पवित्र मुस्लमान धर्म के लोगो का मानना है की एक अल्लाह जो समथै है उसकी इबादत करनी चाहिए उसके अतिरिक्त जो इबादत करता है वह मोक्ष प्राप्ति नही कर सकता। कुराने पाक के अनुशार वह अल्लाहु अकबर "कबीर साहेब जी" ही है जिसकी इबादत करने से पुर्ण मोक्ष होगा।
फजायले जिक्र में कहा है कि जब फरिश्तों को कबीर अल्लाह का कोई हुक्म होता है तो वे खोफ के मारे घबरा जाते हैं। उनके दिलों में घबराहट होती हैं। और आपस में पूछते हैं कि कबीर परवरदिगार का हमारे लिए क्या हुक्म था।
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, लेखक - मुहम्मद इनायतुल्लाह सुब्हानी, पृष्ठ नं. 307 में प्रमाण है कि हज़रत मुहम्मद जी ने मुसलमानों को खून-ख़राबा न करने तथा ब्याज़ भी नहीं लेने का सन्देश दिया है। फिर भी मुस्लमान धर्म में मांस का भक्षण किया जाता है जो कि अल्लाह के विधान के विरुद्ध है।
कुरान ज्ञान दाता (ब्रह्म) का आदेश रोजा, बंग और नमाज करने का था। हज़रत मुहम्मद जी व उनके 1 लाख 80 हजार अनुयायी शाकाहारी थे। फिर क्यों मुसलमान धर्म में निर्दोष जानवरों का क़त्ल करके उनका मांस खाया जात��� है? यह अल्लाह के विधान के विरुद्ध है!
जिस बाख़बर (संत) का वर्णन पवित्र कुरान शरीफ सुरत फुर्कानि 25 आयत नंबर 52 से 59 में किया गया है, वह बाख़बर "संत रामपाल जी महाराज जी" के रूप में भारत की पवित्र भूमि पर आ चुके हैं।
हज़रत मुहम्मद जी का रुझान जन्म से लेकर मृत्यु तक अध्यात्मिक रहा। बहुत से नियम बनाए। कभी मांस खाना तो दूर छुआ तक नहीं। ब्याज़ का पैसा नहीं लेते थे। हुक्का और तंबाकू को हाथ तक नहीं लगाते थे ऐसे थे मोहम्मद पीर।
हज़रत मुहम्मद जी व उनके 1 लाख 80 हजार अनुयायी शाकाहारी थे। हज़रत मुहम्मद जी ने मुसलमानों को यह आदेश दिया था कि कभी भी "खून-ख़राबे व ब्याज़ के करीब ना भटकना" (प्रमाण- पुस्तक जीवनी हज़रत मुहम्मद, सल्लाहु अलैहि वसल्लम, पृष्ठ 307)। मांस खाना अल्लाह के विधान के विरुद्ध है।
हज़रत मुहम्मद जी के अनुसार मुसलमान का अर्थ। मुसलमान वह पाक आत्मा जो किसी को दुःखी न करे, तम्बाखू, शराब व मांस को पीना व खाना तो दूर ठुए भी नहीं, ब्याज़ भी न ले। लेकिन वर्तमान में मुस्लिम भाई उनका अनुकरण नहीं करते।
हज़रत मुहम्मद तथा उनके एक लाख अस्सी हजार अनुयाईयों ने कभी मांस-शराब, तम्बाखू सेवन नहीं किया और न ही ऐसा करने का आदेश दिया। लेकिन वर्तमान में शराब, तम्बाखू का प्रयोग बहुत जोर शोर से हो रहा है और मुसलमान समाज में मांस तो आम बात हो गई।
जब से आत्माए अल्लाह ताला से जुदा हुई हैं तब से उसे कई तरीकों से खोजने की कोशिश कर रही है, जैसे:- रोजे रखना, नमाज़ अदा करना! मगर अल्लाह की सही जानकारी तो सिर्फ बाखबर ही देंगे जो वर्तमान में जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही है।
कुरान शरीफ के गूढ़ रहस्य को आज तक कोई नहीं समझ पाया। बाख़बर संत रामपाल जी महाराज जी अ ने ही कुरान शरीफ से स्पष्ट किया है कि वह अल्लाह कबीर जी ही हैं जिन्होंने सर्व सृष्टि की रचना 6 दिन में ताताअल-काफ़िरा-न की। (सुरत-फुर्कानि 25:59)