#TrueStoryOfJagannath
🏕️ जगन्नाथ का मंदिर समुद्र द्वारा बार बार नष्ट करने के कारण इन्द्रदमन राजा का खजाना खत्म हो गया था। अंतिम बार रानी के गहने बेचकर बेचकर मन्दिर का निर्माण किया। लेकिन परमात्मा कबीर जी ने ही समुद्र को मन्दिर तोड़ने से बचाया था।
सुना है पुस्तक पढ़ने से ज्ञान की वृद्धि होती है, अपना आध्यात्मिक ज्ञान बढ़ाए पढ़े संत रामपाल जी द्वारा लिखित निशुल्क पुस्तक "ज्ञान गंगा" ⤵️⤵️
https://docs.google.com/forms/d/1cGLqFn4nIDE_H-A1h3ZmVHJo150tGZvprwyYTKz2lGg/edit
0 notes
🪄कबीर परमेश्वर की मगहर लीला🪄
परमेश्वर कबीर जी समर्थ, सर्वशक्तिमान, अचल, अजन्मा, अमर, श्रेष्ठतम परमात्मा हैं। सारी सृष्टि उन्होंने ही रची है। वे प्रत्येक युग में स्वयं शिशु रूप में प्रकट होते हैं क्योंकि पूर्ण परमेश्वर का जन्म माता से नहीं होता (ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 4 मन्त्र 3) वे स्वयं पृथ्वी पर सशरीर शिशु रूप में प्रकट होकर निःसंतान दंपती को प्राप्त होते हैं। कलियुग में परमात्मा कबीर काशी के लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प पर विराजमान हुए थे। इस बात के साक्षी रामानन्द जी के शिष्य ऋषि अष्टानंद जी थे जो वहाँ साधना कर रहे थे।
परमेश्वर कबीर साहेब 120 वर्ष तक इस पृथ्वीलोक में रहे और तत्वज्ञान का प्रचार किया।
उस समय नकली ब्राह्मणों ने यह भ्रम संसार में फैला रखा था कि जो काशी में मरता है वह सीधा स्वर्ग जाता है और जो मगहर में मरता है वह नरक गमन करता है। जबकि वास्तविकता यह है कि सही विधि से भक्ति करने वाला कहीं भी प्राण त्याग दे वह अपने सही स्थान पर जाता है। तो ब्राह्मणों द्वारा फैलायी इस भ्रांति को तोड़ने के लिए परमेश्वर कबीर साहेब ने काशी के सभी पंडित, ज्योतिषशास्त्रियों से कह दिया कि इस दिन वे मगहर में देह त्याग करेंगे तथा वे अपने-अपने पोथियों में जांच लें कि मैं कहाँ गया हूँ।
सतलोक प्रस्थान के समय परमेश्वर कबीर साहेब ने दोनो राजाओं को सेना लाने के लिए फटकार लगाई क्योंकि वे अंतर्यामी थे एवं सब जानते थे। तथा पुनः समझाया कि तुम एक पिता की संतान हो हिन्दू मुस्लिम अलग नहीं हो व झगड़ा करने से मना किया। वास्तव में एक बहुत बड़ा गृहयुद्ध परमात्मा ने टाल दिया। फिर परमात्मा ने एक चादर बिछवाई एवं उसके ऊपर स्वयं लेटकर अन्य चादर ओढ़ ली। कुछ फूल नीचे वाली चादर पर बिछा दिए। ततपश्चात आकाशवाणी हुई कि कोई झगड़ा न करे, इस चादर के नीचे जो भी मिले उसे आप हिन्दू व मुसलमान आधा-आधा बांट लें और परमेश्वर बोले कि वे स्वर्ग से भी ऊँचे स्थान सतलोक में जा रहे हैं। जब चादर हटाई गई तो केवल सुंगधित फूलों के अलावा कुछ न मिला क्योंकि कबीर परमेश्वर सशरीर सत्यलोक चले गए थे।
परमात्मा कबीर साहेब सह-शरीर आये थे व सह-शरीर चले गए। उस स्थान में और रुदन होने लगा। बिना झगड़ा किये दोनों धर्मों ने आधे-आधे फूल बांटे एवं उस पर एक यादगार बना दी। आज भी मगहर में यह यादगार विद्यमान है। आज भी मगहर में कबीर परमेश्वर के आशीर्वाद से हिन्दू व मुस्लिम भाईचारे के साथ रहते हैं व धर्म के नाम पर आपस में कोई झगड़ा नहीं करते हैं।
गरीबदासजी महाराज ने कहा है-
तहां वहां चादरि फूल बिछाये, सिज्या छांडी पदहि समाये |
दो चादर दहूं दीन उठावैं, ताके मध्य कबीर न पावैं ||
अन्य वाणी में गरीबदास जी महाराज ने लिखा है-
चदरि फूल बिछाये सतगुरु, देखै सकल जिहांना हो |
च्यारी दाग सैं रहत जुलहदी, अविगत अलख अमाँना हो ||
#कबीरसाहेब_की_मगहर_लीला
#SantRampalJiMaharaj
अधिक जानकारी के लिए अवश्य download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
1 note
·
View note
#कबीरसाहेबजी_का_अद्भुत_ज्ञान
કબીર, રામ કૃષ્ણ અવતાર હૈં, ઇનકા નાહીં સંસાર।
જિન સાહબ સંસાર કિયા, સો કિનહુ ન જન્મ્યાં નારિ।।
કબીર સાહેબજી કહેતા હતા કે રામ-કૃષ્ણ તો અવતાર છે, એમણે આ સંસાર અર્થાત સૃષ્ટિની રચના નથી કરી.જે પરમેશ્વરે સૃષ્ટિની રચના કરી છે, તે પરમેશ્વરે કોઈ માતાની કુખેથી જન્મ નથી લીધો.
Kabir Prakat Diwas 14 June
3 notes
·
View notes
#कबीरसाहेबजी_का_अद्भुत_ज्ञान
કબીર, રામ કૃષ્ણ અવતાર હૈં, ઇનકા નાહીં સંસાર।
જિન સાહબ સંસાર કિયા, સો કિનહુ ન જન્મ્યાં નારિ।।
કબીર સાહેબજી કહેતા હતા કે રામ-કૃષ્ણ તો અવતાર છે, એમણે આ સંસાર અર્થાત સૃષ્ટિની રચના નથી કરી.જે પરમેશ્વરે સૃષ્ટિની રચના કરી છે, તે પરમેશ્વરે કોઈ માતાની કુખેથી જન્મ નથી લીધો.
Kabir Prakat Diwas 14 June
3 notes
·
View notes