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708 posts
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gyandutt · 2 days ago
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घोड़मुतवा
कई शब्द नितांत पारिवारिक होते हैं। विवेक शानभाग का एक नॉवेल्ला है – घाचर घोचर। मुझे यह पसंद है क्यूं कि इसमें वातावरण नितांत निम्न मध्यवर्ग से शुरू होता है। बहुत कुछ वैसा जिससे अपने को मैं जोड़ पाता हूं। घाचर घोचर किसी डिक्शनरी में नहीं मिलेगा। कन्नड़ भाषाकोश में भी नहीं। अब शायद इस नॉवेल्ला की प्रसिद्धि से शायद आ गया हो। घाचर घोचर वह स्थिति है जिसमें कई धागे आपस में उलझ जाते हैं और उन्हें सुलझाने…
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gyandutt · 26 days ago
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बरियापुर और नीलकंठ की रचना क्यों?
>>> बरियापुर और नीलकंठ की रचना क्यों? <<< बहुत से लेखकों ने अपनी रचनाधर्मिता के लिये पात्र और स्थान रचे हैं। आर के नारायण ने मालगुड़ी की रचना की। मालगुड़ी बंगलोर के दो स्थानों मल्लेश्वरम और बसवानगुड़ी का फ्यूज़न है। मालगुड़ी बनाया और साथ में ढेरों पात्र आये। उन सब के माध्यम से आर के नारायण वह लिख पाये जो उनकी सोच में थे, पर उन्हें लेखन में अन्यथा नहीं उतार सकते थे या उतने सहज न हो पाते । इसी…
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gyandutt · 2 months ago
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आर्मचेयर नर्मदा परिक्रमा — दिन 3
आर्मचेयर नर्मदा परिक्रमा — दिन 3 : तहरी, त्रिपुंडी और चितलंगिया का दालान नीलकंठ की ई-मेल समय पर थी। छ बजे सवेरे। वह ज्यों का त्यौं नीचे है – सवेरे नींद एकदम समय पर टूटी — चार बजे। यह अजीब है कि बाहर खुले में नींद पहले से बेहतर आती है। मन भी हल्का था और शरीर भी। नर्मदा किनारे की हवा में जैसे कोई ‘अदृश्य प्रार्थना’ हर पल बह रही हो। स्नान खुले में करना था, पर हैंडपम्प कल ही जवाब दे गया था। प्रधान…
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gyandutt · 2 months ago
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वनतुलसी की गंध, बांस का पुल, बघेरे की आहट और गेंहुअन का भय
नीलकंठ की आर्मचेयर नर्मदा परिक्रमा दिन 2 सवेरे आंख खुली तो सब कुछ चुप था। रात की जद्दोदहद याद आई। रात में बांई ओर नर्मदा की धारा थी, और दाहिने – मच्छरों का मोर्चा। टॉर्च की रौशनी में ओडोमॉस की ट्यूब निकाल मैने उसे सारे खुले अंगों पर मला था। तब जब मच्छरों ने युद्धविराम कर दिया तो नींद गहरी आई। सुदामा मुझसे पहले जाग गया था। गांव में घूम कर लौट आया था और बताने लगा – “आज बारात आने वाली है। प्रधान…
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gyandutt · 2 months ago
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आर्मचेयर परिक्रमा – डिंडोरी से कंधूजी शिव मंदिर
आर्मचेयर परिक्रमा – दिन 1 नीलकंठ चिंतामणि की कलम से नीलकंठ का ईमेल सवेरे ठीक छह बजे आया। लगता है, यह उसने रात को अंतिम स्पर्श देकर सवेरे भेजा था..यह वही नीलकंठ है, जो हमारे बैच का सबसे बड़ा लिक्खाड़ था। ट्रेनिंग के दौरान एक बार कोलफील्ड के थाने में एफआईआर दर्ज करानी पड़ी — और उसने कलात्मक अक्षरों में नौ पन्ने भर दिए थे। पुलीस वाला पेज पर पेज देते परेशान हो गया था। अब वह कागज़ की जगह कीबोर्ड पर…
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gyandutt · 2 months ago
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आर्मचेयर नर्मदा परिक्रमा की प्रस्तावना
नीलकंठ और सुदामा की पहली बैठक (डिंडौरी से बरगी तक की यात्रा की भूमिका) प्रेमसागर ने डिंडौरी से पैदल चलकर चाबी गाँव में जब नर्मदा परिक्रमा को खंड-विराम दिया, तब वे सड़क मार्ग से ही चल रहे थे। डिंडौरी और जबलपुर के बीच, नर्मदा के उत्तर या दक्षिण तट की पदयात्रा अधिकांश यात्री सड़क के किनारे ही करते हैं। लगभग 90 प्रतिशत परिक्रमावासी यही मार्ग चुनते हैं। क्योंकि नर्मदा किनारे चलना दुरुह है —अनेक…
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gyandutt · 2 months ago
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एक मिस-कॉल
जो गलती से लगी, वह दिशा बन गई नीलकंठ चिंतामणि उमादास को भूल ही गये थे। पर आज सवेरे जब फोन पर रात दो बजे की एक मिस्ड कॉल देखी, और नम्बर के आखिरी अंक 2848 पर नज़र पड़ी — तो एक धुंधली स्मृति तैर गई। “यह तो वही चित्रकूट जाने वाला यात्री लगता है,” मन ने कहा। बरगद के नीचे मिला था, और वहीं इस नम्बर पर एक रिंग कर पुष्टि की थी कि फोन रीचार्ज हुआ। अब नीलकंठ के पास काम की आपाधापी नहीं है, समय खूब है,…
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gyandutt · 2 months ago
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उमादास
नीलकंठ थोड़ा कष्ट में थे। सर्दी में सांस की तकलीफ पहले हुआ करती थी, फिर स्थान बदलने से खत्म हो गई। तराई के इलाके में नमी की कमी नहीं होती। शायद नमी का असर था। पर अब पंद्रह साल बाद फिर से लगा कि इनहेलर ले लेना चाहिये। शशि दिल्ली में डाक्टर है। उससे फोन से बात की तो उसने कहा – दिन में थोड़ा देर से साइकिल ले कर निकला करो। और एक थर्मस चाय साथ रखा करो – मौका मिलने पर कुछ देर बाद किसी बेंच पर बैठ कर पी…
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gyandutt · 2 months ago
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नर्मदापरिक्रमा के पदयात्री प्रेमसागर कल रात मेरे घर पर पहुंचे।
नर्मदापरिक्रमा के पदयात्री प्रेमसागर कल रात मेरे घर पर पहुंचे। वे डिंडोरी-शहडोल-प्रयाग से बस यात्रा करने आये। बोल रहे हैं अब देवोत्थानी एकादशी के समय ही मंडला के पहले चाबी से अपना लाठी उठायेंगे आगे की यात्रा को। लाठी वहीं मंदिर के पुजारी के यहां छोड़ आये हैं – संकल्प का प्रतीक। नवम्बर में मौसम बहुत सुहावना होगा। अब उनके साथ जुगलबंदी तब होगी जब वे नर्मदा तीरे तीरे चलेंगे, हाईवे के मार्ग से…
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gyandutt · 2 months ago
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मध्यप्रदेश में बाढ़ - नर्मदापरिक्रमा समय पर रोकी प्रेमसागर ने
आज खबरों में मंडला, सिवनी, बालाघाट, नरसिंहपुर और डिंडौरी में भारी बारिश और गांवों के कट जाने की खबरें हैं। प्रेमसागर परसों अपनी नर्मदापरिक्रमा डिंडौरी से आगे चाबी में खण्ड स्थगित कर लौट आये। सही निर्णय रहा। वैसे सबसे सही तो यह रहता कि परिक्रमा कार्तिक में प्रारम्भ की जाती – वर्षा के बाद। नर्मदे हर! #नर्मदायात्रा #नर्मदापरिक्रमा #नर्मदाप्रेम
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gyandutt · 2 months ago
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नीलकंठ और रामसूरत की मुलाकात
नीलकंठ कुछ कुछ मेरे जैसा है। रुपया में बारह आना। वह भी नौकरशाह रहा। पांच सात हजार कर्मचारियों का नियंता। अब वह करुणेश जी के ‘रामेश्वर धाम’ पर बतौर प्रबंधक आया है। बंगले से डेढ़ कमरे की कॉटेज में शिफ्ट हुआ है। पांच हजार की साइकिल खरीदी है और गांव की सड़कों पर चलाने का अभ्यास कर लिया है। सवेरे साढ़े चार बजे उठता है नीलकंठ। खुद चाय बनाता है। कॉटेज का दरवाजा गंगा की ओर खुलता है। एक पुरानी रॉकिंग चेयर,…
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gyandutt · 2 months ago
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जल्दी निकल लिये अमरकंटक से
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gyandutt · 2 months ago
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राजेंद्रग्राम से अमरकंटक
30 जून की नर्मदा परिक्रमा यात्रा रही राजेंद्रग्राम से अमरकंटक तक। राजेंद्रग्राम मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले का कस्बा है। यह पुष्पराजगढ़ तहसील का मुख्यालय है। कभी शायद बाबू राजेंद्रप्रसाद यहां आये थे तो उन्हीं के नाम पर जगह का नाम राजेंद्रग्राम पड़ गया। शहडोल से अमरकंटक जाने के लिये सीधी सड़क स्टेट हाईवे नम्बर 9A है। यह राजेंद्रग्राम से गुजरती है। यात्रा इस हाईवे पर हुई। सीधी कहना तो शायद सही न हो।…
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gyandutt · 2 months ago
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खाल्हेदूधी से राजेंद्रग्राम
29 जून के दिन प्रेमसागर खूब चले। खाल्हेदूधी गांव से राजेंद्रग्राम कस्बे तक। नक्शे में वह दूरी 50किलोमीटर की है। दिन भर चलने पर उन्होने डेढ़ सौ मीटर की ऊंचाई भी चढ़ी। मेहनत का दिन रहा। पर प्रेमसागर ने उसे ‘अंडरप्ले’ करने की भरसक कोशिश की। यह व्यक्ति ज्यादा चलने को अपनी यूएसपी मानता है। पर मुझे ज्यादा चलने की बजाय कम पर आसपास निहारते चलना ही उचित लगता है। इसके लिये वह मुझे यह अण्डरप्ले कर बताने की…
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gyandutt · 2 months ago
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आनाखेड़ा से खाल्हेदूधी
जून 28 की यात्रा में प्रेमसागर आनाखेड़ा से खाल्हेदूधी तक चले। जबलपुर के भेड़ाघाट से नर्मदा का तट छूटा था। आज नर्मदा के करीब तक पंहुचे प्रेमसागर, पर फिर भी तट पर जाना नहीं हुआ। नर्मदा के दक्षिण तट डिंडौरी है और उत्तर तट पर देवरा। देवरा से गुजरे प्रेमसागर। नर्मदा वहां से एक किलोमीटर दूर हैं। पर यात्रा जारी रखने के लिये वे सीधे चलते चले गये। आनाखेड़ा से लगभग हल्की चढ़ाई रही सिवाय धमनगांव से जोगी…
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gyandutt · 2 months ago
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बिछिया से आनाखेड़ा, जिला डिंडौरी
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gyandutt · 2 months ago
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गुंदलई से बिछिया
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