कबीर परमेश्वर जी ने कहा है कि जो सच्चा गुरु होगा उसके 4 मुख्य लक्षण होते हैं।
1. सब वेद तथा शास्त्रों को वह ठीक से जानता है।
2. दूसरे वह स्वयं भी भक्ति मन कर्म वचन से करता है अर्थात उसकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होता।
3. तीसरा लक्षण यह है कि वह सर्व अनुयायियों से समान व्यवहार करता है भेदभाव नहीं रखता।
4. चौथा लक्षण यह है कि वह सर्व भक्ति कर्म वेदो ( चार वेद तो सब जानते हैं ऋग्वेद, यजुर्वेद ,सामवेद, अथर्ववेद तथा पांचवा वेद सूक्ष्म वेद सरवन वेदो) के अनुसार करता और कराता है।
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कबीर,सतगुरु के दरबार मे, जाइयो बारम्बार
भूली वस्तु लखा देवे, है सतगुरु दातार।
हमे सच्चे गुरु की शरण मे आकर बार बार उनके दर्शनार्थ जाना चाहिए और ज्ञान सुनना चाहिए।
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संतों सतगुरु मोहे भावै, जो नैनन अलख लखावै।। ढोलत ढिगै ना बोलत बिसरै, सत उपदेश दृढ़ावै।।
आंख ना मूंदै कान ना रूदैं ना अनहद उरझावै। प्राण पूंज क्रियाओं से न्यारा, सहज समाधि बतावै।।
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पूर्ण गुरु की पहचान
पूर्ण गुरु तीन प्रकार के मंत्रों (नाम) को तीन बार में उपदेश करेगा जिसका वर्णन कबीर सागर ग्रंथ पृष्ठ नं. 265 बोध सागर में मिलता है व गीता जी के अध्याय नं. 17 श्लोक 23 व सामवेद संख्या नं. 822 में मिलता है।
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तत्वदर्शी सन्त वह होता है जो वेदों के सांकेतिक शब्दों को पूर्ण विस्तार से वर्णन करता है जिससे पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति होती है वह वेद के जानने वाला कहा जाता है।
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सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद। चार वेद षट शास्त्र, कहै अठारा बोध।।
सतगुरु गरीबदास जी महाराज अपनी वाणी में पूर्ण संत की पहचान बता रहे हैं कि वह चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा।
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सिद्ध तारै पिंड आपना, साधु तारै खंड।
उसको सतगुरु जानियो, जो तार देवै ब्रह्मांड।।
साधक अपना ही कल्याण कर सकता है। परमात्मा से परिचित जो संत हुए हैं वो कुछ डिवीजन, खंड को ही लाभ दे सकते हैं। और सतगुरु उसको जानना जो पूरे विश्व का कल्याण कर दे।
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कबीर साहेब जी अपनी वाणी में कहते हैं कि-
जो मम संत सत उपदेश दृढ़ावै (बतावै), वाके संग सभि राड़ बढ़ावै।
या सब संत महंतन की करणी, धर्मदास मैं तो से वर्णी।।
कबीर साहेब अपने प्रिय शिष्य धर्मदास को इस वाणी में ये समझा रहे हैं कि जो मेरा संत सत भक्ति मार्ग को बताएगा उसके साथ सभी संत व महंत झगड़ा करेंगे। ये उसकी पहचान होगी।
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रक्षा सूत्र बांधना है तो भगवान को बांधो ताकि वो रक्षा कर सके।
भाई अपनी रक्षा नहीं कर सकता, बहन की कैसे कर देगा?
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प्राकृतिक आपदाओं के समय कोई भी भाई अपनी बहन की रक्षा नहीं कर पाता है। फिर वह कौन है जो हर प्रकार के संकट में भी हमारी रक्षा कर सकता है?
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कौन है हमारा असली रक्षक?
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 86-27 और ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 20 मंत्र 1 में स्पष्ट लिखा है कि पापों का नाश करने वाला, विघ्नों अर्थात संकटों का निवारण करने वाला और सुखों की वर्षा करने वाला सबका रक्षक कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर है।
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कौन दिलाएगा बंधनों से मुक्ति?
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में लिखा है कि पापों का शत्रु तथा काल के कर्म बंधनों से छुड़वाने वाला परमात्मा कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर है। अर्थात बंधनों से मुक्ति दिलाने का सामर्थ्य परमेश्वर कबीर जी के पास है।
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हम उनसे अपनी रक्षा की उम्मीद रखते हैं, जो खुद अपनी रक्षा नहीं कर सकते। इस बारे में कबीर साहेब ने कहा है:
बंधे को बंधा मिला, छूटै कौन उपाय।
कर सेवा निरबंध की, पल में लेत छुड़ाय।।
वास्तविक रक्षक कौन है?
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