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सतलोक के बारे में प्रमाण कहाँ लिखा है?
परमेश्वर कबीर जी ने स्वामी रामानंद जी, संत धर्मदास जी, संत गरीबदास जी, संत दादू जी तथा संत नानक देव जी को सत्यलोक में ले जाकर अपना परिचय करवाकर पृथ्वी पर शरीर में छोड़ा था। फिर सबने परमात्मा की कलम तोड़ महिमा गाई।

सतलोक का वर्णन कबीर सागर में 25वां अध्याय ‘‘अमर मूल‘‘ पृष्ठ 191 पर है। यहाँ पर सतलोक के बारे में विस्तार से वर्णन है।
गीता अध्याय 15 श्लोक 4, अध्याय 18 श्लोक 62 में गीता ज्ञानदाता कहता है कि उस परमेश्वर की शरण में जा जिसकी कृपा से ही तू परम शान्ति तथा सनातन परम धाम सतलोक चला जाएगा। जहाँ जाने के पश्चात् साधक का जन्म-मृत्यु का चक्र सदा के लिए छूट जाता है।
नानक साहेब को भी परमेश्वर कबीर जी सतलोक लेकर गए थे और उनको तत्वज्ञान बताया था जिसे देखने के बाद उन्होंने कहा था:-
फाही सुरत मलूकी वेस, उह ठगवाड़ा ठगी देस।।
खरा सिआणां बहुता भार, धाणक रूप रहा करतार।।
मैं कीता न जाता हरामखोर, उह किआ मुह देसा दुष्ट चोर।
नानक नीच कह बिचार, धाणक रूप रहा करतार।।
प्रमाण:- गुरु ग्रन्थ साहिब के राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ नं. 24 पर शब्द नं. 29
पृष्ठ 731 पर महला 1 में कहा है कि:-
अंधुला नीच जाति परदेशी मेरा खिन आवै तिल जावै।
ताकी संगत नानक रहंदा किउ कर मूड़ा पावै।।(4/2/9)
जन्म साखी भाई बाले वाली पष्ठ 280.281 पर श्री नानक देव जी ने बताया है कि मैंने जब बेई नदी में डुबकी लगाई थी। उसी समय बाबा जिन्दा के वेश में गुरु कबीर जी मिले थे। मैं तीन दिन उन्हीं के साथ रहा था। वह बाबा जिन्दा परमेश्वर के समान शक्तिशाली हैं।
सतलोक का प्रमाण आदरणीय गरीबदास जी की वाणी में भी है, जब उन्हे परमेश्वर कबीर जी जिंदा महात्मा के रूप में मिले थे और सतलोक लेकर गए थे।उन्होंने अपनी वाणी में कहा है:-
आदि रमैंणी अदली सारा। जा दिन होते धुंधुंकारा।
सतपुरुष कीन्हा प्रकाशा। हम होते तखत कबीर खवासा ।।
सतलोक कैसे जा सकते हैं?
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#सन1513_में_काशीभंडारा
🤔🤔
केशो आया है बनजारा, काशी ल्याया माल अपारा।।
नौलख बोडी भरी विश्म्भर, दिया कबीर भण्डारा।
509 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी 18 लाख लोगों के लिए भोजन भंडारा सतलोक से लाये तथा प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक मोहर दी। इसी को "दिव्य धर्म यज्ञ दिवस" के रूप में मनाया जा रहा है।
Divine Meritorious Meal Days
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#सन1513_में_काशीभंडारा
🤔🤔
केशो आया है बनजारा, काशी ल्याया माल अपारा।।
नौलख बोडी भरी विश्म्भर, दिया कबीर भण्डारा।
509 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी 18 लाख लोगों के लिए भोजन भंडारा सतलोक से लाये तथा प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक मोहर दी। इसी को "दिव्य धर्म यज्ञ दिवस" के रूप में मनाया जा रहा है।
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#सन1513_में_काशीभंडारा
🌎🌎🌎🌎
केशव नाम के बंजारे(व्यापारी-सौदागर) का रुप बनाया। वहीं से सभी प्रकार के पकवान लाए गए। नौ लाख बैलों में व एक लाख सेवादार भी वहीं से आए। फिर काशी में अद्भुत भंडारा चला।
Divine Meritorious Meal Days




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