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ब्राह्मण: मिथक एवं तथ्य ************************** आधुनिक इतिहासकार हमें सिखाते हैं कि भारत के ब्राह्मण सदा से दलितों का शोषण करते आये हैं जो घृणित वर्ण-व्यवस्था के प्रवर्तक भी हैं।ब्राह्मण-विरोध का यह काम पिछले दो शतकों में कार्यान्वित किया गया।वे कहते हैं कि ब्राह्मणों ने कभी किसी अन्य जाति के लोगों को पढने लिखने का अवसर नहीं दिया।बड़े बड़े विश्वविद्यालयों के बड़े बड़े शोधकर्ता यह सिद्ध करने में लगे रहते हैं कि ब्राह्मण सदा से समाज का शोषण करते आये हैं और आज भी कर रहे हैं,कि उन्होंने हिन्दू ग्रन्थों की रचना केवल इसीलिए की कि वे समाज में अपना स्थान सबसे ऊपर घोषित कर सकें... किंतु यह सारे तर्क खोखले और बेमा��ी हैं, इनके पीछे एक भी ऐतिहासिक प्रमाण नहीं। एक झूठ को सौ बार बोला जाए तो वह अंततः सत्य प्रतीत होने लगता,इसी भांति इस झूठ को भी आधुनिक भारत में सत्य का स्थान मिल चुका है।आइये आज हम बिना किसी पूर्व प्रभाव के और बिना किसी पक्षपात के न्याय बुद्धि से इसके बारे सोचें, सत्य घटनाओं पर टिके हुए सत्य को देखें क्योंकि अपने विचार हमें सत्य के आधार पर ही खड़े करने चाहियें, न कि किसी दूसरे के कहने मात्र से। खुले दिमाग से सोचने से आप पायेंगे कि ९५ % ब्राह्मण सरल हैं, सज्जन हैं, निर्दोष हैं। आश्चर्य है कि कैसे समय के साथ-साथ काल्पनिक कहानियाँ भी सत्य का रूप धारण कर लेती हैं।यह जानने के लिए बहुत अधिक सोचने की आवश्यकता नहीं कि ब्राह्मण-विरोधी यह विचारधारा विधर्मी घुसपैठियों,साम्राज्यवादियों, ईसाई मिशनरियों और बेईमान नेताओं के द्वारा बनाई, आरोपित की गयी ताकि वे भारत के समाज के टुकड़े-टुकड़े करके उसे आराम से लूट सकें। सच तो यह है कि इतिहास के किसी भी काल में ब्राह्मण न तो धनवान थे और न ही शक्तिशाली। ब्राह्मण भारत के समुराई नहीं है। वन का प्रत्येक जन्तु मृग का शिकार करना चाहता है, उसे खा जाना चाहता है और भारत का ब्राह्मण वह मृग है। आज के ब्राह्मण की वह स्थिति है जो कि नाजियों के राज्य में यहूदियों की थी क्या यह स्थिति स्वीकार्य है ?
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प्रिय श्री कृष्णचरणानुरागी बंधुवर दुष्यंत जी जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं हमारा अनन्त आशीर्वाद !
बिछ रही हैं आ क्षितिज पर इन्द्रधनुषी कामनायें हो रही हैं पल्लवित कुछ और नव संभावनायें स्वप्न के शिल्पी सलौने धार बन कर बह रहे हैं और मन के भाव प्रमुदित मग्न हो कर कह रहे हैं साथ मेरे स्वर मिलाओ, आपका शुभ जन्मदिन है
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Meeting the boss for the first time in his / her cabin after Resignation.
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सुमंगल प्रभात, आपका एवं आपके समस्त परिवारजनों दिवस शुभ एवं मंगलमय रहे ।
अपह्त्यार्तिमार्तानाम् सुखं यदुपजायते। तस्य स्वर्गोपवर्गो वा कलाँ नहित षोडशीम्॥
परोपकार से, दुःखियों के दुःख दूर करने से जो सुख मिलता है, वह चिरस्थायी और सच्चा होता है। इस सुख की कोई सीमा नहीं।
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बुझा हुआ मशाल जला दो आग की ज्वाला बढ़ा दो नवचेतना राग गुनगुनाकर 'रमन' नवीन ज्योत जला दो
राग दीपक फिर है सुनना ताप में फिर से है जलना प्रलय आंधी भेद कर फिर- से है तम को जगमगाना
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अपनों के दरमियां सियासत फ़िजूल है l मक़सद न हो कोई, तो बग़ावत फ़िजूल है l रोज़ा, नमाज़, सदक़ा-ऐ-ख़ैरात या हो हज, माँ बाप खुश ना हों तो, सारी इबादत फ़िजूल है l
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पर कब तक --------??????????????
कब तक शिकवा शिकायत यूहीं होते रहेंगे फटी-चिथडी लाशों पर हम यूहीं रोते रहेंगे शंखनाद करो, कुण्डी तोड़ो ,दरवाजे खोलो सिंह से दहाड़ो, भारत की बागडोर संभालो आतंकवाद के पुजारियों क्या लगता है हम कब तक अपनों को हम यूहीं खोते रहेंगे ?
जाग रहा है है हिन्दू रहेगा अब वो स्वाभिमान से दबा नहीं सकता कोई अब हिन्दू को हिंदुस्तान में
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कल सोशल मीडिया पर हिन्दू सेना के दिनेश शर्मा नाम के एक युवक का वीडियो देखने के बाद महसूस हुआ वाकई हम किस प्रशासन और मीडिया से न्याय और निष्पक्षता की उम्मीद लगाए बैठे हैं ??? जो प्रशासन एक मुस्लिम जुनैद (संभवत एक हिन्दू लड़की के साथ छेड़छाड़ कर रहा था) के मारे जाने पर तो ज़मीन आसमान एक कर देता , सेक्युलर इंडिया गेट पर विधवा विलाप करने लगते हैं और मीडिया को देखो आज के हिंदुस्तान टाइम्स ने पूरा आधा पेज जुनैद की भेंट कर दिया है | वहीँ एक हिन्दू युवती रिया की एक मुस्लिम युवक द्वारा नृशंस हत्या पर इस महान समाचार पत्र ने मात्र दो - तीन कॉलम की खबर देकर अपनी जिम्मेदारियों से इतिश्री कर ली और विडम्बना देखिये प्रशासन के दबाव में आकर उस बेचारी मृतक युवती का चरित्र हनन करना नहीं भूला यह राजधानी का अत्यंत लोकप्रिय दैनिक | ऐसे दिखाया जा रहा है मानो लड़के और लड़की के आपसी सम्बन्ध थे , जबकि शायद यह पूरा मामला लव जिहाद का है ? जिसमें लड़के ने शायद लड़की को हिन्दू नाम से फंसाया था और उसकी आपराधिक पृष्टभूमि पता चलने पर लड़की ने किनारा कर लिया था ?? मैं आज आपके माध्यम से उन तथाकथित सेकुलरों से पूछना चाहता हूँ , अब उस लड़की के लिए क्यों नहीं इंडिया गेट पर मोमबत्ती जलाते हो , मुस्लिमों के दलालो क्यों तुम्हारे मुँह में अब दही जम गया है | वो प्रशासन अब कहाँ कुम्भकरण की नींद सोया हुआ है जिसने जुनैद के मरने पर उसके घरवालों पर पैसे की बारिश कर दी है, कितने नेता और अधिकारी इस बेचारी हिन्दू लड़की के घर उनकी सुध लेने गए हैं ??? मुझे लगता आज की परिस्थितयों को देखते हुए हिन्दुओं को संगठित होना चाहिए (वैसे तो उनसे क्या उम्मीद करें जो एक लड़की को मरते हुए देखते रहे और इतनी भी हिम्मत नहीं जुटा सके की एक लड़के को पकड़ सकें) और इस लड़की को जब तक न्याय नहीं मिले तब तक इस मुद्दे को शांत नहीं होना देना चाहिए | क्या एक मुसलमान का खून , तो खून है और एक हिन्दू का खून पानी है ????
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There are two kinds of pride, both good and bad. 'Good pride' represents our dignity and self-respect. 'Bad pride' is the deadly sin of superiority that reeks of conceit and arrogance.
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जीवन में धैर्य एक आवश्यक गुण है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। उतावलेपन और घबराहट से काम बिगड़ जाता है, धैर्य से काम में कुशलता आती है। धैर्य का सम्बन्ध मन की शान्ति से होता है। आपके पास धैर्य और शान्ति, अगर दोनों है, तो मानिए की आप बहुत सुखी हैं। मन अगर दुखी है तो अमृत भी स्वादहीन है, व्यर्थ लगेगा। किसी प्रकार का तनाव, भय, चिंता हमारी अशांति का कारण बन जाता है। आवश्यकता है एक संकल्प लेने की- हम शांत रहेंगे! एक दिन यह आदत में शामिल हो जाएगा।
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इस में सुरति सुर रमाते, राम - राम स्वर साध समाते। देव देवीगण दैव विधाता, राम - राम भजते गणत्राता॥
राम-नाम ध��वनि-नाद में प्रेमी-अनुरक्त, देवता एवं साधु लीनता लाभ करते हैं, खो जाते हैं, आनंद मग्न रहते हैं | राम-नाम को तो देवता, देवियाँ, दिव्यलोक-वासी, विश्व के सृष्टिकर्ता एवं जन-रक्षक सभी भजते हैं अर्थात वैष्णव, शैव, शाक्त, अपने अपने इष्टों सहित सभी राम-राम-भजते हैं | सुर : इन्द्र आदि देवता | देव : ब्रह्मा, शिव आदि देवता | देवीगण : सरस्वती, लक्ष्मी, पार्वती | दैव : दिव्यलोक-वासी | विधाता : सृष्टिकर्ता | गणत्राता : शिव, विष्णु, शक्ति, गणपति आदि |
Deeply engrossed in the remembrance of holy 'Ram-Naam', the fond devotees, godmen and sages - all enjoy being in a state of bliss and divine ecstasy. As a matter of fact, the gods and goddesses, the blessed souls that live in the Higher World (Heaven), nay the Creator and the Preserver themselves invoke and remember 'Ram-Ram', signifying that the followers of different sects such as 'Vaishnavas', 'Shaivas' and 'Shaaktas' alongwith worshipping their personal deity remember and recite 'Ram-Ram'.
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न प्रहॄष्यति सन्माने नापमाने च कुप्यति । न क्रुद्ध: परूषं ब्रूयात् स वै साधूत्तम: स्मॄत: ॥
जो सम्मान से गर्वित नहीं होते , अपमान से क्रोधित नहीं होते क्रोधित होकर भी जो कठोर नहीं बोलते, वे ही श्रेष्ठ साधु है ।
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जिसमें स्वाभिमान नहीं हो, वह हिंदू नहीं हो सकता | शुद्ध विचार और संस्कार ही हिंदू चरित्र को महान बनाते हैं | समस्या से निपटने के लिए हिंदू की सामूहिक शक्ति को खड़ा होने की आवश्यकता है | प्रत्येक हिंदू का घर बाहर से ��िखना चाहिये कि यह हिंदू का घर है , इसके साथ श्रेष्ठ संस्कार एवं आध्यात्मिक विचारों से हिंदुओं का घर अंदर से सनातन धर्म के अनुरूप उच्च संस्कारों का केंद्र बने | आज समय आ गया है हम सबको मिलकर हिंदू को हिंदू के रूप में खड़ा करना होगा जहाँ वो अपने हिन्दू होने पर गर्व कर सके |
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मन मोहनी प्रकृति की गोद में जो बसा है। सुख स्वर्ग-सा जहाँ है वह देश कौन-सा है।।
जिसका चरण निरंतर रतनेश धो रहा है। जिसका मुकुट हिमालय वह देश कौन-सा है।।
नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही हैं। सींचा हुआ सलोना वह देश कौन-सा है।।
जिसके बड़े रसीले फल कंद नाज मेवे। सब अंग में सजे हैं वह देश कौन-सा है।।
जिसमें सुगंध वाले सुंदर प्रसून प्यारे। दिन रात हँस रहे है वह देश कौन-सा है।।
मैदान गिरि वनों में हरियालियाँ लहकती। आनंदमय जहाँ है वह देश कौन-सा है।।
जिसके अनंत धन से धरती भरी पड़ी है। संसार का शिरोमणि वह देश कौन-सा है।।
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आजकल जिसे लोग प्रेम कहते हैं, वह किसी दूसरे के साथ खुद को बांधने का, खुद की पहचान बनाने का एक तरीका है। लेकिन यह प्रेम नहीं है, यह मोह है, आसक्ति है। हम हमेशा आसक्ति को ही प्रेम समझ बैठते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि आसक्ति का प्रेम से कोई लेना-देना नहीं है।
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आशा एक ऐसी ज्योति है जो दुर्गम अन्धकार में भी प्रकाश देती है। यह प्रकाश आपका अपना होता है और इसके सहारे कठिन रास्ते कट जाते हैं। आशा को भगवान् कहा जा सकता है क्योंकि यह हमें विकट परिस्थिति से उबार लेती है।
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