azadfarishtey
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आजाद
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पुराने में कुछ नया जोड़ते है , आनंद आ जाएगा ।
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azadfarishtey · 5 years ago
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शादी (विवाह) में रुकावट बनते गोत्र व अधूरी जानकारी !
Society Need Updation
कटघरे में प्रेम संबंध व सामाजिक नियमो के समक्ष बेबस परिवार ।
सृष्टि के रचयिताओ ने सृष्टि बनाते वक़्त जो कुछ नियम कायदे कानून बनाए थे उसका हर इंसान इस आधुनिक काल में अपनी सुविधा अनुसार मतलब निकाल लेता है और उसे अपनी इज्जत और सामाजिक नियमों से जोड़ने का प्रयास करता है, जबकि ऐसा हकीकत हो यह आवश्यक नहीं ।
मुझे ना मालूम था कि मेरी पवित्रता को लोग समाज के नियमों तले ऐसे कुचल कर फेंक देंगे जैसे हाथ पर बैठे किसी मच्छर को झट से पिट कर फेंक दे��े है , भले ही वो मच्छर नुकसान देह हो पर मै तो वो हूं जो सब के चेहरे पर सिर्फ और सिर्फ मुस्कान देखना चाहता हूं । मैंने तो कभी शर्तों और नियमों में बंधना नहीं चाहा था और ना ही सृष्टि के रचयिता ने मुझे उसमें बंधने के लिए बनाया था मै तो सिर्फ एक एहसास ही तो हूं फिर क्यों हर वो चीज मुझे केंद्रित कर कहीं जाती है जिस से वो परेशान होता है जिस में मै बसता हूं । मै प्रेम हूं मुझे बिना शर्तों व बिना नियमों के ही महसूस करो वरना वो भी मै ही हूं जो शर्तों और नियमों के बंधन में बंध वो विकराल रूप धारण करता जिस से सिर्फ और सिर्फ विनाश की उत्पति होती है ।
आज के दौर में समाज में व लोगो में जागरूकता की अत्यंत आवश्यकता है वरना कुछ ही वर्षों में यह समाज और इसके मायने बट्ठी में जलते नजर आएंगे जैसा कि अभी इस दौर में हमें कई दफा देखने को मिलता भी है ।
परिवर्तन प्रकृति का नियम है और यह आवश्यक भी है वरना पतझड़ के मौसम में यदि पत्ते नहीं झड़ेंगे तो नए कैसे आएंगे । ठीक उसी प्रकार यदि समाज में समय समय पर परिवर्तन और नए विचार नहीं आए तो यह ठीक उसी प्रकार उखड़ जाएगा जैसे आंधी में पेड़ ।
वक़्त बदल रहा है लोग बदल रहे है साथ ही लोगो की सोच बदल रही है तो फिर सामाजिक नियमो में नयापन क्यों नहीं ?
आज शादी करते वक़्त समाज के कुछ वर्गो में आज भी बहुत अधिक रूढ़िवादिता विद्यमान है जिसके चलते लड़का व लड़की को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है , उसका कारण सिर्फ है तो वो है अधूरा ज्ञान ।
आज विवाह संबंधो में गोत्र एक बहुत बड़ी और महत्वपूर्ण समस्या है , जिसके चलते समाज मरने मारने पर आतुर हो बैठता है । जबकि उसे जब पूछा जाए कि क्यों ? क्यों नहीं कर सकते तो बस उसके पास रटे रटाए एक दो उत्तर होते है जो भी उनके द्वार पहले परिवार या फिर कहे कि समाज से सुने सुनाए होते है । कारण क्या है और इसके पीछे हकीकत क्या है यह कुछ को पता होता है ।
यदि इस मुद्दे पर किसी को समझाने की कोशिश की जाए तो ऐसा लगता है जैसे कि हम सबसे बड़ा गुनाह कर रहे है ।
दरअसल में यह सब वो बाते और चीज़े होती है जो सिर्फ कहीं और सुनाई जाती है , कारण और उपाय किसी ने बताया नहीं है ।
बुजुर्ग अपनी आने वाली पीढ़ी को वो बता के जाते है जो उनके बुजुर्ग उन्हें बताकर गए , कुछ कहानियां थी तो कुछ हकीकत , और आज के आधुनिक दौर में उस रूढ़िवादिता को मानने वाले तबका उन कहानियों को भी हकीकत मान बैठा है और उस से बाहर ही नहीं आना चाहता अपितु अपनी आने वाली पीढ़ी को भी वही अधूरी जानकारी प्रदान कर उनके साथ खिलवाड़ कर रहा है ।
हमें चूहे और शेर की कहानी सुनाई इस कहानी में कभी चुहिया क्यों नहीं आयी या यूं कहे कि कोई खरगोश या गिलहरी क्यों नहीं आए , हमें बरसो पहले एक कहानी सुनाई और कभी उसके साथ किसी ने कुछ बदलाव करने का ही नहीं सोचा बस साहब जो जल रहा वो चलने दो , खेर जाने दो मुद्दे पर आते है ।
तो दरअसल में होता क्या है कि जब सृष्टि की शुरुवात होती है तो कुछ ऐसा है कि सप्त ऋषि थे उन्हीं के नाम पर गोत्र थे और वही आगे सातो महाद्वीपों पर विस्तारित होते गए ।
समाज जाती धर्म संप्रदाय यह सब इंसान कि खुद की सुविधा अनुसार बनाई गई चीज़े है , और इनमें वो इतना खो गया की वो समझना ही नहीं चाहता ये है क्या ?
विवाह संबंधो के अन्तर्गत जब गोत्र का मिलान किया जाता है तो होने वाले रिश्ता नहीं हो पाता है , कारण गोत्र समान होने पर
जैसे
लड़का लड़की दोनों का समान
लड़का व लड़की की मां का समान
लड़की व लड़के की मां का समान
लड़के की दादी व लड़की का समान
लड़की की दादी व लड़के का समान
लड़के की नानी व लड़की का समान
लड़की की नानी व लड़के का समान
या दादी दादी व नानी नानी का समान
ऐसी समानता आने पर विहाह संबंध नहीं हो पाते है समाज के नियमो के चलते फिर चाहे लड़का व लड़की के बीच प्रेम संबंध हो ।
अब आने वाले समय में बढ़ती जनसंख्या देख ऐसा लगता है जैसे इस गोत्र system के चलते शादियां मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाएगी ।
सामाजिक नियमो के तहत पहली शर्त समान जाती में विवाह करो उसके बाद गोत्र मिला��� ऐसा होता रहा था खुद के सामज में तो सभी गोत्र के इतने हो जाएंगे की हर दूसरा व्यक्ति स्वयं के गोत्र का मिलेगा तो फिर क्या शादी नहीं होगी , इसी समस्या का समाधान है वंश मिलान ।
गोत्र समान हो जाने से शादी ना हो ऐसा नहीं है यदि गोत्र समान है व वंश अलग है तो विवाह किया जा सकता है ।
गोत्र समान होने पर वंशावली का मिलान किया जाए 500 साल तक यदि गोत्र के वंशज नहीं है तो शादी करने में कोई समस्या नहीं है वैसे ही धूम धाम से शादी करे जैसे होती है क्यों कि यह समझौते की बात नहीं यह बात है नए विचार की और सिर्फ गोत्र तक मिलान कि बात थी अधूरी जानकारी की ।
मुख्य बिंदु समान गोत्र में शादी नहीं करने के पीछे Medical कारण होता है जिसके चलते आने वाले वंश या पीढ़ी में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि बच्चे का पूर्ण रूप से विकसित ना हो पाना व पुरानी बीमारियों का नहीं पीढ़ी में प्रवेश कर जाना इत्यादि।
वर्तमान दौर में प्रेम संबंध हो जाने पर कुछ परिवार तो जाती भी नहीं देखते तो कुछ परिवार जाती के साथ साथ गोत्र भी देखते है ,
उन्हें यह समझने की आवश्यकता है कि इस आधुनिक काल में जो बच्चे अपने परिवार को साथ ले उनकी खुशी अपनी खुशी में देखना चाहते है तो इस से सुंदर बात और कुछ नहीं , ऐसा होने पर अपने बच्चों का साथ दे ना की अधूरी जानकारी का ।
समान जाती में यदि गोत्रो का मिलान करने पर गोत्र समान पाए जाते है तो फिर आप अपनी वंशावली की जांच करवाए व यदि उस जांच में 500 वर्ष तक आपका वह गोत्र का वंशज नहीं है तो आप खुशी खुशी विवाह संपन्न करवाए , कोई समस्या नहीं है ।
समाज को यदि बचाए रखना है उसके नियम कायदे कानून यदि बनाए रखने है यदि समाज को आने वाली पीढ़ियों में जिंदा रखना है तो जरूरी है परिवर्तन , जरूरी है लचीलापन वरना आनी वाली पीढ़ियां इस अलग अलग वर्गो के समाज को पीछे छोड़ अपना ऐक समाज बनाएगी और वो होगा मानवता व मशीनीकरण ।
आधुनिक युग में जब आपके प्यारे बच्चे आपके पास आकर अपनी उचित और पूरा होने वाली खुशी कि ख्वाइश करे तो उसे पूरा करने में अपना पूरा सहयोग प्रदान करे , वरना आप उस खुशी से वंचित रह जाओगे जो उनके पैदा होते वक़्त आपने देखी थी ।
आज के दौर में जब स्कूल में टीचर मार लगा देता है और टीचर के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो जाता है तो उस बच्चे को पता है उस उसके खुशी कैसे लेनी है , भारतीय कानून व्यवस्था उन्हें उनकी खुशी के वो सब अधिकार प्रदान करता है शादी में जो उन्हें चाहिए ।
यह बंधन है प्रेम का पूजा का पवित्रता का इसे बनाने में साथ दे इस पूजा को पूरी करने में अपना सहयोग दे यह पल आपकी खुशी का आपके परिवार और सबसे मुख्य आपके बच्चे की खुशी का इसे अपने से जोड़े , कोई समस्या आने पर उसे सुलझा इस धार्मिक कार्य को कर पुण्य की प्राप्ति करे, नाकी किसी सामाजिक डर व अधूरी जानकारी के अभाव में अपनी व अपने बच्चो की उस खुशी का अंत करे जिसके सपने आपने बरसो सजाए । एक माता पिता के लिए अपने बच्चो की खुशी से बढ़कर कुछ नहीं होता उनकी शादी से पहले लेकिन जब शादी के वक़्त ऐसी कोई समस्या आ जाति है तो या तो बच्चो को मार दिया जाता है या उनकी खुशियों का अंत कर दिया जाता है समाज की आड़ में ।
ऐसा करने से बचें क्यों की यह वक़्त वो है जिसमें दहेज प्रताड़ना में परिवार का दोष व ias बनने पर समाज की बेटी ।
इस लिए यदि इस दौर में बच्चे आपके पास है तो आप आधुनिक युग के सबसे खुशहाल माता पिता है ।
याद रहे आपके पास वो है जो हर किसी के पास नहीं , आपके लिए जैसे वो अनमोल है वैसे ही आप भी अनमोल है उनके जीवन में ।
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बलात्कार करने पर परिवार और संगत खराब व मेरिट आने पर समाज का बेटा । इस दौर में समाज के अधूरे ज्ञान की वजह से या उसके डर में बच्चो का साथ ना छोड़े उन्हें आपकी जरूरत है समाज के उस डर की नहीं जो उन्हें सबसे दूर करे । नयापन लाए व समाज को ताजगी का एहसास करवाए । बच्चो के मन में नफरत नहीं समाज से जुड़ने की भावना उत्पन्न करे ।
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