#AntiDefectionLaw
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zenstudy01 · 4 months ago
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Kya Hai Anti-Defection Law? Samjhein Iska Mahatva!
Anti-Defection Law bharatiya rajniti mein dal-badal ko rokne ke liye ek mahatvapurna kanoon hai, jo Tenth Schedule ke antargat aata hai.
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jan-media-tv · 4 months ago
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👉 Supreme Court Slams Telangana CM Revanth Reddy Over Anti-Defection Law...
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upscmagazine · 4 years ago
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kisansatta · 5 years ago
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विचारो में अलगाव या सत्ता का लालच
क्या सत्ता की लालच में हैं सचिन पायलट:
बीते कुछ दिनों से देखने में आ रहा है की राजस्थान से कांग्रेस पार्टी के भीतर हो रहे विवाद को लेकर खबरे सामने आ रही हैं। यह फैसला कर पाना मुश्किल है के सचिन पायलट या अशोक गेहलोत में से सत्ता का लालच किसे है और सच में सही कौन है। यह विवाद कई सवाल खड़े करता है राजस्थान में सरकार गिरेगी या बनेगी ? क्या पहले की तरह एक बार फिर भा.जा.पा. एम्. एल.ऐ. खरीदने की कोशिश कर रही है। जितनी आसान ये गुत्थी दिखती है उतनी असल में है नही।
आइये जानते हैं पृष्ठभूमि:
जब 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी थी तब से यह सवाल उठ रहे थे की आखिर मुख्यमंत्री कौन बनेगा , सचिन पायलट या अशोक गेहलोत ? देश के अधिकतर युवा सचिन पायलट के समर्थन में थे क्यूंकि वह एक युवा नेता के रूप में उभरे थे लेकिन कांग्रेस ने अशोक गेहलोत को मुख्यमंत्री पद का उत्तरदायी बनाया क्यूंकि वह एक अनुभवी नेता थे। बिलकुल उसी तरह जैसे की कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के मामले में मध्य प्रदेश में देखने में आया था। ऐसा माना जाता है की राजस्थान में भी जो एम्एल.ऐ सचिन पायलट के समर्थन में थे उनमे और अशोक गेहलोत के समर्थको में कही न कही आंतरिक शक भी था। दोनों को एक दूस��े पर भरोसा नहीं था। 2018 के चुनाव के बाद राहुल गाँधी ने दोनों ही के साथ एक तस्वीर खिचवाई थी जिससे यह स्पष्ट किया था की दोनों के बिच कोई मतभेद नहीं है और दोनों ही सहमति से एक साथ पूरी लगन से काम करेंगे। लेकिन 2 साल गुज़रते ही यह देखने में आता है के अलगाववाद विचार कभी एक हुये ही नहीं थे। यह अलगाववाद बढ़ते हुए एक गंभीर चर्चा का रूप ले लेगा यह किसी को नहीं मालूम था।
जानते हैं पूरा मामला : यह सारी कहानी शुरू होती है 11 जुलाई को जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत ने कहा की भा.जा.पा. उनके एम्एलऐ को 25 करोड़ में खरीद रही है, पार्टी बदलने के लिए ताकि कांग्रेस राजस्थान में इस बार के चुनाव में पैर न जमा सके। यह पहली बार नहीं था की ऐसा हुआ हो इससे पहले कर्नाटक और मध्य प्रदेश में ऐसा देखने में आया है।
क्या है कांग्रेस के आंतरिक मामले ?
11 जुलाई को ही राजस्थान के स्पेशल ऑपरेशन समूह ने दो लोगो को गिरफ्तार किया जो की भ.जा.पा. से जुड़े हुए थे और कांग्रेस के लोगो को रिश्वत देने के मामले में आरोपी थे। उस ही दिन राजस्थान पुलिस ने सचिन पायलट समेत कांग्रेस के कुछ एम्.एल.ऐ. को नोटिस भेजी की वह अपने बयान इस मामले में दर्ज करे। इस बात और पिछली कई बातो को ले कर सचिन पायलट नाराज़ हो गए और अपने साथ अपने समर्थक एम्. एल. ऐ. को लेकर हरयाणा के एक होटल में चले गए और फिर ऐसी बातें उठने लगी की अब सचिन पायलट बी.जे.पी. में शामिल हो सकते हैं। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ अपने एक ट्वीट के ज़रिये सचिन पायलट ने इस बात की घोषणा कर दी की उन्हें बी.जे.पि. में शामिल होने में कोई रूचि नहीं है। 12 जुलाई की रात को अशोक गेहलोत ने एक मीटिंग बुलाई यह बताने के लिए की कितने एम् एल ऐ हैं जो उनसे पक्ष में हैं। उन्होंने बताया 109 एम् एल ऐ उनके समर्थन में हैं जबकि 30 सचिन पायलट के समर्थन में। 13 जुलाई को राजस्थान कांग्रेस ने अपने सरे विधायकों कम लिए एक बैठक बुलाई और यह बात कही के जो भी विधायक इस बैठक में शामिल नहीं होंगे उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक इस बैठक में नहीं गए। 14 जुलाई को कांग्रेस द्वारा एक और बैठक बुलाई गई इस बैठक में भी वह लोग जो पिछली बैठक में शामिल नहीं हुए थे नहीं उपस्थित हुए। पार्टी कि बैठक पर बार-बार बुलाए जाने पर भी नहीं पोहचने पर सचिन पायलट को डिप्टी मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया गया। कांग्रेस पार्टी के राजस्थान अध्यक्ष के पद से भी हटा दिया गया। उसके साथ ही सचिन पायलट के समर्थको को मंत्री पद से हटा दिया गया। राजस्थान के स���पीकर ने 19 विधायकों को नोटिस भेजा जिसमे उनसे पूछा गया कि आपको अयोग्य क्यों न ठहराया जाए। क्युकी आप पआर्टि के बुलावे पर आ नहीं रहे। ये नोटिस एंटी डिफेक्शन कानून के तहत भेजा गया। जिस नोटिस को सचिन पायलट और उनके सहयोगियों ने हाई कोर्ट में भेजा और कहा कि उन्हें अयोग्य करार देना बिलकुल गलत है इन्होने कोई गलत काम नहीं किया है। मामला अभी अदालत में है और उस पर सुनवाई आनी बाकी है।
समझते ��ैं इसके पीछे का गणित :
राजस्थान में लगभग 200 सीटें हैं , 101 बहुमत का वह अंक है जो राजस्थान में किसी भी पार्टी को सत्ता में आने के लिए चाहिए। कांग्रेस ने 2018 में 107 सीटें जीती थी ,बी जे पि ने 75 और बाकी पार्टियों ने 13 स्वतंत्र सीटें जीती थी। और कांग्रेस का कहना था की यह स्वतंत्र एम् एम् ऐ उसके समर्थजन में हैं। एक पार्टी जो की बी जे पि की समर्थक है “राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी” उसके पास 3 विधायक हैं।101 बहुमत अंक है और अब देखना ये होगा की सचिन पायलट के समर्थन में कितने एम् एल ऐ हैं ,कितने स्वतंत्र और कितने बी जे पि और कितने अशोक गेहलोत की सर्कार को समर्थन देते हैं। इस गणित पर ही निर्भर करता है कि किसकी सरकार बनेगी और गिरेगी।
https://kisansatta.com/separation-of-ideas-or-greed-for-power/ #Antidefectionlaw, #Ashokgahlot, #Congress, #Rajasthanpolitics, #Sachinpilot #antidefectionlaw, #ashokgahlot, #congress, #rajasthanpolitics, #sachinpilot e-Paper, In Focus, National, Top, Trending #e-Paper, #InFocus, #National, #Top, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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pen2print · 5 years ago
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The Law of Defection
Merely just four months have passed and congress once again in the brink of “loosing” one more state after “winning” the election.
First, Jyotiraditya Scindia in Madhya Pradesh and Now Sachin Pilot in Rajasthan. The oldest political party of country is facing a severe crisis as never before. After the disagreement on various issues Sachin Pilot has openly came against the party leadership in…
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24x7politics · 6 years ago
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#AntiDefectionLaw से बचने के लिए #Maharashtra में #AjitPawar को 36 #NCP विधायकों की जरूरत है, जो अब दूर की कौड़ी है, क्योंकि #SharadPawar के दम दिखाने के बाद अजीत के पास खुद को मिलाकर कुल चार विधायक बचे हैं, जो उन्हें इस कानून के दायरे में लाता है। https://t.co/JS57yxni8H
— 24x7politics (@24x7Politics) November 24, 2019
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koradanews · 8 years ago
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ఆ నలుగురు మంత్రులకు నోటీసులు..!
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పార్టీ ఫిరాయింపుల కేసులో హైకోర్టు అధికార తెలుగుదేశం పార్టీకి షాక్ ఇచ్చింది. వైసీపీ నుంచి ఎమ్మెల్యేలుగా గెలిచి టీడీపీలో చేరి మంత్రి పదవులు పొందిన వారికి హైకోర్టు నోటీసులు జారీ చేసింది. మొత్తం నలుగురికి కోర్టు నోటీసులిచ్చింది.
  2014 ఎన్నికల్లో వైసిపి నుంచి ఎమ్మెల్యేలుగా గెలిచి పార్టీ ఫిరాయించి ఏపీ ప్రభుత్వంలో మంత్రులుగా ప్రమాణస్వీకారం చేసిన వారిని ఆ పదవుల నుంచి తొలగించాలంటూ దాఖలైన పిటిషన్‌ పై…
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koradanews · 8 years ago
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మా సంగతి సరే, మరి మీరెప్పుడూ ఆ తప్పు చేయలేదా? పురంధేశ్వరిని ప్రశ్నించిన టీడీపీ నేత ..!
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పార్టీ ఫిరాయింపుల వ్యవహారం టీడీపీ వర్సెస్ బీజేపీగా మారింది. మొన్నటివరకు టీడీపీ. వైసీపీ మధ్య ఉన్న రగడ కాస్తా.. మిత్రపక్షాల వైపు మళ్లింది. పార్టీ ఫిరాయింపులపై బీజేపీ నేత పురంధేశ్వరి రాసిన లేఖ ఇరుపార్టీల మధ్య చిచ్చు రాజేసింది. ఈ వ్యవహారంలో తెలుగుదేశం, బీజేపీ నాయకుల మధ్య మాటల యుద్ధం తారస్థాయికి చేరింది. వైసీపీ నుంచి టీడీపీలో చేరిన ఎమ్మెల్యేలకు సీఎం చంద్రబాబు మంత్రి పదవులు ఇవ్వడాన్ని బీజేపీ నేత…
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