Tumgik
bdbhargav · 7 months
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🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
⛅ दिनांक - ३० अक्टूबर २०२३
⛅ दिन - सोमवार
⛅ विक्रम संवत् - २०८० (गुजरात २०७९)
⛅ शक संवत् - १९४५
⛅ अयन - रविदक्षिणायने (दक्षिणगोले)
⛅ ऋतु - हेमन्त ऋतु
⛅ मास - कार्तिक मास
⛅ पक्ष - कृष्ण पक्ष
⛅ तिथि - द्वितीया २२/२२ तक
तत्पश्चात तृतीया
⛅ नक्षत्र - कृतिका २८/०० तक
तत्पश्चात रोहिणी
⛅ योग - व्यतिपात १७/३२ तक
तत्पश्चात वरियान
⛅ राहुकाल - ७/३० से ९/०० तक
⛅ सूर्योदय - ०६/३६
⛅ सूर्यास्त - १७/३४
🌤️ दिनमान- २७/२५
🌘 रात्रिमान- ३२/३५
👉 *चन्दमा १०/३१, उफायां शुक्र: २५/०५, रेवती ४ मीन में राहु:, चित्रा में केतु: १४/२०, गुरु रामदास जयन्ती, स.सि.योग २८/०० से ।*
⛅ दिशा शूल - पूर्व दिशा में
व्यतिपात योग
⛅ *विशेष-* द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है ।
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः २७.२९-३८)*
✳️ *~ वैदिक पंचांग ~* ✳️
🌷 *व्यतिपात योग*🌷
👉 समय अवधि : २९ अक्टूबर रात्रि ७/५९ से ३० अक्टूबर शाम ५/३२ तक।
👉 व्यतिपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल १ लाख गुना होता है । *वराह पुराण*
🌷 *कार्तिक मास की महिमा एवं नियम पालन*
👉 कार्तिक मास व्रत : २८ अक्टूबर से २७ नवम्बर २०२३।
🌷 *कार्तिक मास में वर्जित*
👉 ब्रह्माजी ने नारद जी को कहा:- कार्तिक मास में चावल, दालें, गाजर, बैंगन, लौकी और बासी अन्न नहीं खाना चाहिए । जिन फलों में बहुत सारे बीज (जैसे - अमरूद, सीताफल) हों उनका भी त्याग करना चाहिए और संसार – व्यवहार न करें ।
👉 कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी प्रात: स्नान, दान, जप, व्रत, मौन, देव – दर्शन, गुरु – दर्शन, पूजन का अमिट पुण्य होता है । सवेरे तुलसी का दर्शन भी समस्त पाप नाशक है । भूमि पर शयन, ब्रह्मचर्य का पालन, दीपदान, तुलसी वन अथवा तुलसी के पौधे लगाना हितकारी है ।
👉 भगवदगीता का पाठ करना तथा उसके अर्थ में अपने मन को लगाना चाहिए । ब्रह्माजी नारद जी को कहते हैं कि ‘ऐसे व्यक्ति के पुण्यों का वर्णन महिनों तक भी नहीं किया जा सकता ।’
👉 श्रीविष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करना भी विशेष लाभदायी है । *ॐ नमो नारायणाय ।* इस महा मन्त्र का जो जितना अधिक जप करें, उसका उतना अधिक मंगल होता है । कम – से – कम १०८ बार तो जप करना ही चाहिए ।
👉 प्रात: उठकर करदर्शन करें । पुरुषार्थ से लक्ष्मी, यश, सफलता तो मिलती है पर परम पुरुषार्थ मेरे नारायण की प्राप्ति में सहायक हो’ – इस भावना से हाथ देखें तो कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी होता है ।
👉 सूर्योदय के पूर्व स्नान अवश्य करें।
👉 जो कार्तिक मास में सूर्योदय के बाद स्नान करता है वह अपने पुण्य क्षय करता है और जो सूर्योदय के पहले स्नान करता है वह अपने रोग और पापों को नष्ट करने वाला हो जाता है । पूरे कार्तिक मास के स्नान से पाप शमन होता है तथा प्रभु शवप्रीति और सुख – दुःख व अनुकूलता – प्रतिकूलता में सम रहने के सदगुण विकसित होते हैं ।
✳️ *~ वैदिक पंचांग ~* ✳️
🌷 *३दिन में पूरे कार्तिक मास के पुण्यों की प्राप्ति*
👉 कार्तिक मास के सभी दिन अगर कोई प्रात: स्नान नहीं कर पाये तो उसे कार्तिक मास के अंतिम ३ दिन – त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा को 'ॐकार' का जप करते हुए सुबह सूर्योदय से तनिक पहले स्नान कर लेने से महिने भर के कार्तिक मास के स्नान के पुण्यों की प्राप्ति कही गयी है ।
👉 कार्तिक मास में दीपदान का महत्व है।
👉 जो मनुष्य कार्तिक मास में संध्या के समय भगवान श्रीहरि के नाम से तिल के तेल का दीप जलाता है वह अतुल लक्ष्मी, रूप, सौभाग्य एवं संपत्ति को प्राप्त करता है ।
👉 तुलसी वन अथवा तुलसी के पौधे लगाना हितकारी है । तुलसी के पौधे को सुबह आधा-एक गिलास पानी देना सवा मासा (लगभग सवा ग्राम) स्वर्णदान करने का फल देता है ।
👉 भूमि पर अथवा तो गद्दा हटाकर कड़क तख्ते पर सादा कम्बल बिछाकर शयन, ब्रह्मचर्य का पालन – ये कार्तिक मास में करणीय नियम बताये गये हैं, जिससे जीवात्मा का उद्धार होता है ।।
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