मिसेज इंडिया क्वीन पूजा परमेश्वर ने देव गोयल'देव ' द्वारा लिखित उपन्यास डॉ दादा की भूरी भूरी प्रशंसा की
वह सामाजिक उपन्यास का लोकार्पण किया।
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हास्य चिंतन
गुड मार्निंग मोदी जी ! आज कुछ चिंतित नज़र आ रहे हो ? हाँ भाई कोरोना , तेरी मेहरबानी चल रही है, जब तक तुम रहोगे, चिंता में ही जीना पड़ेगा । मेरे लोग, मेरा देश, इनको छोड़ कर मैं इटली तो नहीं भाग सकता । मोदी सर ! मैं तो एक महीने पहले अपनी second wave की चेतावनी आपको देकर गया था पर आपने विश्वास नहीं किया ।सबका साथ,सबका विकास,सबका विश्वास, दिन-रात रट लगाए रहते हैं पर कोई साथी बचा नहीं, एक दाढ़ी वाले थे, वे भी किनारा कर गए, उसके ग़म में ख़ुद ही दाढ़ी रखनी पड़ गई ।विकास करो लोगों के चरित्र का, प्रेम का, विश्वास का और नैतिकता का । अब तो आप ‘ एकला चलो रे ‘ की धुन में मस्त हो गए ।
पिछले महीने आपने चाय-पानी भी नहीं पूछा, पंजाब में जाकर लंगर छका, अब मुँह खावै तो आँख लजावै । पंजाब में मैंने कोई उत्पात मचाया ? भाई कोरोने ! तेरी उम्र कितनी होगी ? यही दो तीन साल, मोदी सर ! हम उत्पातियों, दहशतगर्दों, अतिवादियों को अल्लाह से इतना ही जीवन मिलता है पर दो -तीन साल के जीवन में इतने चमत्कार कर देते हैं कि दुनिया दो - तीन सौ साल भूल नहीं सकती ।हमारी उम्र का एक वर्ष आदमी के चालीस साल के बराबर होता है, जो काम हम एक वर्ष में कर देते है वह इंसान पूरी ज़िंदगी नहीं कर सकता ।भाई कोरोना, तू तो दो तीन साल में ही लाखों इंसानों को ऊपर पहुँचा देगा, इतना जन संहार ? घबराओ मत मोदी सर, मैं तो परोपकारी जीव हूँ, अपने लिए नहीं ,वोट के लालची नेताओं की ख़ातिर पापड़ बेल रहा हूँ, जब ऐसे नेता चाँद पर पहुँच जाएँगे तो रैली करने में दिक़्क़त नहीं आवेगी । आप अपनी सवारी कब भेज रहे हो चाँद पर ? एक साल लग सकता है ! ठीक है सर, इतने मेरा टार्गेट भी पूरा हो जाएगा ।
भाई कोरोने ! तू कह रहा था कि मोदी जी आपके राज्यों में कदम नहीं रखूँगा ? फिर आ गया ? मोदी जी,यह मेरी गलती समझ लो, क्षमा चाहता हूँ । मैं तो समदर्शी था और रहूँगा । बड़ी ख़ुशी हुई ,कोई तो अपनी ग़लती मानने वाला मिला, सारे मेरी ही गलती बताते रहते थे ।कुछ भी करूँ, उसी का विरोध । तुम्हारा कोई विरोध नहीं करता ? मोदी जी , मेरा विरोध ! मैं तो गला पकड़ के चित्त कर दूँगा ऐसे बकवासी कोऔर आपने सुना भी होगा ‘ समरथ को नहीं दोष गुसाईं ‘। यह कलियुग का इंसान है, प्यार- पुचकार की नहीं , प्रहार की भाषा समझता है ।भाई साहब, पहले आप अपना प्रहार बंद करो, इनको तो मैं ख़ुद संभाल लूँगा, कोई चाय कॉफी की इच्छा है क्या ? ना ना मोदी जी, मुझे चापलूसी पसंद नहीं ,मैं तो संघर्ष करने वाला जीव हूँ, चाँद पर से आया हूँ क्या चाय कॉफी पीने आया हूँ ? आज साँझ तक कुछ नहीं खाऊँगा, रात को दिल्ली बार्डर पर इफ़्तार पार्टी है अन्नदाताओं की तरफ़ से, जी भर कर पेट पूजा करूँगा ।आपकी कोई इच्छा हो तो चलो मेरे साथ ! मैंने तो कई बार बुलाया पर पता नहीं फ़ोन ख़राब था शायद ।
ठीक है मोदी सर ! आप लगे रहो, कहने भर से काम नहीं चलेगा, ख़ुद भी कड़ाई करनीं होगी और दवाई का भी जुगाड़ करना होगा ।अब एक फेरा और लगेगा मेरा, घबराना नहीं, पूरी तैयारी रखो, पहले चेतावनी भेज रहा हूँ आग लगने पर कुआँ खोदने की कोशिश मत करना । मेरी भी मजबूरी है, निठल्ले तो बेकार हो जाता है इसलिए जब तक जीवित हूँ, कुछ न कुछ करतब करता ही रहूँगा । अब दम घुटने लगा है, शायद ऑक्सीजन की कमी हो गई है ।सूरज भी उगने वाला है, फिर मिलेंगे, जय श्री राम ! !
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हास्य चिंतन ( कोरोना रिटर्न्स )
मोदी जी, गुड मार्निंग ! कौन है भाई साहब, कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा । मैं कोरोना हूँ, मोदी जी, पहचाना नहीं, पिछले साल भी आया था इसी महीने में, धूम- धड़ाके से, अब फिर दिल करने लगा तो दौड़ आया, मुझे कोई भाड़ा थोड़े ही देना है कहीं । भाई साहब ! दो मिनट वहीं रूक जा, मास्क पहन लूँ, और दो - तीन गज दूर ही रहना । अब बता, क्यों आया इंडिया में ? बस यूँ ही मोदी जी, आपका शाह बंगाल में रुपयों की गठरी खोले बैठा था, सोचा कि बहती गंगा में डुबकी लगा लूँ । कोरोना भाई, बंगाल तो गरीब सा प्रदेश है, कोई अच्छी जगह देख ले जहां करोड़ों का कारोबार एक महीने में ही होता है । वहीं से ‘खेला ‘ करके लौट रहा हूँ ,सर ! अच्छा , तुम्हें खेला की भी जानकारी है, तुम तो चीन के नागरिक हो न ? मैं तो सारे संसार का वासी हूँ, मेरे लिए तो ‘ वसुंधरा कुटुम्ब है, मैंने न Loc पार करनीं और न LAC . दो रोज़ पहले पाकिस्तान गया था और पकड़ ली क्रिकेटर की गर्दन, ज़्यादा मचल रहा था, कह रहा था कोरोना, तेरा मुँह नहीं देखना चाहता । अब मोदी जी , आप इतने बड़े इंसान हो, ममता बनर्जी आपका मुँह नहीं देखना चाहती तो क्या आपने बंगाल जाना छोड़ दिया ? खूब धूम धड़ाके से जा रहे हो । जिनके आपणे मुँह देखने लायक़ नहीं होते, वे ही ज़्यादा नख़रा करते हैं । बीमारी और बुरे आदमी से नफ़रत नहीं करनी चाहिए ।
कोरोना ,भाई साहब ! आपने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया । कौन सा सवाल मोदी जी ? यही कि। तू इंडिया क्यों आया ? वाह सर ! आप भी पत्रकारों की तरह बार-बार पूछ रहे हो । आपने ‘वेव्स ‘ तो सुनी होंगी, Medium wave, short wave, high wave. इसी तरह ये मेरी second wave है । भाई कोरोने ! तेरी उम्र तो दो साल और ज्ञान इतना ज़्यादा, रेडियो का भी तुम्हें knowledge है । वाह मोदी जी ! यूँ मलाई मारने से देश छोड़ कर नहीं जाऊँगा, थोड़ा रियायत ज़रूर कर दूँगा । आपकी शराफ़त को देखते हुए आपके राज्यों में कम जाऊँगा ।अच्छा ,और कहाँ-कहाँ के दौरे करे भाई साहब ? मैंने तो सारी धरती छाण मारी, जहां दिल करे, चला जाता हूँ, आप की तरह संघर्ष शील हूँ, न रात की परवाह न दिन की चिंता । आपने जो वैक्सीन भेजी है दूसरे देशों में, इसी कारण इंडिया आना पड़ा । आप मेरा ठिकाना कहीं छोड़ोगे भी कि नहीं ? कोरोना ब्रदर ! इस धरती पर तो बीमार इंसान पहले ही बहुत हैं, तू चाँद से आया था वहीं चला जा । सर जी ! अब इतना संसार घूम कर आ रहा हूँ, दो महीने तो इंडिया में stay करूँगा ही,थोड़ा आराम मुझे भी चाहिए। भाई, तेरा आराम मेरी आफ़त है , मैं अब बंगाल रैली करने जाऊँगा और तुम ? मोदी जी , आप तो आफ़त को अवसर में बदलना जानते हो, क्यों घबरा रहे हो, आप बंगाल में खूब रैली करो और उस छोकरी के पाँव को अंगद का पाँव ना बनने देना, मैं तो पंजाब जा रहा हूँ, वहीं लंगर छक लूँगा, आपने तो चाय - नाश्ता कुछ पूछा नहीं, ���ुनाव में सारे नार्मस भूल गए । कोरोना भाई, आजकल तो हम ही कभी किसान, कभी दलित , कभी आदिवासी, पता ही नहीं कितनों के घर पर खाना खाते फिरने लगे हुए हैं,तुम्हारी मेहमान नवाज़ी कैसे करें ? ठीक है मोदी जी ,आप इलैक्सन में मजे कर लो , मैं फिर लौटूँगा ‘तीसरी वेव ‘ बन कर ।
वंदे मातरम् !
Only for entertainment, sir !
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हास्य चिंतन ( हरियाणा )
झुमका गिरा रे, खट्टर के दरबार में, झुमका गिरा रे । राम - राम खट्टर काका । राम-राम भाई पत्रकार, सुणा, आज तो कवि बण रहिया सै, कित,के गिर गया ? वाह ! काका, गिराया तो आपने और पूछो मेरे तै । हाँ भाई लेखक, इन राहुल के चेल्यां न छड़दम तार रख्या था- सत्र बुलाओ, सत्र बुलाओ, खट्टर सरकार विश्वास मत खो चुकी है ! इन कांग्रेसियां न यूँ नहीं पता कि सत्तर साल से जनता का विश्वास खोए फिरें सै ,माथा म्हारे मढ़ें।33 नंबर भी जोड़ नहीं पाए, टोटली फेल । काका आपकी कौनसी फ़र्स्ट क्लास आई सै , पचपन पै ही अटक गए। भाई पत्रकार ,तू हिंदी के ही कुछ डांठले ( अक्षर ) जाने सै या कुछ हिसाब-किताब भी पढ्या सै ? Total 90 में ते 54 सीट चाहिए फ़र्स्ट डिविज़न ख़ातिर और हम ने लीं पचपन, मैं भी तो एम ए पास सूं। काका चालाकी करो सो ,आप तो सीधे- साधे , भोले-भाले माने जाओ सो, आपणी तो 90 में तै गिन ली और उनकी सौ में तै।भाई लेखक, उनकी भी 90 गिन ले, फिर भी 30 नंबर तो बणै सैं, ली 32 , यूँ घिसट - घिसट के पास हौण का भी के फायदा ?
हमारे पर तो जब तक मोदी और शाह जी का आशीर्वाद सै , फ़र्स्ट क्लास में ही रहांगे । अच्छा काका, काम -धाम कुछ करना नहीं,, उनकी भी लुटिया डूबाओगे । क्यों भाई पत्रकार,सारे काम पै माटी लावै सै ? कितनी नौकरी दी बालकां तै, एक रूपये का काम नहीं लेन-देन का, और सरकार होती तो जेब ख़ाली कर देतीं ।हम तो अब भी 75% बालकां नै आपने हरियाणे में भर्ती करांगे। मोदी जी सोनार बांग्ला बणावैंगे और हम ‘सोनार हरियाणा ‘। खट्टर काका , डींग मारण लाग गए, आपकी कोई सभा-रैली तो लोग हौण नहीं देते , छ: साल हो गए , एक सुरजा आला भाई नै छटी का दूध याद करवा राख्या सै। सुन भाई लेखक, अब जान में जान आई सै, अविश्वास प्रस्ताव गिर गया और मैं तर गया । हरियाणा में पानी-बिजली की मौज कर दूँगा, जिस तरां भाई पीयूष गोयल की रेल छुक-छुक करती चालें सै, उस तरां की सड़कों का जाल बिछा दूँगा नितिन गड़करी की तर्ज़ पै और बस में बैठे पीछे पता भी नहीं चालैगा कि रेल में बैठे सो कि हवाई जहाज़ में । हमने तो हरियाणा में जहाज़ चला दिए, तू कौनसी दुनिया में फिरे भाई लेखक ।
खट्टर काका कुछ चमत्कार दिखाओगे तो ही लोग नमस्कार करेंगे । कल उत्तराखंड गया था, बदल दिया त्रिवेंद्र। अच्छा, बुरा सोच के आया पत्रकार । मैं तो टर्म पूरी करूँगा और काम भी टनाटन करूँगा ।हमने दुष्यंत चौटाला जवान छोरा मिल गया, हरियाणा नै चमका देंगे । ठीक है काका जुट जाओ, पिछली बोद सारी काढ़ दियो और इस गाबरू दुष्यन्त नै ना छोड़ियो, ताऊ जैसा जुझारू,स्पष्ट वक्ता और ईमानदार सै । अच्छा,या बात भी मैंने तू ए बतावेगा, छ: साल में मैंने भी कुछ सीख्या होगा । ठीक है काका, आप तजुर्बेकार हो गए, हुड्डा चार साल चैन की नींद ले लेगा । फिर मिलूँगा काका, राम- राम, जय श्री राम ! भाई पत्रकार ,चक्कर मारदा रह्या कर। काका , कुछ चमत्कार करोगे तो भाज्या आऊँगा । ठीक सै भई, जय श्री राम ! !
Only for entertainment.
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हास्य चिंतन ( कोरोना-वैक्सीन ) 16 Jan पर विशेष .
इतने विशाल संसार में मैं अकेला हूँ तो क्या हुआ ? लोग कहते हैं ‘अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता ‘ पर मुझे विश्वास है कि एक अकेली दिव्य शक्ति ही अखिल ब्रह्मांड को नियंत्रित किए हुए है ।एक अकेले सिकंदर ने विश्व विजय का शंखनाद किया था । एक सूरज, एक चाँद समूचे जगत को जगमग रखे हुए हैं तो मैं अकेला भी बहुत कुछ कर सकता हूँ ।मैं छोटा ज़रूर हूँ पर उतना ही खोटा ( शरारती ) भी हूँ । मैंने सारे संसार के मुँह में उँगली घुमाईं पर किसी की हिम्मत नहीं हुई दांत चलाने की, मैंने सबके दांत खट्टे कर दिए हैं, दुनिया मेरे सामने दांत फैलाए खड़ी है और मैं सबके दांत गिनने की क्षमता रखता हूँ ।
मैं किसी से भेदभाव के पक्ष में नहीं हूँ, गोरा हो या काला, हिंदू हो या मुस्लिम, ईसाई हो या पारसी, मुझे सबसे समान मुहब्बत है, मैं सबके गले का हार बनकर उनकी छाती के फुसफुस को फ़ुस्स करता हूँ ।सब डरकर मुझे दूर भगाने की कोशिश करते हैं पर मैं मानव की तरह विश्वासघाती नहीं, मृत्यु तक साथ निभाता हूँ ।
अब मैं पंद्रह मास का जवान हो गया हूँ, मैंने अपना विवाह भी रचा लिया है । क्योंकि हम इतने अमीर नहीं कि हनीमून का एकसाथ खर्च वहन कर सकें इसलिए अलग-अलग गए हुए हैं ।मैंने संसार का भ्रमण किया, एक से एक उन्नत, विकसित,विकासशील देश में गया पर मुझे अपनी प्रिया कहीं नज़र नहीं आई ।मैं हर गली-कूचे ‘ साजन - साजन’ पुकारता रहा पर सजनी रहस्यमय ही रही ।ये ज़ालिम दुनिया दो जवाँ दिलों की मुहब्बत बर्दाश्त नहीं कर पाईं ।मेरी प्रिया को न जाने कहाँ छिपाकर रखा । अब मैं रुस, अमेरिका, चीन, इंग्लैंड सब जगह से निराश होकर इंडिया आया हूँ, यहाँ मोदी नाम के एक ईमानदार व मेहनतकश प्राणी से भेंट हुईं । पृथ्वी पर ऐसा निरीह प्राणी
अजब-ग़ज़ब है । मैंने पूछा तो बोले- मेरे पास दो बालाएँ हैं जो तुम्हारी प्रिया हो , ले जाओ।
बेशक दोनों ले लो ।नहीं मोदी प्राणी, तुम्हारे मुल्क में तो एक ही पत्नी की इजाज़त मिली
हुईं है ना, मैं क़ानून प्रिय जीव हूँ, राहुल की तरह तुम्हें सताऊँगा नहीं, भली तो एक ही काफ़ी है ।मोदी मुझे पूना ले गए और पूनावाला से मेरी प्रिया दिलवाईं, साथ ही बोले- हैदराबाद वाली भी चाहिए क्या ? क्या मोदी प्राणी- अपने पास तो एक भी नहीं, मुझे दो-दो से लाद रहे हो ? इंग्लैंड से मेरा जुड़वां भाई आ रहा है, उसे दे देना ।
अब मैं इंडिया से विदाई ले रहा हूँ, जिसने मेरी अपनी प्रिया से भेंट करवा दी , उसे कष्ट देना मनुष्य की तरह मेरी फ़ितरत नहीं है ।जानते हो मैं कौन हूँ ? मैं ‘कोरोना ‘ हूँ और मेरी प्रिया है ‘ वैक्सीन ‘। एयरपोर्ट पर किसी ने सुन लिया हम दोनों का नाम, बोला - तुम तो ईसाई लगते हो, तुम्हारी प्रिया का नाम मुस्लिम जैसा है और इंडिया तो हिंदुओं का मुल्क है । अब क्या बताऊँ- ये भारतीय अपने को धर्म निरपेक्ष कहते ज़रूर हैं पर चौबीसों घंटे जात-पात, दलित-सवर्ण, हिंदू-मुस्लिम ज़ीभ की नोक पर रखते हैं । मोदी प्राणी न जाने कैसे मैनेज करते हैं सब ? अच्छा हुआ मैं जल्दी निकल गया यहाँ से वरना बबुआ तो मेरी प्रिया की हत्या करने पर उतारू था, कभी फिर इंडिया आऊँगा तो हिसाब चुकता कर लूँगा, किसी की प्रिया को भला-बुरा बोलना क्या सही है ? अब मेरी फ़्लाइट तैयार है, सभी भारतवासियों को राम -राम । जय श्री राम !
नोट -: केवल मनोरंजन ही उद्देश्य ।
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A Visit to’ The Statue of Unity’
Episode ( 24 )
statue of Unity की यह यात्रा हमने दो दिन के लिए तय की थी, 26 December की प्रात: से 27 Dec. की सायं तक लेकिन शताब्दी ट्रेन की टिकट Confirm न होने के कारण हमें एक दिन का टूर ज़्यादा लेना पड़ा ।वैसे तो वडोदरा में और भी अधिक देखने को था लेकिन ट्रेन की अनिश्चितता बनी रहने से थोड़ा ही देख पाए जो पिछले अंकों में आपके समक्ष प्रस्तुत कर सका ।
वडोदरा महलों ,मंदिरों, पार्कों व Museum’s के लिए जाना जाता है , हमने लक्ष्मी विलास पैलेस, दक्षिणामूर्ति मंदिर,सया जी बाग व zoo देखा जो अच्छे लगे ।यहाँ ऑटो रिक्शा चालकों का व्यवहार मुम्बई जैसा नहीं पाया, इससे कुछ हद तक परेशानी भोगनी पड़ी । फिर भी मेरी यह पहली गुजरात यात्रा यादगार बन गई है । इससे पूर्व छोटा लड़का मुम्बई IIT में पढते हुए 26 Jan 2002 में आए भूकंप पीड़ितों की सहायता के लिए गुजरात गया था ।हमने अपने लड़के की इस सहृदयता के लिए उसकी सराहना की थी ।
कुल मिलाकर हम ये कह सकते हैं कि Statue of Unity की यह पहली यात्रा बेहद सफल एवं ज्ञानवर्धक साबित हुई ।
इति Statue of Unity यात्रा !
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A Visit to ‘ The Statue of Unity ‘
अंक। ( 23. )
रेलगाड़ी भरूच, सूरत, नवसारी होते हुए जब मुम्बई के बोरिवली स्टेशन पर पहुँचने वाली थी तो बड़े लड़के ने फ़ैसला किया कि सेंट्रल मुम्बई रेलवे स्टेशन तक एक घंटा और लगेगा इसलिए इसी स्टेशन पर ड्रॉप ले लेते हैं ।यहाँ से घर के लिए एक घंटे का टैक्सी सफर है अत: हमारा एक घंटा का समय बच जाएगा ।हम सबने मिलकर इस विचार का समर्थन किया व बोरिवली स्टेशन से ट्रेन को अलविदा कह दिया ।स्टेशन से बाहर निकलते ही बड़े लड़के ने एक six seater गाड़ी बुक की व पाँच मिनट की इंतज़ार के बाद हम सभी गाड़ी में सवार होकर अपने घर की ओर जा रहे थे ।
मुम्बई में भीड़-भाड़ कुछ ज़्यादा ही रहने लगीं है व दिन के समय तो टकराते -घिसटते हुए आना-जाना पड़ता है ।किसी भी दिशा में सफर सुविधा पूर्ण नहीं रहा है ।हमें अनुमान से ज़्यादा समय लगा और 1:30 घंटे की ऊबाउ यात्रा के बाद हम अपने घर में कदम रख सके । सबसे पहले थकान मिटाने के लिए चाय कॉफी का सेवन किया , इसी दौरान बड़े लड़के ने लंच के लिए आर्डर कर दिया था जो किसी रेस्टोरेन्ट से आना था ।वैसे तो मुम्बई शहर का well known R -City Mall भी घर से दस मिनट की पैदल दूरी पर था पर सभी थके - माँदे होने से बाहर निकलने में संकोच कर रहे थे ।
लंच के आने तक हमने अपना सामान सूटकेसों से ख़ाली किया व ड्रेसेज़ चेंज किए ।आधे घंटे की इंतज़ार के बाद दरवाज़े पर दस्तक हुई तो हमें मालूम था कि कौन हो सकता है । हमारा अनुमान सही निकला व हम सभी ने इकट्ठे बैठकर लंच को पूरा सम्मान देते हुए उसका सेवन किया ।
आज इतना ही !
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A Visit to ‘ The Statue of Unity’
( अंक 22 )
बड़े लड़के ने होटल काउंटर पर बातचीत की व डिनर के लिए जानकारी ली। होटल प्रबंधन ने किसी रेस्टोरेन्ट से हमारे लिए डिनर का आर्डर दिया । पंद्रह मिनट में ही हम सब भोजन का आनंद ले रहे थे ।
अब क्योंकि सुबह लगभग आठ बजे हमारे लिए अहमदाबाद से मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन जाने वाली
डबल- डेकर गाड़ी में छ: सीट आरक्षित थीं सो हम सारा दिन की दौड़- धूप के बाद विश्राम करना
चाहते थे । सुबह नाश्ता बग़ैरह लेकर हम क़रीब सात बजे अगली यात्रा के लिए तैयार हो गए थे ।
अपना सामान समेटकर दो बार में एलिवेटर से भूतल पर पहुँचे जहां हिसाब-किताब कर बिल
चुकता किया व दो ऑटो रिक्शा के लिए डिमांड की । ऑटो तुरंत हाज़िर हो गए थे और हम तीन- तीन
के ग्रुप में दोनों ऑटो रिक्शा में सवार हो गए ।आज सर्दी का प्रकोप अचानक ही बढ़ गया था, ठंडी हवा
से परेशानी हो रही थी , फिर भी रेलवे स्टेशन नज़दीक होने के कारण हम सहन करते रहे ।लगभग 7:25
पर हम वडोदरा जंकशन पर पहुँच कर प्लेटफ़ॉर्म पर गाड़ी का इंतज़ार करने लगे ।गाड़ी निर्धारित समय पर पहुँचीं और हम सब उसमें सवार हो गए ।
गाड़ी के डिब्बे में अहमदाबाद का टूर लेकर किसी मुम्बई के स्कूल के बच्चे चहचहा रहे थे । उनकी टीचर माँ की नाईं उन सबका ध्यान रख रही थी । 4:30 घंटे की यह यात्रा इतनी सहज नहीं थी । बच्चों की चहचहाहट में झपकी 😴 लेने की गुंजाइश नहीं थी इसलिए मोबाइल फ़ोन पर कुछ पुराने पसंदीदा गानों का इयर फ़ोन लगाकर आनंद लूटने लगे ।गाड़ी में Venders का क्रम बाधित नहीं हो रहा था, अनेक प्रकार की खाद्य सामग्री, फल, समोसे,मिष्ठान्न व पेय पदार्थों की भरमार थी । क्योंकि हम होटल से नाश्ता लेकर ही निकले थे इसलिए अभी हमें कुछ इच्छा नहीं थी ।
आज इतना ही !
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दक्षिणामूर्ति मंदिर EME Vadodara.
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A Visit to ‘The Statue of Unity’
( अंक 21. )
यह मंदिर भगवान शिव का मंदिर है, इस मंदिर का नाम दक्षिणामूर्ति मंदिर भी है ।यह दक्षिणामूर्ति मंदिर ( EME ) एक क्रिश्चियन ब्रिगेडियर के दिमाग़ की उपज से 1966 में स्थापित हुआ ।यह पूर्णतः army द्वारा संचालित है । मंदिर धर्मनिर्पेक्षता का प्रतीक माना जाता है ।इसका कलश- हिंदू धर्म, Dom- इस्लामिक, tower - क्रिश्चियन, प्रवेश द्वार- जैन धर्म तथा tower idol gold -बौद्ध धर्म का प्रतीक
है ।मंदिर श्रद्धालुओं के लिए सुबह 6:30 से सायं 8:30 तक खुला रहता है । EME, road से होते हुए फतेहगंज में यह एरिया पड़ता है ।
हम इस शांति के धाम में पहुँच कर श्रद्धा से अभिभूत हो गए थे ।यहाँ की शांति, सफ़ाई व शुद्धता अतुलनीय थी ।मंदिर में प्रवेश कर भगवान शिव के दर्शन लाभ मिले व दान- पात्र की ओर भी निगाह रखी ।मंदिर की परिक्रमा ली व अन्य देवी देवताओं के दर्शनार्थ इधर-उधर घूमते रहे ।मंदिर के पिछले तरफ़ एक कॉम्प्लेक्स था जहां हमने थकान मिटाने के लिए चाय का सेवन किया ।हम मंदिर
परिसर में लगभग एक घंटे रहे व कुछ अंधेरे के आगमन की चमक पाकर लौटने को उद्यत हुए ।
मंदिर से बाहर निकले तो सामने एक टैंक से सामना हुआ जिसके साथ सैलानी फ़ोटोग्राफ़ी कर रहे थे ।हमने भी इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाया । लगभग एक किलोमीटर पैदल चलकर हम सिंह द्वार
पहुँचे व ऑटो रिक्शा 🛺 की इंतज़ार में कुछ समय खड़े रहे ।कुछ समय बाद ही हम अपने होटल planet के कमरों में विश्राम कर रहे थे पर जठराग्नि के उद्दीप्त होने से चैन कहाँ ? भोजन के लिए काउंटर पर गुहार लगाई व सुबह निकल लेने की तैयारी के साथ रात्रि विश्राम किया ।
आज इतना ही !
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देश का हर नागरिक किसान का खैरख्वाह है, आप जो सेब बीस रुपए किलो बेचते हैं ,वह हमें एक सौ बीस रूपये किलो मिलता है, सौ रुपये बिचौलियों को मिलता है,मोदी जी यह लाभ किसानों को देना चाहते हैं ।किसान अदूरदर्शी नेताओं के बहकावे में आंदोलन का रास्ता अख़्तियार किए हुए हैं ।वे यह नहीं समझते कि मोदी जैसा विश्वसनीय महापुरुष इस घोर कलिकाल में इहलोक तो क्या दिव्यलोक में भी नहीं मिलेगा ।हम केवल किसान ही नहीं बल्कि हिंदुस्तान के सम्मानित नागरिक भी हैं, इस नाते राष्ट्र की संपत्ति को हानि पहुँचाने का प्रयास हमें ही नुक़सान पहुँचाने का मार्ग बन जाता है । देश बदल रहा है, विकास के नए-नए अवसर सृजित हो रहें हैं, आइए, आंदोलन का रास्ता छोड़कर मिलन का मार्ग अपनाएँ ।
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