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Jeevan Ki Philosophy
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nageshjain · 1 year ago
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अनोखा डर ANOKHA DAR
एक किसान था। वह एक बड़े से खेत में खेती किया करता था। उस खेत के बीचो-बीच पत्थर का एक हिस्सा ज़मीन से ऊपर निकला हुआ था जिससे ठोकर खाकर वह कई बार गिर चुका था और ना जाने कितनी ही बार उससे टकराकर खेती के औजार भी टूट चुके थे। रोजाना की तरह आज भी वह सुबह-सुबह खेती करने पहुंचा पर जो सालों से होता आ रहा था एक वही हुआ , एक बार फिर किसान का हल पत्थर से टकराकर टूट गया। किसान बिल्कुल क्रोधित हो उठा , और…
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nageshjain · 1 year ago
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चार मोमबत्तियां CHAR MOMBATTI
रात का समय था , चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था।  नज़दीक ही एक कमरे में चार मोमबत्तियां जल रही थीं। एकांत पा कर आज वे एक दुसरे से दिल की बात कर रही थीं। पहली मोमबत्ती बोली , ” मैं शांति हूँ , पर मुझे लगता है अब इस दुनिया को मेरी ज़रुरत नहीं है , हर तरफ आपाधापी और लूट-मार मची हुई है , मैं यहाँ अब और नहीं रह सकती। …” और ऐसा कहते हुए , कुछ देर में वो मोमबत्ती बुझ गयी। दूसरी मोमबत्ती बोली , ” मैं…
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nageshjain · 1 year ago
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ज्ञान की प्यास GYAN KI PYAS
उन दिनों महादेव गोविंद रानडे हाई कोर्ट के जज थे। उन्हें भाषाएँ सीखने का बड़ा शौक था। अपने इस शौक के कारण उन्होंने अनेक भाषाएँ सीख ली थीं; किंतु बँगला भाषा अभी तक नहीं सीख पाए थे। अंत में उन्हें एक उपाय सूझा। उन्होंने एक बंगाली नाई से हजामत बनवानी शुरू कर दी। नाई जितनी देर तक उनकी हजामत बनाता , वे उससे बँगला भाषा सीखते रहते। रानडे की पत्नी को यह बुरा लगा। उन्होंने अपने पति से कहा , ‘‘ आप हाई…
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nageshjain · 2 years ago
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कैसे हुई देवी एकादशी की उत्पत्ति? KAISE HUI DEVI EKADASHI KI UTPATI ?
उत्पन्ना एकादशी व्रत मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी तिथि को है। इस साल उत्पन्ना एकादशी व्रत 08 दिसंबर को है। देवी एकादशी का जुड़ाव उत्पन्ना एकादशी व्रत से है। देवी एकादशी की उत्पत्ति कैसे हुई? उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा। पौराणिक कथाओं के अनुसार , भगवान विष्णु के शरीर से ही देवी एकादशी की उत्पत्ति हुई थी। उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ देवी एकादशी की पूजा होती है। सभी व्रतों में एकादशी…
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nageshjain · 2 years ago
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नैतिक मूल्यों का संरक्षण हर हालत में होना ही चाहिये NAITIK MULYON KA SANRAKSHAN HAR HALAT MEIN HONA CHAHIE
खण्डन वन में एक महा सर्प रहता था – नाम था अश्वसेन। वन में आग लगी। उस अग्नि काँड का निमित्त अर्जुन को माना गया। अग्नि काँड में अश्वसेन की माता चक्षुश्रक मर गई। इस पर उसे बहुत क्रोध आया और अर्जुन से बदला लेने के लिए घात लगाने लगा। कुरुक्षेत्र के मैदान में महाभारत रचा गया। कर्ण और अर्जुन आमने-सामने थे। अश्वसेन ने उपयुक्त अवसर देखा और वह बाण का रूप धारण करके कर्ण के तरकस में जा घुसा। अर्जुन पर…
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nageshjain · 2 years ago
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जैसा दृष्टिकोण वैसा सँसार JAISA DRISHTIKON VAISA SANSAR
पाण्डवों और कौरवों को शस्त्र शिक्षा देते हुए आचार्य द्रोण के मन में उनकी परीक्षा लेने की बात उभर आई।परीक्षा कैसे और किन विषयों में ली जाए इस पर विचार करते उन्हें एक बात सूझी कि क्यों न इनकी वैचारिक प्रगति और व्यावहारिकता की परीक्षा ली जाए। दूसरे दिन प्रातः आचार्य ने राजकुमार दुर्योधन को अपने पास बुलाया और कहा- ‘वत्स! तुम समाज में से एक अच्छे आदमी की परख करके उसे मेरे सामने उपस्थित करो। ‘…
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nageshjain · 2 years ago
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सिर्फ एक भूल हो गई SIRF EK BHUL HO GAI
एक बार की बात है। युनान में एक बहुत बडा मूर्तिकार हुआ। उस मूर्तिकार की बडी बहूत प्रशंसा थी। सारे दूर -दूर के देशों तक और लोग कहते थे कि अगर उसकी मूर्ति रखी हो बनी हुई और जिस आदमी की उसने मूर्ति बनाई है वह आदमी भी असके पडोस में खडा हो जाए श्वास बंद करके , तो बताना मुश्किल है कि मूल कौन है और मूर्ति कौन है । दोनों एक से मालूम होने लगते हैं। उस मूर्तिकार की मौत करीब आई। तो उसने सोचा कि मौत को धोखा…
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nageshjain · 2 years ago
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समस्या का दूसरा पहलु SAMASYA KA DUSRA PAHLU
पिताजी कोई किताब पढने में व्यस्त थे , पर उनका बेटा बार-बार आता और उल्टे-सीधे सवाल पूछ कर उन्हें डिस्टर्ब कर देता । पिता के समझाने और डांटने का भी उस पर कोई असर नहीं पड़ता। तब उन्होंने सोचा कि अगर बच्चे को किसी और काम में उलझा दिया जाए तो बात बन सकती है। उन्होंने पास ही पड़ी एक पुरानी किताब उठाई और उसके पन्ने पलटने लगे। तभी उन्हें विश्व मानचित्र छपा दिखा , उन्होंने तेजी से वो पेज फाड़ा और बच्चे…
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nageshjain · 2 years ago
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सब में रब की मर्जी है SAB MEIN RAB KI MARJI HAI
किसी गाँव में दो साधू रहते थे। वे दिन भर भिक्षा मांगते और मंदिर में पूजा करते थे। एक दिन गाँव में आंधी आ गयी और बहुत जोरों की बारिश होने लगी। दोनों साधू गाँव की सीमा से लगी एक झोपडी में निवास करते थे। शाम को जब दोनों वापस पहुंचे तो देखा कि आंधी-तूफ़ान के कारण उनकी आधी झोपडी टूट गई है। यह देखकर पहला साधू क्रोधित हो उठता है और बुदबुदाने लगता है। भगवान तू मेरे साथ हमेशा ही गलत करता है… में दिन भर…
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nageshjain · 2 years ago
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पैरों के निशान PAIRON KE NISHAN
जन्म से ठीक पहले एक बालक भगवान से कहता है ,” प्रभु आप मुझे नया जन्म मत दीजिये , मुझे पता है पृथ्वी पर बहुत बुरे लोग रहते है…. मैं वहाँ नहीं जाना चाहता …” और ऐसा कह कर वह उदास होकर बैठ जाता है । भगवान् स्नेह पूर्वक उसके सर पर हाथ फेरते हैं और सृष्टि के नियमानुसार उसे जन्म लेने की महत्ता समझाते हैं , बालक कुछ देर हठ करता है पर भगवान् के बहुत मनाने पर वह नया जन्म लेने को तैयार हो जाता है। ठीक है…
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nageshjain · 2 years ago
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नियति बड़ी है और हम उतना ही देख पाते हैं NIYATI BADI HAI AUR HAM UTNA HI DEKH PAATE HAIN
टालस्टाय ने एक छोटी सी कहानी लिखी है। मृत्यु के देवता ने अपने एक दूत को भेजा पृथ्वी पर। एक स्त्री मर गयी थी , उसकी आत्मा को लाना था। देवदूत आया , लेकिन चिंता में पड़ गया। क्योंकि तीन छोटी-छोटी लड़कियां जुड़वां–एक अभी भी उस मृत स्त्री के स्तन से लगी है। एक चीख रही है , पुकार रही है। एक रोते-रोते सो गयी है , उसके आंसू उसकी आंखों के पास सूख गए हैं–तीन छोटी जुड़वां बच्चियां और स्त्री मर गयी है, और…
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nageshjain · 2 years ago
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पाप की जड़ PAAP KI JAD
राजा चंद्रभान ने एक दिन अपने मंत्री शूरसेन से पूछा कि पाप की जड़ क्या होती है? शूरसेन इसका कोई संतोषजनक उत्तर नही दे पाया। राजा ने कहा- इस प्रश्न का सही उत्तर ढूंढने के लिए मैं तुम्हें एक माह का समय देता हूं। यदि दी गई अवधि में तुम सही उत्तर नहीं ढूंढ सके , तो मैं तुम्हें मंत्री पद से हटा दूंगा। राजा की बात सुनकर शूरसेन परेशान हो गया। वह गांव-गांव भटकने लगा। एक दिन भटकते-भटकते वह जंगल जा पहुंचा।…
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nageshjain · 2 years ago
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माँ ईश्वर का भेजा फ़रिश्ता है MAA ISHWAR KA BHEJA FARISHTA HAI
एक समय की बात है। एक बच्चे का जन्म होने वाला था। जन्म से कुछ क्षण पहले उसने भगवान् से पूछा , मैं इतना छोटा हूँ खुद से कुछ कर भी नहीं पाता भला धरती पर मैं कैसे रहूँगा , कृपया मुझे अपने पास ही रहने दीजिये ���ैं कहीं नहीं जाना चाहता। भगवान् बोले मेरे पास बहुत से फ़रिश्ते हैं , उन्ही में से एक मैंने तुम्हारे लिए चुन लिया है वो तुम्हारा ख़याल रखेगा। पर आप मुझे बताइए यहाँ स्वर्ग में मैं कुछ नहीं करता…
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nageshjain · 2 years ago
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धनतेरस की कथा DHANTERAS KI KATHA
धनतेरस से जुड़ी कथा है कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन देवताओं के कार्य में बाधा डालने के कारण भगवान विष्णु ने असुरों के गुरु शुक्राचार्य की एक आंख फोड़ दी थी। कथा के अनुसार , देवताओं को राजा बलि के भय से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंच गए। शुक्राचार्य ने वामन रूप में भी भगवान विष्णु को पहचान लिया और राजा बलि से आग्रह किया कि वामन कुछ भी…
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nageshjain · 2 years ago
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सत्य-आचरण का प्रभाव SATYA- AACHARAN KA PRABHAV
बात उन दिनों की है जब एक दिन पाटली-पु़त्र नगर में सम्राट अशोक गंगा नदी के किनारे टहल रहे थे। उनके साथ उनके मंत्रीगण , दरबारी व सैंकड़ों लोग भी थे। नदी अपने पूरे चढ़ाव पर थी। पानी के प्रबल वेग को देखते हुए सम्राट ने पूछा – ‘ क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जो इस प्रबल गंगा का बहाव उल्टा कर सके ? ‘ यह सुनकर सब मौन हो गए। उस जनसमूह से कुछ दूरी पर बिंदुमति नामक बूढ़ी वेश्या खड़ी थी। वह सम्राट् के पास आकर बोली –…
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nageshjain · 2 years ago
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बीता हुआ कल BITA HUA KAL
बुद्ध भगवान एक गाँव में उपदेश दे रहे थे। उन्होंने कहा कि “ हर किसी को धरती माता की तरह सहनशील तथा क्षमाशील होना चाहिए। क्रोध ऐसी आग है जिसमें क्रोध करनेवाला दूसरोँ को जलाएगा तथा खुद भी जल जाएगा। ” सभा में सभी शान्ति से बुद्ध की वाणी सून रहे थे , लेकिन वहाँ स्वभाव से ही अतिक्रोधी एक ऐसा व्यक्ति भी बैठा हुआ था ��िसे ये सारी बातें बेतुकी लग रही थी। वह कुछ देर ये सब सुनता रहा फिर अचानक ही आग – बबूला…
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nageshjain · 2 years ago
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सही समय SAHI SAMAY
अमावस्या का दिन था। एक व्यक्ति उसी दिन समुद्र-स्नान करने के लिए गया , किन्तु स्नान करने के बजाय वह किनारे बैठा रहा। किसी ने पूछा , “ स्नान करने आये हो तो किनारे पर ही क्यों बैठे हो ? स्नान कब करोगे ? उस व्यक्ति ने उत्तर दिया कि इस समय समुद्र अशान्त है। उसमे ऊँची-ऊँची लहरे उठ रही है , जब लहरे बंद होगी और जब उपयुक्त समय आएगा तब मैं स्नान कर लूंगा। ” पूछने वाले को हँसी आ गयी । वह बोला भले आदमी !…
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