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संत रामपाल जी महाराज नशे को एक व्यक्तिगत समस्या नहीं, बल्कि एक गंभीर सामाजिक बुराई के रूप में देखते हैं, क्योंकि शरीर को नुकसान तो पहुँचाता ही है साथ ही भक्ति में भी बाधक है।



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संत रामपाल जी महाराज के शिष्य नशे को हाथ तक नहीं लगाते, जो उनकी शिक्षाओं का प्रभाव है। क्योंकि संत रामपाल जी बताते हैं:
गरीब, भांग तम्बाखू पीव हीं, सुरा पान से हेत।
गोश्त मट्टी खाय कर, जंगली बनें प्रेत।।




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कबीर, भांग तमाखू छोतरा, तम्बाखू और शराब।
कबीर कौन करै बंदगी, ये तो घनें खराब।।
संत रामपाल जी महाराज के सत्संगों में ज्ञान और आत्म-जागृति की शक्ति है, जो लोगों को बुरे कर्मों से बचाती है।




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नशा मुक्त समाज का लक्ष्य
संत रामपाल जी महाराज का प्रमुख उद्देश्य समाज को नशा मुक्त बनाना है, जिसके लिए वे अपने अनुयायियों को नशे से दूर रहने की शिक्षा देते हैं।




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संत रामपाल जी महाराज के प्रयास से नशे से मुक्ति के कारण कई परिवारों में महिलाएं सशक्त हुई हैं, क्योंकि उन पर होने वाला अत्याचार समाप्त हुआ है।




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गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में जिस तीन मंत्र "ॐ-तत्-सत्" का संकेत किया गया है उसका भेद आपको संत रामपाल जी के सान्निध्य में लगाई जाने वाली आध्यात्मिक प्रदर्शनी में प्रमाण सहित जानने को मिलता है।
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जिस आध्यात्मिक ज्ञान से हमारे धर्मगुरु भी अनभिज्ञ हैं वह तत्वज्ञान संत रामपाल जी के सान्निध्य में सतलोक आश्रमों में लगाई जाने वाली आध्यात्मिक प्रदर्शनी में प्रमाण सहित जानने को मिलता है।
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आदि सनातनी भक्ति के रामचरित मानस में वर्णित द्वादशाक्षर मंत्र, दो अक्षर के सतनाम तथा सारनाम का भेद, आपको संत रामपाल जी के सान्निध्य में सतलोक आश्रमों में लगाई जाने वाली आध्यात्मिक प्रदर्शनी में प्रमाण सहित जानने को मिलता है।

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जिस आध्यात्मिक ज्ञान से हमारे धर्मगुरु भी अनभिज्ञ हैं वह तत्वज्ञान संत रामपाल जी के सान्निध्य में सतलोक आश्रमों में लगाई जाने वाली आध्यात्मिक प्रदर्शनी में प्रमाण सहित जानने को मिलता है।

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जहाँ हमें अपने पवित्र धर्मग्रंथों चारों वेद, श्रीमद्भगवद्गीता, 18 पुराण, 6 शास्त्र, कुरआन, बाइबल, गुरुग्रंथ साहिब आदि के ज्ञान से रूबरू कराया जाता है, वह स्थान ही आध्यात्मिक प्रदर्शनी स्थल कहलाता है।

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आध्यात्मिक प्रदर्शनी, वह स्थान है जहाँ आपको अपने पवित्र धर्मग्रंथों, परमात्मा प्राप्त संतों की वाणियों से परमात्मा के वास्तविक ज्ञान को जानने का अवसर प्राप्त होता है। जिसका नजारा सतलोक आश्रमों में ��ेखने को मिलता है।

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संत रामपाल जी के सान्निध्य में सतलोक आश्रमों में लगाई जाने वाली आध्यात्मिक प्रदर्शनी में प्रमाण सहित जानने को मिलता है आदि सनातनी भक्ति का रहस्य, जिससे होता है मोक्ष।

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सतलोक आश्रम सोजत, राजस्थान में शास्त्र विधि अनुसार, मात्र 17 मिनट में 47 जोड़ों की दहेज रहित शादी संपन्न हुई; जिसमें एक पैसे का भी लेन देन नहीं हुआ और यह संभव हुआ है संत रामपाल जी की अद्वितीय आध्यात्मिक व सामाजिक शिक्षा के प्रभाव से।

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सतलोक आश्रम शामली (उत्तरप्रदेश) में संत रामपाल जी के सान्निध्य में 27 जोड़ों ने दहेज रहित शादी कर समाज में एक नई मिसाल कायम की, जो कि विश्व प्रसिद्ध समाज सुधारक संत रामपाल जी महाराज की शिक्षाओं के प्रभाव से संभव हुआ।

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सतलोक आश्रम इंदौर, मध्यप्रदेश में संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में 39 जोड़े दहेज रहित शादी कर विवाह बंधन में बंधे, जिसमें किसी तरह का दिखावा, फिजूल खर्च नहीं हुआ।

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संत रामपाल जी की शिक्षाओं से लोगों की सोच बदल रही है जिसका दृश्य सतलोक आश्रम बैतूल, मध्यप्रदेश में देखने को मिला। जहाँ संत रामपाल जी की प्रेरणा से एक दिन में 78 जोड़ों का दहेज मुक्त विवाह संपन्न हुआ, जो समाज के लिए मिसाल है।

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सतलोक आश्रम धनाना धाम (हरियाणा) में संत रामपाल जी महाराज के सान्निध्य में 40 जोड़ों ने अपने गुरुदेव की शिक्षाओं पर चलते हुए 17 मिनट में दहेज मुक्त शादी कर समाज में मिसाल कायम की।

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