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ज़ाहिद मुग़ल
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सीकर राजस्थान से ख़ुद की खोज में इक शाइर..
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faqtahsaas · 5 years ago
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तोहमत लगाकर सितम ढहा कर जैसे तू शाद हुआ
पर  यक़ीन  जान  आज  से  तू मेरे लिए याद हुआ
सोचता था  साथ तुम्हारे  आगे  पूरी ज़िंदगी पड़ी हैं
झूठा निकला  वो  गुमाँ  हर इक ख़्वाब बर्बाद हुआ
तंग आ गए  इश्क़ से   ये  सबके बस की बात कहाँ
इश्क़ मुक़म्मल उसी ने किया  जो ख़ुद बे-दाद हुआ
यादों के लम्हें  अफ़साने  बन - बन  सामने आते हैं
अब  आगे  की  ज़िंदगी में  माज़ी ही बुनियाद हुआ
लिखने  के  लिए  जब भी  कागज कलम उठाता हूँ
बाद  तेरे  जैसे  मेरा हर्फ़ - हर्फ़ ख़राब-आबाद हुआ
मिरे  अहसासों  को  फ़क़त  अल्फ़ाज़  बताने  वाले
तू  क्यूँ  न  अब  तक  छोटी  सोच  से आज़ाद हुआ
मुल्तवी   हो   गयी   खुशियां   कुछ  पल  ठहर  कर
इश्क़िया   दरख़्त   फिर   कभी   न   आबाद   हुआ..
― ज़ाहिद मुग़ल
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