✍️ 6 से 8 सितंबर 2024 को संत रामपाल जी महाराज के अवतरण दिवस पर भारत सहित नेपाल के 10 सतलोक आश्रमों में नि:शुल्क भंडारे की व्यवस्था की जा रही है। इसके साथ-साथ संत गरीबदास जी महाराज की वाणी का अखंड पाठ, हवन यज्ञ, सत्संग, दहेजमुक्त विवाह और रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया जाएगा। जिसमें आप सभी को सादर आमंत्रित किया जाता है।
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✍️ संत रामपाल जी महाराज समय-समय पर तीन दिवसीय विशाल भंडारे का आयोजन करते हैं, जिसमें पूर्ण परमेश्वर को भोग लगाकर प्रसाद वितरित किया जाता है। धार्मिक हवन, यज्ञ, पाठ आदि से परमेश्वर प्रसन्न होते हैं, और वातावरण शुद्ध होता है। ऐसा ही विशाल भंडारा संत रामपाल जी महाराज के अवतरण दिवस पर 6 से 8 सितंबर 2024 को किया जा रहा है। जिसमें आप सभी को सादर आमंत्रित किया जाता है।
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✍️संत रामपाल जी महाराज के 74वें अवतरण दिवस पर 6, 7 और 8 सितंबर 2024 को भारत समेत नेपाल के 10 सतलोक आश्रमों पर विशाल भंडारा और संत गरीबदास जी महाराज के अमरग्रन्थ की अमरवाणी का अखंड पाठ आयोजित किया जाएगा। यह भंडारा नि:शुल्क है और इसका गांव-गांव में प्रचार करके सभी को आमंत्रित किया गया है। अत: आप भी इस विशाल भंडारे में सपरिवार सादर आमंत्रित हैं।
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संत रामपाल जी का संघर्ष
अध्यात्म के नाम पर अज्ञान परोसने वाले धर्मगुरुओं के अज्ञान को उजागर कर मानव समाज को शास्त्र अनुकूल ज्ञान देने के लिए संत रामपाल जी महाराज को अनेक संघर्षों का सामना करना पड़ा। यहाँ तक कि सत्यज्ञान के प्रचार लिए उन्होंने अन्य धर्मगुरुओं का विरोध झेला, उन्हें जेल तक जाना पड़ा और बिना रुके, बिना थके आज जेल में रहते हुए भी संत रामपाल जी महाराज का संघर्ष जारी है।
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संत रामपाल जी महाराज का जीवन संघर्षों और चुनौतियों से भरा रहा है, लेकिन इन संघर्षों ने उन्हें और भी दृढ़ और साहसी बनाया है। उन्होंने हमेशा समाज की भलाई के लिए काम किया और अंधविश्वास, पाखंडवा��, जातिवाद और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। उनके उपदेशों का मुख्य उद्देश्य समाज में आध्यात्मिक के साथ-साथ नैतिकता, मानवता और सद्भावना का प्रसार करना है। वे अपने अनुयायियों को शास्त्रानुसार भक्ति साधना के साथ-साथ धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन आ रहा है।
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🔹हजुरे अक्सद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम (हजरत मुहम्मद) का इर्शाद (कथन) कहना है कि कोई बंदा ऐसा नहीं है कि ‘लाइला-ह-इल्लल्लाह‘ कहे उसके लिए आसमानों के दरवाजे न खुल जाएँ, यहाँ तक कि यह कलिमा सीधा अर्श तक पहुँचता है, बशर्ते कि कबीरा गुनाहों से बचाता रहे। दो कलमों का जिक्र है कि एक तो ‘लाइला-ह-इल्लल्लाह‘ है और दूसरा ‘अल्लाहु अक्बर‘(कबीर)। {यहाँ पर अल्लाहु अक्बर का भाव है भगवान कबीर (कबीर साहेब अर्थात् कविर्देव)।}
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🔹त्रेतायुग में कबीर साहेब ने मुनींद्र ऋषि रूप में एक पहाड़ी के आस-पास रेखा खींचकर सभी पत्थर हल्के कर दिये थे। फिर बाद में उन पत्थरों को तराशकर समुद्र पर रामसेतु पुल का निर्माण किया गया था।
इस पर धर्मदास जी ने कहा हैं :-
"रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरू से करी पुकार।जा सत रेखा लिखी अपार, सिन���धु पर शिला तिराने वाले।धन-धन सतगुरु सत कबीर, भक्त की पीर मिटाने वाले।"
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🔹कबीर परमेश्वर जी ने काल ब्रह्म को दिये वचन अनुसार त्रेतायुग में राम सेतु अपनी कृपा से पत्थर हल्के करके बनवाया।
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🔹त्रेतायुग में कबीर साहेब मुनींद्र ऋषि नाम से आये। तब रावण की पत्नी मंदोदरी, विभीषण, हनुमान जी, नल - निल, चंद्र विजय और उसके पूरे परिवार को कबीर परमात्मा ने शरण में लिया जिससे उन पुण्यात्माओं का कल्याण हुआ।
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🔹लंका फतह करने में बाधा बन रहे समुद्र के आगे असहाय हुए दशरथ पुत्र राम से भिन्न वह आदिराम/आदिपुरुष परमात्मा कौन है, जो त्रेतायुग में मुनींद्र ऋषि के रूप में उपस्थित थे एवं जिनकी कृपा से नल नील के हाथों समुद्र पर रखे गए पत्थर तैर पाए थे।
इस आध्यात्मिक रहस्य को जानने के लिए अवश्य देखें साधना चैनल शाम 7:30 बजे।
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🔹क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी को त्रेतायुग में मुनीन्द्र ऋषि रूप में परमात्मा मिले थे, जिन्होंने हनुमान जी को अपना अमरलोक दिखाया था और सतभक्ति प्रदान की थी।
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🎈चारों युगों में अपनी प्यारी आत्माओं को पार करने आते हैं परमेश्वर कबीर जी
परमात्मा कबीर जी सतयुग में सत सुकृत नाम से प्रकट हुए थे। उस समय अपनी एक प्यारी आत्मा सहते जी को अपना शिष्य बनाया और अमृत ज्ञान समझाकर सतलोक का वासी बनाया।
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🏕️जगन्नाथ मंदिर रहस्य
जगन्नाथ मंदिर में मूर्तिपूजा नहीं होती है, मूर्तियां केवल दर्शनार्थ रखी गई हैं। और हिंदुस्तान का जगन्नाथ मंदिर ही एक ऐसा मंदिर है जिसमें किसी भी प्रकार की छुआछात नहीं होती है।
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♦️ त्रेता युग में कबीर परमेश्वर मुनींद्र नाम से प्रकट हुए तथा नल व नील को शरण में लिया।
उनकी कृपा से ही समुद्र पर पत्थर तैरे। धर्मदास जी की वाणी में इसका प्रमाण है:-
रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरु से करी पुकार।
जा सत रेखा लिखी अपार, सिंधु पर शिला तिराने वाले।
धन-धन सतगुरु सत कबीर, भक्त की पीड़ मिटाने वाले।
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♦️कबीर परमात्मा के दर्शन गरुड़ जी को हुए थे, कबीर सागर में 11वां अध्याय ‘‘गरूड़ बोध‘‘ पृष्ठ 65 (625) पर प्रमाण है कि परमेश्वर कबीर जी ने धर्मदास जी को बताया कि मैंने विष्णु जी के वाहन पक्षीराज गरूड़ जी को उपदेश दिया, उनको सृष्टि रचना सुनाई।
परमेश्वर कबीर जी ने गरुड़ जी को भी सत्य ज्ञान का उपदेश देकर शरण में लिया था।
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Respected Garibdas Sahib ji was born in 1717 A.D. He met God Kabir Ji at the age of 10 years in a field named Nalaa in 1727 A.D. and departed to Satlok in 1778 A.D.
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Respected Daadu ji Met The Almighty God in the form of a Jinda Saint. When he was 7 years of Age.
To know more watch sadhna chanel 7.30 pm daily.
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