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गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं। “वक्रतुण्ड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।" https://www.instagram.com/p/CELYRRYpPEj/?igshid=1v5c19krgjiy8
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स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। (at भारतवर्ष) https://www.instagram.com/p/CD4pghnpERk/?igshid=1qlqn2zmd8bj4
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आज का दिन सदा के लिए इतिहास के पृष्ठों में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया। भगवान श्रीराम के जन्मभूमि मन्दिर का भूमि पूजन नव भारत के उत्थान का विजयोत्सव है। रामो विग्रहवान् धर्मः साधुः सत्य पराक्रमः | राजा सर्वस्य लोकस्य देवानाम् इव वासवः || 🏹#जय_श्री_राम🏹 🚩#भगवा_दिवस🚩 https://www.instagram.com/p/CDgywPTpJhx/?igshid=12yf9rrdelimo
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#कारगिल_विजय_दिवस पर अदम्य शौर्य के भारतीय वीरो को नमन। #KargilVijayDiwas2020 https://www.instagram.com/p/CDGMx6WJNQI/?igshid=dinwc4tg7z3f
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#निष्कलंक_महादेव_मंदिर #भावनगर_गुजरात गुजरात के भावनगर में कोलियाक तट से तीन किमी. अंदर अरब सागर में निष्कलंक महादेव स्थित है। यहां पर अरब सागर की लहरें रोज पांच शिवलिंगों का जलाभिषेक करती हैं। कहा जाता है शिवलिंग के पास ही एक कुंड भी है, जिसमें अक्षय तृतीया के दिन स्वं गंगाजी प्रकट होती हैं। इस दिन यहां स्नान करने का बहुत महत्व बताया जाता है। आइए जानते हैं इन पांच शिवलिंग के बारे में जिसका जलाभिषेक स्वं सागर करता है। अरब सागर में स्थित इस मंदिर के दर्शन करने के लिए लोगों को इंतजार करना पड़ता है। इसके लिए उन्हें ज्वार उतरने का इंतजार करना पड़ता है। जब ज्वार ज्यादा होती हैं, तब केवल मंदिर की पताका और खंभा ही नजर आता है। जिसे देखकर आप जान सकते हैं, सागर में यहां पर देवों के देव महादेव का मंदिर हैं, जिसमें शिवजी के पांच स्वयंभू शिवलिंग हैं। इस मंदिर की विशेषता यह है कि रोज दोपहर १ बजे से रात १० बजे भक्तों को शिवलिंग का दर्शन करने के लिए समुद्र रास्ता देता है, इसके बाद आप शिवलिंग के दर्शन नहीं कर सकते। मान्यता है कि अगर किसी प्रियजन की चिता की राख शिवलिंग पर लगाकार जल में प्रवाहित कर दें तो उसको मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से है इस मंदिर का संबंध इस मंदिर का महाभारत काल से भी संबंध है। कथाओं के अनुसार, युद्ध के बाद पांडव यह जानकार बड़े दूखी हूए कि उन्हें अपने ही सगे-संबंधियों की हत्या का पाप लगा है। पाप से छुटकारा पाने के लिए पांडव श्रीकृष्ण से मिले। श्रीकृष्ण ने पांडवों को काला ध्वज और काली गाय सौंप कर अनुसरण करने को कहा। इस तरह मिली पाप से मुक्त श्रीकृष्ण ने बताया, जब ध्वज और गाय का रंग बदल जाएं यानी काली से सफदे हो जाएं तो समझ लेना पाप से मुक्ति मिल गई। साथ ही जिस जगह ऐसा हो, वहां शिवजी की तपस्या भी करना। कोलियाक तट पार पहुंचे तो पांडवों की गाय और ध्वज का रंग सफेद हो गया, वहीं भगवान शिव की तपस्या भी करने लगे। शिवजी मे प्रसन्न होकर पांचों भाईयों को लिंग रूप में अलग-अलग दर्शन दिए। तभी से पांचों शिवलिंग वहां मौजूद हैं और सामने नंदी भी विराजमान हैं। मंदिर में एक वर्गाकार चबूतरे पर पांचों शिवलिंग बने हुए हैं। इस चबूतरे पर एक छोटा सा तालाब भी है, जिसे पांडव तालाब कहते हैं। https://arpitdubeylive.wordpress.com/blog/10/ https://www.instagram.com/p/CDE0c0MpR--/?igshid=1pzjhdxnhk8n0
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🐍#नागपंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं। (at Ayodhya) https://www.instagram.com/p/CDEF63ypJjE/?igshid=1qz8b8xyna6em
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🐍#नागपंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं। https://www.instagram.com/p/CDDO0XQpCf2/?igshid=1ls41xzvbnji0
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#श्री_राम_जन्मभूमि_मंदिर #अयोध्या (प्रस्तावित त्रिविमीय नक्शा) १६१ फीट ऊंचा होगा रामलला का मंदिर, तीन तलों पर १०६-१०६ खंभे लगेंगे। खंभों की ऊंचाई १४ फीट ६ इंच होगी, हर खंभे में १६ मूर्तियां तराशी जाएंगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के करीब ९ माह बाद ५ अगस्त से अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। इसकी लंबाई २६८ फीट और चौड़ाई १४० फीट होगी। पहले इसकी ऊंचाई १२८ फीट तय की गई थी जो अब १६१ फीट हो गई है। तीन मंजिला (तल) बनने वाले मंदिर में ३१८ खंभे होंगे। हर तल पर १०६ खंभे बनाए जाएंगे। मंदिर में दो चबूतरे होंगे। पहला चबूतरा ८ फीट ऊंचा और १० फीट चौड़ा होगा। यह चबूतरा परिक्रमा मार्ग पर होगा। दूसरा चबूतरा ४ फीट ९ इंच का होगा और उसके ऊपर खंभे लगेंगे। इसमें गर्भगृह, आरती स्थल, सीता रसोई, रंगमंडपम का स्थान भी रहेगा। राम मंदिर की ऊंचा तो बहुत होगा, लेकिन यह भारत मे�� सबसे ऊंचे शिखर वाला मंदिर नहीं होगा। दक्षिण भारत में कई मंदिरों के शिखर की ऊंचाई २०० से २५० फीट से ज्यादा है। अक्षरधाम समेत कई मंदिरों में पांच गुंबद हैं। द्वारका मंदिर तो सात मंजिला है। लेकिन, १०० एकड़ भूमि में बनने वाला यह इकलौता मंदिर होगा। https://arpitdubeylive.wordpress.com/blog/9/ (at Shri Ram Janmbhoomi, Ayodhya) https://www.instagram.com/p/CC-YP1kJKoN/?igshid=12ggqdm6u6zqr
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#चेन्नाकेशव_मंदिर, #बेलूर_कर्नाटक इस मंदिर का निर्माण नरम सोपस्टोन से हुआ और यह चेन्नाकेशवा को समर्पित मंदिर है जिन्हे भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। यह मंदिर होयसाल काल में बना हुआ है और इसमें कुल ४८ नक्काशीदार खंभे है जिनमें भिन्न - भिन्न प्रकार की डिजायन बनी हुई है। १११७ ई. में तलक्कड़ के युद्ध के दौरान, यह मंदिर होयसाल वंशजों का मंदिर हुआ करता था। इसके बाद, इस मंदिर पर चोल वंश का अधिकार हो गया। इस मंदिर में पुराणों के कई चरित्रों को चित्रों के रूप में देख सकते है। मंदिर में वेद, उपनिषद, पुराण, हाथी, रामायण और महाभारत आदि के बारे में कई बातें उत्कीर्ण है। इस मंदिर के आसपास कई अन्य मंदिर भी स्थित है। इस मंदिर में कई शिलालेख भी स्थित है, गहने - जवारात, मूर्तियां, चिडि़यां, दरवाजे और अन्य आकृतियां यहां उभरी हुई है। पर्यटक यहां आकर पुष्करनी या सीढ़ीदार कुंए भी देख सकते है। इस मंदिर का द्वार रायागोपुरा को प्रदर्शित करता है जिसे विजयनगर शासनकाल में बनाकर खड़ा किया गया था। केप्पे चेन्नीगाराया मंदिर और एक छोटा सा श्राइन इसी मंदिर के परिसर में स्थित है जो देवी लक्ष्मी को समर्पित है। (at Chennakeshava Temple, Belur) https://www.instagram.com/p/CCosx-dpI12/?igshid=vu9ddvlu4dxe
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पवित्र श्रावण मास के प्रथम सोमवार की हार्दिक शुभकामनाएं। 🔱#हर_हर_महादेव https://www.instagram.com/p/CCTUEL_phJw/?igshid=lc69jm1ret6n
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#पन्ना_मीणा_की_बावड़ी #राजस्थान जयपुर-आमेर रोड पर अनोखे संग्रहालय के पास स्थित, इस खूबसूरत जगह का निर्माण सोलहवीं शताब्दी के दौरान किया गया था। प्राचीन काल के दौरान, इस जगह का उपयोग मुख्य रूप से पानी की रक्षा करने वाले पूल के रूप में किया गया था। इस खूबसूरत कुंड में एक अद्वितीय शैली की वास्तुकला है। यह कुंड एक ब्राह्मण द्वारा डिजाइन किया गया था और इसका निर्माण कारीगरों और इंजीनियरों द्वारा किया गया था। इस स्थान के बारे में मुख्य तथ्य जो स्थानीय लोगों द्वारा माना जाता है कि कोई भी नीचे जाने और ऊपर जाने के लिए एक ही सीढ़ियों का उपयोग नहीं कर सकता है जो दर्शाता है कि एक ही व्यक्ति द्वारा एक ही सीढ़ियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है। यह एक अद्भुत रहस्य है और इस जगह के सभी आगंतुक ऐसा करने की कोशिश करते हैं। लेकिन वहां के स्थानीय लोग इस कार्य को बिना किसी समस्या के कर सकते हैं क्योंकि वे इसके अभ्यस्त हैं। इस जगह पर सममित सीढ़ियों का आश्चर्यजनक नमूना है जो आपको स्तब्ध रख सकता है। यह एक आठ मंजिला सीढ़ी वाला पूल है और बेहद सुखद लगता है। जगह खूबसूरती से प्रकृति और धर्म के संयोजन को दर्शाती है। मैदान का मुख्य आकर्षण इसके सममित स्टेप-वेल हैं। अष्टकोणीय आकार के टुकड़ों का उपयोग कुंड के मुख्य भाग और दो मंजिलों पर छत में किया जाता है। सीढ़ियाँ ज़िगज़ैग ज्यामितीय पैटर्न में हैं जो आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। पर्यटक यहाँ से अम्बर किले और महल और पहाड़ों का सुंदर दृश्य देख सकते हैं। https://www.instagram.com/p/CCNfJthpdMO/?igshid=1xc3io6c3whws
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#केदार_गौरी_मंदिर #भुनेश्वर_उड़ीसा केदार गौरी मंदिर वास्तव में एक जटिल है जिसमें दो अलग-अलग मंदिर हैं, एक भगवान शिव को समर्पित है और दूसरा देवी पार्वती को है। किंवदंती है कि राजा ललितेंदु केसरी ने केदार और गौरी नामक दो प्रेमियों के समर्पण में इन मंदिरों का निर्माण किया था। आज भी, जो प्रेमी विवाह करना चाहते हैं, वे देवताओं का आशीर्वाद पाने के लिए इस मंदिर में आते हैं। एक अन्य कथा यह है कि देवी पार्वती के साथ भगवान शिव वाराणसी से इस स्थान पर आए थे, क्योंकि वे एक अधिक शांत स्थान पसंद करते थे। केदार मंदिर, केदार गौरी मंदिर परिसर में दो मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की वास्तुकला की विशेषताएं मुक्तेश्वर मंदिर परिसर में स्थित सिद्धेश्वर मंदिर से मिलती जुलती हैं। इसे 12 वीं शताब्दी ईस्वी में गंगा राजाओं द्वारा बनाया गया था। इस दक्षिण मुखी मंदिर ने केदारेश्वर नाम से शिवलिंग का पता लगाया। इसमें रेखा प्रकार विमना और पीढ़ा प्रकार जगमो��न है। मंदिर योजना पर पंच रत्न है और ऊँचाई पर पंचांग बाड़ा है। बाहरी दीवार के चारों ओर गणेश, कार्तिकेय और पार्वती की मूर्तियाँ मिली हैं। गौरी मंदिर परिसर में दूसरा मंदिर है और भगवान शिव की पत्नी गौरी को समर्पित है। हालाँकि किंवदंतियाँ दोनों मंदिरों को मिलाने की कोशिश करती हैं, लेकिन दोनों को अलग-अलग समय में अलग-अलग राजाओं द्वारा बनाया गया था। यह मंदिर केदार मंदिर से भी पुराना सोमवमसी काल (१० वीं शताब्दी ईस्वी) का है। इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर मूर्तियों की नक्काशी की गई है। इस पूर्व मुख वाले मंदिर में खाखरा देउला प्रकार की विमना और पीढ़ा प्रकार जगमोहन है। इस परिसर में शिव, हनुमान, दुर्गा और गणेश के तीन छोटे मंदिर हैं। मंदिर परिसर में दो तालाब भी हैं जिनके नाम हैं खिर कुंड और मरीचि कुंड जो पवित्र शक्तियां हैं। माना जाता है कि खैरा कुंड का पानी मनुष्य को जन्म और मृत्यु के चक्र से छुटकारा दिलाता है जबकि मरीचि कुंड का पानी महिला की बांझपन को ठीक करता है। https://www.instagram.com/p/CCAThstJBin/?igshid=14fqr2gon6ld6
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मेरे भारत को, जो करना नमन छोड़ दे। उनसे कह दो कि, वो मेरा वतन छोड़ दे।। मजहब प्यारा है, जिन्हे देश नही। वो इस मिट्टी में होना दफन छोड़ दे।। 🇮🇳#जय_हिन्द🇮🇳 (at India) https://www.instagram.com/p/CB7WEN-pQkl/?igshid=k0opr0hvy8ys
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भगवान श्री परशुराम जी के जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं। 🏹📿#जय_श्रीपरशुराम 📿🏹 (at अयोध्या, उत्तर प्रदेश) https://www.instagram.com/p/B_aEr9jpbrL/?igshid=15t76ng4rzc67
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भगवान श्री परशुराम जी के जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं। 🏹📿#जय_श्रीपरशुराम 📿🏹 https://www.instagram.com/p/B_Z69ddpbLO/?igshid=1hgyn92o6czmq
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१३ अप्रैल १९१९ को जलियांवाला बाग हत्याकांड में शहीद हुए सभी वीर शहीदों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि। #jallianwalabagh https://www.instagram.com/p/B-6iFXyB_xE0R3sVd_kUPzR9iPEDm9_0kdnwj80/?igshid=ntlq3w0a6cyx
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