🔱ॐ नमः शिवाय व महामृत्युंजय मंत्र के जाप से मुक्ति संभव नहीं। गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में कहा है कि पूर्ण परमात्मा व मोक्ष की प्राप्ति का केवल तीन मंत्र ओ३म् (ॐ) तत् सत् के जाप का ही निर्देश है। (जो कि सांकेतिक हैं) जिसे तत्वदर्शी संत ही बता सकते हैं।
वह तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं।
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Satguru himself does, and gets done all the acts of bhakti (worship) according to Vedas, that is, He does and makes others do scriptures based worship.
परम् अक्षर ब्रह्म कविर्देव अमर और अविनाशी परमात्मा हैं। सर्वोच्च सत्ता के स्वामी कविर्देव सदा से विद्यमान हैं। परमेश्वर कविर्देव की जन्म-मृत्यु नहीं होती। गीता अध्याय 15 श्लोक 16-17 तथा अध्याय 8 श्लोक 20 से 22 में गीता ज्ञान दाता ने परम अक्षर ब्रह्म,अविनाशी परमात्मा के बारे में कहा है।
लगभग 600 साल पहले जब परमेश्वर कबीर साहेब जीवों का उद्धार करने के लिए धरती पर आये तो पाखंडवाद का विरोध किया और सद्ग्रंथों में वर्णित सत्यभक्ति का प्रकाश फैलाया। हिन्दू धर्म में प्रचलित पाखंड पूजाएं, शास्त्र विरुद्ध साधनाओं और मुस्लिम धर्म में प्रचलित जीव हत्या का कबीर परमात्मा ने पुरजोर विरोध किया।
कहते हैं कि सत्य की राह कांटों भरी होती है, सत्य को सदैव संघर्ष करना पड़ा है, इतिहास गवा�� है।
कबीर परमेश्वर ने जब 600 वर्ष पहले अपने तत्वज्ञान का प्रचार किया तो हिंदू और मुसलमानों ने उनका पुरजोर विरोध किया और तत्कालीन बादशाह सिकंदर लोदी के मुस्लिम पीर शेख तकी ने उनको मारने के लिए 52 कुचेष्टाएं की।
कबीर साहेब जी को गर्म सरसों के तेल की कड़ाही में बैठाना
शेखतकी ने हज़ारों मुसलमानों को इकठ्ठा करके कहा कि हम कबीर को उबलते तेल की कढ़ाही में डालेंगे। अगर ये नहीं मरा तो मान लेंगे कि ये अल्लाह है। तेल कि कढ़ाही को उबालकर कबीर साहेब को बुलाया गया। कबीर परमात्मा उबलते तेल के कढ़ाहे में स्वयं ही विराजमान हो गए। परमात्मा खौलते हुए तेल में आराम से बैठे रहे और सबको दर्शा दिया कि वो अविनाशी हैं।
झेरे कुएं में डालना
अगली योजना बनाकर शेखतकी कबीर साहेब को बांध कर ले गया और ले जा कर एक गहरे झेरे कुएं में डलवा दिया। उसके बाद उस कुएं को मिट्टी, गोबर, कांटे आदि डाल कर 150 फ़ीट ऊपर तक भरवा दिया। कबीर साहेब को मृत मानकर शेख तकी सिकंदर लोधी के पास ये खुशखबरी सुनाने के लिए गया। वहां परमात्मा कबीर साहेब को सिकंदर लोधी के पास ही आसन पर बैठा देखकर शेख तकि गुस्से से जल भुन गया फिर भी कबीर जी को परमात्मा नहीं माना।
तलवार से कटवा कर मारने की कोशिश
शेख तकी ने कबीर साहेब को तलवार से कटवा कर टुकड़े-टुकड़े करने की ठानी। इस कुकृत्य के लिए शेखतकी ने कुछ गुंडे तैयार किये। जब परमेश्वर कबीर साहेब जी रात्रि में सोने की लीला कर रहे थे उस समय शेखतकी उन गुंडों के साथ परमात्मा की कुटिया में आया और कबीर परमात्मा पर तलवारों से अंधाधुंध वार किये। जब कबीर साहेब को मृत जानकार सभी वहां से जाने लगे तभी कबीर परमेश्वर उठ खड़े हुए। उनको भूत समझकर सभी गुंडे और शेखतकी डर कर वहां से भाग गए।
कबीर साहेब जी को 52 कसनी (52 बदमाशी) दी गयी। फिर भी उनका कुछ नहीं हुआ क्योंकि कबीर साहेब जी अविनाशी हैं।
कबीर साहेब जी का शरीर पांच तत्व का नही है, उनका एक तत्व का नूरी शरीर है।
कबीर, हाड चाम लहू ना मोरे, जाने सतनाम उपासी।
तारन तरन अभय पद(मोक्ष) दाता, मैं हूं कबीर अविनाशी।।
वेद गवाही देते हैं कि पूर्ण परमात्मा कविर्देव(कबीर साहेब) राजा के समान दर्शनीय हैं। वे सतलोक में रहते हैं और अपनी अच्छी आत्माओं और दृढ़ भगतों को सत्य भक्ति का ज्ञान करवाने के लिए वो परमात्मा स्वयं ही पृथ्वी पर प्रकट होते हैं।
आज संत रामपाल महाराज जी के साथ भी यही स्थिति है। संत रामपाल जी महाराज पाखंडवाद को खत्म करते हुए सभी धर्मों के सद्ग्रन्थों मे प्रमाणित सत्य भक्ति विधि बताते है। जिस वजह से कबीर साहेब जी के साथ 600 वर्ष पहले हुई घटनाओं को आज फिर से दोहराया जा रहा है। आप भी समय रहते परमात्मा को पहचानें और अपने जीवन का कल्याण करवायें।
कबीर साहेब जी कलियुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे वहा नीरू, नीमा नामक पति-पत्नी लहरतारा तालाब पर स्नान करने जाते थे उनको मिले।
🎯फ़िल्मों में दिखाई गई अश्लील हरकतें, छोटे अर्ध नग्न कपड़ों का पहनना, चोरी, हत्या, गुंडागर्दी, गालियां जिसका सीधा दुष्प्रभाव युवा वर्ग पर पड़ रहा है।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि मानव समाज को इन सभी बुराईयों से दूर करके सत्य भक्ति पर लगाएं। संत रामपाल जी महाराज जी के लाखों अनुयायी बुराईयों को त्यागकर नेक जीवन जीने लगे हैं।
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World Book Day 2022 | विश्व पुस्तक दिवस 23 अप्रैल को विश्व स्तर पर मनाया जाएगा, पुस्तकों के प्रति लोगों में प्रेम और जागरूकता लाने और शैक्षणिक योग्यता के विकास हेतु 100 से भी अधिक देशों में यह मनाया जाता है। इस अवसर पर अवश्य पढ़ें Spiritual Leader Saint Rampal Ji द्वारा लिखित पुस्तक "जीने की राह"
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