जिनके सिर पर बाल नहीं उन्हें टोपी पहननी चाहिए, जानें क्यों योगी आदित्यनाथ पर भड़के अखिलेश यादव
Uttar Pradesh News: समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है जिसमें उन्होंने उनकी टोपी पर तंज कसा था। सपा प्रमुख ने कहा है कि जो लोग उनकी और उनकी पार्टी की लाल टोपी की आलोचना कर रहे हैं, उन्हें खुद भी एक टोपी की आवश्यकता हो सकती है। इससे पहले योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि सपा की लाल टोपी लाल है और कारनामे उसके काले…
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अतीत के झरोखे से... जब एनडी ने कांग्रेस पार्टी को उत्तराखंड की दो सीटों पर नाकों चने चबवा दिये थे और नैनीताल सीट पर तो जमानत भी जब्त करा दी थी...
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 3 अप्रैल 2024। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री पं. नारायण दत्त तिवारी की पहचान अपने दौर के दिग्गज कांग्रेस नेता के रूप में होती है, हालांकि यह भी सच है कि उनकी राजनीति में शुरुआत लाल टोपी वाली प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से हुई थी और उनके जीवन के अंतिम दिनों में उनके अपने पुत्र रोहित के लिये भाजपा का टिकट चाहने की भी चर्चा थी।
अलबत्ता यहां हम उस राजनीतिक अतीत की…
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जी एन के इंटर कॉलेज मे शिक्षणोत्तर कर्मचारी का विदाई समारोह, पगड़ी पहनाकर विदा किया।
जी एन के इंटर कॉलेज मे शिक्षणोत्तर कर्मचारी का विदाई समारोह, पगड़ी पहनाकर विदा किया।
जी एन के इंटर कॉलेज सिविल लाइन मे 39 वर्ष तक अपनी सेवा से सभी शिक्षको, शिक्षकाओ व कर्मचारियो की आत्मा मे बसे शिक्षणोत्तर कर्मचारी लाल बहादुर यादव की विदाई समारोह मे आंखे नम हो गई। जी एन के इंटर कॉलेज के प्रांगण मे आज विदाई समारोह मे विघालय के सभी शिक्षक, शिक्षकाओ व कर्मचारियो ने भी शिरकत किया। कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत गीत मनोज त्रिपाठी ने की।प्रधानाचार्य अशोक शुक्ला ने अपने सम्बोधन मे कहा की अपने जीवन मे कभी किसी कार्य को करने से मना नही किया,रात दिन जब भी लाल बहादुर से कोई कार्य के लिये कहा, वह हमेशा तैयार रहते थे। अपने जीवन के 39 वर्ष मे कभी किसी से अपशब्द का प्रयोग नही किया है। भगवत जोशी ने कहा कि जुदाई संसार का नियम है जो आता है उसका जाना तय है लेकिन जो अपने जीवन मे हमेशा सभी शिक्षको व कर्मचारियो के लिए उपलब्ध रहता हो आज उसके विदा होने से आंखे नम होना स्वाभाविक है। जी एन के इंटर कॉलेज के वरिष्ठ शिक्षक दिलीप कुमार मिश्रा, जयंत कुमार, आलोक पाण्डेय ने पगड़ी व शाल पहना कर स्वागत व अभिनन्दन किया। अन्य शिक्षक व कर्मचारियो ने छाता, टोपी, गिफ्ट व माल्यार्पण कर सभी शिक्षको व कर्मचारियो ने स्वागत किया। मंच का संचालन भगवत जोशी ने किया। कार्यक्रम मे प्रमुख रूप से अशोक शुक्ला,राजीव शुक्ला,जयंत कुमार, दिलीप कुमार, वीरेंद्र सिंह यादव, कृष्ण मोहन शुक्ला,भगवत जोशी,मनोज त्रिपाठी,संजय कुमार,लाल जी,ब्रज नन्दन आदि लोग मौजूद रहे।
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वो बहुत साल पहले भाग गया था घर से। इधर उधर भटकता रहा। खेतों ,खलिहानों में ,कभी राजा ,कभी Pilot, कभी भिखारी बनने के स्वाँग रचाता।
जंगलों ,शहरों ,कारखानों में भटकता।
कई बार स्त्रियों के प्रेम में भी पड़ा। पर वहाँ से भी भागा और गड़रिया बन गया।
भेड़ें भी उससे प्रेम करती थीं। मगर उस प्रेम में वो बँधा मेहसूस नहीं करता था। सो ऐसे कई साल गुज़रे।
उसके गाँव में एक सैलानी आया और बोला मैंने आप लोगों जैसा दिखने वाला एक व्यक्ति देखा है।
और उसको ढूंढ के ले आया गया।
वो घर पहुंचकर सीढ़ी से चढ़ छत की ओर भागा। वहाँ एक छज्जे पे बिलकुल अंदर एक डब्बे में कुछ कंचे छुपाये थे उसने। उसने डब्बा देखकर उसे उतारा और बहुत खुश हुआ।
सबने सोचा हमारा बच्चा हमको मिल गया। सबसे उसे बहुत प्रेम मिला। मगर वो वहाँ बहुत दिन नहीं रुक पाया।
हालाँकि उसे और भी कई चीज़ें मिलीं। जैसे एक हरे रंग की हाथ से बनी ऊनी टोपी। जो वो कई दिनों तक पहने घूमता रहा वहाँ। टोपी उसकी माँ ने बनी थी उसके बचपने में। उसके हाथ से लिखी एक लाल रंग की कॉ���ी जिसमें उसने ढेर सारे सामान्य ज्ञान के तथ्य लिखे थे।
पर जैसा मैंने कहा वो वहाँ बहुत दिन नहीं रुक पाया। वो फिर से भाग गया वहीँ खुली जगह की ओर जहाँ कोई दरवाज़े नहीं होते।
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चेहरे की झुर्रियां कैसे मिटाएं
चेहरे की झुर्रियां कैसे मिटाएं: चेहरे पर झुर्रियां को कम करने के लिए कुछ सरल और प्रभावी उपाय हैं। यहां कुछ आसान तरीके बताए गए हैं:
ध्यान रखें और सूर्य की किरणों से बचें: धूप में ज्यादा समय बिताने से चेहरे की झुर्रियां और उम्रदराज दिख सकती हैं। सूर्य की किरणों से अपने चेहरे को बचाने के लिए धूप में निकलते समय सूर्य संरक्षण क्रीम लगाएं और एक टोपी या छतरी पहनें।
उचित आहार: स्वस्थ और पौष्टिक आहार खाना झुर्रियों को कम करने में मदद कर सकता है। पोषक तत्वों से भरपूर फल, सब्जियां, अंडे, मछली और हरे पत्ते शामिल करें। अश्वगंधा, ब्रोकोली, बदाम, नारियल पानी और लाल मिर्च जैसे खाद्य पदार्थों को खाने में शामिल करें, जो चमकदार और स्वस्थ त्वचा को प्रदान कर सकते हैं।
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वैश्विक स्तर पर ख्याति प्राप्त कर रहे हैं हिमाचल हैंडलूम उत्पाद
कारीगरों ने हुनर से संवारा अपना भविष्य
हिमाचल प्रदेश के बुनकरों ने हथकरघा व हस्तशिल्प के अपने पारम्परिक कौशल से देश-विदेश में राज्य का नाम रोशन किया है। हथकरघा उद्योग क्षेत्र में प्रदेश की कढ़ाई वाली कुल्लवी तथा किन्नौरी शॉल ने अन्तरराष्ट्रीय बाजार में अपनी एक अलग पहचान कायम की है।
प्रदेश सरकार द्वारा बुनकरों को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। विभिन्न जागरूकता शिविरों के आयोजन के साथ-साथ प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है। ये बुनकर कलस्टर विकास कार्यक्रम के विभिन्न घटकों के माध्यम से भी लाभान्वित किए जा रहे हैं। हथकरघा से संबंधित उपकरण भी बुनकरों के लिए उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। उद्योग विभाग द्वारा प्रदेश तथा अन्य राज्यों में आयोजित मेलों तथा प्रदर्शनियों के माध्यम से विपणन सुविधा भी उपलब्ध करवाई जा रही है। बुनकरों के उत्पादों को व्यापार मेलों, दिल्ली हॉट, सूरजकुंड मेलों इत्यादि राष्ट्र स्तरीय आयोजनों में भी व्यापक स्तर पर विपणन की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है।
हथकरघा उद्योग में प्रदेश की प्रमुख सहकारी समितियों में शामिल ‘हिमबुनकर’ बुनकरों तथा कारीगरों की राज्य स्तरीय संस्था है, जो कई वर्षों से कुल्लवी शॉल तथा टोपी को बढ़ावा दे रही है।
कुल्लवी हथकरघा उत्पादों का इतिहास बहुत रूचिकर है। प्रसिद��ध चित्रकार निकोलस रोरिक की पुत्रवधू तथा भारतीय फिल्म अभिनेत्री देविका रानी वर्ष 1942 में कुल्लू आई तथा उनके आग्रह पर बनोन्तर गांव के शेरू राम ने अपने हथकरघा पर पहली शॉल बुनी। इसके उपरान्त, उनके हथकरघा कौशल से प्रेरित होकर पंडित उर्वी धर ने शॉल का व्यापारिक उत्पादन आरम्भ किया।
वर्ष 1944 में भुट्टी बुनकर सहकारी समिति, पंजाब सहकारी समिति लाहौर के तहत पंजीकृत की गई, जिसे आज भुट्टिको के नाम से जाना जाता है। भुट्टिको ने कुल्लू की हजारों महिलाओं को कुल्लवी शॉल बनाने की कला में प्रशिक्षण प्रदान किया है। वर्ष 1956 में ठाकुर वेद राम भुट्टिको के सदस्य बने तथा इसे पुनः गति प्रदान की। इसके उपरान्त, भुट्टिको के अध्यक्ष सत्य प्रकाश ठाकुर ने इस संस्था को पूरे प्रदेश में संचालित किया। इस कुटीर उद्योग में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार प्रदान किया जा रहा है। कुल्लवी शॉल के उत्पादन में देवी प्रकाश शर्मा का भी महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कुल्लू शॉल सुधार केन्द्र के तकनीशियन के तौर पर 1960 के दशक के दौरान कुल्लवी शॉल के अनेक डिजाइन तैयार किए।
वर्तमान में भुट्टिको सालाना लगभग 13.50 करोड़ रुपये का करोबार कर रही है। प्रदेश सरकार ने बुनकरों को प्रोत्साहित करने तथा वस्त्र उत्पादन की अद्यतन तकनीकों को शामिल करने के लिए अनेक योजनाएं आरम्भ की हैं।
पूर्व में कुल्लू में साधारण शॉल तैयार की जाती थी, लेकिन जिला शिमला के रामपुर के बुशैहरी हस्तशिल्पियों के आगमन के उपरान्त अलंकृत हथकरघा उत्पाद अस्तित्व में आए। सामान्य कुल्लवी शॉल के दोनों ओर रेखांकित डिजाइन बनाए जाते हैं। इसके अलावा, कुल्लवी शॉल के किनारों में फूलों वाले डिजाइन भी बुने जा रहे हैं। प्रत्येक डिजाइन में एक से लेकर आठ रंग तक शामिल किए जाते हैं। पारम्परिक रूप से लाल, पीला, मजेंटा पिंक, हरा, संतरी, नीला, काला तथा सफेद रंग कढ़ाई के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। शॉल में सफेद, काला, प्राकृतिक स्लेटी या भूरे रंग का उपयोग किया जाता है। वर्तमान में इन रंगों के बजाय पेस्टल रंगों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
किन्नौरी शॉल अपनी बारीकियों तथा कढ़ाई के लिए प्रसिद्ध है। अक्तूबर, 2010 में जिला किन्नौर के स्थानीय समुदाय द्वारा हाथ से बुनी जाने वाली ऊनी शॉल को वस्तु अधिनियम के भौगोलिक संकेतकों के तहत पेटेंट प्रदान किया गया। किन्नौरी शॉल के डिजाइन में मध्य एशिया का प्रभाव देखने को मिलता है। बुनकरी के इन विशिष्ट नमूनों की विशेष सांकेतिक तथा धार्मिक महत्ता है।
कुछ वस्त्र उद्योग समूह अपने कौशल और नई अवधारणाओं से हथकरघा उद्योग को नई ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं। जिला मंडी की ऐसी ही एक युवा इंजीनियर श्रीमती अंशुल मल्होत्रा बुनकरों को प्रोत्साहित कर रही हैं।
गत वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्वारा नारी शक्ति सम्मान प्राप्त कर चुकी तथा सूरजकुंड मेले में दो बार कलानिधि पुरस्कार से सम्मानित श्रीमती मल्होत्रा अपने दादा तथा पिता से विरासत में मिले हुनर से हथकरघा उद्योग को नए आयाम प्रदान कर रही हैं। वह बाजार की मांग के अनुसार नए डिजाइन सृजित करने के अपने हुनर का बखूबी उपयोग कर रही हैं। मंडी के अलावा लाहौल-स्पीति, कुल्लू तथा किन्नौर जिलों के बुनकर उनके साथ इस उद्योग में जुड़े हुए हैं। वह बाजार की मांग के अनुसार बुनकरों को प्रशिक्षण सुविधा भी प्रदान कर रही हैं। उनके द्वारा हिमाचल में डिजाइन की गई कानो साड़ी ने गत वर्ष खूब लोकप्रियता हासिल की तथा अनेक फैशन शो में भी प्रदर्शित की गई।
राज्य सरकार के प्रोत्साहन तथा बुनकरों के कौशल के बलबूते प्रदेश का हथकरघा उद्योग आत्मनिर्भर बनने, रोजगार सृजन तथा पारंपरिक कौशल को संजोए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
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मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंग्लिशतानी, सर पे लाल टोपी रूसी, फ़िर भी दिल है... हिंदुस्तानी! 🇮🇳 . . . #portrait #life #universitylife #hongkong #hongkongphotography #photography #goodmorning #selflove #selflovejourney #lifeisbeautiful #lifeisgood #formalwear #formals #fashion #loveyourself #lovelife #randomclick #india #indiamylove #hindustani #dilhaihindustani (at Hong Kong) https://www.instagram.com/p/CodtyxQPwbu/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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Bhadohi:डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के साथ दिखे सपा विधायक जाहिद , लाल टोपी के सवाल पर ली चुटकी - Samajwadi Party Mla Zahid Beg Seen With Deputy Cm Brajesh Pathak In Bhadohi
लाल टोपी में नजर आए सपा विधायक जाहिद बेग
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक बुधवार को भदोही में थे। जनपद भ्रमण के दौरान सुरियावां में अटल प्रतिमा का लोकार्पण किया। इस दौरान मंच पर डिप्टी सीएम के साथ सपा विधायक जाहिद बेग भी दिखे जो चर्चा में रहा। इस दौरान विधायक जाहिद ने पूर्व पीएम भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की तारीफों के पुल बांधें और रामचरित मानस को लेकर बयान देने वाले सपा…
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!!नाम की महिमा!!
बचपन में सुपौल में एक साधू बाबा को देखा था। उनकी बड़ी बड़ी दाढ़ी हुआ करती थी एवं वे लाल वस्त्रधारी थे।उनका नाम-पता, ठिकाना तो पता नहीं था पर उनकी एक आदत, या सनक, के कारण वे बच्चों के बीच बहुत ही लोकप्रिय थे।जब भी वे सड़क पर दिखाई पड़ते बच्चों की टोली उनके पीछे लग जाती।
बच्चे ज़ोर ज़ोर से चिल्लाते चलते “जूते में राधेश्याम..गमछे में राधेश्याम..टोपी में राधेश्याम..धोती में राधेश्याम..लाठी में राधेश्याम..और वे बारी बारी से अपने जूते,गमछे,टोपी,धोती,लाठी को झाड़ते चलते!
बच्चों को मज़ा आता और वे दुगने जोश से नारा लगाते उनको अपने मुहल्ले के बाहर तक छोड़ आते।
उस काल में हमें ये लगता था कि उन्हें शायद “राधेश्याम” शब्द से चिढ़ है इसलिए वे इतना ग़ुस्सा करते हैं।पर बाद में कुछ बड़ों ने समझाया कि असल में वे “राधेश्याम” के बहुत बड़े भक्त थे, और वे हमेशा ये नाम सुनना चाहते थे। इसीलिए वे ये स्वाँग रचे हुए थे!
फिर बच्चे तो बच्चे ही होते थे, वे जाति, धर्म के बंधनों से उपर उठ कर उन्हें देखते ही पूरे जोशो-खरोश से “राधेश्याम” का नारा लगाने लगते थे।बस साधू बाबा की मंशा पूरी हो जाती थी और वे “नाम” की महिमा में गोते लगाते रहते थे।
बाद में अनुभव प्राप्त हुआ कि ऐसे लोग अलग-अलग प्रदेशों एवं कालों में पाये जाते रहे हैं।शायद सबकी मंशा एक ही होती हो। क्योंकि “नाम” की महिमा से तो ज्ञानी लोग वाक़िफ़ ही हैं।
इधर बहुत दिनों के बाद एक और ऐसा ही मामला नज़र आया है।एक पड़ोस की “दीदी” हैं जिनको प्रथम दृष्टया एक “नाम” से “ओनेक कोष्टो”! अब उनके विरोधियों को भी ये बात पता चल गयी है।
अब जब भी “दीदी” विरोधी पार्टी के सामने पड़ जाती हैं तो बस उसी “नाम” के जैकारे से वातावरण गुंजायमान हो जाता है।बस “दीदी” चिढ़िया कर कभी आपे से बाहर हो जाती हैं और कभी रुस कर धरने पर बैठ जातीं हैं!
पर विरोधियों की वानर सेना कहाँ मानती हैं। “जैकारों” से तो सारी हवा ही बदल जाती है। सारा मैटर ही राजनैतिक से बदल कर धार्मिक हो जाता है ! सारे रंग में बेशर्मी की भंग पड़ जाती है!!
सुपौल के साधू बाबा के उदाहरण के मद्देनज़र तो दीदी की वास्तविक मंशा ही शक के दायरे में नज़र आने लगी है! कहीं ये नाम से परहेज़ के पीछे सच में कोई गुप्त एजेंडा तो नहीं??
॥विद्वानों के विचार सादर आमंत्रित हैं॥
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Mystical being Santa Claus
क्रिसमस की बात हो और सांता हमारी कल्पनाओ में न आये यह लगभग असंभव है। आज के समय में बिना सांता क्लॉस ( Santa Claus ) के क्रिसमस अधूरा ही है। सांता क्लॉज़ दुनिया में सबसे प्रिय हीरो में से एक है, और उसकी छवि कई देशों में क्रिसमस समारोह का एक केंद्रीय हिस्सा बन गई है। सांता क्लॉज एक पौराणिक चरित्र है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह क्रिसमस की पूर्व संध्या पर बच्चों के लिए उपहार लाता है। उन्हें आमतौर पर सफेद दाढ़ी वाले एक बुजुर्ग, हंसमुख व्यक्ति के रूप में चित्रित किया जाता है। जो सफेद फर ट्रिम और सफेद टोपी के साथ लाल कोट पहनता है। उसके बारे में कहा जाता है कि वह उत्तरी ध्रुव पर रहता है और दुनिया के सभी अच्छे बच्चों के लिए उपहार बनाता है।
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जेम्स गुन ब्रांड्स सुपरमैन के रूप में हेनरी कैविल के बाहर निकलने पर प्रतिक्रिया करते हैं "अपमानजनक आक्रोश"
जेम्स गुन ब्रांड्स सुपरमैन के रूप में हेनरी कैविल के बाहर निकलने पर प्रतिक्रिया करते हैं “अपमानजनक आक्रोश”
हेनरी कैविल और जेम्स गुन। (शिष्टाचार: हेनरी नुक्ताचीनी) (शिष्टाचार: Jamesgunn)
डीसी स्टूडियोज के नए सीईओ जेम्स गुन ने सोमवार को एक बयान जारी किया, जिसमें घोषणा के बाद बैकलैश और प्रशंसकों की नाराजगी को संबोधित किया गया। हेनरी कैविल का बाहर निकलना अतिमानव. कुछ दिन पहले, हेनरी नुक्ताचीनी घोषणा की कि वह अब डीसी यूनिवर्स में वह लाल टोपी नहीं पहनेंगे। जेम्स गुन ने भी, डीसी परियोजनाओं में कुछ बदलावों…
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जी एन के इंटर कॉलेज मे शिक्षणोत्तर कर्मचारी का विदाई समारोह, पगड़ी पहनाकर विदा किया।
जी एन के इंटर कॉलेज मे शिक्षणोत्तर कर्मचारी का विदाई समारोह, पगड़ी पहनाकर विदा किया।
जी एन के इंटर कॉलेज सिविल लाइन मे 39 वर्ष तक अपनी सेवा से सभी शिक्षको, शिक्षकाओ व कर्मचारियो की आत्मा मे बसे शिक्षणोत्तर कर्मचारी लाल बहादुर यादव की विदाई समारोह मे आंखे नम हो गई। जी एन के इंटर कॉलेज के प्रांगण मे आज विदाई समारोह मे विघालय के सभी शिक्षक, शिक्षकाओ व कर्मचारियो ने भी शिरकत किया। कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत गीत मनोज त्रिपाठी ने की।प्रधानाचार्य अशोक शुक्ला ने अपने सम्बोधन मे कहा की अपने जीवन मे कभी किसी कार्य को करने से मना नही किया,रात दिन जब भी लाल बहादुर से कोई कार्य के लिये कहा, वह हमेशा तैयार रहते थे। अपने जीवन के 39 वर्ष मे कभी किसी से अपशब्द का प्रयोग नही किया है। भगवत जोशी ने कहा कि जुदाई संसार का नियम है जो आता है उसका जाना तय है लेकिन जो अपने जीवन मे हमेशा सभी शिक्षको व कर्मचारियो के लिए उपलब्ध रहता हो आज उसके विदा होने से आंखे नम होना स्वाभाविक है। जी एन के इंटर कॉलेज के वरिष्ठ शिक्षक दिलीप कुमार मिश्रा, जयंत कुमार, आलोक पाण्डेय ने पगड़ी व शाल पहना कर स्वागत व अभिनन्दन किया। अन्य शिक्षक व कर्मचारियो ने छाता, टोपी, गिफ्ट व माल्यार्पण कर सभी शिक्षको व कर्मचारियो ने स्वागत किया। मंच का संचालन भगवत जोशी ने किया। कार्यक्रम मे प्रमुख रूप से अशोक शुक्ला,राजीव शुक्ला,जयंत कुमार, दिलीप कुमार, वीरेंद्र सिंह यादव, कृष्ण मोहन शुक्ला,भगवत जोशी,मनोज त्रिपाठी,संजय कुमार,लाल जी,ब्रज नन्दन आदि लोग मौजूद रहे।
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#धर्म_TheSaviour
9 नवम्बर, 1675
वह घोड़े से उतरा और घर के अंदर गया। घर क्या था, हवेली थी; आखिर, औरंगज़ेब का शाही जल्लाद था वह। ख्वाबगाह में पहुँच कर टोपी उतार फेंकी और सिर के बाल नौंचने लगा, चोगा भी उतार फेंका लेकिन फिर धीरे से उठा लिया और उन पर लगे लाल धब्बों को देख कर गुमसुम सा था कि बीवी आ गयी—
“हाय अल्लाह! आपके चेहरे पर हवाइयाँ क्यों उड़ रही हैं,” उसने खूबसूरत और नर्म हाथों से उसका चेहरा सहलाया।
कोई भी असर न हुआ! ऐसा तो कभी न हुआ था कि उसने उसे फौरन बाहों में जकड़ कर उसके गुलाबी लबों का बोसा न लिया हो। हुस्नारा ने पंजों पर ऊँची होकर उसके गाल चूमे तो लगा जैसे वह मुर्दा हो।
“आपके लिए शर्बत लाती हूँ, आपको पता नहीं क्या हो गया है?” वह जाने लगी तो शाहबाज़ ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे चोगा देकर बोला—
“इस चोगे पर एक अज़ीम इंसान का ख़ून लगा है, जिसकी शहादत मेरे हाथों से हुई है। इसे संभाल कर रख लो, कभी धोना नहीं इसे”।
हुस्नारा ने अपने शौहर को कभी ऐसा न देखा था। उसने जाने कितने ही लोगों को फांसी दी थी, कितनों के सिर कलम किए थे। मगर आज तो जैसे वह अपनी सुध-बुध खोया हुआ था। उसकी आवाज़ भी ऐसी थी जैसे कुएं से आ रही हो।
“रहम परवरदिगार, रहम!” उसने दोनों हाथ आसमान की ओर करके छत की ओर देखा।
शाहबाज़ की आँखों से टपटप आँसू बहने लगे थे और उसने कस कर अपने दोनों हाथों से कानों को दबा रखा था, जैसे किसी आवाज़ को रोक देना चाहता हो।
“हुआ क्या है? मुझे बताओ न, आपको तसल्ली मिलेगी,” वह बेहद फिक्रमंद हो कर उसका सिर सहलाने लगी।
“आज शहंशाह के हुक्म की तामील के लिए एक सिख, भाई मति दास को जिंदा ही आरे से चीरना पड़ा। ऐसी सजा तो कभी न दी गई थी आज तक! बादशाह को उम्मीद थी कि ये बेरहम तरीका इख़्तियार करने से वह बेइंतहा चीखेगा और सिखों का गुरू, तेग बहादुर, आखों से ये मंज़र देख नहीं पाएगा, कानों से चीखें सुन नहीं पाएगा और पल भर में इस्लाम कुबूल कर लेगा। मगर…”।
हुस्नारा और सुन नहीं पाई और धम्म से दीवान पर बैठ गई।
“वह चीखा नहीं, चिल्लाया नहीं बस तेज आवाज़ में सतनाम श्री वाहे-गुरू जपता रहा। आरे के दांते जब उसकी खोपड़ी की हड्डी को करड़-करड़ करके चीरते, तो हर बार उसकी आवाज़ में सतनाम श्री वाहे-गुरू की और तेजी आ जाती। मुझे भी लगा था वह आरा लगते ही चीखेगा, रहम की भीख माँगेगा, मगर नहीं...”।
“जब आरा तीन-चार इंच तक सिर में धंस गया और खून का फौवारा छूटने लगा तो काज़ी ने उससे कहा— अब भी इस्लाम कुबूल ले, शाही ज़र्राह तेरे घाव ठीक कर देगा; तुझे दरबार में ऊँचा पद दिया जाएगा और तेरी पाँच शादियाँ करवा दी जायेंगी मगर वह बस जोर से हँसा; फिर और भी जोर से सतनाम श्री वाहे-गुरू जपने लगा। आरा उसकी छाती तक उतर आया मगर उसकी आवाज़ बंद ही नहीं हुई”।
“मैं उसके चेहरे की तरफ था, दूसरा जल्लाद पीछे था। उसकी आँखों की चमक मुझे अब तक चीरे जा रही है, और आवाज़ मेरी रूह में घुसी चली आ रही है। वो आवाज़ बंद नहीं हुई… अब तक नहीं हुई, हुस्नारा, मेरे कानों में अब तक उसकी आवाज़ गूँज रही है… सतनाम श्री वाहे-गुरू, सतनाम श्री वाहे-गुरू...”
और शाहबाज़ ग़श खाकर गिर पड़ा। उसके दिल की धड़कन रुक गई थी।
भाई मति दास जी का बलिदान, कभी न भूलेगा हिन्दुस्तान🙏🚩
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चीन में बने ओलंपिक शुभंकर को लेकर फ्रांस में लाल चेहरे
चीन में बने ओलंपिक शुभंकर को लेकर फ्रांस में लाल चेहरे
द्वारा एएफपी
पैरिस: पेरिस 2024 ओलंपिक आयोजकों द्वारा खेलों के शुभंकर के रूप में एक नरम लाल फ्रिजियन टोपी की पसंद आलोचकों की इस तथ्य पर जोर देने के बाद अपेक्षा से अधिक कठिन बिक्री साबित हो रही है कि अधिकांश चीन में बने होंगे – और अन्य लोग इसे देखने में मदद नहीं कर सके। स्त्री कामुकता का प्रतीक।
सोमवार को अनावरण किया गया, फ्राइज नाम के मोटे लाल त्रिकोण फ्रांसीसी क्रांति को जगाने के लिए हैं, जब…
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गुजरात चुनाव से पहले भगवा रंग में राहुल गांधी #news4
गांधीनगर। गुजरात चुनाव में प्रचार के लिए राहुल गांधी पूरी तरह तैयार नजर आ रहे हैं। पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में भारत जोड़ो यात्रा से आई एक तस्वीर में राहुल भगवा टोपी लगाए एक अलग ही अंदाज में नजर आए। चेहरे में लाल रंग की टीकी भी दिखाई दे रही है।
कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से शेयर किया गया यह फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। फोटो के साथ एक ट्वीट भी किया गया है जिसमें लिखा है- रंग…
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लाल टोपी से मौत भी नहीं मिली, अंतिम दर्शन में भी एसपी की पहचान पहने दिखे मुलायम सिंह
लाल टोपी से मौत भी नहीं मिली, अंतिम दर्शन में भी एसपी की पहचान पहने दिखे मुलायम सिंह
मुलायम सिंह यादव को मौत भी लाल टोपी से मुक्त नहीं कर पाई। गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस लेने से लेकर सैफई के मेला ग्राउंड में पंचतत्व में घुलने-मिलने तक, उन्हें एक नरम लाल टोपी में देखा गया। बेटे अखिलेश यादव ने भी आग लगने के समय एसपी द्वारा पहचानी गई लाल टोपी पहनकर अंतिम संस्कार किया। इस दौरान मुलायम सिंह को अंतिम विदाई देने के लिए लोग जमा हो गए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित सभी…
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