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पारसनाथ जी-अ - Jain Aarti Lyrics
पारसनाथ जी-अ – Jain Aarti Lyrics
पारसनाथ प्रभु, पारसनाथ प्रभु हम सब उतारें थारी आरती पारसनाथ पारसनाथ हम सब उतारे थारी आरती हो धन्य धन्य माता वामा देवी हो देख देख लाल को हरषायें खेले जब गोद में, खुशी तीनो लोक में खुशियों से भरी ये है आरती पारसनाथ हम सब उतारे थारी आरती अश्वसेन के लाल भले हो दर्शन से पाप नशते हो अनुपम छवि सोहे, आनन्द अति देवे श्रद्धा से आरती के बोल बोल बोल बोल पारसनाथ प्रभु, पारसनाथ प्रभु आज उतारे हम…
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आरती-नेमिनाथ जी जिनवानी - Jain Aarti Lyrics
आरती-नेमिनाथ जी जिनवानी – Jain Aarti Lyrics
जय नेमीनाथ स्वामी, प्रभु जय नेमीनाथ स्वामी जय नेमीनाथ स्वामी, प्रभु जय नेमीनाथ स्वामी तुम हो भव दधि तारक प्रभु जी, तुम हो भव दधि तारक प्रभु जी । अन्तर के यामि स्वामी, जय नेमीनाथ स्वामी ० समवशरण में आप विराजे, समवशरण में आप विराजे । खिरे मधुर वाणी स्वामी, जय नेमीनाथ स्वामी ० सुन भवि परम तत्व को पावत, सुन भवि परम तत्व को पावत । सुख सम्यक ज्ञानी स्वामी, जय नेमीनाथ स्वामी ० यक्ष य…
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आरती शांतिनाथ जी जिनवानी - Jain Aarti Lyrics
आरती शांतिनाथ जी जिनवानी – Jain Aarti Lyrics
जय शांतिनाथ स्वामी, प्रभु जय शांतिनाथ स्वामी । जय शांतिनाथ स्वामी, प्रभु जय शांतिनाथ स्वामी । मन वच तन से, तुमको वन्दु २ जय अन्तरयामी प्रभु जय अ���्तरयामी जय शांतिनाथ स्वामी, प्रभु जय शांतिनाथ स्वामी । गर्भ जनम जब हुआ आपका 2 तीन लोक हर्षे स्वामी तीन लोक हर्षे इन्द्र कियो अभिषेक शिखर पर २ शिव मग के स्वामी बोलो शिव मग के स्वामी जय शांतिनाथ स्वामी, प्रभु जय शांतिनाथ स्वामी । पंचम चक…
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अमूल्य तत्व विचार - Jain Stuti Lyrics
अमूल्य तत्व विचार – Jain Stuti Lyrics
(श्री युगल जी कृत) बहु पुण्य-पुंज प्रसंग से शुभ देह मानव मिला | तो भी अरे! भव चक्र का, फेरा न एक भी टला ||१|| सुख प्राप्ति हेतु प्रयत्न करते, सुक्ख जाता दूर हैं | तू क्यों भयंकर भाव-मरण, प्रवाह में चकचूर हैं ||२|| लक्ष्मी बढ़ी अधिकार भी, पर बढ़ गया क्या बोलिये | परिवार और कुटुंब हैं क्या? वृद्धिनय पट तोलिये ||३|| संसार का बढ़ना अरे! नर देह की यह हार हैं | नहिं एक क्षण तुझको अरे!…
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भक्तामर महिमा - Jain Stuti Lyrics
भक्तामर महिमा – Jain Stuti Lyrics
श्री भक्तामर का पाठ, करो नित प्रातः । भक्ति मन लाई, सब संकट जाये नशाई ॥ जो ज्ञान-मान-मतवारे थे, मुनि मानतुंग से हारे थे । उन चतुराई से नृपति लिया, बहकाई ॥ सब ॥१॥ मुनि जी को नृपति बुलाया था, सैनिक जा हुक्म सुनाया था । मुनि वीतराग को आज्ञा नहीं सुहाई ॥ सब ॥२॥ उपसर्ग घेर तब आया था, बलपूर्वक पकड़ मंगवाया था । हथकड़ी बेड़ियों से तन दिया बंधाई ॥ सब ॥३॥ मुनि काराग्रह भिजवाए थे, अड़तालीस…
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चौबीस तीर्थंकर वंदन - Jain Stuti Lyrics
चौबीस तीर्थंकर वंदन – Jain Stuti Lyrics
बे गौरा बे सावंला, बे हरिया बे लाल । सौलहकाय कंचन सम, ते वंदन हूँ त्रिकाल ॥ आदि प्रभु की भक्ति से, मनुज बने भगवान । आत्मिक सुख उसको मिले, वंदन बारम्बार ॥ अन्तरंग बहिरंग को त्यागकर, किये शुद्ध आचार । अजितनाथ भगवान् को, वंदन बारम्बार ॥ जिन संभव के भक्तजन, पावें मोक्ष का द्वार । शीघ्र हरो मम दुःख प्रभु, वंदन बारम्बार ॥ आनंदित प्रभु अभिनन्दन, चतुर्थ तीर्थ करतार । किया नाम सार्थक…
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प्रभु पतित पवन - Jain Stuti Lyrics
प्रभु पतित पवन – Jain Stuti Lyrics
प्रभु पतित पावन मैं अपावन, चरण आयो शरण जी। यों विरद आप निहार स्वामी, मेट जामन मरण जी॥ तुम ना पिछान्यो आन मान्यो, देव विविध प्रकार जी। या बुद्धि सेती निज न जान्यो, भ्रम गिन्यो हितकार जी॥ भव-विकट-वन में कर्म बैरी, ज्ञान धन मेरो हर्यो। सब इष्ट भूल्यो भ्रष्ट होय, अनिष्ट गति धरतो फिर्यो॥ धन घड़ी यों धन दिवस यों ही, धन जनम मेरो भयो। अब भाग्य मेरो उदय आयो, दरश प्रभु को लख लयो॥ छवि…
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समाधि पाठ (तेरी छत्र छाया) - Jain Stuti Lyrics
समाधि पाठ (तेरी छत्र छाया) – Jain Stuti Lyrics
समाधि-भक्ति तेरी छत्रच्छाया भगवन्! मेरे शिर पर हो। मेरा अन्तिम मरणसमाधि, तेरे दर पर हो॥ जिनवाणी रसपान करूँ मैं, जिनवर को ध्याऊँ। आर्यजनों की संगति पाऊँ, व्रत-संयम चाहू ॥ गुणीजनों के सद्गुण गाऊँ, जिनवर यह वर दो। मेरा अन्तिम मरणसमाधि, तेरे दर पर हो॥ १॥ तेरी.. ॥ परनिन्दा न मुँह से निकले, मधुर वचन बोलूँ। हृदय तराजू पर हितकारी, सम्भाषण तौलूँ॥ आत्म-तत्त्व की रहे भावना, भाव विमल भर…
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भगवान महावीर स्वामी की संक्षिप्त कथा - Jain Stuti Lyrics
भगवान महावीर स्वामी की संक्षिप्त कथा – Jain Stuti Lyrics
Proof reading is in process : त्रुटी हो तो कमेंट में लिख दे, सुधार किया जायेगा Download our app https://play.google.com/store/apps/details?id=com.app.vidyasagar&showAllReviews=true प्रस्तावना जैन धर्म अनादिनिधन धर्म है, जिसमें अनादिकाल से तीर्थंकरों की उत्पत्ति होना और उनके द्वारा धर्मोपदेश के माध्यम से भावी जीवों का कल्याण होता रहा है। हर काल के चौथे काल में 24 तीर्थंकरों की उत्पत्ति…

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इष्ट प्रार्थना - Jain Stuti Lyrics
इष्ट प्रार्थना – Jain Stuti Lyrics
भावना दिन रात मेरी, सब सुखी संसार हो । सत्य संयम शील का, व्यवहार हर घर बार हो।। धर्म का परचार हो, अरु देश का उद्धार हो । और ये उजड़ा हुआ, भारत चमन गुलजार हो ।। ज्ञान के अभ्यास से, जीवों का पूर्ण विकास हो । धर्मं के परचार से, हिंसा का जग से ह्रास हो ।। शांति अरु आनंद का, हर एक घर में वास हो । वीर वाणी पर सभी, संसार का विश्वास हो ।। रॊग अरु भय शोक होवें, दूर सब परमात्मा । कर सके…
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दर्शन भावना - पुनः दर्शन मिले स्वामी - Jain Stuti Lyrics
दर्शन भावना – पुनः दर्शन मिले स्वामी – Jain Stuti Lyrics
रचयिता – सारस्वत कवि आचार्य श्री विभावसागरजी पुनः दर्शन – पुनः दर्शन – पुनः दर्शन मिले स्वामी। यही है भावना स्वामी- यही है प्रार्थना स्वामी।। तुम्हारे दर्श बिन स्वामी, कहाँ हम चैन पायेंगे। प्रभुवर! याद आयेंगे – नयन आंसू बहायेंगे।। निकाली नीर से मछली, तड़पती चेतना स्वामी। पुनः दर्शन – पुनः दर्शन -पुनः दर्शन मिले स्वामी।। बिना स्वाति की बूँदो के, पपीहा प्राण…
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जिनवर जिनवानी - Jain Stuti Lyrics
जिनवर जिनवानी – Jain Stuti Lyrics
जिनवर जिनवाणी नो भण्डार, वंदन करिए बारम्बार ।। श्री अरिहंत वाणी नो सार, गौतम स्वामी गुंथे छे माल । कुंद कुंद स्वामी रचनार, वंदन करिए०० चौदह पूरब नो छे सार, ॐ कार धुनी नो छे भण्डार । जिनवाणी जिन तारण हार, वंदन करिए०० गुंथा पाहुऊ समय सार, मूलाचार छे ��ुनियों नो सार । रत्न करंड रत्नों नो भण्डार, वंदन करिए ०० मिथ्यात्म अने राग ने द्वेष, कषाय ने तू करिए न लेश । विषय विष नो छे भण्डार…
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माँ जिनवाणी ममता न्यारी - Jain Stuti Lyrics
माँ जिनवाणी ममता न्यारी – Jain Stuti Lyrics
माँ जिनवाणी ममता न्यारी, प्यारी प्यारी गोद हैं थारी। आँचल में मुझको तू रख ले, तू तीर्थंकर राज दुलारी ॥ वीर प्रभो पर्वत निर्झरनी, गौतम के मुख कंठ झरी हो । अनेकांत और स्यादवाद की, अमृत मय माता तुम्ही हो । भव्य जानो की कर्ण पिपिसा, तुमसे शमन हुई जिनवाणी ॥ आँचल में मुझको तू रख ले ० माँ जिनवाणी ० सप्त्भंगमय लहरों से माँ, तू ही सप्त तत्व प्रगटाये । द्रव्य गुणों अरु पर्यायों का, ज्ञान आत्म…
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जिनवाणी स्तुति - Jain Stuti Lyrics
जिनवाणी स्तुति – Jain Stuti Lyrics
मिथ्यातम नाश वे को, ज्ञान के प्रकाश वे को, आपा पर भास वे को, भानु सीबखानी है॥ छहों द्रव्य जान वे को, बन्ध विधि मान वे को, स्व पर पिछान वे को, परम प्रमानी है॥ अनुभव बताए वे को, जीव के जताए वे को, काहूं न सताय वे को, भव्य उर आनी है॥ जहां तहां तार वे को, पार के उतार वे को, सुख विस्तार वे को यही जिनवाणी है॥ जिनवाणी के ज्ञान से सूझेलोकालोक, सो वाणी मस्तक धरों, सदा देत हूं धोक॥ …
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जय जिनवाणी - Jain Stuti Lyrics
जय जिनवाणी – Jain Stuti Lyrics
जय जिनवाणी माता, रख लाज हमारी, जय जिनवाणी २ आज सभा में मैया तोहे पुकारू २ आज सभा में तोहे पुकारू, जग की भाग्य विधाता ।। रख लाज हमारी, जय जिनवाणी ०० ।। आन के मेरे कंठ विराजो मैया २ आन के मेरे कंठ विराजो, स्वर सरगम की गाथा ।। रख लाज हमारी, जय जिनवाणी ०० ।। शाष्त्र ग्रंथो का बोध नहीं हैं मैया…
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समाधि भावना - Jain Stuti Lyrics
समाधि भावना – Jain Stuti Lyrics
दिन रात मेरे स्वामी, मैं भावना ये भाऊँ, देहांत के समय में, तुमको न भूल जाऊँ । टेक। शत्रु अगर कोई हो, संतुष्ट उनको कर दूँ, समता का भाव धर कर, सबसे क्षमा कराऊँ ।१। त्यागूँ आहार पानी, औषध विचार अवसर, टूटे नियम न कोई, दृढ़ता हृदय में लाऊँ ।२। जागें नहीं कषाएँ, नहीं वेदना सतावे, तुमसे ही लौ लगी हो, दुर्ध्यान को भगाऊँ ।३। आत्म स्वरूप अथवा, आराधना विचारूँ, अरहंत सिद्ध साधूँ, रटना यह…
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देव स्तुति अहो जगत - Jain Stuti Lyrics
देव स्तुति अहो जगत – Jain Stuti Lyrics
पं. भूधरदास कृत अहो! जगतगुरु देव, सुनिए अरज हमारी। तुम प्रभु दीनदयाल, मैं दुखिया संसारी॥ १॥ इस भव-वन के माहिं, काल अनादि गमायो। भ्रमत चहुँगति माहिं, सुख नहिं, दुख बहु पायो॥ २॥ कर्म महारिपु जोर, एक न कान करैं जी। मनमाने दुख देहिं, काहूसों नाहिं डरैं जी॥ ३॥ कबहूँ इतर निगोद, कबहूँ, नर्क दिखावै। सुरनरपशुगति माहिं, बहुविधि नाच-नचावै॥ ४॥ प्रभु! इनके परसंग, भव-भव माहिं बुरो जी। जे…
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