6- खमानो आश्रम (पंजाब) 7- शामली आश्रम ( यूपी ) 8- सोजत आश्रम ( राजस्थान) 9-मुंडका आश्रम (दिल्ली) व 10- नेपाल आश्रम में
दिनांक 7 नवंबर 2022 से 9 नवंबर 2022 तक तीन दिवसीय अखंड भंडारे
का आयोजन किया गया है। जिसमें संत जी के अनुयायियों द्वारा देश भर के प्रत्येक
अधिकारी, कर्मचारी, जज व नेताओं तथा प्रत्येक गांवों व शहरों के प्रमुखों को भी निमंत्रण पत्र दिया जा रहा है। सोशल मीडिया व प्रिंट मीडिया के माध्यम से भी पूरे विश्व की जनता को इस महान भंडारे में आमंत्रित किया जा रहा है।
संत रामपाल जी महाराज जी के दिशा निर्देश में इस महान यज्ञ में अनेकों समाज हित के कार्यक्रम होंगे।
जैसे:- विशाल सत्संग समारोह, सैंकड़ों जोड़ों का दहेज रहित विवाह, रक्तदान शिविर तथा संत गरीब दास जी महाराज द्वारा रचित अमरग्रंथ साहेब की वाणी का तीन दिवसीय अखंड पाठ होगा जिससे पाठी व श्रोताओं को
ज्ञान यज्ञ का फल मिलता है व निःशुल्क नामदान होगा।
आज से 509 वर्ष पूर्व काशी के
काजी व पंडितों ने अपने अज्ञान का पर्दाफाश होता देख, परमेश्वर कबीर जी को परेशान करके काशी से भगाने के
उद्देश्य से उनके नाम से 18 लाख साधु-संतो व अन्य लोगों को झूठी चिट्ठी भेज दी थी कि कबीर अखंड भंडारा करवा रहा है जिसमें प्रत्येक बार भोजन करने वाले को एक मोहर (10 ग्राम सोना) और एक दोहर (कीमती कंबल ) तथा सूखा सामान भी साथ में दिया जाएगा।
समर्थ परमेश्वर कबीर जी अपने निजधाम सतलोक से केशो बंजारा का अन्य रूप धारण करके काशी में प्रकट हुए व 9 लाख बैलों के ऊपर पका पकाया सर्व सामान तथा सूखा सामान भी भरकर लाए। चिट्ठी में लिखे अनुसार ही
भंडारा करके उस सच्चे परमात्मा ने अपनी समर्थता का परिचय दिया।
उस महान भंडारे की याद ताजा
बनाए रखने के लिए वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी के आदेश से उनके अनुयायियों द्वारा 'दिव्य धर्म यज्ञ दिवस' मनाया जा रहा है जिसमें आप सभी सहपरिवार सादर आमंत्रित हैं।
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7-8-9 November
दिव्य धर्म यज्ञ दिवस पर देखिये विशेष कार्यक्रम का सीधा प्रसारण
09 नवंबर 2022
सुबह 09:15 बजे से।
साधना Tv और पॉपकॉर्न Tv पर।
इस प्रोग्राम को आप Youtube Channel "Sant Rampal Ji Maharaj" पर भी देख सकते हैं।
एक्जिमा के बारे में आपने भी सुना होगा। यह एक तरह का चर्म रोग है। शरीर में जिस ही स्थान पर एक्जिमा होती। खुजली करते -करते कभी -कभी खून भी निकल आता है। आमतौर पर लोग ऐलोपैथिक दवाओं से एक्जिमा का इलाज करने की कोशिश करते हैं लेकिन अक्सर ऐसा देखा जाता है कि एक्जिमा का पूरी तरह उपचार नहीं हो पाता है।
ऐसे में आप आयुर्वेदिक उपाय को आजमा सकते हैं। यह ना सिर्फ एक्जिमा को खत्म करने में सहायता करता है बल्कि अनेक तरह के चर्म रोगों में भी काम आता है।
एक्जिमा एक ऐसी बीमारी है जिसमें त्वचा वचा शुष्क होकर फटने लगती है। एक्जिमा होने पर त्वचा लालिमा और लाल रंग के धब्बे नजर आते हैं। इतना ही नहीं इससे कभी -कभी फफोले भी पड़ सकते हैं। एक्जिमा के कारण त्वचा के कुछ हिस्से खुजलीदार फटे और खुरदरे हो जाते हैं। एक्जिमा मुख्य रूप से पीठ ,पेट ,हाथ ,मुंह ,कान के आसपास के हिस्से को प्रभावित करता है। कई बार लोग इसे मामूली खुजली समझकर नजर अंदाज कर देते हैं जिससे ये धीरे -धीरे फैलने लगता है। एक्जिमा का जल्दी उपचार करना बहुत जरूरी है वरना यह बीमारी त्वचा को बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। एक्जिमा के इलाज के लोग दवाओं ,क्रीम और लोशन का सहारा लेते हैं। लेकिन आप कुछ घरेलू उपायों की मदद से भी एक्जिमा को ठीक कर सकते हैं। आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे घरेलू उपाय बता रहे हैं जिससे आप एक्जिमा इलाज कर सकते हैं।
एक्जिमा क्या है ?
वास्तव में एक्जिमा एक तरह का खुजली का रोग है लेकिन यह सामान्य ��ुजली से अलग होता है। यह अपने आप में एक रोग है। त्वचा को कई संक्रमणों का सामना करना पड़ता है और उसी में से एक एक्जिमा त्वचा रोगों में होने वाली सबसे आम समस्या है
एक्जिमा होने के क्या कारण है ?
निम्नलिखित कारणों से एक्जिमा हो सकता है -
रोग प्रतिरोधक क्षमता आवश्यकता अधिक कार्य करने लगे
जेनेटिक कारणों से
खराब पर्यावरण से
विटामिन बी -6 की कमी से
चिंतनमय जीवन जीने से
असमान्य वातवरणिक ताप से अत्यधिक उच्च ताप व अत्यधिक निच्च ताप एक्जिमा को बढ़ाने में अहम् भूमिका निभाते है
हार्मोनल बदलाव आने से
साबुन ,शैम्पू और केमिकल उत्पादों से
कुछ खाद्य पदार्थों की एलर्जी से
एक्जिमा के क्या लक्षण है ?
एक्जिमा के कुछ मुख्य लक्षण निम्नलिखित है -
काफी खुजली होना ( खासकर रात के समय )
त्वचा में सूखापन
लाल और भूरे रंग के थक्के
त्वचा में पपड़ी सी जमना
हाथो ,पांवो ,और गले आदि स्थानों को अधिक प्रभावित करती है
खाज व सूखापन बढ़ जाना
फ़िसर्स बनना
छोटे -छोटे फुंसी से हो जाना
हल्की सूजन हो जाना
त्वचा के उस हिस्से का रंग बदल जाना
एक्जिमा का घरेलू उपाय
हल्दी
हल्दी कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है। त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए हल्दी एक प्रभावी घरेलू उपाय है। एक्जिमा के उपचार के लिए हल्दी काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। हल्दी में एंटी -बैक्टीरियल और एंटी -इंफ्लेमेंटरी गुण होते हैं। इसके लिए हल्दी में गुलाब जल या दूध मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगाएं 15 -20 मिनट के बाद ठंडे पानी से धो लें।
नीम का तेल
एक्जिमा के इलाज के लिए नीम का तेल भी बहुत लाभकारी माना जाता है। नीम के तेल में एंटी -बैक्टीरियल और एंटी -एलर्जिक गुण होते हैं जो त्वचा की खुजली और जलन को ठीक करते हैं इसमें मौजूद एंटी -इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा की सूजन से राहत दिलाते हैं। इसके लिए आप पानी में नीम के तेल की दो -चार बूंदें मिलाकर नहाएं। इसके अलावा नीम के तेल में नारियल का तेल मिलाकर लगाने से भी प्रभावित त्वचा को राहत मिलती है।
सरसों का तेल और नीम
250 ग्राम सरसों का तेल लेकर लोहे की कढ़ाही में चढ़ाकर आग पर रख दें। जब तेल खूब उबलने लगे तब इसमें 50 ग्राम नीम की कोमल कोंपल ( नई पत्तियाँ ) डाल दें। कोपलों के काले पड़ते ही कड़ाही को तुरन्त नीचे उतार लें अन्यथा तेल में आग लगकर तेल जल सकता है। ठण्डा होने पर तेल को छानकर बोतल में भर लें। दिन में चार बार एग्जिमा पर लगाएँ कुछ ही दिनों में एक्जिमा नष्ट हो जायेगा। एक वर्ष तक लगाते रहें तो फिर यह रोग दोबारा कभी नहीं होगा।
चिरायता और कुटकी
चार ग्राम चिरायता और चार ग्राम कुटकी लेकर शीशे या चीनी के पात्र में 125 ग्राम पानी डालकर रात को उसमें भिगो और ऊपर से ढक कर रख दें। प्रात:काल रात भिगोया हुआ चिरायता और कुटकी का पानी निथार कर कपड़े से छानकर पी लें और पीने बाद 3 -4 घंटे तक कुछ नहीं खायें और उसी समय अगले दिन के लिए उसी पात्र में 125 ग्राम पानी और डाल दें। इस प्रकार चार दिन तक वही चिरायता और कुटकी काम देगें। तत्पश्चात उनको फेंककर नया चार -चार ग्राम चिरायता और कुटकी डालकर भिगोयें और चार -चार दिन के बाद बदलते रहें। यह पानी ( कड़वी चाय ) लगातार दो -चार सप्ताह पीने एक्जिमा ,फोड़े ,फुन्सी आदि चर्म रोग नष्ट होते हैं मुँहासे निकलना बन्द होते हैं और रक्त साफ होता है।
एक्जिमा में इस कड़वे पानी को पीने के अलावा इस पानी से एक्जिमा वाले स्थान को धोया करें।
इस प्रयोग एक्जिमा और रक्तदोष के अतिरिक्त हड्डी की टी.बी. पेट के रोग ,अपरस और कैंसर आदि बहुत सी बीमारियाँ दूर होती हैं इन कठिन बीमारियों में आवश्यकतानुसार एक -दो महीनों तक चिरायता और कुटकी का पानी पीना चाहिए। इसे भी पढ़े :
भारतीय किसान संघ ने चांदौन में मनायी भगवान बलराम जयंती
किसानों की मांगों का एक ज्ञापन नायब तहसीलदार को दिया
इटारसी। भारतीय किसान संघ ने भगवान बलराम जयंती का आयोजन ग्राम इकाई चांदौन में किया। संघ गांव-गांव जाकर बलराम जयंती कार्यक्रम 6 सितंबर से 15 सितंबर तक आयोजित कर रहा है, तथा गांव की समस्याओं से शासन प्रशासन को अवगत कराने हेतु प्रशासन को ज्ञापन सौंप रहा है। चांदौन इकाई में कार्यक्रम आयोजित किया जिसके पश्चात् ज्ञापन नायब तहसीलदार हीरू कुमरे को…
👉जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी का 74वां अवतरण (अवतार) दिवस, 6-7-8 सितंबर 2024 को धनाना धाम सहित भारत के 11 सतलोक आश्रमों में मनाया जाएगा, जिसमें आप सभी नगर व ग्राम वासियों को इस विशाल अद्वितीय भंडारे में सादर आमंत्रित किया जाता है।🙏👇
"रक्षा बंधन 2024: भाई-बहन के प्यार का शाश्वत बंधन, भद्रा - बहुत काम की छोटी बातें, शुभ मुहूर्त को न चूकें!
भद्रा - बहुत काम की छोटी बातें
19 अगस्त को रक्षाबंधन है रक्षाबंधन तथा होली पर भद्रा की चर्चा सभी जगह होने लगती है भद्रा क्या है? आज पहली बार इसे जानते हैं - -पंचांग के 5 अंग होते हैं तिथि, वार, नक्षत्र , योग और करण ! पांचों अंगों में एक अंग का नाम करण है करण 11 होते हैं तिथि के आधे भाग को करण कहते हैं एक करण का नाम विष्टि भी है इसी का पर्याय भद्रा होता है
ज्योतिष महर्षियों ने अपने अनुभव से इस करण को शुभ नहीं माना वरन यहां तक लिखा है कि "भद्रा में जो व्यक्ति जीवित रहना चाहे अर्थात स्वस्थ रहना चाहे तो उसे भद्रा में शुभ कार्य नहीं करना चाहिये
विशेषकर रक्षाबंधन और होली के लिए कहा गया है कि ~ भद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा! श्रावणी नृपति हन्ति ग्राम दहती फाल्गुनी! इस श्लोक में श्रावणी का अर्थ रक्षाबंधन तथा फाल्गुनी का अर्थ फाल्गुन की पूर्णिमा अर्थात होली से है इसका अर्थ है कि यदि भद्रा मे रक्षाबंधन कर दिया जाए तो राजा अर्थात घर के मुखिया को भारी कष्ट होता है तथा होली के दिन भद्रा में होलिका दहन कर दिया जाए तो राष्ट्र तथा ग्राम का नाश होता है पुराणों में भद्रा को सूर्य की पुत्री तथा शनि की बहिन माना गया है इसकी उपस्थिति मांगलिक कार्य में वर्जित मानी गई है यह भी मान्यता है कि भद्रा में लगाया गया भोग भद्रा को ही प्राप्त होता है इसके बाद लगाया गया भोग भगवान को प्राप्त होता है
19 अगस्त को भद्रा दोपहर 1:30 तक रहेगी दोपहर 1:48 से सायंकाल 4:22 तक तथा सायंकाल 6-57 से 9-10 तक का समय राखी बांधने के लिए सर्वोत्तम रहेगा
यहां यह उल्लेख करना प्रासंगिक है कि राजा दशरथ द्वारा अनजाने में श्रवण कुमार के तीर लग जाने के कारण उसकी मृत्यु हो गई थी राजा को बहुत दुख हुआ उसने प्रायश्चित स्वरूप यह घोषणा की कि रक्षाबंधन के दिन श्रवण कुमार की पूजा की जाएगी तथा पहली राखी श्रवण कुमार को भेंट की जाएगी तभी से यह परंपरा आज तक चल रही है
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नैनीताल जनपद में दो गांव शहर में शामिल, कई ग्राम पंचायतों का हुआ नवगठन व पुर्नगठन
नवीन समाचार, नैनीताल, 13 अगस्त 2024 (Nainitals 2 villages included in Municipality)। नैनीताल में ग्राम पंचायतों का आवश्यकतानुसार नवगठन या पुनर्गठन कर दिया गया है। इसके तहत विकास खण्ड हल्द्वानी में 6 राजस्व ग्रामों को जोड़कर ग्राम पंचायत बैडापोखरा को पुनर्गठित और ग्राम पंचायत बजवालपुर को नवगठित किया गया है। इसी तरह विकास खंड कोटाबाग की ग्राम पंचायत कालाढूगी बन्दो���स्ती के राजस्व ग्राम कालाढूगी…
ओलिंपिक गोल्ड मेडल में कितना गोल्ड, बाजार में बेचने निकलें तो हाथ में आएंगे कितने पैसे?
नई दिल्ली: क्या आप जानते हैं कि ओलिंपिक गोल्ड मेडल पूरी तरह से सोने के नहीं बने होते हैं? जी हां, यह सच है! 529 ग्राम वजनी इस पदक में केवल 6 ग्राम (1.3%) असली सोना होता है। बाकी चांदी से बना होता है। मेडल पर ऊपर से सोने की परत चढ़ी होती है। के गोल्ड मेडल में भी सिर्फ 6 ग्राम सोना है। बाकी चांदी है। ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के मुताबिक, इस पदक की कीमत 950 यूरो (लगभग 85,928 रुपये) है। 2032 तक इसके 1,500 यूरो तक पहुंचने की उम्मीद है। यहां हम आपको ओलिंपिक पदकों, उनके मूल्य और उनके इतिहास के बारे में बता रहे हैं। पहले विश्व युद्ध से पहले तक ओलिंपिक गोल्ड मेडल ज्यादातर सोने के ही बनते थे। लेकिन, युद्ध के बाद लागत कम करने के लिए सोने की मात्रा कम कर दी गई। 1920 के एंटवर्प खेलों से ही ओलिंपिक स्वर्ण पदकों में असली सोने की मात्रा कम होती जा रही है। चांदी के पदक पूरी तरह से चांदी से बनते हैं। वहीं, कांस्य पदक तांबा, टिन और जस्ता के मिश्रण से बनते हैं।
गोल्ड मेडल का मूल्य कितना?
ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के अनुसार, पेरिस 2024 ओलिंपिक स्वर्ण पदक की कीमत 950 यूरोप (लगभग ₹85,928) है। यह कीमत 24 कैरेट सोने और स्टर्लिंग चांदी के बाजार भाव के हिसाब से है। पेरिस 2024 गोल्ड मेडल कई बातों के कारण खास हैं। इनमें एफिल टॉवर के असली ढांचे से निकाला गया लोहे का एक टुकड़ा भी है। टॉवर की कई मरम्मत के दौरान निकाले गए इस ऐतिहासिक टुकड़े को अधिकारियों ने संभाल कर रखा था। अब इसे पेरिस 2024 के प्रतीक के साथ पदक में लगाया गया है।
किसने किया है पदकों को डिजाइन?
इन पदकों को डिजाइन करने में पेरिस 2024 के अधिकारियों और फ्रांस की मशहूर ज्वेलरी और घड़ी निर्माता कंपनी चौमेट ने साथ काम किया है। चौमेट की विरासत दो शताब्दियों से भी ज्यादा पुरानी है। ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स का अनुमान है कि समय के साथ ओलिंपिक स्वर्ण पदकों का मूल्य काफी बढ़ जाएगा। 2032 के ब्रिस्बेन ग्रीष्मकालीन खेलों तक इनकी कीमत 1,500 यूरो तक पहुंच सकती है। यह इस बात को दर्शाता है कि ये पदक सिर्फ खेल पुरस्कार नहीं हैं, बल्कि एक अमूल्य धरोहर भी हैं। http://dlvr.it/TBMnNL
सोने-चांदी की कीमतों में आज भारी गिरावट, कीमत जानकर चौंक जाएंगे आप, एक दिन में ₹4,500 सस्ती हुई चांदी, जानें गोल्ड रेट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में सीमा शुल्क 15 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी करने की घोषणा की थी। इसका असर घरेलू सर्राफा बाजार पर देखने को मिल रहा है। मांग में कमी के कारण कीमती धातुओं के दाम में भी गिरावट आई है।
सोमवार को सोने और चांदी की कीमत में जोरदार गिरावट आई। ज्वैलर्स की कमजोर मांग के कारण सोमवार को दिल्ली सर्राफा बाजार में सोने का भाव 950 रुपये घटकर 71,050 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया।…
Gold Price: बजट 2024 के बाद सिर्फ एक हफ्ते में सोने की कीमत में इतनी गिरावट, जानें 10 ग्राम 24 कैरेट गोल्ड का रेट
Gold Price Today: सोने की कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। बीते 23 जुलाई 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में मोदी 3.0 का बजट पेश करते हुए कई बड़े ऐलान किए थे, इनमें से एक सोने से जुड़ा हुआ भी था। सरकार ने गोल्ड पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी को 15 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया और इसका असर बजट वाले दिन से ही सोने के भाव पर दिखाई देने लगा था। ये सिलसिला लगातार जारी है। बीते एक…
कुण्डा पुलिस ने लेडी डॉन नीलम पाण्डेय को किया गिरफतार
प्रतापगढ़, 20 जुलाई 2024। प्रतापगढ़ जिले के कुण्डा में पुलिस ने लेडी डॉन नीलम पाण्डेय को गिरफतार किया है। नीलम इलाके में डकैती की घटनाओं में न केवल सहयोग कर रही थी बल्कि वारदात में भी शामिल हो रही थी। 6 जुलाई 2024 की रात्रि थाना कुण्डा क्षेत्रान्तर्गत ग्राम ग्यासपुर में छोटेलाल गौतम के घर में डकैती हुई थी। इस मामले में कुंडा थाने में अभियोग पंजीकृत किया गया था ।
पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार द्वारा…
वैदिक सभ्यताः - सिंधु घाटी सभ्यता के पश्चात भारत में जिस नवीन सभ्यता का विकास हुआ उसे ही आर्य अथवा वैदिक सभ्यता या वैदिक काल के नाम से जाना जाता है। वैदिक सभ्यता या वैदिक काल की जानकारी हमे मुख्यतः वेदों से प्राप्त होती है
वैदिक काल (1500 ई. पूर्व-600ई.पूर्व)
उत्तर वैदिक काल (1000-600ई.पूर्व) - इस काल की जानकारी अन्य वेद यजुर्वेद सामवेद अथर्ववेद से मिलते हैं
ऋग्वैदिक काल (1500-1000ई.पूर्व) - इस काल की जानकारी ऋग्वेद से मिलती है
वैदिक काल में आर्यों का आगमन भारत में हुआ था। आर्य संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है "श्रेष्ठ" आर्यों का मूल निवास स्थान
मैक्समूलर - मध्य एशिया
दयानंद सरस्वती - तिब्बत
बाल गंगाधर तिलक - उत्तरी ध्रुव
आर्य सर्वप्रथम पंजाब एवं अफगानिस्तान में आकर बसे । यह एक ग्रामीण सभ्यता थी। आर्यों की भाषा संस्कृत थी।
आर्यों की प्रशासनिक इकाई पांच भागों में बटी थी - कुल, ग्राम, विश, जन, राष��ट्र
कुल कितने वेद हैं:- 4 वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद, सामवेद
ऋग्वेदः - ऋग्वेद सबसे प्राचीन वेद है
इसमें 10 मंडल 1028 सूक्त और 10462 ऋचाएं हैं ऋग्वेद के तीसरे मंडल में गायत्री मंत्र हैं
ऋग्वेद :-
ऋग्वेद मैं स्तोत्र और प्रार्थनाएं का संचय है
ऋग्वेद में कुल मंत्रों की संख्या 10580 है इसमें 118 मंत्र दोहराए गए हैं मूल मंत्रों की संख्या 10462 है
यजुर्वेदः -
यजुर्वेद में यज्ञों के नियमों एवं विधि विधान का संकलन मिलता है इसमें बलिदान विधि का भी वर्णन है
सामवेद:-
"साम" का शाब्दिक अर्थ है गान इसे भारतीय "संगीत का जनक" कहा जाता है इसमें संगीतमय स्तोत्र का वर्णन है
अथर्ववेदः -
अथर्ववेद अथर्वा ऋषि द्वारा रचित है इसमें कुल 731 मंत्र हैं तथा लगभग 6000 पद्य हैं अथर्ववेद का संबंध चिकित्सा तंत्र मंत्र और वशीकरण से है
वेद - 4
पुराण - 18
उपनिषद - 108
उपनिषद का शाब्दिक अर्थ है "गुरुओं के समीप बैठना" "सत्यमेव जयते" मुंडक उपनिषद से लिया गया है
वेदांग की संख्या 6 है -
ऋग्वैदिक काल में समाज 4 वर्णों में बंटा हुआ था
ब्राह्मण
क्षत्रिय
वैश्य
शूद्र
ऋग्वैदिक काल में वर्ण व्यवसाय के आधार पर निर्धारित किए गए थे
वैदिक काल के देवताः-
1. इंद्रः- यह आर्यों के सर्वाधिक प्रिय देवता थे, इन्हें युद्ध तथा वर्षा का देवता माना जाता था और इन्हें पुरंदर भी कहते थे
2. अग्निः- आग के देवता
3. वरुण:- वायु देवता
4. सोमः - जंगल के देवता
5. मारुतः - तूफान के देवता
6. रुद्रः- ये सबसे क्रोध वाले देवता थे
ऋग्वैदिक काल की नदियां:-
आधुनिक नाम = प्राचीन नाम
शुतुद्रि = सतलज
पुरुष्णी = रावी
अस्किनी = चिनाब
वितस्ता =झेलम
विपाशा = व्यास
सरस्वती/दृशद्वती = घग्घर
कुभा = काबुल
कुमु = कुर्रम
सदानीरा = गंडक
सुवस्तु = स्वात
वेद और उपनिषद को पढ़कर ही 6 ऋषियों ने अपना दर्शन गढ़ा है। इसे भारत का षड्दर्शन कहते हैं।
1. सांख्य दर्शनः - कपिल
2. न्याय दर्शन:- गौतम
3. योग दर्शन:- पतंजलि
4. वैशेषिक दर्शनः - कणाद
5. उत्तर मीमांसाः- वादरायण
6. पूर्वी मीमांसाः- जैमिनी
ऋग्वैदिक काल महत्वपूर्ण तथ्य
आर्यों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन था
आर्यों का समाज पितृप्रधान था
गाय को अधन्या (ना मारे जाने योग्य पशु की श्रेणी में रखा गया था)
आर्यों का प्रिया पशु घोड़ा एवं सर्वाधिक प्रिय देवता इंद्र थे
आर्यों द्वारा खोजी के धातु लोहा थी
ऋग्वेद में सरस्वती नदी सबसे महत्वपूर्ण तथा पवित्र मानी जाती थी
ऋग्वेद में गंगा का उल्लेख 1 बार यमुना का उल्लेख 3 बार तथा सिंधु नदी का उल्लेख सर्वाधिक बार हुआ है
उत्तरवैदिक काल के महत्वपूर्ण तथ्य
उत्तरवैदिक काल में इंद्र की बजाए प्रजापति सर्वाधिक प्रिय देवता बन गए
उत्तर वैदिक काल में वर्ण व्यवसाय की बजाय जन्म के आधार पर निर्धारित होने लगे थे
यव (जौ), व्रीहि (धान), माड़ (उड़द), गुदग (मूंग), गोधूम (गेंहू), मसूर आदि खाद्यान्नों का वर्णन यजुर्वेद में मिलता है।
उत्तरवैदिक ग्रन्थों में लोहे के लिए लौह अयस एवं कृष्ण अयस शब्द का प्रयोग हुआ है अतरंजीखेड़ा में पहली बार कृषि से सम्बन्धित लौह उपकरण प्राप्त हुए हैं।
वैदिक सभ्यता के महत्वपूर्ण प्रश्न -
पूर्व-वैदिक या ऋग्वैदिक संस्कृति का काल किसे माना जाता है ?
- 1500 ई. पू.-1000 ई. पू.
उत्तर-वैदिक संस्कृति का काल किसे माना जाता है ?
- 1000 ई. पू.-600 ई. पू.
'आर्य' शब्द का शाब्दिक अर्थ है
- श्रेष्ठ या कुलीन
किस फसल का ज्ञान वैदिक काल के लोगों को नहीं था ?
- तम्बाकू
उत्तर-वैदिक काल के वेदविरोधी और ब्राह्मणविरोधी धार्मिक अध्यापकों को किस नाम से जाना जाता था ?
- श्रमण
वैदिक गणित का महत्वपूर्ण अंग है
- शुल्व सूत्र
किस वेद में प्राचीन वैदिक युग की संस्कृति के बारे में सूचना दी गई है?
- ऋग्वेद
वेदों की संख्या कितनी है ?
- चार
भारत के राजचि में प्रयुक्त होने वाले शब्द 'सत्यमेव जयते' किस उपनिषद् से लिए गए हैं ?
- मुण्डक उपनिषद् से
ऋग्वैदिक आर्यों का मुख्य व्यवसाय क्या था ?
- पशुपालन
भारतीय संगीत का आदिग्रन्थ कहा जाता है
- सामवेद
प्रमुख दर्शन और उनके प्रवर्तक
प्रवर्तक = दर्शन
कपिल = सांख्य
गौतम = न्याय
चार्वाक = चार्वाक
योग = पतंजलि
जैमिनी = पूर्व मीमांसा
बादरायण = उत्तरमीमांसा
कणाद = वैशेषिक
कृष्ण भक्ति का प्रथम और प्रधान ग्रन्थ है
– श्रीमद्भागवतगीता
ऋग्वेद में संपत्ति का प्रमुख रूप क्या है ?
- गोधन
ऋग्वेद के किस मंडल में शूद्र का उल्लेख पहली बार मिलता है ?
- 10वें
वेदों की ऋचाओं को पढ़ने वाले ऋषि को क्या कहते हैं
- होतृ
ऋग्वेद का सम्बन्ध किससे है ?
- ईश्वर महिमा से
ऋग्वेद में कुल मंडल हैं
- 10
ऋग्वेद में कुल सूक्तियाँ हैं
-1028
ऋग्वेद में कुल ऋचाएँ हैं
-10580
ऋग्वेद में इन्द्र के लिए ऋचाएँ हैं
-250
ऋग्वेद में अग्नि के लिए ऋचाएँ हैं
-200
सबसे पुराना वेद कौन-सा है ?
- ऋग्वेद
ज्ञान-वेदों की संख्या चार है-ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद तथा अथर्ववेद। इनमें सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद है।
त्रयी नाम है -
तीन वेदों का
ज्ञान-ऋग्वेद, यजुर्वेद तथा सामवेद को 'वेदत्रयी' या 'त्र��ी' कहा जाता है।
किस वैदिक ग्रन्थ में 'वर्ण' शब्द का सर्वप्रथम नामोल्लेख मिलता है ?
- ऋग्वेद में
भारत का सबसे प्राचीन धर्म ग्रन्थ कौन-सा है ?
- वेद
अथर्व का अर्थ क्या है ?
- पवित्र जादू
पूर्व मीमांसा दर्शन के प्रतिपादक कौन है ?
- जैमिनी
सबसे प्राचीन पुराण कौन-सा है ?
- मत्स्य पुराण
ब्राह्मण ग्रन्थों में सबसे प्राचीन ग्रन्थ कौन-सा है ?
- शतपथ ब्राह्मण
वर्ण व्यवस्था से सम्बन्धित 'पुरुष सूक्त' मूलतः पाया जाता है
- ऋग्वेद में
'गोपथ ब्राह्मण' सम्बन्धित है
- अथर्ववेद से
उपनिषदों का मुख्य विषय है
- दर्शन
नचिकेता आख्यान का उल्लेख मिलता है
- कठोपनिषद् में
पुराणों की संख्या कितनी है ?
-18
वैदिक धर्म का मुख्य लक्षण किसकी उपासना से था ?
- प्रकृति
किस देवता के लिए ऋग्वेद में 'पुरंदर' शब्द का प्रयोग हुआ है?
– इंद्र
'शुल्व सूत्र' किस विषय से सम्बन्धित पुस्तक है ?
- ज्यामिति
'असतो मा सदगमय' कहाँ से लिया गया है ?
- ऋग्वेद
आर्य भारत में बाहर से आए और सर्वप्रथम बसे थे
- पंजाब में
ऋग्वेद का कौन-सा मंडल पूर्णतः सोम को समर्पित है ?
- नौवाँ मंडल
प्रसिद्ध दस राजाओं का युद्ध 'दाशराज युद्ध' किस नदी के तट पर लड़ा गया ?
- परुष्णी
धर्मशास्त्रों में भूराजस्व की दर क्या है ?
-1/6
800 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व का काल किस युग से जुड़ा है?
- ब्राह्मण युग
आरम्भिक वैदिक साहित्य में सर्वाधिक वर्णित नदी है
- सिन्धु
उपनिषद् काल के राजा अश्वपति कहाँ के शासक थे ?
- केकय के
अध्यात्म ज्ञान के विषय में नचिकेता और यम का संवाद किस उपनिषद् में प्राप्त होता है ?
- कठोपनिषद् में
वैदिक नदी कुभा (काबुल) का स्थान कहाँ निर्धारित होना चाहिए ?
- अफगानिस्तान में
कपिल मुनि द्वारा प्रतिपादित दार्शनिक प्रणाली है
- सांख्य दर्शन
भारत के किस स्थल की खुदाई से लौह धातु के प्रमाण मिले हैं ? प्रचलन के प्राचीनतम
- अतरंजीखेड़ा
किस काल में अछूत की अवधारणा स्पष्ट रूप से उदित हुयी ?
- धर्मशास्त्र के काल में
गायत्री मंत्र (देवी सावित्री को सम्बोधित) किस पुस्तक में मिलता है ?
- ऋग्वेद में
न्यायदर्शन को प्रचारित किया था
- गौतम ने
प्राचीन भारत में 'निष्क' से जाने जाते थे
- स्वर्ण आभूषण
योग दर्शन के प्रतिपादक हैं
- पतंजलि
उपनिषद् पुस्तकें हैं
- दर्शन पर
पूर्व-वैदिक आर्यों का धर्म प्रमुखतः था
- प्रकृति-पूजा और यज्ञ
'चरक संहिता' नामक पुस्तक किस विषय से सम्बन्धित है ?
- चिकित्सा
यज्ञ सम्बन्धी विधि-विधानों का पता चलता है
- यजुर्वेद से
वैदिक युगीन 'सभा' क्या थी ?
- मंत्रिपरिषद्
वैदिक युग में प्रचलित लोकप्रिय शासन प्रणाली थी
- गणतंत्र
सबसे प्राचीन वेद कौन-सा है ?
- ऋग्वेद
कौन भारतीय दर्शन की आरम्भिक विचारधारा है ?
- सांख्य
सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा एवं वेदांत - इन छः भिन्न भारतीय दर्शनों की स्पष्ट रूप से अभिव्यक्ति हुई
- वैदिक युग में
वह दस्तकारी कौन-सी है जो आर्यों द्वारा व्यवहार में नहीं लाई गई थी ?
- लुहार (लुहारगीरी)
प्राचीनतम व्याकरण 'अष्टाध्यायी' के रचनाकार हैं
- पाणिनि
कौन-सी स्मृति प्राचीनतम है ?
- मनुस्मृति
'आदि काव्य' की संज्ञा किसे दी जाती है ?
- रामायण
प्राचीनतम पुराण है
- मत्स्य पुराण
ऋग्वेद में सबसे पवित्र नदी किसे माना गया है ?
- सरस्वती
वैदिक समाज की आधारभूत इकाई थी
- काल/कुटुम्ब
ऋग्वैदिक युग की प्राचीनतम संस्था कौन-सी थी ?
- विदथ
ब्राह्मण ग्रन्थों में सर्वाधिक प्राचीन कौन है ?
- शतपथ ब्राह्मण
'गोत्र' व्यवस्था प्रचलन में कब आई ?
- उत्तर-वैदिक काल
'मनुस्मृति' मुख्यतया सम्बन्धित है
- समाज व्यवस्था से
गायत्री मंत्र की रचना किसने की थी ?
- विश्वामित्र ने
'अवेस्ता' और 'ऋग्वेद' में समानता है। 'अवेस्ता' किस क्षेत्र से सम्बन्धित है?
- ईरान से
किसका संकलन ऋग्वेद पर आधारित है ?
- सामवेद का
किस वेद में जादुई माया और वशीकरण (magical charms and spells) का वर्णन है ?
- अथर्ववेद में
'आर्य' शब्द इंगित करता है
- नृजाति समूह को
प्राचीनतम विवाह संस्कार का वर्णन करने वाला 'विवाह सूक्त' किसमें पाया जाता है ?
- ऋग्वेद में
ऋग्वेद में 'अघन्य' (वध योग्य नहीं) शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया था ?
- गाय के
ऋग्वेद में किन नदियों का उल्लेख अफगानिस्तान के साथ आर्यों के सम्बन्ध का सूचक है ?
- कुभा, क्रमु
आर्यों के आर्कटिक होम सिद्धान्त का पक्ष किसने लिया था ?
- बी. जी. तिलक ने
'अथर्व' का अर्थ है
- पवित्र जादू
कौन-सा वेद अंशतः गद्य रूप में भी रचित है ?
- यजुर्वेद
उत्तर-वैदिक काल में किस देवता को सर्वोच्च स्थान प्राप्त था ?
- प्र���ापति
इटारसी। आदिवासी विकासखंड केसला में आकाशीय बिजली गिरने से उसकी चपेट में आकर एक ग्रामीण की मौत हो गयी। केसला पुलिस ने मर्ग कायम कर लिया है।
पुलिस के अनुसार 1 सितंबर की शाम करीब 6 बजे विशाल के खेत के बाजू में नाले के पास रामनाथ पिता रज्जू अखंडे 45 वर्ष, निवासी ग्राम झिरनापुरा की आकाशीय बिजली गिरने से मौत हो गयी। घटना की सूचना अर्जुन पिता सरवंत कुमार अखंडे ने पुलिस को दी।
👉जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी का 74वें अवतरण(अवतार)दिवस, के अक्सर पर 6-से -7-8 सितंबर 2024 को धनाना धाम सहित भारत के 11 सतलोक आश्रमों में मनाया जाएगा,जिसमें आप सभी नगर व ग्राम वासियों को इस विशाल अद्वितीय भंडारे में सादर आमंत्रित किया जाता है🙏👇
*🔸1. वर्षा ऋतु में मंदाग्नि, वायुप्रकोप, पित्त का संचय आदि दोषों की अधिकता होती है । इस ऋतु में भोजन आवश्यकता से थोड़ा कम करोगे तो आम (कच्चा रस) तथा वायु नहीं बनेंगे या कम बनेंगे, स्वास्थ्य अच्छा रहेगा । भूल से भी थोड़ा ज्यादा खाया तो ये दोष कुपित होकर बीमारी का रूप ले सकते हैं ।*
*🔸2. काजू, बादाम, मावा, मिठाइयाँ भूलकर भी न खायें, इनसे बुखार और दूसरी बीमारियाँ होती हैं ।*
*🔸3. अशुद्ध पानी पियेंगे तो पेचिश व और कई बीमारियाँ हो जाती हैं । अगर दस्त हो गये हों तो खिचड़ी में देशी गाय का घी डाल के खा लो तो दस्त बंद हो जाते हैं । पतले दस्त ज्यादा समय तक न रहें इसका ध्यान रखें ।*
*🔸4. बरसाती मौसम के उत्तरकाल में पित्त प्रकुपित होता है इसलिए खट्टी व तीखी चीजों का सेवन वर्जित है ।*
*🔸5. जिन्होंने बेपरवाही से बरसात में हवाएँ खायी हैं और शरीर भिगाया है, उनको बुढ़ापे में वायुजन्य तकलीफों के दुःखों से टकराना पड़ता है ।*
*🔸6. इस ऋतु में खुले बदन घूमना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।*
*🔸7. बारिश के पानी में सिर भिगाने से अभी नहीं तो 20 वर्षों के बाद भी सिरदर्द की पीड़ा अथवा घुटनों का दर्द या वायु संबंधी रोग हो सकते हैं ।*
*🔸8. जो जवानी में ही धूप में सिर ढकने की सावधानी रखते हैं उनको बुढ़ापे में आँखों की तकलीफें जल्दी नहीं होतीं तथा कान, नाक आदि निरोग रहते हैं ।*
*🔸9. बदहजमी के कारण अम्लपित्त (Hyper acidity) की समस्या होती है और बदहजमी से जो वायु ऊपर चढ़ती है उससे भी छाती में पीड़ा होती है । वायु और पित्त का प्रकोप होता है तो अनजान लोग उसे हृदयाघात (Heart Attack) मान लेते हैं, डर जाते हैं । इसमें डरें नहीं, 50 ग्राम जीरा सेंक लो व 50 ग्राम सौंफ सेंक लो तथा 20-25 ग्राम काला नमक लो और तीनों को कूटकर चूर्ण बना के घर में रख दो । ऐसा कुछ हो अथवा पेट भारी हो तो गुनगुने पानी से 5-7 ग्राम फाँक लो ।*
*🔸10. अनुलोम-विलोम प्राणायाम करो – दायें नथुने से श्वास लो, बायें से छोड़ो फिर बायें से लो और दायें से छोड़ो । ऐसा 10 बार करो । दोनों नथुनों से श्वास समान रूप से चलने लगेगा । फिर दायें नथुने से श्वास लिया और 1 से सवा मिनट या सुखपूर्वक जितना रोक सकें अंदर रोका, फिर बायें से छोड़ दिया । कितना भी अजीर्ण, अम्लपित्त, मंदाग्नि, वायु हो, उनकी कमर टूट जायेगी । 5 से ज्यादा प्राणायाम नहीं करना । अगर गर्मी हो जाय तो फिर नहीं करना या कम करना ।*
नवीन समाचार, टनकपुर, 14 जुलाई 2024। उत्तराखंड के चंपावत जनपद के टनकपुर में में एक हैरान करने वाली घटना सामने आयी है। यहां निकटवर्ती ग्राम सभा नायकगोठ निवासी 21 वर्षीय विवेक भंडारी पुत्र देवेंद्र भंडारी स्पोर्ट्स स्टेडियम के लोहे के गेट पर मृत अवस्था में लटका हुआ मिला। इससे वहां सनसनी फैल गयी।
सुबह 6 बजे की घटना
बताया जा रहा है कि विवेक रविवार सुबह 6 बजे खेलने के लिए स्पोर्ट्स स्टेडियम टनकपुर जा…
पीलीभीत जनपद में ललोरीखेड़ा और पूरनपुर की दो महिलाएं हाथरस भगदड़ कांड की हुई शिकार
पीलीभीत जनपद में ललोरीखेड़ा और पूरनपुर की दो महिलाएं हाथरस भगदड़ कांड की हुई शिकार
पीलीभीत में कोतवाली जहानाबाद क्षेत्र में ग्राम ललौरीखेड़ा के मूल निवासी रिटायर्ड वनरक्षक शिवकुमार की पत्नी रामबेटी भी हाथरस भगदड़ कांड की शिकार हो गई,और उनकी मृत्यु हो गई।मृतक राम बेटी ग्राम ललौरीखेड़ा की मूल निवासी थी और वर्तमान में अपने पति के साथ पीलीभीत में नेहरू पार्क स्थित अयोध्या पुरम गली नंबर 6 में बने घर में रह रही थी।पूरी जानकारी कोतवाल जहानाबाद राजीव शर्मा के द्वारा मीडिया को दी गई है।इसके अलावा पीलीभीत की पूरनपुर तहसील क्षेत्र के गांव बांगर के रहने वाले रामदीन की 45 वर्षीय पत्नी रामवती भी हादसे की शिकार हो गई हैं।मृतक दोनों महिलाओं के शवों को लेने के लिए उनके परिजन हाथरस रवाना हो गए हैं।