 2006 में बना था संगठन अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने बताया कि वर्ष 2001 में भारत सरकार के द्वारा स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) संगठन पर प्रतिबंध लगाए जाने के पश्चात दक्षिण भारत के 3 संगठनों में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट केरल, मनीथा निधि परसाई तमिलनाडु एवं कर्नाटका फॉर्म फॉर डिग्निटी कर्नाटका ने वर्ष 2006 में सम्मेलन के बाद केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पीएफआई नाम का नया संगठन बनाया था। इसकी स्थापना 22 नवंबर 2006 को हुई थी।
मेरठ में पुलिस साबित नहीं कर पाई जुर्म पुलिस ने पश्चिमी यूपी के मेरठ में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया था। जिन्हें रविवार को कोर्ट में पेश किया गया। लेकिन पांच को जमानत मिल गई। पुलिस यह साबित नहीं कर पाई कि इन युवकों से किस तरह की शांतिभंग होने का खतरा था? या फिर 20 दिसंबर की हिंसा में इनकी क्या भूमिका रही? फिलहाल फंडिंग की बात भी पुख्ता नहीं हो पाई। यही वजह रही कि पुलिस को महज 151 में कार्रवाई करनी पड़ी।
हम साक्ष्य जुटा रहे: एडीजी अवनीश अवस्थी ने कहा- किसी भी रूप में देशविरोधी गतिविधियों के खिलाफ हमारा अभियान जारी रहेगा। एडीजी पीवी रमाशास्त्री ने कहा- साक्ष्य संकलन एक निरंतर प्रक्रिया है। अपने साथी संस्थाओं के साझा प्रयास से हम साक्ष्य इकट्ठा कर रहे हैं। ईडी जैसी अन्य एजेंसियां इस जांच में शामिल हैं।
ईडी की जांच में फंडिंग का मामला सामने आया था प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच रिपोर्ट में पीएफआई द्वारा भीड़ को भड़काने और हिंसा फैलाने के लिए उत्तर प्रदेश के कई जिलों में मोटी रकम जुटाने का मामला सामने आया था।इस रकम को पीएफआई के देश भर में खुले कुल 73 बैंक खाते में 120 करोड़ रुपए की धनराशि जमा किया जाना बताया गया था। सूत्रों के मुताबिक ईडी की जांच में सामने आया था कि हिंसा फैलाने में पीएफआई का भी हाथ है।
इन जिलों से इतने पीएफआई सदस्यों की हुई गिरफ्तारी-
जनपद संख्या लखनऊ 14 सीतापुर 03 मेरठ 21 गाजियाबाद 09 मुजफ्फरनगर 06 शामली 07 बिजनौर 04 वाराणसी 20 कानपुर 05 गोंडा 01 बहराइच 16 हापुड़ 01 जाैनपुर 01
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अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने प्रेसवार्ता कर दी जानकारी।
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oyspa · 4 years
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कई राज्यों में PFI एक्टिव, गृह मंत्रालय को सौंपी गई जानकारी
कई राज्यों में PFI एक्टिव, गृह मंत्रालय को सौंपी गई जानकारी
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की गतिविधियों देश के कई राज्यों में देखी जा रही है. सूत्रों के मुताबिक पीएफआई की गतिविधियों को लेकर देश के कई राज्यों ने गृह मंत्रालय को जानकारी दी है.
सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश, असम और केरल ने पीएफआई की गतिविधियों को लेकर गृह मंत्रालय को जानकारी दी है. दरअसल, पिछले दिनों देश के कई इलाकों में नागरिकता संशोधन कानून 2019 को लेकर हिंसा द��खने को मिली थी. इस…
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abhay121996-blog · 3 years
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ISIS से संबंध का शक, कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन PFI के कई ठिकानों पर NIA की छापेमारी Divya Sandesh
#Divyasandesh
ISIS से संबंध का शक, कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन PFI के कई ठिकानों पर NIA की छापेमारी
नई दिल्ली कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन (PFI) के केरल में पांच ठिकानों पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी के छापे पड़े हैं। इस संगठन के नेताओं के मल्लापुर, कुन्नूर और कोझिकोड स्थित घरों की तलाशी ली जा रही है। एनआईए यह तलाशी पीएफआई के आईएसआईएस आतंकी संगठन से संबंधों को खंगालने के मकसद से ले रही है।
आंतकी संगठन ISIS से संबंध का शक दरअसल, उत्तरी केरल से बड़ी संख्या में युवाओं ने आईएसआईएस जॉइन किया है। ये युवक अफगानिस्तान जैसे देश चले गए और वहां उन्होंने आईएसआईएस जॉइन कर लिया। इनमें कई युवा मारे भी जा चुके हैं। हमारे सहयोगी अंग्रेजी न्यूज चैनल टाइम्स नाउ के रिपोर्टर ने जानकारी दी एनआईए की छापेमारी इसी केस की जांच के संदर्भ में हुई है। केंद्रीय जांच एजेंसी यह पता करना चाहती है कि युवाओं को आईएसआईएस जॉइन कराने के लिए विदेश भेजने के पीछे पीएफआई के किन-किन लीडर्स का हाथ है। एनआईए केरल के अलावा दिल्ली और कर्नाटक में भी कई ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।
यूपी एसटीएफ का भी ऐक्शन ध्यान रहे कि एक दिन पहले ही पीएफआई के ट्रेनिंग कमांडर मोहम्मद राशिद को यूपी एसटीएफ की टीम ने बस्ती से गिरफ्तार किया है। उत्तर प्रदेश के संवेदनशील स्थानों पर आतंकवादी हमले की साजिश बना रहा था। लखनऊ के रास्ते मुंबई जाने की फिराक में था। तभी एसटीएफ की टीम ने बस्ती थाना क्षेत्र के मुडघाट चौराहे के पास से गिरफ्तार कर लिया।
इससे पहले, यूपी एसटीएफ ने भी 21 फरवरी को पीएफआई और उसके छात्र संगठन कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) के नई दिल्ली स्थित तीन ठिकानों पर छापेमारी की। हाथरस कांड की आड़ में जातीय हिंसा की साजिश के मामले में हुई छापेमारी में कई आपत्तिजनक दस्तावेज, कट्टरपंथी साहित्य, बैंक खातों से जुड़ी जानकारियां, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और सीडी बरामद हुई थी। एसटीएफ ने यह कार्रवाई सीएफआई के राष्ट्रीय महासचिव रऊफ शरीफ से रिमांड के दौरान हुई पूछताछ के बाद की गई।
क्या है पीएफआई? बाबरी विध्वंस के बाद बने केरल में तीन मुस्लिम संगठन नैशनल डिवलेपमेंट फ्रंट ऑफ केरल, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु के मनिथा नीथि पसारी को मिलाकर 2006 में पीएफआई की लॉन्चिंग की गई थी। PFI के पॉलिटिकल फ्रंट का नाम SDPI है। पीएफआई खुद को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला संगठन बताता है। यह भी बताया जाता है कि संगठन की स्थापना 2006 में नैशनल डिवेलपमेंट फ्रंट (NDF) के उत्तराधिकारी के रूप में हुई थी। संगठन की जड़े केरल के कालीकट से हुई और इसका मुख्यालय दिल्ली के शाहीन बाग में स्थित है? पीएफआई का दावा है कि अब 22 राज्यों में उसकी यूनिट है। पीएफआई के अधिकतर नेता केरल से हैं और सदस्य बैन संगठन सिमी से हैं।
PFI का कब-कब आया नाम?धर्मांतरण को लेकर कई मामलों में PFI का नाम आता रहा है। दिल्‍ली में इसी साल फरवरी में हुई हिंसा में इस संगठन की प्रमुख भूमिका होने की बात सामने आई। दिल्‍ली पुलिस के अनुसार, PFI जैसे संगठनों ने प्रदर्शनकारियों को पैसे मुहैया कराए। प्रवर्तन निदेशालय PMLA के तहत PFI फंडिंग की जांच भी कर रहा है। उत्‍तर प्रदेश सरकार ने तो PFI पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी। इसके बाद, सितंबर महीने में बेंगलुरु में हुई हिंसा में भी PFI के लोगों के शामिल होने की बात सामने आई।
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abhay121996-blog · 3 years
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दिल्‍ली में पीएफआई के ठिकानों पर यूपी एसटीएफ के छापे, आपत्तिजनक दस्‍तावेज मिले Divya Sandesh
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दिल्‍ली में पीएफआई के ठिकानों पर यूपी एसटीएफ के छापे, आपत्तिजनक दस्‍तावेज मिले
लखनऊ यूपी एसटीएफ ने रविवार को पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसके छात्र संगठन कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) के नई दिल्ली स्थित तीन ठिकानों पर छापेमारी की। हाथरस कांड की आड़ में जातीय हिंसा की साजिश के मामले में हुई छापेमारी में कई आपत्तिजनक दस्तावेज, कट्टरपंथी साहित्य, बैंक खातों से जुड़ी जानकारियां, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और सीडी बरामद हुई हैं। एसटीएफ ने यह कार्रवाई सीएफआई के राष्ट्रीय महासचिव रऊफ शरीफ से रिमांड के दौरान हुई पूछताछ के बाद की गई है।
जानकारी के मुताबिक, रऊफ की बीते साल दिल्ली में हुए सीएए विरोधी प्रदर्शनों में भी अहम भूमिका सामने आई थी। वह हाथरस कांड में जातीय हिंसा फैलाने की साजिश में भी मुख्य आरोपित है। हाल ही में एसटीएफ उसे प्रॉडक्शन वॉरंट पर केरल से यूपी लाई थी। पूछताछ के दौरान उसने एसटीएफ को सीएए विरोधी प्रदर्शनों को लेकर कई अहम जानकारियां दीं। पीएफआई के उन सक्रिय सदस्यों के बारे में भी बताया, जिनकी दिल्ली दंगों में अहम भूमिका थी। इसके बाद एसटीएफ ने रऊफ के बताए ठिकानों की तलाशी के लिए अदालत से सर्च वॉरंट हासिल किया।
दो ठिकाने हो चुके थे खाली एसटीएफ ने रविवार को सबसे पहले शाहीनबाग स्थित पीएफआई के दफ्तर को खंगाला। एक अन्य टीम ने नजदीक स्थित सीएफआई के दफ्तर पहुंची। हालांकि, सीएफआई इस दफ्तर को पहले ही खाली कर चुकी थी, लेकिन एसटीएफ ने ताले खुलवाकर दफ्तर की तलाशी ली। एक अन्य टीम पीएफआई के सदस्य के घर पहुंची, लेकिन वह अपना घर छोड़कर जा चुका था।
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abhay121996-blog · 3 years
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टूलकिट केस में सामने आई खालिस्तानी साजिश: जानें कौन-कौन से हैं वे 3 संगठन जो पाल रहे भारत के टुकड़े करने का सपना Divya Sandesh
#Divyasandesh
टूलकिट केस में सामने आई खालिस्तानी साजिश: जानें कौन-कौन से हैं वे 3 संगठन जो पाल रहे भारत के टुकड़े करने का सपना
किसान आंदोलन की आड़ में दुनिया में भारत की छवि खराब करने की अंतरराष्ट्रीय साजिश का भांडाफोड़ हो चुका है। दिल्ली पुलिस ने स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के लिक्ड टूलकिट केस में बेंगलुरु की दिशा रवि को गिरफ्तार कर चुकी है जबकि निकिता जैकब और शांतनु समेत देश-विदेश के करीब 1,000 लोग रेडार पर हैं। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल का कहना है कि दिशा, निकिता समेत करीब 70 लोगों ने 26 जनवरी के गणतंत्र दिवस के दिन भारत के खिलाफ ट्विटर वॉर छेड़ने की रणनीति तय करने के लिए खालिस्तानी आतंकी एमओ धालीवाल के साथ ऑनलाइन मीटिंग की थी। धालीवाल पॉएटिक जस्टिस फाउंडेशन का सह-संस्थापक है। दरअसल, भारत को कमजोर कर इसके टुकड़े करने के नापक मंसूबे वाले संगठन देश और दुनिया से संचालित हो रहे हैं। आइए जानते हैं उनमें कुछ के नाम जो भारत को जलाने की कोशिश में जुटे हैं या जिन पर भारत को टुकड़े करने की साजिश रचने का आरोप लगता रहा है…किसान आंदोलन की आड़ में दुनिया में भारत की छवि खराब करने की अंतरराष्ट्रीय साजिश का भांडाफोड़ हो चुका है। दिल्ली पुलिस ने स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के लिक्ड टूलकिट केस में बेंगलुरु की दिशा रवि को गिरफ्तार कर चुकी है जबकि निकिता जैकब और शांतनु समेत देश-विदेश के करीब 1,000 लोग रेडार पर हैं।किसान आंदोलन की आड़ में दुनिया में भारत की छवि खराब करने की अंतरराष्ट्रीय साजिश का भांडाफोड़ हो चुका है। दिल्ली पुलिस ने स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के लिक्ड टूलकिट केस में बेंगलुरु की दिशा रवि को गिरफ्तार कर चुकी है जबकि निकिता जैकब और शांतनु समेत देश-विदेश के करीब 1,000 लोग रेडार पर हैं। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल का कहना है कि दिशा, निकिता समेत करीब 70 लोगों ने 26 जनवरी के गणतंत्र दिवस के दिन भारत के खिलाफ ट्विटर वॉर छेड़ने की रणनीति तय करने के लिए खालिस्तानी आतंकी एमओ धालीवाल के साथ ऑनलाइन मीटिंग की थी। धालीवाल पॉएटिक जस्टिस फाउंडेशन का सह-संस्थापक है। दरअसल, भारत को कमजोर कर इसके टुकड़े करने के नापक मंसूबे वाले संगठन देश और दुनिया से संचालित हो रहे हैं। आइए जानते हैं उनमें कुछ के नाम जो भारत को जलाने की कोशिश में जुटे हैं या जिन पर भारत को टुकड़े करने की साजिश रचने का आरोप लगता रहा है…​पॉएटिक जस्टिस फाउंडेशन (PJF)काव्यात्मक न्याय संस्था (PJF) का गठन महज 11 महीने पहले मार्च, 2020 में कनाडा में किया गया है। इसका मकसद भी खालिस्तानी अजेंडे को आगे बढ़ाना है। स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के टूलकिट मामले में इस संस्था का नाम आ रहा है। अब तक की तफ्तीश में पता चला है कि पीजेएफ ने ही किसान आंदोलन की आड़ में भारत की छवि खराब करने और देश के अंदर बवाल खड़ा करने की साजिश रची थी। दिल्ली पुलिस की हिरासत में आई बेंगलुरु से गिरफ्तार जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि ने भी इसके को-फाउंडर एमओ धालीवाल के साथ ऑनलाइन मीटिंग की थी। हालांकि, धालीवाल इस संस्था के गठन का मकसद मानवाधिकार के प्रति लोगों को संवेदनशील बनाने और दक्षिण एशिया के निवासियों के बीच आपसी संपर्क बढ़ाने की कोशिश बताता है। अभी यह भारत में चल रहे किसान आंदोलन में पूरी तरह से इनवॉल्व है। इसकी वेबसाइट पर भी लिखा है, “अभी हम किसान आंदोलन में काफी सक्रियता से शामिल हैं जिसने दुनियाभर में रह रहे भारतीयों को सक्रिय कर दिया है।”किसान आंदोलन में खुलकर खालिस्तानी अजेंडा चला रहा धालीवालदिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि एमओ धालीवाल कनाडा के वैंकुवर स्थित पीआर फर्म स्काइरॉकेट (Skyrocket) का डायरेक्टर भी है। उसने 17 सितंबर, 20019 को सोशल मीडिया पर ऐलान किया था, “मैं खालिस्तानी हूं।” उसने कहा, “आप मेरे इस पहलू के बारे में नहीं जानते होंगे। क्यों? क्योंकि खालिस्तान एक विचार है, खालिस्तान एक जिंदा और सांस ले रहा आंदोलन है।” दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने कहा कि धालीवाल ने 26 जनवरी को वैंकुवर में दिए गए अपने भाषण में कहा, “अगर कृषि कानूनों को कल निरस्त कर दिया जाता है तो यह कोई जीत नहीं होगी। कानून वापसी के साथ तो यह लड़ाई शुरू होगी, न कि खत्म। अगर कोई आपसे कहे कि यह आंदोलन खत्म होने जा रहा है तो समझ लीजिए कि वो आपसे कहना चाहता है कि आप पंजाब से अलग हैं. आप खालिस्तान आंदोलन से अलग हैं।”​सिख फॉर जस्टिस (SFJ)नए कृषि कानूनों के ���िलाफ जारी आंदोलन में खालिस्तानी अजेंडा चलाने की कोशिश में सिख फॉर जस्टिस (SFJ) देश की सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है। इस अलगाववादी संगठन का गठन 2007 में अमेरिका में किया गया। यह खालिस्तान के नाम से पंजाब में सिखों के लिए एक अलग देश बनाने की वकालत करता है। इसका कानूनी सलाहकार गुरपटवंत सिंह पन्नू (Gurpatwant Singh Pannun) पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ ग्रैजुएट है और अभी अमेरिका में अटॉर्नी है। इसी ने सिख रेफरेंडम 2020 कैंपेन लॉन्च किया था। इसमें ‘पंजाब को भारत के कब्जे से मुक्त करने’ के लिए अभियान छेड़ने का समर्थन करने की अपील की गई थी। इससे पहले, उसने अगस्त 2018 में लंडन डेक्लेरेशन के तहत दुनियाभर के सिखों को खालिस्तान आंदोलन के लिए एकजुट होने का आह्वान किया था जिसे कोई खास समर्थन नहीं मिल पाया था। गुरपटवंत सिंह पन्नू आतंकवादी घोषितकेंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले वर्ष जुलाई महीने में पन्नू को नौ अन्य लोगों को साथ आतंकवादी घोषित कर दिया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एसएफजे के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया था। उसके बाद 15 दिसंबर, 2020 को एजेंसी ने 40 लोगों को आपराधिक दंड संहिता (CrPC) की धारा 16 के तहत नोटिस जारी किया था। इस धारा के अधीन नोटिस मिलने का मतलब है कि सभी 40 लोगों को एसएफजे के खिलाफ बतौर गवाह बुलाया गया था। पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI)यह मुस्लिम कट्टरपंथी संस्था है जिस पर बार-बार देशविरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगता रहता है। इसका गठन 22 नवंबर, 2006 को केरल में हुआ। इससे पहले यह केरल के नैशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) के नाम से अस्तित्व में था। 2006 में एनडीएफ ने कर्नाटक के फोरम फॉर डिग्निटी (Forum for dignity) और तमिलनाडु के मनीता नीति पसारी (Manitha Neethi Pasari) के साथ विलय करके पीएफआई का गठन किया। इन तीनों संगठनों का गठन 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद हुआ था। पीएफआई नैशनल विमेंस फ्रंट (NWF) और कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) के नाम से क्रमशः महिलाओं और विद्यार्थियों के बीच काम करता है। सीएए विरोधी आंदोलनों को हिंसक बनाने का आरोप2016 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस्लामिक स्टेट (IS) से प्रेरित होकर अल जरूल खलीफा (Al Zarul Khallefa) नाम से संस्था बनाकर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने और देश के विभिन्न समुदायों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काने के मकसद से मीटिंग करने वाले कुछ युवकों को गिरफ्तार किया था। बाद में एनएआई को पता चला कि गिरफ्तार युवकों में कुछ पीएफआई के सदस्य हैं। कुछ महीने बाद ही महिलाओं और बच्चों समेत कुल 22 लोग उत्तरी केरल से लापता हो गए। खुफिया एजेंसियों को भनक लगी कि ये सभी आईएस से जुड़ने अफगानिस्तान चले गए। पीएफआई तब भी सुर्खियों में आया जब नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ देश में विरोध-प्रदर्शन हुए। सुरक्षा एंजेंसियों का कहना है कि पीएफआई की एंट्री ने इन प्रदर्शनों को हिंसक बना दिया। PFI में ज्यादातर SIMI के पूर्व सदस्यपीएफआई का दावा है कि देश के 22 राज्यों में उसकी शाखाएं हैं। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, यह मुसलमानों और खासकर मुस्लिम युवकों में कट्टरपंथी विचार भरता है। संस्था कट्टरपंथी विचारधारा को प्रमोट करने के लिए मध्य-पूर्व के देशों से फंडिंग जुटाता है। पहले इसका मुख्यालय केरल के कोझीकोड में था, लेकिन इसका विस्तार होने के बाद मुख्यालय दिल्ली शिफ्ट कर दिया गया। केरल में इस संगठन के ज्यादातर सदस्य प्रतिबंधित आतंकी संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के ही पूर्व सदस्य हैं। केरल सरकार ने हाई कोर्ट में खोली थी PFI की पोलपीएफआई पर केरल में कम-से-कम 30 राजनीतिक हत्याओं में शामिल होने का आरोप है। 2015 में इसके 13 सदस्यों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी जिन्होंने एक प्रफेसर टीजे थॉमस का हाथ काट लिया था। 2013 में छह पीएफआई कार्यकर्ताओं को बीजेपी के स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषध (ABVP) के सदस्य की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था। 2019 में एर्नाकुलम के महाराजा कॉलेज के एसएफआई लीडर अभिमन्यु की हत्या में नौ पीएफआई कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए थे। 2014 में केरल सरकार ने हाई कोर्ट में ऐफिडेविट दायर कर कहा था कि पीएफआई के कार्यकर्ता 27 राजनीतिक हत्याओं, हत्या की कोशिश के 86 जबकि संप्रदायिक हिंसा फैलाने के 125 मामलों में शामिल पाए गए।
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