Christmas is the occasion Christians celebrate with great joy and enthusiasm as it is the birth anniversary of Jesus Christ. The word Christmas is made up of two words 'Christ' and 'Mass'. And, the name of the festival is derived from Jesus Christ whom they consider holy. On this Christmas day familiar yourself with the facts, story, and quotes about Merry Christmas so that this day becomes merry in real sense. Also know the truth about Christmas, #SantaClaus, and Jesus Christ so that we can attain all those things that we want from God.
हजरत यीशु का जन्म तथा मृत्यु व जो जो भी चमत्कार किए वे पहले ब्रह्म(ज्योति निरंजन) के द्वारा निर्धारित थे। यह प्रमाण पवित्र बाईबल में है कि एक व्यक्ति जन्म से अंधा था। वह हजरत यीशु मसीह के आशीर्वाद से वह ठीक हो गया। शिष्यों ने पूछा इस व्यक्ति ने कौन-सा पाप किया था। यीशु जी ने कहा कि इसका कोई पाप नहीं है। यह तो इसलिए हुआ है कि प्रभु की महिमा प्रकट करनी है। भावार्थ यह है कि यदि पाप होता तो हजरत यीशु आँखे ठीक नहीं कर सकते थे।
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सृष्टि रचना के आरम्भ में सत्पुरुष ने काल लोक में पहुंची सभी आत्माओं के कल्याण हेतु सम्पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान काल ब्रह्म को भेजा था। इस काल ब्रह्म (ज्योति निरंजन )ने अपने स्वार्थ में इस आध्यात्मिक ज्ञान में सत भक्ति ज्ञान को हटाकर अपुर्ण आध्यात्मिक ज्ञान को जीवों को दिया। इसलिए आज हम यथार्थ भक्ति मार्ग से विचलित है।इस लेख से यथार्थ आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा को जाने।
🧭कौन है अविनाशी, पुरुषोत्तम जिसे मारने में कोई समर्थ नहीं है?🧭
संत रामपाल जी महाराज ने बताया कि हमारा इष्ट यानि पूज्य' 'परम अक्षर ब्रह्म" है, हम पूजा इसकी करते हैं जो गीता का ज्ञान बताने वाले से अन्य है। पूर्ण परमात्मा है। अविनाशी है, सबका धारण-पोषण करने वाला है तथा सम्मान साधना प्रधान देवताओं का भी करते हैं। परम अक्षर ब्रह्म के विषय में गीता में इस प्रकार लिखा है :- गीता अध्याय 8 श्लोक 1 में अर्जुन ने गीता ज्ञान बोलने वाले से प्रश्न किया कि, हे भगवन! आपने जिस तत ब्रह्म के विषय में गीता अध्याय 7 श्लोक 29 में कहा है, वह तत् ब्रह्म क्या है?
गीता ज्ञान बताने वाले ने गीता अध्याय 8 श्लोक 3 में उत्तर दिया है :-
"वह परम अक्षर ब्रह्म" है। फिर इसी गीता अध्याय 8 के श्लोक 5-7 तक अपनी भक्ति करने को कहा है तथा गीता के इसी अध्याय 8 के श्लोक 8-10, 20-22 में अपने से अन्य इसी परम अक्षर ब्रह्म की भक्ति करने को कहा है। इसके विषय में गीता अध्याय 2 श्लोक 17, गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में बताया है। परम अक्षर ब्रह्म को गीता बोलने वाले ने सबका धारण-पोषण करने वाला तथा परमात्मा कहा है। यह भी कहा है कि यही वास्तव में अविनाशी है, पुरुषोत्तम है जिसको मारने में कोई सक्षम नहीं है, जिससे संसार व्याप्त है, जो मेरे से अन्य है। गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में उसी की शरण में जाने को कहा है।
गीता ज्ञान दाता ने स्पष्ट किया है कि हे अर्जुन! तेरे और मेरे बहुत जन्म हो चुके हैं, तू नहीं जानता, मैं जानता हूँ। मैं और ये राजा लोग तथा तू पहले भी जन्मे थे, आगे भी जन्मेंगे। मेरी उत्पत्ति को न ऋषिजन जानते हैं, न देवता जानते हैं। हम (रामपाल दास व अनुयाई) गीता का आदेश पालन करते हुए उसी परमेश्वर की शरण में जा चुके हैं। हम परम अक्षर ब्रह्म यानि सत्यपुरूष जी को ईष्ट रूप में प्रतिष्ठित करके अपने धर्म-कर्म तथा पूजा-साधना करते हैं। अन्य विश्व के सर्व
एक राजा ने पुहलो बाई के ज्ञान-विचार सुने, बहुत प्रभावित हुआ। उस राजा की तीन रानियाँ थी। राजा ने अपनी रानियों को पुहलो बाई के विषय में बताया। राजा ने कई बार पुहलो बाई भक्तमति की अपनी रानियों के सामने प्रशंसा की। अपने पति के मुख से अन्य स्त्री की प्रशंसा सुनकर रानियों को अच्छा नहीं लगा। तब रानियों की इच्छा अनुसार राजा ने पुहलो बाई को अपने घर पर सत्संग करने के लिए कहा। रानियों ने सोचा था कि पुहलो बहुत सुंदर होगी। इसलिए सत्संग के दिन रानियों ने अति सुंदर तथा कीमती वस्त्र पहने तथा सब आभूषण पहने। अपनी सुंदरता दिखाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। जब भक्तमति पुहलो राजा के घर सत्संग करने पहुंची तो उन्होंने खद्दर का मैला-सा वस्त्र धारण कर रखा था। हाथ में माला थी, चेहरे का रंग भी साफ नहीं था। भक्तमति पुहलो को देखकर तीनों रानियाँ खिल-खिलाकर हँसने लगी और बोली कि यह है वह पुहलो, हमने तो सोचा था कि बहुत सुंदर होगी। उनकी बात सुनकर भक्तमति पुहलो बाई ने कहा "वस्त्र-आभूषण तन की शोभा, यह तन काच्चो भाण्डो। भक्ति बिना बनोगी कुतिया, राम भजो न रांडो।।" पढ़ें पूरा लेख: https://bit.ly/3tvbQtD
As per Rudra Sanhita, Shri Shiv Mahapurana, and also in the Third Skandh of Shri Durga Puran, Durga is the mother of the three Gods, and wife of Kaal Brahm. Holy Vedas also inform about the birth of Shri Aadi Bhawani Durga.